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2000-09-23 VIP Reception, London, UK, DP-RAW, 116' Chapters: Preparations, Arrival, Talk, Q&A, Self-Realization, Workshop, Departure
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                                        वी आई पी रिसेप्शन, LONDON ,UK,DP RAW

                                                           2000-09-23

मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूँ। ये विशिष्ट समय है जब हमारे पास सत्य के इतने साधक हैं । आश्चर्यजनक रूप से आजकल बहुत सारे लोग जानना चाहते  हैं कि सत्य क्या, और परिणाम उनमें से कुछ खो भी जाते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, यह मन, यह भावनाएं यह तथाकथित बुद्धिमत्ता नहीं हैं लेकिन आप सच्ची आत्मा हैं। सभी शास्त्रों ने कहा है कि जहाँ  तक और जब तक आप खुद को नहीं जानते तब तक आप परमात्मा को कैसे जान पाएंगे। क्योंकि यदि हम स्वयं को वास्तव में नहीं जानते हैं तो हम परमात्मा को जानने के लिए सुसज्जित नहीं हैं और इसलिए स्वयं को जानना इतना महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी चीज है जिसे लोग समझ नहीं पाते हैं क्योंकि ज्यादातर उन्हें कविता में लिखा गया है। और उन सभी ने कहा है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए लेकिन आप स्वयं को कैसे जान पाएंगे कि आपका स्व भीतर है और बाहर नहीं। तो अपने आप को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें यह समस्या है। यह समस्या वास्तव में इतनी महान है कि बहुत से लोगों को जानने के ज्ञान से बाहर रखता है। अब मुझे आपको अपने बारे में बताना चाहिए कि मैंने खुद महसूस किया है कि लोगों को खुद को जानने की एक बड़ी समस्या है, हालांकि मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से जानती थी । दूसरों को अपने बारे में ज्ञानवान कैसे बनाया जाए इसलिए मैंने सबसे पहले अपनी सूक्ष्म बुद्धिमत्ता में लोगों की,  बहुत से लोगों की समस्याओं को देखने की कोशिश की कि, क्या बात है कि, वे खुद को महसूस नहीं कर सकते कि वे खुद क्यों नहीं समझ सकते उनके अस्तित्व में क्या समस्या है कि वे देख नहीं सकते हैं और मैंने कई लोगों को देखने की कोशिश की होगी और मुझे एहसास हुआ कि कोई ऐसा तरीका होना चाहिए जिसके द्वारा आप उस विधि का पता लगा सकते हैं जिसके द्वारा लोग सामूहिक रूप से आत्म बोध प्राप्त कर सकते हैं | क्योंकि यदि कोई भी खोज एक व्यक्ति के लिए है या ज्यादा से ज्यादा एक या दो व्यक्ति के लिए है, वह किसी उपयोग की नहीं| बल्कि इसके विपरीत जो आत्मसाक्षात्कारी लोग थे उन सभी लोगों को प्रताड़ित और परेशान किया गया था, उनको सूली पर चढ़ा दिया गया, यह आप अच्छी तरह जानते हैं | तो यदि ऐसा सामूहिक रूप से होता है यह कई समस्याओं का समाधान कर देगा।

 मैं जानती हूँ कि यदि आप स्व बन जाते हैं,तो परिवर्तित हो जाते हैं या एकदम अलग व्यक्ति बन जाते हैं । आप देखे, तो आज जो हमारी समस्याएं हैं ,वो वे इन दिनों की भयंकर समस्याएं हैं और, अधिकतर मानव जनित ही हैं । अन्य आपदाओं के कारण नहीं बल्कि मनुष्य से ही पैदा हुई हैं चूँकि  मनुष्य अज्ञानता में हैं और वे अपने समूह या इस प्रकार की चीजें खोजना शुरू कर देते हैं । हर प्रकार की हिंसा और अत्याचार और भगवान जाने क्या क्या करते हैं। मुझे लगता है कि इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है, मैं जानती हूँ कि यदि वे परिवर्तित हो जाएँ, परन्तु कैसे परिवर्तित हों? ये समस्या है । मैंने आपको बताया है कि मैंने बहुत से लोगों का अध्ययन किया है ईश्वर का धन्यवाद् है कि,  मेरे पिता एक सामाजिक विचारधारा वाले व्यक्ति थे और, मेरे पति भी। मैं बहुत सारे लोगों से मिल सकी और मैंने यह अनुभव किया कि, कुण्डलिनी शक्ति, जो आपकी रीढ़ की हड्डी के आधार पर है, उन लोगों में जागृत नहीं है । वह अभी भी सुप्तावस्था में है, यदि यह जागृत हो जाये तो समस्या का समाधान हो सकता है 

यह बीज की प्रारंभिक अवस्था की तरह, आप देखिये यह सुप्तावस्था में है, अभी तक यह जागृत नहीं हुई है। इसलिए मैंने स्वयं से कहा कि मुझे इस कुण्डलिनी को जागृत करना सीखना चाहिए। यदि मैं ऐसा कर सकूं तो हम इस कार्य को सामूहिक रूप से कर सकते हैं। मैं इसे कार्यान्वित कर सकती हूँ| कुछ समय बाद मैंने वास्तव में उस विधि की खोज की जिसके द्वारा हम कई लोगों की कुण्डलिनी को जगा सकते थे। लेकिन पहले, यह एक व्यक्ति के साथ शुरू हुआ, उसके बाद लगभग बारह और अब आप जानते हैं, हम कई लोगों की कुण्डलिनी को जागृत कर सकते हैं।  और जो जागृत हैं वे कई  दूसरे लोगों की कुंडलिनी को जागृत कर सकते हैं। वे एक प्रकार से दूसरों की कुण्डलिनी जागृत करने के अधिकारी अथवा स्वामी हो जाते हैं और अन्य लोगों को आत्मसाक्षात्कार दे सकते हैं वे कहते हैं कि सहज योग अब 96 देशों में है। ऐसा उनका कहना है। जो भी हो, ऐसा केवल इसलिए है कि कुछ लोगों ने आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया, उस पर स्वमित्व प्राप्त किया और करने लगे। आपको आश्चर्य होगा कि बेनिन जैसे देश में जो कि पूर्णतः मुस्लिम देश था, वहां  9000 सहज योगी हैं। वहां पर सात देश ऐसे हैं जो फ़्रांसीसी शासित है, वे सब इसमें हैं। अतः आप समझ सकते हैं कि लोगों का आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना कितना आवश्यक था। इसलिए वे विशिष्ठ व्यक्ति बन गए, बहुत  शांतिप्रिय, अति बुद्धिमान, अत्यंत समझदार और कुण्डलिनी शक्ति से सशक्त, जो  व्यर्थ की सोच और लड़ाई झगड़े वाली और इस प्रकार की प्रवृत्ति से भिन्न  होते हैं। यह होता है। ये होना चाहिए यह मुद्दा है। यदि ऐसा नहीं होता, आप इस पर बहस नहीं कर सकते।  तो जब कुण्डलिनी उठती है तो वहपहले ही बताये गए इन केंद्रों को  पार करके, सहस्रार  से होती हुई आपको परमात्मा की सर्वव्यापी शक्ति से जोड़ देती है । आइंस्टाइन इसे टॉरशन एरिया (परम चैतन्य) कहते हैं । वे कहते हैं कि यह परम चैतन्य का क्षेत्र है ,उन्होंने थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की खोज कैसे की ,उन्होंने बताया कि वे बहुत थक गए थे,  बिलकुल तंग आ गए थे तो बगीचे में जाकर साबुन के बुलबुलों से खेलने लगे और तभी कोई कहीं से, किसी अज्ञात क्षेत्र से ,उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ| . तो यह पूर्ण ज्ञान, पूर्ण ज्ञान का क्षेत्र है आपको सापेक्ष नहीं बल्कि निरपेक्ष ज्ञान मिलता है और,  आप स्वयं देख सकते हैं कि यह कितना सही है।  उदहारण के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य, आपने अमेरिका के प्राकृतिक स्वास्थ्य संस्था के बारे में सुना होगा। यह एक संस्था है जिसे नए प्रकार के स्वास्थ्य सम्बंधित सभी  समाचारों और साहसिक कार्यों की जाँच करने के लिए गठित किया गया है|

वहां एक डॉक्टर ने एक सहजयोगिनी से, जो डॉक्टर नहीं थी, पूछा कि बताओ मुझे क्या समस्या है ? उसने उन्हें बताया कि आपके ह्रदय में समस्या है। वह हैरान रह गए। एक महीने पहले ही उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। तो देखो जब आपके साथ ऐसा होता है, आप अपनी उँगलियों के पोरों पर महसूस कर सकते है।  चक्र विभिन्न प्रकार के हैं । आप जानते हैं कि छह चक्र कुण्डलिनी के ऊपर होते हैं और सातवां नीचे है। अब ये छह और सातवां भी हमारे शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक अस्तित्व के उत्तरदायी हैं|

यह हमें अपनी ऊर्जा से माध्यम से पोषित करने में सहायता करते हैं। इनकी ऊर्जा सीमित होती है जब यह ऊर्जा समाप्त हो जाती है तो, अनेक प्रकार की शारीरिक, भावनात्मक और, अन्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं| आप इन्हे मनोवैज्ञानिक समस्याएं कह सकते हैं और क्यों, ये हम नहीं समझ पाते। लेकिन जब हमें आत्मसाक्षात्कार हो जाता है तब हमारी बहुत सारी समस्याएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं। यदि नहीं होती, तो आपको पता चल जाता है कि समस्या कहाँ है और हम उसको स्वयं ही ठीक कर सकते हैं। यदि आप स्वयं को ठीक करना जान जाते हैं तो आप दूसरों को भी ठीक कर सकते हैं। क्योंकि आपके अंदर एक नया आयाम विकसित हो जाता है जिसको हम सामूहिक चेतना कहते हैं । दूसरा कौन है इस संसार में दूसरा कौन है?  हम सब एक ही अस्तित्व के अंग प्रत्यंग हैं अतः, हमें अपनी उँगलियों के पोरों पर न केवल अपने चक्रों की बल्कि दूसरों के चक्रों की भी अनुभूति होने लगती है| 

और यदि आप ठीक करना जानते हैं तो,  उन्हें ठीक भी कर सकते हैं। आप अपने चक्रों के साथ साथ दूसरों के चक्रों को ठीक कर सकते हैं। पर सबसे पहले अपने आपको अच्छी तरह से स्थापित करना पड़ेगा। कुछ लोग तो मात्र एक आत्मसाक्षात्कार, या एक सेशन के बाद ही माहिर हो जाते हैं मैंने वास्तव में ऐसे कुछ लोगों को देखा है। लेकिन कुछ लोगों को चक्रों पर कुछ बाधाएं होती हैं और कुण्डलिनी  वापस चली जाती है। इसलिए आपको यह सीखना पड़ेगा कि यदि किसी चक्र में समस्या है तो उसका उपचार कैसे किया जाये। इतना ही नहीं यह बहुत सरल है। आपको डॉक्टर,दार्शनिक या मनोवैज्ञानिक या और कोई नहीं बनना पड़ेगा। केवल,जहाँ तक आप मानव हैं, आप कर सकते हैं ।लेकिन,मैं सोचती हूँ ,जैसा कि लोग कहते हैं कि सहज योग में एक बुराई है कि हम पैसे नहीं लेते और वे मुझसे प्रश्न करते हैं कि आप लोग पैसे क्यों नहीं लेते? अब मैंने उन्हें बताया है कि यह आपके विकास की एक जीवंत प्रक्रिया है। जब आप एक बीज बोते हैं तो बीज आप से क्या लेता है? या माली बीज से क्या लेता है? यह अपने आप अंकुरित हो जाता है। उसके अंदर ये शक्ति निहित है उसी प्रकार से आपके अंदर भी यह शक्ति निहित है। आपको अपने ऊपर विश्वास होना चाहिए कि, हमारे अंदर वह शक्ति है तो हम उसे प्राप्त क्यों नहीं कर सकते। आप इसकी कीमत नहीं चुका सकते, हाल का पैसा दे सकते हैं और दूसरी चीज़ों की कीमत दे सकते हैं पर कुण्डलिनी जागरण की नहीं। उसकी आवश्यकता भी नहीं है। आप इसका क्या मूल्य लगाएंगे? यह बहुत विशेष है आप इसको पाने के अधिकारी हैं इसलिए आपको प्राप्त होगा। सीधी सी बात  है। तो आप सामूहिक चेतना जगाते  हैं|

इसके अतिरिक्त, क्या होता है कि आप मस्तिष्क से परे चले जाते हैं। आप, जिसे वे (टॉरशन एरिया )कहते हैं उसमे चले जाते हैं अर्थात आप इसे परमात्मा की सर्वव्यापी प्रेम की शक्ति कह सकते हैं ।अन्य भाषाओँ में इसे रूह भी कहते हैं, जब आप वह हो जाते हैं,  उससे जुड़ जाते हैं,तब आपको क्या करना है, उस शक्ति का उपयोग करना है, इस शक्ति का। इसलिए भारत और अन्य देशोमें तत्वों पर विश्वास करते हैं, माने तत्वों में शक्ति है। यह ऊर्जा है, दैवीय ऊर्जा जो कार्य करती है। लेकिन जब  तक ये आप में आ नहीं जाती आप दैवीय शक्ति से योग को  समझ नहीं सकते।  हर कोई इस शक्ति को प्राप्त कर सकता है इसमें जाति, संप्रदाय, वर्ण इत्यादि,  का कोई भेदभाव नहीं है। कोई भी मनुष्य  कभी भी किसी समय पर, आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकता है ।

अंतिम निर्णय का समय आ गया है आप क्या सोचते हैं और क्या प्राप्त करते हैं, बहुत महत्वपूर्ण है| आपको ज्ञान प्राप्त करने, एक बार स्वयं को जानने और आत्मरूप होने का निर्णय लेना है।  एक बार आपने प्राप्त कर लिया तो आपको आश्चर्य होगा कि आप दूसरों के बारे में इतनी बातें जानते हैं। यह बहुत उल्लेखनीय बात है लेकिन शायद हम नहीं जानते कि ये अपने ही अंदर है। इसके लिए ये सामूहिक चेतना बहुत ही सुन्दर है। यहाँ बैठ कर आप सब के बारे में जान सकते हैं। यहाँ बैठ कर किसी का भी उपचार कर सकते हैं। आप बहुत कुछ कर सकते हैं, मेरा मतलब है आप सक्षम है, आप इसके अंग बन सकते हैं।  यह एक भौगोलिक कार्य है।  इसका आपके देश की सीमाओं या इस प्रकार की बातों से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह वैश्विक है और कार्य करता है।  यह सार्वभौमिक कार्य करता है| अतः हमें व्यापक भावना रखनी होगी, अंतर्ज्ञान, जो कार्यान्वित होगा निर्विचार जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्विचार जागरूकता में आप  दैवीय शक्ति से जुड़ जाते हैं तब आप कुछ नहीं  सोचते, सोचने का क्या है? दैवीय शक्ति आपके लिए सोचने का कार्य करती है। सोचने से क्या होता है की आप बहुत प्रतिक्रिया शील हो जाते हैं। आप हर बात की प्रतिक्रिया करते हैं। आप जो भी देखते हैं,  प्रतिक्रिया करते हैं।  आप उसको साक्षी भाव से नहीं देखते, प्रतिक्रिया करते हैं। हर व्यक्ति की प्रतिक्रिया भिन्न होती है। सब बहुत लड़ते हैं। जब आप कुछ देखते है तो साक्षी अवस्था विकसित होती है जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस तरह से मैंने न जाने कितने कितने, हज़ारों भाषण मैंने दिए हैं। लेकिन आपको यह समझना होगा कि जब तक आपकी इच्छा नहीं होगी यह घटित नहीं हो सकता। क्योंकि यह शुद्ध इच्छा है, कुण्डलिनी शुद्ध इच्छा की शक्ति है। यदि आपकी शुद्ध इच्छा नहीं है तो कोई भी आपको इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता। यह जबरदस्ती नहीं दिया जा सकता।  आप इसका प्रचार नहीं कर सकते|

यह लोगों की इच्छा है जो कार्य करती है और कार्यान्वित होती है जहां तक धर्म का संबंध है, अब हमारे पास कई प्रकार के विचार हैं।  जहां तक अवतार का सवाल है, मेरा मतलब सभी तरह से है। लेकिन आपने उनमें से क्या प्राप्त किया आपको अपना आत्मबोध मिला है?  क्या आप अपने आप को जानते हैं? यही मुख्य प्रश्न आपको पूछना चाहिए और फिर सहज योग अपनाना चाहिए।  सहज योग का अर्थ है, सहज का अर्थ है अनायास, योग का अर्थ है परमात्मा के साथ जुड़ना।  वह पहली बात होनी चाहिए। अब कई लोगों ने मुझसे पतंजलि योग के बारे में पूछा है और,  यह योग और वह? बहुत समय पहले पतंजलि योग शुरू हुआ था। यह दूसरे ही प्रकार से था , इसमें पहले आपके शरीर को शुद्ध करते थे, आपके दिमाग को शुद्ध करते थे, फिर वे कम से एक लाख लोगों के बीच एक व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार देते थे।  इसलिए आप कल्पना कर सकते हैं, प्रगति क्या होनी चाहिए। मैंने सिर्फ इस तरह के बारे में सोचा, कि क्यों नहीं उन्हें पहले आत्मबोध दें।  यदि उन्हें आत्मबोध होगा  है, तो वे स्वयं देख सकते हैं कि उनके साथ क्या गलत है और फिर वे इसे ठीक करेंगे। यह बेहतर है। इन दिनों, आप जानते हैं, किसी को कुछ कहना इतना मुश्किल है।  जब आप स्वयं देखते हैं की आप कठिनाई  में हैं और फिर आप खुद को देखते हैं, आपके साथ कुछ गड़बड़ है, तो  आप निश्चित रूप से इसका इलाज करेंगे। और इस तरह ये विपरीत प्रकार से शुरू हुआ और इसने अद्भुत काम किया है।  और मुझे लगता है कि इसने हर जगह बहुत अच्छी तरह से काम किया है और यह इंग्लैंड में भी कार्यान्वित होना चाहिए। मैं यहां इंग्लैंड में बहुत लंबे समय से हूं, लेकिन मुझे कहना होगा कि सहज योग उतना तेजी से नहीं बढ़ रहा है जितना हो सकता था? 

मैं नहीं जानती कि इसका कारण क्या है। और आज बहुत अच्छा दिन है जब आप सभी लोग यहां हैं, इतने प्रतिष्ठित लोग हैं। इतने सक्षम लोग हैं कि अगर आप इसे ले, तो आप पूरी दुनिया को बचा सकते हैं। न केवल आप अपने आप को बचा सकते हैं, बल्कि आप पूरी दुनिया को बचा सकते है। यह समझना बहुत जरूरी है कि आप क्या हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, आप नहीं जानते कि आप क्या हैं । कल कुछ चिकित्सक आपको बताते हैं कि आपको कैंसर हो गया है। सहज योग में, तुरंत आपको पता चल जाएगा कि आपको किसी प्रकार की समस्या  विकसित हुई है।  इसके अलावा, आपको पता चल जाएगा कि इसका इलाज कैसे करना है। यह सिर्फ बीमारी के लिए है लेकिन अन्य चीजें भी हैं जो हमें नहीं करनी चाहिए थी लेकिन हम ऐसा करते हैं क्योंकि यह एक ऐसा मन है जो बहुत बाध्यकारी है और आपको ऐसे काम करवाता है जो आपको नहीं करना चाहिए लेकिन केवल सहज योग के माध्यम से, आपको पता चल जाएगा कि यह विनाशकारी है । आपको पता होना चाहिए कि रचनात्मक क्या है और क्या विनाशकारी है|

वह सब ज्ञान आप प्राप्त कर सकते हैं। कुछ ऐसे  लोग हैं, जो कहानियां सुनाते हैं, मैंने कुछ गुरुओं से भी सुनी है, उन्होंने कहा है कि आपको ज्ञानमार्ग नहीं मिल सकता है|  यह एक ज्ञानमार्ग हैं|  ज्ञान का अर्थ है बोध। वे कहते हैं कि, तुम सब प्रवृति मार्गी हो, यह वास्तव में एक गली है। मतलब तुम हर चीज़ के पीछे भागते हो और। आपने प्रवृत्ति का प्रयत्न किया इसलिए इसे गुरुओं को दें। आप गुरु के पास आते हैं। कुछ नहीं होता। यह नहीं होने वाला है। यदि आप वास्तव में अपने आप में और दूसरों में रुचि रखते है तो आप सिर्फ आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें।  आत्मबोध के बिना आप खुद को और दूसरों को समझ नहीं सकते। और आप अपने आप को सुधारना और अपनी समस्याओं को हल करना जानते हैं। बहुत सारे समाधान हैं और वे सब आपके अंदर ही हैं, जिन्हें आपको लेना चाहिए। मैं नहीं जानती कि, इसके साथ चलना  कितना कठिन हैं लेकिन, मैं कहूँगी कि, यहां एक बहुत ही विश्वव्यापी समूह है। कुछ डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक वगैरह हैं।तो मैं उनसे इस बारे में अलग से बात कर सकती  हूं या आप समझ सकते हैं कि हमारे भीतर हमारा मन है और हमारे पास हमारा दाहिना भाग, है जैसा कि आप सभी इसे कहते हैं। इन्हें समझना होगा। बाईं ओर से मन है। अब मैं नहीं जानती कि, मनोवैज्ञानिकों ने इसे इस प्रकार से रखा है, विशेष रूप से मैंने देखा है। यहां तक कि आप, आप ने एक गलती की है जब आप ने कहा कि ये सभी क्षैतिज चेतना, अलग चेतना हैं, और वे क्षैतिज हैं। वे क्षैतिज नहीं हैं। तो फिर एक बड़ी गलती की है यदि आप ऐसा कहते हैं,  आपको अवचेतन या इस और उस पर जाना होगा । वे क्षैतिज नहीं हैं । यहां आप बहुत स्पष्ट रूप से देखते हैं, बायाँ बाजू इस तरफ है। यह मन है,  दाहिना बाजू  है,  जिसके द्वारा आप सोचते हैं और काम करते हैं। कल्पना कीजिए, वे दो अलग चीजे  हैं और,  बीच में कुंडलिनी का रास्ता है ,ऐसा आप कह सकते हैं । देखिए, हमारा रचयिता बहुत बुद्धिमान व्यक्ति है। उसने इस तरह की गड़बड़ नहीं की होगी और इसलिए उसने एक तरफ एक भाग बायां रखा है।  और दूसरी ओर दायां भाग भी। ज्यादातर हम बहुत मेहनती हैं। आप वास्तव में कड़ी मेहनत करते हैं, हर समय भविष्य के बारे में सोचते हैं। फिर आपका दाहिना पक्ष ढँक जाता है। अब यदि आप एक मानसिक प्रकार के, मनोवैज्ञानिक व्यक्ति हैं, तो आप चीजों के बारे में चिंता करते हैं और बहुत दुख महसूस करते हैं। मेरा मतलब है जो सभी प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं, वे इस बाईं ओर के लिए समस्या का कारण हैं। इसलिए हमारे पास यह बायां  ओर और दायां भाग  है । धर्म हमें संतुलन देने आया था। संतुलन के साथ क्या होगा कि यह हमारे विकास में बाधा नहीं डाल रहा होगा और यही कारण है कि ये दोनों बहुत महत्वपूर्ण हैं। एक भावनात्मक पक्ष है और दूसरा है, आप कह सकते हैं,  विचारात्मक  पक्ष है। अब जब ये दोनों कार्यरत होते हैं तो,  समस्याएं पैदा कर सकते हैं। वे असंतुलन पैदा कर सकते है तो मनोवैज्ञानिक बाईं ओर से निपटना शुरू करते हैं और डॉक्टर  दाएं पक्ष के साथ काम करते हैं।  अब मुझे आपको बताना है कि आपको मध्य में होना चाहिए, केंद्र में| अब बाईं और दाईं ओर दोनों इस तरह एक साथ मिलते हैं, चक्र का निर्माण करते हैं| ये चक्र हैं। ये चक्र हैं और जब आप दाईं ओर बहुत ज्यादा जाते हैं या बाईं ओर बहुत ज्यादा जाते हैं, जो इस तरह से चलने लगते हैं और यह टूट जाता है। और फिर आप बाईं ओर या दाईं ओर की समस्या में घिर  जाते हैं। इसलिए सहज योग में केवल दो प्रकार के लोग होते हैं, बाएं ओर तथा दाईं ओर वाले, और वे जो आत्मसाक्षात्कारी हैं। इसी तरह सभी को यह समस्या है। इसलिए मनोवैज्ञानिक चीजों के लिए समाधान है, आपकी शारीरिक समस्याओं का समाधान भी सहज योग में है। यह वही है जो आपको स्वयं को बहुत अच्छी तरह से जानना है, जिससे आप खुद को ठीक करने के साथ-साथ दूसरों का उपचार कर सकते हैं।  मैं आपसे कुछ प्रश्न कि उम्मीद करुंगी क्योंकि,  मुझे नहीं पता अब क्या कहना है।

दर्शकों में एक औरत: हां, मुझे लगता है कि आप बस यह कल्पना करने के लिए थोड़ा आग्रह कर रही हैं कि,आप को स्वास्थ्य लाभ की आवश्यकता होगी| 

मंच के किनारे आदमी:  श्री माताजी, क्या  सिर्फ यह अनुमान लगाना सही है कि लोगों को स्वस्थ  करने की जरूरत है? क्या हमारा केवल यह अनुमान लगा लेना सही है, बस यह मान लेना कि मनुष्यों को ठीक करने की आवश्यकता है?

श्री माताजी: :  आपका माइक्रोफोन मुंह के बहुत करीब है।

(दर्शकों को हंसी)(वह माइक्रोफोन नीचे रख देता )

मंच के पक्ष से व्यक्ति : श्री माताजी, क्या हम सभी लोगों को सहायता की आवश्यकता है, क्या यह मानना उचित हैं कि उन्हें हमारी सहायता की आवश्यकता है, कि उन्हें स्वस्थ करने की आवश्यकता है । क्या हमें यह मान लेने का अधिकार मिला है?

श्री माताजी मेरा मतलब है कि, मुझे नहीं लगता कि इसमें समस्या क्या है।

(दर्शकों को हंसी)

श्री माताजी:  मेरा मतलब है, यदि आप ठीक हैं, तो आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे, आप निश्चित रूप से दूसरों की भी मदद करना चाहेंगे । यह एक स्वभावगत परिवर्तन है । आप बदल जाते हैं और इस स्वभाव के साथ, आप दूसरों की मदद करना चाहते हैं। और आप पहले से ही किसी भी बदले की उम्मीद किए बिना उनकी मदद करते हैं।

दर्शकों में एक औरत: शायद लोग  वास्तव में बदलना नहीं चाहते। शायद वे जैसे हैं ,वैसे ही प्रसन्न हैं

श्री माताजी: लेकिन वे अज्ञानी हैं।

(दर्शक हंसते हुए)

श्री माताजी: जब उन पर कुछ विपत्ति आती है, तो उन्हें एहसास होता है ।

श्रोताओं में एक महिला: श्री माताजी, यह एक व्यापक सामान्यीकरण है ।

श्री माताजी: यह सिर्फ दिखाता है कि वे ख़ोज नहीं रहे हैं ।

दर्शकों में एक औरत: लेकिन वे कर रहे हैं । वे अलग-अलग चीजों में ख़ोज रहे हैं। शायद चीजों के विभिन्न प्रकार.

श्रोताओं में मनुष्य: श्री माताजी, मुझे लगता है कि हमें आपसे प्रश्न पूछने और आपको उत्तर देना चाहिये। हमें वाद-विवाद नहीं करना चाहिए । लोगों के पास अन्य प्रश्न हैं। शायद बाद में आप उनका उपयोग कर सकते हैं यदि आप हमारे साथ बहस करना चाहते हैं।

दर्शकों में एक महिला: नहीं, कोई बहस नहीं।

दर्शकों में आदमी: यह समय की बर्बादी हो सकती है। आइए, श्री माताजी से प्रश्न करते हैं और फिर हम उत्तर सुनेंगे और देखेंगे कि उन्हें हमें क्या विवेक  देना चाहती है।

श्रोताओं में एक महिला: मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं कि यह कैसे है कि, कुछ लोग सामाजिक प्राणी प्रतीत होते हैं? जैसा आपने बताया आपके पति और माता-पिता ? अन्य लोग हमेशा प्रतीत होते हैं, समाज से बाहर महसूस करते हैं जैसे वे कभी उसका हिस्सा नहीं हैं। वे बहाव के साथ चल सकते हैं लेकिन वे वास्तव में कभी नहीं होते हैं। क्या आप कर सकते हैं …? आप उन्हें नहीं होने के रूप में देख सकते हैं, अन्य लोगों से अलग होना चाहिए? या, आप उन लोगों को कैसे देखते हैं?

मंच  वाला आदमी: महिला का कहना है कि, दो प्रकार के लोग हैं। उन्होंने कहा कि दो प्रकार के लोग हैं । एक प्रकार के मिलनसार है और दूसरा गैर मिलनसार  है। और क्या यह सब ठीक है? कुछ लोग दायीं ओर ,और कुछ लोग बाईं ओर।

माताजी: मैं  नहीं सोचती  कि इनमे कोई वर्ग  हैं । ऐसा कोई वर्गीकरण नहीं है। सब ठीक है। हमें यह नहीं कहना चाहिए कि ऐसे लोग अशिष्ट होते हैं और ऐसे लोग नहीं होते । हो सकता है कुछ हैं, जो यह  करना पसंद नहीं करें लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उस दिन, तुम्हें पता है स्टार टेलीविजन से एक व्यक्ति मुझसे अजीब सवाल पूछ रहा था। मैंने कहा कि आप कहां जा रहे हैं? आप मुझसे ये सभी बेवकूफी के सवाल पूछ रहे हैं। और तुरंत उसने अपने हाथों में ठंडी हवा को महसूस किया। वह कहता हैं, ये क्या हुआ है? जो हुआ,यही इसका जवाब है। इसके बाद वह चुप हो गया। यह अनुभव है। आपको दैवीय शक्ति का अनुभव होना चाहिए। और फिर आप बहुत रचनात्मक हो जाते हैं। आप नए सहज योगी बनाने लगते हैं, ऐसा करते हैं। कोई विशिष्ट व्यक्ति जैसा कुछ भी नहीं होता है, मैं आपको बताना चाहती हूं। मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो मेरे साथ बेहद आक्रामक हैं। बहुत आक्रामक। आश्चर्यजनक रूप से उन्हें अपनी बोध प्राप्ति मिली। तो मैं यह नहीं कहूँगी कि जो  लोग वास्तव में पाना चाहते हैं वे कोई विचित्र\विशिष्ट हैं ।

मंच का व्यक्ति : हां, कृपया ।

दर्शकों में एक औरत: आजकल प्रचलित सभी पूरक चिकित्सा के बारे में आप क्या सोचती हैं?

मंच के किनारे मनुष्य: श्री माताजी, आप वैकल्पिक उपचारों के बारे में क्या सोचते हैं?

श्री माताजी: देखिए मैं यहां किसी की आलोचना करने के लिए नहीं हूं।  मैं यह कह रही हूं कि, कोई भी किसी भी चिकित्सा पद्धति को उचित निदान पर आधारित होना चाहिए और जहाँ तक और जब तक आप एक आत्म साक्षात्कारी व्यक्ति नहीं हैं ,  आप नहीं जान सकते कि आप के साथ या दूसरों के साथ क्या समस्या है तो, पहले आप को एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्तित्व होना पड़ेगा जिससे आपको पता चल जाएगा कि आप के साथ क्या समस्या है और दूसरों के साथ समस्या है। तभी आप जान सकेंगे कि किस प्रकार से यह कार्यान्वित होगा। इसलिए उनकी कोई भी आलोचना करने की बात नहीं है। तुम देखो वे सब कर रहे हैं, मैं नहीं जानती,  वे क्यों ऐसा करते हैं, लेकिन वे यह कर रहे हैं। यह है-यह एक बात है, मैं आपको बताती  हूं। यह- ये चक्र कठिन होते हैं। अगर कोई चाहे तो वह एक चक्र की ऊर्जा को दूसरे चक्र में स्थानांतरित कर सकता है लेकिन इससे व्यक्ति का इलाज नहीं हो पाता। इसलिए इलाज सभी चक्रों के लिए होना चाहिए। अन्यथा, यह बेकार है ।

दर्शकों में एक औरत: क्या आप कर सकते हैं, क्या मैं अपनी कुंडलिनी का उत्थान पा सकती हूँ ?

मंच के पक्ष में आदमी: महिला जानना चाहती है कि क्या आप आज रात हमारी कुण्डलिनियों  को उठाएंगे ।

श्री माताजी: बेशक, मैं करुँगी  ।

दर्शकों में आदमी: मुझे लगता है कि मैंने वीडियो में सुना है कि आप वास्तव में मेडिकल स्कूल गयी थी ? या चिकित्सा प्रशिक्षण प्राप्त करती रही है। क्या मैंने सही सुना? क्या आप ने वास्तव में एक डॉक्टर के रूप में अर्हता प्राप्त की ?

मंच के किनारे पर आदमी: वह सिर्फ आपके  चिकित्सा प्रशिक्षण  के बारे में पूछ रहा है, श्री माताजी

श्री माताजी: ज्यादा नहीं।

(दर्शक हंसते हुए)

श्री माताजी: वास्तव में मैंने डॉक्टरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले नामों का पता लगाने के लिए चिकित्सा पद्धति का अध्ययन किया क्योंकि मुझे डॉक्टरों से बात करनी होगी इसलिए मुझे शब्दावली पता होनी चाहिए। लेकिन यह अलग बात है। मेडिकल साइंस ठीक है लेकिन यह सीमित है।

दर्शकों में आदमी:  मैं उस बात के साथ सहमत हूँ  ।

(दर्शक हंसते हैं और ताली)

दर्शकों में आदमी: … बहुत सारी चीजों से (?)

मंच के किनारे पर आदमी: क्या आप एक डॉक्टर हैं?

दर्शकों में आदमी: मैं हूं ।

मंच  में आदमी: सज्जन एक डॉक्टर  है माँ और वह आप के साथ सहमत हैं ।

श्री माताजी: हमारे पास सहज योग में कुछ डॉक्टर हैं और, एक बार वे सहज योग में ले जाये गए  चूँकि उन्होंने सहज योग के चमत्कार देखे हैं और उन्हें इस पर विश्वास करना पड़ता है। इसके बाद वे जानना चाहते हैं कि यह कैसे किया जाता है। तो यह अभी भी बहुत सीमित है क्योंकि यह सब बाहर है, अंदर कुछ भी नहीं ।

दर्शकों में आदमी:  जी महानुभाव   

मंच के किनारे मनुष्य: क्या आत्म-प्राप्ति केवल स्वयं के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है श्री माताजी या अन्य सदस्य जो सहज योग में आत्म-साक्षात्कारी  हैं या लोग इसे अन्य मार्गों से प्राप्त कर सकते हैं?

श्रोताओं में मनुष्य:श्री माताजी , आत्मबोध  कैसे प्राप्त करें? क्या यह केवल आपके माध्यम से है? या फिर यह अन्य सहज योगियों या अन्य लोगों के माध्यम से भी हो सकता है?

श्री माताजी: बेशक। अन्य सहज योगी भी कर सकते हैं। जैसे एक मोमबत्ती एक अन्य मोमबत्ती को  प्रज्वलित कर सकती है और अगर एक और मोमबत्ती प्रबुद्ध हो जाती है, तो आप दूसरों को भी प्रबुद्ध कर सकते हैं ।

श्रोताओं में मनुष्य: प्रश्न वास्तव में यह है कि क्या यह बाहर से प्राप्त किया जा सकता है, सहज योग के साथ या तो श्री माताजी या अन्य सहज योगियों के माध्यम से नहीं बल्कि बाहर से, पूरी तरह से ।

मंच के किनारे पर आदमी: क्या अन्य साधनों से आत्म-साक्षात्कार संभव है?

श्री माताजी: मैं नहीं जानती ।

(दर्शक हंसते हुए)

श्री माताजी: मैंने देखा है कि,  केवल कुंडलिनी है जो यह काम करती  है ।

मंच के पक्ष में आदमी: यह महिला  ।

दर्शकों में एक औरत: क्या आप कहेंगे कि आत्म-प्राप्ति आपको कुछ चीजों को समझने कारण होती है 

मंच के पक्ष में आदमी: महिला पूछ रही है कि इससे पहले कि हम आत्म बोध की इच्छा करें, क्या यह आवश्यक है कि, हमें अलग-अलग रास्तों पर जाना चाहिए और विभिन्न अनुभव प्राप्त करे  ।

श्री माताजी: आप चाहें तो कर सकते हैं लेकिन यदि आप मुझसे पूछें तो,  कुंडलिनी जागरण ही एकमात्र तरीका है। और अगर कोई कहता है कि वह कुंडलिनी जागरण करना जानता है, तो आप खुद  देख सकते हैं।  तुम देखो मैं क्या कह रही हूं, मैं कुछ भी नहीं कहूँगी, लेकिन मैं ,जहां तक मेरा सम्बन्ध है ,यह सबसे सुरक्षित तरीका है, असली तरीका है जो मैं कोशिश कर रही हूं।

दर्शकों में एक औरत: और कितना समय लगता है?  कुंडलिनी जागरण एवं आत्मसाक्षात्कार में ?

मंच के पक्ष में आदमी: वह जानना चाहती हैं कि कितना समय लगता है ।

श्री माताजी: एक क्षण में हो सकता है । हो सकता है। समय नहीं लगता है। बस कोशिश करो। यह कार्यान्वित होता है । (?)

दर्शकों में एक औरत: आप कैसे जान पाते है कि आप आत्मसाक्षात्कारी हुए हैं? मेरा मतलब है।।। मंच के किनारे पर आदमी:  आपको कैसे पता चलता है कि आप को आत्मसाक्षात्कार मिल गया है 

श्री माताजी : अनुभव यह है कि आप अपनी उंगलियों से या अपनी हथेली पर या अपनी हथेली से बाहर, अपने सिर पर एक ठंडी या कभी-कभार गर्म हवा महसूस करने लगते हैं, आप इसे महसूस करना शुरू कर देते हैं, बहुत स्पष्ट है । यह अनुभव है ।

दर्शकों में एक औरत: ठीक है तो, आप हो, आप एकदम सही हो? आप एकदम सही हैं? तो दिन के अंत में, एक बार जब आपको लगता है आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति हो गयी है , तो आपको कैसे पता चलेगा कि आपको अब और आगे जाने की आवश्यकता है?

मंच के किनारे पर आदमी: क्या इसका मतलब है कि तुम मंजिल पर पहुँच गए हो ? एक बार ये अनुभूति महसूस होने के बाद आपकी प्रगति पूर्ण हो जाती हैं ? क्या यह आप कि मंजिल का अंतिम पड़ाव है?

श्री माताजी: हर किसी के लिए नहीं। मैंने देखा है, मैं सोचा करती थी , ये अंतिम होना चाहिए, लेकिन मुझे लगता है कि लोग काफी जटिल हैं । इसलिए कुछ समय चाहिए। कुछ और मदद। लेकिन यह कार्यान्वित होता है,  है अंततः यह कार्यान्वित होता है। अगर आपको कुछ परेशानी है , शारीरिक परेशानी, कहें, कुछ छोटी परेशानी महसूस करें, कुछ ऐसा ही आप देखते हैं कई बार आपके चक्र अभी पूरी तरह से पोषित नहीं हैं। कुछ भी हो सकता है तो यह कार्यान्वित किया जा सकता है । यह होना चाहिए। यह एक बार ही होना चाहिए,  मैंने उस तरह हमेशा महसूस किया। लेकिन यह ऐसा नहीं है।

मंच के पक्ष में आदमी: कोई अन्य प्रश्न?

दर्शकों में एक औरत: आप ने परमात्मा को जानने के लिए, स्वयं का ज्ञान करने के लिए कहा, हमें  अपने आप को जानना है । खुद को जानने का तरीका क्या है? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?

मंच के किनारे मनुष्य: श्री माताजी, आपने कहा, परमात्मा को जानने के लिए, हमें स्वयं को जानने की आवश्यकता है। हम यह कैसे कर सकते हैं?

श्री माताजी: कैसे कर सकते हैं?

मंच के किनारे पर आदमी: हम अपने आप कैसे कर सकते हैं?

श्री माताजी: मैं यही करने जा रही हूं।  कुंडलिनी जागरण के माध्यम से, इस शक्ति के माध्यम से। केवल इस शक्ति के माध्यम से ही आप स्वयं बन सकते हैं क्योंकि आप जुड़े हुए हैं। जैसे कि यह (माइक्रोफोन) मेन से जुड़ा हुआ नहीं है, तो यह काम नहीं करता है लेकिन अगर यह मेन से जुड़ा हुआ है, तो यह काम करता है। बस इसी तरह, बहुत सरल।

दर्शकों में एक औरत: जब आपने दोनों के बारे में बात की थी, दायीं  और बाईं ओर इस तरह एक साथ आ रहा है, यह मुझे याद दिलाता है जो भूमि ने कहा था , दोनों केंद्र में आ जाती हैं

मंच  पर  आदमी: हम केंद्र में आते हैं, उसने कहा । जब आपने इसे खोलते हुए दिखाया तो इसके विपरीत भाग मध्य में आ रहे हैं।

श्री माताजी: हां, ऐसा ही है ।

दर्शकों में एक औरत: हम अपने बारे  में कह रहे है 

श्री माताजी :आप मध्य में आ जाते हैं और कुंडलिनी भी बहुत अद्भुत है यदि वह वहां थोड़ी परेशानी देखती है, तो वह इसे वापस लाने की कोशिश करती है और आप म्य्लांटिस को जानते हैं  वह बहुत अच्छी है । वह तुम्हारी माँ है। वह केवल तुम्हारी माँ है और तुम उसके बच्चे हो और वह तुम्हें  दूसरा जन्म देना चाहती है। वह बहुत सावधान है । वह इसे करती  है, वह युगों से प्रतीक्षा कर रही है।

दर्शकों में आदमी: हमने आपके  प्यार की शक्ति का अनुभव किया है । मां के प्यार का। हमारे लिए, यह पर्याप्त है। इस बारे में आपका क्या कहना है?

मंच के पक्ष में आदमी:ये  सज्जन कहते हैं, हमने आप के माध्यम से मां के प्यार की शक्ति का अनुभव किया है। हमने श्री माताजी आपके प्रेम का अनुभव किया है। अब और क्या आवश्यकता  है? श्री माताजी: हां, मेरा मतलब यही है कि,  आपको अनुभव करना है । मैं कुछ भी कह सकती हूं, आपको विश्वास नहीं करना चाहिए। आपको मुझ पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आपको खुद अनुभव करना चाहिए अपनी स्वयं की शक्तियों को, और देखना चाहिए यह कैसे कार्यान्वित होती है ,मैं कह सकती हूँ की आप सब के पास ये शक्ति है ।सब के पास है ।

दर्शकों में एक औरत: क्या आप कह रहे है सहज योग से ही इसे पहचान सकते है?

मंच के पक्ष में आदमी:क्या  एकमात्र  सहज योग ही रास्ता है इस शक्ति को ,जो हम सब के पास है ,खोलने का ?

श्री माताजी: हां, यही है। यही एकमात्र तरीका है । सहज का अर्थ है अनायास। इसका इससे ज्यादा कोई मतलब नहीं है। यह एक अनायास होने वाली घटना है। योग का अर्थ है परमात्मा के साथ संघ। तो यह बहुत सहज है । यही एकमात्र तरीका है । इस कार्यान्वित  नहीं किया जा सकता। बहुत सहज है 

दर्शकों में एक औरत: क्या आप कह रहे है सहजता श्रद्धा की ओर ले जाती है ?क्या यह हमारे अंदर है,नज़दीक है 

मंच के किनारे पर आदमी: क्या आप को श्रद्धा  की जरूरत है? क्या आपको विश्वास करने की आवश्यकता है?

श्री माताजी: खुद पर विश्वास रखें। आपको खुद पर विश्वास होना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है ।

दर्शकों में एक औरत: भाग्य ।

मंच के पक्ष में आदमी: भाग्य? आह। क्या आप भाग्य में विश्वास करते हैं?

श्री माताजी: भाग्य?

मंच के किनारे पर आदमी: क्या आप भाग्य में विश्वास करते हैं? प्रारब्ध ?

श्री माताजी : आप देखिए कि मैं क्या कह रही हूं, सबसे पहले आपको आत्मसाक्षात्कार लेना चाहिए। ये चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं। भाग्य जो भी हो, भाग्य है। इसके अलावा, मैंने देखा है सहज योग के साथ किस्मत भी बदल जाती है ।

दर्शकों में एक औरत: क्या आप अनिवार्य रूप से यह कह रही है कि जरुरी नहीं है कि,योग का यह प्रकार अधिक जागरूकता पाने के लिए एक तकनीक है। यह जागरूकता क्या उससे विपरीत है जो हम करते हैं? एक निर्णय है जो आप स्वयं को जानने, तथा यह जानने के लिए की आप अस्तित्व के  अन्य सभी प्राणी और विद्यमान हर चीज़ से एकाकर हैं ,लेते हैं।

 मंच के किनारे आदमी: सज्जन कह रहे हैं कि वह सोचते है कि,  वह देखते है कि, सहज योग कोई तकनीक नहीं है जो आप करते हैं बल्कि यह चेतना का परिवर्तन है, श्री माताजी ।

श्री माताजी: बेशक। आप परिवर्तित हो गए हैं। आप बिल्कुल परिवर्तित हैं और इसके साथ ही बहुत सुरक्षित हो जाते हैं। इसके अलावा, आप सब कुछ एक अलग कोण से देखने लगते हैं क्योंकि आप साक्षी बन जाते हैं। आप प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। यह आपको पूरी तरह से बदल देता है। तो यह तकनीक केवल आत्मसाक्षात्कार होने के बाद शुरू होती है। आत्मसाक्षात्कार होने के बाद जान लेना चाहिए कि खुद को कैसे शुद्ध करना है, दूसरों की कुंडलिनी को कैसे जागृत करना है। यह भी सहज है क्योंकि आप सक्षम हैं।आप ही को इसे पाने का अधिकार है। मैं सोचती हूँ कि यह आपका जन्म सिद्ध अधिकार है| ठीक  है?

दर्शकों में आदमी: हां, धन्यवाद।

मंच  में आदमी:  और  कोई  सवाल?

दर्शकों में एक औरत: आप ने  बात की है, आप अपने हाथों से महसूस करने की बात कर  रही है और यहां ऊपर महसूस करने के बारे में बात की है । क्या मैं पूछ सकती हूं कि,  मुझे पहले से ही ऐसा क्यों होता  है जब कि  मैंने कभी सहज योग नहीं किया है?

मंच के पक्ष में आदमी: महिला का कहना है कि उसने सहज योग नहीं किया है, लेकिन वह अपने हाथों में और सिर में प्रवाह महसूस करती है ।

श्री माताजी: यह बहुत अच्छा है। सहज योग करने की कोई जरूरत नहीं है, यह आपके साथ हो सकता है। लेकिन अगर आपके साथ ऐसा नहीं हुआ हो तो बेहतर होगा सहज योग करें । बिलकुल ठीक? लेकिन इसके बाद भी, मैं जानती हूँ ऐसे लोग हैं, जो पैदाइशी आत्मसाक्षात्कारी हैं परन्तु उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। वे सिर्फ इतना जानते हैं कि वे आत्मसाक्षात्कारी हैं, लेकिन आप को  ज्ञान, अपने बारे में और दूसरों के बारे में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है|

दर्शकों में आदमी: मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ कुंडलिनी जागृति के बारे में क्या?

मंच के किनारे पर आदमी: क्या यह फायदेमंद है? क्या आपका यह  मतलब है?

दर्शकों में आदमी: हां, मेरा मतलब है । क्या यह संभव है? क्या यह खतरनाक है?

मंच के किनारे मनुष्य: श्री माता जी क्या आप उन लोगों की कुंडलिनी जगा सकती  हैं जो मानसिक रूप से बीमार हैं श्री माताजी?

श्री माताजी: कौन ?

मंच के पक्ष में आदमी: मानसिक रूप से बीमार ।

श्री माताजी: हां, हां। आप कर सकते हैं, लेकिन बेहतर है, आप कोशिश नहीं करें। वे कठिन  लोग हैं । आप बीमारों की कुंडलिनी, मानसिक रूप से बीमार लोगों की कुंडलिनी जगा सकते हैं। आप ऐसा कर सकते हैं लेकिन मैं सलाह दूंगी कि,  आपको ऐसा तब तक नहीं करना चाहिए जब तक आप खुद पूरी तरह से ठीक न हों। तुम्हे एक विशेषज्ञ होना चाहिए, तब तो यह सब ठीक है ।

दर्शकों में आदमी: क्या आप पारंपरिक तरीकों में विश्वास करते हैं?

मंच के पक्ष में आदमी: में विश्वास? तुम्हारा मतलब क्या है?

दर्शकों में आदमी: मेरा मतलब है.. । वे वैकल्पिक संरचनाएं हैं?

मंच के किनारे मनुष्य: क्या श्री माताजी स्पष्टीकरण में विश्वास करते हैं?

दर्शकों में आदमी: नहीं, लेबल । उदाहरण के लिए, सिजोफ्रेनिया।

श्री माताजी: वह क्या पूछ रहे हैं?

मंच के पक्ष में आदमी: क्या आप आधुनिक युग में,  मानसिक बीमारियों  को जो नाम दिए गए हैं उनमें विश्वास करते हैं? क्या आप सिजोफ्रेनिया में विश्वास करते हैं?

श्री माताजी: बेशक सिजोफ्रेनिया है । इसे ठीक भी किया जा सकता है। हो सकता है। यह होता है, चाहे आप इस पर विश्वास करें या नहीं, यह  है । कुछ लोग सिजोफ्रेनिया से ठीक हो गए हैं, खासकर अमेरिका में। हम केवल दो बीमारियों को नहीं संभालते हैं। एक अल्जाइमर है क्योंकि ज्यादातर ये लोग बेहद आक्रामक होते  हैं। वे जीवन भर ऐसे ही रहे हैं । और यहां तक कि जब उन्हें यह हो जाती हैं, वे बहुत आक्रामक हो जाते हैं। वे आपको गाली देने लगते हैं, हर तरह की बात कहते हैं, उन्हें संभालना आसान नहीं है। बहुत मुश्किल है। जब वे सवाल पूछते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि वे पहले से ही धारणा बनाये होते हैं ।

मंच के पक्ष में आदमी: ओह, ऐसा   ?

श्री माताजी: हां?

दर्शकों में एक औरत: क्या आप एक गर्भवती महिला में कुंडलिनी जगा सकती हैं?

श्री माताजी: क्या?

मंच के किनारे पर आदमी: क्या आप एक गर्भवती महिला की कुंडलिनी जगा सकती हैं?

दर्शकों में एक औरत: क्या यह ठीक है?

मंच के किनारे पर आदमी: यह सब ठीक है?

श्री माताजी: हां, बिल्कुल ।

दर्शकों में आदमी: क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करती हैं?

श्री माताजी: क्या?

मंच पर व्यक्ति : माँ क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करती हैं?

श्री माताजी :वास्तव में पुनर्जन्म हैं। इसमें संदेह करने के लिए कुछ भी नहीं है। यह महत्वपूर्ण नहीं है| आत्म साक्षात्कार के बाद नया जन्म मिलता है। तो ये सब पुनर्जन्म वगैरह  सब खत्म हो गए हैं। आप केवल आत्म रूप बन जाते है उसके सिवा कुछ नहीं।  देखो इस बारे में बहुत कुछ लिखा गया है और लोगों को इसके बारे में सब पता है।  सबसे पहले, आप अपने आप को जानें। और  उसके बाद आपको सब कुछ पता चल जाएगा।

श्रोताओं में मनुष्य: श्री माताजी,  सिजोफ्रेनिया वाले लोगों का क्या।  वे कैसे ठीक हुए? इसमें कितना समय लगा और किस विधि से ऐसा हुआ? क्या यह आत्मबोध के बाद था? 

मंच के किनारे पर आदमी: श्री माताजी, मानसिक बीमारी के इलाज के लिए सहज योग का उपयोग करने के बारे में एक विशिष्ट प्रश्न।  मुझे लगता है कि यहां ऐसे लोग हैं, जो मानसिक रोगियों पर कार्य करते हैं और,  सवाल यह है कि शिज़ोफ्रेनिया के रोगियों को सहजयोग से ठीक होने में कितना समय लगेगा|  

श्री माताजी: आप कुछ नहीं कह सकते, आप जानते हैं। कई बार शायद ही कुछ समय लगता है। आप अभी कुछ नहीं कह सकते । सहज योग में कोई समय सीमा नहीं है । यह समय से परे है। यह तुरंत काम कर सकता है।  इसमें थोड़ा  समय भी लग सकता है। और मैंने देखा है कैंसर के लोगों को कुछ ही समय में ठीक किया जा रहा है, लेकिन साधारण समस्याएं लम्बी खिंच जाती हैं,  मैं  नहीं बता सकती| तो यह कुछ भी निश्चित नहीं है। ज्यादातर यह बहुत तेजी से काम करता है। अधिकतर।

 दर्शकों में आदमी: माफ करना, आपने पहले कहा कि अल्जाइमर रोगियों में परेशानी है । मेरा मतलब है कि उसका एक कारण है कि शायद हमारे चक्र ख़राब हो जाते हैं 

मंच के किनारे आदमी: वह सुझाव दे रहा है कि अल्जाइमर रोग के साथ लोगों के इलाज में कठिनाई इसलिए आती है क्योकि उनके चक्र पहले से ही नष्ट हो चुके हैं ।

श्री माताजी: ऐसा होता है। मैं सहमत हूं कि चक्र नष्ट हो जाते हैं, लेकिन पहले आपके चक्र मजबूत होने चाहिए। आपके चक्र पूरी तरह से पोषित होने चाहिए। आपको पूरी तरह से ठीक होना चाहिए। तो फिर आप पहचान जायेंगे कि, कौन से चक्र खराब हैं । इसके अलावा, आपको पता चल जाएगा कि इसे कैसे ठीक किया जाए। तब आप निश्चित रूप से उसकी मदद कर सकते हैं। यह ज्ञान है। आप मुझसे मेडिकल आदि की पढ़ाई के बारे में पूछ रहे हैं।  मेडिकल में सात साल लग जाते हैं। सहज योग के लिए, एक साल ही काफी होता है| 

दर्शकों में आदमी: आप नहीं- आप कुंडलिनी नहीं देखती। क्या आप ऐसा इसलिए कह रही हैं क्योंकि आप चाहती नहीं हैं?या कोई और कारण है या केवल आप इसे देखना नहीं चाहती हो ?

मंच के किनारे पर आदमी: यदि आप की कुंडलिनी जागृत नहीं होती  है,तो क्या ऐसा सिर्फ इसलिए कि आपकी इच्छा नहीं है, मां? या कोई और कारण है?

श्री माताजी: नहीं, यदि आप चाहें तो आपको हमेशा मिलेगा। कोई समस्या नहीं है। यदि आप नहीं चाहते हैं, तो मैं आपको मजबूर नहीं कर सकती। नहीं हो सकता। आपको इसकी इच्छा करनी होगी। लेकिन अभी मुझे ऐसे लोग नहीं मिले हैं, जो यह नहीं चाहते,  आम तौर पर। आप जानते हैं कि यह कितनी बड़ी बात है?

दर्शकों में आदमी: क्या आप मानते है कि बीमारियां जिन्हे हम अलग अलग नाम देते हैं,एक दूसरे से भिन्न हैं या फिर एक ही समस्या अलग अलग लोगों के माध्यम से अलग अलग प्रकट होती है  

मंच के किनारे पर आदमी: हम अलग रोगों को अलग ढंग से चिन्हित  करते है  ।

श्री माताजी: आह?

मंच के पक्ष में आदमी: हम रोगों को अलग ढंग से नामांकित करते हैं लेकिन खराब स्वास्थ्य, अंग शिथिलता का , जो सभी लोगों में एक जैसी ही होती है, विभिंन लोगों में? क्या शिथिलता रोग का कोई इकलौता कारण है?

श्री माताजी: कोर्स?

मंच के किनारे मनुष्य:  श्री माताजी-कारण? वह चीज जो बीमारी को जन्म देती है। जो बीमारी का कारण बनता है? क्या यह व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत है या कुछ ऐसा है जो विभिन्न लोगों में बीमारी पैदा कर रहा है?

श्री माताजी: हां

दर्शकों में आदमी: यह अपने आप अलग ढंग से प्रकट हो सकता है। जिसे हम नाम देते हैं ।

श्री माताजी: लेकिन हम कारणों की तरफ नहीं जाते हैं।  हम केवल चक्रों की तरफ रुख करते हैं क्योंकि कारण काफी शर्मनाक हो सकते हैं। चक्रों की बात करना बेहतर हैं।  बिलकुल ठीक? यह बेहतर है। और वे शर्मिंदा महसूस नहीं करते।

मंच के पक्ष में आदमी: तो यह उत्तर है।  चक्र हैं, जो अलग लक्षण पैदा कर सकते हैं।

श्री माताजी: एक तरह से , आप देखते हैं…

दर्शकों में आदमी: तो दूसरे शब्दों में, चलो कहते हैं , चक्रों में हस्तक्षेप। क्या वह सही है?

मंच के किनारे मनुष्य: उनकी समझ के अनुसार, श्री माताजी, जब चक्र के कार्यकरण में कुछ गड़बड़ होती है, तो इससे विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं ।

श्री माताजी: नहीं, ऐसा नहीं होगा। तुम देखो,मैं इसे एक सामान्यीकरण कहूँगी। ये सभी प्रकार  सामान्यीकृत हैं। उदाहरण के लिए, यदि पहला चक्र पकड़ रहा है,ठीक हैं ? आप इसे महसूस कर सकते हैं। कहां? या तो यहां या यहां। यदि यह पकड़ रहा  है, तो आप इसे यहां महसूस कर रहे हैं, इसका मतलब है कि दाईं ओर, यह बाईं ओर है। अब सभी एचआईवी लोगों का यह यहां महसूस होता है| ( बाएं हाथ की ओर इशारा ) । तो यह बहुत आसान है, लेकिन आपको एचआईवी देखने की जरूरत नहीं है। 

दर्शकों में आदमी: मैं-मैं सिर्फ विस्तार करना चाहता हूँ , बस उत्तर के लिए एक सवाल पूछ रहे हैं । यदि एक चक्र संतुलन से बाहर है, तो क्या वह अन्य चक्रों के असंतुलन का कारण नहीं बनेगा ?

मंच के किनारे पर आदमी: तो एक और सवाल श्री माताजी । यदि एक चक्र संतुलन से बाहर है, तो क्या इससे अन्य चक्र भी संतुलन से बाहर हो जाएंगे?

श्री माताजी: हो सकता है, नहीं भी हो सकता है। इस बात पर  पर निर्भर करता है कि बीमारी ने कितनी प्रगति की है। यह निर्भर करता है, लेकिन यह आपका सिरदर्द नहीं है।  हमें क्या देखना होगा कि,, किन चक्रों में परेशानी है।  फिर आप को उन चक्रों को सुधारने की कोशिश करना हैं।अगर आप इन चक्रों में सुधार करते है तो सब ठीक हो जाएगा।

दर्शकों में आदमी: धन्यवाद।

श्री माताजी: यह एक नया-नया उद्यम है।

दर्शकों में आदमी: क्या शिशुओं और छोटे बच्चों में यह  ऊर्जा स्वाभाविक रूप से बह रही है और कालांतर में वे इसे खो देते हैं या वास्तविक दूसरा जन्म के रूप में आवश्यक है?

मंच के पक्ष में आदमी: बच्चों और छोटे बच्चों में क्या ये ऊर्जा पहले से ही बह रही  है?

श्री माताजी: उनमें से कुछ में  है। उनमें से कुछ के पास है । वे महान लोग हैं, हम सभी को बचाने के लिए पैदा हुए हैं  ।

मंच के किनारे मनुष्य: श्री माताजी, क्या वे इसे खो सकते हैं? दूसरा सवाल है, अगर वे इसकी खुली हुई अवस्था के साथ ही पैदा होते हैं ।

श्री माताजी: बेशक वे हैं । उनका जन्म होता है।

मंच के किनारे मनुष्य: श्री माताजी क्या वे इसे खो सकते हैं?

श्री माताजी: आह?

मंच के किनारे पर आदमी: वे इसे खो सकते हैं?

श्री माताजी: बेशक वे इसे खो सकते हैं । कोई अन्य?

दर्शकों में एक औरत: आपने उल्लेख किया है कि वे इसे खो देते हैं, तो क्या वे इसे फिर से हासिल कर सकते हैं?

।मंच पर व्यक्ति : एक बार जब आपने खो दिया, तो क्या  आप इसे पुनः प्राप्त कर सकते हैं? 

श्री माताजी: बस यही बात है। आपने मुद्दे की बात देखी है। हमें समय आने पर सब कुछ मिलता है । वास्तव में हमारी अबोधिता कभी जाती नहीं है। लेकिन यह छुपी  है, जैसे चंद्रमा  चारों ओर बादलों के बीच छुप जाता है, लेकिन वह वहीँ पर है । सुन्दर 

दर्शकों में एक महिला : यह एक व्यक्तिगत सवाल अधिक है । मैं ऑटिस्टिक बच्चे की मां हूं और जहां तक मुझे पता है कि इस प्रकार के साथ बच्चों की संख्या पागलों की तरह बढ़ी है, विशेष रूप से अमेरिका में । क्या यह

श्री माताजी: (?)

दर्शकों में एक औरत: क्या इसका स्पष्टीकरण है? आपके दृष्टिकोण से? और आप इसमें कैसे सहायता कर सकती हैं ? 

मंच पर व्यक्ति : श्री माताजी, कई प्रश्न हैं। इस महिला का कहना है कि उसका  बच्चा ऑटिस्टिक है|

श्री माताजी: क्या?

मंच के किनारे पर आदमी: ऑटिस्टिक । बच्चा ऑटिस्टिक है। वह कहती हैं कि विशेष रूप से अमेरिका में अधिक से अधिक ऑटिस्टिक बच्चे हैं। वहां अमेरिका में ऑटिस्टिक बच्चों के बढ़ने का क्या : स्पष्टीकरण है?

श्री माताजी:  मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि, आपका ध्यान इन लोगों पर है लेकिन हमें पहले खुद पर ध्यान देना होगा । एक बार जब हम सब ठीक हो जाते हैं, तो हम सभी  की देखभाल कर सकते हैं। लेकिन यह एक अच्छा विचार है कि हमने अन्य लोगों पर ध्यान दिया है, तथा  हम उनके बारे में चिंतित हैं, लेकिन सबसे पहले, अगर आप पूरी तरह से सहज योगी नहीं हैं,  उनकी मदद करना कठिन है।

मंच  में आदमी: आपको पहले अपने आप को ठीक करना होगा । क्या हम अनुभव करेंगे?

श्री माताजी: एक और है।

मंच के किनारे पर आदमी: कोई है ।

दर्शकों में आदमी: कितना अच्छा हो यदि चक्रों के उपचार या एक समय में कई चक्रों को मजबूत बनाने के कुछ विशिष्ट उदाहरण हों, यह  कैसे कार्यान्वित  किया जाता हैं| 

मंच  में आदमी: उन्हें किसी चक्र विशेष के बारे में संपूर्ण जानकारी तथा  चक्रों और नाड़ियों  के इलाज के विशिष्ठ उदहारण चाहिए |

श्री माताजी: पहले आप ठीक  हो जाएँ । सबसे पहले, आपको पूरी तरह से ज्ञान से लैस होना चाहिए। फिर आप मुझसे कोई सवाल नहीं पूछेंगे, मुझे पता है क्योंकि आपको स्वयं ही सब पता चल जाएगा।

मंच पर  आदमी: पहले खुद चिकित्सक को ठीक होना है और फिर,  आप जान जाते है कि क्या करना है यही  वो कह रही हैं।  आपको खुद को ठीक करना होगा या खुद को ठीक होने देना होगा और फिर आप ऐसा कर सकते हैं।

श्री माताजी: अब। मैं बस उम्मीद कर रही हूं कि,  आप सभी को आत्म-साक्षात्कार मिलना चाहिए और फिर,  आपको स्वयं को निपुण  करना चाहिए और फिर बाद में,  केवल एक ही अपेक्षा है कि,  आप दूसरों को सहज योग देने की कोशिश करें। दूसरों की मदद करें। हमें अपनी ही नहीं, इस देश की  समस्या ही नहीं बल्कि दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान करना है।  हम बहुत कुछ कर सकते हैं।  इसलिए क्योंकि मुझे हमेशा लगा कि इंग्लैंड एक ऐसी जगह है जहाँ से हर कार्य परिचालित होता  है। सब कुछ। आप यहां जो भी करते हैं, वह प्रचलित होता है। इसलिए आपके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त करें, इसे सभी जगह फैलाने के लिए इस पर प्रभुत्व प्राप्त करें। आपको अस्थायी रूप से केवल अपने लिए नहीं होना चाहिए, यह अच्छा नहीं होगा। यह अन्य लोगों के लिए भी होना चाहिए। आपको पहले, बहुत कठिन बीमारी वाले लोगों पर  आजमाने की जरूरत नहीं है। आप सामान्य लोगों के साथ सबसे पहले प्रयास करें, फिर आप दूसरों के साथ भी कोशिश कर सकते हैं। बिलकुल ठीक? यह वादा होना चाहिए । अब, हमें क्या करना है..