Diwali Puja

Los Angeles (United States)

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                                                  दीवाली पूजा

 पिरू झील, लॉस एंजिल्स के पास, कैलिफोर्निया (यूएसए) – 29 अक्टूबर 2000।

पूरी दुनिया के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है कि हम इस दीवाली पूजा को अमेरिका में मना रहे हैं। यह बहुत ज़रूरी है। यहां, जहां लोग पैसा कमाने में सक्षम हुए हैं, कभी-कभी बहुत पैसा है, और ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं।

जब हम दीवाली की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि – दीवाली के दिन हम इतनी सारी रोशनी क्यों करते है? रोशनी और पानी में उत्पन्न  हुई लक्ष्मी, जो पानी में खड़ी होती है, का संयोजन क्या है? यह संयोजन क्यों है? वह पानी में खड़ी थी, जैसा कि हम जानते हैं, समृद्धि का प्रतीक; जो मानव जागरूकता में निर्मित है कि वह समृद्ध हो सकता है। पशु समृद्ध नहीं होते हैं। सबकी अपनी मर्यादा है, वृक्षों की मर्यादा है। मनुष्य ही समृद्ध हो सकता है। लेकिन अगर उन्हें अपने मर्यादाओं का बोध नहीं है, तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही पतनशील और विनाशकारी है।

तो प्रकाश प्रतीक है कि लक्ष्मी के आशीर्वाद वाले सभी लोगों को खुद को प्रबुद्ध करना चाहिए, प्रकाशित होना चाहिए, और उन्हें दूसरों को भी प्रबुद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तव में, तथाकथित लक्ष्मी प्राप्त होते ही वे बिल्कुल अंधे हो जाते हैं, और वे भूल जाते हैं कि लक्ष्मी के आशीर्वाद के पीछे क्या है।

सबसे पहले, जैसा कि हम देखते हैं, लक्ष्मी का यह प्रतीक कैसे प्रतिनिधित्व करता है, मैंने आपको पहले भी बताया है कि जिस व्यक्ति के पास लक्ष्मी है उसे बहुत उदार होना चाहिए।  एक हाथ से वह दूसरों को दे रही है। जो व्यक्ति लक्ष्मी के साथ कंजूस होता है वह लक्ष्मी के सिद्धांत के बिल्कुल विरोध में होता है। और ऐसा कंजूस व्यक्ति कभी भी आशीर्वाद का आनंद नहीं ले सकता, और धीरे-धीरे वह गरीब और गरीब होने लगता है। जब आप बाएं हाथ से देना शुरू करते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने अपनी लक्ष्मी के आने का द्वार खोल दिया है।

इसके बाद आप पर लक्ष्मी की कृपा आती है। और लक्ष्मी की इस कृपा का एक और पहलू भी है, कि आप अवश्य आश्रय प्रदान करें। जिनके पास धन है, उन्हें ऐसे ही आश्रय देना चाहिए। किसे आश्रय दे? मुसीबत में पड़े लोगों को, जो लोगों की अति क्रूरता के शिकार हैं उनको, अनाथ बच्चों को जिन्हें आपकी मदद की जरूरत है, उनकी रक्षा करें। इन सभी की देखभाल की जाना चाहिए और उन लोगों को सुरक्षा दी जानी चाहिए जो आप पर निर्भर हैं। तो यह दाहिने हाथ से करना है। यही लक्ष्मी का प्रतीक है।

और ऊपर दो हाथ हैं, जिन्हें तुमने देखा है, गुलाबी रंग के कमल के साथ। गुलाबी रंग का कमल बताता है कि आपके दिल में प्यार होना चाहिए। गुलाबी प्रेम और करुणा का प्रतीक है।

जैसा कि मैं आपको पहले भी बता चुकी हूं कि जिस व्यक्ति के पास लक्ष्मी हो, उसका घर ऐसा होना चाहिए जहां सभी आमंत्रित हो सके। जैसे कमल सभी कीड़ों को आमंत्रित करता है, यहाँ तक कि भौंरा भी जिनके पास बहुत सारे कांटे हैं, और भौंरे आते हैं और पूरी रात बहुत आराम से सो जाते हैं, और कमल अपनी पंखुड़ियों को बंद कर देता है ताकि भौंरे को कोई परेशानी न हो, आराम से रहें। इसलिए इन घरों को मेहमानों को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वे किसी भी तरह के हों, और उनके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए, जैसे कि देवता आपके घर में आए हों।

मैंने देखा है कि जो लोग गरीब हैं वे अमीर लोगों की तुलना में अधिक मेहमाननवाज होते हैं। उसी तरह देशों के बारे में। जो देश गरीब हैं वे अमीर देशों की तुलना में बहुत अधिक मेहमाननवाज हैं। यह बहुत आश्चर्य की बात है कि अमीर देशों के अपने अप्रवासी विभाग हैं, उन्हें अपने ही देशों में लोगों, मेहमानों से बचने की सभी समस्याएं हैं। इसलिए जहां तक ​​लक्ष्मी प्रतीकों का संबंध है, वे वास्तव में गलत रास्ते पर जा रहे हैं।

एक और बहुत महत्वपूर्ण प्रतीक यह है कि वह कमल पर खड़ी है। यह सब महिमामंडन है, सभी सुंदर कमल उसे वहन किये हुए हैं। लेकिन कमल यह प्रदर्शित करते हैं कि वह चारों ओर कोई दबाव, कोई असंतुलन, कोई शक्ति नहीं डालती है। लेकिन इन देशों में जहां लोगों के पास पैसा है, वे सब तरफ सत्ता का प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं। जिसके पास धन होता है वह अधिक शक्तिशाली व्यक्ति होता है। तब सत्ता सब कुछ बन जाती है। पैसा शक्ति है, प्रेम शक्ति है। इस शक्ति में कोई देवत्व नहीं है, बल्कि दमन और आक्रामकता और आत्म-महत्व की शक्ति है।

लक्ष्मी के ये सभी प्रतीक बहुत आश्वस्त करते हैं, कि, आज, जब हम कहते हैं कि किसी के पास पैसा है, या किसी देश या राष्ट्र के पास है, तो वे उस बात के ठीक विपरीत हैं जैसा की उन्हें होना चाहिए था। इसका कारण यह है कि वे प्रबुद्ध नहीं हैं। उनके दिल में प्रकाश होना चाहिए, जैसा कि हम देखते हैं कि दीवाली में: रोशनी होनी चाहिए। और ज्ञान के बिना ये धनी लोग, तथाकथित लक्ष्मीपति, निरर्थक हो जाते हैं। इसलिए प्रकाश होना चाहिए। क्योंकि लक्ष्मी से व्यक्ति पूर्ण रूप से अंधा हो सकता है। तथाकथित लक्ष्मी, आपको उचित समझ नहीं देती कि आपके पास धन है, कि आप धनवान हैं, इसका क्या अर्थ है। इसका क्या मतलब है? इसलिए किसी शख्स के पास प्रबुद्धता  होनी चाहिए। जब तक आपके भीतर दिव्यता का प्रकाश नहीं होगा, तब तक आप लक्ष्मी के महान प्रतीक को नहीं समझ पाएंगे।

लेकिन सहज योग में हम मानते हैं कि लक्ष्मी को महालक्ष्मी बनना चाहिए। मनुष्य को बड़ा मनुष्य बनना है: महा-मानव। इसका क्या मतलब है? कि उसे महालक्ष्मी बनना है। महालक्ष्मी एक ऐसी देवी हैं जो आपके पास जो कुछ भी है उसी से आपको पूरी तरह संतुष्ट करती हैं। पूर्ण संतुष्टि। इतना ही नहीं, बल्कि आप यह सोचने लगते हैं कि, “मेरे पास जो कुछ भी है वह पर्याप्त नहीं है। मुझे कुछ अन्य पाना है!” न पैसा, न अधिक कारें, न अधिक टेलीविजन और चीजें, लेकिन मेरे पास कुछ अन्य ही होना चाहिए जो मुझे वास्तविक संतुष्टि दे। आप जानते हैं कि अर्थशास्त्र का नियम यह है कि आप कभी संतुष्ट नहीं होते हैं; कुछ भी तृप्तिदायक नहीं है। तो तुम एक के बाद दूसरी चीज़ को खरीदते रहते हो, खरीदते रहते हो। लेकिन जब आप में महालक्ष्मी का सिद्धांत चमकता है, फिर आपको कुछ और नहीं चाहिए। आप इसे दूसरों को देना चाहते हैं और आप अपनी उदारता का आनंद लेना चाहते हैं। यह पहला संकेत है कि अब आप लक्ष्मी से महालक्ष्मी की ओर बढ़ रहे हैं।

लक्ष्मी तत्व तक तुम अंधे थे और जो कुछ भी था, तुम अधिक चीजें और अधिक चीजें, और अधिक चीजें मांग रहे थे। इसके समाप्त होने के बाद, आपके पास प्रकाश है; प्रबोधन। जब आपने चारों चीजें ठीक से कर ली हैं – वह है उदारता, सुरक्षा, और आतिथ्य, और करुणा – तब आप गतिविधि के एक अन्य ही मूड में आ जाते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि कुछ भी संतोषजनक नहीं है, कुछ भी संतोषजनक नहीं है। एक चीज़ से दूसरी चीज़ की ओर दौड़ना, फिर [से] उस दूसरी चीज़ की ओर, [से] उस तीसरी चीज़ की ओर। और जब ऐसे लोग सामूहिक हो जाते हैं, तो वे लोगों को आकर्षित करने के तौर- तरीके शुरू करते हैं कि वे पैसे कैसे निकाल सकते हैं। ऐसे बहुत से तरीके हैं। जैसे हमारे इटली में जब मैं वहां थी, मैं जूते खरीदना चाहती थी। हम दुकान पर गए और उनके पास उस तरह का केवल एक ही प्रकार था जिसे मैं नहीं पहनती, इसलिए उन्होंने कहा, “नहीं। अब, इस साल केवल इसी तरह का मिल्रेगा। ” “केवल इस तरह?” “हर दुकान में एक जैसा होगा।” मैंने कहा, “लोगों को कोई समझ नहीं है, उनके भीतर कोई प्रकाश नहीं है।” तो अगले साल, आपके पास एक और भिन्न ही शैली होगी। जो कुछ भी उत्पादित होता है वह हमेशा नया होता है, और ये जूते जो पिछले साल या उससे पहले बने थे, उन्हें किसी तरह के कबाड़ में डाल दिया जाता है। यह बहुत बड़ा धंधा है। तो यह बड़ा धंधा है जो इस तरह से शुरू होता है, और कई लोग दिवालिया हो जाते हैं, कई लोग पूरी तरह से अपनी गरिमा खो देते हैं, और अनैतिकता के जाल में फंस जाते हैं।

तो इस लक्ष्मी सिद्धांत को यदि आप भूल जाते हैं, तो आप सही तरीके से महालक्ष्मी सिद्धांत तक नहीं पहुँच सकते। और महालक्ष्मी के रूप में आप एक भिन्न तरह का व्यक्तित्व पा सकते हैं, क्योंकि अगर आपके दिल में प्रकाश है, तो आप यह देखना शुरू कर देते हैं कि यह पैसे का कारोबार कोई संतुष्टि का नहीं है। तुम एक से दूसरे में बदलते चले जाते हो। तो फिर आप सोचते हैं, “हमें क्या करना चाहिए?” अपने दिल में इस प्रकाश के साथ, आप जान पाते हैं कि आपको अब महालक्ष्मी के सिद्धांत का पालन करना होगा अन्यथा आप खो जाएंगे। तो जब आप महालक्ष्मी के बारे में सोचते हैं तो आप उस तरीके की खोज़ करना शुरू कर देते हैं जिससे आप वास्तव में जीवन की वास्तविक संतुष्टि प्राप्त कर सकें।

मेरा मतलब अमेरिका जैसे देश से है जहां लोगों के पास इतना पैसा और सब कुछ है, उनके पास भी अधिकतम संख्या में साधक हैं, अधिकतम संख्या। जब मैं पहली बार अमेरिका आयी तो मुझे आश्चर्य हुआ कि यद्यपि महालक्ष्मी सिद्धांत था, वे नहीं जानते थे कि क्या खोजना है और वे सभी प्रकार के झूठे गुरुओं का अनुसरण करते थे। वे पागल हो गए थे, मुझे लगता है, क्योंकि वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या किया जाए। उसके लिए वे सभी प्रकार के झूठे गुरुओं का अनुसरण करने लगे, जो स्वयं पैसे, धन के दास थे। दास इस अर्थ में ‘जो लक्ष्मी तत्व’ के विरुद्ध थे। और इस तरह वे सभी भटक गए, इस देश में कई भटक खो गए, और जिस तरह से वे गलत प्रकार के लोगों का अनुसरण कर रहे थे, मैं हैरान थी, मैंने सोचा कि इस देश के लिए वास्तव में कुछ करने की आवश्यकता है। और 9 साल तक मैं कभी अमेरिका नहीं आयी। इसके लिए मुझे खेद है, क्योंकि साधक विपरीत दिशा में जा रहे थे। उनकी समझ में नहीं था कि खोज क्या है, तुम क्या खोज रहे हो। कोई आकर कहता है कि, मैं सोलह वर्ष का हूं और तुम सबको साक्षात्कारी-आत्मा बना सकता हूं। और मुझे बताया गया है कि उसने कुछ सिंदूर, कुमकुम, एक बंदूक में डाल दिया और उसे उड़ा दिया, और लोगों को लगा कि वे सब पहले से ही स्वर्ग में पहुँच चुके हैं। ऐसा मूर्खतापूर्ण व्यवहार; यह उनके दिमाग में कैसे आया, मुझे नहीं पता। वे इतने मूर्ख कैसे हो गए, मुझे समझ नहीं आ रहा है। तो मैं वापस चली गयी और मैंने कहा, “मैं इन लोगों की ज्यादा मदद नहीं कर सकती।”

फिर एक और फैशन शुरू हुआ। जैसे अगर आप किसी पार्टी या किसी भी स्थान पर जाते तो वे कहते, “अब देखो, एक और गुरु आया है। वह बहुत सस्ता है।” और “बिक्री चालू है।” और मैं कहूंगी: इन महिलाओं और पुरुषों को देखो जो दुनिया के नेता माने जाते हैं, और वे कैसे ऐसी बात कर सकते हैं? अमीर लोगों के बीच इस तरह की बातें करना बहुत आम बात थी।

जैसा कि आप जानते हैं, इस देश को बहुत, बहुत महान लोगों का आशीर्वाद मिला है। अब्राहम लिंकन, वह किस तरह के आदमी थे, या यहाँ तक कि जॉर्ज वाशिंगटन भी कह सकते हैं। इन सभी लोगों ने महालक्ष्मी का गुण प्रदर्शित किया। लेकिन वहां के लोगों ने उनके बारे में ज्यादा नहीं सोचा, और उन्होंने पूरी दुनिया पर कब्जा करने की एक नई विधि पर काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि तब उनके दिमाग में सत्ता का विचार आया: कि पैसे से हम सब कुछ खरीद सकते हैं। अगर हमारे पास पैसा है तो हम सभी को अपनी धुन पर नचा सकते हैं।

पैसे और इंसानों के प्रति यह सब रवैया बिल्कुल शैतानी था – इस हद तक कि उनका ही देश बर्बाद होने लगा। परिवार व्यवस्था का क्या हुआ? क्या हुआ है? परिवार क्यों बर्बाद हो गया? लक्ष्मी सिद्धांत के बारे में उनके गलत विचारों के कारण। महिलाओं को तलाक से बहुत पैसा मिला। तो मैं एक महिला से मिली, उसने अपने पति को इस देश से आठ बार तलाक दिया था, और अब मुझे बताया गया है कि उसने नौवें को तलाक दे दिया है। और वह बहुत अमीर हो गई है। लेकिन उसे कोई शर्म नहीं है। और वह सभी से कह रही है कि “तलाक ले लो, यही सबसे अच्छा तरीका है, यही अमेरिका आने का फायदा है।” तो समस्या क्या है? कि मनुष्यों में ज्ञान नहीं है। और अगर उन्हें पैसा मिलता है, और अगर वे चीजों के लिए भटक रहे हैं, तो उन्हें नरक में जाना होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है – और वे सभी प्रकार के काम करते हैं जो इस दुनिया के इतिहास में कभी नहीं किए गए थे। मुझे आपको उन सभी बेतुकी निरर्थक बातों के बारे में बताने की ज़रूरत नहीं है जो वे करते हैं।

फिर शुरू हुई नशीली दवाओं, शराब पीने और हर तरह की चीजों की एक नकारात्मक शक्ति। मेरा मतलब है ऐसा अंधापन, ऐसी मूर्खता, जिसे तुम समझ नहीं सकते। मानो पैसा कमाने की गतिविधि से उनका दिमाग पूरी तरह से बंद ही हो गया हो। मैंने लोगों को अपने सूट और कपड़े चुनते हुए देखा है कि जब वे मरेंगे तब, क्या पहनने वाले हैं। यह अजीब लगता है। उनका कुत्ता भी मर जाता है, वे इतनी विस्तृत व्यवस्था करते हैं! वे अपना ताबूत का भी चयन करते हैं, जिसे वे खुद को दफ़नाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।

तो पैसे के साथ एक नई समस्या शुरू हुई, विकल्पों की उपलब्धता: आपके पास कितने विकल्प है। और लोग उस चयन के साथ खेले। वे आपको मूर्ख बना सकते हैं और सुझाव दे सकते हैं कि सबसे अच्छा क्या है। मुझे पता नहीं क्यों, लेकिन पैसे वाले लोग ज्यादातर मूर्ख होते हैं, अगर बहुत अनैतिक नहीं भी हों। मूर्ख, बिल्कुल मूर्ख। उन्हें कोई भी बेवकूफ़ बना सकता है। तो, भगवान जाने क्या विशेषता है कि जो लोग बहुत अमीर हैं वे बहुत चालाक हो सकते हैं, बहुत अनैतिक हो सकते हैं, स्वयं को नष्ट करने वाले हो सकते हैं; लेकिन ज्यादातर वे बेवकूफ़ लोग हैं। क्योंकि जिस तरह से वे बात करते हैं, आप नहीं जानते कि कहाँ देखना है; वे चीजों के बारे में क्या कहते हैं जिन्हें आप नहीं समझते हैं। तो फिर यह मूर्खों और बेवकूफ़ लोगों का देश बन गया है, और आप नहीं जानते कि उनके साथ कैसे व्यवहार किया जाए और उनसे उच्च जीवन के बारे में कैसे बात की जाए। इस लक्ष्मी तत्व को एक बहुत बड़ा सिद्धांत बनना है, जिसे हम मुक्त व्यक्तित्व कहते हैं, या हम कह सकते हैं  महालक्ष्मी सिद्धांत से संपन्न व्यक्ति। ऐसा व्यक्ति दूसरों से धोखा खा सकता है, दूसरों से परेशान हो सकता है, लेकिन उसमे ऐसी सभी बाधाओं पर विजय पाने की अपनी आंतरिक शक्ति होती है।

तो इस महालक्ष्मी सिद्धांत की स्थापना करनी चाहिए। लेकिन कोई कहेगा, “क्यों? महालक्ष्मी सिद्धांत होने का क्या लाभ है?” जब महालक्ष्मी सिद्धांत आता है, तो नौ लक्ष्मी होती हैं जिनका वर्णन किया गया है, नवधा, नौ, जो मनुष्य में पूरी तरह से प्रकट हो जाती हैं।

उनमें से एक जिसे हम गृहलक्ष्मी कहते हैं। गृहलक्ष्मी का अर्थ है परिवार। पत्नी एक बहुत ही शानदार शख्सियत बन जाती है। वह चीजों पर आपत्ति नहीं करती है, वह प्रतिक्रिया नहीं करती है, लेकिन वह बहुत संवेदनशील है और वह अपने सभी बच्चों का सुंदर तरीके से निर्माण करती है। इसके विपरीत, जहां वह गृहलक्ष्मी नहीं है, वह पुरुषों की तरह के कुछ काम करने में गर्व महसूस करती है। इस का अर्थ है – उसके लिए उसकी नौकरी महत्वपूर्ण है, उसका बैंक बैलेंस महत्वपूर्ण है। लेकिन गृहलक्ष्मी का असली बैंक बैलेंस उसका परिवार और उसके बच्चे हैं। अगर उसके पास वह नहीं है, तो वह बस यही सोच रही होगी कि वह बहुत महान है, वह इस आदमी या उस आदमी के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकती है।

महिलाएं यह नहीं समझती हैं कि उनकी सबसे बड़ी क्षमता प्यार करना है। ऐसा क्यों है कि लक्ष्मी एक महिला हैं और सभी देवी महिलाएं हैं? और इन देवीयों के जो गुण है कि वे अपने स्वभाव के लोगों को, उनके अपने गुणों का आशीर्वाद दें।

इसलिए ऐसा सोचना कि हम पुरुषों से इसलिए बेहतर हैं क्योंकि हमारे पास अधिक पैसा है, सबसे बड़ी मूर्खता है। आपके पास पैसा हो सकता है, लेकिन आपके बच्चे बर्बाद हो जाएंगे, आपका परिवार बर्बाद हो जाएगा। जब आप एक अच्छा परिवार बनाते हैं, तो आप अपने चारों ओर एक सुंदर, बहुत सुंदर, ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं। और इस तरह के ब्रह्मांड के बाद ब्रह्मांड पूरी दुनिया में एक सुंदर ब्रह्मांड बना सकते हैं। इसमें कोई बलिदान नहीं है, बल्कि हर चीज का आनंद लेना है। जैसा कि मैंने कहा, आप अपने आतिथ्य का आनंद लेते हैं, आप अपनी उदारता का आनंद लेते हैं, जिसमे आपको लगता है कि आपके लिए कोई दुख या परेशानी नहीं है, बल्कि आप बस आनंद लेते हैं। मेरा मतलब है, कम से कम मुझे आनंद आता है। अगर मैं किसी को कुछ दे सकती हूं, तो यह सबसे बड़ा आशीर्वाद है। तो मूर्ख लोग, वे मानते हैं कि उदारता बेवकूफी है, जबकि वे असली मूर्खता हैं।

इसलिए अपने बच्चों के लिए एक उचित घर बनाना आज एक बहुत बड़ा काम है, और इसे करना ही होगा। वहाँ फिर से स्वार्थपरकता आ जाती है। मनुष्य के जीवन में ऐसी बहुत सी बाधाएँ आती हैं, क्योंकि पता नहीं क्यों, वह हर चीज़ का आनंद नहीं लेता। तो स्वार्थ अंदर आता है और वे केवल अपने बच्चों से प्यार करेंगे, वे केवल अपने पति से प्यार करेंगे, या वे केवल अपनी पत्नियों से प्यार करेंगे। यह एक अच्छे परिवार का निर्माण नहीं करता है। मैं वैश्विक परिवार के बारे में बात कर रही हूँ। हमारे लिए हर कोई जो एक साक्षात्कारी आत्मा है और उनका परिवार और हमारा परिवार एक ही है। लेकिन तब वे समस्याएं पैदा करेंगे, घटिया बात करेंगे, कानाफूसी  करेंगे। मुझे आश्चर्य है कि सहज योग में भी हमारे पास बहुत सी महिलाएं हैं जो सिर्फ कानाफूसी करती रहती हैं, उनका अंदाज कानाफूसी करने वाला था।

चूँकि मैं लक्ष्मी और महालक्ष्मी के बारे में बात कर रही हूं, मुझे महिलाओं को चेतावनी देनी है क्योंकि वे ही हैं जो महान सिद्धांतों, लक्ष्मी और महालक्ष्मी के महान प्रतीकों का निर्माण करेंगी। तो सहज योग में आज भी गपशप करना एक बहुत ही आम बीमारी है। मैंने तब देखा है, जब पाँच या छह सहज योगिनियाँ मिलती हैं, तो वे बातें करती रहती हैं, बातें करती रहती हैं, बातें करती रहती हैं। मुझे नहीं पता कि वे क्या बात करती हैं! सहज योग के बारे में कभी नहीं! कभी नहीँ! वे जो बात करते हैं वह यह कि, दूसरे व्यक्ति के साथ क्या गलत है, कौन गलत प्रकार का व्यक्ति है: जिसे हम ‘गपबाज़ी’ कहते हैं। और इस गपबाज़ी ने सामूहिक रूप से हमारे लिए बड़ी समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। तो सबसे अच्छी बात मैं चुप रहने की सलाह दूंगी।

मेरे घर आने पर भी बात करते हैं! उन्हें इस बात का कोई मतलब नहीं है कि हमें मौन रहना चाहिए। शांति के बिना आप परमात्मा के शीतल स्पंदनों का आनंद नहीं ले सकते। बस गपबाज़ी करते रहना और बात करना बहुत विकसित लोगों की निशानी नहीं है: सहज योग में। इसलिए पहली बात यह है कि महिलाओं को अधिक दयालु, अधिक सहिष्णु और आनंददायक बनना चाहिए। क्योंकि आप किसी से मिलते हैं, तो वे तुरंत आपको बताना शुरू कर देंगे, “अमुक व्यक्ति के साथ क्या बुरा है, अमुक उस व्यक्ति के साथ ऐसा गलत है…” लेकिन ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन वे आकर बस आपको बुरी खबर देंगे – हर तरह की। लेकिन उन्हें यह बुरी खबर देने में मज़ा आता है कि उन्हें लगता है कि वे बहुत महत्वपूर्ण हैं। और जब वे सोचते हैं कि वे महत्वपूर्ण हैं, तो वे बहुत खतरनाक लोग हो सकते हैं, बहुत खतरनाक।

क्योंकि मुझे लगता है कि सहज योग के मूल्य को समझने के लिए महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत अधिक काम करना पड़ता है। क्योंकि उनके अपने बच्चे संबंधित हैं। उनका परिवार सहज योग की इकाइयों में से एक है। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि अब मैं यह देख रही हूं कि सहज योग में महिलाएं उस स्थिति तक उन्नत नहीं हैं जितनी उन्हें होनी चाहिए थी। वे बहुत ज्यादा गपबाज़ी करती हैं। इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें मौन रहना चाहिए, बात नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना वास्तव में, बहुत प्रभावशाली हैं, जो महान कार्य कर रहे हैं, वे हमेशा शांत रहते हैं। वे बात नहीं करते। मैंने देखा है कि वे आकर मुझ से मिलते भी नहीं हैं, बस पीछे हट जाते हैं, जबकि जो महिलाएं सोचती हैं कि वे कुछ खास हैं, वे सबसे खतरनाक हैं।

तो लक्ष्मी की शक्ति जो वास्तव में, सबसे पहले, महिलाओं के कंधे पर पड़ती है, महालक्ष्मी की होनी चाहिए। और यही एक, सभी सहज योगिनियों के लिए एक चुनौती है कि वे स्वयं योग्यता पूर्ण व्यवहार करें, और दुनिया की अन्य सभी महिलाओं की तुलना में ऊँची महिला बनें। हमारे पास कुछ बहुत, बहुत अच्छी, बहुत महान सहज योगिनियां हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन उनकी शैली अलग है, और वे चीजों को इस तरह से कार्यान्वित कर रही हैं कि यह बिल्कुल मनमोहक है। वे सिर्फ सहज योग के लिए काम कर रही हैं। वे अपने व्यक्तिगत संबंधों, या अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की परवाह नहीं करती हैं, वे बस हर तरह से सहज योग की मदद करना चाहते हैं।

फिर एक और लक्ष्मी होती है जिसे गजलक्ष्मी कहा जाता है। वास्तव में इसका अर्थ है एक, ‘गज’ अर्थात हाथी। हाथी का गुण ऐसा है कि हाथी एक निश्चित चाल से चलता है, जो दोनों तरफ की गति है। जैसा कि मैंने तुमसे कहा है, मैंने लोगों को देखा है, विशेष रूप से महिलाओं को, जो घोड़ों की तरह चलती हैं, वास्तव में! वे घोड़ों की तरह चलती हैं। तो एक बार एक नृत्य शिक्षक ने मुझसे कहा, “माँ, क्या मुझे एक नृत्य विद्यालय शुरू करना चाहिए?” 

मैंने कहा, “बेहतर होगा कि आप एक डांस स्कूल शुरू करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन क्या आप निश्चिन्त हैं कि आप उन्हें नृत्य करना सिखा सकते हैं या वे सरपट दौड़ रहे होंगे?” (हँसी)

 “क्यों?” 

“क्योंकि, मुझे कहना होगा, मैंने यहां महिलाओं में देखा है कि वे घोड़ों की तरह चलती हैं। घोड़ों की तरह चलने वाली ये महिलाएं नृत्य,विशेष रूप से भारतीय नृत्य, कैसे कर सकती हैं। यह बहुत मुश्किल है।”

तो, अब हमें देखना है कि चाल कैसी है, आप कैसे चलते हैं। तुम हाथी की तरह चलते हो, या घोड़े की तरह चलते हो? विशेष रूप से पुरुषों के लिए, पुरुषों को हाथी की तरह नहीं चलना चाहिए बल्कि घोड़ों की तरह चलना चाहिए, ठीक है (हँसी)। लेकिन सबसे बुरी बात यह हुई है कि पुरुष महिलाओं की तरह और महिलाएं पुरुषों की तरह कपड़े पहनती हैं। अब क्या करें? इस तरह का पागल परिवर्तन क्यों हो रहा है? वे ऐसी चीजों को क्यों अपना लेते हैं? क्योंकि, जब वह पुरुष है तब,स्त्री बनने का क्या लाभ है और स्त्री के पुरुष बनने से क्या लाभ है? यही कारण है, जिससे पता चलता है कि वे कुछ बदलाव चाहते हैं, कुछ बदलाव जरूरी है। आप अपनी पोशाक बदलना चाहते हैं, आप अपने घर बदलना चाहते हैं, यहां तक ​​कि अपने लिंग भी आप बदलना चाहते हैं। लेकिन क्यों न आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से अपने संपूर्ण अस्तित्व को बदल दिया जाए, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि; हम रूपांतरित हो गए हैं, और हममें सहज योग की अपनी गरिमा होनी चाहिए – जिस तरह से हम व्यवहार करते हैं, जिस तरह से हम गतिविधि करते हैं और काम करते हैं।

मेरा अनुभव यह है कि, एक बार जब वे सहज योग में आ जाते हैं, तो ज्यादातर, वे बहुत, बहुत सुंदर लोग बन जाते हैं, और वे धीरे-धीरे फूलों की तरह विकसित होने लगते हैं, उनकी करुणा और प्रेम से सुगंधित होते हैं। लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो यह नहीं समझते कि प्रगति कैसे करना है। उनका अपना एक छोटा सा दायरा होता है जिसमें वे घूमते रहते हैं, और वे बस जड़  हो जाते हैं, वे बौने रह जाते हैं, और फिर ऐसे सहज योगियों को सहज योग छोड़ना पड़ता है।

तो यह सभी सहजयोगियों की जिम्मेदारी है कि वे देखें और निगरानी करें कि उनका मन किस तरह काम कर रहा है। वे कहाँ जा रहे हैं? वे क्या कर रहे हैं? वे सहजयोगियों के रूप में अपनी उपलब्धि कैसे प्राप्त कर रहे हैं?

तो सहज योग में ये लक्ष्मी और,  मैं कहूंगी लक्ष्मियाँ, साथ ही लक्ष्मीपति,  अन्य पैसे वाले लोगों की तुलना में बहुत भिन्न होना चाहिए| महालक्ष्मी सिद्धांत आपको एक बहुत ही शांत, संतुलित, स्नेही और प्रेमपूर्ण स्वभाव देना चाहिए। यदि यह आपको नहीं देता है, तो आपको पता होना चाहिए कि आप में कुछ कमी है। आखिर आप सहज योग में किसी और चीज के लिए नहीं बल्कि अपने विकास के लिए आए हैं। और उस विकास को जारी रखने के लिए, आपको यह समझने की भावना हासिल करनी होगी कि आपका व्यक्तित्व क्या होना चाहिए, दूसरों के संदर्भ में, अन्य लोगों के सापेक्ष जो अभी भी खोज रहे हैं, जो अभी भी अंधे हैं।

हमें वैश्विक मुक्ति हासिल करनी है। मुझे पता है जोकि मेरी दृष्टि है, और दूसरे दिन हम गिन रहे थे कि कितनी परियोजनाएं शुरू हुई हैं। इसलिए, हमें 35 पर रुकना पड़ा। भारत में, अन्य देशों में भी 35 परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं, और वे केवल मनुष्यों के उद्धार के लिए हैं। लेकिन सबसे पहले, जैसा कि मैंने आपको बताया, सहज योग में काम करने के लिए आपको एक निर्लिप्त  व्यक्ति बनना होगा। महालक्ष्मी सिद्धांत का यही गुण है कि ऐसा व्यक्ति अनासक्त होता है। वह बेकार की चीज़ों से लिप्त नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप संन्यास लें और परिवारों से दूर भागें, अपने घर से भागें, हर चीज से दूर भागें। वह वैराग्य नहीं है, वह पलायन कर रहा है!

लेकिन वैराग्य यह है कि जब आपके पास सब कुछ होता है, तब भी आप अनासक्त होते हैं: इस अर्थ में [कि] आप इससे अपने लाभ के बारे में चिंतित नहीं होते हैं। यदि आप वास्तव में आत्मनिरीक्षण करें तो ऐसी चीजें बहुत आसानी से हो सकती हैं। और आत्मनिरीक्षण ध्यान का सबसे अच्छा तरीका है। पहले आत्मनिरीक्षण करें और फिर ध्यान करें, तब आपका विकास होगा। और आपकी आत्मा का वास्तविक आनंद, आपकी आत्मा का, वास्तव में आपको ऐसा आनंद देगा कि आप मूर्खतापूर्ण, तुच्छ चीजों को नहीं अपनाएंगे। लेकिन आप सहज योग में बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति बन जाएंगे जो इतना अद्भुत काम करेंगे कि हर कोई चकित रह जाएगा कि – एक साधारण इंसान, वह ऐसी चीजें कैसे हासिल कर सकता है, वह इसे कैसे कर पाता है?

जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया है कि आत्मसाक्षात्कार के बाद आप बेहद रचनात्मक हो जाते हैं। हर चीज में रचनात्मक, विशेष रूप से दूसरों को आत्मसाक्षात्कार देने में, और कला, संगीत, कविता, नाटक, लेखन के आपके जीवन में भी रचनात्मक; सभी प्रकार की चीजें जो आप करते हैं। हमने अब ऐसे कई मामले देखे हैं कि यहां तक ​​कि, ऐसे व्यक्ति जो कभी मंच पर नहीं आये, उन्होंने बहुत महान, प्रेरक व्याख्यान दिए हैं। तो रचनात्मकता दूसरों के लिए प्रेरणा की तरह आती है। वे आपको देखते हैं और वे प्रेरित महसूस करते हैं। आप वह नहीं हैं जो छाया में जाता है और पीछे बैठ जाता है। लेकिन आप खुले तौर पर बाहर आते हैं, बिना किसी घमंड या किसी प्रकार की आक्रामकता के, लेकिन पूरी विनम्रता के साथ; और आप अपनी सामूहिक चेतना के माध्यम से दूसरों को इतनी सुंदर भावनाएँ देते हैं, अपने बारे में और दूसरों के बारे में ऐसी समझ।

आप देखिए, सामूहिक चेतना और अन्य चीजों के बारे में, कितने ही लोगों ने बात की है। दूसरे दिन आपने इसे देखा, वहां युंग जैसे बहुत से लोग थे और अन्य वैज्ञानिक और अन्य दार्शनिक भी थे जिन्होंने इसके बारे में बात की थी। लेकिन आपको मिल गया है, आपको सामूहिक चेतना का अनुभव है। इसके बावजूद, यदि आप सहज योग की प्रगति में, सहज योग में पिछड़ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि कुछ गड़बड़ है। आप अपने सिर पर किसी तरह का बोझ ढो रहे हैं। लेकिन हमारी आसक्तियों से आपके सिर पर बोझ पड़ेगा।

सहज योग में आप हर चीज में शामिल होते हैं फिर भी आप निर्लिप्त होते हैं। और आपके साथ ऐसा चमत्कार होता है जिसे आप अच्छी तरह से जानते हैं, मुझे उसका वर्णन करने की आवश्यकता नहीं है। तो महालक्ष्मी सिद्धांत के साथ एक नया व्यक्तित्व आता है। महालक्ष्मी सिद्धांत वह है जो आपको आपकी खोज़ में ले जाता है और जब आपको वास्तविकता, सत्य का ज्ञान होता जाता है, तो आप प्रगति करते हैं।

महालक्ष्मी सिद्धांत से ही आपको अपनी बोध प्राप्ति होती है। यह आप भली-भांति जानते हैं कि महालक्ष्मी की नाड़ी से ही आप उत्थान पाते हैं, और आपको अपनी अनुभूति होती है। तो एक महान सहज योगी बनने के लिए, आपको अपने महालक्ष्मी सिद्धांत का ध्यान रखना होगा।

अब ऐसे लोग हैं जिन्हें मैंने देखा है जो सस्ती लोकप्रियता की परवाह करते हैं। मैंने ऐसे लोगों को जाना है जो दूसरों के लिए सब कुछ करते हैं, यह करते हैं, वह करते हैं, लेकिन केवल लोकप्रियता के लिए। कोई अनिवार्य रूप से समझ में नहीं आया है, उन्होंने अनिवार्य रूप से यह नहीं समझा है कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं वह सस्ती लोकप्रियता के लिए है? आपको सहज योग में चुनाव नहीं लड़ना है, आपको चुनाव में अपना वोट नहीं डालना है। लेकिन वास्तव में क्या होता है, जिस व्यक्ति के पास सहज योग की वह गतिशीलता होती है, वह सामने आ ही जाता है। सब जानते हैं। कोई बातचीत नहीं, प्रभावित नहीं करना, दिखावा नहीं करना, सस्ती लोकप्रियता के पीछे नहीं जाना, बल्कि अपने भीतर विकसित होना। उसके लिए मैं यह नहीं कह सकती कि आपको क्या करना है। एक पेड़ कैसे बढ़ता है? अपने आप। आप सहज योग के जीवंत उदाहरण हैं। तो तुम कैसे प्रगति करोगे? – अपने आप से। आप अपने आप विकसित होंगे: एक वादा है जो आपको ईश्वर द्वारा दिया गया है। लेकिन इसे आत्मनिरीक्षण, ध्यान, और जिसे हम पूर्ण समर्पण और भक्ति कहते हैं, के माध्यम से विकसित होने दें।

दूसरे दिन मैंने आपको श्रद्धा शब्द के बारे में बताया – यह सिर्फ प्रार्थना नहीं है, यह सिर्फ विश्वास करना नहीं है, बल्कि श्रद्धा यह है जोकि आपके दिल में है, आपकी भक्ति और समर्पण के माध्यम से उपलब्धि का आनंद – जिसे श्रद्धा कहा जाना चाहिए। उस चीज से ही यह कार्यान्वित होगा। आपको खुद पर विश्वास और सहज योग में विश्वास रखना होगा। आप जानते हैं कि आपको मिल गया है, वे लोग इसके बारे में बात कर रहे थे, लेकिन आपको मिल गया! आप जानते हैं कि सामूहिक चेतना क्या है। आप जानते हैं कि आप सामूहिक चेतना में हैं। लेकिन आप इसमें कितने आगे बढ़ चुके हैं यह देखना होगा। यह बहुत ज़रूरी है।

उसके लिए, इतने कम समय में मुझे आपको लक्ष्मी के सभी गुणों का वर्णन करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह समझने की कोशिश करें कि जिस व्यक्ति में लक्ष्मी सिद्धांत है, उसमें ये सभी विशेष गुण होने चाहिए अन्यथा वह लक्ष्मी का उपासक नहीं है। और इसी तरह मैं आज आप सभी को उचित ज्ञान और लक्ष्मी सिद्धांत की उचित समझ के साथ आपके दिल में प्रबुद्ध उस प्रकाश के माध्यम से आशीर्वाद दूंगी।

परमात्मा आप पर कृपा करे। परमात्मा आप को अशिर्वादित करें।

पूजा वार्ता के बाद

मैं आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूं। और जैसा कि मैंने आपको सुझाव दिया है – हम सभी को इस पर काम करना होगा, और महालक्ष्मी सिद्धांत के महत्व को समझना होगा।

आपके जीवन में अगर लोग देखेंगे कि आप बहुत शांत, अच्छे, मददगार, सामूहिक लोग हैं, तभी सहज योग का प्रसार होगा। ना की उससे जो मैं कह रही हूं, या जो मैं फैला रही हूं, या जो मैं काम कर रही हूं।

यह एक सच्चाई है कि मेरी हमेशा से यह भावना रही है कि सहजयोगियों को सामाजिक कार्य करना चाहिए। मैं जीवन भर एक सामाजिक कार्यकर्ता रही हूं, और मैं एक तरह से समाजवादी हूं, लेकिन मैंने जो कुछ भी किया, उसे आप कह सकते हैं गुप्त रूप से अथवा ऐसा ही कुछ भी, लेकिन कुछ लोगों को इसके बारे में पता था, और यह था किया ही जाना था, और व्यावहारिक रूप से इनमें से अधिकांश मामले दान करने के लिए तैयार हैं।

शुरुआत में मेरे द्वारा इसे दान नहीं करने का कारण यह है क्योंकि मैं सुनिश्चित करना चाहती थी कि ऐसे लोग हैं जो ईमानदार हों, और जो ईमानदारी से काम करेंगे। क्योंकि समाज कार्य के नाम पर लोग सिर्फ शोषण करना चाहते हैं। यही कारण है कि मैंने इतने दिनों तक इंतजार किया, और हालांकि मैंने इनमें से कुछ को पहले ही दे दिया है जैसे गणपतिपुले, या अस्पताल, धर्मशाला स्कूल भी, सभी दिए गए हैं। लेकिन अब मैं और भी देना चाहती हूं। जैसे मुझे नहीं पता था कि, अमेरिका में, कानाजोहारी में हमने जो जमीन खरीदी है, वह मेरे नाम पर है; और मैंने इसे सुना मैं हैरान थी क्योंकि वहां से कोई आय नहीं है, और फिर मैंने वहां फैसला किया कि इसे लाइफ इटरनल ट्रस्ट ऑफ अमेरिका की सामूहिकता को दिया जाना है। यह सब मेरी इच्छा है कि चीजें कार्यान्वित हों। लेकिन सहज योग के अनुसार, जब तक आपके गणपति, गणेश, भूमि माता, मातृभूमि, जहां आप अपना काम शुरू करते हैं, यह स्वरूप नहीं ले लेता है, यह कुछ भी कार्यान्वित नहीं होता है।

इटली में भी मुझे एक बहुत बड़ी जमीन मिली है और एक घर भी जिसे मैं दान करना चाहती हूं। एक और है जिसे डाग्लियो कहा जाता है, मैं इसे इटली की सामूहिकता को दान करना चाहती हूं।

इटालियंस, मैंने उन्हें बहुत अच्छा, ईमानदार और समर्पित पाया। मुझे पता है कि वे इसका फायदा नहीं उठाएंगे। इसी प्रकार जहाँ भी मैंने कोई भूमि या भवन की वस्तुएँ खरीदी हैं, उनमें से अधिकांश दान करना चाहूँगी। लेकिन मैं देख लूँ कि चीजें ईमानदारी से काम कर रही हैं या नहीं।

तो, अब इस में रूचि लेना आप पर निर्भर है। और मुझे यह जानकर खुशी हुई कि एक सहज योगिनी एक अनाथालय शुरुआत करने या अनाथालय में काम करने के लिए मद्रास गई है। बहुत अच्छा विचार है, क्योंकि अनाथ बच्चों के बारे में सोच, बेसहारा महिलाओं के बारे में सोच, उन लोगों के बारे में सोच जो कैंसर जैसी भयानक बीमारियों से पीड़ित हैं – अन्य भी – जिनका हम इलाज कर सकते हैं। इसलिए मैंने एक अस्पताल शुरू किया, और अब मेरा दिल्ली में एक और अस्पताल होगा। आपके लिए भी खुशखबरी है कि मैंने हिमालय की तलहटी में एक जमीन खरीदी है। बहुत बड़ी, मुझे लगता है कि यह 55,56 एकड़ जमीन है। इसके अलावा मैंने एक और जमीन खरीदी है जहां हम उगा भी सकते हैं, तथा वहां आपको आयुर्वेद के लिए बहुत ही दुर्लभ जड़ी-बूटियां मिलती हैं, ताकि वे पीड़ित लोगों के उपयोग के लिए बहुत सस्ती कीमत पर दवाएं बना सकें, ताकि वे बहुत सरलता से निरोगी हो सकें।

इस तरह, इतने सारे प्रोजेक्ट किए गए हैं और वे सभी आगे आए हैं। बात यह है कि, मैंने देखा है कि, सहजयोगी इकट्ठा नहीं करते, धन का दान नहीं करते हैं सिवाय सेमिनार के, जब कि वे पैसे देते हैं। और यह सब उस पैसे से हासिल होता है जो आपने सेमिनार में दिया है। बेशक, बाकी खर्च मेरी किताबों और हमारे द्वारा किए जाने वाले अन्य कामों से आता है।

इसलिए आप सभी के लिए यह समझना जरूरी है कि सेमिनार में आप जो भी पैसा दे रहे हैं, उसका उपयोग बिल्कुल, मानवता की भलाई के लिए किया जा रहा है, जो कि सहज योग में नहीं आता है लेकिन सहजयोगियों के माध्यम से लाभ उठाया जा सकता है। इसलिए मैं आपसे विनती करूंगी कि कंजूस न हों। आपको मुझे पैसे देने की जरूरत नहीं है, लेकिन आपका स्वभाव कंजूस नहीं होना चाहिए। क्योंकि बिना किसी फायदे के पैसा रखने से क्या फायदा? तो आप सभी को सीखना चाहिए कि कैसे दान करना है, मुझे नहीं बल्कि इस नए विचार के लिए जो उनके पास है, क्या वे चाहते हैं कि मैं घोषणा करूं कि, वे एक फाउंडेशन बनाना चाहते हैं, ठीक है। एक बार जब मुझे इसे चलाने के लिए उचित लोग मिल जाते हैं, तो मुझे फाउंडेशन बनाने में कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि हमें वह नहीं करना चाहिए जो बाकी सभी बेवकूफों ने किया है।

और इसलिए मैं आप सभी से, थोड़ा उदार होने का अनुरोध करूंगी। हमारी दुनिया के सामाजिक पक्ष के प्रति उदारता होनी चाहिए, जिस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे कि मैंने तरीका नहीं बदला है। यह वह रास्ता है जो अब सुचारू रूप से चल रहा है। हमें पहले एक बहुत ही खतरनाक पहाड़ पर चढ़ना था, और अब हम एक ऐसी जगह पर आ गए हैं जहाँ हम समझते हैं।

इस समझ के साथ, मैं आपसे बस इतना कहना चाहती हूं कि आप अपने पास कुछ पैसे जमा करें, जिसे आप उस समय दान कर सकते हैं जब हमें इस तरह के काम के लिए इसकी आवश्यकता होगी। जो कुंडलिनी जागरण के साथ नहीं है। लेकिन तब हम कुंडलिनी जागरण भी कर सकते हैं। हमें कुण्डलिनी जागरण के परिणाम प्रदर्शित करना है, यह केवल आपके लिए नहीं है, यह केवल आप लोगों के लिए ही नहीं है जो आत्मसाक्षात्कारी हैं, यह पूरी दुनिया के लिए है। यही मेरा सपना है, और उस दृष्टिकोण के अनुसार मैं अपना काम कर रही हूं। और अब जैसा कि आप जानते हैं कि मैं यह जिम्मेदारी आप सभी पर छोड़ती हूं।

मुझे आशा है कि आप समझेंगे कि यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी समस्याओं, आपके अपने बेवकूफ प्रश्न जो आपके पास हैं, के अलावा अन्य चीजों के बारे में सोचें क्योंकि हर समय, जो मैं पाती हूं, यहां तक ​​​​कि नेता भी, उन लोगों से किसी तरह की बकवास लाते हैं, जिन्होंने कुछ गलत किया है।

अगर कोई बीमार है, अगर कोई यह है तो आपको मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है। आप क्यों नहीं इलाज़ कर सकते? आपको इसे मेरे पास क्यों लाना पड़े? नेताओं के साथ यह एक आम बात है। इसलिए मैं आपसे निवेदन करूंगी कि ऐसी कोई भी समस्या मेरे पास न लाएं, और आप अपनी समस्याओं को स्वयं हल करें, उन्हें हल करने का प्रयास करें। एक बार जब आप अपनी समस्या का समाधान कर लेंगे, तो आप चकित रह जाएंगे, आपको पता चल जाएगा कि आपको क्या हासिल है। लेकिन हर बार इसे मेरे पास प्रस्तुत करना जरूरी नहीं है।

मुझे प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि मुझे और भी बहुत कुछ करना है, और हर बार यदि कोई बीमार होता है, तो वे सोचते हैं कि, वे मुझ से सलाह  करें। अगर कुछ होता है तो उन्हें इसे मेरे पास अवश्य भेजना चाहिए। जिक्र करने के बाद भी अब आप सब यही कह रहे होंगे कि “इस व्यक्ति को कैंसर हो गया है, यह बीमार है, वह बीमार है।” मैं आपको बताना नहीं चाहती, लेकिन उस व्यक्ति के बारे में अवश्य ही कुछ गलती हुई होगी। मैं ऐसे किसी के बारे में नहीं बताना चाहती, लेकिन जरूर कुछ ऐसा हुआ होगा कि वह व्यक्ति बीमार है, या उस व्यक्ति के साथ कुछ गलत हो गया है, क्योंकि सामान्य तौर पर सहज योग से मदद मिलनी चाहिए। सहज योग ध्यान से मदद मिलना चाहिए। इसे काम करना चाहिए, इसने बहुतों के साथ सफलता पूर्वक काम किया है। यहां तक ​​कि कुछ लोग जो बहुत बीमार थे, एक बार कबेला आए, मैं वहां नहीं थी, वे ठीक हो गए। तो, यह आप ही के भीतर का विश्वास है जो इतना मजबूत होना चाहिए कि यह हो ही जाएगा।

तो कुछ लोगों की आदत है कि मुझे हर समय इस तरह तंग करना “यह ठीक नहीं है, वह नहीं है…” “मेरे केंद्र में यह हो रहा है, वह हो रहा है।” आप सब मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं कर सकते?

आपकी की बड़ी कृपा होगी यदि आप यह समझें कि इन सभी समस्याओं को आप ही के द्वारा हल किया जा सकता है, मुझे वहां रहने की जरूरत नहीं है। मैं हर समय तुम्हारे साथ हूं, मैं हर समय तुम्हारे साथ हूं, इसलिए इन सभी चीजों के लिए आपको मेरे पास आने की जरूरत नहीं है जो बिल्कुल आपके नियंत्रण में हैं। यदि नहीं, तो आप अपना तथाकथित नेतृत्व छोड़ दीजिए। क्योंकि नेतृत्व का मतलब है कि आप दूसरों में सहज योग के सिद्धांतों को क्रियान्वित करने और उस को कार्यान्वित करने में सक्षम हों। मुझे आशा है कि आप यह समझ गए होंगे।

दीवाली के दिन मुझे कुछ बातें कहनी थीं, लेकिन किसी को भी रोशनी के साथ काले धब्बे भी देखने होंगे और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी होगी।

इसलिए मैं सभी नेताओं से अनुरोध करूंगी कि वे मुझे इन सभी छोटी-छोटी समस्याओं से जो आपको हैं,परेशान न करें। नियंत्रित करने का प्रयास करें, हल करने का प्रयास करें, प्रयास करें, देखें, आपके पास शक्तियां हैं, आप इसे कर सकते हैं, आप सभी इसे कर सकते हैं। आपको हर समय मेरे पास आने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बहुत सी चीजें करनी हैं, और बहुत सी चीजें कार्यान्वित करनी हैं जो मैं लगातार कर रही हूं। लेकिन आपको अपने देश की, अपनी जगह की अपनी समस्या का समाधान करने का भी प्रयास करना चाहिए। लेकिन अगर तुम काफी विवेकशील नहीं हो, अगर तुम विकसित नहीं हुए, तो ऐसा होता है, मैंने देखा है कि, तुम मुझे बताओगे। और तुम सोचते हो कि तुम बहुत महत्वपूर्ण हो क्योंकि तुम मुझे बता सकते हो। वह तरीका नहीं है! आपको इसे स्वयं करना चाहिए। आपको स्वयं पता लगाना चाहिए कि आप क्या कर सकते हैं, आप कैसे इसमें मदद कर सकते हैं और आप दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं।

साथ ही हम यहां हर समय केवल उन लोगों की देखभाल करने के लिए नहीं हैं जो सहज योग में अच्छे नहीं हैं। और अधिकतर मैंने देखा है, यह केवल वही लोग हैं जो अपने  थोड़े बहुत स्वयं की स्थिति के बारे में, बहुत महत्वाकांक्षी हैं, ऐसा करने की कोशिश करते हैं।

इसलिए मुझे आपसे बार-बार अनुरोध करना होगा: कृपया, कृपया, यदि आप में से कोई नेता या कुछ और है, तो मुझे फोन न करें, मुझे न लिखें। क्योंकि मैंने हर दिन देखा है कि मेरे पास इतना कुछ है, कागज, लिफाफे – हर दिन – मुझे नहीं पता कि क्या करना है। आपको कैसे बताऊं कि मुझे लिखने की कोई जरूरत नहीं है। यदि आप समस्या का समाधान नहीं कर सकते, तो समाप्त! कुछ ऐसा लें जो सरल हो, जिसे आप संभाल सकें। जो मुश्किल है उसे लेने की जरूरत नहीं है, जिसे आप संभाल नहीं सकते। यह एक आतंरिक विवेक है, इसके पीछे। यदि आपके पास विवेक है, तो आप अपनी समस्याओं को एक साथ हल करेंगे, विशेष रूप से अपने नेता के साथ, और यदि नेता संवेदनशील हैं, तो वे मुझे कभी परेशान नहीं करेंगे।

मुझे इसके बारे में पता होना चाहिए, मुझे आपको कुछ लोगों के बारे में बताना चाहिए, जो नेता हैं, उन्होंने मुझे एक बार भी नहीं बताया कि “यह गलत है, या यह गलत है” कुछ भी नहीं! उन्होंने अपनी समस्याओं को बाहर ही बाहर हल किया है। वे आपके आदर्श होने चाहिए, और इसी तरह आपको इसे कार्यान्वित करना चाहिए। यह आपकी माँ के लिए बहुत आनंदायी बात होगी, क्योंकि अब आप बन गए हैं, आप ही हैं जिनके पास शक्ति है, अपनी शक्तियों को महसूस करें, अपनी शक्तियों को समझें, अपनी जिम्मेदारियों को समझें, और आप चकित होंगे कि चीजें कैसे काम करेंगी।

सबसे पहले मैं आप सभी को बार-बार दीपावली की बहुत-बहुत बधाई देती हूं, अगले वर्ष और आपके पूरे जीवन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

परमात्मा आप पर कृपा करे। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। धन्यवाद।

वे सभी, आप सभी के लिए कुछ उपहार लाए हैं। कृपया उन्हें लें, उनका आनंद लें।

परमात्मा आप सबको आशिर्वादित करें।

और मौन रहो! कभी-कभी मुझे लगता है कि यह एक मछली बाजार है क्योंकि मुझे नहीं पता कि यहाँ बात करने के लिए क्या है! आपको पूर्ण मौन में रहना होगा। आज इतने सारे चैतन्य हैं, आपको पता नहीं है!

अगर तुम अवशोषित कर रहे होते तो मुझे थकान नहीं होती। आपको शोषित करना होगा, वायब्रेशन को अवशोषित करना होगा। आप यहां चैतन्य प्राप्त करने के लिए आए हैं, अधिक से अधिक प्राप्त करने के लिए और यह बातें करने में अपना समय बर्बाद नहीं करने के लिए आए हैं। नहीं! आप यहां विकसित होने के लिए आए हैं। अगर आप यह समझते हैं तो मुझे लगता है कि यह आपकी मदद करेगा। धन्यवाद।