एम्स में डॉक्टर का सम्मेलन, नई दिल्ली (भारत)।2 अप्रैल 2002
सभी सत्य साधकों को हमारा प्रणाम।
डॉक्टरों से बात करते समय मैं अपने कॉलेज के दिनों के बारे में सोचती हूँ, जब मैं भी चिकित्सा में अध्ययन कर रही थी, परंतु सौभाग्यवश या दुर्भाग्यवश हमारा कॉलेज पूरी तरह से बंद हो गया, लाहौर में,एवं मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ऐसा नहीं है कि मेरा इस पश्चिमी चिकित्या शिक्षा में कोई विश्वास नहीं था, किंतु यह एक अच्छा अवसर था इसे उससे जोड़ने का और समझने का कि पाश्चात्य चिकित्सा शिक्षा में क्या कमी रह गई है।
असफल तथ्य यह है ,कि मनुष्यों को चिकित्सा विज्ञान में कुछ, अति व्यक्तिगत माना जाता है और सम्पूर्ण साथ जुड़ा हुआ नहीं, समझा जाता। हम सब समपूर्ण से जुड़े हुए हैं। किंतु लोगों को कैसे विश्वास दिलाएँ कि आप सभी सम्पूर्ण के साथ जुड़े हुए है और यह कि आप अलग नहीं हैं? क्यों कि हम सम्पूर्ण से जुड़े हुए है, हमारी सभी समस्याएँ पूर्ण से जुडी हुई हैं, तो आप किसी को केवल एक चीज़ के रोगी और दूसरे रोगी को एक दूसरी चीज़ का रोगी नहीं मान सकते, हो सकता है कि एक व्यक्ति जिसे एक परेशानी है, उसे बहुत सारी अन्य दूसरी परेशानियाँ भी हो सकती है, कई अन्य संबंद्ध जिन्हें हम पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान में स्थापित नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को चिकित्सकीय रूप से बहुत बीमार समझना, हो सकता है, परंतु आप नहीं जानते, उसकी मानसिक स्थिति क्या है? वह मानसिक रूप से क्या कर रहा है? क्या वह मानसिक रूप से ठीक है या केवल शारीरिक रूप से उसके साथ कुछ गलत है? अब, वास्तव में हम इतनी सारी चीजों के बारे में जानते हैं, जैसे कहे, चिकित्सकीय रूप से हमारे पास इसके लिए नाम हैं, हम कहते हैं कि यह एक मनोदैहिक समस्या है, या यह एक दैहिक समस्या है, किंतु इन दोनों के बीच में क्या संबंध है वह हम नहीं जानते।
आप चकित हो जाएंगे हमारे अधिकांश रोग मनोदैहिक (विकार) से आते हैं, जैसे कैंसर, जो अधिकतर असाध्य है, कैंसर और हम कह सकते हैं एड्स, ऐसे सभी जिन्हें पूर्णत्या असाध्य और कठिन माना जाता हैं, ये सभी हमारे संबंध के साथ आते हैं, हमारे संबंध के साथ, जिनके बारे में हम सुनिश्चित नहीं हैं, बाईं पक्ष के साथ। जैसा कि हम, आप ने यहां चित्र में देखा हैं, बाएँ पक्ष, मैं नहीं जानती।
हम केवल दाएं पक्ष के चिकित्सीय विज्ञान को जानते हैं और वह भी इतने अधिक विस्तार से, यह आवश्यक नहीं है, आपको एक मनुष्य के बायें पक्ष के बारे में भी ज्ञात होना चाहिए और हम बायीं पक्ष के विषय में पूर्णत्या जागरूक नहीं है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो पागल है, विक्षिप्त, वह पागलखाने में है। उसे कभी हृदय रोग नहीं होता, क्यों? वह पागल कैसे हो गया है? उसका हमारे से(अपने आप से) क्या संबंध है? उदाहरण के लिए, आप एक रोगी को लेते हैं , जो पीड़ित है जैसे कहे कैन्सर से, हम कैंसर के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है, वायरस कैसे शुरू होता है और यह सब,ये हमें ज्ञात है। किंतु कैसे कैंसर बनता है कोई नहीं जानता और किस प्रकार के लोगों में कैंसर पनपता है, आप नहीं जानते।
अब ये दो है जैसा कि आप देखते हैं, हमारे भीतर दो नाड़ियाँ हैं, एक दाएँ पक्ष की देखभाल करती है और दूसरी बाईं पक्ष की देखभाल करती है। अब यदि आपको बाईं पक्ष में कोई समस्या होती है तो मनोदैहिक समस्याएँ हो सकती हैं। मान लीजिए, आपका हाथ टूट गया है या किसी प्रकार की कोई शारीरिक समस्या है तो यह ठीक है। परंतु जब यह जटिल मनोदैहिक समस्याएँ है तो डॉक्टर इसका उपचार नहीं कर सकते, मुझे यह कहते हुए खेद है। क्योंकि आप इसके दूसरे पक्ष को नहीं जानते हैं, इस रोगी को क्या प्रभावित कर रहा है, जिस कारण से यह कैन्सर हुआ है, आप नहीं जानते। आपको जानकार प्रसन्नता होगी सहज योग में कैंसर का इलाज है, उपचार संभव है यदि यह एक बहुत ही प्रारंभिक चरण में है यह बहुत सरल है, परंतु वैसे भी। विशेष रूप से रक्त कैंसर का पूर्णत्या इलाज संभव है।
आपको आश्चर्य होगा कि यह हमारे जीवन के इन दोनों पक्षों का ऐसा संयोग है, कि हम इन बीमारियों में पड़ जाते हैं जो असाध्य हैं। इन असाध्य रोगों की एक बड़ी सूची है जिसे मैं आपको बताना नहीं चाहती जिसे आप भली–भांति जानते हैं। अतः इन सभी में बाएँ पक्ष की जटिलता होती है। निश्चित रूप से , आप को दायीं पक्ष के बारे में बहुत अधिक ज्ञात हैं, ग्रे की शारीरिक रचना और उसके बाद आप सभी जानते हैं। किंतु आप को ज्ञात नहीं है कि आप बाएँ पक्ष से कैसे प्रभावित होते हैं। इसलिए, इस भाषण में, मैं आपको बाएँ पक्ष के बारे में कुछ बताना चाहूंगी,जिसके बारे में आपने कभी नहीं सुना हुआ हो सकता है, और आप इसमें विश्वास नहीं करते।
बायाँ पक्ष हमारे भूतकाल से संबन्धित है, हमारे अतीत से है इस संद्र्भ में कि जो लोग भविष्यवादी हैं, वे बाईं पक्ष से प्रभावित नहीं होते हैं, किंतु वे लोग जो बाएँ पक्ष में रहते हैं, अपनी बाईं पक्ष के बारे में चिंतित हैं, वे स्वयं पर खिन्न हैं, चाहे कुछ भी हो,वही लोग हैं, जो प्रभावित होते हैं। बायीं पक्षीय व्यक्ति ,यदि मैं आपको बताऊं, आप सुनकर चौंक जाएंगे, वास्तव में ‘भूत बाधित’ होते हैं। कुछ मृत आत्मा की पकड़ में जिसका आपको संज्ञान होना चाहिए। हो सकता है आप शायद इस में विश्वास नहीं करते हो, लेकिन ऐसा ही है। यह किसी के साथ भी घटित हो सकता है, जो दुःखी हो जाता है या बायीं पक्षीय स्वभाव का बन जाता है, ओर भी दूसरे कई कारण हैं जैसे ये झूठे गुरु, वे क्या करते हैं, वे मंत्रमुग्ध करते हैं, वे इन मृत आत्माओं से आपको मंत्रमुग्ध करते हैं जिन्हे उन्हे नियंत्रण करना होता है। यह पक्ष , मुझे अवश्य कहना चाहिए, दवा से नहीं, गैर दवा के , परंतु जैसा भी है, डॉक्टरों को इस का संज्ञान होना चाहिए; अन्यथा, आप कोई इलाज नहीं कर सकते। आप कर सकते हैं, हो सकता है, निदान आप शायद कर सकते हैं। परंतु आप उन लोगों का इलाज नहीं कर सकते जो मानोदैहिक परेशानियों से पीड़ित हैं। वर्तमान समय में चिकित्सा समस्या यह है कि वे मनोदैहिक रोगों का उपचार नहीं कर सकते। इसके लिए आपको इतने अधिक वर्ष नहीं लगाने पड़ते, जैसा कि हम MBBS के लिए करते हैं। यह एक बहुत, अत्यधिक लघु पाठ्यक्रम है, यदि आप ऐसा कर सकते हैं। किंतु इसके लिए, सर्वप्रथम आपको दिव्य शक्ति से जुड़ना चाहिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है, यह किंचित मात्र भी कठिन नहीं है, परंतु उसके बाद आपको अपनी आध्यात्मिक योग्यताओं को बनाए रखना होगा। इन में से एक आध्यात्मिक क्षमता है- ‘अबोधिता’ है, पहला चक्र जो आप देख रहे हैं वह अबोधिता है। यदि आप एक अबोध व्यक्ति हैं तो आप ऐसे सभी लोगों का इलाज सरलता से कर सकते हैं जो इस प्रकार की असाध्य बीमारियों से पीड़ित हैं। मैं कहूंगी कि प्रत्येक व्यक्ति को सर्वप्रथम आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, यह महत्वपूर्ण है। जब कुंडलिनी ऊपर उठती है, वह आपके ब्रह्मरंध्र को छेदती है और आप दिव्य शक्ति के साथ जुड़ जाते हैं जो सर्वव्यापी हैं। आपको मेरे ऊपर विश्वास करने की आवश्यकता नहीं है, परंतु आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें। यदि आपके अपना ‘आत्म बोध’ हो जाता है, तो आप सक्षम हो जाएँगें यह समझने के लिए कि आपके रोगी में किस प्रकार का संयोजन है। क्या वह केवल शारीरिक रूप से पीड़ित है, अथवा उसमें बायीं पक्ष का यह मिश्रण है?
उस दिन मैं आश्चर्यचकित थी, एक बच्चा मेरे पास आया, वह ‘दिमागी बुखार’( मैनिंजाएटिस) से पीड़ित था। वह ठीक हो गया और माता–पिता को समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे निरोग हो गया। फिर जब वह लड़का ठीक हो गया , मैंने उससे पूछा, “तुम्हारा मित्र कौन है”? उसने कहा, “ विशेष रूप से यह लड़का , जिसका एक व्यक्तिगत गुरु है।“ “ ठीक है”। “और मैं उसके घर में जाती हूँ और उस गुरु को हर समय देखता रहता हूँ “, क्या आप कल्पना कर सकते हैं? कई ऐसे डॉक्टर भी हैं जो इन कुगुरुओं की लपेट में आ जाते हैं। आपको ज्ञात होना चाहिए, जब तक आप आत्मसाक्षात्कारी नहीं हैं तब तक आप जान नहीं पाते कि कौन सच्चा है और कौन सही है। एक मासूम लड़का ‘दिमागी बुखार’ से पीड़ित था और एक ही रात में वह निरोग हो गया। सहज योग के महान अनुभव को देखकर आप चकित रह जाएंगे और यह एक बहुत बड़ा आश्चर्य होता है, इसीलिए लोग इसे स्वीकार नहीं करते।
परंतु हमारे पास ऐसे कई प्रकरण हैं जिनके द्वारा हम यह सिद्ध कर सकते हैं कि जिन रोगों को असाध्य माना जाता था, ठीक हो जाते हैं । कई लोग, विशेषतः गंभीर रोग, जैसे कैन्सर। मेरा तात्पर्य है कैंसर के लिए चिकित्सा विज्ञान में, वे इस तरह से या उस तरह से (इलाज)करते जाते हैं, जब तक वे आपको पूर्णत्या छील नहीं देते। किंतु सहज योग में ऐसा नहीं है, तुरंत आपको ज्ञात हो जाएगा कि यह आदमी भूत -बाधित है। अब यह विचार धारा चिकित्सा विज्ञान में पूर्णत्या लुप्त है, परंतु हमारे देश में हम सैदेव इस पर विश्वास करते थे। हमारे यहाँ उन लोगों के विषय में निश्चित नियम और अधिनियम हैं जो मर चुके हैं। कैसे व्यवहार करना हैं? श्मशान में कैसे जाएं और यह सब। इन सभी शवों के लिए एक विशेष प्रकार की समझ बूझ है, वे कैसा व्यवहार करते हैं? वे कहां जाते हैं? एवं मेरे विचार में यह आपके ज्ञान का एक बहुत बड़ा हिस्सा है, बहुत बड़ा पक्ष ।
बहुत सारी बीमारियाँ , लाइलाज हैं , आप उनका इलाज नहीं कर सकते, जो अधिकांशतः बाएँ पक्ष से हैं। चिकित्सा विज्ञान दाएँ पक्ष का उपचार कर सकते हैं, मुझे ज्ञात है कि ,कि वे ऐसा कर सकते हैं। परंतु कैंसर, वे एक से दूसरे उपचार को स्थगित करते रहेंगे ,वे ऑपरेशन करेंगे, फिर यह फैल जाएगा, फिर यह और वह। ऑपरेशन करना इसका इलाज नहीं है, यह नहीं है। यदि आप सहज योग में विशेषज्ञ हैं, तो आपको ऑपरेशन कराने की आवश्यकता नहीं है। रात भर में आप इलाज कर सकते हैं,एक रात भर में आप कैंसर के रोगी का इलाज कर सकते हैं, मेरा विश्वास करें। आप ऐसा करने में काफी सक्षम हैं। विशेष रूप से भारतीय, क्योंकि भारतियों में विशिष्ट योग्यता है। मुझे कहना चाहिए कि इस देश को ऐसा विशेष आशीर्वाद दिया गया है। हम इस देश को नहीं जानते कि यह कितना महान है, किंतु हम केवल पश्चिमी शिक्षा से समझौता कर रहे हैं, ये पश्चिमी लोग अपने प्रयोगों में कहां पहुंचे हैं, मुझे अभी भी समझ में नहीं आता। उनके बच्चे मादक पदार्थ का सेवन कर रहे हैं, उनके परिवार परेशान हैं, सब कुछ इतना अस्त–व्यस्त है। ऐसा नहीं है कि मैं इस शिक्षा को दोष देती हूँ, बिल्कुल भी नहीं । परंतु यह पूर्ण नहीं है, और आपको इसके दूसरे पक्ष का भी ज्ञान होना चाहिए ।
अन्यथा आप के यहाँ, कैंसर अस्पताल न हो। केवल भौतिक चीजें ही हों जिनके द्वारा आप इससे कार्यन्वित करेंगे, परंतु यदि आप सभी प्रकार के रोगियों को रखना चाहते हैं, तो आपको दूसरे पक्ष को भी जानना चाहिए। भयभीत होने की कोई बात नहीं है, परेशान होने की कोई बात नहीं है, परंतु यह एक ज्ञान है जो आपको एक डॉक्टर होने के नाते होना चाहिए, क्योंकि मेरे विचार में चिकित्सा विज्ञान अभी भी पूर्ण नहीं है जैसा कि डॉक्टर अग्रवाल ने स्वयं यह कहा है। परंतु इसमें क्या कमी है, लेफ्ट साइड का ज्ञान जो हमारे पास है। अब यदि मैं कहूँ कि मैंने इसे किसी भी पुस्तक में नहीं पढ़ा, मुझे यह ज्ञान किसी पुस्तक से प्राप्त नहीं , परंतु केवल जब मैं सहज योग में, लोगों के साथ, काम कर रही थी, मैंने पाया कि भारत देश की तुलना में पश्चिमी लोग बाएँ पक्ष से कहीं अधिक प्रभावित हैं, कहीं अधिक और वे समझ नहीं पाते कि वे कैसे बीमार हुए, उनके साथ क्या घटित हुआ है। यहां तक कि यदि आप मानव कल्याण के उपचार का एक बहुत ही सीमित क्षेत्र लेते हैं तो एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बायें पक्ष से होता है। मान लीजिए कि एक महिला जो हर समय रोती बिलखती और दुखी रहती है, उसे कैंसर रोग हो सकता है।
अब दो प्रकार होते हैं, एक दायेँ पक्ष के रोग, दूसरा निश्चित रूप से बायेँ पक्ष के होते हैं। दायीं पक्षिए लोगों में, जो अत्यंत, मुझे कहना चाहिए, आक्रामक, अत्यंत प्रबल, नियंत्रित करने वाले, निश्चित रूप से उनका लीवर बिगड़ा हुआ होता है, मुझे कहना होगा। उनका लिवर बहुत ख़राब होता है और जब वे ऐसे हो जाते हैं वे सारी सीमाएं पार कर लेते हैं और जब वे सारी सीमाएं पार करते हैं तो उन्हें ऐसी बीमारियां होती हैं जिनका आप पता नहीं लगा सकते, आप इलाज नहीं कर सकते।
उनमें से एक लीवर की बीमारी है, मुझे लगता है कि डॉक्टर लीवर का इलाज नहीं कर सकते। वे चाहे प्रयास करते हैं परंतु लीवर का इलाज नहीं कर सकते जैसा सहज योग इलाज कर सकता है। और ऐसा व्यक्ति जिसका स्वभाव, वह इतना गर्म स्वभाव का होता है और वह इतना आक्रामक होता है और यह और वह, वह उस भयानक लीवर से पीड़ित होता है और उस में सभी प्रकार की उलझनें विकसित होती है। दाएँ पक्ष में अन्य कई प्रकार की बीमारियां भी होती हैं, कई दूसरी। परंतु मुख्य रूप से मेरे विचार में लीवर का रोग है। लीवर के साथ जीवित रहते हैं। और यदि आपका लिवर निष्क्रिय हो जाता है तो एलोपैथी में कोई हल नहीं है। हो सकता है थोड़ा बहुत यहाँ और थोड़ा सा वहाँ । परंतु इसके चरमोत्कर्ष पर, लीवर समस्या के साथ कोई व्यक्ति निढाल हो सकता है, कोई मर भी सकता है। पश्चिम देशों में लिवर की समस्या बहुत सामान्य बात है और इसके लिए उनके पास कोई समाधान नहीं है। वे इसके साथ जीते रहते हैं और डॉक्टर बस उन्हें अस्पताल में भर्ती कर देते हैं ।
ये असाध्य रोग नहीं हैं, ये पूर्णत्या ठीक हो सकते हैं। क्योंकि हमारे पास वह ज्ञान नहीं है और इसीलिए हम उन्हे असाध्य रोग कहते हैं। नहीं, वे नहीं हैं। मैं अन्य बीमारियों को दोष नहीं देना चाहती, परंतु उनमें से कई ऐसी हैं, जिनका निदान भी नहीं किया जा सकता और जिन्हें चिकित्सा विज्ञान द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता। जिसे हमें सर्वप्रथम स्वीकार कर लेना चाहिए, कि यही स्थिति है। हम कुछ भी करने की प्रयास करते जाते हैं, परंतु हम इलाज नहीं कर सकते। कई प्रकार की दवाइयाँ निकाली जाएंगी, हम इलाज नहीं कर सकते। क्योंकि जो मैं आपको बताने का प्रयास कर रही हूं वह केवल आपका आधा पक्ष बताया गया हैं। उसमें से भी कई चीजें वहाँ नहीं होती। उदाहरण के लिए अस्थमा रोग को लें, अस्थमा का उपचार डॉक्टर द्वारा नहीं हो सकता , यह एक सच है परंतु सहज योग अस्थमा रोग को पूर्णत्या ठीक कर सकता है। एलर्जी को भी हम ठीक कर सकते हैं। क्योंकि यदि आपके पास सभी कठिनाईयों के मूल का संज्ञान है, यदि आप मूलतत्वों के बारे में जानते हैं, दवाइयाँ नहीं और यह सब नहीं, परंतु वास्तविक मूलभूत कारण तब आप परिस्थिति को संभाल सकते हैं और आप इलाज कर सकते हैं । हमारे पास अभी तक एक कॉलेज या ऐसा कुछ नहीं मिला है, सहज योग में नहीं हैं। मेरी इच्छा है हम कर पाते। परंतु अस्पताल हमारे यहाँ हैं। बेलापुर में हमारा एक अस्पताल है, वे इसे ‘न्यू बॉम्बे’ कहते हैं, जहां वे लोगों का उपचार कर रहे हैं। उन्हें केवल अपने रहने के लिए भुगतान करना पड़ता है और यह बहुत कम, मेरे विचार में गरीब लोगों के लिए प्रति दिन 300 रुपये प्रतिदिन हैं। किंतु आपको किसी दवा की आवश्यकता नहीं होती है, आपको किसी भी अन्य चीज के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है। हमारे देश के लिए जो इतना गरीब है, क्या आप ऐसा नहीं सोचते है, यह बहुत महत्वपूर्ण है? अन्यथा, आप एक्स–रे के लिए जाते हैं, फिर आप दूसरे परीक्षण के लिए जाते हैं, फिर एक अन्य टेस्ट के लिए और इसमें कुछ भी नहीं निकलता है। आपको केवल यह पता होना चाहिए कि इसके साथ कैसे निपटना है। अब मान लीजिए कि किसी का टांग टूट गयी है, बस समाप्त! उसकी टांग काट दो, दूसरी टांग लगा दो। कोई आवश्यकता नहीं है, मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कोई आवश्यकता नहीं है। अब हमारे यहाँ सहज योग में कुछ डॉक्टर हैं, बहुत योग्य हैं। इनमें से कुछ अमेरिका देश में हैं, उनमें से कुछ इटली देश में हैं और कुछ रूस देश में हैं। रूसी डॉक्टर बहुत अच्छे हैं। मैं नहीं जानती कि वे कैसे यह सोचते हैं इस शिक्षा से परे भी कुछ है और वे इसे सीखने का प्रयास कर रहे हैं। यदि आप कोई सुविधा बना सकते हैं, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी परंतु चाहे जो कुछ भी हो, मैं आपके देश में ,विशेष रूप से दिल्ली में, ग्रेटर नोएडा में एक सहज योग अस्पताल शुरू करने के बारे में सोच रही हूं और यदि आप में से कुछ डॉक्टर हमारे साथ जुड़ जाएँ वे हमारी बहुत अधिक सहायता कर सकते हैं।
ग्रेटर नोएडा में मैं एक कॉलेज शुरू करने के बारे में सोच रही हूं या हम इसे एक स्कूल कह सकते हैं जहां हमें छात्रों के साथ–साथ डॉक्टर भी मिलेंगे जो लोगों का इलाज कर सकते हैं। और यहाँ पर इलाज के लिए कोई शुल्क नहीं होगा। निसंदेह, जहां वे ठहरते हैं, यदि वे आते है और वहां ठहरते हैं तो उन्हें अपने भोजन के लिए भुगतान करना पड सकता है, बस यहीं। अन्यथा, यह एक ऐसी व्यवस्था है जो मैं कर रही हूँ और जो कोई भी डॉक्टर के रूप में कार्यभार ग्रहण करना चाहता है, हम उनकी सेवाओं को भी स्वीकार करना चाहेंगे। कितना वेतन होगा मैं नहीं जानती, किन्तु अधिक नहीं, मैं यह कहूंगी, हम एक डॉक्टर को लगभग 6000 से 7000 रूपये प्रति माह वेतन देंगे। किन्तु उसे एक सहज योगी अवश्य होना होगा और उसे सहज योग की विधि का ज्ञान अवश्य होनी चाहिए। मेरे विचार में, यह अत्यंत उदारता की भावना है कि हमारे देश में इतने अधिक लोग मर जाते हैं क्योंकि वे अस्पताल में नहीं जा सकते, उनका इलाज नहीं हो सकता।
यदि आप मेरे इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ समय दे सकते हैं, मुझे विश्वास है, मैं उन लोगों के लिए एक अच्छे अस्पताल का आयोजन करने में सक्षम हो जाऊंगी। उसमें हमारे पास दैहिक रोगियों के साथ साथ मनोदैहिक रोगी भी होंगे, सभी प्रकार के रोगी हमारे यहाँ होंगे। और आप इतना अधिक सीखेंगे क्योंकि यह एक बहुत ही सूक्ष्म और गहरा ज्ञान है। बस इसे पुस्तक में नहीं सीख सकते, रोगी के साथ आपको प्रयोग अवश्य करना होगा। आप चकित हो जाएंगे, कैसे आप लोगों को ठीक कर रहें हैं। यह एक पुस्तकीय ज्ञान नहीं है, यह एक बहुत, बहुत व्यावहारिक ज्ञान है और वे लोग जिनमें धर्मार्थ स्वभाव होता है ,बहुत अच्छी तरह से कर सकते है और बहुत कुछ सीखते हैं।
एक बात मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए ‘सहज योग’ की एक बुरी बात यह भी है कि आप सहज योग से पैसा नहीं बना सकते, आप नहीं कर सकते। यदि आप इससे पैसा बनाने का प्रयास करते हैं, आप असफल हो जाते हैं। कुछ या अन्य ,यह आर्थिक व्यवसाय सहज योगियों के लिए थोड़ा उच्चतर है, वे इसका संचालन नहीं कर सकते। परंतु आप सेवा दे सकते हैं। अब हमारे यहाँ इस बेलापुर अस्पताल में एक बहुत अच्छे, सेवानिवृत्त डॉक्टर थे, और उन्होने बहुत अच्छा कार्य किया, अब वे जीवित नहीं हैं। उन्होंने बहुत मेहनत की परंतु अब उनकी पुत्रवधू इसकी देखभाल कर रही है। यदि आप चाहते हैं, यदि आप सेवानिवृत्त लोग हैं, यदि आपको पैसे, बहुत पैसे की जरूरत नहीं है, यह एक बहुत अच्छी चीज़ है । इसके अतिरिक्त, हम एक, प्रदान करते हैं, कहें, एक निवास स्थल, भोजन सब कुछ, प्रबंधित किया जा सकता है, यह इतना कठिन नहीं है, परंतु यह एक बहुत धन उन्मुख चीज़ नहीं है। मुझे कहना चाहिए क्योंकि जब मैं मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी, अब मेडिकल लाइन बहुत पैसा उन्मुख चीज़ हो गई है, मैं हैरान हूं। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है, परंतु वे बहुत अधिक धन उन्मुख बन गए हैं और आपके कुछ डॉक्टर अमेरिका चले गए हैं और लोगों को इतना अधिक मूर्ख बनाया है और इतना पैसा बनाया है कि आपको भारतीय होने में शर्म महसूस होती है, यह ऐसा ही है।
आप अधिक पैसा नहीं बना सकते परंतु सेवानिवृत्त लोग, आप हमारे साथ जुड़ सकते हैं और हमारी सहायता कर सकते हैं और आपमें से कुछ लोग सहज योग सीखने के लिए आ सकते हैं। कह सकते है मुश्किल से एक महीने भर में आप विशेषज्ञ बन जाएँगें आप किसी का निदान बिना किसी देरी के कर सकते हैं। आपको किसी प्रयोगशाला में जाने या कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है, तुरंत आप जान जाएगें कि क्या परेशानी है। और हर प्रकार के असाध्य रोगों के लिए प्रयास कर सकते हैं। मैं स्वयं आश्चर्यचकित हूं कि यह लोगों के साथ कैसे काम कर रहा है। अब ये सभी पुरस्कार और वह सब जो उन्होंने मुझे दिए हैं क्योंकि मैंने लोगों को स्वस्थ किया है और ऐसा किया है परंतु मेरे पास वहां कोई अस्पताल नहीं है। पहला अस्पताल मैं दिल्ली में बनाना चाहती हूं और यहां मैं
इसे कार्यान्वित करना चाहती हूं। हमें इसे स्वयं कार्यान्वित करने के बारे में सोचना चाहिए। यह एक धर्मार्थ अस्पताल है और यह बहुत व्यावहारिक है, मेरे पास पहले से ही इसे बनाने के लिए पैसा है, परंतु केवल एक चीज की मुझे आवश्यकता है कुछ डॉक्टरों की जो मेरी सहायता कर सकें, एक बहुत ही अद्भुत चीज़ यह सहज योग है, यदि आप इसमें आते हैं तो आप चकित हो जाएंगे कि यह कैसे कार्य करता है। मैं जानती हूं कि हम ऐसे पहले कभी नहीं थे, हम कभी भी परमात्मा से जुड़े हुए नहीं थे। हमने कभी भी परमात्मा की उन ताकतों का इस्तेमाल नहीं किया और एक बार जब आप उन ताकतों का उपयोग करना आरम्भ कर देते हैं तो आप स्वयं अपने पर चकित होंगे। ऐसा कहा जाता है कि आपको खोजना चाहिए कि आप कौन हैं, यह तब तक संभव नहीं है जब तक कि आप अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त नहीं करते। आज हमारे देश में हमें आत्म–साक्षात्कारी लोगों की जरूरत है सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। सभी प्रकार का ,मुझे कहना चाहिए, लड़ाई झगड़ा संघर्ष चल रहा है। क्योंकि आप एक सामूहिक व्यक्ति बन जाते हैं, आप एक सामूहिक स्वभाव के व्यक्ति बन जाते हैं, अब और अधिक लड़ाई नहीं, इस की और अधिक आवश्यकता नहीं है। मेरे यहाँ कई मुस्लिम देश हैं जिन्हे आत्म साक्षात्कार प्राप्त हुआ है, तुर्की, बेनिन, एक और अन्य ‘आइवरी कोस्ट’के नाम से जाना जाता है। उस ओर वहाँ पर सात देश हैं, वे सभी मुस्लिम परिवर्तित हैं, या अपितु सहज योग में परिवर्तित हो गए हैं। इसमें सभी धर्मों, मानवीय योग्यताओं की समझ, मानव व्यक्तित्व एवं सम्मान का एकीकरण हो जाताहै।
मेरा मतलब है कि यह एक बहुत अलग वातावरण है जो आपको मिलता है, यह चेतना का एक बहुत भिन्न स्तर है, जैसा कि आप कह रहे थे, जहां आप इतने शांतिपूर्ण, मौन, फिर भी इतने माधूर्यपूर्ण बन जाते हैं। अतः, मैं नहीं जानती कि इस छोटे से भाषण में मैं आपको सहज योग के बारे में कितना बता सकती हूं, परंतु यह एक बहुत ही चमत्कार पूर्ण चीज है। और कृपया अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने का प्रयास करें, उसने मुझसे कह, मेरे विचार में, मैं प्रयत्न करूंगी यदि मैं ऐसा कर पाऊँ ।
एक छोटी सी बात है; आपको अपने जूते निकालने होंगे। इंग्लैंड में पहली बार मैंने उन्हें जूते निकालने को कहा,वे वहाँ से उठकर चले गए। अंग्रेजलोग अपने जूतों के बिना नहीं रह सकते मेरे विचार में। कृपया अपने जूते उतार दें। जो पाना नहीं चाहते, वे जा सकते हैं। किसी पर कोई जबरदस्ती नहीं है। सबसे पहले, अपने आप पर विश्वास रखें कि आप आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं। कृपया दोनों पैर नीचे धरती पर रखें। क्या आप दोनों हाथ मेरी ओर इस तरह रख सकते हैं? और अब कृपया अपनी आँखें बंद कर लें, कृपया करें। कुंडलिनी के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते हो, परंतु अब आपको ज्ञात हो जाएगा कि वह क्या है।
कृपया अपने तालु भाग पर दाहिना हाथ रखें, जो आपके बचपन में एक नरम हड्डी थी, कृपया करें। सिर को मत छुए, सिर से दूर। अब, कृपया अपने बाएं हाथ को अपने सिर के ऊपर रखें, फिर से दाहिना हाथ। अब देखें कि क्या ब्रह्मरंध से ठंडी हवा आ रही है, गर्म भी हो सकती है। सिर्फ देखे क्या वहां ठंडी हवा है, यह गर्म भी हो सकती है जैसा मैंने आपसे बताया था, कोई अंतर नहीं पड़ता। अब बायें हाथ से देखें और दायाँ हाथ मेरी ओर। क्या वहां से ठंडी हवा बाहर आ रही है । कृपया अपना सिर नीचे करें। “हाँ” यहाँ पर कुछ बायीं पक्षीय लोग हैं जो मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए , कुछ हैं, परंतु आप बहुत शीघ्र ही यह जान जाएगें । अब कृपया अपनी आंखें खोलें। दुबारा दोनों हाथ फिर से मेरी ओर रखिए, कृपया करके, इस तरह। अब आपके हाथों में शीतल लहरियों की अनुभूति होगी या गर्म भी हो सकती है। दोनों हाथ। सारे डॉक्टर हो गए पार! वे संत हैं या क्या! बहुत संख्यक को आत्मसाक्षात्कार मिल गया है। परमात्मा आप सभी को अनंत आशीर्वाद दें। परमात्मा आप सभी को अनंत आशीर्वाद दें।
मैं आशा करती हूँ, सहज योग की कुछ पुस्तकें हैं। आप सभी इसे ले सकते हैं और आप स्वयं इसे जान सकते हैं और इस कला में निपुणता ग्रहण कर सकते हैं। यह बहुत अच्छी हैं और बहुत सरल है और आधुनिक समय में यह बहुत जरूरी है। जैसा कि मैंने आपको बताया था निदान के लिए ,आपको कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है। आप मात्र अपनी उंगलियों पर जान जाएगें कौन से चक्र पकड़े हुए हैं। साथ ही साथ आप जान जाओगे, उन्हें कैसे ठीक करना है। यह बहुत सरल है, बहुत आसान।
परमात्मा आप सभी को अनंत आशीर्वाद दें।