Gudi Padwa Puja

(भारत)

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Gudi Padwa Puja Date 13th April 2002: Place Gurgaon: Type Puja

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

हम लोग जो मनाते हैं गुड़ी पड़वा ऐसा भी तिथियां हैं वो मानते हैं। एक तारीख हर एक जगह है, साउथ में भी है। हर ऐसी जरूर है जो सूर्य के रूप से होता है। जगह ये त्यौहार मनाया जाता है। जो सूर्य जब दक्षिणायण से उत्तरायण में आता सम्वत शुरु हुआ है और जो शालीवाहान ने है उस दिन जरूर हम एक त्यौहार मानते भी सम्वत शुरु किया वो सब एक ही दिन हैं। वो सारे देश में वही दिन माना जाता पड़ते हैं। वो आज का ही दिन है और सारे है । अब जो है, चन्द्रमा के हिसाब से, देश में उसको माना जाता है। उसी के ज्योतिष शास्त्र भी हमारे यहाँ चन्द्रमा के हिसाब से सब हमारी तिथियां और सब हिसाब से चलता है। ज्योतिष में भी चन्द्रमा हमारी तारीखें बनायी जाती हैं खास करके की स्थिति देखी जाती है। कहाँ है, क्या है। त्यौहार। और हम लोग चन्द्रमा के कैलेंडर उसी के अनुसार ज्योतिष शास्त्र बनाया पर चलते हैं। विदेशी लोग जो हैं वो सूर्य जाता है। और इसीलिए जो पहले हमारा के कैलेंडर पर चलते हैं इसलिए उनकी कैलेंडर बनाया गया जिसको कि हम लोग तारीख कभी बदलती नहीं है। अपने यहाँ हर एक त्यौहार हमेशा चनद्र की स्थिति पर होता है और इसलिए हमारे पर निर्भर हैं, जिन लोगों को अपनी तिथि यहाँ की तारीख भी बदलती है और का पता नहीं होगा वो समझ नहीं पाएंगे 1 कहते हैं शालीवाहन-शक वो भी सब चन्द्रमा पर बना हुआ है। सारी तिथियां भी चन्द्रमा अलग-अलग दिन वही त्यौहार होता है, कि क्यों अलग-अलग तिथि पे ये त्यौहार इस प्रकार चन्द्रमा का जो है हम लोग आते हैं। बहुत मान करते हैं और उसके अनुसार जो अपनी सब तिथियां मानते हैं। उसका चन्द्रमा का इतना महत्व हम लोगों ने किया वो जो भी हो हमें सोचना चाहिए कि कारण ये है कि चन्द्रमा का असर मनुष्य उसका कारण यह है कि चन्द्रमा से जो पर ज्यादा होता है, सूर्य का नहीं होता और हमारे ऊपर असर आते हैं उसके बारे में चन्द्रमा के साथ जो और ग्रह हैं उनका भी हम सतर्क रहें। चन्द्रमा से सबसे बड़ा असर मनुष्य पर होता है। इसलिए चन्द्रमा को ही हम लोग मानते हैं और उसी के पर आधारित है इसके बारे में बहुत कम अनुसार हम अपने जो भी त्यौहार हैं, जो लोग जानते हैं, और ये जो Left Side हमारे असर ये आता है कि हमारी Left Side उस

अंदर आ गयी है जिसका कि हम लोगों ने चलता है, पर यह बात सही नहीं है। विशेष रूप से जतन किया हुआ है, इस हमको चन्द्रमा की स्थिति जरूर देखनी देश ने माना हुआ है, उसकी वजह यह है चाहिए कि आज क्या स्थिति है कल क्या कि इसके परिणाम हमारे ऊपर मानसिक स्थिति है? आज कौन सा असर आएगा? हैं वो यह बड़ा गहन विषय है जिसके बारे में है, Left Side में जो असर आते मानसिक हैं। बौद्धिक नहीं हैं, मानसिक हैं, जानना चाहिए और अपने देश में इसके उसको हम कंट्रोल नहीं कर सकते। जो ऊपर बड़ा विचार किया जाए। मानसिक तकलीफें हैं उसको हम कंट्रोल नहीं कर सकते। चन्द्रमा के जो असर हैं जाता है वो नववर्ष है इसलिए और चन्द्रमा उसको हम कंट्रोल नहीं कर सकते। इसलिए का आगमन है इसलिए भी आज का दिन चन्द्रमा की तिथि देखी जाती है। जैसे अमावस्या चन्द्रमा की होगी या पूर्णिमा होगी कहते हैं जिसको कि एक लोटे के अन्दर तो गर किसी आदमी में मिर्गी की बीमारी एक पताका लगाके और पताके का डंडा हो या इस तरह की मानसिक तकलीफ हो वो जो लोटा होता है उसमें लगा देते हैं, अब आज के दिन जो इतना माना माना जाता है। इस दिन जो गुड़ी-पड़वा तो बहुत बढ़ जाएगी। उस वक्त में एकदम यह जो लोटा होता है यह Represent दिखाई देगा कि इनको असर आया है करता है कुण्डलिनी को और उसमें समर्पित पूर्णिमा का या इन पर असर आया है अमावस्या का, इसलिए हम लोग इस तरफ जो थे वो देवी भक्त थे और कहा जाता था बहुत संवेदनशील हैं कि चन्द्रमा कहाँ है कि ये देवी को शाल देते थे। पर वो कौन सी तिथि में हैं, इसका Calculation होकर के किया हुआ है। शालीवाहन लोग सातवाहन भी कहलाए जाते थे, शुरु में क्योंकि वो सात चक्रों को मानते थे। इसलिए हमारे यहाँ ग्रहण कब लगेंगे और ग्रहण की उनको, शालीवाहन, बाद में बदल गया, पर हमारे यहाँ इतना बारीक किया हुआ है कि स्थिति क्या रहेगी, वह कब टूटेंगे, इतना है सातवाहन। सातवाहन से अब शालीवाहन ज्यादा हमारे यहाँ उसपर विचार किया गया है और इतना हमारे अंदर उसका बनाते हैं कि गुड़ी खड़ी करेंगे। गुड़ी के ज्ञान है। इससे दिखता है कि अपने देश में माने झंडा, वो प्रतीक रूप और उसके चन्द्रमा के असर का बहुत ख्याल किया ऊपर में-एक जो लोटा होता उसका एक गया है, विचार किया गया है और उसपर आधारित उन्होंने इतनी बातें कही हुई हैं। का द्योतक है । वो कुण्डलिनी के पुजारी अब ऐसा है कि Modern Times में हम थे। कुण्डलिनी को मानते थे। इसलिए लोग आ गए तो सूर्य के ही ऊपर से सब उन्होंने वो चीज़ इस तरह की बनाई है हो गए। पर शालीवाहन का प्रतीक वही Particular Shape होता है वो भी कुण्डलिनी

तक हम लोग अपने देश के बारे में नहीं जानेंगे, हमें उसके प्रति आदर, प्रेम नहीं हो और जो मानता है वो ऐसी गुड़ी अपने घर में खड़ी करता है. एक झंडा लगाता है । इसका कारण वही है कि वो लोग चाहते थे सकता। बहुत बड़ी-बड़ी गहरी चीजें हैं। कि हम इस दिन कुण्डलिनी का स्वागत करते हैं और कुण्डलिनी का विशेष रूप से कह दिया कलियुग है। ये कलियुग क्यों है, प्रदर्शन करते थे। लोगों को पता ही नहीं कैसे आया? इसका क्या मतलब है? ये सब कि ऐसा क्यों करते हैं, करते ही जा रहे हम लोग जानते नहीं हैं, सिर्फ सुन-सुन हैं। कोई चीज़ करते रहते हैं। पर पूछना के बातें करते हैं, पर इसकी बड़ी भारी तो चाहिए कि ऐसा क्यों! यह क्या चीज़ है । कहानी है कलियुग की, परिक्षित राजा के क्योंकि वो सातवाहन थे, सातवाहन को Time की। वो कोई जानता ही नहीं, कोई मानते थे और कुण्डलिनी के रक्षक थे, पढ़ता ही नहीं । सब बेकार की चीजें पढ़ते कुण्डलिनी की पूजा करते थे इसलिए रहते हैं । ज़्यादा से ज्यादा कभी हो तो उन्होंने इस तरह से अपना नववर्ष शुरु रामायण पढ़ लेंगे पर इसके पीछे में जो किया। नववर्ष में उन्होंने ये द्योतक मतलब संदेश है या इसके पीछे में जो शास्त्र है, ऐसा मनाया कि एक लोटा हो और उसके उसके बारे में कोई जानता नहीं। नीचे ये झंडा, ये गुड़ी लगाई जाए। यहाँ इस चीज़ को इतना मानते नहीं और कोई जानें, हमारे देश की जो सभ्यता है वो जानता भी नहीं है। पर सम्वत सर भी जो कहाँ से आयी और किस तरह से हम इस छपता है या विक्रम, वो भी आज ही से स्थिति में पहुँचे, ये जानना चाहिए, क्योंकि शुरु हुआ है। हो सकता है दोनों के साल उसको जाने बगैर हमारे अंदर यही परदेसी अलग हों पर दिन यही है। ये भी इसी दिमाग आ जाएगा और उससे अहंकार अमावस्या को मानते हैं और वो भी इसी और ये सब चीजें आ जाएंगी। बेहतर है अमावस्या को मानते हैं। तो इस तरह से कि समझ लें कि हमारे अंदर जो ये चीजें ये जो गुड़ी पाडवा है, ये जो चीज़ है ये हैं वो कहाँ से आयी हैं उसका क्या महात्म्य दोनों में माना जाता है। अमावस्या नहीं है। ये हम क्यों करते हैं? बस यूं अपना होती, प्रथमा जिसको कहते हैं पहला दिन, करते हैं सब लोग, तो हम भी करते हैं। ये वो है आज, इसीलिए आज चन्द्रमा वगैरह बात ठीक नहीं, उसको समझ लेना चाहिए। पर वो गहरी चीजें हम जानते ही नहीं । 1 तो हम सहजयोगियों को चाहिए कि हम कुछ नहीं। आज आकाश में, पूरा अंधेरा यही मैं चाहती हूँ कि सब सहजयोगी इसको है। पर हम लोगों को जानना चाहिए कि समझ लें, जान लें। ग़र हमारे पास Time हमारे देश के अंदर ये क्यों होता है और होता तो हम सब लिख देते पर हमारे पास उसके अंदर उसकी क्या विशेषता है। जब Time नहीं है। आप लोग इसको पढ़ सकते

हैं और जान सकते हैं। अपने यहाँ सारी क्योंकि विदेशी भाषा जो है या विदेशी जो किताबें हैं। हिन्दुस्तान में हिन्दी भाषा में कुछ भी ज्ञान है वो बहुत ही ज्यादा इतनी किताबें हैं, कोई ये किताबें पढ़ता ही नहीं। सारी दिल्ली में ही मिलती हैं। मैंने कोशिश करें कि आपके यहाँ सस्ता साहित्य तो दिल्ली में ही खरीदीं थी। तो इनके बारे है, मैंने वहीं से बहुत सी किताबें खरीदीं, में जानना चाहिए, जो पौराणिक है जो कहने को पौराण हैं लेकिन उसमें बहुत सी किताबें लाई थी, बहुत सस्ती मिलती हैं । फायदे की बातें हैं जो समझ लेने से हम समझ सकते हैं कि भारतवर्ष के नींव में के लिए । फालतू चीजें हम पढ़ते रहते हैं, क्या चीज़ है। हम लोग हिन्दुस्तानी क्यों फालतू सिनेमा देखते रहते हैं, फालतू News सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं? मतलब सामाजिक पढ़ते रहते हैं, पर जो हमारा अध्ययन होना Supericial कहलाती है। इसलिए आप लोग सुन्दर है दुकान, उसी दुकान से बहुत सी पैसा नहीं लगता । पर Time चाहिए पढ़ने रूप से न हों पर सांस्कृतिक रूप से हम लोग बहुत दूसरा होना चाहिए जो हमारे पास बहुत सालों से ये कि धर्म में कैसी स्थापना करना चाहिए, आयी है। आज का दिन बड़ा शुभ है। वैसे, धर्म क्या है बहुत कुछ गहरी बातें लिखी मेरी इतनी तबीयत अच्छी नहीं थी पर मैंने हुई हैं। मैं चाहती हैँ कि आप लोग कुछ कहा कि ऐसे शुभ अवसर पे क्या करें, इसका अध्ययन करें, पढ़े तो एक नई पूजा में तो जाना ही है। दिशा आप लोगों को मिल सकती है । चाहिए वो बहुत गहन और ऐसी चीजों पे श्रेष्ठ माने जाते हैं । और अनंत आशीर्वाद