Guru Puja: The Advice

Campus, Cabella Ligure (Italy)

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गुरु पूजा , कबेला , इटली – २१ जुलाई ,२००२

तालिओं की जोरदार गड़गड़ाहट…

भारत में वो सब मानसून की राह देख रहे थे, और वो बहुत परेशान थे क्योंकि बारिश नहीं आयी | तो मै बरसात को बंधन दे रही थी, और वो यहां आ गई(तालियां बजने लगी और माँ हंसने लगी)|  और अब टेलीविजन पर बताया है, की भारत में भी बरसात होने वाली है | पर पहले इटली में ! (हँसी)

मुझे बताया गया था की इटली में आपको बरसात  की बहुत आवश्यकता थी| और पहली बरसात जो आपने पाई कुछ दिन पहले और अब ये दूसरी बरसात है| क्योंकि हमारे किसानों की परेशानियों की समझ यहाँ है|  और जो बरसात है, आप देखे, इतनी दयालू है, की वो सही समय पर बरसती है| मै आश्चर्यचकित हूँ उसकी तुरंत गतिविधि पर और उसकी आज्ञाकारिता पर| 

आज का दिन बहुत बड़ा है, हम सभी के लिए क्योंकि हम गुरु पूजा मना रहे है|और सभी बड़े गुरुओं को याद कर रहे है, जो इस धरती पर आये संसार को सत्य के बारे में सिखाने के लिए | बहुत सारे थे ऐसे संत| और उन्होंने पूरी तरह से प्रयत्न किया मानव जाति को समझाने का, की अध्यात्म क्या है | पर यह ऐसी विषमता है की लोग कभी नहीं समझ पाए की अध्यात्म सबसे महत्वपूर्ण है जिसकी हमें ज़रूरत है| की हमे देवी शक्ति से एकरूप होना चाहिए| उनका सब परिश्रम गलत दिशा में था | पहले वो निश्चित ही बहुत होशियार थे, जानवरों से ज्यादा, और ढूंढ़ने लगे, सत्य को नहीं, पर किसी प्रकार के आत्म मोक्ष मुझे कहना चाहिए, या मुझे नहीं पता क्या कहना चाहिए | कहो आत्मा उन्नति| और उसमे वो भूल गए की उन्हें पहले अध्यात्म ढूंढ़ना चाहि, जो सबसे महत्वपूर्ण है|  

पर हमारी दो प्रकार की यात्रा थी | एक बाई ओर की और एक दाई ओर की | भारत में मुझे नहीं पता क्यों, बहुत से लोग थे , जो जंगल में गए और संत बने पर वो लोग दाई बाजु की तपस्या कर रहे थे | याने पाँच तत्वों में जाना एक के बाद एक| और पाँच तत्वों पर जीत हासिल करते थे | निश्चित ही उसमे सच्चाई थी | निसंदेह | आपने देखा है किस तरह  एक मोमबत्ती (तालिओं की गड़गड़ाहट और माँ की मुस्कुराहट).. 

कैसे एक मोमबत्ती आपको बताती है की आपके अंदर की स्थिति क्या है | क्या आप किसी के अधीन है या नहीं | एक मोमबत्ती आपको बता सकती है | क्या आप सोच सकते है ? मोमबत्ती इतनी ज्ञानी है | मानो आपको ह्रदय की पीड़ा है, तो मोमबत्ती दिखाएगी | और अगर आप खुदका मोमबत्ती से इलाज करते है, आप खुदको ठीक कर सकते है | तो यह इतना संवेदनशील है की न केवल ये ठीक कर सकता है, पर ये दिखता है की आप बीमार है, और आपको तकलीफ है और ये आपको ठीक भी कर सकता है | 

इसलिए भारत में अग्नि को पूजा जाता था | उसे पहले पूजा जाता था | उन्होंने खोज की होगी की अग्नि सब जानती है | अंदरूनी जागरूकता इन सभी तत्वों की, उन्हें इसके बारे में पता था और इसलिए वो इन तत्वों को  पूजते थे | तो पूजा के पहले वो बुलाते थे सब देवताओं को जो इन तत्वों से संबंधित है, उनकी पूजा देखने के लिए | पर वह दाई और के आंदोलन में बदल गया | 

बिना बाई बाजू के, दाई बाजु बहुत खतरनाक है | यदि आपके पास दाई बाजु नहीं है तो निश्चित ही यह खतरनाक है | पर पहले आपको अपनी बाई बाजू का विकास करना चाहिए | शुरुआत में यही सहज योग में था, बाई बाजू में दया, प्रेम, विश्वव्यापी भावना | यह देवी का आशीर्वाद है, जिसका वर्णन किया है, जो आप जानते है देवी महात्म्य में, की देवी वास करती है आपके अंदर बहुत से रूप में| वो आपके अंदर  रहती है निद्रा के रूप में, वो आपके अंदर रहती है श्रद्धा के रूप में | वो आपके अंदर रहती है भ्रान्ति के रूप में | सभी प्रकार की चीजें है बाईं तरफ जो पहले ही वर्णित की है | और जब आपको मैंने सहज योग के बारे में बताया, मै आपकी बाई बाजू बहुत मजबूत बनाना चाहती थी| वो लोग जो दाई ओर गए, बहुत आक्रामक बन गए, और उन्होंने महारत हासिल की पाँच तत्वों के सार पर | वो ठीक है| पर वो बहुत ज़्यादा क्रोधी थे| इतने ज़्यादा की वो लोगों को श्राप  देते थे| वो ऐसी बातें कहते थे जो बहुत बुरे थे| और वो सार्वभौमिकता में विश्वास नहीं करते थे | वो इतना खतरनाक था जो उन्होंने अपनाया | भारत के शास्त्रों में 

आप बहुत सी घटनाएं देख सकते है जहाँ लोगों ने श्राप दिया, बहुत आम था | ये सब गुरु किसी व्यक्ति को श्राप देते थे क्योंकि उन्हें कोई दया नहीं थी, प्रेम नहीं था, कुछ नहीं पर उनके पास दाई बाजू की शक्तियाँ थी| पर हमने देखा है अब जिन लोगों के पास दाई बाजू  होती है, जो केवल दाई ओर जाते है, बिना भक्ति के, बिना परमात्मा के आशीर्वाद के, वो राक्षस बन सकते है वास्तविकता में| वो मानवता पर बहुत बड़ा खतरा खतरा हो सकते है|

यह बहुत गंभीर बात है| आपके बुद्धिमत्ता से, आपके विचार की शक्ति से, आपका अहंकार किसी भी सीमा तक जा सकता है और आपके अंदर समस्या खड़ी कर सकता है| अब इस समस्या का परम है, हमने देखा है की बहुत सी बीमारियां, जो पूर्ण तरह से लाइलाज है | कुछ लोग दाई ओर के, उन्हें एक प्रकार का कैंसर हो सकता है जिसे ब्लड कैंसर कहते है | और यह कैंसर हमने ठीक कर दिया है| 

पर यदि वह ठीक भी हो जाता है, तो आप फिर से उस प्रकार की आक्रामकता में चले जाते है, यह सोच कर की आप बिलकुल सही है |ऐसे लोग हमेशा दूसरों में खामियाँ ढूँढ़ते है, उनके खुद के अंदर नहीं| उनका चित्त बहार रहता है, उनके खुद के अंदर नहीं| वो  कभी नहीं देखते की उनके उनके खुद में क्या गलत है| पर वो हमेशा देखते है की दूसरों में  क्या खामी है| ऐसा करने से आप देखे, वो सीढ़ी चढ़ रहे है भयावह दाई बाजू की जो आपको भयावह बीमारियां दे सकती है| जैसा मैंने बताया, पहला ब्लड कैंसर है | 

यदि आप ब्लड कैंसर से  बच गए, तो आप दूसरी परेशानियों में फंस सकते है| आजकल बहुत विख्यात बीमारी है अल्ज़ाइमर्स| यह भी दाई ओर की है | क्योंकि यदि आपके अंदर भक्ति नहीं है, विनम्रता या दीनता नहीं है, देवी का आशीर्वाद नहीं है, तो आप ऐसे सब भयावह बिमारियों को न्योता दे सकते है जो की न सिर्फ जानलेवा है पर दूसरों के लिए भी हानिकारक है|

तो दाई बाजू वाले होने से, आप उन्नति नहीं करते| आप बड़े सन्यासी हो सकते है, जो दूसरों को श्राप दे सकते है, जो उन्हें मुसीबत में डाल सकता है | वो सोचते है की ये बड़ी शक्ति है, पर ऐसा नहीं है | ऐसा बिलकुल नहीं है | क्योंकि हालाँकि आप दूसरी नकारात्मक शक्तियों से नहीं दबते, पर आपकी खुदकी शक्तियाँ आपका जीवन ले लेती है| 

तो कुण्डलिनी, जब वह उठ गई है, तो सबसे अच्छा है कि, बाई ओर जाना | दूसरों की बुराई नहीं करना, दूसरों के बारे में ख़राब नहीं बोलना| पर  आपके ही अंदर देखना क्या गलत है | पता करो आपके साथ क्या परेशानी है | पहला ये शुरू होता है खुद के महत्व से, की मै बहुत महत्वपूर्ण इंसान हूँ | और इस स्वयं की महत्ता से आप सबको परेशान करने लगते है, और सबको प्रताड़ित करने लगते है | पर आपकी दाई ओर की हलचल से, आप बहुत सफल होते है | हिटलर उसका चरम था | और इस प्रकार लोग बहुत बहुत ख़राब चीज़ों को लेने लगे | 

आजकल मुझे लगता है कि कुछ लोग सब दूर राज कर रहे है उनकी दाई बाजु से | हमारे पास लोग नहीं है जो उनकी बाई बाजु इस्तेमाल कर रहे है | और जब भी वो उनकी बाई बाजू इस्तेमाल करते, उन्हें संत कहा जाता है | अब आप सबके पास शक्तियाँ है बाई बाजू की | आप में से कुछ लोगों के पास थोड़ी दाई बाजू भी है | कुछ फर्क नहीं पड़ता | अब मै कहूंगी की आपने आपकी बाई बाजू की प्रवीणता हासिल कर ली है, कुण्डलिनी जागृत है, आप परम से एक हो | अब आप दाई ओर आ सकते है, दाई बाजू  के बारे में जान सकते है और अपनी दाई बाजू को व्यक्त कर सकते है | आप उसे व्यक्त कर सकते है , पर दूसरों के ऊपर हावी होकर नहीं पर खुद पर हावी होकर | आत्मा परीक्षण से | समझकर की आपके अंदर क्या गलत है | आप ऐसा बर्ताव क्यों करते है ? आप दूसरों को क्यों परेशान करते है ? आप दूसरों पर क्यों  हावी होते है? ऐसे लोग हमेशा, मैंने देखा है, आयोजन करते है, व्यवस्था करते है और ये करते है, और वो करते है| खुद को व्यवस्थित करने की जगह, वो दूसरों को व्यवस्थित करते है| ये बातें उलझाती है| 

पर यदि आपके पास प्रेम है, और आपके पास भक्ति है, तो आप बहुत आसानी से दूसरों पर प्रभुत्व कर सकते है बहुत अलग तरीके से| आप दुष्टता से नहीं, या दूसरों को दबाकर नहीं प्रभुत्व हासिल करते, पर आप अपने प्रेम से प्रभुत्व हासिल करते है| और आप दूसरों को दबाना नहीं चाहते पर आसानी से लोग झुक जाते है, प्रेम पर और उदारता पर|  तो ये सब गुण आपको विकसित करना चाहिए अपने अंदर| यह बाई बाजू है, की आपने बहुत शांतिदायक होना चाहिए, आपने दूसरों को प्रेम देना चाहिए | आपको उदार होना चाहिए, आपको दयालु होना चाहिए, और देखे की उससे कितना लाभ होता है| मैंने कुछ लोग देखे है जो बहुत ज़्यादा अशिष्ट या असभ्य होते है | वो किसी के लिए भी असभ्य हो सकते है |  वो उनका स्वभाव होता है | जिस पर उन्हें विजय प्राप्त करना चाहिए उनकी बाई बाजू से | अशिष्ट/असभ्य होना संतों की निशानी नहीं है | एक संत बहुत शांतिपूर्ण होता है, और कभी भी दूसरों से असभ्यता से नहीं रहता | 

तो आत्मपरीक्षण होना चाहिए सबसे पहले | हम कहाँ गलत है, हम क्या गलत कर रहें है ? हमारा तरीका क्या है ? एक बार अगर आप पता लगा ले की आपका तरीका पहले ही बाईं ओर का है, तो आपको दाई ओर जाना चाहिए और दाई बाजू की शक्ति ग्रहण करना चाहिए | अब दाईं ओर की शक्तियां क्या है जो हासिल की जाती है, बाई और की सिद्धि से ? हमारे यहाँ कई महान गुरु है इस पथ पर | उनमे से एक राजा जनक है | वो एक देश के राजा थे | वो एक बहुत जाने माने शासक थे | पर फिर भी हालाँकि वो बहुत उदार थे और अच्छे थे पर उसी के साथ वो बहुत बड़े राजा थे, उन दिनों के | वो जाने जाते थे  उनके निष्पक्षता के लिए, उनके राजनीतिज्ञता के लिए और सभी अच्छी बातों के लिए जो उन्होंने उनके राज्य के लोगों के लिए की थी| वो थे राजा जनक| वो किसी भी बात से विचलित नहीं होते थे| और लोग कभी समझ नहीं पाए की बड़े बड़े संत उनके आगे झुकते क्यों थे| उनमे इतना क्या महान था | हलाकि वो राजा थे, वो इतने आराम से रहते थे और उनके पास बहुत से गहने और अलंकार थे और आने जाने के साधन थे | पर कुछ भी उनके ऊपर नहीं था | वो इतना निर्लिप्त थे सभी चीजों से | उनके पास सबकुछ था, पर वो बहुत निर्लिप्त थे | वो एक बहुत अच्छा उदहारण थे ऐसे व्यक्ति के जिन्होंने अपनी बाई बाजु में महारत हासिल की और अब जो राजा थे, राजा जनक थे | 

उनके जैसे बहुत से लोग आए बाद में भी, एक के बाद एक, जो बहुत अमीर थे | बहुत बहुत अमीर थे | मुझे कहना चाहिए, राजा के जैसे  शक्तिशाली थे, पर अंदर से वो पूर्णतया दिव्या या ईश्वरीय व्यक्तित्व के थे उन्हें कुछ भी विचलित नहीं करता | कुछ भी उन्हें ज्यादा बड़ा या ज्यादा खुश नहीं महसूस करता | कोई भी पद, कोई भी शक्ति उनके लिए महान नही थी | 

यह पूर्ण मोक्ष है मनुष्यों का की आत्मसाक्षात्कारी आत्माएं | आपको पूर्ण तरह से भरा होना चाहिए प्रेम, समझदारी और दया के साथ | पर उसी के साथ, उसका इज़हार होना चाहिए सही तरीके से | उदाहरण के लिए – हम कहा सकते है क्राइस्ट, वो दूसरा है | हालाँकि वो अवतरण थे, फिर भी इतनी क्षमाशीलता और प्रेम उनमें लोगों के लिए थी, वह बहुत ज्यादा है | पर उसी समय, वो पहाड़ो पर जायां करते थे और आध्यात्मिकता उपदेश देते थे | वो समय बहुत सुरक्षित नहीं था, क्योंकि लोग पसंद नहीं करते थे किसी को भी इस तरह बातें करते हुए | वह उनसे घृणा करते थे क्योंकि वो परमात्मा के बारें में बातें करते थे | और उन्होंने उनके साथ क्या किया, ये आप अच्छे से जानते है | कोई बात नहीं | यद्यपि उन्होंने उनको सूली पर चढ़ा दिया, फिर भी हम उनका आदर करते है एक महँ व्यक्तित्व के रूप में | कारण है कि निसंदेह वो अवतरण थे, पर फिर भी वो बाहर गए, लोगों को अपनी शक्तियाँ देने के लिए, अपनी उपलप्द्धियाँ देने के लिए | वो सभी जगह गए, उनके पास कोई सुविधाएं नहीं थी, फिर भी वो बहुत लोगो तक गए और उन्हें बचाने का प्रयत्न किया | यह दाई और का कार्य था |

इसका मतलब सहज योगी भी दाई बाजू वाले बन सकते है, पर क्राइस्ट की तरह | अन्यथा यदि वो दाई बाजु के है, तो वो आयोजन करेंगे, वो सभी प्रकार की चीज़े करेंगे, और दाई और की परेशानियां पाएंगे | पर एक बार आप पूर्ण रूप से बाई बाजु के मास्टर हो गए सहज योग के, तो इसकी बहुत बहुत आवश्यकता है कि आप पूर्ण रूप से आध्यात्मिक व्यक्तित्व पाएँ, और आप दाई और की हलचन करे | और दाई बाजु की हलचन यानि सामूहिकता |आपको संतुष्ट नहीं होना चाहिए, आपको जो प्राप्त हुआ है उससे | यह बहुत आसान है महसूस करना , “ओह ! अब हमे आत्मसाक्षात्कार मिल गया है, अब क्या है?” हम दुनिया के शिखर पर है!” ऐसा नहीं है | आपको बाहर जाना है और लोगों से बात करनी है| वो आपका अपमान करेंगे, वो आपको परेशान करेंगे, वो सभी प्रकार की बातें करेंगे | पर आप पहले ही आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति है | आप उनकी सुन सकते है, वो क्या कह रहे है | आप अपने लिए कुछ नहीं मांगेंगे पर आप उनके लिए अच्छा करना चाहेंगे| ये भी उदारता है, की आप अपना आत्मसाक्षात्कार सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखना चाहते, पर आप दूसरों के लिए भी करना चाहते है ताकि उन्हें भी आत्मसाक्षात्कार मिले | यह बहुत ज़रूरी है| यदि आप इस प्रकार महसूस नहीं करते, यदि आपको उन लोगों पर दया नहीं आती जिन्हे आत्मसाक्षात्कार नहीं मिला, तो वह समय को याद करो जब आप आत्मसाक्षात्कारी नहीं थे | ये लोग भी आत्मसाक्षात्कारी नहीं है, और वो भी बुरे वक़्त से जा रहे है| वो किसी मुश्किल में पड सकते है| 

तो अब ऐसा नहीं है की आपको आत्म साक्षात्कार मिल गया, तो आप उसके साथ रुक जाये| नहीं, ये तरीका नहीं है| पर आपको बाहर जाना चाहिए, और देखना चाहिए की आप दूसरों को आत्म साक्षात्कार दे, और उन्हें बचाएँ| आप सबको आत्मसाक्षात्कार मिला, केवल आपके लिए नहीं| यह आप तक सीमित नहीं है| पर यह दूसरों के लिए है, की आपको दूसरों को देना होगा| और जैसे ही आप दूसरों को देना प्रारम्भ करते है, तो आप आश्चर्य करेंगे की आपके अंदर के कितने गुण बाहर आ जायेंगे| क्योंकि जब आप दूसरों को देखते है, आपको पता चलता चलता है की उनमे क्या कमी कमी है, उन्हें किसकी जरूरत है, आपको क्या देना है, आपको कैसे देना है | आप कुछ भी बन बन सकते है| आप कवी बन सकते है, आप लेखक बन सकते है, आप कुछ भी बन सकते है| आप दूसरों को देखे तो| फिर वह प्रतिक्रिया बनके बनके आती है आपके अंदर| ये सभी गुण विकसित होते है और आप बहुत अच्छे कलाकार बन जाते है|  यह तभी मुमकिन अगर आप दूसरों  से मिले और उनसे बात करे, सहज योग के बारे में और उन्हें बताएँ आपके आत्मसाक्षात्कार के बारे में| 

मुझे पता है की परेशानियां होंगी| ये सत्य है| लोग होंगे जो आपके खिलाफ जायेंगे, आपके बारे में सभी प्रकार की बातें करेंगे आपके खिलाफ, और वो आपकी गतिविधियां रोकने का प्रयास करेंगे, और सभी प्रकार का नुकसान पहुंचाएंगे, कोई बात नहीं| पर वो आपको प्राप्त करना चाहिए, कि लोगों से मिले, उनसे बात करें, और उन्हें आत्म साक्षात्कार के बारे में बताएं| आपको उन्हें बचाना है| यह महत्वपूर्ण है| पर सबसे पहले आपको पता होना चाहिए की आपकी दाई बाजू की कोई परेशानियां नहीं है|  नहीं तो वो सब भाग जायेंगे| 

एक व्यक्ति जो आध्यात्मिक है , वह बहुत विनम्र होना चाहिए | और क्योंकि वह विनम्र है, तो लोग उसका फायदा उठाएंगे | सभी प्रकार की बातें बोलेंगे | कोई बात नहीं, यह खेल का हिस्सा है | पर वह बुरा नहीं मानता | वो किसी बात का बुरा नहीं मानता | पर महत्वपूर्ण यह है की उसके पास उदारता है | उसकी उदारता जो उसके पास बाई बाजू के कारण है, वह बढ़ गई है| और वह लोगों को बचाना चाहता है| लोग खाना न खाएं, कोई बात नहीं, यह बड़ी परेशानी है| अगर लोग भूख से पीड़ित है, वो दूसरी परेशानी है| पर यदि वो आध्यात्मिक नहीं होते, तो उनके मानव जीवन का क्या उपयोग है? वो इस स्तर तक विकसित क्यों हुए? वो जानवरों के स्तर से विकसित हुए, सबसे बुरी परिस्थितियों से होकर, मनुष्य के स्तर तक| और अब यदि वो आत्मसाक्षात्कार नहीं लेते, उसका मतलब है, ये भूखा मरने से भी बुरा है| सभी प्रकार की बिमारियों से भी खराब है | तो उन्हें जागृति देने का प्रयास क्यों नहीं करना चाहिए? आप उन्हें जागृति क्यों नहीं देते? 

पर पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात, जैसे मैंने कहा की, बाई बाजू में आपको बहुत पक्का होना चाहिए| आपको आत्मसाक्षात्कार देना शुरू नहीं करना चाहिए क्योंकि आपको आपका आत्मसाक्षात्कार मिला है| तो आपको आत्मसाक्षात्कार देना शुरू नहीं करना चाहिए जब तक आप अपनी बाई बाजू मजबूत नहीं कर लेते| ऐसा व्यक्ति बहुत विनम्र होता है, बहुत सीधा होता है| किसी भी बात से क्रोधित नहीं होते या घृणा नहीं करते| किसी भी बात से भुनभुनाते या बड़बड़ाते नहीं है| और खुद को किसी भी परिस्थिति में जमा लेते है| वो किसी पे भी आसक्त नहीं रहते | वो अपने आप निर्लिप्त हो जाते है, उन्हें निर्लिप्त होने की आवश्यकता नहीं होती| आप उस व्यक्ति के लिए कुछ भी करे, आप उस व्यक्ति के लिए कुछ भी लाये, कोई बात नहीं| वो व्यक्ति उसे स्वीकार कर लेगा, निसंदेह, पर बिना आसक्ति के किसी भी वस्तु से| ऐसा निर्लिप्त व्यक्ति होता है जो यह कार्य कर सकता है, सभी प्रकार का प्रचार प्रसार सहज योग का| आज ये विश्व की सबसे बड़ी जरूरत है की हमे ज्यादा से ज्यादा सहजयोगी मिले| अब लोग इतनी शर्म महसूस करते है ऐसा करने के लिए, की यह बहुत आश्चर्यजनक है| पर मैंने देखा है लोगों को जिनमें कोई सच्चाई नहीं, जिनके सभी प्रकार के गलत गुरु है| वो दूसरों के पीछे लगते है, उनके गलत विचार फैलाते है| पर सहज योगी, उन्हें शर्म क्यों आनी चाहिए? मुझे समझ  नहीं आता| 

तो इसके बारे में सबसे बात करो, उन्हें सहज योग में लाओ| यह बहुत महत्वपूर्ण दिन है| क्योंकि गुरुपूजा, वो कहते है की, एक गुरु आपको कुछ नहीं दे सकता| पर मै आपको परामर्श दे सकती हूँ, की आप अपना ह्रदय बड़ा करे| आप विनम्र होइए, और सहज योग फैलाएं विनम्रता से, आक्रामकता से नहीं| यह बहुत महत्वपूर्ण है | यदि आप ऐसा कर पाए, तो आप अपने जीवन को पूर्ण न्याय दे सकते है, जो की आध्यात्मिक जीवन है| उसके बिना आप नहीं पा सकते आध्यात्म की ताकत | उसके लिए आपको समझना होगा की यह बहुत बहुत महत्वपूर्ण है की आपको सहज योग को पूरा पूरा मौका देना चाहिए, आपकी समझदारी से|

मुझे जो चिट्ठियाँ मिलती है, ज्यादातर, वो ऐसी होती है कि, यह व्यक्ति परेशान करता है, वह व्यक्ति परेशान करता है, वह व्यक्ति ऐसा कर रहा है| भूल जाओ वो! ऐसे सब लोग सहज योग के लिए महत्वपूर्ण नहीं है | पर यदि आप सही दिशा में शुरुआत करो तो, आप आश्चर्यचकित होंगे की आप इतने लोगों से मिलेंगे, जिन्हे मन की शांति चाहिए, हृदय की शांति चाहिए, और पूर्ण एकाकारिता चाहिए परमात्मा के साथ | हो सकता है की वो स्वीकार न करे, वो बोले नहीं, वो गलत लोगों के पास गए हो | पर बावजूद इसके, वो चाहते है सच्ची आध्यात्मिक शांति उनके अंदर |  यह बहुत आम इच्छा है आजकल लोगों में, पर उसे प्राप्त करने के लिए आपको बहुत साधारण व्यक्तित्व का जीवन जीना होगा|

आप देखें, यदि आप बहुत ज्यादा दिलचस्पी  रखते है पैसों में, या आप बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखते है आपकी महत्वाकांक्षा में, तो सहज योग कुछ नहीं कर सकता|  पर आप यदि दिलचस्पी रखते है आपकी उदारता में, प्रेम में और आज की दुनिया की समझ में की यह कैसी उथल पुथल में है, क्यों? क्योंकि मनुष्य गलत है | हमे यह करना है की लोगों तक दिव्य ज्ञान प्रसारित करना है| ये आपकी इच्छा होनी चाहिए| और इसी में आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे| बाकि दूसरी इच्छाएं, बाकि दूसरी चाहत, जैसे आप कहते है, बहुत क्षणभंगुर है| एक इच्छा जो सहजयोग फ़ैलाने की है, इतनी सुन्दर है की आप उस पर कार्य करते जाते है | और जब भी आप करते है,आप बहुत खुश और प्रफुल्लित होंगे| आपको किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी| यही चिन्ह है सहजयोग की महानता का और मै चाहती हूँ की आप सब ऐसे बने| 

क्योंकि, आज का दिन बड़ा है, क्योंकि हम सभी महान संतों के बारे में सोच रहे है, जो इस धरती पर आये और हमारा नेतृत्व किया| उन्होंने सबने प्रयत्न किया सच्चाई को पुरे विश्व में फ़ैलाने का | उन्होंने बहुत कष्ट झेला | उन्हें मुश्किलें हुई , बहुत सारी परेशानियां हुई | पर उन्होंने कठिन परिश्रम किया, हर तरह से सहज योग फ़ैलाने के लिए| और परमात्मा और दिव्यता के बारे में बात करने के लिए |

आपको मुझे आज यही देना है, एक वादा करना है की जब भी आप कोई दूसरे मनुष्य से मिले, आप उसे सहज योग के बारे में बताएँ | यह केवल महत्वपूर्ण ही नहीं, पर यह तत्काल आवश्यकता है दुनिया की |

यदि आप यह बात समझ जाते है, की इस समय में आप इस दुनिया में क्यों है , और इस दुनिया की क्या आवश्यकता है, तो आप तुरंत ही महसूस करना शुरू करेंगे अपनी जिम्मेदारी को |

आप जो भी है आदमी या औरत, यह महत्वपूर्ण नहीं है | बाहर जाओ सीखने के लिए, सोचने के लिए लोगों को समझाने के लिए सहज योग के बारे में, हर तरीके से जो संभव हो | और मुझे लगता है तब आप पूर्ण होंगे, गुरु की तरह| यदि सहज योग केवल आपके साथ है, तो आप गुरु नहीं  बन सकते | गुरु का मतलब ये भी नहीं की आप सहज योग सिखाते जाये, उसके बारे में बोलते जाए, उसके बारे में प्रवचन देते जाये |  नहीं| उसका मतलब है की वो जो दूसरों को आत्म साक्षात्कार दें | कितने लोगों को आप आत्मसाक्षात्कार देते है, वह महत्वपूर्ण है | गिनती नहीं करना पर अंदर महसूस करना, समुद्र की लहरों की तरह | प्यार के समुद्र की लहरों की तरह | अपने ह्रदय में | 

इतना सुंदर है यह देखना की लोगों को आत्मसाक्षात्कार मिले और वो आध्यात्मिकता की ख़ुशी में डूबे रहे | 

यही मैं चाहती हूँ की आप करे | इसीलिए मै इस पृथ्वी पर हूँ | मुझे भी बहुत ज़्यादा सहन करना पड़ा, पर कोई बात नहीं | मै उन परेशानियों को सिर्फ देख रही थी एक नाटक की तरह | तो कोई बात नहीं | जब तक आप अपनी पीड़ा/ कष्टों पर ध्यान नहीं देते, तब तक वो कुछ नहीं |

आपने कल देखा एक सुन्दर नाटक मोहम्मद साहब के बारे में | मै हमेशा सोचती थी, और वह इतना दर्द भरा था , उनके बारे में की कैसे लोगों ने उन्हें गलत समझा और भटक गए | क्यों वो सब गलत काम कर  रहे है | अब मुझे ख़ुशी होती है की कम से कम आप लोगों ने उनकी महानता को समझा और इतना सूंदर नाटक दर्शाया उस पर | 

मुझे नहीं पता, कि इसे हम कितनी दूर तक फैला पाएंगे, पर यह सत्य है कि मोहम्मद साहब खुद ख़त्म हो गए थे, तब भी उनकी बेटी, नाती- पोते ख़त्म हो गए थे, उनका जमाई खत्म हो गया | और उसके बाद, उन्हें ख़त्म करके, उन्होंने दूसरी भयावह बात की |जिसे सुन्नी कहते है | अब सुन्नी धर्म सत्य के बिलकुल निकट नहीं है | वह इक तरह का बहुत ही आक्रामक और क्रूर धर्म है | और वह सब दूर फैलने लगा | असली इस्लाम धर्म में मोहम्मद साहब के, क्रूरता नहीं थी | वो लोग जिन्होंने उन्हें मारा ‘इस्लामिक’ बनना शुरू हो गए | तो यह भी बहुत गलत बात है, की वो आदमी जो बहुत महान थे और इतनी आध्यात्मिकता को स्वीकार ही नहीं किया जाता था | और जिन्होंने उन्हें मारा, अब स्वीकार हो गया | कुछ भी हो सकता है | पर सबसे बुरा हुआ था इस्लामिक दुनिया में, जो बहुत खतरनाक है| और वो भी हम देखते है की परमात्मा के नाम पर| कितनी बुरी चीज़ें  वो कर रहे है|

तो समझने का प्रयत्न करो की, ये मोहम्मद साहब की किस्मत में नहीं था, जो भी हुआ | यह सत्य की किस्मत में भी नहीं था, जो हुआ | पर यह आँखें खोलने वाला है हम सबके लिए देखने के लिए की सत्य को हमेशा असत्य चुनौती देता है | हमे सत्य के साथ खड़े रहना चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाये|और एक दिन आएगा जब लोगों को लगेगा की ये गलत था, जो वो थे| पूरे समय सभी प्रकार की मूर्खतापूर्ण कार्य करते आ रहे थे |

यह सब कार्यान्वित होगा| मुझे विश्वास है, बहुत जल्दी | अगर मेरी इच्छा इतनी शक्तिशाली है, मुझे पक्का विश्वास है की उन्हें एहसास होगा की अच्छा होना, दया भाव होना, प्रेममय होना सबसे अच्छा तरीका है खुश रहने का| उससे ज्यादा कुछ नहीं |

परमात्मा आपको आशीर्वादित करे|