Guru Purnima Puja: What is our duty?

Campus, Cabella Ligure (Italy)

Feedback
Share
Upload transcript or translation for this talk

गुरु पूर्णिमा पूजा, कबेला लिगुरे (इटली), 24 जुलाई 2002

यह बहुत ही रोचक है कि जिस तरीक़े से आपने पता लगाया कि, आज असली गुरु पूर्णिमा है। पूर्णिमा वह दिन है जब चंद्रमा पूर्ण होता है। मुझे यह पता था, लेकिन सहजयोगियों के लिए हमें शनिवार, रविवार, सोमवार – शुक्रवार, शनिवार, रविवार की व्यवस्था करनी होती है। चाहे वह तारीख़ पर हो या ना हो, हमें इसकी व्यवस्था करनी होती है । तो उस मामले में, यह इस समय दो दिन पहले था शायद, हमने व्यवस्था की, ठीक है  इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। आख़िरकार, चंद्रमा हमारे लिए है और हम चंद्रमा के लिए हैं, इसलिए यह कुछ ऐसी चीज़ नहीं हो सकती है जो इसमें बहुत ग़लत होगी।

गुरु सिद्धांत के बारे में मैं आपको पहले ही बहुत बता चुकी हूँ। गुरु सिद्धांत में, हमने इस पृथ्वी पर आए लोगों को देखा है। वे सब अधिकतर  जन्मजात साक्षात्कारी थे, वास्तव में, और उन्होंने कभी  साक्षात्कार नहीं दिया किसी को –  एक बहुत बड़ा अंतर है। वे सब  जन्मे थे साक्षात्कारी  आत्माओं की भाँति  और वे सूफ़ी हो गए और उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है किन्तु उन्हें साक्षात्कार नहीं दिया गया, उनके पास था, और उनके आत्म- साक्षात्कार के कारण, जैसा कि उनके पास था, उनके पास इतना ज्ञान है और वही जो उन्होंने प्रयास किया लोगों को देने का ।

वे चक्रों के बारे में सब कुछ जानते थे, वे जानते थे,  उनके पिछले जीवन की उपलब्धियों के कारण वे जानते थे , शायद उनमें से कुछ अन्य बहुत महान लोगों के शिष्य थे। मुझे नहीं पता कि कैसे उन्हें पूर्ण विचार था कि आत्मसाक्षात्कार क्या है और आत्मसाक्षात्कार के बाद हम क्या प्राप्त करते हैं। अब एक ही व्यक्ति, मुझे लगता है शायद मोहम्मद साहब ही हैं जिन्होंने मिराज के बारे में बात की। मिराज – उत्थान है, मिराज उत्थान है कुंडलिनी के द्वारा। भारत में बेशक उन्होंने इसके बारे में बात की थी, लेकिन किसी भी अन्य देश में, उन्होंने यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि मिराज नाम की कोई चीज़ है। और, न केवल उन्होंने मिराज की बात की बल्कि उन्होंने पुनरुत्थान के समय की भी बात की जब आपके हाथ बोलेंगे। दो बातें उन्होंने कहीं। पहली आपके हाथ बोलेंगे जब आपको अपना साक्षात्कार प्राप्त होगा। यह कहना एक बहुत बड़ी बात है, क्योंकि इसी तरह आप पता लगा सकते हैं और आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको अपना साक्षात्कार मिल गया है। यही संकेत उन्होंने दिया । और दूसरी बात उन्होंने कही मिराज के बारे में और सफ़ेद घोड़े के बारे में जो उन्होंने बात की, वह कुंडलिनी के अलावा कुछ नहीं था, लेकिन उन्होंने कुंडलिनी शब्द का प्रयोग नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि यह एक सफेद घोड़ा है।

इसलिए वे वह थे जो जानते थे कि लोगों को क्या होना चाहिए जब उन्हें अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त होता है । यह आप सभी के लिए बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन है और सहजयोग के लिए बहुत बड़ी सहायता है। आप सभी साक्षात्कारी हैं क्योंकि आप चैतन्य महसूस कर सकते हैं, एक बात और दूसरी यह कि आप कैसे बन गए हैं, उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से समझाया।

हमारे यहाँ भारत में बहुत सारे संत हैं, बहुत सारे, एक  से एक बेहतर और जो  भी उन्होंने बात की, जो वे कहते हैं, वह इतना उल्लेखनीय है, इतना उल्लेखनीय है कि – वास्तव में हम, इंसान, मुझे लगता है कि हम बहुत मूर्ख हैं ,कि उन्हें कभी एहसास नहीं हुआ, कि हमारे यहाँ बहुत सारे संत हैं। तुर्की में भी हमारे यहाँ सूफ़ी थे जहाँ यह सुन्नी धर्म है, वहाँ भी, हमारे पास इतने सूफ़ी थे। पूरी दुनिया में साक्षात्कारी आत्माएँ हैं । वे अवतार नहीं थे, लेकिन वे जन्म से साक्षात्कारी आत्माएँ थे । इसलिए आप देखें, उनकी व्याख्या और सब कुछ बहुत अच्छा है क्योंकि वे मनुष्य थे और उन्होंने जो कुछ भी कहा वह मनुष्य को समझने के लिए बहुत अच्छा था।क्योंकि अगर एक अवतरण ने कुछ कहा, वह कुछ पार की वस्तु है, और यह नए, मुझे कहना चाहिए, उन्नत लोग  जो वास्तव में मानव थे और आत्म साक्षात्कारी हो गए और उन्होंने विभिन्न चीज़ों के बारे में कैसे बात की है, यह बहुत उल्लेखनीय है।

सबसे पहले उनमें से अधिकतर कवि थे। और यह, हमारे यहाँ भारत में कबीर थे, हम नहीं जानते कि उनका जन्म कैसे हुआ,  कहाँ हुआ , उनके माता-पिता कौन थे, यह बिल्कुल ज्ञात नहीं है, इसके बावजूद कि आप उनकी कविता से केवल यह जान सकते हैं कि वे एक महान, महान सहजयोगी थे, और कैसे उन्होंने वर्णित किया है  चीज़ों को, बहुत दिलचस्प  है। उन्होंने अपनी कविता में इतने मौलिक सत्य सामने लाए और उन्होंने इसके बारे में बात की। वह किसी भी धर्म से संबंधित नहीं थे। जब उनकी मृत्यु हुई तो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच लड़ाई हुई: हमें उनके शरीर के साथ क्या करना चाहिए? और वे कहते हैं कि जब उन्होंने उस चादर को उठाया था, जो उन पर ढकी हुई थी, तो उन्हें फूल मिले, दो तरह के फूल मिले, एक हिंदू के लिए और  एक मुसलमानों के लिए। तो इस तरह से उन्होंने इस मूर्खतापूर्ण लड़ाई की समस्या को हल किया जो लोग कर रहे थे।सहजयोग में हम ऐसे किसी भी मूर्ख धर्म से संबंधित नहीं हैं, हम एक धर्म से संबंधित हैं जो विश्व निर्मल धर्म है। और इन सभी धर्मों की सभी मूर्खताओं को हमें वास्तव में दूर फेंकना चाहिए। क्योंकि, आज जो आप अभी देख रहे हैं, हर जगह, हर धार्मिक समूह एक-दूसरे से लड़ रहे हैं, एक-दूसरे की पिटाई कर रहे हैं, एक-दूसरे को ख़त्म कर रहे हैं।यह एक धार्मिक व्यक्ति का तरीक़ा नहीं  होना चाहिए, बल्कि वे एक दूसरे को मार रहे हैं। मेरा मतलब है, सभी प्रकार की भयानक चीज़ें जो वे कर रहे हैं, अविश्वसनीय है कि वे ऐसा कैसे कर सकते हैं, ऐसी क्रूरता। और पहली बात यह है कि योगी के लिए, या संत के लिए, क्रूरता बिल्कुल नहीं है, वे अपने जीवन का बलिदान कर देंगे, वे कोई भी कार्य करेंगे, लेकिन वे किसी अन्य व्यक्ति के लिए क्रूर नहीं होंगे। अब, जो लोग भगवान के नाम पर और धर्म में क्रूर हैं। वे वास्तव में किसी भी तरह से धार्मिक लोग नहीं हैं। तो यह धर्म की विकृति है, और हम सभी को समझना चाहिए, यदि हम सहजयोग के हैं, तो हमारे लिए दया, मिठास, करुणा, प्रेम हमारे लिए मुख्य गुण हैं और यदि आपके पास ऐसा नहीं है, तो हम सहजयोगी नहीं हैं। तो हम एक अलग वंश हैं, मुझे कहना चाहिए, एक अलग व्यक्तित्व, जो वास्तव में साक्षात्कारी हैं, जो इन सभी निरर्थक विचारों से ऊपर हैं और जिनके पास चैतन्य है। लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, कि अब आपको इसे फैलाना होगा क्योंकि मैं इस धरती पर केवल  इसलिए आई हूँ ताकि लोगों को उनकी मुक्ति, उनका साक्षात्कार हो सके और जब तक सभी लोग जो अपनी  मुक्ति में विश्वास  करते हैं, वे इसे प्राप्त नहीं करते, तो मुझे प्रसन्नता नहीं होगी। ऐसे कई लोग हैं, जो विश्वास करते हैं, लेकिन अभी तक उनका साक्षात्कार नहीं हुआ है, इसलिए आपको काम करना होगा और आप आश्चर्यचकित होंगे, आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो अपने साक्षात्कार को पाने के लिए बहुत उत्सुक हैं। यह इस गुरु पूर्णिमा के दिन काम करेगा, यह एक बहुत ही शुभ दिन है। मैं आपको एक विशेष शक्ति प्रदान करती हूँ  जिससे आप दूसरे को साक्षात्कार दे सकते हैं। अपनी समस्याओं में न उलझें, यह महत्वपूर्ण नहीं है, यह सब हल हो जाएँगी ।

अधिकतर मुझे क्या पत्र मिलते हैं, सभी व्यक्तिगत समस्याएँ या अन्य प्रकार की समस्याएँ।आपको क्या करना चाहिए, यह देखना है कि आपके भीतर क्या समस्या है, आपके भीतर क्या हो रहा है, क्यों हमारे अंदर यह समस्या है, हमारा कर्तव्य क्या है, क्यों हमें आत्मसाक्षात्कार मिला है, क्यों हमें आध्यात्मिकता का यह धन मिला है और हमें इसके साथ क्या करना चाहिए।

मैं आपको बताती हूँ, यदि आप वास्तव में हर दिन इसके बारे में सोचते हैं, यहाँ तक ​​कि आधे घंटे के लिए भी, आप महसूस करेंगे कि आप बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित लोग हैं। संतों ने बहुत कुछ किया है, उन्होंने बहुत सारी बातें लिखी हैं, उन्होंने लोगों से लड़ाई लड़ी है, उन्होंने सब कुछ किया है। आपको ऐसा कुछ नहीं करना है। लेकिन एक बात है आपको सहजयोग का प्रसार करना चाहिए।अब भी सहजयोग हर जगह इतना स्वीकार नहीं किया जाता है, लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं, यह आश्चर्यजनक है जबकि अन्य सभी प्रकार के भयानक गुरु बहुत अच्छी तरह से ज्ञात हैं। तो हमें इसे अपने व्यवहार से, अपनी समझ से, अपने पूरे जीवन से करना होगा, लोगों को कहना चाहिए कि ये कुछ दुर्लभ लोग और अलग लोग हैं।

मैं आज प्रसन्न हूँ कि गुरु पूर्णिमा का एक और दिन है जो एक बहुत ही शुभ दिन है और आपके लिए एक बहुत बड़ा आशीर्वाद माना जाता है क्योंकि यह आपको देता है, मेरा मतलब है कि यह एक प्रमाण पत्र है कि आप सभी गुरु होने में सक्षम हैं। आपको वह बनना है, बनना महत्वपूर्ण है, सहजयोग में बनना महत्वपूर्ण है, अन्य सभी चीज़ें वास्तव में किसी काम की नहीं हैं। आपको बनना है, विशेष रूप से महिलाओं को बहुत शर्म आती है मुझे लगता है। वे बहुत कुछ कर सकती हैं और उन्हें इसके लिए काम करना चाहिए, वे बिना मतलब के शर्माती  हैं, शर्मीली होने की क्या आवश्यकता है ? वे बहुत शर्मीली महिलाएँ हैं और वे सहज योग के पूरे काम में नहीं आतीं, उन्हें चाहिए। अगर महिलाएँ  इसके बारे में बात करना शुरू कर देती हैं, तो मुझे लगता है कि यह बहुत तेज़ी से काम करेगा।और मैं आप सभी को यह कार्य करने के लिए आशीर्वाद देती हूँ, जो संतों द्वारा आधा किया गया था, इसे पूरा करना आपका कर्तव्य है।

परमात्मा आपको आशीर्वादित करें।