Shri Ganesha Puja: They Are All Incarnations

Campus, Cabella Ligure (Italy)

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Ganesh Puja 13 September 2003, cabella , italy

अब हम नन्हें बच्चों के सम्मुख हैं। यही बच्चे अवतरण हैं। यही (बच्चे) उत्थान प्राप्ति में, मानव जाति का नेतृत्व करेंगे। मानवता की देखभाल की जानी चाहिए। बच्चे कल की मानव जाति हैं और हम आज के हैं। अनुसरण करने के लिए हम, उन्हें क्या दे रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या है? ये कहना अत्यन्त-अत्यन्त कठिन है परन्तु सहज योग से वे सभी मर्यादित ढंग से चलेंगे,वे मर्यादित व्यवहार करेंगे। बहुसंख्या में सहजयोगी बनने से, सभी कुछ भिन्न हो जाएगा।

परन्तु बड़े सहजयोगियों का ये कर्तव्य है कि उनकी देखभाल करें, उनका चारित्रिक स्तर बेहतर हो, उनके जीवन बेहतर हों ताकि वे आपके जीवन का अनुसरण करके वास्तव में अच्छे सहजयोगी बन सकें। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । सम्भवतः हमें इसका एहसास नहीं है। इस बात को हम नहीं समझते, परन्तु ये सभी नन्हें शिशु महान आत्माओं की प्रतिमूर्ति हैं और इनका पालन पोषण भी उन्हीं के रूप में किया जाना चाहिए। वैसे ही इनका सम्मान होना चाहिए और अत्यन्त सावधानी से इन्हें प्रेम किया जाना चाहिए। यह  बात समझ लेनी आवश्यक है। हमारे बड़ी आयु के लोगों की समस्या ये है कि हम बच्चों को ध्यान देने योग्य, परवाह करने योग्य और उन्हें समझने योग्य नहीं मानते, हम सोचते हैं कि हम स्वयं बहुत अधिक विवेकशील एवं बहुत अच्छे हैं तथा हमें अपनी शक्ति इन छोटे बच्चों पर नष्ट नहीं करनी चाहिए। 

बड़ी आयु के लोगों के साथ ये कठिनाई है।

परन्तु, आज जब हम यहां बैठे हुए हैं, श्री गणेश की पूजा करने के लिए, तो हमें जान लेना चाहिए, ये सभी बच्चे श्री गणेश के अवतरण हैं। तथा इनकी ओर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए. हमें उनके बारे में उचित जानकारी होनी चाहिए। मैं बहुत से ऐसे बच्चे देखती हूँ, जो अत्यन्त सदाचारी हैं, जो अत्यन्त सहज हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें इस बात का ज्ञान ही नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं। अतः ये,बड़े लोगों का ये कर्तव्य है कि अपने महत्व, स्वयं के बारे में और आत्मसम्मान की, अच्छे से समझ, बच्चों के मस्तिष्क में भर दें, यही बात मैँ पुराने सहज योगियों के लिए भी कहूँगी, जिनके ऊपर अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी हैं । इस हमारे परिवार में, जिन्हे हम सहज योगी कहते हैं , यहां सभी प्रकार के लोग, सभी प्रकार के तथा सभी प्रकार के व्यवहार हैं। निःसंदेह, उनमें एक जुटता (Regimentation) और एक समानता (Uniformity) नहीं होनी चाहिए। परन्तु उनकी भिन्नता में भी सौन्दर्य होना चाहिए। एक दूसरे के साथ परस्पर सामंजस्य की सुन्दर प्रवत्ति होनी चाहिए।

परन्तु इसके लिए हम क्या करें, समस्या यह है ? इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, बड़ी आयु के लोग क्या करें। उनके (बच्चों) जीवन में हमारा-ठोस योगदान क्या है? सर्वप्रथम, तो हमें उन्हें बताना है कि श्री गणेश कौन हैं तथा श्री गणेश के गुण कौन से हैं, वे किसका प्रतिनिधित्व करते हैं? वे किसका प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके गुण क्या है। और एक बार जब वो इस बात को समझने लगेंगे कि यद्यपि वे छोटे से बालक हैं, फिर भी वे (श्री गणेश) इतने उदार हैं, वे इतने करुणामय हैं,वे इतने क्षमाशील हैं, तो वे (बच्चे) आश्चर्यचकित हो जाएंगे क्योंकि वो भी अभी  बालक हैं, तथा वे भी इसी प्रकार के जीवन को अपना लेंगे।

मैं देखती हूँ कि कुछ बच्चे अत्यन्त विवेकशील,बहुत अच्छे हैं, यहां,  कुछ शरारती हैं और कुछ इस बात को नहीं समझते कि यहाँ पर हम क्या कर रहे हैं। जो भी हो, आखिरकार वे बच्चे हैं। और आपको क्या करना है, उनकी देखभाल करना है, सम्मान करना है, और श्री गणेश के विषय में उन्हें पूरी तरह से समझाएँ। मेरा विचार है कि सभी लोग अपने घर में श्री गणेश की मूर्ति अवस्य स्थापित करें, ताकि बच्चे इसे देखें और पूछे कि “ये कौन हैं? ये यहां क्या कर रहे हैं?” और आप हैरान होंगे कि किस प्रकार बच्चे उनको ( श्री गणेश को ) समझते हैं, किस प्रकार वे, श्री गणेश के गुणों को समझते हैं, और किस प्रकार उन्हें कार्यान्वित करते हैं। आप सबके लिए ये आवश्यक है कि, कम से कम एक श्री गणेश, अपने घर में  लगाएं ताकि आप अपने बच्चों को  बता सकें कि आप सबको इन्हीं की तरह  बनना है।

अब, श्री गणेश के गुण क्या है?  वे (बच्चे) पावित्र्य (Chastity) को नहीं समझते, क्योंकि वो अभी बहुत छोटे हैं, ये सभी गुण नहीं समझते । परन्तु एक गुण उनकी समझ में आ जाएगा कि ईमानदार होना है, ईमानदार होना है । शनैः शनैः आप देखेंगे कि सभी असाध्य बच्चे ठीक हो जाएँगे। ये सब इस प्रकार से कार्यान्वित हो जाएगा। क्यों की आप जानते हैं, वो मेरे भाषण को नहीं समझते,वे नहीं समझते कि मैं क्या कह रही हूँ। परन्तु एक बात निश्चित है कि यदि कोई अन्दर बाधाएँ (Possessions) होंगी तो वो इन्हें दर्शाएंगे, भली भांति दर्शाएंगे क्योंकि वे अत्यन्त अबोध हैं, अत्यन्त सहज हैं, उनकी अबोधिता उन्हें सच्चाई का बोध कराने में सहायक होगी। मुझे आशा है कि आप सब अपने बच्चों की देखभाल करते है, उचित प्रकार से उनका पथ प्रदर्शन करते है और उन्हें सूझ-बूझ के उस स्तर तक लाते हैं, जहाँ वे समझ सकें कि उनकी स्थिति क्या है, उनमें कौन से गुण होने चाहिए और कौन से गुणों से उनका सम्मान होगा? आप हैरान होंगे कि उन बच्चों का आचरण, अन्य बच्चों के आचरण को भी बदल देगा।

कहने से मेरा अभिप्राय ये है कि आपमें से कोई भी ये न सोचे कि आप बड़े  हैं, क्यों की आप मौन रह सकते है , बैठे रह सकते हैं,और सब कुछ , बड़े  आप केवल तभी है, जब आप श्री गणेश के गुणों को आत्म-सात कर सकें। मैंने लोगों को देखा है, लोगों कि आयु बड़ी हो जाती है, फिर भी उनमें पावित्र्य के सहज गुण भी नहीं होते, ईमानदारी के भी , उनमें  नहीं हैं,  वो  ला भी नहीं सकते क्योंकि वे नहीं सोचते की ये कितना जरूरी है। तो, मैं यह आप पर छोड़ती हूँ, अपने अन्दर आप श्री गणेश को खोजें। मैं इनके सहचार्य का आनन्द  लेती हूँ क्योंकि वे अबोध है, और बहुत  सहज हृदय है, और ये मुझे बहुत बहुत अच्छे लगते हैं।

अतः आपको घबराना या डरना नहीं चाहिए, बच्चों की शरारतों से । इसके विपरीत, आपको समझना चाहिए कि वे कहीं अधिक प्रेम, कहीं अधिक सूझ-बूझ और कहीं अधिक विकास के अधिकारी हैं। मुझे आशा है कि आपकी आयु तक पहुँचने तक, वे महान सहजयोगी बन जाएंगे, वे समझेंगे की हम यहां क्या कर रहे हैं । मुझे झेलना पड़ा है ,बड़ी आयु के लोगों के साथ, भयानक मूर्खताओं को । परन्तु इन बच्चों में ये नहीं होंगी, वे अत्यन्त सहज, अत्यन्त मीठे होंगे और ये प्यार को समझेंगे I 

तो मैं कहूंगी कि हम इन बच्चों को यहाँ से बाहर जाने दें और खेलने दें , और कोई  उनपर नज़र रख सकता है, ताकि आप शान्त हो सकें,  इन्हें कौन लेकर जा सकता है ।

आप मुझे फूल दे सकते हैं, यदि आपके पास फूल हैं, मैँ स्वीकार कर लूँगी । धन्यवाद । आपको बहुत धन्यवाद I  ये क्या है ? बच्चा : चॉकलेट , अन्य : चॉकलेट?

 बच्चा: हाँ , चॉकलेट

अन्य : चॉकलेट, चॉकलेट श्री माता जी 

धन्यवाद, बहुत धन्यवाद

धन्यवाद

धन्यवाद

धन्यवाद

लीडर : क्या कुछ वॉलिंटियर हैं ? कृपया बच्चों को बाहर ले जाएं

श्री माता जी चाहते हैं की बच्चे बाहर खेलें 

क्या कुछ माताएं, कुछ आंटी हैं , जो बच्चों को बाहर ले जा सकें , ताकि हम आगे जारी रख सकें , कृप्या , कोई वॉलिंटियर, कोई भी , यदि युवाशक्ति