Sahasrara Puja: Continue To Live A Life of Reality

Campus, Cabella Ligure (Italy)

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  सहस्त्रार पूजा (सच्चाई का जीवन जिए), कबेला, इटली, ९ मई २००४ 

आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में सहज योगिओं के नाते | आज का दिन वह है जब सहस्त्रार खुला था, जो की बहुत करिश्माई बात हुई | मैंने कभी आशा नहीं की थी की मेरे जीवनकाल में मैं  यह कर पाऊँगी | पर ऐसा हुआ | और आप में से कई लोगों का सहस्त्रार खुला | उसके बिना आप कभी नहीं जान पाते की सत्य क्या है | और आप उसका आनंद ले रहे है, उस स्थिति का जहाँ आप जानते है की सत्य क्या है | 

यह बहुत बड़ा आशीर्वाद है की सहस्त्रार खुल गया था और आप सबको आपका आत्मसाक्षात्कार मिला | नहीं तो सभी बातें, बातें ही है | उनका कोई अर्थ नहीं, कोई समझ नहीं | इसलिए मेरी पहली चिंता थी सहस्त्रार को खोलना | वह हुआ और अच्छे से हुआ | और आप सबका सहस्त्रार खुल गया | यह एक उल्लेखनीय बात है | कोई विश्वास नहीं कर सकता की आप में से इतने सारे लोगों का सहस्त्रार खुला है | पर मैं अब देख सकती हूँ साफ़ रौशनी आपके सरों के ऊपर | 

जो भी आपने पाया है, वह उल्लेखनीय है| इसमें कोई संदेह नहीं | इसका कारण है ईमानदारी से ढूंढना | आपने ईमानदारी से ढूंढा, इसलिए आपको मिला | मैंने कुछ नहीं किया | क्योंकि आप वहाँ कंदील के जैसे थे, मैंने केवल उसे जला दिया, बस | यह करना बहुत बड़ी बात नहीं है | जैसे आप लोगों ने यह स्थिति प्राप्त की, जागृति की स्थिति | वह आपको मिली क्योंकि आप उसके लिए उत्कंठित थे, उसे कार्यान्वित करना चाहते थे और आपने किया | यह बहुत श्रेयस्कर है | श्रेय मुझे नहीं जाता, मुझे लगता है क्योंकि मेरा सहस्त्रार खुला था | पर आपको वह प्राप्त है, यह मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात थी | 

अब आप समझोगे की क्योंकि यदि सहस्त्रार खुला नहीं है, तो आप, लोगों से बात नहीं कर सकते| आप उन्हें कुछ नहीं कह सकते | वो लोग समझ नहीं पाते|  सहस्त्रार खुलने पर आपकी समझ बढ़ती है बहुत ज़्यादा | यही हुआ है आप सबके साथ | और मैं बहुत खुश हूँ, की इतने सारे लोग यहाँ बैठे हुए ऐसे है जिनका सहस्त्रार खुला है, और भी बहुत लोग है जो नहीं आये है | तो यह बड़ी उपलब्धि है मनुष्यों के लिए की इतने लोगों का  सहस्त्रार साथ में खुला है| जिससे आप सत्य को जान सकते है, पूर्ण या परम सत्य को | जों भी आप जानते है आपके आत्मसाक्षात्कार  के बाद वह परम सत्य है |  उसके बाद आप बहस नहीं करते, प्रश्न नहीं करते | आप केवल उसे जानते है और आप उसे स्वीकार करते है ज्ञान की तरह | यह इतनी अच्छी बात है की यह सब पहले ही था ,पर वह खुला नहीं था | और जब वह खुल गया, लोगों ने कैसे मुझे समझा और परमात्मा के  नियम भी समझे |

यह ऐसा आशीर्वाद है परमात्मा का की आपका सहस्त्रार खुल गया | जिसके लिए आप कह सकते है “हमने कुछ नहीं लिया माँ ”|  ऐसा नहीं है | आपकी सत्य के लिए खोज गहरी थी और पक्की थी | आप सत्य को जानना चाहते थे | आप सत्य को जानना चाहते थे, इसलिए यह कार्यान्वित हुआ | नहीं तो कितना भी पैसा, कितनी भी मेहनत काम नहीं आती | सहस्त्रार को अपने आप ही खुलना था | यह सब आपका ही बनाया हुआ है, मुझे कहना चाहिए | यह सब आपका कर्म है, जिससे इतनी सुन्दर घटना हुई है | 

मैं उसके लिए कोई भी श्रेय नहीं लेती | निश्चित ही मुझे कहना होगा की मैंने आपको समझाया है की यह महत्वपूर्ण है की आपका सहस्त्रार खुलना चाहिए | कोई बहस नहीं, कोई सुझाव नहीं, कुछ नहीं | पर क्या आपका सहस्त्रार खुला है ? जो आपको बताता है सत्य क्या है | इतनी सुन्दर स्थिति में आपकी माँ क्या कह सकती है ? मैं केवल यही कह सकती हूँ की सच्चाई और समझदारी का जीवन जिए|  सबके अंदर सत्य है और हम किस प्रकार उस सत्य का उपयोग करते है, यह हमारी उपलब्धि है | लोग गुम है क्योंकि उन्हें ज्ञान नहीं है | पुस्तकों का ज्ञान कोई ज्ञान नहीं है | ज्ञान अंदर से आना चाहिए, अपने अंदर से | और यह हुआ है सहस्त्रार खुलने के कारण | सभी देशों में यह हुआ है और पूरे दुनिया में यह होगा | बहुत से लोगों को आत्मसाक्षात्कार मिलेगा | पर एक ही बात है मुझे लगता है, की आप लोगों को उससे कोई भावनात्मक लगाव नहीं होना चाहिए, पर वास्तविक लगाव होना चाहिए, की यह है, यह हुआ है, यह कार्य कर रहा है | फिर आप लोग दूसरों को आत्मसाक्षात्कार दे पाएंगे | आपको आत्मसाक्षात्कार का महत्व समझ में आएगा |

जब तक आप उसका उपयोग नहीं करते, आप नहीं जानेंगे, कि आत्मसाक्षात्कार की शक्ति क्या है | तो आपको सीखना चाहिए, कि इस शक्ति का कैसे उपयोग करें जो आपके अंदर है, जो कार्यान्वित हो रही है, और जो आपको अथाह क्षमता देगी | मेरी तबियत अब थोड़ी ख़राब हो गयी है | आखिर मैं बहुत बूढ़ी हूँ | पर फिर भी, मुझे थकान महसूस नहीं होती है किसी भी प्रकार की आपको संबोधित करते हुए | मुझे इतना अच्छा महसूस होता है की  इतने सारे सहज योगी है, इतने सारे है जिनका सहस्त्रार खुला है और वो उनके सहस्त्रार का आनंद ले रहे है | 

वास्तव में मुझे अच्छा लगता है की आप मुझसे प्रश्न करें | पर आप मुझे प्रश्न लिख कर भेज सकते है | फिर                    मैं उनका उत्तर देने का प्रयास करूंगी कभी | यह काफी अच्छा तरीका होगा | 

आपको बहुत बहुत धन्यवाद ! परमात्मा आपको आशीर्वादित करें | सहज में प्रगति करो, अपने आप में बढ़ो | परमात्मा आपको आशीर्वादित करें | मेरे सभी आशीर्वाद |