Guru Nanaka Jayanti (भारत)

Guru Nanaka Jayanti “…They didn’t talk of Kundalini; that’s the only trouble. And they all, that time they were all fighting. Because of that fighting nature nobody had patience to tell them ‘baba, you don’t fight now’. because when there is fight going on you can’t talk to them. But with Sahaja Yoga.., Sahaja Yoga has given you a complete freedom.” Hindi: – “there were many true nice saints but nobody ever talked about the Kundalini, nobody talked. Every body talked about the self realization. But in you that Kundalini is seated.” “None of them talked about Kundalini. There had been very great gurus. Very great gurus. But that time every body was quarreling, nobody was listening. They were all fighting. So they never talked about ‘basic is the Kundalini’. See the trouble. All of this. They were not friendly with each other. This is the problem. That time they fought. They didn’t talk of Kundalini and self realization. They were all very evident but because of this gap the problem became wider and wider. None of them talked of Kundalini. Can you imagine! They say it is; some mentioned about it in the Sanskrit language but I have not seen, have you seen! So they all knew the same thing but they didn’t say. So, so many got separated and there was a big (drift/rift) within each other. Because the truth was; there is a Kundalini. And this one was not said critically….” Shri Mataji – “… She is Read More …

Navavarsha, Hindi New Year New Delhi (भारत)

1995-10-25 Navavarsha (Hindi New Year) Delhi (Part 1) आज नया साल का शुभ दिवस है | आप सब को शुभ आशीर्वाद! हर साल, नया साल आता है और आते ही रहता है | लेकिन नया साल बनाने की जो भावना थी, उसको लोग समझ नहीं पाते, सिवाय इसके कि नए साल के दिन नए कपड़े पहनेंगे, ख़ुशी मनाएंगे | कोई ऐसी बात नहीं सोचते हैं कि नया साल आ रहा है, इसमें हमें कौन सी नयी बात करनी है | जैसा ढर्रा चल रहा है, वही चल रहा है और उसी ढर्रे के सहारे हर साल नया साल सब को मुबारक हो | सहज योग में हम लोग जब इतने सामूहिक हैं, ये सोचना चाहिए कि अब कौन सी नयी बात सहज योग में करें? ध्यान में आप लोग काफी गहरे उतर गए हैं | ध्यान आप समझते हैं और एक आपने स्थिति भी अपनी प्रस्थापित कर ली | पर नए साल में कौन सी नयी बात करनी चाहिए, इस ओर हमारा ध्यान जाना ज़रूरी है | असल में पहले तो हमें ये भी सोच लेना चाहिए कि हमारे देश के क्या प्रश्न हैं और सारी दुनिया के कौन से प्रश्न हैं और उन प्रश्नों को हम किस तरह से नतीजे पर ला सकते हैं? उसके लिए मैं सोचती हूँ कि जिन सहज योगियों का जहाँ interest (रुझान) हो, उसे वो ध्यानपूर्वक देखें | ऐसे तो बहुत सी चीज़ें सहज योग में नयी-नयी शुरू हो  गयी | आप जानते हैं, कि इस बार हमने सोचा है कि शिया मुसलमानों को Read More …

Devi Shakti Puja New York City (United States)

श्री देवी शक्ति पूजा, न्यूयॉर्क, 8 अक्टूबर 1995 रूस और पूर्वी ब्लॉक के देशों में मैंने (श्रीमाताजी) केवल चार वर्षों से ही कार्य करना प्रारंभ किया है और आप देखिये वे लोग किस तरह से सहजयोग के प्रति स्वयं को ज़िम्मेदार समझने लगे हैं। रूस में सहजयोग साइबेरिया तक फैल चुका है और साइबेरिया के लोग मात्र अपने व अपने आश्रम के लिये ही नहीं जीते। उनके यहां एक स्थान है नोवाशिवी जहां काफी संख्या में वैज्ञानिक रहा करते हैं क्योंकि ज़ारों और बाद में कम्यूनिस्टों ने कई वैज्ञानिकों को अपने यहां से निष्काषित कर दिया था और उसके बाद ये लोग यहां पर आ बसे। यहां पर रहते हुये इन लोगों ने खोजना प्रारंभ किया कि वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है? किस तरह से हम आध्यात्मिक बन सकते हैं? उनमें सामान्य लोगों की तरह से न तो कोई लड़ाई था और न कोई झगड़ा और न कोई मूर्खता पूर्ण बातें थीं… न ही किसी प्रकार का प्रभुत्ववाद और न अहं आदि था। मैं वहां अभी-अभी एक सप्ताह पहले गई थी। मेरे वापस आने से पहले एक दिन एक वैज्ञानिक मेरे पास आया। उसकी आंखे समुद्र के समान गहरी थीं ….. बहुत सुंदर और वह रूस का एक जाना माना वैज्ञानिक था और काफी बड़े पद पर था। उसने लोगों को मेरे बारे में बहुत अधिक तो नहीं बताया ….. पर वह केवल मुझसे मिलना चाहता था। जब वह मुझसे मिलने आया तो उसने झुक कर मेरा हाथ लेकर चूमा। उसकी आंखों में मुझे प्रेम व श्रद्धा के समुद्र की Read More …

Birthday Felicitations New Delhi (भारत)

Janam Diwas Puja – Prem Tattwa 21st March 1995 Date : Place Delhi : Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] अपने ही जन्मदिन में क्या कहा जाए? जो उम्मीद नहीं थी वो घटित हो गया है आप इतने लोग आज सहजयांग में दिल्ली में बैठे हुए है, इससे बढ़कर एक माँ के लिए और कौन सा जन्म दिन हो सकता है? आप लोंगों ने पर उसमें भी खुले आम कोई गलत काम करने की हिम्मत नहीं क्योंकि समाज इतना जबरदस्त है कि उसे खींच लेगा। इसलिए जो बात मैं आज आपको बताने वाली हूं वो ये है कि एक अपने देश की संस्कृति इतनी ऊंची जो अब भी मानी जाती है और अब भी अपने यहां लोग नैतिकता का स्तर मानते हैं। ऐसे देश में विचार करना चाहिए कि यहां किसने इतना अधिक कार्य किया। ये की शक्ति ने और इस शक्ति के सहार उसने अपने बाल-बच्चे, अड़रास-पड़ास और सारे समाज की भी धर्म पर स्थापना की। हालांकि अब विदेशी संस्कृति का असर आ रहा है और उससे हो सकता है कि हम लोग भी थोड़े बहुत प्लावित हो सकते हैं। पर अतिशयता में जाना बड़ी कठिन बात है क्योंकि हम लोग जकड़े हुए हैं अपने दंश की परम्पराओं में। अपना देश इतना सौभाग्यशाली है कि यहां पर एक से एक महात्मा हो गए इतने सन्त हो गए, इतने यहाँ पर अवतरण हुए, हिन्दू धर्म में ही नहीं मुसलमानों में भी और आप जानते हैं सिखों में बड़े-बड़े धरमत्मा इस Read More …

Dyan Ki Avashakta, On meditation New Delhi (भारत)

Dhyan Ki Avashayakta   ध्यान की आवश्यकता  Date:27th November 1991 Place: Delhi    Seminar & Meeting Type: Speech Language Hindi  [Original transcript, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]  आज आप लोगों से फिर से मुलाकात हो रही है और सहज योग के बारे में हम लोगों को समझ लेना चाहिए।  सहज योग,  ये सारे संसार के भलाई के लिए संसार में उत्तपन्न  हुआ है, कहना चाहिए और उसके आप लोग माध्यम हैं।  आपकी जिम्मेदारियाँ बहुत ज़्यादा हैं क्योंकि आप लोग इसके माध्यम हैं, और कोई नहीं है इसका माध्यम।    कि  हम अगर पेड़ को वाईब्रेशन्स (Vibrations) दें या किसी मन्दिर को वाईब्रेशन्स दें या कहीं और भी वाईब्रेशन्स दें तो वो चलायमान नहीं हो सकते,   वो कार्यान्वित नहीं हो सकता।  आप ही की धारणा से और आप ही के कार्य से यह फैल सकता है।  फिर हमें यह सोचना चाहिए कि सहजयोग में एक ही दोष है। ऐसे तो सहज है, सहज में प्राप्ति हो जाती है। प्राप्ति सहज में होने पर भी उसका संभालना बहुत कठिन है क्योंकि हम कोई हिमालय पर नहीं रह रहे हैं। हम कहीं ऐसी जगह नहीं रह रहे हैं, जहाँ और कोई वातावरण नहीं है, बस सब  आध्यात्मिक वातावरण है। हर तरह के वातावरण में हम रहते हैं। उसी के साथ-साथ हमारी भी उपाधियाँ बहुत सारी हैं जो हमें चिपकी हुई हैं। तो सहजयोग में शुद्ध बनना,  शुद्धता अंदर लाना ये कार्य हमें करना पड़ता है। जैसे कि कोई भी चैनल (Channel)हो वो अगर शुद्ध न हो, तो उसमें से जैसे बिजली का चैनल है उसमें से बिजली नहीं गुज़र सकती। अगर पानी का नल है उसके अंदर कुछ चीज़ भरी हुई है उसमें से पानी नहीं गुज़र सकता। इसी प्रकार ये चैतन्य भी जिस  नसों में बहता है उनको शुद्ध होना चाहिए। और इन नसों को शुद्ध करने की जिम्मेदारी आप लोगों की है । हालांकि आपने कितनी बार कहा है कि माँ हमें भक्ति दो। माँ हमें निताँत आपके प्रति श्रद्धा दो किन्तु ये चीज आपको खुद ही समझदारी में जानना है। पहली तो बात है कि शुद्ध जब नसे हो जाएँगी तो आप आनंद में आ जाएंगे। आपको लगेगा ही नहीं कि आप कोई कार्य कर रहे हैं। आप काई सा भी कार्य करते जाएंगे उसमें आप यश प्राप्त करेंगे। बहुत सहज में Read More …

Birthday Puja मुंबई (भारत)

जन्म दिवस पूजा मुम्बई मार्च 21, 1991 सारे विश्व में आज हमारे जन्म दिवस की खुशियां मनाई जा रही हैं। यह सब देखकर जी भर आता है कि क्या कहें आज तक किसी भी बच्चों ने अपनी माँ को इतना प्यार नहीं किया होगा जितना आप मुझे देते हैं। ये श्री गणेश की महिमा है जो अपनी माँ को सारे देवताओं से भी ऊंचा समझते थे और उनकी सेवा में लगे रहते थे। इसलिए वह सर्व सिद्धि प्राप्त कर गये यह तो नैसर्गिक है कि हर माँ को अपने बच्चों से प्यार होता है और वह अपने बच्चों के लिए हर तरह का त्याग करती है। और उसे उनसे कोई अपेक्षा भी नहीं होती। लेकिन हर माँ चाहती है कि मेरा बेटा चरित्रवान हो, नाम कमाये, पैसा भी कमाये। इस तरह की एक सांसारिक माँ की इच्छाएं होती हैं। लेकिन आध्यात्मिक माँ का स्थान जो आपने मुझे दिया है मुझे तो कोई भी इच्छा नहीं । मैं सोच रही थी कि मैं कौन सी बात कहूं क्योंकि मुझे कोई इच्छा नहीं। शायद इस दशा में कोई इच्छा न रह जाये लेकिन बगैर इच्छा किए ही सब कार्य हो जायें, इच्छा के उदभव होने से पहले ही आप सब कुछ कर रहे हैं, तो मैं किस चीज़ की इच्छा करुं? जैसा मैंने चाहा था और सोचा था, मेरे बच्चे अत्यंत चरित्रवान, उज्जवल स्वभाव, दानवीर, शूरवीर, सारे विश्व का कल्याण करने वाले- ऐसे व्यक्तित्व वाले महान गुरु होंगे। सो तो मैं देख रही हूं कि हो रहा है। किसी में कम हो Read More …

Birthday Puja, Sahaja Yoga me pragati ki Teen Yuktiyaan New Delhi (भारत)

Janm Diwas Puja Date 30th March 1990 : Place Delhi : Type Puja Speech Language Hindi आज नवरात्रि की चतुर्थी है और नवरात्रि को आप जानते हैं रात्रि को पूजा होनी चाहिए। अन्ध:कार को दूर करने के लिए अत्यावश्यक है कि प्रकाश को हम रात्रि ही में ले आएं। आज के दिन का एक और संयोग है कि आप लोग हमारा जन्मदिन मना रहे हैं। आज के दिन गौरी जी ने अपने विवाह के उपरान्त श्री गणेश की स्थापना की। श्री गणेश पवित्रता का स्रोत हैं। सबसे पहले इस संसार में पवित्रता फैलाई गई जिससे कि जो भी प्राणी, जो भी मनुष्यमात्र इस संसार में आए वो पावित्र्य से सुरक्षित रहें और अपवित्र चीज़ों से दूर रहें। इसलिए सारी सृष्टि को गौरी जी ने पवित्रता से नहला दिया। और उसके बाद ही सारी सृष्टि की रचना हुई। तो जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य हमारे लिए यह है कि हम अपने अन्दर पावित्र्य को सबसे ऊंची चीज़ समझें| लेकिन पावित्र्य का मतलब यह नहीं कि हम नहाएँ, धोएं, सफाई करें, अपने शरीर को ठीक करें किन्तु अपने हृदय को स्वच्छ करना चाहिए। हृदय का सबसे बड़ा विकार है क्रोध। क्रोध सबसे बड़ा विकार है, और जब मनुष्यमें क्रोध आ जाता है तो जो पावित्र्य है वो नष्ट हो जाता है क्योंकि पावित्र्य का दूसरा ही नाम निर्वाज्य प्रेम है। वो प्रेम जो सतत बहता है और कुछ भी नहीं चाहता। उसकी तृप्ति उसी में है कि वो बह रहा है और जब नहीं बह पाता तो वह कोंदता है, परेशान होता Read More …

Shri Krishna Puja: They have to come back again and again Saffron Walden (England)

श्री कृष्ण पूजा   सेफ्फ़रॉन वाल्डेन (इंग्लैंड), 14 अगस्त 1989 (श्री कृष्ण अवतार, दाईं विशुद्धि)  आज हम यहां श्री कृष्ण अवतार की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण नारायण के अवतार हैं, श्री विष्णु के। प्रत्येक अवतार में, वे अपने सभी गुणों, अपनी सारी शक्तियों और अपनी प्रकृति को अपने साथ ले कर आते हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतार लिया तो उनके पास नारायण के सभी गुण थे, और फिर श्री राम के, लेकिन हर अवतरण अपने पूर्व जीवन को संशोधन करने की चेष्टा करता है, जो भी उनके पूर्व जीवन में गलत समझ लिया गया और उन्हें अतिशयता में ले जाया गया । इसलिए उन्हें बार-बार वापस आना पड़ता है। सही है इसलिए श्री विष्णु ने, जब उन्होंने अपना अवतार लेने के बारे में सोचा, क्योंकि वे ही हैं जो संरक्षक हैं। वे ही इस सृष्टि के संरक्षक और धर्म के भी संरक्षक हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतरण लिया तो उन्हें यह देखना पड़ा कि लोग अपने धर्म पर कायम रहें। केवल धर्म को ठीक रखने से ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हो सकता है। तो यह कार्य अत्यंत कठिन था, मुझे कहना चाहिए, लोगों को महालक्ष्मी के मध्य मार्ग में बनाए रखने के लिए। अतः पहले अवतरण द्वारा, आप कह सकते हैं कि उन्होंने एक हितकारी राजा की संरचना करने की कोशिश की, श्री राम के रूप में। सुकरात ने एक हितकारी राजा का वर्णन किया है। लेकिन इसके परिणामस्वरूप, लोगों ने सोचना शुरू कर दिया कि अगर वे राजा या Read More …

Birthday Puja: Introspection New Delhi (भारत)

जन्मदिवस पूजा दिल्ली, १९ मार्च, १९८९  सहजयोग के काम में व्यस्त न जाने कैसे समय बीत जाता है। अब करिबन अठारह साल से सहजयोग कर रहे हैं और उसकी प्रगती अब काफी हो रही है। आपने देखा किस तरह से इसकी प्रगती बढ़ रही है। अब जन्मदिन के दिन अब हमारे तो आपकी सबकी स्तुति करनी चाहिए और सब अच्छा ही कहना चाहिए। लेकिन एक ही बात मुझे जो समझ में आती है, जो कहनी चाहिए वो है कि अपनी गहराई को बढ़ाना है। अपनी गहराई को बढ़ाना बहुत जरुरी है और ये गहराई हमारे अन्दर है, कहीं ढूँढने नहीं जाना है, अपने ही अन्दर बस, ये गहराई है। लेकिन जब हम गहराई को बढ़ाते हैं तो ये देखना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। इसको पहले जान लेना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। और उसे जानने के लिए एक तरीका है, सहज सरल तरीका है कि अपनी ओर दृष्टि करें। जैसे कि हमारा व्यवहार कैसा है?  हम क्या करते हैं?  हम किस तरह से अपने मन में विचार लाते हैं?  हमारे तौर-तरीके कैसे हैं?  हम अपने को कहाँ तक सीमित रखते हैं।  जैसे शुरुआत में जब दिल्ली में काम शुरू किया तो लोगों के तो अन्दाज ही और थे।  मैं तो एकदम सकुचा गयी थी, क्योंकि उस वक्त किसी को कुछ मालूम ही नहीं था पूजा के बारे में। सब प्लास्टिक के डिब्बियों में सामान-वामान लेकर के सब लोग पहुँचे तो मेरी तो हालात ही खराब हो गयी। मैंने कहा कि अब तो इनका क्या होगा, Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Value Systems Ganapatipule (भारत)

हिन्दी (Hindi) अभी जो मैने बातचीत की थी उसका सारांश ये है की जब हम मनुष्यता के रूप से अपनी ज़िंदगी बसर करते है तब हमारे अंदर मनुष्यता नहीं रह जाती हम सिर्फ़ अपनी संपदा के बारे में सोचतें हैं और मनुष्यता की जो संपदा है उसे नही सोचतें हैं | जिस वक़्त हम सहज योग में उतर आते है तभी हमारे में पहली मर्तबा वो समर्थता आ जाती है की हम मनुष्यता को अपनाएँ | मनुष्यता से बढ़कर और कोई सी भी चीज़ नहीं ये हमारे समझ में आ जाती है और समझ में आने का मतलब है की वो हमारे जीवन में ही उतरने लग जाती है | जब तक हम मनुष्यता के रूप को और उसके मधुर स्वाद को चखतें नहीं तब तक मनुष्य अपने ही एक आवरण में, अपने ही एक सीमित जीवन में ही आनंदित रहता है, लेकिन जितने भी संसार में बड़े-बड़े लोग हो गये हैं, जिनके नाम हैं और जिनको हमलोग आज भी पूज्‍यनीय मानते हैं ये सब मनुष्यता के ही भोक्ते थे और उसी का आनंद इन्होने उठाया | सहज योग के बाद आप भी इसका आनंद उठा सकते हैं, क्यूँकी इसके बाद आप आत्मा स्वरूप हो जाते हैं, और आत्मा जो है ये सार्वजनिक है, ये अपने में ही सीमित नही है, ये सर्वजन्य में, सारी सृष्टि में सब  दूर इस तरह से अगोचर है, लेकिन हमेशा विचरण करते रहता है और उसका जो एक प्रभाव है हमारे अंदर वो सबसे बड़ा ये है की हमें भी उसी में आनंद आता Read More …

Health Advice to Western Yogis Sangli (भारत)

पश्चिमी योगियों को स्वास्थ्य सलाह और ऑस्ट्रेलिया के साथ समस्याएं सांगली (भारत), 21 दिसंबर 1988। मैंने सुना है कि आप सब बहुत बीमार हो गए हो। मुझे लगता है कि उसकी वजह से मैं खुद बीमार हो गयी। अब मुझे आशा है कि आप सब बेहतर होंगे। अभी भी बीमार लोग हैं? कितने? गुइडो लैंज़ा: लगभग सत्तर। श्री माताजी: सत्तर बिस्तर में बीमार हैं? वे कहां हैं? अब एक बात है जो मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए कि उस दिन ये लड़कियां मुझे गहने पहना रही थीं और मुझे उनमें से बहुत अजीब गंध आ रही थी। तो मुझे लगता है कि आप लोग ठीक से हाथ नहीं धोते।  मैंने तुमसे कहा था कि शौचालय जाने के बाद हर समय पानी का उपयोग करो- यह बहुत जरूरी है। लेकिन आप लोग अभी भी पाश्चात्य शैली से चिपके रहते हैं। यह बहुत गंदा है, मैं आपको बताती हूँ। यह जीने का एक बहुत ही गंदा तरीका है – पानी का उपयोग नहीं करना। यह बहुत अस्वास्थ्यकर भी होता है। इसलिए आप पश्चिम में पाते हैं कि ज्यादातर लोग बीमार हैं। यहाँ नहीं। आपने कल देखा कि लड़के कैसे नाच रहे थे-इतना गति से और तेज़। इसलिए एक बात याद रखनी है कि शौचालय से बाहर आने के बाद, खाने से पहले हाथ धोना है। कल मैंने उनके हाथ सूँघे और मैं दंग रह गयी। बहुत बुरी महक! तो यह भारतीय रिवाज या कुछ भी नहीं है, लेकिन यह एक स्वच्छ प्रणाली है। तो मुझे आशा है कि आपको लोटे (जग) मिल Read More …

Adi Shakti Puja: Detachment Residence of Madhukar Dhumal, Rahuri (भारत)

आदि शक्ति पूजा, वैराग्य, राहुरी (भारत),11 दिसंबर 1988 पूजा उस समय आरंभ होती है, जब इसे आरंभ होना होता है और मैं प्रतीक्षा और प्रतीक्षा और प्रतीक्षा कर रही हूँ।फिर मुझे एहसास हुआ कि आज बहुत अच्छा समय है, पंचांग के अनुसार, परंतु यह प्रातः का नहीं है,तो इसे चंद्रमा का तीसरा दिन होना थाऔर जैसा कि चंद्रमा दिन के समय में अपनी कलाएँ बदल रहा है, हमें प्रतीक्षा करनी पड़ी जब तक यह आरंभ नहीं हुआ। मुझे लगता है, ये सब चीज़ें हुईं; चोरी की और सब कुछ हुआ, संभवतः पूजा को उस समय तक टालने के लिए जब इसे आरंभ होना चाहिए।तो सहज योग में हम सभी समय से परे चले जाते हैंऔर हमें समय के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती। मात्र जब तक यह एक औपचारिक कार्यक्रम या ऐसा कुछ हो, क्योंकि लोग औपचारिक हैं और वे हमारी शैलियों को नहीं समझते हैं।इसलिए हमें वहाँ सही समय पर उपस्थित होना होता है,अन्यथा हमें समय को स्वमार्ग लेनेदेना चाहिए और इसे हमें अपनी तरह से जानना चाहिए।अब हमारी यात्रा और इस दौरे के बारे में हमें यह जानना होगा कि हम यहाँ पाने के लिए आए हैं एक निश्चित ऊँचाई अपनी निर्लिप्तता में, हमें अपनी स्थिति के क्षेत्र में ऊपर उठना हैजबकि आसपास की परिस्थितियाँ,वे हमें घेरे हुए हैं और वे हमें दुखी नहीं कर सकतीया पक्षपाती, या हमें उन पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।इसके विपरीत हमें उनसे ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए। यदि कुछ विकृत घटित न हो तो आप परम की बढ़ती Read More …

Sixth Day of Navaratri पुणे (भारत)

Navaratri Puja – Hamare Jivan Ka Lakshya Date: October 16th, 1988                      Place: Pune  Type: Puja Speech                                   Language: Hindi आज हम लोग यहाँ शक्ति की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। अभी तक अनेक संत साधुओं ने ऋषि मुनियों ने शक्ति के बारे में बहुत कुछ लिखा और बताया है। और जो शक्ति का वर्णन उन्होंने अपने गद्य में नहीं कर पाये, उसे उन्होंने पद्य में किया। और उस पर भी इसके बहुत से अर्थ भी जाने (अष्पष्ट)।  लेकिन एक बात शायद हम लोग नहीं जानते हैं कि हर मनुष्य के अन्दर ये सारी शक्तियाँ सुप्तावस्था में हैं। और ये सारी ही शक्तयाँ मनुष्य अपने अन्दर जागृत कर सकता है। ये सुप्तावस्था की जो शक्तियाँ हैं उनका कोई अंत ही नहीं है, न ही उन का कोई अनुमान कोई दे सकता है। क्योंकि ऐसे ही पैंतीस कोटी तो देवता आपके अन्दर विराजमान हैं उस के अलावा न जाने कितनी ही शक्तियाँ उनको चला रही हैं। लेकिन इतना हम लोग समझ सकते हैं कि जो हमनें आज आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त किया है, तो उसमें जरूर कोई न कोई शक्तियों का कार्य हुआ। उस कार्य के बगैर आप आत्मसाक्षाल्कार को नहीं प्राप्त कर सकते। ये आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त करते वक्त हम लोग सोचते हैं कि ये सहज में हो गया। पर सहज में दो अर्थ हैं, एक तो सहज का अर्थ ये भी है कि Read More …

Shri Ganesha Puja मुंबई (भारत)

Shri Ganesha Puja 18 sept 1988 Mumbai परमात्माकी सृष्टिकी रचनाकारकी शुरुआत जिस टंकारसे हुई उसीको हम ब्रम्हनाद तथा ओमकार कहते है। इस टंकारसे जो नाद विश्वमे फैला वो नाद पवित्रताका था। सबसे प्रथम परमात्माने इस सृष्टीमे पवित्रताका संचारण किया। सर्व वातावरणको पवित्र कर दिया। पहले उन्होंने पुनीत किया जो चैतन्य स्वरुप आज भी आप लोग जान सकते है। उसे महसूस कर सकते है, उसकी प्रचिती आपको मिल सकती है। वही ओमकार आज चैतन्य स्वरुप आपकोभी पवित्र कर रहा है। श्री गणेश की पूजा हर पूजामे हमलोग करते है और आज तो उन्हीकी पूजा का बड़ा भारी आपलोगोंने आयोजन किया है। लेकिन जब हम किसी भी चीज की पूजा करते है तो उनमे बोहोत सारी विविध स्वरुप की मांगे होती है। कुछ लोग होते है कामार्थी होते है, कुछ लोग पैसा मांगते है, कुछ लोग कहते है हमारा कार्य ठीक से हो जाय, कुछ कहते है की हमारी दुनियामे बड़ी शोहरत हो जाय, सब दूर हमें मान मिले। कोई कहता है की हमारी नौकरी अछेसे चली तो अच्छा है, कोई कहता है हमारा बिज़नस चलना चाहिए , कोई कहता है हमारे मकान बनने चाहिए। ये सब कामार्थी बाते है। और इसी तरहसे मनुष्य की मांगे होते होते वोह गणेश की पूजन करता है। यहाँ पर जो सिद्धि विनायक है उसकी भी जागृति मैंने बहोत साल पहले की थी। सब लोग उस सिद्धिविनायक के पास जा करके हमें ये चीज देदो हमें वो चीज देदो मांगते है। लेकिन ये सिद्धिविनायक है। ये चीज देनेवाला नहीं है , ये वस्तु देनेवाला नहीं है। Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Cure That Left Vishuddhi Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

श्री विष्णुमाया पूजा “उस बायीं विशुद्धि को ठीक करें”   शूडी कैंप (इंग्लैंड), 20 अगस्त 1988। कम ही उम्मीद थी कि हम यहां पूजा करेंगे या इस तरह का कोई कार्यक्रम करेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि इतने तेज़ कार्यक्रम के पूरे कार्यक्रम से कुछ छूट गया था जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे करना पड़ा था, लंदन से फ्रैंकफर्ट से अमेरिका से बोगोटा तक जाना, वापस होना, फिर अंडोरा और इन सभी जगहों पर, फिर भी, मैंने सोचा, अब यह समाप्त हो गया है। और मैं यहां लंदन में आयी और मुझे पता चला कि एक पूजा नहीं हुई थी, बायीं विशुद्धि की, और यह इस रक्षा बंधन के साथ पड़ती है क्योंकि यह बहन का रिश्ता और भाई का रिश्ता है। तो इतिहास में, यदि आप जाते हैं, तो श्री कृष्ण का जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन उनकी बहन का जन्म हुआ था, और यह विष्णुमाया बाद में स्थानांतरित हुई, मुझे कहना चाहिए, एक विद्युत में रूपांतरित हुई, लेकिन उस समय वही थी जिसने श्री कृष्ण के अस्तित्व की घोषणा की – कि वह पैदा हुआ है और वह जी रहा है, वह वर्तमान में है। यह लेफ्ट विशुद्धि का, लाइटिंग का काम है, और आपने देखा है कि जब भी मैं किसी जगह पर जा रही होती हूं, या मैं कोई प्रोग्राम या कुछ और दे रही होती हूं, तो उसके ठीक पहले बिजली की गड़गड़ाहट, बिजली की गड़गड़ाहट, यह सब दिखाई देता है आकाश में, तुम देखते हो, उस घोषणा को दिखाने के लिए। Read More …

Shri Krishna Puja: The State of Witnessing Como (Italy)

श्री कृष्ण पूजा (साक्षी भाव की स्तिथि ) इटली , 6 अगस्त 1988. आज हम यहाँ एकत्रित हुए हैं, श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए। हमें, विशुद्धि चक्र पर श्री कृष्ण के अवतरन के महत्व को समझना चाहिए। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, सिवाय एक या दो बार,श्री ब्रह्मदेव ने अपना अवतार लिया है। और एक बार श्री गणेश ने जन्म लिया, भगवान येशु मसीह के रूप में । लेकिन विष्णु तत्व, विष्णु के तत्व ने इस धरती पर कई बार जन्म लिया है, जैसे कि देवी को कई बार अपना जन्म लेना पड़ा। उन्हें कई बार एक साथ काम करना पड़ा और विष्णु तत्व के साथ महालक्ष्मी तत्व ने कार्यान्वित होकर लोगों के उत्थान में मदद की है । तो विष्णु का तत्व आपके उत्थान के लिए है, मनुष्य के उतक्रान्ति की प्रक्रिया के लिए है। इस अवतार के माध्यम से और महालक्ष्मी की शक्ति के माध्यम से, हम अमीबा के स्तर से मनुष्य बन गए हैं। ये हमारे लिए एक स्वाभाविक क्रिया है। लेकिन विष्णु के तत्व के लिए उन्हें, विभिन्न अवतारों से गुजरना पड़ा, उत्थान के लिए।  जैसा कि आप जानते हैं कि श्री विष्णु के कई अवतार हुए, शुरुआत में मछली के रूप में और ऐसा चलता रहा श्री कृष्ण की स्थिति तक, जहाँ कहा जाता हैं कि वे सम्पूर्ण बन गए । लेकिन हमे समझना होगा कि वे हमारे मध्य नाड़ी तंत्र पर काम करते है, वे हमारे मध्य नाड़ी तंत्र का निर्माण करते है। हमारी उत्क्रांति की प्रक्रिया के माध्यम Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Eve of Guru Puja Camping Borda d'Ansalonga, Ansalonga (Andorra)

गुरु पूजा से पहले शाम पर व्याख्यान  अंसलॉन्गा (अंडोरा), 30 जुलाई, 1988 कल हम सभी के लिए एक महान दिन है क्योंकि यह गुरु पूजा दिवस है, और शायद आप जानते हैं कि गुरु पूजा सभी सहजयोगियों के लिए सबसे महान दिन है, मेरे लिए भी। बेशक, सहस्रार दिवस वह दिन है, जो बहुत महत्वपूर्ण है, जो आध्यात्मिकता में और उत्क्रांती की प्रक्रिया में भी एक बड़ा इतिहास रचता है। लेकिन हम सहजयोगियों और मेरे लिए – यह बहुत उल्लेखनीय है कि हम यहां कुछ जानने और कुछ सिखाने के लिए हैं। अब, यदि आप देखते हैं कि कैसे सहज योग ज्ञान धीरे-धीरे आप सभी के पास आ गया है। ज्ञानेश्वर ने इसका बहुत सुंदर वर्णन किया है – वे कहते हैं, “जिस तरह पंखुड़ियाँ जब धरती माता पर गिरती हैं, उसी तरह धीरे से, इस ज्ञान को शिष्यों के मन पर पड़ने दें और उन्हें सुगंधित करें।” एक और बात वर्णित है चकोर नामक पक्षी, जो एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ पूर्णिमा के समय चांदनी का अमृत चूसता है, अन्यथा यह किसी और चीज की परवाह नहीं करता है, यह केवल अपने आप को पोषित करता है। इसलिए वे कहते हैं, “चांदनी के अमृत को चूसने वाले चकोर पक्षी की तरह शिष्यों द्वारा दिव्य ज्ञान को शोषित कर लिया जाए।” चंद्रमा आत्मा का प्रतिक है। उसी तरह, इसे उनके अस्तित्व में प्रवेश करने दें। आखिरकार, वह एक बहुत महान कवि थे, मुझे कहना होगा, कविता में कोई भी उतना गहरा नहीं जा सकता जितना ज्ञानेश्वर गए हैं, कोई Read More …

Sahaj Yogiyon Ko Upadesh Ganapatipule (भारत)

सहजयोगियों को उपदेश ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए कि यहाँ जो बंबई वाले और दिल्ली वाले लोग आये हैं ये मेहमान नहीं हैं। मेहमान जो लोग बाहर से आये हैं वो हैं। बसेस उनके पैसे से आयी हैं। आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहे उसके लिए। एक कवडी भी नहीं दे रहे हैं। बसेस उनकी हैं, वो सब बसेस मार कर आप लोग यहाँ आ गये। यहाँ | बसेस छोड़ दिये, वो लोग रास्ते में लटक के खड़े हुए हैं। बजाए इसके कि आप उन लोगों का खयाल करें, आप हैं और यहाँ बसेस आराम से यहाँ पहुँच गये। आके आराम से यहाँ बैठ गये हो । और आधे लोग रस्ते में बैठे हुए सड़ रही हैं। आप लोग यहाँ मेहमान के रूप में नहीं आयें, कृपया ध्यान दीजिए । ये अपनी आदतें आप बदलिये। आप यहाँ पर आये हैं सेवा करने के लिए और ये बाहर के जो लोग आये हैं ये मेहमान हैं। आप जिस चाहे बस में चढ़ जाते हैं, जैसे कि आपने बस ली है किराये से। पिछली मर्तबा ४५,००० रू. मैंने भरा आप लोगों के बस में | चढ़ने का। बेहतर है आप सब लोग पैदल आईये और नहीं तो एक चीज़ हो सकती है कि एक बस है सिर्फ आप के लिए। किसी भी टाइम में आप लोग निकलते हैं। आपको कोई टाइम नहीं है, कुछ नहीं है, एक ही बस आयेगी और | वो बस दो मर्तबा आयेगी और उसी बस में आपको बैठने को Read More …

Shri Rama Puja: Dassera Day Les Avants (Switzerland)

                        श्री राम पूजा  लेस अवंत्स (स्विट्जरलैंड), 4 अक्टूबर 1987। आज हम स्विट्जरलैंड में दशहरा दिवस पर श्री राम के राज्याभिषेक का जश्न मना रहे हैं। दशहरा दिवस पर कई बातें हुईं। सबसे खास बात यह थी कि इसी दिन श्री राम का राजा के रूप में राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन उन्होंने रावण का वध भी किया था। कई लोग कह सकते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है कि उन्होंने रावण को मारा और उसी तारीख को उनका राज्याभिषेक हुआ? उन दिनों भारत में, हमारे पास सुपरसोनिक हवाई जहाज़ थे और, यह एक सच्चाई है, और हवाई जहाज़ का नाम पुष्पक था, जिसका अर्थ है फूल। इसे पुष्पक कहा जाता था और इसकी एक ज़बरदस्त गति होती है। तो रावण का वध करने के बाद वे अपनी पत्नी के साथ अयोध्या आए और उसी दिन उनका राज्याभिषेक हुआ। नौवें दिन, उन्होंने अपने हथियारों के लिए शक्ति, सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए देवी की पूजा की और दसवें दिन उन्होंने रावण का वध किया। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि श्री राम और उनके राज्य के समय कितने उन्नत लोग थे। कारण यह था कि राजा एक अवतार था; ऐसा भी की वे एक कल्याणकारी  राजा थे जैसा कि सुकरात ने वर्णित किया था। श्री राम की कहानी आदि से अंत तक बहुत दिलचस्प है और अब हमारे पास भारत में हमारे टेलीविजन द्वारा की गई उनके बारे में एक सुंदर श्रृंखला है, जो बहुत अच्छी कीमत पर बेची जाती है, हो सकता है कि जब आप वहां आएं Read More …

Shri Krishna Puja: The 16 000 Powers of Shri Krishna Saint-Quentin-en-Yvelines (France)

श्री कृष्ण पूजासेंट क्वेंटिन (फ्रांस), 16 अगस्त 1987। श्री माताजी: वह क्या है?सहज योगी: छोटे गणेश, एक उपहार।कृपया बैठ जाएँ।श्री माताजी : क्या हिल रहा है?सहज योगी: ऐसा लगता है कि यह मंच है।श्री माताजी: यहाँ क्या हिल रहा है? यह ऊर्जा है?सहज योगी: ऐसा लगता है कि यह मंच है। बच्चों का इस खूबसूरत तरीके से आना और मेरा स्वागत करना बहुत सुंदर था। यह आपको कृष्ण के दिनों में वापस ले जा सकता है, जब बचपन में, उनके दोस्तों द्वारा उनका बहुत सम्मान किया जाता था, और उन्होंने हर संभव सम्मान करने की कोशिश की। उनके जन्म की कहानी तो आप जानते ही हैं। इसके अलावा, आप कहानी जानते हैं –श्री माताजी, [एक तरफ]: मुझे लगता है कि आपको पानी बंद कर देना चाहिए, अन्यथा मेरी वाणी थोड़ी-सी हो सकती है- उनके जन्म की कहानी तो आप जानते ही हैं। यहां हमारे पास दोनों तरफ पानी का बहाव है। जिस तरह से वह जमुना नदी के किनारे अपनी बांसुरी बजाते थे। पूरी ही बात कभी-कभी इतनी मानवीय प्रतित होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। सही समय पर, जब भी जरूरत पड़ी, बचपन में, उन्होंने अपनी शक्तियों को प्रकट किया, कि उन्होंने एक महिला को मार डाला जो एक शैतान [पुतना] थी। अंतत: उन्होने कंस का वध कर दिया।उसके बाद, आप जानते हैं कि उन्होंने गीता का उपदेश दिया, लेकिन यह इतना जल्दि नही हुआ। कंस को मारने के बाद, वह वहां शासन करने के लिए द्वारका चले गये। और वहां उन्हे पांच और पत्नियों से शादी करनी है। Read More …

Birthday Puja मुंबई (भारत)

Birthday Puja Date 21st March 1987 : Place Mumbai Puja Type Speech Language Hindi आप लोगों ने मुबारक किया आपको भी मुबारक। सारी दुनिया में आज न जाने कहाँ कहाँ आपकी माँ का जन्मदिन मनाया जा रहा है। उसके बारे में ये कहना है कि वो भी आप लोगों में बैठे हुये मुबारक बात देते हैं। इस सत्रह साल के सहजयोग के कार्य में, जब हम नजरअंदाज करते हैं, तो बहुत सी बातें ऐसी ध्यान में आती हैं, कि जो बड़ी चमत्कारपूर्ण हैं। ये तो सोचा ही था शुरू से ही कि इस तरह का अनूठा कार्य करना है। उसके लिये तैय्यारियाँ बहुत की थी। बहुत मेहनत, तपस्या की थी। लेकिन हमारे घर वालों को इसका कोई पता नहीं था। किसी तरह से चोरी-छिपे अकेले में, ध्यान-धारणा की और विचार होते थे कि किस तरह से मनुष्य जाति का उद्धार हो। सामूहिक रूप से हो जायें । जब ये कार्य शुरू हुआ, तब भी इतने जोरों में ये कार्य फैल सकता है ऐसा मुझे एहसास नहीं हुआ। लेकिन ये एक जीवंत क्रिया है और जीवंत क्रिया किस तरह, कहाँ होगी, उसके बारे में कोई भी अंदाज पहले से लगा नहीं सकते। इस तरह से सामूहिकता में ये कार्य अचानक नहीं हुआ। सर्वप्रथम बहुत कम लोग पार ह्ये। लेकिन जब पूरी कार्य का हम सिलसिला ढूँढते हैं और सोचते हैं कि इतने सत्रह साल में सहजयोग में हमने क्या कमी देखी। तो पहली बात ये ध्यान में आती है, कि मनुष्य के स्वभाव को, हमें कल्पना भी नहीं थी और सहजयोग Read More …

Conversation with doctors New Delhi (भारत)

Conversation with doctors, New Delhi (India), 4 November 1986. Left symphatetic nervous system represents our emotional side. Right symphatetic nervous system represents our physical side. When both come into play (i.e. psyche as well as somatic) then psychosomatic problems result. In the over activity of Right side, liver is the commonest to be disturbed. This is because of too much thinking. “Swadistan Centre” has to manufacture grey cells for the brain when brain is over active – futurustic and indulges in wasteful thinking – then these cells are used too much. Liver disorders are also of two types i.e. – slow or inactive liver (in a left sided emotional person) this leads to allergies; – Overactive liver disorders in a Right sided person. Right sided liver disorder (that is overactive or hot liver). Liver has an important function to remove poisions from the body. It removes the heat from the body system into the water in blood. H O = 2. H + O H becomes H-O-H after absorbing 2 O H heat from liver. In alcohol LIVER O H No penetration is possible. H So the heat in the system remains. But with vibrations it is possible to correct it Left side is Hydrogen (MOON), Right is Oxygen, Amino-Acids (NITROGEN) forms the para sypathetic and carbon is below (i.e. Mooladhar). Alcohol causes sluggish liver. In overactivity of liver, Co2 is formed and Oxygen is sucked. So the fuction of liver is disturbed. In lethargic liver, poisions are not removed Read More …

Public Program कोलकाता (भारत)

1986-10-12 Calcutta Public Program (Hindi) और आप सबसे मेरी विनती है, कि जो लोग परमात्मा की खोज में भटक रहे हैं, उन्हें भी पहले संगीत का आश्रय लेना पड़ेगा – उसके बगैर काम नहीं बनने वाला। क्योंकि अपने भारतीय संगीत की विशेषता यह है कि यह अत्यंत तपस्विता से और मेहनत से ही मिलती है। उसकी गंभीरता, उसकी उड़ान, उसका फैलाव, उसकी गहराई, उसकी नज़ाकत, सब चीज़ों में परमात्मा के दर्शन मनुष्य को हो सकते हैं। और सारा ही संगीत उस ओम(ॐ) से निकला है, जिसे लोग रूह के नाम से जानते हैं। इसलिए, जब इस संगीत से मनुष्य तल्लीन हो जाता है, उसके लिए आसान है कि वो परमात्मा को पाए। शायद आपको मेरी बात कुछ काव्यमय लगे और कुछ यथार्थ से दूर प्रतीत हो, शायद ऐसा अहसास हो कि मैं कोई बात को इस तरह से कह रही हूँ, जैसे कि संगीत कलाकारों को आनंद आये, किन्तु यह बात सच नहीं है। अपने अंदर भी सात चक्र हैं और सब मिला कर के बारह चक्र हैं, उसी प्रकार संगीत में भी सात स्वर और पांच और स्वर मिला कर के पूरा एक स्केल बन जाता है। हमारे चक्रों में जब कुण्डलिनी गति करती है, और जो स्वर उठाती है, वही स्वर हमारे संगीत में माने गए हैं। हमारा भारतीय संगीत बड़े दृष्टों ने, ऋषियों ने, मुनियों ने पाया हुआ है। वह चाहे किसी भी धर्म के रहे हों, वह किसी भी देश के हिस्से में पैदा हुए हों, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम वह कहीं भी उनका जन्म हुआ Read More …

Talk to Sahaja Yogis: How To Be Respected, Leadership The Hague Ashram, The Hague (Holland)

सम्मान कैसे प्राप्त करें, नेतृत्व और प्रशासन,हेग (हॉलैंड), 17 सितंबर, 1986 अब। (हिंदी एक तरफ में) तो। अब, आप देखिये, अन्य लोगों को प्रभावित करने के लिए हमें यह जानना होगा कि हमारा स्वयं पर भी कितना नियंत्रण है; यह बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, आप देखते हैं कि कुछ लोगों की कोई उचित छवि नहीं होती है और वे दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, इसलिए यह एक मजाक हो जाता है। कोई भी ऐसे व्यक्ति से प्रभावित नहीं होता जिसकी अपनी कोई छवि नहीं होती। इसलिए, बाहरी काम करने से पहले, आंतरिकता पर काम करना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो हमेशा कार्यालय में देर से आता है, और हमेशा देरी से आता है और समयबद्ध्ता की समझ नहीं रखता है, उसका कभी सम्मान नहीं किया जाता है। इसलिए जब आप लोगों से कहते हैं कि “आपको समय पर होना चाहिए”, तो आपको सबसे पहले समय पर, सही समय पर पहुंचना चाहिए। आपको हमेशा समयबद्ध्ता रखना चाहिए, बिल्कुल, आपको समयबद्ध्ता का पालन करने के लिए जाना जाने वाला व्यक्ति होना चाहिए। मान लीजिए कि आपको दस बजे कार्यालय जाना है, तो आप कार्यालय इस तरह पहुँचें कि आप वहाँ पाँच मिनट पहले हों, बाहर प्रतीक्षा करें और ठीक उसी समय कार्यालय में प्रवेश करें जब आपको जाना हो। यह समय की पाबंदी बहुत महत्वपूर्ण है। यह लोगों की मदद करती है, और लोगों को आपके बारे में भय मिश्रित विस्मय होता है क्योंकि वे सोचते हैं कि “यह सज्जन इतना नियमित है और मैं Read More …

Going from Swaha to Swadha Brompton Square House, London (England)

                “स्वाहा से स्वधा पर जाना,”  श्री माताजी का निवास, 48 ब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन (इंग्लैंड), 3 मार्च 1986। यही आखिरी चीज़, मैंने, दिल्ली में अपने व्याख्यानों में इस्तेमाल की थी कि;  श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जागरूकता नीचे की ओर जाती है और मानव जागरूकता की जड़ें मस्तिष्क में हैं। और जब मनुष्य नीचे की ओर जाने लगते हैं तो वे परमात्मा के विपरीत दिशा में चले जाते हैं। इतना ही उन्होंने कहा है। उन्होंने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा है। अब देखिए, ऐसा होता है कि, उस समय, आप भवसागर में पैदा हुए हैं। अब, जब मानव चेतना विकसित होने लगती है, भवसागर का सार स्वाहा है और उद्देश्य स्वधा है। स्वाहा का अर्थ है उपभोग: सारे विष का क्षय, हर चीज का सेवन। और स्वधा वह है अर्थात: स्व आत्मा है और धा का अर्थ है जो धारण करता है। तो आत्मा का धर्म जब आप में आता है, तो आप गुरु बन जाते हैं। तो भवसागर में यह स्वाहा और स्वधा है। तो स्वाहा से आपको स्वाधा में जाना होगा। यदि आप स्वधा अवस्था में आ जाते हैं तो आपके भीतर महालक्ष्मी जागृत हो जाती है और आप ऊपर उठने लगते हैं। तो इसे ‘उर्ध्वगति’ कहा जाता है: उत्थान की ओर जाना। अवरोही पक्ष को ‘अधोगति’ कहा जाता है। अब अधोगति शुरू होती है क्योंकि नीचे जाना बहुत आसान है, सबसे पहले। दूसरी बात जब आप सीढ़ियों पर होते हैं, सबसे ऊपर, आप सीढ़ियों को बहुत अच्छे से देखते हैं, नीचे जाने के लिए अच्छी तरह Read More …

Dharma Ki Avashyakta – Why is Dharma needed (Evening) Sir Shankar Lal Concert Hall, New Delhi (भारत)

Dharma Ki Avashyakta Aur Atma Ki Prapti 23rd February 1986 Date : Place Delhi : Public Program Type : Speech Language Hindi आत्मा को खोजने वाले सभी साधकों को हमारा प्रणिपात! आज का स्वर्गीय संगीत सुनने के बाद क्या बोलें और क्या न बोलें! विशेषकर श्री. देवदत्त चौधरी और उनके साथ तबले पर साथ करने वाले श्री गोविंद चक्रवर्ती, इन्होंने इतना आत्मा का आनन्द लुटाया है कि बगैर कुछ बताये हये ही मेरे ख्याल से आपके अन्दर कुण्डलिनी जागृत हो गई है। सहज भाव में एक और बात जाननी चाहिए कि भारतीय संगीत ओंकार से निकला हुआ है। ये बात इतनी सही है, इसकी प्रचिती, इसका पड़ताला इस प्रकार है कि विदेशों में जिन्होंने कभी भी कोई रागदारी नहीं सुनी, जो ये भी नहीं जानते कि हिन्दुस्तानी म्युझिक क्या चीज़ है या किस तरह से बनायी गयी है। जिनके बजाने का ढंग और संगीत को समझने का ढंग बिल्कुल फर्क है। ऐसे लोग भी जब पार हो जाते हैं और गहन उतरते हैं, तो आपको आश्चर्य होगा कि बगैर किसी राग को जाने बगैर, ताल को जाने बगैर, कुछ भी जानकारी इसके मामले में न होते | हुए, बस, खो जाते हैं। और जैसे आपके सामने आज चौधरी साहब ने बजाया, जब लंदन में बजा रहे थे, तो घण्टों लोग अभिभूत उसमें बिल्कुल पूरी तरह से बह गये। मैं देखकर आश्चर्य कर रही थी कि इन्होंने कोई राग जाना नहीं, इधर इनका कभी रुझान रहा नहीं, कभी कान पर वे उनके ये स्वर आये नहीं, आज अकस्मात इस तरह का Read More …

Public Program, Satya मुंबई (भारत)

1986-01-21 Public Program: Satya, Mumbai (Hindi) सत्य का स्वरूप, मुंबई 21/01/1986 बंबई शहर के सत्यशोधकों को हमारा प्रणिपात। सत्य की खोज के बारे में अनादि काल से इस देश में अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। इसकी वजह यह है, कि इस भारत वर्ष की जो भूमि है, इस भूमि में बहुत से आशीर्वाद छिपे हुए हैं, जिसके बारे में हम जानते नहीं। यहां की आबोहवा इतनी अच्छी है, कि आप जब घर से निकलते हैं, आपको जैसे लंदन में लबादे लबादे लादने पड़ते हैं और निकलने से पहले 15 मिनट तैयार होना पड़ता हैं, ऐसी कोई आफत नहीं। बाहर आते ही प्रच्छन्न ऐसी सुंदर प्रच्छन्न हवा बहती रहती है। यहां एक इंसान जंगलों में भी, पहाड़ी में भी, झरनों के पार, नदियों के किनारे, बड़े आराम से अपना जीवन बिता सकता है। यह हालत किसी भी देश में इतनी अच्छी नहीं है। या तो देश बहुत ज्यादा गर्म है, या बहुत ज्यादा ठंडे हैं। अतिशय्ता की प्रकृति होने की वजह से वहां पर लोगों को हर समय प्रकृति से झगड़ना पड़ता है, और ये संग्राम करते करते लोगों की वृत्ति आक्रमक; आक्रमण करने वाली हो जाती है। आप आक्रमणकारी हो जाते हैं। जब पहली मर्तबा मैं लंदन गई थी, तो मैं सोचती थी कि यहां कोई प्रकोप है परमात्मा का कि श्राप है, कि आप बाहर एक मिनट भी खड़े नहीं हो सकते। शुद्ध हवा आप एक मिनट भी नहीं ले सकते। घर से निकलीये तो बंद, मोटर में बैठिए दौड़ कर और फिर जहां भी जाइए वहां से दौड़कर Read More …

The Priorities Are To Be Changed Chelsham Road Ashram, London (England)

प्राथमिकताओं को बदला जाना है चेल्शम रोड, क्लैफम लंदन (यूके), 6 अगस्त 1985। अब मेरा इंग्लैंड में प्रवास अपना 12वां वर्ष पूरा कर रहा है और यही कारण है कि मैं आप लोगों से सहज योग के बारे में बात करना चाहती थी। यह कहां तक चला गया है और हमारे पास कहां कमी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि हमने अपने धर्म की स्थापना की है: निर्मल धर्म, जैसा कि हम इसे कहते हैं, विश्व निर्मल धर्म। और आप शब्दों के अर्थ जानते हैं, विश्व का अर्थ है सार्वभौमिक, निर्मल का अर्थ है शुद्ध और धर्म का अर्थ है धर्म। यह अमेरिका में स्थापित किया गया है। और हमें इसे यहां इंग्लैंड में पंजीकृत करना होगा। अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, जब हम किसी धर्म से संबंध रखते हैं, तो हमें यह जानना होगा कि उस धर्म की आज्ञाएं क्या हैं। और अभी तक हमने कुछ भी मसौदा तैयार नहीं किया है। यह ऐसी चीज़ नही हो सकती जिसे लोगों या मनुष्यों के लिये बनायी गईअनुकूल वस्तु नहीं हो सकती है। ऐसा नहीं हो सकता। और आपकी अनुकूलता के लिये इस मे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जैसे रूस में, जैसा कि मैंने आपको कहानी सुनाई, मैं वहां गयी और मैंने कहा, “मैं एक चर्च देखना चाहती हूं।” इसलिए वे मुझे एक चर्च में ले गए, जो ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च था, और मेरे पति भी वहां थे जहां हम वीआईपी थे, इसलिए चर्च का मुखिया नीचे आया और हमें दोपहर के भोजन के लिए Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जनम दिवस पूजा प्रवचन सहज मंदिर, नई दिल्ली, २६.३.१९८५ आज आप लोग हमारा जन्मदिवस मना रहे हैं। यह एक बड़ी सन्तोष की बात है क्योंकि इस कलियुग में कौन माँ का जन्मदिन इस उम्र में मनाता है। इसलिय यह द्योतक है कि आप लोग इस कलियुग में जन्म लेकर के भी अपने मातृधर्म से परिचित ही नहीं लेकिन उसका अवलम्बन भी करते हैं। से इस उम्र में तो जन्म दिन मनाना माने एक-एक साल घटता ही जा रहा है। और बहुत काम करने के बचे हैं। बहुत से अभी कार्य मुझे दिखाई दे रहे हैं जो कि अधूरे से हैं। उन पर मेहनत करनी होगी, ध्यान देना पड़ेगा, तभी वो पूरी तरह से होंगे। हुए दिल्ली में जो काम मैंने कल कहा था कि हमें अपनी सभ्यता की ओर ध्यान देना चाहिए । हमारी सांस्कृतिक स्थिति भी ठीक करनी चाहिए। और तीसरी बात जो बहत महत्वपूर्ण है वो ये कि हमारी जो आत्मिक उन्नति है, उसकी ओर हमें ध्यान ही नहीं देना चाहिए, पर जैसे कोई एक शहीद सर पर कफन बाँध करके किसी कार्य में संलग्न होता है, उसी प्रकार हमें ‘सरफरोशी की तमन्ना’ ले करके सहजयोग करना चाहिए। जब तक हमारे अन्दर ये बात नहीं आती, तब तक सहजयोग सिर्फ हमारे ही लाभ के लिये है। इससे हमें क्या फायदे हुए, इससे हमने क्या-क्या सुख उठाया, यही सब मैं सुनती रहती हूँ। इससे हमारा जो कुछ भी लाभ हुआ है, जो भी हमारा अच्छा हुआ है, वो एक वजह से, एक कारण से हुआ है कि हमने अपनी Read More …

Chaitra Navaratri Puja New Delhi (भारत)

सहजयोगियों के लिये भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का महत्त्व दिल्ली , २५/३/१९८५ आज नवरात्रि के शुभ अवसर पर सबको बधाई ! सहजयोग के प्रति जो उत्कण्ठा और आदर प्रेम आप लोगों में है वो जरूर सराहनीय है, इसमें कोई शंका नहीं। क्योंकि जो हमने उत्तर हिन्दुस्तान की स्थिति देखी है वहाँ पर हमारी परम्परागत जो कुछ धारणाएँ हैं उसी प्रकार शिक्षा प्रणालियाँ हैं, सब कुछ खोई हुई हैं । बहुत कुछ हम लोगों का अतीत मिट चुका है और हम लोग एक उधेड़बुन में लगे हुए हैं कि नवीन वातावरण, तीन सौ साल की गुलामी के बाद स्वतन्त्रता पाने पर तैयार हुआ, वो एक बहुत विस्मयकारी जरूर है, लेकिन विध्वंसकारी भी है । माने कि जैसे कि हम अपने मूलभूत तत्त्वों से उखड़ से गए हैं। उनका सिंचन नहीं हुआ, ये बात जरूर है, लेकिन जो कि हमारा भी रुझान ज्यादा बाह्य की ओर रहा। ये उत्तर हिन्दुस्तान पर एक तरह का शाप सा है। उत्तर प्रदेश में मैं सोचती हूँ कि सीताजीके साथ जो दुर्व्यवहार किया गया उसके फलस्वरूप अब मेरे ख्याल से धोबियों का ही राज शुरू हो गया है। और बड़ी दुःख की बात है कि जब आप उत्तर प्रदेश में सफर करते हैं तो देखते हैं कि लोगों में उथलापन, अधूरापन, अश्रद्धा, अनास्था आदि इतने बुरे गुण आ गये हैं कि लगता नहीं है कि वहाँ कभी सहजयोग पनप सकता है। बड़ा दूसरी बात बिहार, पंजाब, हर जगह ये पाया जाता है कि हम अपने को कहलाते हैं कि हिन्दू या भारतीय हैं, लेकिन हम अपनी Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date : 17th February 1985 Place Delhi Туре Puja Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari अपनी कुण्डलिनी को नीचे नहीं गिरने दें । आज शिवरात्रि के इस शुभ अवसर पे हम लोग एकत्रित हुए हैं और ये बड़ी भारी बात है कि हर बार जब भी शिवरात्रि होती है मैं तो दिल्ली में रहती हूँ। हमारे सारे शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार, सारे चीजों में सबसे महत्वपूर्ण चीज है आत्मा और बाकी सब कुण्डलिनी इसलिए नीचे गिरती है क्योंकि हमारे अन्दर बहुत से पुराने विचार, पुराने conditionings है और इसलिए भी गिरती है कि हम futuristic बहुत हैं। जैसे हम अपने दिल्ली का विचार करें तो दिल्ली में कुछ लोग तो बहुत पुराने विचार के, पुराने व्यवस्था के अनुसार रहते रहे हैं। उनके अन्दर ऐसी-ऐसी भावनाएँ बनी हुई हैं कि जिनको निकालना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि वो धर्म के ही नाम पर ये सब चीजें करते है कि यही धर्म है, इसी में रहना चाहिए। यही सत्य है, यही सब कुछ बाह्य के उसके अवलम्बन है। आत्मा में हम अपने पिता प्रभु का प्रतिबिम्ब देखते हैं। कल आपको आत्मा के बारे में मैंने बताया था। वही आत्मा शिव स्वरूप है। शिव माने जो बदलता नहीं, जो अवतरित नहीं होता, जो अपने स्थान में पूरी तरह से जमा रहता है, जो अचल, अटूट, अनल, ऐसा वर्णित है उस शिव की आज हम अपने अन्दर पूजा कर रहे है वो हमारे अन्दर प्रतिबिम्बित हैं कुण्डलिनी के जागरण से हमने उसे हमें परमात्मा की ओर Read More …

Sahasrara – Atma New Delhi (भारत)

Sahastrar – Atma Date : 16th February 1985 Place Delhi Туре Public Program Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Nirmala Yog सत्य के खोजने वाले सभी साध्कों को हमारा प्रणाम । जीवित रहेंगे? यह हृदय का जो स्पन्दन है- अनहदू, हर आज का मधुर संगीत आज के विषय से बहत सम्बन्धित घड़ी अपने आप ही कार्यान्वित रहता है उसको चलाने के है जिसके लिए मैं देब चौधरी को बहुत-बहुत घन्यवाद देती लिए अगर हमें बाहुय से कोई उपचार करना पड़ता तो हूँ। सभी सहज व्यवस्था हो जाती है और आज संगीत में जो कितने लोग इस संसार में जीवित पैदा होते? ऐसी अनेक आपने सात स्वरों का खेल देखा, हमारे अंदर भी ऐसा ही चीजें जो जीवन्त हैं, हम देखते हैं। फल खिलते हैं अपने आप सुन्दर संगीत नि्माण हो सकता है। यह जो कण्डलिनी के और इनके फल भी हो जाते हैं अपने आप। यह ऋतम्भरा सात चक्र आप देख रहे हैं वे हैं मूलाधार चक्र, मलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, हृदय, विश्द्धि, आज्ञा और सहस्रार। इसके अलावा हमारे अन्दर सूर्य और चन्द्र के भी चक्र हैं। ब्रहमरन्ध्र को छेदने के बाद भी तीन और चक्र हमारे अन्दर हैं और कार्य करते हैं जिन्हें हम अर्धबिन्द, बिन्दू और वलय कहते हैं। यह सार हमारे अन्दर स्वर हैं। जैसे “स” से शुरू करें तो “सा र गा मा पा धा नी” सहलार पर “नी” जाकर पहुँचता है। इसी प्रकार इन सब चक्रों को शक्ति देने वाले ऐसे ग्रह भी हैं। जैसे मूलाधार पर मंगल, स्वाधिष्ठान पर बुद्ध, नाभि Read More …

Talk to Sahaja Yogis: The Time of Destruction Milan (Italy)

                    “विनाश की बेला”  सहज योगियों से बात   इटली, १९८४, सितंबर, १८  श्री माताजी : धुआँ। धुएं की तरह। सहज योगी: “फुमो”। श्री माताजी: और यह कितनी बेतुकी जगह है। और हैरानी की बात यह भी है कि हर 28 मिनट में एक जगह धरती मां से हर 28 मिनट में पानी निकलता है। यह ठीक 28 मिनट के बाद फव्वारे की तरह निकल पड़ता है। यह एक बहुत ही मज़ेदार जगह है और बहुत सारी सल्फर है, वहाँ बहुत सारा सल्फर है। बस गंधक के बुलबुले निकल रहे है, आप देखते हैं कि अचानक कहीं से पानी उंडेले जाने की तरह गर्म पानी निकल रहा है। क्या आप ऐसी जगह की कल्पना कर सकते हैं? अब, एंडीज एक और स्थान है। एंडीज एक ऐसा प्रकार है जो झटके देगा, भूकंप देगा। यह बहुत सारे भूकंप देगा और इसमें बहुत सारा सोना भी है क्योंकि यह एक दायाँ पक्ष है, बहुत सारा सोना है और यह बहुत सारे भूकंप देगा। जब विनाश की यह बारी आएगी, तो इसका उपयोग भूकंप के रूप में किया जाएगा। वे करेंगे, यह भूकंप के रूप में कार्य करेगा। अमेरिका वह पूरा हिस्सा है, ऊपर से नीचे तक यह सब एंडीज है। और वह सब बिखर जाएगा। तो विनाश के समय ये दोनों बल अधिक कार्य करेंगे। ऐसे में इससे सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि, आप देखिए, बोलीविया, पेरू और इन सभी जगहों पर, ये लोग यहाँ से गए। उन्होंने इनमें से बहुत से लोगों को मार डाला। इनमें से कई जातियों को पूरी तरह Read More …

Raksha Bandhan and Maryadas (England)


(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, रक्षाबंधन, मर्यादा, लंदन, 1984) 
यू.के. के इस सुंदर दौरे के बाद मुझे भरोसा हो चला है कि सहजयोग ने अब अपनी जड़ें पकड़ ली हैं और उनमें से कुछ पौधों को उगते हुये भी आप देख सकते हैं। यह हैरान करने वाली बात है कि जैसे ही मैंने घोषणा की कि यह मेरा यू.के. का यह आखिरी दौरा होगा तो सब कुछ क्रियान्वित होने लगा है। जहां-जहां भी हम गये हमारा दौरा सफल और अच्छा रहा खासकर कुछ स्थानों पर तो यह अत्यंत चमत्कारपूर्ण भी था। आपने उस महिला के बारे में तो अवश्य ही सुना होगा जो अपने घर से बाहर निकलती ही नहीं थी …….. क्योंकि वह एग्रोफोबिया नामक रोग से पीड़ित थी। प्रेस ने हमें चुनौती दे डाली थी कि हमें उसको ठीक करना ही होगा क्योंकि वह अपने घर से बाहर निकल ही नहीं पाती थी। उसके फोटोग्राफ पर कार्य करने और थोड़े से उपचार मात्र से ही वह ठीक हो गई और अब वह अच्छी तरह से चल फिर लेती है। मीडिया ने अखबारों में बड़ी खबर बना कर इसे छाप दिया …….. जब गुरू माँ ने अपना वचन निभाया। यह उन चमत्कारों में से केवल एक है जबकि ऐसे कई चमत्कार घटित हो चुके हैं जिसकी रिपोर्ट भी आप देख सकते हैं। मुझे कहना चाहिये कि आप सभी सहजयोगियों ने मुझसे सहयोग किया, वे सभी बहुत सक्रिय और अत्यंत प्रोग्रेसिव भी थे। मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं और स्वयं में सुधार भी Read More …

Talk to doctors: the fourth dimension and the parasympathetic Brighton (England)

               श्री माताजी की डॉक्टरों से बातचीत ब्राइटन (यूके), 26 जुलाई 1984। श्री माताजी: जिस चौथे आयाम के बारे में उन्होंने उल्लेख किया है, वे उसका क्या अर्थ लगाते है? वह महत्वपूर्ण बात है। वारेन: वे उस अतींद्रिय अवस्था को कहते हैं। श्री माताजी: लेकिन क्या? वारेन: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते। (यहाँ माँ फिर से कहती है “क्या?”, जबकि वॉरेन शब्द “वर्णन” कह रहा है) श्री माताजी: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते, आप देखिए। मान लें कि किसी के दिल की धड़कन कम है, नाड़ी की दर कम है या ऑक्सीजन की ग्रहण क्षमता या कुछ भी कम है। वारेन: यह अतींद्रिय स्थिति नहीं है। श्री माताजी: वह अतींद्रिय अवस्था नहीं है, क्योंकि आप अभी भी उस अवस्था में हैं, जहाँ आपका ध्यान आपके शरीर पर है। तो, यह एक अतींद्रिय नहीं है, आपको इन्द्रियों के पार जाना होगा। (ट्रान्सडैंटल) अतींद्रिय का मतलब है कि आपको परानुकम्पी (पैरासिम्पेथेटिक) पर कूदना होगा। देखें, हम कह सकते हैं, हमारे पास चार आयाम हैं । एक आयाम है बायीं अनुकम्पी (लेफ्ट सिम्पैथेटिक)का, दूसरा दायीं अनुकंपी (राईट सिम्पैथेटिक)का है, फिर हमें मध्य तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम )प्राप्त हुआ है, जो हमारा चेतन मन है और चौथा आयाम परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) है। क्या वह परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक)पर कूदता है? वारेन: हम करते हैं। श्री माताजी: हाँ। सहज योग में आप परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) पर कूदते हैं; अर्थात आपका चित्त परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र (पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम )को नियंत्रित करना शुरू कर देता है। फिर हम यह कैसे साबित करते हैं कि हम चौथे आयाम के हो Read More …

New Year Puja, Who Is A Sahaja Yogi? New Delhi (भारत)

1984-01-03, New Year Puja: Who Is A Sahaja Yogi?, Delhi Nav Varsh Puja – S. Sahajyogi Ki Pahechan 3rd January 1984 Date : Place Delhi : ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Nirmala Yog लेकिन माँ की व्यवस्था और है कि पहले चैतन्य को पा लो. जान लो कि परमात्मा है, उस पर विश्वास करो जो अन्धविश्वास नहीं है, सत्य के रूप हर साल नया साल आता है और पुराना साल खत्म हो जाता है। सहजयोगियों के लिए हर क्षण एक नया साल है, क्योंकि वो वर्तमान में रहते है। न तो वो भविष्य में रहते हैं, और न ही वो बीते हुए भूत में और अब थोड़ी सी मेहनत से भी बहुत बड़ा काम हो सकता है। जैसे कि किसी को पहले सिखाया जाये कि देखो पानी से डरना नहीं। लैक्चर दिया जाए। पहले अपने को जमीन पर ही तैरा के देखो। वहीं काल में रहते हैं। हर क्षण उनके लिए एक नया साल है, एक नई उमंग है, एक नई लहर है। तुम पर हाथ मारो दो-चार। और काफी दिन से मेहनत की जाए और फिर धीरे-धीरे पानी में लाया जाए। जैसे पानी देखा फिर भाग गए। जैसे कि समुद्र पर तैरते हुए हर क्षण कोई समुद्र के प्यार से उछाला जाय, उसी प्रकार हरेक सहजयोगी को आनन्द, प्रेम, शान्ति का आहुलाद मिलते रहता है। बस बात ये है कि क्या हम तैरना सीख गये हैं या नहीं। सहजयोंग में जिसने तैरना और एक होता है पानी में ढकेल दो, फिर सिखाते रहेंगे। इसी तरह आप लोग आनन्द Read More …

Joy has no duality Société d’Encouragement pour l’Industrie Nationale, Paris (France)

सार्वजनिक कार्यक्रम, पेरिस (फ्रांस), 16 जून 1983।॥आनंद में कोई पाखंड नही होता ॥ मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। मनुष्य सत्य की खोज प्राचीन काल से करता रहा है। उन्होंने सत्य की खोज विभिन्न प्रकार की खुशीयो में करने की कोशिश की और कई बार उन्होंने इसका त्याग किया क्योंकि उन्होंने पाया कि खुशी स्थायी नहीं है। थोड़े समय के लिए उसे किसी चीज से खुशी प्राप्त हुई और फिर उसने पाया कि इससे उसे बड़ा दुख भी हुआ। जैसे,एकऔरत जिसकी कोई संतान नहीं थी इसलिए वह रोती-बिलखती रहती थी; और उसको एक बच्चा हुआ था जिसने बाद में उसे ही अस्वीकार कर दिया। फिर, मनुष्य सुख की तलाश, सत्ता में, अन्य पुरुषों पर अधिकार में, अन्य देशों पर शक्ति में खुशी पा कर करने लगे, फिर भी बहुत अधिक संतुष्ट नहीं थे। उनके बच्चे पूर्वजों ने जो किया उसके लिए खुद को दोषी महसूस करने लगे। फिर गतिविधी कुछ और सूक्ष्म की तलाश में शुरू की – जो की कला और संगीत में थी। उसकी भी सीमाएँ थीं। यह लोगों को वह स्थायी आनंद नहीं दे सकी। यह वादा किया जाता है कि एक दिन आप सभी को यह स्थायी आनंद प्राप्त करना होगा। और फिर उन्होंने ऐसे सभी लोगों को चुनौती देना शुरू कर दिया, जिन्होंने उपदेश किया था और जो वादा करते रहे हैं कि ऐसा दिन आएगा। कई लोग इस नतीजे पर पहुंचे कि आनंद जैसा कुछ नहीं है, जीवन हर समय लहरों के दो चेहरों हैं। एक सिक्के के दो पहलू की Read More …

Mental Projection, Guru Puja Evening Talk Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

[Translation English to Hindi]                   मानसिक कल्पना सहज योगियों से बातचीत   निर्मला पैलेस आश्रम, नाईट एंगल लेन 1982-04-07 नोट [कृपया ध्यान दें श्री माताजी उस समय उपस्थित भारतीय नर्तकियों के लिए अनुवाद करती हैं और मैंने इसे कोष्ठक में (भारतीय भाषा में बोलती है) के रूप में चिह्नित किया है।] श्री माताजी: क्या आप कल सुबह आ सकते हैं, उन्होंने कहा कि शायद यह कल के बाद से बेहतर होगा, ….कुछ न कुछ तर्क संगत, मैंने कहा। ????कृपया बैठ जाइये। अभी वीडियो रिकार्डिंग क्यों कर रहे है आप इसे क्यों रखना चाहते हैं? कुछ अनौपचारिक ढंग खोजें। योगी: नहीं, हम वीडियो नहीं चाहते हैं योगी: इन से लोगों को बहुत मदद मिलती हैं माँ। श्री माताजी: क्या आप ऐसा सोचते हैं? योगी: हाँ माँ ये अनौपचारिक वार्ताएं हैं जो वास्तव में दुनिया भर के लोगों की मदद करती हैं।  योगी: लोगों के लिए योगी: आप इसे रात में देख सकते हैं श्री माताजी: आप इसे रात में देख सकते हैं योगी: क्षमा करें? श्री माताजी: हम्पस्टेड ?? योगी: हां हम इसे रात में देख सकते हैं योगी: मेरा अनुरोध था कि इन अनौपचारिक बातचीत को फिल्माना संभव होगा क्योंकि ये हैं…। श्री माताजी: कौन सी? योगी: अनौपचारिक माँ श्री माताजी: कब योगी: अभी एस एम: यह बहुत ही अनौपचारिक है, मुझे लगता है कि ठीक नहीं है? श्री माताजी: अब, मुझे आशा है कि आप सब समझ गए होंगे कि मैंने आज सुबह क्या कहा था। मुझे लगता है कि फिर से देखा जाना चाहिए,  योगी: हाँ श्री माताजी: आपकी Read More …

Shri Rama Navami Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

                                              श्री राम नवमी  चेल्शम रोड, लंदन, इंग्लैंड, 2 अप्रैल 1982 (श्री माताजी बता रहे हैं कि नए लोगों से कैसे बात करें) इसलिए सबसे पहले आपको ऊर्जाओं के बारे में बात करना शुरू करना चाहिए कि:  ये ऊर्जाएँ हमारे भीतर चल रही हैं और वे कैसे सक्रिय होती हैं। फिर आप तीसरी ऊर्जा की बात करते हैं जो वही है जिसने हमें विकसित किया है, और इस तरह हम यहां  हैं। और आप स्वयं  के बारे में बात करते हैं, अपने नियंत्रक के बारे में , जो आप को नियंत्रित कर रहा है, आत्मा। इसलिए यदि आप एक अमूर्त रेखा पर चलते हैं, तो यह बहुत ही आकर्षक होगा। फिर बाद में, एक बार जब आप अपने भीतर स्थित ऊर्जाओं के बारे में बात कर चुके होते हैं, ऐसे, वैसे, यह, – तो आप देखेंगे कि, -एक बार लोग अहंकार महसूस करेंगे, “ओह, हमारे पास ये ऊर्जाएं हैं। हम इन ऊर्जाओं का उपयोग कर सकते हैं, ऐसा कर सकते हैं , वैसा कर सकते हैं। ” और फिर बाद में, आप उन्हें सहज योग तक ले जाते हैं। लेकिन शुरूआत में हम अमूर्त की बात करते हैं। क्योंकि भारतीय अलग हैं, मेरा मतलब है कि पश्चिमी लोग अलग हैं। वे धर्म से तंग आ चुके हैं, वे इस सब से थक चुके हैं। इसलिए अगर आप धर्म की बात करते हैं तो यह एक समस्या पैदा करता है। इसीलिए, शुरुआत में, वेद, जब लिखे गये थे, उन्होंने भगवान या देवताओं की बिल्कुल भी बात नहीं की थी। उन्होंने निर्माता रूपी Read More …

Shri Krishna Puja, There is a war going on Birmingham (England)

Shri Krishna’s Birthday Puja, Bala’s home, Tamworth, Birmingham (UK), 15 August 1981 वे इस तरह हमला कर रहे हैं की वे सूचनाओ को आप के मस्त्रिष्क में डाल रहे है . अब, हमें यह जानना होगा कि शैतानी बलों और दिव्य शक्तियों के बीच एक युद्ध जारी है अब आप ऐसे लोग हैं, जिन्होंने दिव्य होना चुना है। लेकिन, भले ही आपने इसे चुना है, और इश्वर ने तुम्हें स्वीकार कर लिया है, और आपको अपनी शक्तियां भी दी हैं, फिर भी आपको पता होना चाहिए कि आप अभी भी बहुत नाज़ुक हैं, बहुत, नकारात्मकता की चपेट मे आने के लिए। अब हमेशा, किसी को भी यह याद रखना होगा कि दिव्यता किसी भी मामले में जीत ही जाएगी: इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। मान कि, आप दिव्यता को असफल होने देते हैं, तो यह आप की ही हार होगी,दिव्यता की नहीं। यदि आप सभी दैवीय शक्तियों को असफल होने देते हैं, तो आप को नकारात्मकता के रूप में नष्ट कर दिया जाएगा, अंतिम विनाश में,दिव्य शक्तियों उन सभी को खत्म करेगी जो शैतानी है, इस बारे में कोई संदेह नहीं है। लेकिन यह भी एक मुद्दा है कि कितने लोगों को नष्ट किया जा रहा है, आपको सभी को बहुत जागरूक होना पड़ेगा कि आप बचाए जावें ,और आप उन लोगों में से ना होंगे जोसमाप्त हो जाएँ . जितने भी हम बचाएंगे, उतना ही हमारा आनंद होगा; हम जितने अधिक लोग बचाएंगे अधिक बड़ी शक्ति बह रही होगी और उस प्रभाव का असर इस तरह होगा Read More …

The Scientific Viewpoint Birmingham (England)

                                               वैज्ञानिक दृष्टिकोण बर्मिंघम (यूके), 14 अगस्त 1981। बाला एक वैज्ञानिक हैं और उसकी तरह के अन्य लोग हैं जो विज्ञान से मोहित हैं। ऐसा लगता है कि पूरा आधुनिक विश्व विज्ञान से बहुत अधिक प्रभावित है। लेकिन एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को एक बहुत ही खुले दिमाग वाला रवैया होना चाहिए जैसा कि उन्होंने आपको बताया है। हमें सबसे पहले अपने भीतर कुछ निष्कर्षों पर पहुंचना होगा। दूसरे आपको यह समझना होगा कि यदि आपके सामने कोई परिकल्पना रखी जाती है तो उसे पहले देखा जाना चाहिए, उस पर प्रयोग किया जाना चाहिए और फिर सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। अब प्राचीन काल से, चाहे भारत में, इंग्लैंड में, अमेरिका में, यरुशलम में, कहीं भी, हम सर्वव्यापी शक्ति के बारे में सुनते आ रहे हैं, दूसरा जन्म या आत्म-साक्षात्कार, आत्मा साक्षात्कार, बपतिस्मा जैसा कि वे इसे कहते हैं। ये सब बातें जो हमने सुनी हैं, उन्हें सिद्ध करना है या उन्हें असत्य समझकर त्याग देना चाहिए। हम सत्य और असत्य दोनों को साथ साथ नहीं चला सकते। तो हमें यह पता लगाना होगा कि इन लोगों ने हमें जो भी बताया है,  क्या यह पूरी तरह से झूठ था और ऐसा कुछ भी नहीं था, जो अस्तित्व में था। यह एक आसान तरीका है जिसमें कुछ लोगों ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई दैवीय शक्ति नहीं है। यह सब बेकार चीजें हैं; हम उनकी ओर पीठ करके व्यर्थ ही नहीं जा रहे हैं। ऐसा करना बहुत आसान है। दूसरों ने आँख Read More …

Guru Purnima Chelsham Road Ashram, London (England)

आपको समझना होगा कि स्वयं से इस भौतिकता के लबादे को हटाने के लिये आपको अपने ऊपर कार्य करना होगा। और एक बार जब आपने इसे नियिंत्रत कर लिया तो कम से कम ….. अब आप कहीं भी सो सकते हैं अगर नहीं तो कुछ समय तक जमीन पर सोने का प्रयास करें। सन-टैनिंग के लिये आप क्या नहीं करते हैं … लोग इन बेवकूफियों के लिये स्वयं को रोक ही नहीं सकते हैं क्योंकि इन विचारों को आपके अंदर डाला गया है। इन विचारों को डालने वालों ने आपको शोषण किया है … आपको ये करना चाहिये … वो करना चाहिये… ये करना आवश्यक है … वो करना आवश्यक है। उन्हें तो बस अपने उत्पादों को बेचना है। कभी-कभी उपवास करने का प्रयास करें। मैंने भारतीयों को उपवास करने से मना किया है क्योंकि वे उपवास ही करते रहते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिये वे उपवास करते हैं। भारत में अन्न की कमी है … इसलिये वे उपवास करते हैं। उनको उपवास करने की क्या जरूरत है? लेकिन यहाँ के लोगों के लिये ये आवश्यक है कि वे उपवास करना सीखें और भोजन की ओर ज्यादा ध्यान न दें। भोजन के प्रति आकर्षण का अर्थ है कि आपकी इंद्रियां आपको पागल बना रही हैं…. हैं कि नहीं? हमको सबसे पहले अपने शरीर और बाद में इंद्रियों पर आक्रमण करना चाहिये। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हमारी जीभ है। ये दो प्रकार से कार्य करती है। एक तो स्वाद … खाने का स्वाद और दूसरे ये कड़वे बोलों से दूसरों पर Read More …

The Right Side Caxton Hall, London (England)

                                                 “राइट साइड,”  कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 18 मई 1981। मैं आपसे राइट साइड, दायें तरफ की अनुकंपी प्रणाली Right Side sympathetic nervous system के बारे में बात करूंगी, जो हमारी महासरस्वती की सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा व्यक्त की जाती है, जो हमें कार्य करने की शक्ति देती है। बाईं बाजु से हम कामना करते हैं और दाईं ओर, पिंगला नाड़ी की शक्ति का उपयोग करके, हम कार्य करते हैं। मैं उस दिन आपको राइट साइड के बारे में बता रही थी। आइए देखें कि हमारा राइट साइड कैसे बनता है। जो लोग पहली बार आए हैं उनके लिए मुझे खेद है लेकिन हर बार जब मैं विषय का परिचय शुरू करती हूं, तो फिर वही हो जाता है लेकिन बाद में मैं आपको सहज योग के बारे में समझाऊंगी। अब यह दाहिनी ओर, पिंगला नाडी, एक बहुत ही महत्वपूर्ण ऊर्जा देने वाली शक्ति है जो हमें कार्य करने और सक्रिय करने के लिए प्रेरित करती है। अब यह सभी पांच तत्वों से बना है: आप उन सभी पांच तत्वों को जानते हैं जिन्होंने हमारे भौतिक अस्तित्व और हमारे मानसिक अस्तित्व को बनाया है। इस तरह यह हमारी सभी शारीरिक और मानसिक समस्याओं, मानसिक गतिविधियों और मानसिक और शारीरिक विकास को पूरा करने में हमारी मदद करता है। अब यह, उन पांच तत्वों द्वारा निर्मित होने के कारण, जब, पहली बार, मनुष्य किसी भी संदर्भ में कुछ कार्रवाई करने के बारे में सोचने लगे, जैसे कहो भारत में उन्होंने पहले विचार किया कि, “क्यों नहीं, किसी न किसी तरह, इन तत्वों के Read More …

Christ and Forgiveness Caxton Hall, London (England)

इसा मसीह और क्षमा कैक्सटन हाल, यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) 11 मई, 1981 …उस सत्य की खोजना जिस के बारे में सभी धर्मग्रंथों में वर्णन किया गया है। सभी ग्रंथों में कहा गया है कि, आप का पुनर्जन्म होना है। आप का जन्म होना है, उस  के बारे में पढ़ना नहीं है, सिर्फ यह कल्पना नहीं करनी कि आपका पुनर्जन्म हुआ है, सिर्फ यह विश्वास नहीं करना कि आप का पुनर्जन्म हुआ है या फिर कोई नकली कर्मकाण्ड जो यह प्रमाणित करता है आप दोबारा जन्मे है उस को स्वीकारना नहीं है अपितु निश्चित रूप से हमारे अंदर कुछ घटित होना चाहिए। सच्चाई का कुछ अनुभव तो हमारे अंदर होना ही चाहिए। यह सिर्फ कोई विचार नहीं है कि ये ऐसा है कि, हां! हां! हमारा पुनर्जन्म हुआ है! अब हम चुने हुए लोग हैं! हम सब से बढ़िया लोग हैं! परंतु निश्चित ही कुछ है कि हमारे अंदर कुछ क्रमागत उत्क्रांति है जो प्रकट होनी चाहिए, जिस की सभी धर्मग्रंथों में भविष्यवाणी की गई है। बिल्कुल भी कोई अपवाद नहीं है! हिंदू धर्म से शुरू कर के आज के सब से अधिक आधुनिक व्यक्तित्व, जो हम कह सकते हैं कि नए गुरु नानक है, हम कह सकते हैं कि ये वो हैं जिन्होंने धर्मग्रंथ लिखा। कुरान में साफ़ कहा गया है कि, आप को पीर बनना है,  वह जिसके पास ज्ञान है। वेद स्वयं यही कहते हैं, वेद पढ़ने से, वेद का अर्थ है ‘विद’ माने जानना, अगर आप नहीं जानते तो यह बेकार है।’ पहले अध्याय में, पहले छंद Read More …

What To Do After Self-realisation and Sahasrara Chakra, Delhi New Delhi (भारत)

“1981-0210 स्वयं-उपलब्धि के बाद क्या करें, सहस्रार चक्र [हिंदी] नई दिल्ली (भारत)” “स्वयं-प्राप्ति के बाद क्या करें, सहस्रार चक्र [हिंदी] नई दिल्ली (भारत)” सहजयोग में प्रगति नई दिल्ली, १० फरवरी १९८१ यहाँ कुछ दिनों से अपना जो कार्यक्रम होता रहा है उसमें मैंने आपसे बताया था कि कुण्डलिनी और उसके साथ और भी क्या-क्या हमारे अन्दर स्थित है। जो भी मैं बात कह रही हूँ ये आप लोगों को मान लेनी नहीं चाहिए लेकिन इसका धिक्कार भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये अन्तरज्ञान आपको अभी नहीं है। और अगर मैं कहती हूैँ कि मुझे है, तो उसे खुले दिमाग से देखना चाहिए, सोचना चाहिए और पाना चाहिए। दिमाग जरूर अपना खुला रखें । पहली तो बात ये है कि सहजयोग कोई दकान नहीं है। इसमें किसी प्रकार का भी वैसा काम नहीं होता है जैसे और आश्रमों में या और गुरुओं के यहाँ पर होता है कि आप इतना रुपया दीजिए और सदस्य हो जाइए। यहाँ पर आप ही को खोजना पड़ता है, आप ही को पाना पड़ता है और आप ही को आत्मसात करना पड़ता है।  जैसे कि गंगाजी बह रही हैं। आप गंगाजी में जायें, इसका आदर करें, उसमें नहाएं- धोएं और घर चले आएं। अगर आपको गंगा जी को धन्यवाद देना हो तो दें, न दें तो गंगाजी कोई आपसे नाराज नहीं होती। एक बार इस बात को अगर मनुष्य समझ ले, कि यहाँ कुछ भी देना नहीं है सिर्फ लेना ही है, तो सहजयोग की ओर देखने की जो दृष्टि है उसमें एक तरह की गहनता Read More …