Kundalini will take you to the Truth Parchi di Nervi, Genoa (Italy)

2000-09-04 सार्वजनिक कार्यक्रम, जेनोवा इटली मैं सभी सत्य-साधकों को प्रणाम करती हूँ।हमें यह जानना होगा कि वह सत्य क्या है जिसे हम खोज रहे हैं।सत्य यह है कि आप  एक  शरीर नहीं है,मन,  ये भावनाएँ , और न ही आपकी बुद्धि परंतु आप एक आत्मा है, जिसे हम ‘स्व’ कहते हैं। ऐसा प्रत्येक शास्त्र में लिखा गया है कि आपको ‘स्व’ को पाना है। जब तक आप स्वयं अपने को नहीं जान लेते, तब तक आप परमेश्वर को नहीं जान सकते। यही मुख्य कारण है कि हमारे यहां भगवान के नाम पर इतने झगड़े, युद्ध होते हैं। परंतु अब आपके लिए अपने ‘स्व’ को जानना बहुत सरल हो गया है।जैसा कि उन्होंने आपको बताया गया है कि आपकी त्रिकोणकार अस्थि में एक शक्ति निहित है जिसे हम भारत में ‘कुंडलिनी’ कहते हैं । कुंडल का अर्थ होता है कुण्डलीय आकार और क्योंकि यह साढ़े तीन कुंडल में होती है, इसे कुंडलिनी कहा जाता है। यह सभी धर्मों में कहा गया है; कि आपके पास यह आंतरिक शक्ति है जिसके द्वारा आप अपने ‘स्व’ को जान सकते हैं। यदि इसे जागृत किया जा सकता है तो यह छह चक्रों में से गुजरती है, जैसा कि आपको बताया गया है । ये छह चक्र आपके शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक अस्तित्व के लिए हैं। इतना ही नहीं बल्कि वे आपके आध्यात्मिक अस्तित्व को भी बनाए रखते हैं।यह कुंडलिनी वास्तव में आपकी अपनी माँ है। वह आपकी व्यक्तिगत मां है। वह आप के भीतर विध्यमान रहती है जागृत होने के अवसर की प्रतीक्षा करते हुए Read More …

What is the difference between Sahaja Yoga and other yogas? Milan (Italy)

                              सहज योग और अन्य योग में अंतर  मिलान, 6 अगस्त 1989 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप यहां सत्य को महसूस करने के लिए आये हैं। न की केवल मानसिक रूप से इसकी अवधारणा करने। अब,  एक प्रश्न है, कल लोगों ने पूछा कि सहज योग और अन्य योगों में क्या अंतर है। इन सभी योगों को पतंजलि नामक एक संत ने बहुत पहले लिख दिया था। और उन्होंने इसे आठ पहलुओं वाला अष्टांग योग, अष्टांग कहा। उनका अस्तित्व हजारों साल पहले हुआ था, और उस समय हमारे पास एक प्रणाली थी जिसमें छात्र किसी प्रबुद्ध आत्मा, एक गुरु, सतगुरु के अधीन अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालय में जाते थे। तो, योग अर्थात परमात्मा के साथ मिलन के आठ पहलू हैं। तो, पहला उन्हें जिस रूप में मिला ‘यम’ है। यम, नियम। यम पहले हैं जिसमें उन्होंने लिखा है कि हमें अपने श्वसन को ठीक करने के लिए या अपने दुर्व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए क्या करना चाहिए। तो उसमें से एक तिहाई आसन हैं जहां आप किसी विशेष प्रकार की समस्या के लिए शारीरिक व्यायाम करते हैं। लेकिन वह हठ योग नहीं है। हठ योग एक पूर्ण पतंजलि योग शास्त्र है, योग – अर्थात पूर्ण पतंजलि योग शास्त्र है। आसन या शारीरिक व्यायाम के ये अभ्यास बहुत छोटा भाग हैं, उनमें से एक का चौबीसवां भाग हैं। ‘ह’ और ‘ठ’, ह का अर्थ है सूर्य और ठ का अर्थ है चंद्रमा। अतः हठ योग में दोनों का विचार किया गया है। क्योंकि हमारा अस्तित्व Read More …

Shri Bhairavnath Puja: Bhairava and Left Side Garlate (Italy)

श्री भैरवनाथ पूजा  गारलेट, मिलान (इटली), 6 अगस्त 1989 आज हम यहां भैरवनाथ की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। मुझे लगता है कि हमने भैरवनाथ के महत्व को नहीं समझा है जो इड़ा नाड़ी पर ऊपर-नीचे चलते हैं। इड़ा नाडी चंद्रमा की नाडी है, चंद्रमा की है। तो यह हमारे लिए ठंडा करने की एक प्रणाली है। तो भैरवनाथजी का काम हमें ठंडा करना है। उदाहरण के लिए, लोगों का अहंकार के साथ एक गर्म स्वभाव होता है, अपने जिगर के साथ, चाहे वह कुछ भी हो, और यदि कोई व्यक्ति बड़े गुस्से में है, तो भैरवनाथ उसे शांत करने के लिए उस व्यक्ति से शरारत करते हैं। वह गणों की मदद से, गणपति की मदद से, आपके स्वभाव को ठंडा करने के लिए, आपको संतुलन प्रदान करने के लिए अपने नियंत्रण में सब कुछ आयोजित करते है। इसलिए यदि कोई बहुत गर्म स्वभाव का व्यक्ति है और वह अपने स्वभाव की सभी सीमाओं को पार कर जाता है, तो किसी न किसी तरह से, भैरवनाथ , हनुमान की मदद से, यह दिखाने के लिए कि क्रोध की यह मूर्खता अच्छी नहीं है, उसका प्रबंध करेंगे। इसलिए, उदाहरण के लिए, जो लोग उदास हैं या जो लेफ्ट साइडेड हो गए हैं, हनुमान उन्हें इससे बाहर आने में मदद करने की कोशिश करते है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन भैरवनाथ भी इससे बाहर आने में उनकी बहुत मदद करते हैं। अब एक व्यक्ति जो लेफ्ट साइडेड है सामूहिक नहीं हो सकता है। ऐसे व्यक्ति के लिए यह बहुत Read More …

“The light of love”, Evening before Diwali Puja Lecco (Italy)

“प्रेम का प्रकाश”कोमो झील (इटली), 24 ऑक्टुबर 1987। [मंत्र उच्चारण के बाद।]परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।और लक्ष्मी की, समस्त अष्ट लक्ष्मी की कृपा आप पर हो। परमात्मा आपका भला करें। आज हम यहां दीपावली का एक बड़ा उत्सव मनाने के लिए आए हैं, जिसका अर्थ है रोशनी की पंक्तियाँ, या प्रकाश का त्योहार। यह श्री राम के राज्याभिषेक का जश्न मनाने के लिए भी था, यानी प्रतीकात्मक रूप से एक ऐसे राज्य की स्थापना का जश्न मनाने के लिए जिसमें एक कल्याकारी प्रशासन हो।आज मैं आप सभी को यहां अपने सामने बैठी रोशनी के रूप में पाती हूं और इन रोशनीयों के साथ मुझे लगता है कि दीपावली वास्तव में मनाई गई है; मैं उन आँखों की दमकते हुए, तुम्हारे भीतर स्थित उस प्रकाश को उनआँखो में टीमटिमाते हुए देखती हूँ। रोशनी देने वाले दीये में हमें घी जैसी कोई स्निग्ध चीज डालनी है; जो बहुत ही सौम्य और कोमल चीज है, यह हमारे दिल का प्यार है। और वह दूसरों को प्रेम का यह सुखदायक प्रकाश देने के लिए जलता है।ऐसा व्यक्ति जिसके पास प्रेम का यह प्रकाश है, वह स्वयं से भी प्रेम करता है और दूसरों के प्रति प्रेम का संचार करता है। मैं सुन रही थी कि जिस तरह से लोग संत बनने के लिए खुद को प्रताड़ित करते थे। सहजयोगियों को स्वयं को प्रताड़ित करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। लेकिन उच्च गुणवत्ता का प्रकाश बनने के लिए उन्हें प्रेम से परिपूर्ण होना पड़ता है और यह प्रेम उन्हें मिलता कहां से है? आप Read More …

Diwali Puja Tivoli (Italy)

                                                दीवाली पूजा  टिवोली, रोम, 17 नवंबर 1985 आज हम यहां एकत्रित हुए हैं; दिवाली, दीपावली मनाने के लिए। दरअसल सहज योग शुरू होने के बाद ही, असली दिवाली आकार ले रही है। हमारे पास कई खूबसूरत दीपक थे और हमारे पास जलाने के लिए बहुत सारा तेल था। परंतु दीपों को रोशन करने के लिए कोई चिंगारी नहीं थी। और बत्ती जैसा कि आप इसे कहते हैं, हिंदी भाषा में बात्ती कहा जाता है- आपकी कुंडलिनी की तरह है। इसलिए कुंडलिनी को चिंगारी से मिलना था। सभी सुन्दर दीपक बेकार, उद्देश्यहीन, व्यर्थ थे। और यह आधुनिक समय में महान आशीर्वाद हैं, कि इतनी सारे दीपक प्रकाशित हो गए हैं, और हम मानव हृदयों की दीपावली मना रहे हैं। जब आप प्रकाश बन जाते हैं, आप दीपक के बारे में चिंता नहीं करते हैं, यह कैसा दिखता है, इसे कैसे बनाना है, यह सब हो गया है। आपको केवल लौ की, तेल की चिंता करनी है, क्योंकि वह तेल है जो जलता है और प्रकाश देता है। संस्कृत भाषा में – जो देवताओं की भाषा है – तेल को ‘स्निग्धा’, ‘स्निग्धा’ कहा जाता है; कुछ ऐसा जो नरम है लेकिन स्निग्धा है। और ‘स्नेहा’ का अर्थ है प्रेम की दोस्ती’, और अन्य भाषाओं के कवियों ने इस शब्द का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से ‘नेहा’ कहकर किया है। उन्होंने इस प्रेम का गुणगान किया है। हर कवि, हर संत ने अपने सुंदर काव्य में इस शब्द का प्रयोग किया है, चाहे वे वियोग में थी या वे मिलन में थी, योग में, Read More …

एकादश रुद्र पूजा Como (Italy)

एकादश रुद्र पूजा कोमो (इटली) १६ सितम्बर, १९८४ आज, हम एक विशेष प्रकार की पूजा कर रहे हैं जो एकादश रुद्र की महिमा में की जाती हैं । रुद्र – यह आत्मा की, शिवजी की विनाशकारी शक्ति हैं । एक ऐसी शक्ति, जो स्वभाव से क्षमाशील हैं। वह क्षमा करती हैं, क्योंकि हम इंसान हैं, हम गलतियां करते हैं, हम गलत काम करते हैं, हम प्रलोभन में फस जाते हैं, हमारा चित्त स्थिर नहीं रहता – इसलिए वह हमें क्षमा करते हैं। वह हमें तब भी क्षमा करते हैं जब हम अपनी पवित्रता को खराब करते हैं, हम अनैतिक चीजें करते हैं, हम चोरी करते हैं, और हम उन चीजों को करते हैं जो परमात्मा के खिलाफ हैं, उनके (परमात्मा के ) खिलाफ बाते करते है, तो भी वह हमें क्षमा करते हैं, । वह हमारा छिछलापन (सुपरफिशिअलिटीज़ ), मत्सर, हमारी कामवासना, हमारे क्रोध को भी क्षमा करते हैं। इसके अलावा वह हमारे आसक्ति , छोटी ईर्ष्या, व्यर्थताओं और अधिकार ज़माने की भावना – को भी क्षमा करते हैं। वह हमारे अहंकारी व्यवहार और गलत चीजों से हमारे जुड़े रहने को भी माफ कर देते हैं। लेकिन हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है, और जब वह क्षमा करते हैं, तो वह सोचते हैं कि उन्होंने आप पर एक बड़ा अनुग्रह किया हैं, और जिन लोगों को क्षमा किया जाता हैं, और जो अधिक गलतियों को करने की कोशिश करते हैं, वह प्रतिक्रिया परमात्मा के अंदर क्रोध के रूप में बनती है । विशेष रूप से, आत्मसाक्षात्कार के बाद, क्योंकि Read More …