We have to understand that truth is not a mental action Maccabean Hall, Sydney (Australia)

                             सत्य मानसिक क्रियाकलाप नहीं है सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस १. सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 15 मार्च 1983 लेकिन इससे पहले कि हम अपनी खोज के बारे में सही निष्कर्ष पर पहुंचें, हमें यह समझना होगा कि सत्य कोई मानसिक क्रिया नहीं है। अगर आपका मन कहता है कि “यह ऐसा है” तो आवश्यक नहीं की ऐसा ही होना चाहिए। जीवन में यह हमारा प्रतिदिन का अनुभव है कि मानसिक रूप से जब हम कुछ स्थापित करने का प्रयास करते हैं, तो कुछ समय बाद हम पाते हैं कि हम उसके बारे में बिल्कुल सही नहीं हैं। जो कुछ भी हमें ज्ञात है वह पहले से ही है। लेकिन जो कुछ भी अज्ञात है, उसके बारे में भी, यदि आपके पास पूर्वकल्पित विचार हैं, कि “यह अज्ञात है, यह ईश्वर है, यह आत्मा है”, तो ऐसा भी हो सकता है कि आप सत्य से बहुत दूर हैं। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से अगर आपको किसी विषय पर जाना है तो आपको अपना दिमाग बिल्कुल साफ और खुला रखना होगा, कि कई महान संतों, कई महान गुरुओं ने कहा है कि हमें फिर से जन्म लेना है और हम आत्मा हैं। क्या हमें उन पर विश्वास करना चाहिए या नहीं? शायद, हमें कम से कम इस निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए कि उन्होंने किसी से कोई पैसा नहीं लिया और वे नकली लोग नहीं हो सकते थे, उन्होंने पैसे के लिए ऐसा नहीं किया। इसलिए, यदि हमें नया जन्म लेना है, तो सही निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें पता होना चाहिए कि हमारे साथ क्या होना Read More …

Mooladhara and Swadishthan Maccabean Hall, Sydney (Australia)

1981-03-25 मूलाधार और स्वाधिष्ठान, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया  सत्य के सभी साधकों को हमारा नमस्कार।  उस दिन, मैंने आपको पहले चक्र के बारे में थोड़ा बहुत बताया था, जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं और कुंडलिनी, जो त्रिकोणाकार अस्थि, जिसे sacrum (पवित्र) कहते हैं, में बची हुई चेतना है। जैसा मैंने आपको बताया था कि यह शुद्ध इच्छा शक्ति है, जो अभी तक जागृत नहीं हुई है और न ही आपके अंदर अभी तक प्रकट हुई है, जो यहाँ पर उस क्षण का इंतजार कर रही है जब वह जागृत होगी और आपको आपका पुनर्जन्म देगी, आपका बपतिस्मा। या आपको शांति देती है। या आपको आपका आत्म-साक्षात्कार देती है। यह शुद्ध इच्छा है कि आपकी आत्मा से आपका योग हो। जब तक यह इच्छा पूर्ण नहीं होगा, वे लोग जो खोज रहे हैं, काभी भी संतुष्ट नहीं होंगे, चाहे वे कुछ भी करें।   अब, यह पहला चक्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि या सबसे पहला चक्र था जिसका निर्माण किया गया, जब आदिशक्ति ने अपना कार्य करना शुरू किया था। यह अबोधिता, जो कि पवित्रता, का चक्र है। इस पृथ्वी पर सबसे पहली वस्तु का निर्माण किया गया वह पवित्रता थी। यह चक्र सभी मनुष्यों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जानवरों में अबोधिता है, उन्होंने उसको खोया नहीं है, जबकि हमारे पास अधिकार है या हम काह सकते हैं, हमारे पास यह स्वतंत्रता है कि हम इसका परित्याग करे दें। हम यह कर सकते हैं, हम अपने तथाकथित स्वतंत्रता के विचारों के द्वारा किसी भी प्रकार से इसको नष्ट कर सकते हैं।   Read More …