Birthday Puja: Our maryadas Kew Ashram, Melbourne (Australia)

जन्मदिन पूजा मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया), 17 मार्च 1985। आज आप सभी को मेरा जन्मदिन मनाते हुए और साथ ही उसी दिन राष्ट्रीय कार्यक्रम करते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मार्च के महीने में हमारे पास यह एक अच्छा संयोजन है। इसे भारत में वसंत ऋतु के रूप में माना जाता है – मधुमास। यही तुम गाते हो, मधुमास। और जैसा कि आप जानते हैं कि 21 मार्च विषुव है, इसलिए यह एक संतुलन है और कुंडली में सभी राशियों का केंद्र भी है। मुझे इतने सारे केंद्र हासिल करने थे और मैं भी कर्क रेखा पर पैदा हुई थी उसी तरह जैसे कि आप मकर रेखा पर हैं, और आयर्स रॉक मकर रेखा पर है – ठीक मध्य में। इसलिए, इतने सारे संयोजनों पर काम करना पड़ा। तो उत्क्रांति का सिद्धांत है मध्य में होना, संतुलन में होना, मध्य की मर्यादा में होना, केंद्र की सीमाओं में होना, यही सिद्धांत है। तो क्या होता है जब हम मर्यादाओं की सीमाओं को बनाये नही रखते? फिर हम पकड़े जाते हैं। अगर हम मर्यादा में रहते हैं तो हम कभी पकड़े नहीं जा सकते। बहुत से लोग कहते हैं, “मर्यादा क्यों?” मान लीजिए कि हमारे पास मर्यादा है, इस सुंदर आश्रम की सीमाएं हैं और कोई आप पर हर तरफ से,भवसागर पर हर तरफ से हमला कर रहा है, तो अगर आप भवसागर की मर्यादा से बाहर जाते हैं तो आप पकड़े जाते हैं। इसलिए आपको मर्यादा में रहना होगा। और मर्यादाओं पर टिके रहना कठिन होता है जब आपके Read More …

Aim of Seeking Royal Exhibition Building, Melbourne (Australia)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, ‘खोज का उद्देश्य’ रॉयल एग्जीबिशन बिल्डिंग, मेलबॉर्न, ऑस्ट्रेलिया 2 अप्रैल, 1981 मेलबॉर्न आ कर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। मैं यहां आई क्योंकि कोई व्यक्ति जो सिडनी आया था बोला, ‘मां आप को मेलबॉर्न जरूर आना चाहिए। हमें आप की आवश्यकता है।’ जब मैं यहां किसी और उद्देश्य से आई, मुझे अनुभव हुआ की मेलबॉर्न में चैतन्य वास्तव में बहुत अच्छा है, और ये बहुत संभव है, कि यहां अनेक साधक हो सकते हैं। जैसे मैंने कहा, यहां आप सब के बीच होना वास्तव में बहुत सुखद है। ये एक सत्य है, कि समय आ गया है हजारों, हजारों और हजारों के लिए और लाखों लोगों के लिए अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने का, जो इस धरती पर साधकों के रूप में जन्में हैं। उन्हे अपना अर्थ जानना होगा। उन्हे जानना होगा कि प्रकृति ने अमीबा से मनुष्य क्यों बनाया। उनके जीवन का क्या उद्देश्य है? जब तक आप अपने जीवन का उद्देश्य ना पा लें आप खुश नहीं हो पाएंगे, आप संतुष्ट नहीं हो पाएंगे। आप कुछ भी अन्य आज़मा लें। आप अंहकार यात्रा या अन्य यात्राएं जैसे पैसे की खोज पर निकलें, या आप अन्य चीजें आजमा लें जैसे मादक पदार्थों का सेवन, मदिरा का सेवन, योगिक ऊर्जा से हवा में उड़ना, हर प्रकार की चीज़ें, परंतु इन चीज़ों ने किसी को भी संतुष्टि नहीं दी है। आप को वो परम पाना होगा, जिस के बिना हम भ्रांति में हैं। ये परम आप के अंदर है, इस लिए सहज योग एक Read More …