ORF Radio Interview Meli Ashram, Vienna (Austria)

[English to Hindi translation]                                                     साक्षात्कार श्री माताजी ने अपने प्रारंभिक जीवन के बारे में बात की  वियना (ऑस्ट्रिया), 9 जुलाई 1986 रिपोर्टर: क्या हम आपके बचपन से शुरुआत कर सकते हैं? श्री माताजी: हाँ। रिपोर्टर: क्या आप उन परिस्थितियों का थोड़ा-बहुत वर्णन कर सकते हैं जहां आप बड़ी हुईं ? श्री माताजी: मेरा परिवार? रिपोर्टर : हां। श्री माताजी : मैं बहुत प्रबुद्ध लोगों के परिवार से हूँ। मेरे पिता एक भाषाविद् थे और वे चौदह भाषाओं में निपुण थे। वह छब्बीस भाषाओं के बारे में जानते थे और उन्होने कुरान-ए-शरीफ का भी हिंदी भाषा में अनुवाद किया। मेरी माँ उन दिनों गणित में ऑनर्स थीं। इसलिए दोनों ही बहुत पढ़े-लिखे और प्रबुद्ध लोग थे। मेरे जन्म के समय मेरी माँ ने कुछ ऐसा सपना देखा था जिसे वे समझा नहीं सकती थीं, लेकिन उसके बाद उन्हें खुले मैदान में जाकर एक बाघ देखने की बड़ी इच्छा हुई। मेरे पिता एक महान शिकारी थे, क्योंकि जिस क्षेत्र में हम रह रहे थे, वहां बाघ एक खतरा थे। यह छिंदवाड़ा नामक एक हिल स्टेशन था। तो एक राजा थे जो मेरे पिता में बहुत रुचि रखते थे। किसी न किसी तरह एक पत्र आया कि एक बाघ है, एक बहुत बड़ा बाघ है जो प्रकट हुआ है और वे उससे डरते हैं कि वह आदमखोर हो सकता है। सो मेरे पिता मेरी माता को उस स्थान पर ले गए। और वे बैठे थे जिसे हम मचान कहते हैं, जहां उन्होंने कुछ बनाया, ताकि लोग एक पेड़ के ऊपर बैठ सकें, जहां Read More …

Press Conference: The time has come to become the Spirit Vienna (Austria)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, पत्रकार सम्मेलन, वियना, ऑस्ट्रिया, 7 जुलाई, 1986 सहज योगी: क्या समाचार पत्रों से आए लोग कृपया आगे आना चाहेंगे? आगे आ जाइए क्योंकि श्री माताजी से प्रश्न करना आसान रहेगा। श्री माताजी: हां, यह बेहतर होगा अगर आप आगे बैठें। ठीक है!  हम यहां हैं, आप सब अंग्रेजी भाषा जानते हैं, है ना, आप सब लोग जो यहां पत्रकार हैं? अंग्रेजी? ठीक है! हम यहां आप को एक शक्ति के बारे में सूचित करने आए हैं जो हमारे अंदर है। शक्ति जो आप को वो दे सकती है, जिसका आश्वासन सभी संतों, शास्त्रों और सभी अवतरणों ने दिया था।  आज जब आप हर देश में युवाओं को देखते हैं, विशेषकर परदेस में, तो आपको पता चलेगा कि वे अपने वातावरण और अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, और उन्हें लगता है कि किसी वस्तु की कमी है, और वह बहुत ही ज्यादा भ्रमित हैं। अब जब वो भ्रमित हैं, तो वे कुछ खोज रहे है, कुछ परे, कुछ जो उनके लिए अज्ञात है। इस खोज में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं, मादक   पदार्थ, मदिरा का अत्यधिक सेवन हो सकता है, या कोई अन्य विकृतियां जिन के कारण भयानक रोग, असाध्य रोग होते हैं। उनकी भर्त्सना करने के बजाय हमें ये देखना होगा, कि वे ये सब हरकते क्यों कर रहे हैं! उनका उद्देश्य क्या है? उन में कुछ, कुछ गुरुओं के पास भी गए जो बाजार में हैं। विशेषकर जब वे धार्मिक लोगों और धर्मों को देखते हैं, वो विश्वास Read More …

Shri Krishna Puja: Vishuddhi Chakra Vienna (Austria)

                        “विशुद्धि चक्र”  वियना (ऑस्ट्रिया), 4 सितंबर 1983। अमेरिका जाने से पहले मैं विशुद्धि चक्र और हमारे भीतर स्थित श्रीकृष्ण के पहलू के बारे में और बात करना चाहती थी। जिनेवा में पहली पूजा में मैंने इसके बारे में काफी कुछ बोला। इसका कोई अंत नहीं है, निश्चित रूप से क्योंकि यह विराट का केंद्र है। लेकिन समझना यह होगा कि श्रीकृष्ण का संदेश ‘समर्पण’ करना था। अब,  हम स्थूल रूप से जिसे समर्पण सोचते हैं, वह एक शत्रु का दूसरे शत्रु के प्रति समर्पण जैसा है। तो जब ‘समर्पण’ शब्द बोला जाता है, तो ऐसा सोचकर हम अपनी रुकावटें बना लेते हैं कि अब हमें आत्मसमर्पण करना है – दूसरे पक्ष पर कुछ छोड़ दो। लेकिन जब श्री कृष्ण ने समर्पण की बात की तो वे कह रहे थे कि, “अपने शत्रुओं को मुझ पर छोड़ दो ताकि मैं उनसे छुटकारा करवा दूंगा।” अब हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हमारा अहंकार है। और अहंकार के साथ ही अन्य सभी प्रकार की समस्याएं शुरू हो जाती हैं, क्योंकि यह हमारे विकास में सबसे बड़ी रुकावट है। और अहंकार शुरू होता है, जैसा कि आप जानते हैं, विशुद्धि चक्र से और विशुद्धि चक्र में शोषित भी हो सकता है। अब देखते हैं कि यह विशुद्धि चक्र कैसा बना है। हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्वर विशुद्धि चक्र से आते हैं। और देवनागरी भाषा की तरह यह है [अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ रु ऋ ळ ण ॐ अः?] – सोलह। तो जैसा कि आप जानते हैं Read More …

Shri Durga Puja: Mind is just like a donkey Vienna (Austria)

                श्री दुर्गा पूजा                  ‘मन बिलकुल एक गधे जैसा है’  वियना(ऑस्ट्रिया)                                                         26सितंबर 1982 आप सभी को बंधन लेना चाहिए। पूजा से पहले यह बेहतर है| आज पहला दिन है, हम इस देश ऑस्ट्रिया में पूजा कर रहे हैं। यह देश एक ऐतिहासिक देश है, जो की विभिन्न उथल-पुथल से जीवन के इतने सारे सबक सीखने को गुजरा है। लेकिन इंसान ऐसे होते हैं जो की आपदाओं का अपनी गलतियों से संबंध नहीं देखते हैं। यही कारण है कि वे एक ही गलतियों को बार-बार दोहराते हैं। वियना से मुलाकात बाकी थी और मैं उस दिन आयी जब हमने मचिन्द्रनाथ का जन्मदिन ([वह एक सहज योगी शिशु है) मनाया । आप सभी के लिए यह बहुत शुभ है कि वह आज अपने जीवन का एक वर्ष पूरा कर लें। मैं उसे सभी फूल, सबसे सुंदर फूल, सुंदरता और उस पर आनंद, और उसके परिवार, उसके सभी संबंधों और उसके परिवार के साथ आशीर्वाद देती हूं। बहुत सारी चीजें हैं जो पहली बार की गई हैं। मुझे कहना चाहिए, मैं पहली बार ऑस्ट्रिया में वियना आयी हूं, और मैं पहली बार जन्मदिन पर एक बच्चे के पहले जन्मदिन पर आई हूं। और एक अष्टमी पर, जो की आज है, चंद्रमा का आठवाँ दिन, चन्द्रमा का, जो बढ़ रहा है, शुक्लपक्ष; उस समय पहली बार देवी के सभी अस्त्रों की पूजा की जानी है। यह एक Read More …