The Real Becoming, Seminar Old Arlesford Place, Arlesford (England)

                                               “वास्तविक बन जाना”  ओल्ड आर्लेसफोर्ड , नियर विनचेस्टर, हैम्पशायर, इंग्लैंड  18 मई, 1980 … इन सभी मिश्रणों के साथ, अब इसके बारे में सोचो। यह केवल इसलिए है क्योंकि मैंने तुम्हें जन्म दिया है। इससे पहले कोई नहीं कर सका था, मैं आपको बताती हूं। आप दूसरों का इलाज कर सकते हैं; आप सहज योग पर भाषण दे सकते हैं। आप अपनी समस्याओं को जान सकते हैं; आप अपने माता-पिता का इलाज कर सकते हैं। आप अपने खुद के परिवेश को ठीक कर सकते हैं। आप खुद को और दूसरों को साफ कर सकते हैं। केवल आत्मसाक्षात्कार के साथ यह शुरू होता है। यह सब एक साथ एक गठरी में है। यह पहली जागरूकता से जब यह केवल एक इच्छा मात्र थी से क्या छलांग है और यहां आपने सब कुछ शुरू किया। लेकिन ये सभी चीजें जो शुरुआत में जब आप इच्छुक थे, काफी मज़ेदार लग रही थीं,  आप में एक बहुत ही सूक्ष्म,सुंदर स्वरूप बना कर वे आप में आ जाती हैं। इस समय, आप अपने चक्रों, उनकी समस्याओं को महसूस करते हैं। आप फिर से उनका विश्लेषण करना शुरू करते हैं। पश्चिम में सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे विश्लेषण करना शुरू करते हैं। आप उन्हें एक केक देते हैं, वे इसका विश्लेषण करेंगे। उन्हें कुछ भी दें, वे इसका विश्लेषण करेंगे। उन्हें लगता है कि विश्लेषण सबसे बड़ी बात है और यह कि यह विश्लेषण व्यवसाय उनके लिए कितना दीवानापन है। यहाँ वे अपने आत्मसाक्षात्कार पर निर्भर हैं, दूसरी तरफ सब कुछ का विश्लेषण कर Read More …

Preparation for Becoming, Evening Seminar Old Arlesford Place, Arlesford (England)

                   बनने की तैयारी  ओल्ड आर्ल्सफोर्ड (इंग्लैंड) में शाम का सेमिनार,  17 मई 1980। बनने के लिए खुद का सामना करें। तब कुछ बनने की तैयारी की जाती है और समग्र रूप से, जब आप जानते हैं कि यह आपका अहंकार और प्रति-अहंकार है जो आप पर बोझ डाल रहा है, तो आपको उन्हें वाइब्रेशन की जागरूकता से जाँच लेना होगा। अब हमें दो तरह से चित्त देना होगा। पहले एक निरंतर चित्त है जो एक सहज योगी की दिनचर्या है, और दूसरा आपातकालीन चित्त है। मैं कहती रही हूं कि सभी सहज योगियों को अवश्य अपनी डायरी लिखना शुरू करना होगा: पहली, हर दिन के अनुभवों के साथ, यदि आप जानते हैं कि आपको एक डायरी लिखना है, तो आप अपने दिमाग को सतर्क रखेंगे, और दूसरी,जब भी आपको कोई विशेष विचार मिलेगा अतीत या भविष्य का, इसे भी संक्षेप में बताने के लिए। तो, इस तरह, आपके पास दो डायरी होनी चाहिए। अपने निरंतर चित्त के लिए, आपको कुछ निश्चित बिन्दुओं पर अपने दिमाग को स्थित करना होगा। पहला, जैसा कि मैंने कहा, कि अगर आप एक डायरी रखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि आपको याद रखना है कि, क्या महत्वपूर्ण बातें हुई हैं। तो आपका चित्त सतर्क हो जाएगा और आप ऐसे बिंदुओं की तलाश में होंगे, जहां, जो चीज आप देख रहे हैं। और आप आश्चर्यचकित होंगे, यदि आप अपना चित्त सतर्क रखते हैं, तो कितनी नई चीजें आप तक आती हैं – बहुत ही शानदार सुझाव, और जीवन के चमत्कार और भगवान की सुंदरता और Read More …

What is a Sahaja Yogi, Morning Seminar Old Arlesford Place, Arlesford (England)

आपको पता होना चाहिए कि सहज योग एक जीवंत क्रिया है। ठीक उसी प्रकार की क्रिया जिससे एक बीज़, वृक्ष में अंकुरित होता है। यह एक जीवंत क्रिया है। तो यह परमात्मा का काम है। मेरा मतलब है, यह उन्हें करना है। यह आपका कार्य नहीं है । बीज को अंकुरित करना उनका काम है।  लेकिन समस्या इसलिए आती है क्योंकि इस अवस्था में जहां मनुष्य एक बीज़ है, उसके पास स्वतंत्रता है। उनके पास स्वतंत्रता है। इस स्वतंत्रता के साथ, वह ईश्वर की अभिव्यक्ति को, उनके कार्य को बिगाड़ सकता है।  तो पहली चीज जो हमें याद रखनी चाहिए कि इसके बारे में हमें विवेक होना चाहिए। तो पहली बात विवेक की यह है कि यह परमात्मा है जो यह कार्य करेंगे। हम यह नहीं कर सकते। आप बीज़ अंकुरित नहीं कर सकते, फिर आप अपना बीज भी कैसे अंकुरित करेंगे? और इस विवेक में हमें एक चीज़ याद रखनी और  जाननी चाहिए, अपने अंदर, कि आप पूरी क्रिया के अंग प्रत्यंग हैं। हालांकि आपके पास अपनी ‌स्वतंत्रता है, स्वतंत्रता भी इस क्रिया का अंग प्रत्यंग हैं। आप परमात्मा से अलग नहीं है, आपका कोई दूसरा अस्तित्व नहीं है। आप उस पूरी क्रिया के अंग प्रत्यंग हैं । ठीक है ?  तो यह सोचना कि आपको इसके बारे में भी कुछ तय करना है- यह भी गलत है। आप उसी मशीनरी में हैं जहां आप इस अवस्था में लाए गए हैं जहां आप को पूर्ण स्वतंत्रता है अपनी उत्क्रांति के लिए।‌ तो इस स्तर पर जहां आप को पूर्ण Read More …