Devi Puja: The heart is closed, which has to open out Ealing Ashram, London (England)

देवी पूजा (हृदय बंद है जिसे खुलना चाहिए), लंदन(इंग्लैंड), ३० अगस्त २००२  मै नहीं जानती क्या कहूँ (हॅसते हुए)| आप इस घर में रह रहे है अब, और ये बहुत अच्छा था क्योंकि सहज योगी यहाँ रहते थे और उन्होंने मेरे यहाँ वास का आनंद लिया| पर हमें बदलना है और प्रगति करना है| यही बात है| हर बदलाव के साथ आपको प्रगति करनी ही चाहिए, नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं| उस बदलाव का कोई अर्थ नहीं| तो अब वो सोच रहे है की मुझे इस घर में रहना चाहिए| मुझे लगता है यह अच्छा विचार है|  डेरेक ली: (बहुत अच्छी खबर है हमारे लिए माँ)  श्री माताजी, हम आपका शुक्रियादा अदा करना चाहेंगे| यहाँ एलिंग में आकर रहने के लिए, इस घर में इतने लम्बे समय तक| और हम जानते है, की इस घर से सभी प्रकार के आशीर्वाद हमारे लिए आये है | और मै कहना चाहता था, की वह प्रतीकात्मक था श्री माताजी | जब आप यहाँ आये, यह घर पूरी तरह ख़राब और नष्ट हो रहा था | और अब आपने उसे बनाया, उसे पुनः नया तैयार करवाया, बनवाया, एक महल के रूप में, जो यह अभी है| और हम आशा करते है श्री माताजी की आप ऐसा ही आश्चर्यजनक और खूबसूरत बदलाव पा सकते है हमारे साथ, क्योंकि  यह प्रतीकात्मक है (हँसते हुए)|  श्री माताजी: पर क्या मैंने वह नहीं किया? मैंने पहले ही किया है| आप देखे, ये आपकी करनी है| आपने स्वीकार किया, जिससे कार्य हुआ| और मुझे कहना चाहिए की बहुत Read More …

We Have To Be Transformed Royal Albert Hall, London (England)

रॉयल अल्बर्ट हॉल में सार्वजनिक कार्यक्रम। लंदन (यूके), 14 जुलाई 2001. मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप में से कुछ ने सत्य पाया है, आप में से कुछ ने इसे पूरी तरह से नहीं पाया है, और आप में से कुछ ने इसे बिल्कुल नहीं पाया है। लेकिन अगर आप आज की स्थिति में चारों ओर देखते हैं, तो आपको सहमत होना पड़ेगा कि बड़ी उथल-पुथल चल रही है। देशों के बाद देश सभी प्रकार की गलत चीजों को अपना रहे हैं। कोल्ड वॉर जारी है, लोग एक-दूसरे को मार रहे हैं, खूबसूरत जगहों को नष्ट कर रहे हैं, एक-दूसरे का गला काट रहे हैं। वे सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्मित हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उन्हें बनाया है और उन्हें मानवीय जागरूकता के इस स्तर पर लाया है। इस मोड़ पर कोई यह नहीं देख पाता है कि हम सामूहिक रूप से कहां जा रहे हैं। यही है, हमें कहाँ पहुँचना है – या क्या यही हमारी नियति है? क्या यही मनुष्य की नियति है, भूमि या किसी और चीज की खातिर आपस में संघर्ष कर नष्ट हो जाना? पूरी दुनिया को एक मानें, और सोचें कि क्या हो रहा है: हर दिन जब हम अखबार पढ़ते है तो, भयानक खबरें सुनते हैं कि, हर दिन लोग बिना किसी तुक और कारण के आपस में भयानक बर्ताव कर रहे हैं । हमें सोचना होगा, नियति क्या है? हम कहां जा रहे हैं? क्या हम नर्क जा रहे हैं या स्वर्ग जा रहे हैं? हमारी स्थिति क्या Read More …

Without knowing the Self you cannot get rid of your problems Royal Albert Hall, London (England)

2000-09-26 सार्वजनिक कार्यक्रम,  रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन, ब्रिटेन  सत्य को खोजने वाले सभी साधकों को मेरा प्रणाम। इस आधुनिक समय में यह भविष्यवाणी की गई थी कि बहुत – बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे और आप इसका प्रमाण देख सकते हैं। बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे क्योंकि वे असत्य से तंग आ जाएंगे, उन्हें यह भी पता चल सकेगा है कि बहुत सारी चीज़ें सतही हैं, जो बिल्कुल संतोषजनक नहीं है (यह) इस आधुनिक समय का आशीर्वाद है, यद्यपि हम कहते हैं आधुनिक समय सबसे ख़राब है। इसके अत्याचार के कारण, इसकी समस्या के कारण  लोग सच्चाई जानना चाहते हैं और उन्हें सच भी पहले से पता चल जाएगा। इसके अलावा आपको अपने बारे में भी सत्य जानना होगा। मैंने आपको कई बार कहा है कि सच यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, आप यह मन नहीं हैं, आप यह भावनाएं नहीं हैं, अपितु आप शुद्ध आत्मा हैं।  आप हैं, आप सभी  हैं, यह केवल एक कहानी नहीं जो मैं आपको बता रही हूं, यह एक तथ्य है। लेकिन जब वे कहते हैं कि स्वयं को जानो। सभी शास्त्रों में उन्होंने एक समान बात कही है, आपको स्वयं को जानना चाहिए। क्योंकि यदि आप स्वयं को नहीं जानते हैं तो आप परमात्मा को कैसे जानेंगे? इसलिए सबसे पहले आपको स्वयं  को जानना चाहिए और स्व भीतर है। समस्या यह थी कि स्वयं को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें, स्वयं को अनुभव करने के लिए, स्वयं की शक्ति को अनुभव करने के लिए आपको Read More …

On Torsion Area Holiday Inn London – Kensington Forum Hotel, London (England)

                                        वी आई पी रिसेप्शन, LONDON ,UK,DP RAW                                                            2000-09-23 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूँ। ये विशिष्ट समय है जब हमारे पास सत्य के इतने साधक हैं । आश्चर्यजनक रूप से आजकल बहुत सारे लोग जानना चाहते  हैं कि सत्य क्या, और परिणाम उनमें से कुछ खो भी जाते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, यह मन, यह भावनाएं यह तथाकथित बुद्धिमत्ता नहीं हैं लेकिन आप सच्ची आत्मा हैं। सभी शास्त्रों ने कहा है कि जहाँ  तक और जब तक आप खुद को नहीं जानते तब तक आप परमात्मा को कैसे जान पाएंगे। क्योंकि यदि हम स्वयं को वास्तव में नहीं जानते हैं तो हम परमात्मा को जानने के लिए सुसज्जित नहीं हैं और इसलिए स्वयं को जानना इतना महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी चीज है जिसे लोग समझ नहीं पाते हैं क्योंकि ज्यादातर उन्हें कविता में लिखा गया है। और उन सभी ने कहा है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए लेकिन आप स्वयं को कैसे जान पाएंगे कि आपका स्व भीतर है और बाहर नहीं। तो अपने आप को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें यह समस्या है। यह समस्या वास्तव में इतनी महान है कि बहुत से लोगों को जानने के ज्ञान से बाहर रखता है। अब मुझे आपको अपने बारे में बताना चाहिए कि मैंने खुद महसूस किया है कि लोगों को खुद को जानने की एक बड़ी समस्या है, हालांकि मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से जानती थी । दूसरों को अपने बारे Read More …

Going from Swaha to Swadha Brompton Square House, London (England)

                “स्वाहा से स्वधा पर जाना,”  श्री माताजी का निवास, 48 ब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन (इंग्लैंड), 3 मार्च 1986। यही आखिरी चीज़, मैंने, दिल्ली में अपने व्याख्यानों में इस्तेमाल की थी कि;  श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जागरूकता नीचे की ओर जाती है और मानव जागरूकता की जड़ें मस्तिष्क में हैं। और जब मनुष्य नीचे की ओर जाने लगते हैं तो वे परमात्मा के विपरीत दिशा में चले जाते हैं। इतना ही उन्होंने कहा है। उन्होंने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा है। अब देखिए, ऐसा होता है कि, उस समय, आप भवसागर में पैदा हुए हैं। अब, जब मानव चेतना विकसित होने लगती है, भवसागर का सार स्वाहा है और उद्देश्य स्वधा है। स्वाहा का अर्थ है उपभोग: सारे विष का क्षय, हर चीज का सेवन। और स्वधा वह है अर्थात: स्व आत्मा है और धा का अर्थ है जो धारण करता है। तो आत्मा का धर्म जब आप में आता है, तो आप गुरु बन जाते हैं। तो भवसागर में यह स्वाहा और स्वधा है। तो स्वाहा से आपको स्वाधा में जाना होगा। यदि आप स्वधा अवस्था में आ जाते हैं तो आपके भीतर महालक्ष्मी जागृत हो जाती है और आप ऊपर उठने लगते हैं। तो इसे ‘उर्ध्वगति’ कहा जाता है: उत्थान की ओर जाना। अवरोही पक्ष को ‘अधोगति’ कहा जाता है। अब अधोगति शुरू होती है क्योंकि नीचे जाना बहुत आसान है, सबसे पहले। दूसरी बात जब आप सीढ़ियों पर होते हैं, सबसे ऊपर, आप सीढ़ियों को बहुत अच्छे से देखते हैं, नीचे जाने के लिए अच्छी तरह Read More …

The Priorities Are To Be Changed Chelsham Road Ashram, London (England)

प्राथमिकताओं को बदला जाना है चेल्शम रोड, क्लैफम लंदन (यूके), 6 अगस्त 1985। अब मेरा इंग्लैंड में प्रवास अपना 12वां वर्ष पूरा कर रहा है और यही कारण है कि मैं आप लोगों से सहज योग के बारे में बात करना चाहती थी। यह कहां तक चला गया है और हमारे पास कहां कमी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि हमने अपने धर्म की स्थापना की है: निर्मल धर्म, जैसा कि हम इसे कहते हैं, विश्व निर्मल धर्म। और आप शब्दों के अर्थ जानते हैं, विश्व का अर्थ है सार्वभौमिक, निर्मल का अर्थ है शुद्ध और धर्म का अर्थ है धर्म। यह अमेरिका में स्थापित किया गया है। और हमें इसे यहां इंग्लैंड में पंजीकृत करना होगा। अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, जब हम किसी धर्म से संबंध रखते हैं, तो हमें यह जानना होगा कि उस धर्म की आज्ञाएं क्या हैं। और अभी तक हमने कुछ भी मसौदा तैयार नहीं किया है। यह ऐसी चीज़ नही हो सकती जिसे लोगों या मनुष्यों के लिये बनायी गईअनुकूल वस्तु नहीं हो सकती है। ऐसा नहीं हो सकता। और आपकी अनुकूलता के लिये इस मे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जैसे रूस में, जैसा कि मैंने आपको कहानी सुनाई, मैं वहां गयी और मैंने कहा, “मैं एक चर्च देखना चाहती हूं।” इसलिए वे मुझे एक चर्च में ले गए, जो ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च था, और मेरे पति भी वहां थे जहां हम वीआईपी थे, इसलिए चर्च का मुखिया नीचे आया और हमें दोपहर के भोजन के लिए Read More …

Shri Gruha Lakshmi Puja: In your houses you must do Gruhalakshmis’ puja Brompton Square House, London (England)

श्री गृहलक्ष्मी पूजाब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन, 1985-0805 तो, इस घर को बनाने और इसे इतना सुंदर बनाने में मदद करने के लिए आप सभी को धन्यवाद देना है। सारी कृतज्ञता हम दोनों की ओर से है [श्री माताजी और सर सीपी]।आज का दिन बहुत दिलचस्प है जब आप यहां गृहलक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं, यानी इस घर की गृहलक्ष्मी। इसी प्रकार अपने परिवार में भी अपने घरों में गृहलक्ष्मी की पूजा अवश्य करें। स्त्री को स्वयं गृहलक्ष्मी बनना है और फिर उसकी पूजा करनी चाहिए।“यत्य नारीया पूज्यन्ते, तत्र भ्रामंते देवता।” जहां नारी का सम्मान और पूजा होती है, वहां सभी देवताओं का वास होता है। लेकिन उन्हें भी सम्मानजनक होना चाहिए। यदि वे आदरणीय नहीं हैं तो देवताओं का वास वहाँ नहीं होगा। इसलिए, गृहलक्ष्मी पर सम्मानजनक होने की एक बड़ी जिम्मेदारी है ताकि परिवार में सभी देवता खुश रहें। और एक बार उसका सम्मान होने के बाद, वह भी सम्मानजनक बनने की कोशिश करेगी। इसलिए गृहलक्ष्मी का सम्मान बहुत जरूरी है। आज हम विश्वकर्मा और ब्रह्मदेव के आशीर्वाद से, उन सभी बिल्डरों कीऔर से जिन्होंने यहां हमारी मदद की; जिन्होंने इस घर को इतना खूबसूरत बनाने की कोशिश की है,यह छोटी पूजा कर रहे हैं । साथ ही, जैसा कि आप जानते हैं, ब्लेक ने इस घर का वर्णन किया है। इसका एक विशेष महत्व है और अब हमें इसे किसी और को सौंपना है, जो इस घर की सराहना और सम्मान करेगा; जो की इस घर का मूल्य और कीमत को समझेगा। और इसके लिए हमें प्रार्थना करनी Read More …

Put me in your Heart Chelsham Road Ashram, London (England)

                 “मुझे अपने दिल में रखो” चेल्शम रोड, लंदन (यूके), 5 अक्टूबर 1984 श्री माताजी : कृपया बैठ जाइए। ठीक है। योगी: क्योंकि आज हम कुछ समय के लिए अपनी मां को और ऑस्ट्रेलिया के अपने आदरणीय भाई डॉ वारेन को भी विदाई दे रहे हैं, जिन्होंने यहां रहते हुए अथक परिश्रम किया है। हमारी माँ की ओर से और हमारी ओर से, और इस देश में काम करने में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे जबरदस्त काम किया; और हम चाहते हैं कि इसे सिर्फ यह बताने का एक विशेष अवसर हो कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और वह है, जो कुछ भी वह हमसे कहते है, वह हमारे हृदय का भला करता है। डॉ वारेन: श्री माताजी, यह वास्तव में मेरे लिए आश्चर्य की बात है। श्री माताजी : कृपया थोड़ा और आगे आएं। डॉ वारेन: मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात मैं यह कह सकता हूं कि मुझे यहां रहने में कितना आनंद आ रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी हृदय में आए, हम सभी को प्रसारित करना है और जब भी मुझे पता चलता है कि मैं यहां आया हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। क्योंकि मैं इस तरह से नहीं सोचता कि मैं कुछ कर रहा हूं। जब आप श्री माताजी की उपस्थिति में होते हैं, जैसा कि आप में से कई लोग महसूस करते हैं, यह समर्पण की ऐसी अभिव्यक्ति है। लेकिन समर्पण जो आपको मानसिक आशंका से परे ले जाता है कि समर्पण क्या है, क्योंकि Read More …

Shri Yogeshwara Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

(परम पूज्य श्रीमाताजी, श्रीकृष्ण पूजा, चेल्शम रोड, लंदन, 15 अगस्त, 1982) एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि वह योगेश्वर हैं और जो बात हमें समझनी है वह यह है कि जब तक आप योगेश्वर के मार्ग का अनुसरण नहीं करते तब तक स्वयं को पूर्णतया स्थापित नहीं कर सकते हैं। श्रीकृष्ण ने कहा सर्वधर्माणां परितज्य मामेकम् शरणम् व्रज। अपने सभी संबंधियों व संबंधों जैसे अपने भाई, पत्नी, बहनों …. को छोड़कर केवल मुझ एक कृष्ण को भज … देखिये ये सब धर्म हैं जैसे स्त्रीधर्म …. अर्थात एक स्त्री का धर्म क्या है। इसी प्रकार से हम कह सकते हैं राष्ट्रधर्म। आज भारत की स्वतंत्रता का भी दिन है। तो हमारा राष्ट्रधर्म भी है …. हम देशभक्त लोग हैं। अपने देश के लिये प्रेम होना ही राष्ट्रधर्म है। इसके बाद समाजधर्म आता है … अर्थात समाज के प्रति आपका कर्तव्य। इसके बाद पति धर्म इसका अर्थ है पति का पत्नी के प्रति कर्तव्य, पत्नी का पति के प्रति कर्तव्य। सभी के कर्तव्य धर्म कहलाते हैं। लेकिन उन्होंने कहा इन सभी धर्मों को छोड़कर … अपने कर्तव्यों को छोड़कर पूर्णतया मुझको समर्पित हो जाओ … सर्वधर्माणां परितज्य मामेकम् शरणम् व्रज। चूंकि अब आप सामूहिक व्यक्तित्व बन गये हैं … आपका उनके साथ ऐक्य हो गया है … और वही आपके धर्मों की …. कर्तव्यों की रक्षा कर रहे हैं। वहीं उनकी ओर दृष्टि किये हुये हैं … वही उनको शुद्ध कर रहे हैं अतः आपको स्वयं को उनको पूर्णतया समर्पित कर देना चाहिये। उन्होंने उस समय ये बात केवल अर्जुन को Read More …

Mental Projection, Guru Puja Evening Talk Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

[Translation English to Hindi]                   मानसिक कल्पना सहज योगियों से बातचीत   निर्मला पैलेस आश्रम, नाईट एंगल लेन 1982-04-07 नोट [कृपया ध्यान दें श्री माताजी उस समय उपस्थित भारतीय नर्तकियों के लिए अनुवाद करती हैं और मैंने इसे कोष्ठक में (भारतीय भाषा में बोलती है) के रूप में चिह्नित किया है।] श्री माताजी: क्या आप कल सुबह आ सकते हैं, उन्होंने कहा कि शायद यह कल के बाद से बेहतर होगा, ….कुछ न कुछ तर्क संगत, मैंने कहा। ????कृपया बैठ जाइये। अभी वीडियो रिकार्डिंग क्यों कर रहे है आप इसे क्यों रखना चाहते हैं? कुछ अनौपचारिक ढंग खोजें। योगी: नहीं, हम वीडियो नहीं चाहते हैं योगी: इन से लोगों को बहुत मदद मिलती हैं माँ। श्री माताजी: क्या आप ऐसा सोचते हैं? योगी: हाँ माँ ये अनौपचारिक वार्ताएं हैं जो वास्तव में दुनिया भर के लोगों की मदद करती हैं।  योगी: लोगों के लिए योगी: आप इसे रात में देख सकते हैं श्री माताजी: आप इसे रात में देख सकते हैं योगी: क्षमा करें? श्री माताजी: हम्पस्टेड ?? योगी: हां हम इसे रात में देख सकते हैं योगी: मेरा अनुरोध था कि इन अनौपचारिक बातचीत को फिल्माना संभव होगा क्योंकि ये हैं…। श्री माताजी: कौन सी? योगी: अनौपचारिक माँ श्री माताजी: कब योगी: अभी एस एम: यह बहुत ही अनौपचारिक है, मुझे लगता है कि ठीक नहीं है? श्री माताजी: अब, मुझे आशा है कि आप सब समझ गए होंगे कि मैंने आज सुबह क्या कहा था। मुझे लगता है कि फिर से देखा जाना चाहिए,  योगी: हाँ श्री माताजी: आपकी Read More …

Easter Puja and Havan, The Creation of Lord Jesus Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

ईस्टर पूजा, “प्रभु यीशु मसीह का सृजन”| नाइटिंगेल लेन आश्रम, लंदन (इंगलैंड), १९८२–०४–११| आप सभी को ईस्टर की शुभकामनाएँ। आज हम उस  दिन का उत्सव मना रहे हैं जो बहुत, बहुत महत्वपूर्ण है, पूर्ण रूप से, सबसे अधिक महत्वपूर्ण दिन हम कह सकते हैं जब इतनी महान घटना घटित हुई। और इसे  इसी प्रकार घटित होना था क्योंकि, यह सब एक प्रकार से नियत था|  मेरे पिछले व्याख्यानों में, मैंने आपको बताया है कि किस प्रकार ईसा मसीह का पहले वैकुंठ में सृजन हुआ। ‘देवी महात्म्य’ के अनुसार – यदि आप इसे पढ़ें – उनका सृजन महाविष्णु के रूप में हुआ; और यह बहुत स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि पहले उनका सृजन एक अंडे के रूप में हुआ था। यह इस ग्रंथ में लिखा हुआ  है, जो संभवत लगभग  १४००० वर्ष पूर्व लिखा गया था। यह ग्रंथ ईसामसीह के बारे में भविष्यवाणी करता है और और इसलिए लोग, विशेषकर पश्चिम में, एक दूसरे को मित्रता स्वरूप एक अंडा भेंट करते हैं । अतः, पृथ्वी पर सबसे पहले अंडे के रूप में जो अस्तित्व हुआ वह ईसा मसीह थे और उसका एक भाग उसी स्थिति में रखा गया और शेष भाग आदि शक्ति द्वारा , महालक्ष्मी द्वारा , ईसा मसीह के सृजन में उपयोग किया गया। उस प्राचीन ग्रंथ में उन्हें ‘महाविष्णु’ कहा गया, अर्थात विष्णु का महत्तर स्वरूप। किंतु वास्तव में, विष्णु पिता हैं और वे आदिशक्ति द्वारा सृजित पुत्र हैं। मेरे व्याख्यान के पश्चात मैं चाहूँगी, यदि आपके पास वह ग्रंथ हो, तो  इनके लिए पढ़ा जाए- Read More …

Shri Rama Navami Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

                                              श्री राम नवमी  चेल्शम रोड, लंदन, इंग्लैंड, 2 अप्रैल 1982 (श्री माताजी बता रहे हैं कि नए लोगों से कैसे बात करें) इसलिए सबसे पहले आपको ऊर्जाओं के बारे में बात करना शुरू करना चाहिए कि:  ये ऊर्जाएँ हमारे भीतर चल रही हैं और वे कैसे सक्रिय होती हैं। फिर आप तीसरी ऊर्जा की बात करते हैं जो वही है जिसने हमें विकसित किया है, और इस तरह हम यहां  हैं। और आप स्वयं  के बारे में बात करते हैं, अपने नियंत्रक के बारे में , जो आप को नियंत्रित कर रहा है, आत्मा। इसलिए यदि आप एक अमूर्त रेखा पर चलते हैं, तो यह बहुत ही आकर्षक होगा। फिर बाद में, एक बार जब आप अपने भीतर स्थित ऊर्जाओं के बारे में बात कर चुके होते हैं, ऐसे, वैसे, यह, – तो आप देखेंगे कि, -एक बार लोग अहंकार महसूस करेंगे, “ओह, हमारे पास ये ऊर्जाएं हैं। हम इन ऊर्जाओं का उपयोग कर सकते हैं, ऐसा कर सकते हैं , वैसा कर सकते हैं। ” और फिर बाद में, आप उन्हें सहज योग तक ले जाते हैं। लेकिन शुरूआत में हम अमूर्त की बात करते हैं। क्योंकि भारतीय अलग हैं, मेरा मतलब है कि पश्चिमी लोग अलग हैं। वे धर्म से तंग आ चुके हैं, वे इस सब से थक चुके हैं। इसलिए अगर आप धर्म की बात करते हैं तो यह एक समस्या पैदा करता है। इसीलिए, शुरुआत में, वेद, जब लिखे गये थे, उन्होंने भगवान या देवताओं की बिल्कुल भी बात नहीं की थी। उन्होंने निर्माता रूपी Read More …

दिवाली पूजा Chelsham Road Ashram, London (England)

दिवाली पूजा चेल्शम रोड आश्रम, लंदन (यूके) – 1 नवंबर, 1981 आज मैंने आपको लक्ष्मी सिद्धांत के महत्व और तीन प्रक्रियाओं के बारे में बताया जिनसे हम गुजरते है । पहला गृह लक्ष्मी है। असल में,अधिकतर यह चंद्रमा के तेरहवें दिन मनाया जाता है, जहां वे कहते हैं कि गृहिणी को कुछ उपहार देना चाहिए। और सबसे अच्छी चीज जो है वह एक बर्तन है। तो लोग उसे कुछ बर्तन देते हैं, वास्तव में यह एक बहुत ही पारस्परिक बात है, क्योंकि यदि आप एक बर्तन देते हैं, तो उसे आपके लिए खाना बनाना चाहिए। यह सुझाव देने का एक बहुत ही प्यारा तरीका है कि आप हमारे लिए कुछ पकाइये। तब चौदहवा दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन देवी शक्ति के रूप में है, क्योंकि यह कार्तिकेय थे जिन्होंने नरकासुर, शैतान को मार डाला था। और वह सबसे बुरों में से एक था, जिसे मारा न जा सका था। इसलिए शिव और पार्वती, इस शक्तिशाली शक्तिपुत्र को उत्पन्न करने के लिए, इस विशेष उद्देश्य के लिए विवाहित हुए थे, जिसका मतलब वह शक्ति का पुत्र है, जिसे कार्तिकेय कहा जाता है। और वह सिर्फ इस भयानक शैतान जिसे नरकासुर कह जाता था , को मारने के लिए पैदा हुआ था। और उसने मारा। वह दिन है, चौदहवें दिन। यह उस दिन हैलोवीन की तरह कुछ है। क्योंकि वह दिन है जब उन्होंने नरक के द्वार खोले और सभी शैतानों को नरक में डाल दिया। और यही कारण है कि उस दिन सुबह को जितना संभव हो सके आराम Read More …

Guru Purnima Chelsham Road Ashram, London (England)

आपको समझना होगा कि स्वयं से इस भौतिकता के लबादे को हटाने के लिये आपको अपने ऊपर कार्य करना होगा। और एक बार जब आपने इसे नियिंत्रत कर लिया तो कम से कम ….. अब आप कहीं भी सो सकते हैं अगर नहीं तो कुछ समय तक जमीन पर सोने का प्रयास करें। सन-टैनिंग के लिये आप क्या नहीं करते हैं … लोग इन बेवकूफियों के लिये स्वयं को रोक ही नहीं सकते हैं क्योंकि इन विचारों को आपके अंदर डाला गया है। इन विचारों को डालने वालों ने आपको शोषण किया है … आपको ये करना चाहिये … वो करना चाहिये… ये करना आवश्यक है … वो करना आवश्यक है। उन्हें तो बस अपने उत्पादों को बेचना है। कभी-कभी उपवास करने का प्रयास करें। मैंने भारतीयों को उपवास करने से मना किया है क्योंकि वे उपवास ही करते रहते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिये वे उपवास करते हैं। भारत में अन्न की कमी है … इसलिये वे उपवास करते हैं। उनको उपवास करने की क्या जरूरत है? लेकिन यहाँ के लोगों के लिये ये आवश्यक है कि वे उपवास करना सीखें और भोजन की ओर ज्यादा ध्यान न दें। भोजन के प्रति आकर्षण का अर्थ है कि आपकी इंद्रियां आपको पागल बना रही हैं…. हैं कि नहीं? हमको सबसे पहले अपने शरीर और बाद में इंद्रियों पर आक्रमण करना चाहिये। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हमारी जीभ है। ये दो प्रकार से कार्य करती है। एक तो स्वाद … खाने का स्वाद और दूसरे ये कड़वे बोलों से दूसरों पर Read More …

Subconscious, Supraconscious and Our Correct Ideals Chelsham Road Ashram, London (England)

                     अवचेतन, अतिचेतन  चेल्शम रोड, क्लैफम, लंदन (यूके) 24 मई 1981 …इन लोगों ने इसे देखा और सोचा वे एक तरह के पागल लोग हैं। ऐसी सभी प्रकार की संभावित बातें। और नया सिद्धांत यह है कि मन कुछ नहीं कर सकता। लोग कहते हैं कि बेहतर होगा कि आप कुछ ऐसा करें जो आपके मन के नियन्त्रण के बाहर हो, आप देखिए। लेकिन इसका एक आसान सा जवाब है; मैं कहती हूँ देखते हैं, सरल उत्तर क्या है? आइए देखते हैं। सहजयोगी… ब्रेन ट्रस्ट से?  सरल उत्तर क्या है? देखिये, वे कहते हैं कि, मन सीमित है, ठीक है, तो मन जो कुछ भी करता है वह सीमित है। तो अगर कोई ऐसे प्रयास हों जिनके द्वारा आप हमारे मन पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो हम जो कुछ भी करते हैं, वह मन की क्रिया है। तो अगर इस प्रकार का कुछ किया जाता है, तो यह स्वतःस्फूर्त होता है, उनके अनुसार “यह स्वतःस्फूर्त है!” तो किसी अन्य को यह करने दो। मेरा मतलब है कि यह कुछ कुछ इस प्रकार है जैसे कि परमात्मा आपके साथ कर रहा है।” आइए सभी बुद्धिजीवियों को नीचे रखें! आप इसका क्या जवाब देते हैं? क्या आपने सुना है कि लिंडा [विलियम्स (पियर्स)]? प्रश्न बहुत सरल है। प्रश्न यह है कि वे कह रहे थे कि मन सीमित है। ठीक है? नमस्कार। क्या मारिया यहाँ है? मैं उसके बारे में सोच रही थी। वह कहाँ हॆ? मैं उसे देख नहीं पा रही। नमस्कार! मैं आज तुम्हारे बारे में सोच रही थी, किसी Read More …

The Right Side Caxton Hall, London (England)

                                                 “राइट साइड,”  कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 18 मई 1981। मैं आपसे राइट साइड, दायें तरफ की अनुकंपी प्रणाली Right Side sympathetic nervous system के बारे में बात करूंगी, जो हमारी महासरस्वती की सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा व्यक्त की जाती है, जो हमें कार्य करने की शक्ति देती है। बाईं बाजु से हम कामना करते हैं और दाईं ओर, पिंगला नाड़ी की शक्ति का उपयोग करके, हम कार्य करते हैं। मैं उस दिन आपको राइट साइड के बारे में बता रही थी। आइए देखें कि हमारा राइट साइड कैसे बनता है। जो लोग पहली बार आए हैं उनके लिए मुझे खेद है लेकिन हर बार जब मैं विषय का परिचय शुरू करती हूं, तो फिर वही हो जाता है लेकिन बाद में मैं आपको सहज योग के बारे में समझाऊंगी। अब यह दाहिनी ओर, पिंगला नाडी, एक बहुत ही महत्वपूर्ण ऊर्जा देने वाली शक्ति है जो हमें कार्य करने और सक्रिय करने के लिए प्रेरित करती है। अब यह सभी पांच तत्वों से बना है: आप उन सभी पांच तत्वों को जानते हैं जिन्होंने हमारे भौतिक अस्तित्व और हमारे मानसिक अस्तित्व को बनाया है। इस तरह यह हमारी सभी शारीरिक और मानसिक समस्याओं, मानसिक गतिविधियों और मानसिक और शारीरिक विकास को पूरा करने में हमारी मदद करता है। अब यह, उन पांच तत्वों द्वारा निर्मित होने के कारण, जब, पहली बार, मनुष्य किसी भी संदर्भ में कुछ कार्रवाई करने के बारे में सोचने लगे, जैसे कहो भारत में उन्होंने पहले विचार किया कि, “क्यों नहीं, किसी न किसी तरह, इन तत्वों के Read More …

Christ and Forgiveness Caxton Hall, London (England)

इसा मसीह और क्षमा कैक्सटन हाल, यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) 11 मई, 1981 …उस सत्य की खोजना जिस के बारे में सभी धर्मग्रंथों में वर्णन किया गया है। सभी ग्रंथों में कहा गया है कि, आप का पुनर्जन्म होना है। आप का जन्म होना है, उस  के बारे में पढ़ना नहीं है, सिर्फ यह कल्पना नहीं करनी कि आपका पुनर्जन्म हुआ है, सिर्फ यह विश्वास नहीं करना कि आप का पुनर्जन्म हुआ है या फिर कोई नकली कर्मकाण्ड जो यह प्रमाणित करता है आप दोबारा जन्मे है उस को स्वीकारना नहीं है अपितु निश्चित रूप से हमारे अंदर कुछ घटित होना चाहिए। सच्चाई का कुछ अनुभव तो हमारे अंदर होना ही चाहिए। यह सिर्फ कोई विचार नहीं है कि ये ऐसा है कि, हां! हां! हमारा पुनर्जन्म हुआ है! अब हम चुने हुए लोग हैं! हम सब से बढ़िया लोग हैं! परंतु निश्चित ही कुछ है कि हमारे अंदर कुछ क्रमागत उत्क्रांति है जो प्रकट होनी चाहिए, जिस की सभी धर्मग्रंथों में भविष्यवाणी की गई है। बिल्कुल भी कोई अपवाद नहीं है! हिंदू धर्म से शुरू कर के आज के सब से अधिक आधुनिक व्यक्तित्व, जो हम कह सकते हैं कि नए गुरु नानक है, हम कह सकते हैं कि ये वो हैं जिन्होंने धर्मग्रंथ लिखा। कुरान में साफ़ कहा गया है कि, आप को पीर बनना है,  वह जिसके पास ज्ञान है। वेद स्वयं यही कहते हैं, वेद पढ़ने से, वेद का अर्थ है ‘विद’ माने जानना, अगर आप नहीं जानते तो यह बेकार है।’ पहले अध्याय में, पहले छंद Read More …

Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean Chelsham Road Ashram, London (England)

सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१   … ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए। मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है।  लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह Read More …

How To Know Where You Are Chelsham Road Ashram, London (England)

                      सलाह, कैसे पता करें कि आप कहां हैं       चेल्सीम रोड आश्रम, क्लैफम, लंदन (यूके) , 7 सितंबर 1980 … तस्वीरों के सम्मुख चैतन्य, जो की, बहुत महत्वपूर्ण है। जहां तक परमात्मा का संबंध है, कैसे जाने की आपकी स्थिति कहाँ है। यह मुख्य बात है, क्या ऐसा नहीं है? हम इसी के लिए यहां हैं: ईश्वर से एकाकारिता के लिए, उसकी शक्ति के साथ एकाकार  होने के लिए, उसका उपकरण बनने के लिए। , हमें इसे समझने की कोशिश करनी चाहिए की हमारे कनेक्शन कैसे ढीले हो जाते हैं, और हम इसे कैसे ठीक कर सकते हैं। सबसे पहले, हमें समझना चाहिए कि आपको इसके बारे में सोचना नहीं हैं। यदि आप इसके बारे में बहुत अधिक सोचने लगते हैं, तो आपने देखा है कि आप कुछ अजीब करते हैं जो आपको नहीं करना चाहिए था। इसके बारे में बहुत अधिक योजना न करें, क्योंकि, इस देश में, यदि लोग योजना बनाना शुरू करते हैं, तो वे सभी पूर्ण नियोजन कर लेंगे। उदाहरण के लिए, यदि उन्हें टहलने जाना होगा: तब फिर उनके पास उचित जूते होना चाहिए, उनके पास उचित छड़ें होनी चाहिए, उनके पास यह होना चाहिए, उनके पास वह होना चाहिए, और उनके पास दस्ताने होना चाहिए, और उनके पास सब कुछ होना चाहिए, और वे कभी बाहर नहीं जाएंगे ! योजना के साथ वे बहुत थक गए हैं। (हँसी) उसी तरह, यह सहज योग के साथ होता है। सहज योग के साथ भी ऐसा ही होता है, मैंने देखा है कि, यद्यपि मैंने आपसे Read More …

The Guru Principle Caxton Hall, London (England)

“द गुरु प्रिंसिपल”, कॉक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 28 जुलाई 1980 कल मैंने आपको भवसागर, धर्म के बारे में बताया था जिसे मनुष्य को स्थापित करना है। आधुनिक समय में लोगों ने अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग उस सीमा तक किया है, वो बहुत आगे चले गए हैं, इस अति तक या उस अति तक। उन्होंने अपने केंद्रीय मार्ग को त्याग दिया है और स्वयं को स्वीकार और पहचान लिया है इस प्रकार के, प्रत्येक चीज़ के बारे में अतिशय विचारों के साथ, कि लोगों को यह समझाना कठिन है कि उन्होंने अपना मार्ग खो दिया है। कोई भी अतिशयता अनुचित हैं। संतुलन वह मार्ग है जिससे हम वास्तव में समस्या का समाधान करते हैं। किन्तु मानव जाति इस प्रकार की है कि प्रत्येक बहुत तेज़ी से दौड़ना आरंभ कर देता है, आप देखें और इसमें एक प्रतियोगिता निर्धारित है: कौन पहले नरक में जाता है।  यह मात्र एक दिशा में नही है, आप किसी भी दिशा को ले सकते हैं, किन्तु ये सभी दिशाएं रैखिक हैं। वो सीधे जाते है और घूम जाते हैं और नीचे जाते हैं – उस प्रकार का कोई भी संचलन। उदाहरण के लिए मानो, हमारा औद्योगिक विकास। हमने अपने औद्योगिक विकास का आरंभ सम्पूर्ण को समझे बिना किया है, सम्पूर्ण संसार, कि सम्पूर्ण संसार ईश्वर द्वारा बनाया गया था, एक भाग नहीं, एक राष्ट्र। संपूर्ण के साथ संबंध को समझे बिना, जब हम औद्योगिक रूप से आगे बढ़ना आरंभ करते हैं, तब हमने उद्योगों का निर्माण किया और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए हमें अन्य उद्योगों Read More …

Confusion, A Sign Of Modern Times Caxton Hall, London (England)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ‘विक्षेप, आधुनिक काल का लक्षण’ सार्वजनिक कार्यक्रम,  कैक्सटन हॉल,लंदन 14 जुलाई, 1980 आधुनिक काल में आज के समय में हमारा सामना (कन्फ्यूजन) विक्षेपों से है। ये आधुनिक काल का लक्षण है। साथ ही, सत्य को खोजने की सामूहिक तीव्र जिज्ञासा प्रकट हो रही है। ये सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है जो ऐसा अनुभव करता है, ये सिर्फ आठ और दस लोग नहीं हैं जो ऐसा अनुभव करते हैं, परंतु जनसमूह के जनसमूह, बहुताय अनुभव कर रहे हैं, कि उनको एक उत्तर खोजना होगा। आप को पता करना होगा कि आप यहां क्यों हैं। आप को जानना होगा, आप कौन हैं। आपको अपनी हितकारिता का पता लगाना है। आपको संपूर्णता का पता लगाना है। ये एक बहुत बड़ी गतिविधि एक बहुत ही सूक्ष्म तरीके से होती है, यानी जन समूह को इस खोज की ओर ले जाना। परंतु शायद हमें इस बारे में कोई अंदाजा नहीं, कि क्या माहौल है जिस में हम जन्मे हैं, क्या परिस्थिति है, पूरा मंच कैसे बिछाया गया है! हमें कुछ नही पता! जैसा कि हमने खुद को इंसान के रूप में बिना उसके महत्व को समझे स्वीकार कर लिया है। हम हर चीज उपलब्ध होने के कारण उस का महत्व नहीं समझते। हम मनुष्य रूप में अपनी उत्क्रांति के द्वारा जन्मे हैं, परंतु हम विचार भी नहीं करना चाहते, कि हम अमीबा से इस उच्चतर अवस्था तक कैसे विकसित हुए! सारे  ‘क्यों’ हम बंद कर देते हैं! जो कुछ भी है हम इन आंखों के द्वारा, इन कानों के Read More …

What is Happening In Other Lokas? Caxton Hall, London (England)

                                 अन्य लोकों में क्या हो रहा है कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड, 30 जून 1980। आज, मुझे आपको यह बताने में कोई आपत्ति नहीं है कि अन्य लोकों में क्या हो रहा है, अन्य लोक जो हम नहीं देखते हैं, जिसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। यह आपको थोड़ा डरा सकता है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम यह जानें कि संपूर्ण के संबंध में हमें कैसे रखा गया है, परमेश्वर की क्या योजनाएँ हैं, और हम उन्हें कैसे पूरा करने जा रहे हैं। अब यहाँ आप में से अधिकांश आत्मसाक्षात्कारी है। आप में से कुछ पहली बार आए हैं; आपको भी आपका आत्मसाक्षात्कार होगा। लेकिन सामान्य बात यह है कि आप सभी मुमुक्षु हैं, ईश्वर के साधक हैं, शांति के खोजी हैं, प्रेम पिपासु हैं, यह एक सामान्य बात है। लेकिन यह इच्छा आपके पास आपके लिए नहीं आई है, किसी व्यक्तिगत उत्थान के लिए या किन्ही ऐसी उपलब्धियों द्वारा हासिल स्थान के लिए जहां से कोई वापसी नहीं है, बल्कि यह अंतिम निर्णय है जिसका सभी मनुष्यों को सामना करना होगा। उन्हें इससे गुजरना होगा और अपने अंतिम स्थान को प्राप्त करने के लिए, ईश्वर के राज्य में अपना स्थान प्राप्त करना होगा। आज तुम मेरे सामने बैठे हो, तुम मेरे साथ पहले भी रहे हो और बहुत पहले भी। लेकिन आज विशेष रूप से जब आप मेरे साथ हैं, तो आप इसका सामना करने और स्वयं के लिए सुनिश्चित करने यहां आए हैं कि आप सत्य, प्रेम, ईश्वर का आशीर्वाद धारण करने में सक्षम हों। Read More …

Guru Tattwa Caxton Hall, London (England)

कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 23 जून 1980। सार्वजनिक कार्यक्रम (लघु) और सहज योगियों से बात यह एक तथ्य है। यह एक ऐसी चीज है जिसे आप देख सकते हैं। यह एक वास्तविकीकरण है। और हम अपनी कल्पनाओं में, अपने मतिभ्रम और पथभ्रष्टता में इस कदर खोए हुए हैं कि हम विश्वास नहीं कर सकते कि ईश्वर के बारे में कुछ तथ्यात्मक हो सकता है। लेकिन अगर ईश्वर एक तथ्य है, तो यह घटना भी हमारे भीतर होनी ही है, अन्यथा उसका कोई अस्तित्व नहीं है। अगर कोई नास्तिक है तो एक तरह से बेहतर है। क्योंकि उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ भी स्वीकार नहीं किया है। लेकिन अगर किसी ने खुले दिमाग से ईश्वर को स्वीकार कर लिया है और किन्ही अटकलो का पालन नहीं किया है, तो यह और भी अच्छा है। लेकिन अगर आप इस तरह की किसी भी अट्कल का पालन करते हैं, कि भगवान होना चाहिए – कुछ लोगों ने मुझसे कहा, “हां मां। भगवान मेरी बहुत मदद करते हैं।” मैंने कहा, “सच में? वह आपकी कैसे मदद करता है?” तो वह महिला मुझसे कहती है “मैं सुबह उठी और मैंने भगवान से प्रार्थना की, ‘हे भगवान, मेरे बेटे की देखभाल करो!”, वह बस इतना ही सोच सकती थी! कि भगवान केवल उसके बेटे की देखभाल में व्यस्त हो, जैसे उनके पास और कोई काम नहीं है! “तो फिर क्या हुआ?” “तब मेरा बेटा हवाई जहाज से आ रहा था और विमान में कुछ परेशानी हुई, लेकिन वह बच गया। भगवान ने वहां मेरी मदद Read More …

Seeking That Which Lies Beyond Stratford, London (England)

                                    जो परे है उसकी चाहत  सार्वजनिक कार्यक्रम  स्ट्रैटफ़ोर्ड, ईस्ट लंदन, लंदन (यूके), १३ जून १९८० वे झूठे नहीं हो सकते थे। वे हमसे झूठ नहीं बोल सकते थे। उदाहरण के लिए आइए हम सुकरात का मामला लें। सुकरात ने हमें बताया है कि हमें दूसरे जीवन के लिए शरीर छोड़ना है और जब हम इस दुनिया में रहते हैं, जब हम इस धरती पर इंसान के रूप में रहते हैं, तो हमें खुद को इस तरह रखना होगा कि हम अपने अस्तित्व को खराब न करें, ऐसा है कि हमारे ही भीतर जीवन की एक क्षमता है, एक ऐसा गुण जो हमें मनुष्य बनाता है, जिससे हम मनुष्य कहला सकते हैं। इंसान और जानवर में क्या अंतर है? जैसा कि औरों ने भी यही कहा है कि हम मनुष्य हैं, चूँकि हम मनुष्य हैं, हमें मूल्यों की एक निश्चित मात्रा का आधार रखना चाहिए। सुकरात के बाद हमारे पास अब्राहम और मूसा जैसे लोग थे, उन्होंने भी यही बात कही। उन्होंने जो कहा और सुकरात ने जो कहा, उसमें बहुत अंतर नहीं है। सुकरात ने एक और बात कही थी, कि हमारे भीतर देवता हैं और हमें उस   देवत्व का ध्यान रखना है, हमें उन्हें प्रसन्न रखना है। मूसा को जब दस आज्ञाएँ मिलीं, तो वास्तव में उन्होने वे दस विधियाँ खोजीं, जिनके द्वारा वह हमें बता रहे थे कि हम उन दस आज्ञाओं का पालन करके मनुष्य के रूप में अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम हों। गुण-धर्म का अर्थ है जिसे हम अपने भीतर धारण करते हैं। Read More …

The Subtlety Within Caxton Hall, London (England)

                                          आतंरिक कुशाग्रता   कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 9 जून 1980 एक अन्य दिन आश्रम में, मैं आपको हमारी कुशग्राताओं के बारे में बता रही थी, जो कुशाग्रताएँ हमारे पास पहले से हैं, जिन्हें हम नहीं समझते हैं। हमारे अवचेतन मन से हो सकता है, हमारे अग्र चेतन मन से हो सकती है, कहीं से भी हो सकती है जो हमारे लिए अज्ञात है; लेकिन हमें उन कुशाग्रताओं की परवाह करना चाहिए जो हमें हमारे सार्वभौमिक अस्तित्व की ओर ले जाती हैं। हमने कभी-कभी ऐसे लोगों के बारे में सुना है जिन्हें संकेत मिलता है। जैसे कोई कहता है, “मुझे यह घर खरीदना चाहिए, मुझे एक सुझाव प्राप्त होता कि, मुझे यह खरीद लेना चाहिए।” या कभी-कभी लोग कहते हैं कि, “मैं हमेशा कुछ सुनता हूं, कोई मुझे बताता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए।” लेकिन इस तरह के सभी सुझावों के बारे में आकलन किया जाना चाहिए कि वे आपको कुछ परे के बारे में सुझाव देते हैं अथवा कुछ सांसारिक जीवन से सम्बंधित, जैसे की,घर खरीदना। परमात्मा की इस बात में कोई अधिक दिलचस्पी नहीं है कि, आप कौन सा  घर खरीदते हैं, या आप एक दौड़ में कितना पैसा कमाते हैं: उन्हें नहीं है ! क्योंकि यह परमात्मा के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। कोई व्यक्ति यह समझ सकता है, क्या ऐसा नहीं है।  यह भी कि ईश्वर आपको किसी के विरुद्ध कान में यह बताने में दिलचस्पी नहीं रखते है कि, “इस आदमी से सावधान रहें, वह एक खतरनाक आदमी है!” क्योकि, अगर कोई आपको शारीरिक रूप से नुकसान Read More …

Subtlety London (England)

                                                 “कुशाग्रता”  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन (यूके), 8 जून 1980। यह केवल उन लोगों के लिए संभव है जिनके स्वभाव में,  इस खंडित दुनिया में सहज योग के मूल्य को समझने,  सहज योग के मूल्यों को धारण करने,  और इसे बनाए रखने के लिए कुशाग्रता हैं। दुनिया खंडित है और हर कोई अपने स्वयं के विनाश की ओर काम कर रहा है। लोग जिन सारे मूल्यों का अनुसरण करते हैं वे सतही मूल्य हैं। अधिकांश मूल्य बिल्कुल स्थूल हैं। तो सहज योग के लिए हमारे पास ऐसे लोग होना चाहिए हैं जो अपनी कुशाग्रता से न्याय करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे कुशाग्र लोग हमेशा सांसारिक भीड़ से थोड़ा अलग होते हैं; और ये लोग हमेशा अपने आप को इस तरह से व्यक्त करते हैं कि उनका अस्तित्व ही यह बताता है कि वे पूरी दुनिया को शक्ति प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं। आप ऐसा महसूस कर सकते हैं। जो लोग महसूस कर सकते हैं कि हमारे भीतर एक तत्व है जो हमें दूसरों की मूर्खता पर हँसाता है, ऐसे लोग जो शायद खुद की दृष्टी में बहुत गंभीरता से कुछ चीजों को करते लग रहे हों। लेकिन हमें ऐसा लगता है जैसे कि यह उनके जीवन को बर्बाद करने वाली मूर्खता है। ऐसी एक क्षमता अलग ही लोगों की होती है। पहले ये लोग, उनके अंदर ऐसी क्षमता और गतिशीलता रखने वाले, सहज योग में जमेंगे, न कि सामान्य सतही प्रकार के। लेकिन चूँकि हमारे दरवाजे सभी के लिए खुले हैं, क्योंकि कोई शुल्क या कुछ भी Read More …

Attention London (England)

                                    चित्त  डॉलिस हिल, लंदन (इंग्लैंड)  26 मई 1980  आज मैं आपसे चित्त के बारे में बात करने जा रही हूं: चित्त क्या है, चित्त की गतिविधि क्या है और हमारे चित्त के उत्थान की क्या विधि और तरीके हैं। इसे व्यापक तरीकों से रखें। ठीक है? लेकिन जब मैं ये सारी बातें कह रही हूं तो आपको पता होना चाहिए कि मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से बात कर रही हूं – यह दूसरों के बारे में नहीं है। व्यक्ति हमेशा सबसे पहले ऐसा करता है, की जब मैं आपसे बात कर रही  होती हूं, तो आप यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि माताजी किस के बारे में बोल रही हैं! यह अपने चित्त को भटकाने का सबसे अच्छा तरीका है। यदि आप अपना चित्त स्वयं पर लगाऐ कि, “यह मेरे और मेरे लिए और केवल मेरे लिए है,” तो इसका प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि [ये मेरे शब्द] मंत्र हैं। परन्तु इस प्रकार इसे व्यर्थ कर दिया जाता है क्योंकि जो कुछ भी आपको दिया जाता है उसे आप उसे किसी दूसरे व्यक्ति पर डाल देते है। तो, आपके पास जो चित्त है,  वह वास्तविकता को जानने का एकमात्र तरीका है। आपका अपना चित्त महत्वपूर्ण है, न कि दूसरों का चित्त या दूसरों पर आपका चित्त! यह स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए। यदि आप इस बात को समझ जाएँ कि पूरी चीज का उपभोग अपने चित्त के माध्यम से अपने उच्च अवस्था तक उत्थान के लिए आपके द्वारा किया जाना है,  तो, यह काम करेगा। अन्यथा, यह ऐसा हुआ Read More …

Sahasrara Puja, Sincerity Is The Key Of Your Success Dollis Hill Ashram, London (England)

सहस्त्रार पर आपको सामूहिक आत्मा द्वारा आशीर्वादित किया जा रहा है। (सहस्त्रार पूजा, डौलिस हिल) हम कह सकते हैं कि 5 मई 1970 को पहली बार परमात्मा की सामूहिक आत्मा का द्वार खोला गया था। इससे पहले परमात्मा के आशीर्वाद लोगों को व्यक्तिगत रूप से ही प्राप्त होते थे …. और वे अपना आत्मसाक्षात्कार भी व्यक्तिगत रूप से ही प्राप्त करते थे एक के बाद एक। व्यक्तिगत आत्मसाक्षात्कार की विधि सामूहिक साक्षात्कार से एकदम अलग थी। उन्हें (व्यक्तिगत आत्मसाक्षात्कार) पहले अपना धर्म को स्थापित करना पड़ता था ……. अपने मोक्ष की कामना करते हुये स्वयं को पूरी तरह से स्वच्छ करना पड़ता था …… और अपने चित्त को मोक्ष पर ही केंद्रित करना पड़ता था या कह लीजिये कि ईश्वर प्राणिधान पर….. (ईश्वर – परमात्मा और प्राणिधान– तीव्र इच्छा) ….. ध्यान धारणा—- प्रार्थना …. परमात्मा के बारे में सोचना … उनकी कृपा प्राप्त करने के लिये प्रार्थना करना …. स्वयं को शुद्ध करने के लिये धार्मिक तरीके से आचरण करना पड़ता था। उन्हें अपने मन मस्तिष्क पर, इच्छाओं पर, क्रियाओं पर इस तरह से नियंत्रण रखना पड़ता था ताकि वे पूरी तरह से मध्य मार्ग पर बने रहें और जब वे इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते थे …. या जब वे इसके योग्य हो जाते थे तो माँ की कृपा से उन्हें साक्षात्कार प्राप्त होता था। कुछ समय तक यही तरीका चलता रहा। जिन थोड़े बहुत लोगों को इस प्रकार से साक्षात्कार प्राप्त हुआ उन्होंने सहजयोग की तैयारी के लिये बहुत से सुंदर कार्य किये। वे जीवन के प्रत्येक Read More …

Sympathetic and Parasympathetic London (England)

                  “अनुकंपी और परानुकंपी”  डॉलिस हिल आश्रम। लंदन (यूके), 24 अप्रैल 1980। एक्यूपंक्चर वास्तव में उस शक्ति का दोहन है जो पहले से ही हमारे भीतर है। अब उदाहरण के लिए, आपके पेट में एक निश्चित शक्ति है, ठीक है? अब पेट में आपके अन्य अंगों को लगातार इस शक्ति की आपूर्ति की जाती है, तथा अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के माध्यम से उसका उपयोग किया जाता है। परानुकम्पी इसे संग्रहीत करता है और अनुकंपी इसका उपयोग करती है। अब मान लीजिए पेट में कोई बीमारी है। तो अब उसमें जो शक्ति है, उस विशेष केंद्र की प्राणिक ऊर्जा एक प्रकार से समाप्त हो गई है या बहुत कम है। तो आखिर वे करते क्या हैं? उस व्यक्ति को कैसे ठीक किया जाए? वे दूसरे केंद्र से लेते हैं, उसे मोड़ते हैं, और वहां रख देते हैं। और इस तरह वे इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इससे वे असंतुलन पैदा करते हैं, क्योंकि आपके पास सीमित ऊर्जा है; आपके पास एक सीमित, बिल्कुल सीमित, ऊर्जा है। अब मान लीजिए कि आपके पास एक सीमित पेट्रोल और दूसरी कार है जिसका पेट्रोल खत्म हो गया है। अब अगर आप दूसरी कार में पेट्रोल डालते हैं, तो शायद वह कार आधी दूर तक चली जाएगी और आप भी आधे रास्ते जाकर खत्म हो जाएंगे। आप मेरी बात समझते हैं? तो ये दोनों ही आपकी लंबी उम्र को कम करते हैं। तो यह हमारे भीतर स्थित उस सीमित ऊर्जा का निचोड़ है । सहज योग बहुत अलग चीज है: सहज योग में Read More …

The Egg and Rebirth Caxton Hall, London (England)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ”अंडा पुनर्जन्म से कैसे संबंधित है?” कैक्सटन हॉल, यू.के. 04-10-1980 अभी हाल में ही मैंने आश्रम में आपको ईस्टर, ईसा मसीह के जन्म, उनके पुनरुत्थान और ईसाई धर्म का संदेश जो की पुनरुत्थान है, के बारे में बताया था।  एक अंडा बहुत ही महत्वपूर्ण है और भारत के एक प्राचीन ग्रंथ में लिखा है, कि अंडे के साथ ईस्टर क्यों मनाया जाना चाहिए। यह बहुत आश्चर्यजनक है। यह बहुत स्पष्ट है वहां अगर आप देख सके कि किस प्रकार ईसा मसीह को अंडे के रूप में ‌प्रतीकत्व किया गया है। अब, अंडा क्या है? संस्कृत भाषा में ब्राह्मण को  द्विज: कहते हैं। द्विज: जायते अर्थात जिसका जन्म दो बार हुआ हो। और पक्षी, कोई भी पक्षी द्विज: कहलाता है अर्थात दो बार जन्मा। क्योंकि पहले एक पक्षी एक अंडे के रूप में जन्म लेता है और फिर पक्षी के रूप में उसका पुनर्जन्म होता है। इसी प्रकार मनुष्य पहले एक अंडे के रूप में जन्म लेता है और फिर एक आत्मसाक्षात्कारी के रूप में उसका पुनर्जन्म होता है। अब आप देखें कि कितनी महत्वपूर्ण बात है कि दोनों एक ही नाम से जाने जाते हैं। कोई भी अन्य जानवर द्विज: नहीं कहलाता जब तक कि उसका पहला निर्माण अंडे के रूप में ना हो और बाद में फिर किसी और रूप में। उदाहरण के लिए कोई स्तनधारी, कोई भी स्तनधारी द्विज: नहीं कहलाता सिवाय मनुष्यों के। यह उल्लेखनीय है जीव विज्ञान में अगर आप पड़ें, कि स्तनधारी अंडे नहीं देते। वह सीधे अपने बच्चों Read More …

Easter Puja: The Meaning of Easter London (England)

1980-04-06 ईस्टर का अर्थ, डॉलिस हिल आश्रम, लंदन, ब्रिटेन … जैसे कि आज मैं एक मुस्लिम लड़के से बात कर रही थी और उसने कहा कि “मोहम्मद साहब एक अवतरण नहीं थे।“ “तो वे क्या थे?” “वे एक मनुष्य थे , परंतु परमात्मा ने उन्हें विशेष शक्तियां दी हैं।” मैंने कहा, “बहुत अच्छा तरीका है!” क्योंकि यदि आप कहते हैं कि वे एक मनुष्य थे, मानव जाति के लिए  यह कहना बहुत अच्छा है कि “वे केवल एक मानव थे , वे इस पृथ्वी पर आये , और हम उनके समकक्ष हैं।” जो आप नहीं हैं। इसलिए विस्मय और वह श्रद्धा जैसा कि आप इसे कहते हैं, वह हमारे अंदर नहीं आती है । व्यक्ति सोचने  शुरू लगता हैं कि वह ईसा मसीह के समान हैं, मोहम्मद साहब के समान है, इन सभी लोगों के सम कक्षा है! और वे कहां और हम कहां हैं? जैसे, यहां, लोग ईसामसीह के जीवन के साथ कैसे खेल रहे हैं! वे स्वयं अपने को ईसाई कहते हैं, और वे उनके जीवन के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते हैं, क्योंकि यह बनना है जिसके बारे में उन्होंने चर्चा की थी।  उन्होंने इन सब निरर्थक की बातों के विषय में बात नहीं की थी । दूसरी बात हम कोई सम्मान नहीं करते हैं । हमारे हृदय में कोई आदरपूर्ण भय नहीं है कि एकमव वही हैं जिन्होंने एक के बाद एक कई ब्रम्हांडों की रचना की है और हम क्या है, उनकी तुलना में? हम न्यायधीशों  की तरह  बैठ कर उनका निर्णय कर रहे हैं। Read More …

Birthday Puja: Guarding Against Slothfulness London (England)

                                                    जन्मदिन पूजा                     आलस्य एक अभिशाप   लंदन (यूके), 23 मार्च 1980। आपकी माँ का जन्मदिन, और इस तरह के सभी समारोहों का बहुत गहरा महत्व है, क्योंकि ऐसे अवसरों पर वातावरण में विशेष चैतन्य होता है। जब सभी आकाशीय पिंड , शाश्वत व्यक्तित्व, देवता और देवी स्तुति गाते हैं, और इस तरह पूरा वातावरण मृदुल और आनंद से भर जाता है। मानव भी, आभार व्यक्त करता है। कृतज्ञता और प्यार की अभिव्यक्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से की जाती है, लेकिन सार एक ही रहता है और रूप बदल जाते हैं। सत्व समुद्र की तरह है जो तटों की ओर लगातार बहता है और किनारों को छूने वाली लहरें फिर से वापस आ जाती हैं, और एक अच्छा पैटर्न बनता है। यह बात इतनी अनायास है और इतनी सुंदर है, इस तरह के वातावरण में एक सुंदर सरंचना बनाता है। इन सभी तरंगों को जब वे एक साथ प्रेम के पैटर्न बुन कर जो वे मनुष्यों को भिगोते हैं, वे मनुष्यों को मंत्रमुग्ध करते हैं और पूरी बात बहुत आनंददायी होती है। ऐसे अवसरों पर एक विशेष प्रकार की भावनाएँ विकसित होती हैं, जिन्हें हम शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते हैं इसलिए अभिव्यक्ति किसी भी रूप में हो सकती है। लेकिन मुख्य बात अभिव्यक्ति है। ईश्वर ने इसे रचना करके, इस रचना को बना कर खुद को व्यक्त किया है। जबकि रचना को उस ईश्वर की महिमा बता कर आभार व्यक्त करना है, और यह नाटक अनंत काल तक चलना चाहिए। यह सबसे सुंदर खेल है। जो लोग इस Read More …

The Value of Marriage Dollis Hill Ashram, London (England)

                                            “विवाह का आदर्श” डॉलिस हिल आश्रम, लंदन (यूके), 8 मार्च 1980 ..तो सहज योग सबसे पहले आपका अंकुरण शुरू करता है, फिर विकास करता है। उस वृद्धि में, आपको एक व्यापक, अधिक व्यापक व्यक्तित्व बनना होगा। शादी के साथ आप एक और भी बेहतर इंसान बनते हैं, और आप एक बेहतर व्यक्तित्व का विकास करते हैं। अब, सहज योगियों के लिए शादी क्यों जरूरी है? सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात, शादी करना सबसे सामान्य बात है। भगवान ने आपको  शादी करने की इच्छा किसी उद्देश्य से दी है। लेकिन, उसी इच्छा का उपयोग , यदि आप उस उद्देश्य के लिए नहीं करते, जिसके लिए इसे दिया जाता है, तो यह विकृति बन सकता है, यह एक बुरा काम बन सकता है। यह आपके विकास के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। तो हमारे भीतर शादी करने की इस इच्छा को समझना चाहिए। शादी का मतलब एक पत्नी है, जो आपके अस्तित्व का अंग-प्रत्यंग है। एक पत्नी जिस पर आप निर्भर हो सकते हैं। वह आपकी मां है, वह आपकी बहन है, वह आपका बच्चा है, वह सब कुछ है। आप अपनी सारी भावनाओं को अपनी पत्नी के साथ साझा कर सकते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि पत्नी ऐसी होनी चाहिए, जो यह समझे कि उपरोक्त यह सब बातें, शादी की ज़रूरत है। अब, सहज योग में, जैसा कि आपने देखा है, आप सभी को या तो बाईं या दाईं ओर समस्या है। अब, जब ये विवाह होंगे, ज्यादातर अनायास, यह प्रकृति की योजना से ही होगा, कि आप एक Read More …

Advice for Effortless Meditation London (England)

         निष्क्रिय ध्यान के लिए सलाह लंदन (यूके), 1 जनवरी 1980। जीवन में उसी तरह से चैतन्य, वायब्रेशन आ रहे हैं, वे प्रसारित हैं। आपको जो करना है, वह खुद को उसके सामने खुला छोड़ देना है। सबसे अच्छा तरीका है की कोई प्रयास नहीं करें। आपको क्या समस्या है इस पर चिंता न करें। जैसे, ध्यान के दौरान कई लोग, मैंने देखा है कि अगर उन्हें कहीं रुकावट हैं तो वे उसकी देखभाल करते रहते हैं। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप बस इसे होने दें और यह अपने आप काम करेगा। यह बहुत आसान है।इसलिए आपको कोई भी प्रयास नहीं लगाना पड़ेगा। यही ध्यान है। ध्यान का अर्थ है स्वयं को ईश्वर की कृपा के सामने उघाड़ देना । अब कृपा ही जानती है कि तुम्हें कैसे ठीक करना है। यह जानता है कि आपको किस तरह से सुधारना है, कैसे स्वयं को तुम्हारे अस्तित्व में बसाना है, आपकी आत्मा को चमकाना है। यह सब कुछ जानता है। इसलिए आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि आपको क्या करना है या आपको क्या नाम लेना है, आपको कौन से मंत्र करने हैं। ध्यान में आपको बिल्कुल प्रयास रहित होना है, खुद को पूरी तरह से उजागर करना है और आपको उस समय बिल्कुल निर्विचार होना है। माना की कोई संभावना है, आप शायद निर्विचार नहीं भी हो पायें। उस समय आपको केवल अपने विचारों को देखना है, लेकिन उनमें शामिल न हों। आप पाएंगे की जैसे क्रमशः सूर्य उदय होता है, अंधेरा दूर हो जाता है Read More …

Christmas And Its Relationship To Lord Jesus Caxton Hall, London (England)

The Incarnation Of Christ, The Last Judgement Date : 10th December 1979 Place : London Туре Seminar & Meeting Speech [Translation from English to Hindi,Scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का दिन हमारे लिए यह स्मरण करने का के लिए यंह बात अत्यन्त कष्टकर है और उन्हें है कि ईसामसीह ने पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म खेद होता है कि जो अवतरण हमें बचाने के लिए लिया। वे पृथ्वी पर अवतरित हुए और उनके आया उसे इन परिस्थितियों में रखा गया। क्यों नहीं, सम्मुख मानव के अन्दर मानवीय चेतना प्रज्जवलित परमात्मा ने, उन्हें कुछ अच्छे हालात प्रदान किये? करने का कार्य था मानव को यह समझाना कि वे परन्तु ऐसे लोगों की इस बात से कोई फ़र्क नहीं यह शरीर नहीं हैं, वे आत्मा हैं। ईसामसीह का पड़ता, कि चाहे वो सूखी घास पर लेटे रहें या पुनर्जन्म ही उनका सन्देश था अथात् आप अपनी अस्तबल में या किसी भी और स्थान पर, उनके आत्मा हैं यह शरीर नहीं । अपने पुनर्जन्म द्वारा उन्होंने लिए सभी कुछ समान है क्योंकि इन भौतिक चीजों दर्शाया कि किस प्रकार वे आत्मा के साम्राज्य तक का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वो इतने उन्नत हो पाए, अपनी वास्तविक स्थिति तक। क्योंकि निर्लिप्त होते हैं तथा पूर्णतः आनन्द में बने रहते हैं। वे ब्रह्मा थे, महाविष्णु वे अपने स्वामी होते हैं। कोई अन्य चीज उन पर थे, जैसे मैंने उनके जन्म के विषय में आपको स्वामित्व नहीं जमा सकती है। कोई पदार्थ उन पर वे ‘प्रणव’ थे, वे ब्रह्मा थे – Read More …

Guru Puja: The Declaration London (England)

(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्रीमाताजी की उद्घोषणा, डॉलिस हिल आश्रम लंदन, इंग्लैंड, 2 दिसम्बर 1979।) आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत समय पहले … जब ईसा नन्हे बालक थे तो उन्होंने उस समय के अनेकों लोगों को बताया कि वह एक अवतरण हैं … जो मानवता का रक्षा हेतु आये हैं। उस समय के लोगों का विश्वास था कि उनकी रक्षा हेतु कोई आने वाला है। बहुत समय पहले एक रविवार को उन्होंने उद्घोषणा की कि वही मानव मात्र की रक्षा के लिये आये हैं। इसी कारण आज … अवतरण रविवार (Advent Sunday) है। उनको बहुत कम समय तक जीवित रहना था। अतः बहुत ही कम उम्र में उन्हें उद्घोषणा करनी पड़ी कि वह एक अवतरण थे। यह देखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किसी भी अन्य अवतरण ने सार्वजनिक रूप से ये बात कभी नहीं कही कि वे अवतरण हैं। श्रीराम तो भूल ही गये थे कि वह एक अवतरण थे। एक तरह से उन्होंने स्वयं को ही भुला दिया था …. उन्होंने अपनी माया से स्वयं को पूर्णतया एक साधारण मानव बना लिया था — मर्यादापुरूषोत्तम। श्री कृष्ण ने भी केवल एक ही व्यक्ति … अर्जुन को युद्ध प्रारंभ होने से पहले यह बात बताई। अब्राहम ने भी कभी नहीं कहा कि वह एक अवतरण हैं जबकि वह आदि गुरू दत्तात्रेय के साक्षात् अवतरण थे। दत्तात्रेयजी ने भी स्वयं कभी नहीं बताया कि वह आदि गुरू के अवतरण हैं। ये तीनों धरती पर आकर लोगों का मार्ग दर्शन करने के लिये आये। मोजेज या मूसा ने Read More …

How to get to the Spirit that lies within Caxton Hall, London (England)

                                          आत्मा को कैसे पायें  सार्वजनिक कार्यक्रम। कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड। 26 नवंबर 1979। …और किस प्रकार यह हमारे भीतर रहती है और कैसे हम माया के पर्दों में खोए रहते हैं। आज मैं आपको बताने जा रही हूँ कि हम उस आत्मा तक कैसे पहुँचते हैं। उस आत्मा का पता लगाने के लिए लोग दो प्रकार के तरीके अपनाते हैं। एक को अणुवोपाय कहा जाता है, और दूसरे को शाक्तोपाय कहा जाता है। ‘अणु’ का अर्थ है एक अणु। जब हम माया में खोए होते हैं, जैसा कि मैंने आपको पिछली बार बताया था, वास्तव में आत्मा शाश्वत है, सर्वशक्तिमान है। यह कभी भी अपनी शक्ति नहीं खोता है चाहे हम बूढ़े हों, युवा हों, चाहे हम किसी भी स्थिति में हों, आत्मा की अपनी शक्ति है, हर समय। लेकिन, हम में आत्मा का प्रतिबिंब, हम में आत्मा का प्रकाश, हमारे परावर्तक की गुणवत्ता पर निर्भर करता है कि हम कैसे हैं। और गुणवत्ता अत्यधिक घटिया होने के कारण कभी-कभी हमारे भीतर अँधेरा पैदा हो जाता है और उस अँधेरे में कभी-कभी तो हमें पता ही नहीं चलता कि परे कुछ अन्य भी है। तो खोजने की पहली शैली अणुवोपाय है, जैसा कि आप इसे कहते हैं, जो अणुओं के बाद अणुओं को पृथक करने पर निर्भर करती है। क्योंकि इन परिस्थितियों में, जब आप अंधेरे से घिरे होते हैं, तो आप आत्मा को एक अणु के रूप में देखते हैं या आप एक चिंगारी या झिलमिलाहट कह सकते हैं। कभी-कभी आपको बस इसकी एक झलक ही मिलती है। जैसा Read More …

How to go beyond the ego and know yourself, Meditation London (England)

                         अहंकार के पार जाकर और स्वयं को कैसे जानें डॉलिस हिल आश्रम, लंदन (यूके) में सलाह, 18 नवंबर 1979 लेकिन सहज योग, उस महान घटना की उत्प्रेरणा है जिस के माध्यम से ईश्वर की रचना अपनी परिपूर्णता को प्राप्त करने वाली है और उसका अर्थ जानने वाली है  – यह इतना महान है! शायद हमें इसका एहसास नहीं है। लेकिन जब हम कहते हैं, “हम सहजयोगी हैं,” तो आपको यह जानना होगा कि, एक सहज योगी होने के लिए, आपका सहज योग के सत्य के साथ कितना तादात्म्य होना चाहिए, और इतनी सारी गलत पहचान जो आप पर छायी हुई हैं, आपको इस से छुटकारा पाना चाहिए।  लोग इसे एक त्याग कहते हैं। मुझे नहीं लगता कि यह बलिदान है। अगर आपको लगता है कि कुछ आपके रास्ते में बाधा डाल रहा है तो आप उस बाधा को दूर करने का प्रयास करेंगे। उसी तरह यदि आप अपने अवरोधों से अलग खड़े हो जायेंगे, तब आप समझ पाएंगे कि ये रुकावटें आपके रास्ते में खड़ी हैं और ये आपकी नहीं हैं और आपकी प्रगति को रोक रही हैं। तो, आपको इस गलत पहचान को अपने दिमाग से पूरी तरह से निकाल देना चाहिए और अधिक से अधिक स्व बनने का प्रयास करना चाहिए, न कि गलत पहचान। यह एक समस्या है, मुझे लगता है, यहाँ के लोगों की है। जब भी मुझे कोई शिकायत या कुछ भी मिलता है, मैं समझती हूं कि सहज योग के बारे में अभी भी समझ का स्तर उस बिंदु तक नहीं है। यह एक Read More …

The Meaning of Yoga London (England)

The Meaning Of Yoga Date : 11th November 1979 Place : London Туре Public Program Speech [Translation from English to Hindi, Scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सहजयोग आपके अन्दर जीवाणु की तरह आड़ोलन एक के बाद एक क्रिया आदि एक से विद्यमान है । यह आपके अन्दर जन्मी हुई दूसरी तरह के आड़ोलन के माध्यम से होता चीज है। व्यक्ति के अन्दर ये अन्तर्जात होती है जो अवययों में मौजूद है जैसे पेट स्वतः स्वतः इसका अंकुरण होता है अभिव्यक्ति होती है। बिल्कुल वैसे ही जैसे सब आपके मस्तिष्क से आता है । अनुकंपी आप छोटे से बीज को अंकुरित होकर वृक्ष नाडीतन्त्र और पराअनुकम्पी नाड़ी तन्त्र बनते (Sympathetic, और खाए हुए पदार्थ को नीचे को धकेलता है। ये देखते हैं। यही सहजयोग है। अन्य Parasympathetic) हुए सभी योग जो इसके साथ-साथ चलते हैं, वे गतिशील हो उठते हैं और इसे कार्यान्वित सब सहजयोग के ही अंग-प्रत्यंग हैं। इन्हें करते हैं। ये एक बहुत बड़ी प्रणाली है और इससे अलग नहीं किया जा सकता। मुझे एक बहुत बड़ी संस्था है जो ये कार्य कर लगता है कि लोगों में कुछ गलत-फहमी है। रही है। आप यदि इसे पृथक करना चाहें तो योग के चार अंग होते हैं। ये सोचना भी पाचन प्रणाली भिन्न है मस्तिष्क प्रणाली । भिन्न है, स्नायु प्रणाली भिन्न है । आप इन्हें गलतफहमी न होगी कि वे अलग- अलग हैं जब हम कहते हैं कि हमने खाना खाया है इस तरह से अलग नहीं कर सकते कि तो इसका अर्थ ये नहीं होता कि बोल्ट की Read More …

Diwali Puja: Today is the day to take an oath Dollis Hill Ashram, London (England)

                                                दीवाली पूजा  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन, इंग्लैंड। 20 अक्टूबर 1979। ….14वें दिन, षडानन के द्वारा उसका वध हुआ, कार्तिकेय पुत्र थे पार्वती और शंकर के जो रुद्र शक्ति की बहुत शक्तिशाली अभिव्यक्ति थे, जो कि भगवान की मारक शक्ति हैं। और उसकी रचना विशेष रूप से इसी उद्देश्य के लिए, नरकासुर को मारने के लिए की गई थी। तब – ऐसा था, यह राक्षस, ऐसा खतरा था और उसने कितने लोगों के जीवन को बर्बाद कर दिया था। उसने ऐसा कहर बरपाया है और लोगों को यह नहीं पता था कि सुरक्षा कैसे प्राप्त की जाए। उस समय, तब शक्ति द्वारा षडानन, कार्तिकेय के रूप में नरकासुर का वध किया गया था, उस समय चारों ओर उत्सव मनाया गया था। लोगों ने अगली रात मनाई और अगली रात पूरे साल की सबसे काली रात थी, जो कि आज रात है। घटते चंद्रमा के 15वें दिन को अमावस्या [अमावस्या] कहा जाता है। तो यह सबसे अंधेरी रात है। हर महीने एक बार हमेशा अंधेरी रातें होती हैं, लेकिन यह पूरे साल की सबसे काली रात होती है और इससे ठीक पहले नरकासुर का वध हुआ था। और घर में सारी रौशनी प्रज्वलित की जाती हैं और ढेर सारे दीपक जला दिए जाते हैं। बेशक बिजली की बत्तियाँ इनसे अलग होती हैं, जैसा कि आप जानते हैं, कि वे हर समय बाधा को जला देती हैं। इसलिए नरकासुर की मृत्यु के बाद, जब वह बहुत शक्तिशाली था तब उसकी अपनी एक बड़ी सेना थी, और उसने कई लोगों को सम्मोहित कर लिया Read More …

How realisation should be allowed to develop Caxton Hall, London (England)

          बोध को कैसे विकसित होने दिया जाना चाहिए  कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड। 15 अक्टूबर 1979। आप में से अधिकांश यहाँ सहजयोगी हैं। अब जिन लोगों को साक्षात्कार मिल गया है, जिन्होंने स्पंदनों को महसूस किया है, उन्हें पता होना चाहिए कि वे अब दूसरे ही स्वरुप में विकसित हो रहे हैं । अंकुरण शुरू हो गया है, और आपको अंकुरण को अपने तरीके से काम करने देना चाहिए। लेकिन सामान्य तौर पर, जब हमें बोध भी हो जाता है, तो भी हमें यह एहसास भी नहीं होता है कि यह एक जबरदस्त चीज है जो हमारे भीतर घटित हुई है। कि यह प्रस्फुटन, जो एक असंभव कार्य है, हमारे भीतर घटित हो गया है, और इसे धीरे-धीरे कार्यान्वित होना है। इसे विकसित हो कर, और हमें उसमें उत्क्रांति प्रदान करना है, और चूँकि हम इसे महसूस नहीं करते हैं, हम इसे (आत्मसाक्षात्कार को )उतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं, जितना हमें लेना चाहिए। इसके अलावा, वे ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जिन्होंने वायब्रेशन महसूस नहीं किया है, वे इस क्षेत्र को नहीं जानते हैं; उन्होंने इसे कभी नहीं देखा है। जैसा कि गुरु नानक ने कहा है, यह ‘अलख’ है (अलक्ष्य :अदृश्‍य)। उन्होंने इसे नहीं देखा है, वे इसके बारे में नहीं जानते हैं, वे नहीं जानते कि ईश्वर की एक शक्ति मौजूद है, जो आपको समझती है, समन्वय करती है, सहयोग करती है, जो सामूहिक अस्तित्व में काम कर रही है, जो आपको जागरूक करती है, आपको उस सामूहिक अस्तित्व के बारे में और दूसरों के बारे में Read More …

Maintaining purity of Sahaja Yoga Caxton Hall, London (England)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी,  ‘सहज योग की शुचिता कायम रखना ‘ कैक्सटन हॉल, लंदन 10 अक्टूबर, 1979 …कुछ समय से अपने ही ढंग से चल रहा है (श्री माताजी किसी सहज योगी के विषय में कह रही हैं) मैंने कहा, ‘उसे प्रयास करने दो।’ डगलस फ्राई: मै लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं कर रहा हूं। मै सिर्फ आप को रिकॉर्ड कर रहा हूं। यह सिर्फ रिकॉर्डिंग के लिए है। श्री माताजी: ओह, यह लाउडस्पीकर नही है! सहज योगी: ये सिर्फ टेप है। श्री माताजी: ओह, ये बात है! और उसने कई प्रकार की चालें चलना आरंभ कर दिया था। आप समझे, जो मैंने उसके बारे में अनुभव किया था, कि उसने अपने आत्म साक्षात्कार के बारे में कुछ चालबाजी करनी आरंभ कर दी। क्योंकि सिर्फ यही वो एक चीज है, जिस में आप पड़ सकते हैं, जिस में आप को बहुत अधिक सावधान रहना चाहिए। और उसने प्रेतात्माएं एकत्रित कर लीं, क्योंकि उसको उपचार करने में बहुत अधिक रुचि हो गई। मैंने उसे और ज्यादा उपचार करने से मना किया था। मैंने कहा, ‘आप मेरा फोटो दे सकते हैं, पर उपचार कार्य में संलग्न मत हो, क्योंकि अगर आप प्रेतात्माएं से ग्रस्त हो गए, तो आप को पता भी नहीं चलेगा, आप उसके प्रति असंवेदनशील रहेंगे और फिर आप को समस्याएं हो जाएंगी।’ और फिर उस में ऐसी विचित्र प्रेतात्माएं थीं कि जो लोग उसके पास आए, वो प्रेतात्मयें उन लोगों को इसको धन देने के लिए प्रभावित कर रही थीं। और कुछ लोग बाध्य किए गए। मेरा मतलब Read More …

Self-realisation and fulfilment Caxton Hall, London (England)

‘आत्मसाक्षात्कार और तृप्ति’ , सार्वजनिक कार्यक्रम, कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड,  6 अगस्त, 1979 ….क्या ये ठीक है? सहज योग के बारे में पहले ही बहुत कुछ कहा जा चुका है। जैसा कि पहले मैंने आपको बताया था, नये लोगों के लिए मैं कहना चाहूंगी, ‘सह’ माने साथ ‘ज’ माने जन्मा। यह आपके साथ ही जन्मा है। यह आपके साथ है। अंकुरित करने वाली शक्ति जो आपको परमात्मा से जोड़ेगी, वो आपके साथ ही पैदा हुई है। जैसे इस देह में आपकी नाक है, आँखें हैं, चेहरा है, इसी प्रकार ये अंकुरित करने की शक्ति भी आपके अंदर है, अनेक युगो से आपके अंदर है। आप की हर खोज में वो आप के साथ रही है। और अब समय आ गया है, बसंत का समय आ गया है आप कह सकते हैं, जब लोगों को परमात्मा से अपना संबंध प्राप्त करना है, अन्यथा ईश्वर अपना खुद का अर्थ खो देंगे। जब तक आपको अपना खुद का अर्थ ज्ञात नहीं होता, जब तक आपको अपना अंदर से तृप्ति नहीं आती, आप के रचयिता जिसने आपको बनाया है उसको भी अपना संतोष प्राप्त नहीं हो सकता। इसलिए यह अनुग्रह, यह विशेष उपहार है आधुनिक मनुष्य को की वह वास्तव में अपना आत्म साक्षात्कार पा सकें। पर जैसे ( रेजिस ?) ने ठीक ध्यान दिलाया कि हमारे सारे यंत्र अच्छे से हमारे अंदर स्थापित हैं।  पर जब से हम पैदा हुए हैं तब से हम हमेशा उन लोगों के प्रति आकर्षित हुए हैं, जो ऐसे सिद्धांतों को ले कर आगे आए हैं कि वह Read More …

We have to seek our wholesomeness Caxton Hall, London (England)

                                            सार्वजनिक कार्यक्रम  “हमें विराट से अपनी एकाकारिता की आकांक्षा करनी चाहिए”।  कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके)। 24 जुलाई 1979। कल, मैं एक महिला से मिली, और उसने मुझसे कहा कि वह ईश्वर को खोज रही है। मैंने कहा, “परमात्मा के बारे में आप की सोच क्या है, आप क्या खोज रही हैं?” जब हम कहते हैं कि हम खोज रहे हैं, तो क्या हम जानते हैं कि हमें क्या खोजना है, और क्या हम समझते हैं कि अपनी खोज़ की पूर्णता हम कैसे महसूस करने जा रहे हैं, कि हम मंजिल तक पहुंच गए हैं? पिछली बार की तरह, मैंने आपसे कहा था कि खोज वास्तविक, सच्चे दिल से होना चाहिए, और यह कि आप खरीद नहीं सकते, या आप इसके लिए प्रयास नहीं कर सकते। लेकिन आज मैं आपको बताना चाहती हूं कि हम क्या ढूंढ रहे हैं। आइए देखें कि खोज हमारे भीतर कैसे आती है, कहां से? जैसा कि यहां दिखाया गया है, नाभी चक्र नामक एक केंद्र है, जो यहां मध्य में है [अश्रव्य], नाभी चक्र, जो हमारी रीढ़ की हड्डी में स्थित है, और सौर जाल solar plexus को अभिव्यक्त करता है जो आपकी नाभी के बीच में स्थित है। यह वह केंद्र है जो हमारे भीतर खोज का निर्माण करता है। खोज तभी संभव है जब कुछ जीवंत हो। उदाहरण के लिए, इस कुर्सी की क्या इच्छा है? यह सोच नहीं सकती, यह हिल नहीं सकती, आप इसे यहां रख सकते हैं या आप इसे सड़क पर रख सकते हैं। आप इसे तोड़कर फेंक सकते Read More …

How truthful are we about seeking? Caxton Hall, London (England)

          हम सत्य की ख़ोज के बारे में कितने ईमानदार हैं?  सार्वजनिक कार्यक्रम, कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड। 16 जुलाई 1979। एक दूसरे दिन मैंने आपको उस उपकरण के बारे में बताया जो पहले से ही हमारे अंदर है, अपने आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए, जो एक वास्तविक अनुभूति है, जो एक अनुभव है, जो एक घटना है जिसके द्वारा हम वह बन जाते हैं। यह हो जाना है, यह कोई वैचारिक मत परिवर्तन या उपदेश नहीं है बल्कि यह एक ऐसा बनना है जिसके बारे में मैं बात कर रही हूं। जब हम कहते हैं, हम सत्य के साधक हैं, तो इस खोज में कितने ईमानदार हैं? यह एक बिंदु है जिसे हमें समझने की कोशिश करनी चाहिए। क्या हम वास्तव में, सच्चाई से खोज रहे हैं? क्या हम इसके बारे में सच्चे हैं, या हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह कहना अच्छा है कि हम सत्य की तलाश कर रहे हैं? यदि आपको कुछ वास्तविक खोजना है, तो आपको स्वयं ईमानदार होना होगा। यह सहज योग में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। सहज योग एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा आप स्वयं सत्य में कूद पड़ते हैं। तुम सत्य हो जाते हो, तुम सत्य को नहीं देखते हो, तुम सत्य को नहीं समझते हो, लेकिन तुम सत्य बन जाते हो। यह सबसे आश्चर्यजनक बात है कि मनुष्य यह नहीं समझते कि सत्य से क्या अपेक्षा की जाए। वे सत्य की खोज कर रहे हैं, लेकिन सत्य के पूर्ण मूल्य के बारे में उनकी कोई धारणा नहीं Read More …

Guru Puja: Gravity Point London (England)

                                                      गुरु पूजा  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन (यूके)  8 जुलाई 1979 आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। यह पूर्ण चंद्रमा का दिन है, इसलिए इसे पूर्णिमा कहा जाता है। गुरु को पूर्ण चंद्रमा की तरह होना चाहिए: इसका मतलब है पूरी तरह से विकसित, पूरी तरह परिपक्व। चंद्रमा की सोलह कला या चरण होते हैं, और जब पूर्ण पूर्णिमा आती है, पूर्णिमा के दिन, सभी सोलह कलाएं पूरी हो जाती हैं। आप यह भी जानते हैं कि विशुद्धि चक्र में सोलह उप चक्र होते हैं। जब कृष्ण को विराट के रूप में वर्णित किया जाता है, तो उन्हें सम्पूर्ण कहा जाता है: विष्णु के स्वरूप का पूर्ण अवतार। क्योंकि उन्हें सोलह चरण पूरी तरह से प्राप्त हैं। इसलिए आज की संख्या सोलह है। छह प्लस एक सात है। अब हमें गुरु के महत्व को समझना होगा। जब हमारे पास ईश्वर हैं तो हमें गुरु क्यों चाहिए? हमें शक्ति मिली है, फिर हमें गुरु क्यों चाहिए? गुरु रखने की क्या जरूरत है? ‘गुरु’ का अर्थ होता है वजन, भार। हम अपना वजन धरती माता के गुरुत्वाकर्षण के चुंबकीय बल से प्राप्त करते हैं। तो गुरु का अर्थ है गुरुत्वाकर्षण, किसी व्यक्ति में गुरुत्वाकर्षण। हमें गुरु की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि ईश्वर को जानना आसान है, विशेष रूप से सहज योग में, उसके साथ एकाकार होना। जैसे ही आप सहज योग, आधुनिक सहज योग में अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं, तुरंत ही आप अन्य लोगों को आत्मसाक्षात्कार देने के हकदार बन जाते हैं। यह कहा जाता था कि गुरु वह व्यक्ति है जो Read More …

Talk to Sahaja Yogis: When in darkness London (England)

                     “जब अँधेरे में हों”  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन, इंग्लैंड। 20 जून 1979। …फिर वो लोगों का इलाज शुरू करता है, फिर वो नकारात्मकता को ज्यादा पास करता है। और यह कुछ अच्छा लगने लगता है, आप देखिए। कभी-कभी उसे यह भी लगता है कि उसने अधिक शक्तियाँ प्राप्त कर ली हैं, क्योंकि ये प्रेतात्माएँ बहुत चालाक हैं और वे उस तरह का वातावरण स्थापित करती हैं। इसलिए व्यक्ति को सावधान रहना होगा। एक नियमित युद्ध चल रहा है। और इसलिए हमें बस अपने हौसले को ठीक रखना है। और इस युद्ध में कायरता का कोई स्थान नहीं है। अगर लोगों की पहचान सत्य के साथ हो जाए तो यह पूरी बात बहुत अच्छी तरह से काम करेगी। लेकिन सत्य, जैसा कि आप जानते हैं, के साथ पहचान करना बहुत कठिन है; मनुष्य के लिए बहुत कठिन, बिल्कुल असंभव के समान है। यदि आप उन्हें बेवकूफ बनने को कहेंगे, तो वे आपको स्वीकार करेंगे। यदि आप उन्हें मूर्ख बनने को कहते हैं, तो वे आपको स्वीकार करेंगे। किसी भी तरह का काम जिस को करके वे बिल्कुल गधे जैसे दिखें, वे करेंगे। यदि आप उन्हें फरेबी बनने को कहें, तो वे ऐसा करेंगे। असत्य का कोई माहौल बनाएंगे तो वे आपको स्वीकार करेंगे। लेकिन सच्चाई? बहुत कठिन। बहुत कठिन। आपको भी पता चलेगा कि कुछ लोग हैं जो मेरी तस्वीर देखते हैं और उन्हें ठंडी हवा मिलती है, लेकिन फिर जब वे मुझे पूरा देखते हैं, तो वे नहीं कर सकते। क्योंकि जब वे फोटो देखते हैं तो उनमें अभी भी Read More …