The Priorities Are To Be Changed Chelsham Road Ashram, London (England)

प्राथमिकताओं को बदला जाना है चेल्शम रोड, क्लैफम लंदन (यूके), 6 अगस्त 1985। अब मेरा इंग्लैंड में प्रवास अपना 12वां वर्ष पूरा कर रहा है और यही कारण है कि मैं आप लोगों से सहज योग के बारे में बात करना चाहती थी। यह कहां तक चला गया है और हमारे पास कहां कमी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि हमने अपने धर्म की स्थापना की है: निर्मल धर्म, जैसा कि हम इसे कहते हैं, विश्व निर्मल धर्म। और आप शब्दों के अर्थ जानते हैं, विश्व का अर्थ है सार्वभौमिक, निर्मल का अर्थ है शुद्ध और धर्म का अर्थ है धर्म। यह अमेरिका में स्थापित किया गया है। और हमें इसे यहां इंग्लैंड में पंजीकृत करना होगा। अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, जब हम किसी धर्म से संबंध रखते हैं, तो हमें यह जानना होगा कि उस धर्म की आज्ञाएं क्या हैं। और अभी तक हमने कुछ भी मसौदा तैयार नहीं किया है। यह ऐसी चीज़ नही हो सकती जिसे लोगों या मनुष्यों के लिये बनायी गईअनुकूल वस्तु नहीं हो सकती है। ऐसा नहीं हो सकता। और आपकी अनुकूलता के लिये इस मे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जैसे रूस में, जैसा कि मैंने आपको कहानी सुनाई, मैं वहां गयी और मैंने कहा, “मैं एक चर्च देखना चाहती हूं।” इसलिए वे मुझे एक चर्च में ले गए, जो ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च था, और मेरे पति भी वहां थे जहां हम वीआईपी थे, इसलिए चर्च का मुखिया नीचे आया और हमें दोपहर के भोजन के लिए Read More …

Put me in your Heart Chelsham Road Ashram, London (England)

                 “मुझे अपने दिल में रखो” चेल्शम रोड, लंदन (यूके), 5 अक्टूबर 1984 श्री माताजी : कृपया बैठ जाइए। ठीक है। योगी: क्योंकि आज हम कुछ समय के लिए अपनी मां को और ऑस्ट्रेलिया के अपने आदरणीय भाई डॉ वारेन को भी विदाई दे रहे हैं, जिन्होंने यहां रहते हुए अथक परिश्रम किया है। हमारी माँ की ओर से और हमारी ओर से, और इस देश में काम करने में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे जबरदस्त काम किया; और हम चाहते हैं कि इसे सिर्फ यह बताने का एक विशेष अवसर हो कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और वह है, जो कुछ भी वह हमसे कहते है, वह हमारे हृदय का भला करता है। डॉ वारेन: श्री माताजी, यह वास्तव में मेरे लिए आश्चर्य की बात है। श्री माताजी : कृपया थोड़ा और आगे आएं। डॉ वारेन: मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात मैं यह कह सकता हूं कि मुझे यहां रहने में कितना आनंद आ रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी हृदय में आए, हम सभी को प्रसारित करना है और जब भी मुझे पता चलता है कि मैं यहां आया हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। क्योंकि मैं इस तरह से नहीं सोचता कि मैं कुछ कर रहा हूं। जब आप श्री माताजी की उपस्थिति में होते हैं, जैसा कि आप में से कई लोग महसूस करते हैं, यह समर्पण की ऐसी अभिव्यक्ति है। लेकिन समर्पण जो आपको मानसिक आशंका से परे ले जाता है कि समर्पण क्या है, क्योंकि Read More …

Shri Yogeshwara Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

(परम पूज्य श्रीमाताजी, श्रीकृष्ण पूजा, चेल्शम रोड, लंदन, 15 अगस्त, 1982) एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि वह योगेश्वर हैं और जो बात हमें समझनी है वह यह है कि जब तक आप योगेश्वर के मार्ग का अनुसरण नहीं करते तब तक स्वयं को पूर्णतया स्थापित नहीं कर सकते हैं। श्रीकृष्ण ने कहा सर्वधर्माणां परितज्य मामेकम् शरणम् व्रज। अपने सभी संबंधियों व संबंधों जैसे अपने भाई, पत्नी, बहनों …. को छोड़कर केवल मुझ एक कृष्ण को भज … देखिये ये सब धर्म हैं जैसे स्त्रीधर्म …. अर्थात एक स्त्री का धर्म क्या है। इसी प्रकार से हम कह सकते हैं राष्ट्रधर्म। आज भारत की स्वतंत्रता का भी दिन है। तो हमारा राष्ट्रधर्म भी है …. हम देशभक्त लोग हैं। अपने देश के लिये प्रेम होना ही राष्ट्रधर्म है। इसके बाद समाजधर्म आता है … अर्थात समाज के प्रति आपका कर्तव्य। इसके बाद पति धर्म इसका अर्थ है पति का पत्नी के प्रति कर्तव्य, पत्नी का पति के प्रति कर्तव्य। सभी के कर्तव्य धर्म कहलाते हैं। लेकिन उन्होंने कहा इन सभी धर्मों को छोड़कर … अपने कर्तव्यों को छोड़कर पूर्णतया मुझको समर्पित हो जाओ … सर्वधर्माणां परितज्य मामेकम् शरणम् व्रज। चूंकि अब आप सामूहिक व्यक्तित्व बन गये हैं … आपका उनके साथ ऐक्य हो गया है … और वही आपके धर्मों की …. कर्तव्यों की रक्षा कर रहे हैं। वहीं उनकी ओर दृष्टि किये हुये हैं … वही उनको शुद्ध कर रहे हैं अतः आपको स्वयं को उनको पूर्णतया समर्पित कर देना चाहिये। उन्होंने उस समय ये बात केवल अर्जुन को Read More …

Shri Rama Navami Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

                                              श्री राम नवमी  चेल्शम रोड, लंदन, इंग्लैंड, 2 अप्रैल 1982 (श्री माताजी बता रहे हैं कि नए लोगों से कैसे बात करें) इसलिए सबसे पहले आपको ऊर्जाओं के बारे में बात करना शुरू करना चाहिए कि:  ये ऊर्जाएँ हमारे भीतर चल रही हैं और वे कैसे सक्रिय होती हैं। फिर आप तीसरी ऊर्जा की बात करते हैं जो वही है जिसने हमें विकसित किया है, और इस तरह हम यहां  हैं। और आप स्वयं  के बारे में बात करते हैं, अपने नियंत्रक के बारे में , जो आप को नियंत्रित कर रहा है, आत्मा। इसलिए यदि आप एक अमूर्त रेखा पर चलते हैं, तो यह बहुत ही आकर्षक होगा। फिर बाद में, एक बार जब आप अपने भीतर स्थित ऊर्जाओं के बारे में बात कर चुके होते हैं, ऐसे, वैसे, यह, – तो आप देखेंगे कि, -एक बार लोग अहंकार महसूस करेंगे, “ओह, हमारे पास ये ऊर्जाएं हैं। हम इन ऊर्जाओं का उपयोग कर सकते हैं, ऐसा कर सकते हैं , वैसा कर सकते हैं। ” और फिर बाद में, आप उन्हें सहज योग तक ले जाते हैं। लेकिन शुरूआत में हम अमूर्त की बात करते हैं। क्योंकि भारतीय अलग हैं, मेरा मतलब है कि पश्चिमी लोग अलग हैं। वे धर्म से तंग आ चुके हैं, वे इस सब से थक चुके हैं। इसलिए अगर आप धर्म की बात करते हैं तो यह एक समस्या पैदा करता है। इसीलिए, शुरुआत में, वेद, जब लिखे गये थे, उन्होंने भगवान या देवताओं की बिल्कुल भी बात नहीं की थी। उन्होंने निर्माता रूपी Read More …

दिवाली पूजा Chelsham Road Ashram, London (England)

दिवाली पूजा चेल्शम रोड आश्रम, लंदन (यूके) – 1 नवंबर, 1981 आज मैंने आपको लक्ष्मी सिद्धांत के महत्व और तीन प्रक्रियाओं के बारे में बताया जिनसे हम गुजरते है । पहला गृह लक्ष्मी है। असल में,अधिकतर यह चंद्रमा के तेरहवें दिन मनाया जाता है, जहां वे कहते हैं कि गृहिणी को कुछ उपहार देना चाहिए। और सबसे अच्छी चीज जो है वह एक बर्तन है। तो लोग उसे कुछ बर्तन देते हैं, वास्तव में यह एक बहुत ही पारस्परिक बात है, क्योंकि यदि आप एक बर्तन देते हैं, तो उसे आपके लिए खाना बनाना चाहिए। यह सुझाव देने का एक बहुत ही प्यारा तरीका है कि आप हमारे लिए कुछ पकाइये। तब चौदहवा दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन देवी शक्ति के रूप में है, क्योंकि यह कार्तिकेय थे जिन्होंने नरकासुर, शैतान को मार डाला था। और वह सबसे बुरों में से एक था, जिसे मारा न जा सका था। इसलिए शिव और पार्वती, इस शक्तिशाली शक्तिपुत्र को उत्पन्न करने के लिए, इस विशेष उद्देश्य के लिए विवाहित हुए थे, जिसका मतलब वह शक्ति का पुत्र है, जिसे कार्तिकेय कहा जाता है। और वह सिर्फ इस भयानक शैतान जिसे नरकासुर कह जाता था , को मारने के लिए पैदा हुआ था। और उसने मारा। वह दिन है, चौदहवें दिन। यह उस दिन हैलोवीन की तरह कुछ है। क्योंकि वह दिन है जब उन्होंने नरक के द्वार खोले और सभी शैतानों को नरक में डाल दिया। और यही कारण है कि उस दिन सुबह को जितना संभव हो सके आराम Read More …

Guru Purnima Chelsham Road Ashram, London (England)

आपको समझना होगा कि स्वयं से इस भौतिकता के लबादे को हटाने के लिये आपको अपने ऊपर कार्य करना होगा। और एक बार जब आपने इसे नियिंत्रत कर लिया तो कम से कम ….. अब आप कहीं भी सो सकते हैं अगर नहीं तो कुछ समय तक जमीन पर सोने का प्रयास करें। सन-टैनिंग के लिये आप क्या नहीं करते हैं … लोग इन बेवकूफियों के लिये स्वयं को रोक ही नहीं सकते हैं क्योंकि इन विचारों को आपके अंदर डाला गया है। इन विचारों को डालने वालों ने आपको शोषण किया है … आपको ये करना चाहिये … वो करना चाहिये… ये करना आवश्यक है … वो करना आवश्यक है। उन्हें तो बस अपने उत्पादों को बेचना है। कभी-कभी उपवास करने का प्रयास करें। मैंने भारतीयों को उपवास करने से मना किया है क्योंकि वे उपवास ही करते रहते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिये वे उपवास करते हैं। भारत में अन्न की कमी है … इसलिये वे उपवास करते हैं। उनको उपवास करने की क्या जरूरत है? लेकिन यहाँ के लोगों के लिये ये आवश्यक है कि वे उपवास करना सीखें और भोजन की ओर ज्यादा ध्यान न दें। भोजन के प्रति आकर्षण का अर्थ है कि आपकी इंद्रियां आपको पागल बना रही हैं…. हैं कि नहीं? हमको सबसे पहले अपने शरीर और बाद में इंद्रियों पर आक्रमण करना चाहिये। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हमारी जीभ है। ये दो प्रकार से कार्य करती है। एक तो स्वाद … खाने का स्वाद और दूसरे ये कड़वे बोलों से दूसरों पर Read More …

Subconscious, Supraconscious and Our Correct Ideals Chelsham Road Ashram, London (England)

                     अवचेतन, अतिचेतन  चेल्शम रोड, क्लैफम, लंदन (यूके) 24 मई 1981 …इन लोगों ने इसे देखा और सोचा वे एक तरह के पागल लोग हैं। ऐसी सभी प्रकार की संभावित बातें। और नया सिद्धांत यह है कि मन कुछ नहीं कर सकता। लोग कहते हैं कि बेहतर होगा कि आप कुछ ऐसा करें जो आपके मन के नियन्त्रण के बाहर हो, आप देखिए। लेकिन इसका एक आसान सा जवाब है; मैं कहती हूँ देखते हैं, सरल उत्तर क्या है? आइए देखते हैं। सहजयोगी… ब्रेन ट्रस्ट से?  सरल उत्तर क्या है? देखिये, वे कहते हैं कि, मन सीमित है, ठीक है, तो मन जो कुछ भी करता है वह सीमित है। तो अगर कोई ऐसे प्रयास हों जिनके द्वारा आप हमारे मन पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो हम जो कुछ भी करते हैं, वह मन की क्रिया है। तो अगर इस प्रकार का कुछ किया जाता है, तो यह स्वतःस्फूर्त होता है, उनके अनुसार “यह स्वतःस्फूर्त है!” तो किसी अन्य को यह करने दो। मेरा मतलब है कि यह कुछ कुछ इस प्रकार है जैसे कि परमात्मा आपके साथ कर रहा है।” आइए सभी बुद्धिजीवियों को नीचे रखें! आप इसका क्या जवाब देते हैं? क्या आपने सुना है कि लिंडा [विलियम्स (पियर्स)]? प्रश्न बहुत सरल है। प्रश्न यह है कि वे कह रहे थे कि मन सीमित है। ठीक है? नमस्कार। क्या मारिया यहाँ है? मैं उसके बारे में सोच रही थी। वह कहाँ हॆ? मैं उसे देख नहीं पा रही। नमस्कार! मैं आज तुम्हारे बारे में सोच रही थी, किसी Read More …

Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean Chelsham Road Ashram, London (England)

सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१   … ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए। मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है।  लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह Read More …

How To Know Where You Are Chelsham Road Ashram, London (England)

                      सलाह, कैसे पता करें कि आप कहां हैं       चेल्सीम रोड आश्रम, क्लैफम, लंदन (यूके) , 7 सितंबर 1980 … तस्वीरों के सम्मुख चैतन्य, जो की, बहुत महत्वपूर्ण है। जहां तक परमात्मा का संबंध है, कैसे जाने की आपकी स्थिति कहाँ है। यह मुख्य बात है, क्या ऐसा नहीं है? हम इसी के लिए यहां हैं: ईश्वर से एकाकारिता के लिए, उसकी शक्ति के साथ एकाकार  होने के लिए, उसका उपकरण बनने के लिए। , हमें इसे समझने की कोशिश करनी चाहिए की हमारे कनेक्शन कैसे ढीले हो जाते हैं, और हम इसे कैसे ठीक कर सकते हैं। सबसे पहले, हमें समझना चाहिए कि आपको इसके बारे में सोचना नहीं हैं। यदि आप इसके बारे में बहुत अधिक सोचने लगते हैं, तो आपने देखा है कि आप कुछ अजीब करते हैं जो आपको नहीं करना चाहिए था। इसके बारे में बहुत अधिक योजना न करें, क्योंकि, इस देश में, यदि लोग योजना बनाना शुरू करते हैं, तो वे सभी पूर्ण नियोजन कर लेंगे। उदाहरण के लिए, यदि उन्हें टहलने जाना होगा: तब फिर उनके पास उचित जूते होना चाहिए, उनके पास उचित छड़ें होनी चाहिए, उनके पास यह होना चाहिए, उनके पास वह होना चाहिए, और उनके पास दस्ताने होना चाहिए, और उनके पास सब कुछ होना चाहिए, और वे कभी बाहर नहीं जाएंगे ! योजना के साथ वे बहुत थक गए हैं। (हँसी) उसी तरह, यह सहज योग के साथ होता है। सहज योग के साथ भी ऐसा ही होता है, मैंने देखा है कि, यद्यपि मैंने आपसे Read More …