Guru Puja: Awakening the Principle of Guru Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

गुरु पूजा                              “गुरु के सिद्धांत को जागृत करना” लॉजहिल (यूके), 24 जुलाई 1983 आज आप सभी यहाँ गुरु पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आपकी गुरु, पहले एक माँ है और फिर एक गुरु है और इस बात ने मेरी बड़ी मदद की है। हमने पहले भी कई गुरु पूजन किए हैं, ज्यादातर इंग्लैंड में। और आपको आश्चर्य होना चाहिए कि माँ हमेशा किसी भी तरह गुरु पूजा लंदन में क्यों कर रही हैं। समय चक्र हमेशा इस तरह से चलता है कि, गुरु पूजा के दिनों में, मैं यहां हूं, उस दौरान मुझे लंदन में रहना होगा। इतने सालों से हम इंग्लैंड में गुरु पूजा कर रहे हैं। यदि सभी चीजें ऋतुमभरा प्रज्ञा से होती हैं तो निश्चित ही कोई कारण है की माँ यहाँ गुरु पूजा के लिए इंग्लैंड में है। पुराणों में कहा गया है कि आदि गुरु दत्तात्रेय ने तमसा नदी के किनारे माता की आराधना की थी। तमसा वही है जो आपके थेम्स के रूप में है और वह स्वयं यहां आकर आराधना करते है। और ड्र्यूड्स,( जिसमे की स्टोनहेंज वगैरह की अभिव्यक्ति थी), उस प्राचीन समय से शिव के आत्मा रूपी इस महान देश में उत्पन्न हुआ है। इसलिए आत्मा यहाँ उसी प्रकार बसी हुई है जैसे की मनुष्यों के हृदय में रहती है और सहस्रार हिमालय में है जहाँ कैलाश पर सदाशिव विद्यमान हैं। हमारे यहाँ इतने गुरु पूजन होने का यह महान रहस्य है। इसे संपन्न करने Read More …

Guru Purnima Seminar Part 2: Assume your position Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

                                      ऋतुम्भरा प्रज्ञा – भाग II  लॉज हिल (यूके), गुरु पूर्णिमा सेमिनार, 23 जुलाई, 1983। सहज योगी गाते हैं | भय काय तया प्रभु ज्याचा रे  (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? सर्व विसरली प्रभुमय झाली  (x2) हम दिव्यता में सब कुछ भूल जाते हैं पूर्ण जयाची वाचा रे (x2) और हम परमात्मा में पूरी तरह खो जाते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? जगत विचरे उपकारास्त्व (x2) जो दुनिया की भलाई के लिए विचरण करते हैं  परी नच जो जगतचा रे (x2) लेकिन वह दुनिया से संबंधित नहीं है क्योंकि वह पूरी तरह से अलग है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं तो डरने की क्या बात है? इति निर्धन। परस्त्र ज्याचा  (x2) आप बिना किसी बाहरी धन के हो सकते हैं: सर्व धनाचा साचा रे  (x2) धन का असली खजाना अपने अंदर है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे(x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आधि व्याधि मरणावरती (x2) सभी रोग और मरण जैसी समस्याएं पूरी तरह से भंग हो जाती हैं पाय अशा पुरुषाचे  (x2) ऐसे व्यक्ति के पैर इन सब से ऊपर रहते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम ईश्वर से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आपका बहुत बहुत धन्यवाद! कोई मेरा अनुवाद करेगा? योगिनी: नहीं। हम चाहेंगे कि आप इसका अनुवाद हमारे लिए करें, कृपया! Read More …