Shri Krishna Puja: They have to come back again and again Saffron Walden (England)

श्री कृष्ण पूजा   सेफ्फ़रॉन वाल्डेन (इंग्लैंड), 14 अगस्त 1989 (श्री कृष्ण अवतार, दाईं विशुद्धि)  आज हम यहां श्री कृष्ण अवतार की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण नारायण के अवतार हैं, श्री विष्णु के। प्रत्येक अवतार में, वे अपने सभी गुणों, अपनी सारी शक्तियों और अपनी प्रकृति को अपने साथ ले कर आते हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतार लिया तो उनके पास नारायण के सभी गुण थे, और फिर श्री राम के, लेकिन हर अवतरण अपने पूर्व जीवन को संशोधन करने की चेष्टा करता है, जो भी उनके पूर्व जीवन में गलत समझ लिया गया और उन्हें अतिशयता में ले जाया गया । इसलिए उन्हें बार-बार वापस आना पड़ता है। सही है इसलिए श्री विष्णु ने, जब उन्होंने अपना अवतार लेने के बारे में सोचा, क्योंकि वे ही हैं जो संरक्षक हैं। वे ही इस सृष्टि के संरक्षक और धर्म के भी संरक्षक हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतरण लिया तो उन्हें यह देखना पड़ा कि लोग अपने धर्म पर कायम रहें। केवल धर्म को ठीक रखने से ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हो सकता है। तो यह कार्य अत्यंत कठिन था, मुझे कहना चाहिए, लोगों को महालक्ष्मी के मध्य मार्ग में बनाए रखने के लिए। अतः पहले अवतरण द्वारा, आप कह सकते हैं कि उन्होंने एक हितकारी राजा की संरचना करने की कोशिश की, श्री राम के रूप में। सुकरात ने एक हितकारी राजा का वर्णन किया है। लेकिन इसके परिणामस्वरूप, लोगों ने सोचना शुरू कर दिया कि अगर वे राजा या Read More …