Shri Vishnumaya Puja: Cure That Left Vishuddhi Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

श्री विष्णुमाया पूजा “उस बायीं विशुद्धि को ठीक करें”   शूडी कैंप (इंग्लैंड), 20 अगस्त 1988। कम ही उम्मीद थी कि हम यहां पूजा करेंगे या इस तरह का कोई कार्यक्रम करेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि इतने तेज़ कार्यक्रम के पूरे कार्यक्रम से कुछ छूट गया था जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे करना पड़ा था, लंदन से फ्रैंकफर्ट से अमेरिका से बोगोटा तक जाना, वापस होना, फिर अंडोरा और इन सभी जगहों पर, फिर भी, मैंने सोचा, अब यह समाप्त हो गया है। और मैं यहां लंदन में आयी और मुझे पता चला कि एक पूजा नहीं हुई थी, बायीं विशुद्धि की, और यह इस रक्षा बंधन के साथ पड़ती है क्योंकि यह बहन का रिश्ता और भाई का रिश्ता है। तो इतिहास में, यदि आप जाते हैं, तो श्री कृष्ण का जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन उनकी बहन का जन्म हुआ था, और यह विष्णुमाया बाद में स्थानांतरित हुई, मुझे कहना चाहिए, एक विद्युत में रूपांतरित हुई, लेकिन उस समय वही थी जिसने श्री कृष्ण के अस्तित्व की घोषणा की – कि वह पैदा हुआ है और वह जी रहा है, वह वर्तमान में है। यह लेफ्ट विशुद्धि का, लाइटिंग का काम है, और आपने देखा है कि जब भी मैं किसी जगह पर जा रही होती हूं, या मैं कोई प्रोग्राम या कुछ और दे रही होती हूं, तो उसके ठीक पहले बिजली की गड़गड़ाहट, बिजली की गड़गड़ाहट, यह सब दिखाई देता है आकाश में, तुम देखते हो, उस घोषणा को दिखाने के लिए। Read More …

महिलाओं की भूमिका, द्वितीय सेमिनार दिवस Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

महिलाओं की भूमिका, द्वितीय सेमिनार दिवस, 19 जून 1988, शूडी कैम्प, कैम्ब्रिजशायर, यू0के0 कल शाम हमने बहुत सुंदर ध्यान किया और हम सभी ने ठंडी-ठंडी चैतन्य लहरियों का अनुभव भी किया। जैसा कि मैंने आप लोगों को बताया कि ये हमारे इतिहास का सबसे महान दिन है, जिसमें आपका जन्म हुआ है और आप सभी परमात्मा का सर्वोच्च कार्य कर रहे हैं। आप सभी को विशेषकर इसी कार्य के लिये चुना गया है। आप सबको ये जानना होगा कि अब आप लोग संत हैं। लेकिन, इन्ही आशीर्वादों के कारण कभी-कभी आप लोग भूल जाते हैं कि आप लोग अब संत हैं और आपको ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिये जो संतों को शोभा नहीं देता है।   इस बार, कई वर्षों के बाद मैंने श्री एकादश रूद्र पूजा के लिये अपनी सहमति दी है, मुझे मालूम है कि इस पूजा को करना कितना कठिन काम है, क्योंकि अभी भी बहुत से सहजयोगी परिपक्व नहीं है और उनमें से कुछ तो सहजयोग का फायदा उठाकर पैसे कमा रहे हैं और कुछ इससे नाम, प्रसिद्धि, शक्ति या कुछ और प्राप्त करना चाह रहे हैं। वैसे तो इसको अब छोड़ दिया गया है। यह शक्ति, एक प्रकार से बहुत ही खतरनाक शक्ति है और आपको इस संबंध में बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। निसंदेह, यह उन लोगों और नकारात्मकताओं से आपकी रक्षा करती है जो आपको परेशान करना चाहते हैं और आपको नष्ट करना चाहते हैं। ये आपकी सुरक्षा के लिये हरसंभव प्रयास करना चाहती है, लेकिन यदि आप गलत व्यवहार करते हैं Read More …

Seminar Day 1, Introspection and Meditation Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

Advice, “Introspection and Meditation”. Shudy Camps (UK), 18 June 1988. परामर्श, “आत्मनिरीक्षण और ध्यान”।शुडी कैंप (यूके), 18 जून 1988। इस साल हमारे विचार से यूके में सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, क्योंकि कुछ परिस्थितियां भी हैं। लेकिन जब भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है, जो किसी न किसी रूप में हमारे कार्यक्रमों को बदल देती है, तो हमें तुरंत समझ जाना चाहिए कि उस बदलाव के पीछे एक उद्देश्य है, और हमें तुरंत खुले दिल से इसे स्वीकार करना चाहिए कि ईश्वर चाहते हैं कि हम बदल दें। मान लीजिए मैं एक सड़क पर जा रही हूँ और लोग कहते हैं, “आप रास्ता भटक गई हो माँ।” यह सब ठीक है। मैं कभी खोयी नहीं हूँ क्योंकि मैं अपने साथ हूँ! (हँसी।) मुझे उस विशेष रास्ते से जाना था, यही बात है। मुझे यही करना था, और इसलिए मुझे उस सड़क पर नहीं होना चाहिए था और मैं अपना रास्ता भटक गयी हूं। यदि आपके पास उस तरह की समझ है, और अगर आपके दिल में वह संतुष्टि है, तो आप पाएंगे कि जीवन जितना आप सोचते हैं उससे कहीं अधिक श्रेयस्कर है। अब, जैसा की है, क्या कारण था, मैंने सोचा, कि हमने निश्चित रूप से इस वर्ष सार्वजनिक कार्यक्रम करने का फैसला किया था, और हम सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं कर सके? तो इसका कारण यह है कि हमें अधिक समर्थ होना होगा। एक पेड़ के विकास में, जो एक जीवित पेड़ है, ऐसा होता है कि यह एक विशेष दिशा में एक बिंदु तक बढ़्ता है जब तक कि Read More …

Easter Puja: You have to be strong like Christ Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

ईस्टर पूजा। शुडी कैंप (इंग्लैंड), 3 अप्रैल 1988। मुझे देर से आने के लिए खेद है, लेकिन मैं आपको बताती हूँ कि मैं सुबह से काम कर रही हूं। अब, आज हम यहां ईसा मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मनाने के लिए आये हैं। सभी सहजयोगियों के लिए ईसा मसीह का पुनरुत्थान सबसे अधिक महत्व का है। और हमें यह समझना होगा कि उन्होने स्वयं को इसलिए पुनरुत्थित किया ताकि हम लोग खुद का पुनरूत्थान कर सकें। उनके जीवन का संदेश उनका पुनरुत्थान है न कि उसका क्रूस। उसने हमारे लिए क्रूस उठाया और हमें अब और नहीं सहने कि  आवश्यकता नहीं है। मैं देख रही हूँ कि बहुत से लोग इस नाटक को अब भी चलाये जा रहे हैं: वे यह दिखाने के लिए क्रूस को ढोए जा रहे हैं जैसे कि हम ईसामसीह के लिए कार्य करने जा रहे हैं! मानो वह नाटक करने वाले इन लोगों के लिए कोई काम छोड़ गये हो। लेकिन यह सब ड्रामा खुद को धोखा देने और औरों को धोखा देने का है। इस तरह की बेकार चीजें करते रहने का कोई मतलब नहीं है यह प्रदर्शित करने के लिए कि ईसामसीह ने कैसे दुख उठाया। आपके रोने-धोने  के लिए, ईसामसीह ने कष्ट नही उठाया। उन्होंने दुख इसलिए उठाया कि आपको आनंद प्राप्त होना चाहिए, कि आपको खुश रहना चाहिए, कि आपको उस सर्वशक्तिमान के प्रति पूर्ण आनंद और कृतज्ञता का जीवन जीना चाहिए जिसने आपको बनाया है। वह परमात्मा कभी नहीं चाहेंगे कि आप दुखी हों। कौन सा पिता अपने बेटे Read More …

Guru Puja: Sankhya & Yoga Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

                                                     गुरु पूजा शुडी कैंप (यूके), 12 जुलाई 1987 आज, यह एक महान दिन है कि आप यहां विश्व के हृदय के दायरे में अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। अगर ऐसा हम हमारे हृदय में कर सकें तब, इसके अलावा हमें कुछ भी और करने की आवश्यकता नहीं होगी। आज, मुझे यह भी लगता है कि, मुझे आपको सहज योग और उसके मूल्य के बारे में बताना होगा, जो अन्य योगों से संबंधित है जो पूरे विश्व में पुराने दिनों में स्वीकार किए जाते थे। उन्होंने इसे कहा, एक, ‘योग’, ना कि सहज योग, ‘योग’। इसकी शुरुआत ‘अष्टांग ’के विभिन्न प्रकार के अभ्यासों से हुई है [संस्कृत / हिंदी का अर्थ है आठ चरण / भाग’] योगासन – आठ स्तरीय योग – एक गुरु के साथ। और एक साधक को बहुत कष्टों से गुजरना होता था । किसी भी विवाहित को उस अष्टांग योग में अनुमति नहीं दी गई थी, और उन्हें अपने परिवारों को छोड़ना पड़ा, अपने रिश्तों को छोड़ना पड़ा।  गुरु के पास जाने के लिए उन्हें बिलकुल बिना किसी लगाव वाला बनना पड़ा। उनका सारा सामान, उनकी सारी संपत्ति त्याग दी गई। लेकिन गुरु को नहीं दे दी गई जैसा कि आधुनिक समय में किया जा रहा है, बस त्याग दिया गया। और इसी को योग कहा गया। दूसरी शैली को सांख्य कहा जाता था। सांख्य है, जहां आपका सारा जीवन आपको निर्लिप्तता के साथ चीजों को इकट्ठा करना है, और फिर उन्हें पूरी तरह से वितरित कर के और एक गुरु के शरण में Read More …