Shri Mahakali Puja: Purity and Collectivity Centre Culturel Thierry Le Luron, Le Raincy (France)

                              श्री महाकाली पूजा, “सामूहिकता और पवित्रता”  ले रेनसी (फ्रांस), 12 सितंबर 1990। हमने बेल्जियम में भैरव पूजा करी थी और अब मैंने सोचा कि चलो आज हम महाकाली पूजा करें क्योंकि कल रात का अनुभव, कल रात का अनुभव महाकाली का काम था।  हर समय उनकी दोहरी भूमिका है, वे दो चरम सीमाओं पर है। एक तरफ वह आनंद से भरी है, आनंद की दाता, वह बहुत प्रसन्न होती हैं जब वह अपने शिष्यों को खुश देखती है। आनंद उसका अपना गुण है, उसकी ऊर्जा है। और कल आप फ्रांस की इतनी अधेड़ उम्र की महिलाओं को मुस्कुराते और हंसते देखकर चकित रह गए होंगे। मैंने उन्हें कभी मुस्कुराते हुए नहीं देखा था! यह बहुत आश्चर्य की बात है कि वे इतनी आनंदित और इतनी खुश कैसे थी। और यह महाकाली की ऊर्जा है, जो आपको आत्मसाक्षात्कार के बाद खुशी प्रदान करती है, और प्रसन्नता जिसका आप सब लोगों के बीच आनंद लेते हैं। ये सभी महाकाली के गुण हैं और जब वे महाकाली के नाम पढ़ेंगे, तो आप जानेंगे कि सहज-योग में उनकी शक्तियां कैसे प्रकट होती हैं और किस तरह से इसने आप सभी को आनंद के सागर में डूबने में मदद की है। शुरुआत में मुझे आपको एक बात बतानी है कि: महाकाली पूजा, जब आप कर रहे होते हैं, तो आपको अपने भीतर, और दूसरे सहज योगियों से एक आनंद तथा खुशी महसूस करनी होती है। यदि आप ऐसा महसूस नहीं कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आप अभी तक विकसित नहीं हुए हैं Read More …