Public Program Bharatiya Vidya Bhavan, मुंबई (भारत)
1980-12-13 Bharatiya Vidya Bhavan, Mumbai […]
1980-12-13 Bharatiya Vidya Bhavan, Mumbai […]
Public program, “Deities on all chakras” (Hindi). Bharat Vidya Bhavan, Mumbai, Maharashtra, India. 17 January 1979.
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK (एक आदमी से बातचीत) ‘आ रहे हैं अब? नहीं आ रहे है न? सिगरेट पीते थे आप?’ ‘कभी नहीं! ‘कभी नहीं पीते थे ? या मंत्र कोई बोले होंगे?’ ‘पहले बोलता था अब विशेष नहीं। ‘वहीं तो है न ! आप देखिये, आप मंत्र बोलते थे, आपका विशुद्धि चक्र पकड़ा है। विशुद्धि चक्र से आपको अभी मैं दिखाऊँगी, […]
Shri Ganesha Aur Mooladhar Chakra, Public program, “Shri Ganesha, Mooladhara Chakra” (Hindi). Bharat Vidya Bhavan, Mumbai, Maharashtra, India. 16 January 1979.
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK भाषण सुनने से पहले ही मैं आपको बताती हूँ, कि इस तरह से हाथ रखिये और आराम से बैठिये। और चित्त हमारी ओर रखिये। इधर-उधर नहीं, कि जरा कोई आ गया, कोई गया। इधर-उधर चित्त नहीं डालना। क्योंकि दूसरों को तो हम हर समय देखते ही रहते है, कभी अपने को भी देखने का समय होना चाहिये। कल मैंने आपसे इन चक्रों के बारे में बताया था। आज मैं आपको सब से नीचे जो चक्र है जिसको गणेश चक्र कहते हैं, […]
Talk in Hindi at the Bharat Vidya Bhavan, Mumbai, Maharashtra, India. 9 January 1979.
[Hindi transcript until 00:49:05]
सबको फिर से मिल के बड़ी ख़ुशी होती हैं | मनुष्य पढता है लोगो से सुनता है बड़े बड़े पंडित आ करके लोगो को भाषण देते हैं | इस संसार में परमात्मा का राज्य हैं परमात्मा न सृष्टि है | ऐसे हाथ करिये बैठे राहिएए जब तक में भाषण देती हूँ उसी के साथ ही कुण्डलिनी का जागरण हो जाता है | आज में आपसे ये बताने वाली हूँ की कुण्डलिनी क्या चीज़ है और उसका जागरण कैसे होता है | कल मेने आपसे बताया था मानव देह हम आज देख रहे हैं इस मानव देह को चलाने वाली शक्तियां हमारे अंदर प्रवाहित हैं | उन गुप्त प्रवाहों को हम नहीं जानते हैं | जिनके कारन आज हमारी सारी शक्तियां ये शरीर मन बुद्धि अहंकार सारी चीज़ो का व्यापर करती हैं उनके बारे में जो कुछ भी हमने साइंस से जाना है वो इतना ही जाना है की ऐसी कोई स्वयंचालित शक्तियां है जिसको की ऑटोनॉमस सिस्टम कहते हैं जो इस कार्य को करती हैं और जिसके बारे में हम बोहत ज्यादा नहीं बता सकते | की वो शक्ति कैसी है और किस तरह से वो अपने को चलाती है | किसी भी चीज़ को जानने का तरीका एक तो ये होता है की अँधेरे में उस चीज़ को खोजिये जैसे आप इस कमरे में आये है और यहाँ अंधेरा है इसको धीरे धीरे टटोलिये जानिये की ये क्या है कोई दरवाजे से आये कहने लगे की ये की ये एक खम्बा है और कोई उस दरवाजे से आये और कहते हैं की वो एक पर्दा है | जो उस तरफ से आये वो कहते हैं की ये किताबे हैं अँधेरे की खोज जो होती है वो अपूर्ण होती है इतना ही नहीं अष्पष्ट होती है और वो अधूरी होने वजह से बोहत गलत भी साबित हो जाती है | समझ लीजिये की इस कमरे को किसी ने खम्भा मान लिए उसने इस कमरे के बारे में कुछ भी नहीं जाना | इस तरह से साइंस में लोग खोजते है ऑब्जेक्टिविटी उसे कहते हैं , […]
1977-01-08 Samarpan: Kuch bhi nahi karnahai (Surrender)
यह निष्क्रियता है | क्या आप अपने विचारों, जो सहज नहीं हैं, के द्वारा कह सकते हैं कि यह कैसे हो सकता है? आप पीछे जाकर यह नहीं कह सकते कि मैंने कुछ नहीं किया है । आप हमेशा आगे बढ़ते हैं, आगे बढ़ते जाते हैं यह कहते हुए कि कैसे?
कैसे आगे जाने का? इसी को स्वीकार कर लेना कि यह घटना चेतना की ओर होती है और चेतना ही इसको घटित करती है। हमें पूरी तरह से प्रयत्न को छोड़ देना है । जब हम अकर्म में उतरते है तब यह चेतना घटित होती है। इसका मतलब है कि आपको कुछ भी नहीं करना है। यह बहुत कठिन काम है मनुष्य के लिए । कुछ नहीं तो विचारही करता रहेगा। लेकिन यह घटना जब घटित होती है तो विचार भी डूब जाते हैं क्योंकि अभी तक जो भी आपने साधना देखी है उसमें आपको कुछ न कुछ करना पड़ता है । यह सब साधना आपको अपने से बाहर ले जाती है । सहजयोग घटना है वह अन्दर ही घटित होती है । जब लोग पुछते है कि समर्पण कैसे करना है? […]
1975-0331 Advice at Bhartiya Vidya Bhavan
आप लोग जो पहले ध्यान में आये थे तो आपसे मैंने बताया था कि परमात्मा के तीन आस्पेक्ट होते हैं, और इसी कारण उनकी तीन शक्तिया संसार में कार्य करती हैं। पहली शक्ति का नाम महालक्ष्मी, दूसरी का महासरस्वती, तीसरी का महाकाली। उसमें से महाकाली की शक्ति हर एक जड़ जीव, हर एक पदार्थ में प्रणव रूप से है। प्रणव रूप से रहती है, माने जिसे हम अभी वाइब्रेशन कह रहे हैं जो आपके हाथ से निकले हैं, इसी रूप में। जो सिर्फ मनुष्य के ह्रदय में और प्राणी मात्र के ह्रदय में ये शक्ति स्पनदित है, पलसेट (pulsate) करती है। जब वो शक्ति जड़ चीजो में रहेती है महाकाली की वो शक्ति जो जड़ चीजो में रहेती है तो वही प्रणव एलेक्ट्रोमेग्नटिक वाइब्रेशन (electromagnetic vibration) की तोर पर दिखाई देता है। जब वो शक्ति जिवित चीज में जागृत होती है तब वो स्पंदन पल्सेसन की तरह से दिखाई देता है। (डॉक्टर आप के लिये खास कर बोल रहे हैं, आज का इधर आइये) पर महाकाली की जो शक्ति है उसी शक्ति से सारी श्रुष्टि का संचार होता है। […]
Updesh – Bhartiya Vidya Bhavan – II 18th March 1975 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi
इसका कैन्सर ठीक कर दो। हमारी बहन का ये ठीक कर दो। क्यों आखिर क्यों किया जाये! फिर माँ को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। हर एक को जा के माँगना पड़ता है। ये जो बड़े बड़े रईस लोग हैं, इनका ये है कि हमारे बहन को ठीक कर दो, हमारी माँ को ठीक कर दो। और जिस वक्त पैसा देने को आया तो, […]
Updesh – Bhartiya Vidya Bhavan- 1, 17th March 1975 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi
( … अस्पष्ट) उन सब के बारे में काफ़ी विशद रूप से मैने आपको बताया है। और जिस चैतन्य स्वरूप की बात हर एक धर्म में, हर समय की गयी है उससे भी आप में से काफ़ी लोग भली भाँति परिचित हैं। उस पर भी जब मैं कहती हूँ कि आप गृहस्थी में रहते हो और आप हठयोग की ओर न जायें, […]
Bimariya Chaitanya Se Thik Ho Sakti Hai Date 16th February 1975 : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi
आज के लिये एक माँ के स्वरूप से मैं इस …. आयी हूँ, जिसका नाम बहुत अदुभुत है। पर हो सकता है, कि आपको विश्वास ही न हो, कि एक साधारण स्त्री, आप ही के जैसी, घर गृहस्थी में रहने वाली इस तरह की….. में कैसे आयी ? उस … का नाम है सहज मोक्ष। पहले कि हम ये जानें कि सहज क्या चीज़ है, […]
श्री माताजी निर्मला देवी
28 अगस्त, 1973 श्री कृष्ण पूजा
‘प्रेम की अधिकतम गतिशील शक्ति’
मुंबई, भारत
…ईश्वर द्वारा। उदहारण के लिए, अगर मैं सिर्फ अपने सिर को जानती हूं तो काफी नहीं है। अगर मैं सिर्फ अपनी गर्दन को जानती हूं तो काफी नहीं है। अगर मैं सिर्फ अपने पैरों को जानती हूं तो काफी नहीं है। लेकिन जितना अधिक मैं स्वयं के विषय में जानूंगी उतनी ही मैं गतिशील बन जाऊंगी, उतनी ही मै विस्तृत हो जाऊंगी।
और जो कुछ महान था, […]