Easter Puja: You must forgive The Pride Hotel, Nagpur (भारत)

ईस्टर  पूजा (आपको क्षमा करना ही चाहिए ), २००८  मैंने आशा नहीं की थी की आप सब यहाँ आएँगे पूजा के लिए | मुझे नहीं पता आप सब कैसे आ पाए | नहीं तो यह आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हम सभी के लिए क्योंकि आपको पता है की क्राइस्ट कैसे मरे | उन्हें सूली पर चढ़ाया था | उन्हें क्रॉस पर चढ़ाया गया और फिर वो मर गए | उन्होंने आपके बारे में जिस तरह बताया वो वह कमाल की बात है | उन्होंने परमात्मा से क्षमाशीलता मांगी | हमे उनके जीवन से सीखना है की किस प्रकार सबको क्षमा करना |  हमे भी लोगों को क्षमा करना चाहिए | लोगों के लिए क्षमा करना बहुत कठिन प्रतीत होता है | और अगर वो  नाराज़ है तो वो नाराज़ है | वो क्षमा नहीं कर सकते | फिर आप सहज योगी नहीं है | सहज योगिओं ने क्षमा करना ही चाहिए | बहुत महत्वपूर्ण है | क्योंकि यही शक्ति है, जो आपको क्राइस्ट से मिली है, क्षमा की शक्ति | मनुष्य ग़लतियाँ करते है, वह उनके जीवन का हिस्सा है | पर उसी समय, सहज योगी होने के नाते आपको याद रखना है की आपको क्षमा करना है | वह कही ज़्यादा महत्वपूर्ण है, नाराज़ होने से | तो लोगों को उनकी किसी गलती के लिए, आपके मुताबिक या परमात्मा के मुताबिक, आपको क्षमा करना है | और आपको आश्चर्य होगा की क्षमाशीलता इतनी महान है, और संतुष्टि देने वाली आपकी विशेषता है | यदि आप लोगों को Read More …

Public Program Nagpur (भारत)

Sarvajanik Karyakram Date 22nd December 1973 : Place Nagpur Public Program Type : Speech Language Hindi मेरा मतलब नागपुर के लोगों के ही सामने. बहुत पहले से ही ऐसे कुछ, सहज में ही कहना चाहिये, ऐसे कुछ समय आये, कि मुझे भाषण देने पड़े। बहुत बड़े बड़े जमावों के सामने, कहना चाहिये हजारो लोग यहाँ थे। १९३० की बात है, जब कि गांधी जी ने उपोषण किया था। मेरे पिताजी भी बड़े अच्छे वक्ता थे। आप सब उनके बारे में जानते होंगे। लेकिन उनको जरूरी काम से घर जाना पड़ा। सब लोगों ने कहा, सालवे साहब आप भाषण नहीं दीजियेगा तो सब लोग भाग जाएंगे। काम कैसे बनेगा? कहने लगे, ‘मैं तो जा रहा हूँ। मेरी लड़की जो मेरी धरोहर है उसे रख के जा रहा हूँ। और मैं लौट के आऊँगा उसके बाद भाषण दूँगा।’ लेकिन बहुत देर होगी वो लौटे नहीं। तो सब लोगों ने कहा कि, ‘भाई, वो तो आये नहीं । अब इनकी लड़की, धरोहर है उनको धरते हैं। अब कैसे होगा? भाषण कौन देगा? और चिटणीस पार्क के लोग हैं । कहीं बिगड़ गये तो पत्थर मारना शुरू कर देंगे।’ तो वहाँ एक साहब बैठे थे। उन्होंने कहा कि, ‘उन्हीं से कहिये भाषण देने के लिये, कि क्या आप भाषण देंगी?’ वो हमसे पूछे कि, ‘क्या आप भाषण देंगी?’ मैंने कहा कि, ‘हम देंगे।’ तब मेरी उमर सिर्फ सात साल की थी। उस वक्त के कुछ लोग हो तो उन्हें याद होगा कि मैंने पंधरह बीस मिनट तक काफ़ी अच्छा सा भाषण दिया था। बुढ्ढा-बुढ्टी Read More …