The Myth of Leadership Rome (Italy)

                   “नेतृत्व का मिथक”  9 मई, 1988 अब यह महालक्ष्मी तत्व, महालक्ष्मी सिद्धांत की स्तुति है। और जैसा कि आप जानते हैं कि, लक्ष्मी सिद्धांत श्री विष्णु की शक्ति है, जो सबसे पहले हमारे भीतर तब स्थापित होती है जब हम धार्मिक भौतिक जीवन, धार्मिक वित्तीय जीवन और धार्मिक पारिवारिक जीवन पर ध्यान देना शुरू करते हैं। उसके बाद, खोज शुरू होती है, उच्च लोकों की तलाश: वहां यह हमारे भीतर महालक्ष्मी सिद्धांत द्वारा अभिव्यक्त होता है। इसलिए संपन्न देशों में लोग खोज करने लगते हैं; वे गलत हो सकते हैं, यह अलग बात है। हर एक व्यक्ति में यह मौजूद होता है, लेकिन अभिव्यक्ति तब शुरू होती है जब आप अपने भौतिक पक्ष से पूरी तरह संतुष्ट होते हैं, सहज योग में ऐसा नहीं। सहज योग में यह अभिव्यक्त और कार्यान्वित होता है। तो महालक्ष्मी का केंद्रीय मार्ग खुलने लगता है, इसलिए आपके नाभि चक्र से ऊपर उठकर आपके सहस्रार तक जाता है और उसमें छेदन करता है। सहस्रार में भी विष्णु तत्व [वह] विराट बनता है – यह केवल एक सिद्धांत है। यह सहस्रार में ही प्रकट होता है और आप सामूहिक चेतना के प्रति जागरूक हो जाते हैं, आप ज्ञानी हो जाते हैं और आप सत्य को जानते हैं। ऐसा कुंडलिनी के उत्थान के माध्यम से होता है। अब यहाँ तो वे बस मध्य मार्ग की स्तुति ही कर रहे हैं, जो महालक्ष्मी है। तो यहाँ आप मेरे लिए, मेरे महालक्ष्मी सिद्धांत के लिए गा रहे हैं। लेकिन जब यह सहस्रार में पहुंचती है तो सहस्रार में महामाया Read More …

Easter Puja: Materialism Ashram of Pichini, Rome (Italy)

1987-04-19 ईस्टर पूजा वार्ता, भौतिकवाद, रोम आश्रम, रोम, इटली, डीपी आप सभी को ईस्टर की शुभकामनाएँ! आज का दिन महान दिन है। जब ईसा मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव  मनाने हेतु रोम में आकर अब हमें ईसाई धर्म का पुनरुत्थान करना है, जो ईसा मसीह के पुनरुत्थान की विपरीत दिशा में बढ़ रहा है। जैसा कि आप जानते हैं कि ईसा मसीह केवल चैतन्य थे, लेकिन वे  चैतन्य-रूपी शरीर में आए। उनका सम्पूर्ण  शरीर चैतन्य का बना हुआ था, और उन्होंने स्वयं को पुनर्जीवित किया दुनिया को यह दिखाने के लिए आप स्वयं को पुनर्जीवित भी कर सकते हैं, यदि आप अपने शरीर को चैतन्य से भर लें। भौतिक पदार्थ और आत्मा के बीच हमेशा संघर्ष होता है। मानव जीवन में जो हम देखते हैं भौतिक पदार्थ सदैव  आत्मा को अपने अधीन करने का प्रयत्न  कर रहे हैं और इस तरह हम अपने पुनरुत्थान में असफल हो जाते हैं। हम अपने पुनरुत्थान में असफल होते हैं क्योंकि हम भौतिकता के लिए राज़ी होते हैं। हम जड़ वस्तुओं से आए हैं – उसमें वापस जाना आसान है। परंतु सभी ईसाई राष्ट्रों ने भौतिक विकास अपना लिया है – भौतिकता के साथ पहचान, न कि जड़ वस्तुओं से उच्च बनाने का कार्य। हम ग़लत क्यों हो गए हैं क्योंकि भौतिक पदार्थ हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं । हमारा इस जड़ता के साथ इतना तादात्म्य बनता जा रहा है,  हमारे शरीर के साथ, और वे सब जो  हमारे लिए भौतिक पदार्थ हैं। लोग भौतिक चीज़ों को लेकर बहुत चिंतित हैं। मैं Read More …

Shri Ganesha Puja: You Should be Prepared to Change Rome Ashram – Nirmala House, Rome (Italy)

                       श्री गणेश पूजा  रोम (इटली), १९ मई १९८५। मेरे लिए बहुत श्रेष्ठ दिन है कि, गणेश पूजा मनाने के लिए इटली आई हूँ। चारों तरफ जिस प्रकृति को हम देखते हैं, वह गणेश का आशीर्वाद ही है क्योंकि वे ही हैं जो धरती माता से प्रार्थना करते हैं कि वह मनुष्यों पर अपना आशीर्वाद दें। 3:26 यह वही है जो प्रकृति के सभी तत्वों को ढाल कर और उन्हें जीवन बनाने के लिए प्रेरित करता है। जैसा कि आप उन्हें कहते हैं, ये सभी कार्बोहाइड्रेट हैं। अब कार्बोहाइड्रेट में कार्बन और हाइड्रोजन होते है। कार्बन श्री गणेश से आ रहा है और हाइड्रोजन महाकाली से आ रही है। और इस तरह हमारे चारों तरफ इस खूबसूरत तरीके से इस ब्रह्मांड का निर्माण होता है। अब, इन कार्बोहाइड्रेट को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो हमें सूर्य द्वारा, दायें पक्ष द्वारा दी जाती है। इस प्रकार, आप जानते हैं कि ये पेड़ रात में हाइड्रोजन उत्सर्जित करते हैं और दिन में ये ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। यह सब श्री गणेश की चाल है जो बीच में विराजमान हैं। अब वही सूर्य बनते है। वह कुंडलिनी के नीचे गहरे आसन से उत्थान करते है। वह महाकाली के बाएं पक्ष से उठकर ऊपर जाते है और सूर्य अर्थात् आज्ञा चक्र में स्थित हो जाते है। तो महाकाली, जो कि आदि शक्ति है, को वे पूर्णतया पार कर जाते हैं| महाकाली की संतान के रूप में, वह पूरी तरह से उनके प्रति समर्पित और श्रद्धामय हैं। और इसी तरह वह महाकाली शक्ति में निपुण Read More …