Diwali Puja: The Need for Sincerity Los Angeles (United States)

                                                    दीवाली पूजा  लॉस एंजिल्स (यूएसए), 9 नवंबर 2003 आज दीपावली का महान दिन है। इसका मतलब है कि आज दुनिया को एक उचित दिशा में ले जाने के लिए एक बड़ा प्रकाश बनाने के लिए प्रकाश, अपने दिलों के प्रकाश को एक साथ शामिल करने का महान दिन है। यह बहुत खुशी का दिन है, और इसमें शामिल होने वाले भी बहुत आनंद फैला रहे हैं। लेकिन समस्याएं हैं, जैसा कि वे कहते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई समस्या नहीं है क्योंकि अंधकार नहीं है, हम कहीं भी अंधकार नहीं देखते है, हमें प्रकाश, प्रकाश और प्रकाश ही दिखाई देता है। फिर किस चीज की कमी है, जो गुम है वह है हमारी निष्ठा। हमें स्वयं के प्रति बहुत ईमानदार होना होगा, क्योंकि यह केवल उधार लिया हुआ प्रेम या उधार का आनंद नहीं है, बल्कि यह स्रोत के भीतर से है, यह प्रवाहित है, बह रहा है और बह रहा है। तो उसे जगाना है, और वह प्रेम बहना चाहिए, और हमारी छोटी-छोटी क्षुद्र चीजें जैसे ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा और वे सभी ख़राब करने वाली चीजें हैं, उन्हें स्वच्छ करना चाहिए। और अगर आपका दिल प्यार से भरा है तो इसे धोया जा सकता है। आज का दिन प्रेम, प्रेम का प्रकाश फैलाने का है, जिससे हर कोई प्रबुद्ध और प्रसन्न महसूस करता है और इन छोटी-छोटी समस्याओं को भूल जाता है। मुझे खुशी है कि आपको कोई हॉल मिल गया है, यह सब भाग्य है कि हमें मिल गया, लोग हॉल पाने के लिए बहुत चिंतित थे। लेकिन Read More …

Diwali Puja Los Angeles (United States)

                                                  दीवाली पूजा  पिरू झील, लॉस एंजिल्स के पास, कैलिफोर्निया (यूएसए) – 29 अक्टूबर 2000। पूरी दुनिया के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है कि हम इस दीवाली पूजा को अमेरिका में मना रहे हैं। यह बहुत ज़रूरी है। यहां, जहां लोग पैसा कमाने में सक्षम हुए हैं, कभी-कभी बहुत पैसा है, और ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। जब हम दीवाली की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि – दीवाली के दिन हम इतनी सारी रोशनी क्यों करते है? रोशनी और पानी में उत्पन्न  हुई लक्ष्मी, जो पानी में खड़ी होती है, का संयोजन क्या है? यह संयोजन क्यों है? वह पानी में खड़ी थी, जैसा कि हम जानते हैं, समृद्धि का प्रतीक; जो मानव जागरूकता में निर्मित है कि वह समृद्ध हो सकता है। पशु समृद्ध नहीं होते हैं। सबकी अपनी मर्यादा है, वृक्षों की मर्यादा है। मनुष्य ही समृद्ध हो सकता है। लेकिन अगर उन्हें अपने मर्यादाओं का बोध नहीं है, तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही पतनशील और विनाशकारी है। तो प्रकाश प्रतीक है कि लक्ष्मी के आशीर्वाद वाले सभी लोगों को खुद को प्रबुद्ध करना चाहिए, प्रकाशित होना चाहिए, और उन्हें दूसरों को भी प्रबुद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तव में, तथाकथित लक्ष्मी प्राप्त होते ही वे बिल्कुल अंधे हो जाते हैं, और वे भूल जाते हैं कि लक्ष्मी के आशीर्वाद के पीछे क्या है। सबसे पहले, जैसा कि हम देखते हैं, लक्ष्मी का यह प्रतीक कैसे प्रतिनिधित्व करता है, मैंने आपको Read More …

Shri Krishna Puja Los Angeles (United States)

श्री कृष्णा पूजा, लॉस एंजल्स (संयुक्त राज्य अमरीका ) १८ सितम्बर , १९८३  पहली बार जब मैं संयुक्त राज्य अमरीका में आई, तो सबसे पहले लॉस एंजिल्स आई थी । क्योंकि, ये देवदूतों का स्थान है। वास्तव में, मैंने सोचा था कि बिलकुल  ये बहुत पवित्र स्थान होगा आने के लिए, सर्वप्रथम, इस महान संयुक्त राज्य अमरीका की भूमि में।  अब जैसा कि आप जानते हैं कि संयुक्त राज्य अमरीका या सम्पूर्ण अमरीका विशुद्धि चक्र है। जिसमें से  इस विशुद्धि चक्र के, तीन पक्ष हैं। तो विशुद्ध चक्र का मध्य भाग संयुक्त राज्य है। विशुद्धि चक्र का मध्य भाग श्री कृष्ण द्वारा शासित है। और उनकी शक्ति राधा है। “रा – धा”। “रा”का अर्थ है शक्ति, “धा” वह जिसने शक्ति को धारण किया है। “रा – धा”। ” धा – रे – ती – सा”। तो वही हैं जिन्होंने शक्ति को धारण किया है, और इसलिए, उन्हें राधा कहा जाता है। वो श्री कृष्ण की शक्ति हैं। कृष्ण शब्द आया है कृषि शब्द से – अर्थात – हल चलाना। या आप कह सकते हैं, खेती को “कृषि” कहते है। जो हल चलाता है और बीज को मिट्टी में रोपित करता है, वह कृषि करता है। और इसी लिए उन्हें कृष्ण कहा जाता है। अब उन्होंने जो बीज बोया है , वो आध्यात्मिकता का बीज है  वो श्री कृष्ण हैं जिन्होंने संस्कृत में कहा था- “नैनं छिदंति शस्त्राणी, नैनं दहति पावकः, न चैनम् क्लेदयन्तियापो न शोशयति मारुतः। अर्थात – ऐसा नहीं हो सकता, अर्थात, आध्यात्मिक जीवन, या आप कह सकते है, Read More …

An ocean of illusion Reorganized Church of Jesus Christ, Los Angeles (United States)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी  ‘माया का सागर’ सार्वजनिक कार्यक्रम, दिवस 1,  पुनर्गठित जीसस क्राइस्ट गिरजाघर,  लॉस एंजिल्स (संयुक्त राज्य अमेरिका) 15-10-1981 कल मैंने आपको बताया था कि हमारे भीतर दो बहुत महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं। पहली शक्ति वह है जिसके द्वारा हम कामना करते हैं, जिसे संस्कृत भाषा में ‘इच्छा शक्ति’ कहा जाता है और दूसरी शक्ति जिसे ‘क्रिया शक्ति’, कार्य करने की शक्ति कहा जाता है। ये दोनों वास्तव में स्थूल शक्तियाँ हैं, जो बाहर बाएँ और दाएँ अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के रूप में व्यक्त होती हैं।  केंद्रीय मार्ग को ‘सुषुम्ना नाडी’ कहा जाता है, जो हमारे उत्थान की नाड़ी है। यह नाड़ी युगों से हमारे विकास का प्रतिनिधित्व करती है। हम कह सकते हैं कि यह नाड़ी हमें अमीबा से मानव के रूप में इस अवस्था तक हमारे विकास के लिए जिम्मेदार है, और जितने केंद्र आप वहां देखते हैं, एक, दो, तीन, चार, पांच, छह और सात – ये सभी हमारे विकास में मील के पत्थर हैं। ये सब हमारे अंदर स्थित हैं। ये सूक्ष्म केंद्र हैं। यह सब वहां हैं और हम इस सुंदर यंत्र से बने हैं। बेशक हमें इसका बोध नहीं है, और हमें यह भी बोध नहीं है, कि हम उन्हें देख नहीं सकते क्योंकि वे सूक्ष्म केंद्र हैं और हम उन्हें अपनी खुली आँखों से नहीं देख सकते। हम इन चक्रों की अभिव्यक्ति को केवल स्थूल में प्लैक्सैज के रूप में बाहर देख सकते हैं।  आज, जैसा कि मैंने आपको कल बताया था, मैं हर एक चक्र के बारे में बताऊंगी, Read More …