Diwali Puja, 1st Day, Dhanteras New Delhi (भारत)

Dhanteras Puja 27th October 2008 Date : Place Delhi : Type Puja : Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK यह एक अद्भूत चीज़ है कि हमारे अन्दर बसी हुई शक्ति को हमने जगाया है और हम खोये रहते है हमारे अपने ही ने विचारों में। लेकिन हमारे अन्दर बहत शक्ति है और सब परमात्मा हमें ये शक्ति दी है। हम सब परमात्मा, परमात्मा कहते है पर सब ये जानते है कि वो हर जगह है, हर जगह रहते है, हर जगह वो देखते है। और हमारी हर एक बात को वो बहुत प्यार से देखते हैं। अब तुम लोग तो उनके दरबार में आ गये हो। यही मुझे कहना है कि मुझे बड़ा आनन्द आया कि इतने साल हो गये दिल्ली में सहजयोग बड़े जोरो में चला है। इसका मतलब ये है कि दिल्ली के लोगों में बड़ी श्रद्धा है और बहुत सामाजिक भी है। नहीं तो इतने और जगह में गयी हूँ, वहाँ इतना प्रचार हुआ फिर भी में ये नहीं कह सकती कि हर जगह इस कदर समझदारी लोगों में आयी। आप लोगों ने सहजयोग को पूरी तरह से समझना है और उसका आशीर्वाद आपके अधिकार की चीज़ है । आपने ‘सहज’ को समझा तो सहज आपको समझेगा । वो जानते हैं कि आप क्या है और आपकी क्या हैसियत है और आपको क्या देना चाहिए। अब मैं आपसे बताती हूँ ये एक बात कि बहुत साल पहले मैं आयी थी दिल्ली और दिल्ली में मैंने सोचा था कि यहाँ सहजयोग बहुत जम जाएगा | क्या वजह Read More …

Talk of the Evening Eve of Diwali (भारत)

Diwali Celebrations Date 10th November 2007: Noida Place Type Puja [Original transcript Hindi talk] हॅप्पी दिवाली ! आप सबको दिवाली मुबारक हो। ये तरह तरह के नृत्य को आपने देखा; इससे एक बात समझलो, कि ये जो भी थे जिन्होने ये लिखा, कहा, सब एक ही बात कह रहे हैं और सबसे बड़ी बात कौनसी कही कि परमात्मा एक है । उन्होनें अलग अलग अवतार लिए पर परमात्मा एक है । उनमें आपस में कोई झगड़ा नहीं और वो इस संसार में इसलिए आते हैं कि, दुष्टों का नाश करें । खराब लोगों को बर्बाद करे। और हो रहा है हर जगह । हर जगह मैं देखती हैँ, कि जो दुष्ट लोग हैं, वो सामने आ रहे हैं । और अब आप लोगों का भी यही काम है, कि जो दुष्ट हैं, जो परमात्मा के विरोध में काम करते हैं और पैसा कमाने के लिए कोई भी काम कर सकते हैं, वो सब नर्क में जाएंगे। हमको पता नहीं कितने नर्क हैं। अभी जिस माहौल में आप बैठे हैं, जिस जगह आप बैठे हैं, ये नर्क से परे है । इसका संबंध नर्क से कोई नहीं है। लेकिन आप इसमें रहकर | और अधर्म करें, गलत काम करें तो आप भी नर्क में जा सकते हैं। बहत तरह के न्क हैं और ये नर्क में जाने की 6. व्यवस्था भी बड़ी अच्छी है। क्योंकि वहाँ पर जानेवाले जानते नहीं कि हम कहाँ जा रहे हैं। और जो बच जाते हैं वो स्वर्ग चले जाते हैं। तो इस पृथ्वी तल पे Read More …

Diwali Puja: The Need for Sincerity Los Angeles (United States)

                                                    दीवाली पूजा  लॉस एंजिल्स (यूएसए), 9 नवंबर 2003 आज दीपावली का महान दिन है। इसका मतलब है कि आज दुनिया को एक उचित दिशा में ले जाने के लिए एक बड़ा प्रकाश बनाने के लिए प्रकाश, अपने दिलों के प्रकाश को एक साथ शामिल करने का महान दिन है। यह बहुत खुशी का दिन है, और इसमें शामिल होने वाले भी बहुत आनंद फैला रहे हैं। लेकिन समस्याएं हैं, जैसा कि वे कहते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई समस्या नहीं है क्योंकि अंधकार नहीं है, हम कहीं भी अंधकार नहीं देखते है, हमें प्रकाश, प्रकाश और प्रकाश ही दिखाई देता है। फिर किस चीज की कमी है, जो गुम है वह है हमारी निष्ठा। हमें स्वयं के प्रति बहुत ईमानदार होना होगा, क्योंकि यह केवल उधार लिया हुआ प्रेम या उधार का आनंद नहीं है, बल्कि यह स्रोत के भीतर से है, यह प्रवाहित है, बह रहा है और बह रहा है। तो उसे जगाना है, और वह प्रेम बहना चाहिए, और हमारी छोटी-छोटी क्षुद्र चीजें जैसे ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा और वे सभी ख़राब करने वाली चीजें हैं, उन्हें स्वच्छ करना चाहिए। और अगर आपका दिल प्यार से भरा है तो इसे धोया जा सकता है। आज का दिन प्रेम, प्रेम का प्रकाश फैलाने का है, जिससे हर कोई प्रबुद्ध और प्रसन्न महसूस करता है और इन छोटी-छोटी समस्याओं को भूल जाता है। मुझे खुशी है कि आपको कोई हॉल मिल गया है, यह सब भाग्य है कि हमें मिल गया, लोग हॉल पाने के लिए बहुत चिंतित थे। लेकिन Read More …

Diwali Puja Los Angeles (United States)

                                                  दीवाली पूजा  पिरू झील, लॉस एंजिल्स के पास, कैलिफोर्निया (यूएसए) – 29 अक्टूबर 2000। पूरी दुनिया के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है कि हम इस दीवाली पूजा को अमेरिका में मना रहे हैं। यह बहुत ज़रूरी है। यहां, जहां लोग पैसा कमाने में सक्षम हुए हैं, कभी-कभी बहुत पैसा है, और ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। जब हम दीवाली की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि – दीवाली के दिन हम इतनी सारी रोशनी क्यों करते है? रोशनी और पानी में उत्पन्न  हुई लक्ष्मी, जो पानी में खड़ी होती है, का संयोजन क्या है? यह संयोजन क्यों है? वह पानी में खड़ी थी, जैसा कि हम जानते हैं, समृद्धि का प्रतीक; जो मानव जागरूकता में निर्मित है कि वह समृद्ध हो सकता है। पशु समृद्ध नहीं होते हैं। सबकी अपनी मर्यादा है, वृक्षों की मर्यादा है। मनुष्य ही समृद्ध हो सकता है। लेकिन अगर उन्हें अपने मर्यादाओं का बोध नहीं है, तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही पतनशील और विनाशकारी है। तो प्रकाश प्रतीक है कि लक्ष्मी के आशीर्वाद वाले सभी लोगों को खुद को प्रबुद्ध करना चाहिए, प्रकाशित होना चाहिए, और उन्हें दूसरों को भी प्रबुद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तव में, तथाकथित लक्ष्मी प्राप्त होते ही वे बिल्कुल अंधे हो जाते हैं, और वे भूल जाते हैं कि लक्ष्मी के आशीर्वाद के पीछे क्या है। सबसे पहले, जैसा कि हम देखते हैं, लक्ष्मी का यह प्रतीक कैसे प्रतिनिधित्व करता है, मैंने आपको Read More …

Diwali Puja: Sahaj Yog ki shuruvaat (भारत)

Diwali Puja – Sahajayog Ki Shuruvat Date 29th October 1995 : Place Nargol Puja Type Speech Language Hindi ये तो हमने सोचा भी नहीं था इस नारगोल में २५ साल बाद इतने सहजयोगी एकत्रित होंगे। जब हम यहाँ आये थे तो ये विचार नहीं था कि इस वक्त सहस्रार खोला जाए। सोच रहे थे कि अभी देखा जाय कि मनुष्य की क्या स्थिति है। मनुष्य अभी भी उस स्थिति पे नहीं पहुँचा जहाँ वो आत्मसाक्षात्कार को समझें। हालांकि इस देश में साक्षात्कार की बात अनेक साधू-संतों ने सिद्धों ने की है और इसका ज्ञान महाराष्ट्र में तो बहुत ज़्यादा है। कारण यहाँ जो मध्यमार्गी थे जिन्हें नाथ पंथी कहते हैं, कि नाथ लोग उन लोगों ने आत्मकल्याण के लिए एक ही मार्ग बताया था; आत्मबोध का। खुद को जाने बगैर आप कोई भी चीज़ प्राप्त नहीं कर सकते हो, ये मैं भी जानती थी। लेकिन उस वक्त जो मैंने मनुष्य की स्थिति देखी वो बहुत विचित्र सी थी। कि वो जिन लोगों के पीछे में भागते थे उनमें कोई सत्यता नहीं। उनके पास सिवाय पैसे कमाने के और कोई लक्ष्य नहीं था। और जब मनुष्य की स्थिति ऐसी होती है कि जहाँ वो सत्य को बिल्कुल ही नहीं पहचानता उसे सत्य की बात कहना बहुत कठिन है और लोग मेरी बात क्यों सुनेंगे? बार-बार मुझे लगता था कि अभी और भी मानव को बड़ना चाहिए। किन्तु मैंने देखा कि कलयुग की बड़ी घोर यातनायें लोग भोग रहे हैं। एक तो पूर्वजन्म में जिन्होंने अच्छे कर्म किये थे, उन लोगों को Read More …

Diwali Puja: Lights of Pure Compassion Istanbul (Turkey)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी दिवाली पूजा ‘शुद्ध करुणा का प्रकाश’ इस्तानबुल, तुर्की 5 नवंबर, 1994 आज हम दिवाली मनाने जा रहे हैं, जिसका अर्थ है दीपक की पंक्तियाँ या आप कह सकते हैं दीपकों का समूह। हमें तुर्की में भी अनुवाद करने के लिए किसी की आवश्यकता है। ये ठीक है!   यह दीपावली भारत में अत्यंत प्राचीन काल का पर्व रहा है। मैं अपने पिछले व्याख्यानों में पहले ही बता चुकी हूँ, कि ये पाँच दिन क्या हैं। नरकासुर को मारने के बाद दिवाली मनाई गई जब वो साल की सबसे अंधेरी रात थी। तो अब, यह इस आधुनिक समय में बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि सबसे बुरा वक्त, जहां तक ​​नैतिकता का सवाल है, इस आधुनिक समय में रहा है। हम इसे घोर कलियुग कहते हैं! घोर कलियुग, सब से बुरा आधुनिक समय। जिसका अर्थ है पूर्ण अधंकार। जैसा कि आप अपने चारों ओर देखते हैं, आप पाएंगे कि पूर्ण अंधकार है, जहां तक नैतिकता का प्रश्न है, और इसलिए सभी प्रकार के संकट हैं। इसके वजह से भी बहुत से लोग हैं, जो प्रकाश और सत्य को खोज रहे हैं।  अज्ञानता के काले युग में लोगों को पता नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए, वे इस धरती पर क्यों हैं! जैसा कि आप बहुत अच्छे से जानते हैं, की हजारों हजारों सच्चे साधक हैं जो इस समय जन्मे हैं। इसीलिए यह कार्य मुझे दिया गया अज्ञान के काले युग में दिवाली बनाने के लिए। यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि एक तरफ सच्चाई के खिलाफ काम Read More …

Diwali Puja: Joy and Happiness Campus, Cabella Ligure (Italy)

क्षमा करें, मुझे प्रवेश करने से पहले कुछ कहना था, लेकिन यह अच्छा है कि ऐसा घटित हुआ है, क्योंकि अब मुझे आपको कुछ बातें बतानी हैं जो कि जीवन में महत्वपूर्ण हैं और यह विशेष रूप से मुझे महिलाओं के लिए यह बताना होगा । मैंने देखा है – जाहिर है, मैं भी एक महिला हूं – कि महिलाओं के पास रोने, आंसू बहाने की कुछ जल-शक्तियां हैं, और सोचना कि वे बहुत दुखी हैं और हर किसी को दुखी करना । यह उनकी शक्ति है । मैंने ऐसा देखा है । मेरा मतलब है कि, यह गीत सबसे खराब गीत है जिसे आप किसी भी दिन गा सकें, जैसा भी हो । लेकिन यह किसी के दिमाग में आया है, बहुत नकारात्मक है । और केवल यह ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो कभी भी खुश नहीं रह सकता, और किसी की खुशी नहीं चाहता है । जबकि हर महिला के अंदर मातृत्व है, बड़ी क्षमताएं हैं, त्याग, सब कुछ है । लेकिन इसके साथ, उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि वे बायीं-पक्षीय हैं । और हमारा आनंद जिसके बारे में हम बात करते हैं, हमारे हृदय के अंदर, उसे बाहर अभिव्यक्त होना चाहिये । लोगों को यह दिखना चाहिए कि हम आनंद में हैं, कि हम लोग खुश हैं, कि हम दूसरों की तरह नहीं हैं जो छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं । जैसे जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, मुझे आश्चर्य हुआ कि अचानक मैं निर्विचार हो गयी, पूर्णतया Read More …

Diwali Puja: Touch Your Depth Chioggia (Italy)

दीवाली पूजा  चिओगिया, वेनिस (इटली), 21 अक्टूबर 1990। आप सभी को उस जुलूस में शामिल देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। दरअसल मैं इंतज़ार कर रही थी और इंतज़ार कर रही थी, और मैंने सोचा, “ये लोग मुझे पूजा के लिए क्यों नहीं बुला रहे हैं?” यह एक सुंदर आश्चर्य था, यह बहुत खुशी देने वाला है। तुम्हारी आँखों में खुशी नाच रही थी। मैं तुम्हारी आँखों में प्रकाश देख सकी थी और यही असली दीवाली है। दीवाली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘दीपा’ और ‘अवाली’। दीपा का अर्थ है, आप जानते हैं, दीप, और अवाली का अर्थ है रोशनी की पंक्तियाँ, पंक्तियाँ और पंक्तियाँ। ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही प्राचीन विचार है और दुनिया भर में, आप देखिए, जब भी उन्हें कुछ जश्न मनाना होता है तो वे रोशनी करते हैं। और रोशनी क्योंकि रोशनी खुशी देती है, आनंद देती है। इसलिए अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए हमें खुद को भी प्रबुद्ध करना होगा। और इसलिए महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर के प्रकाश को महसूस करने के लिए आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना चाहिए। और आपने देखा होगा कि आत्मसाक्षात्कार के बाद आंखें भी चमकती हैं। हर सहजयोगी की आँखों में ज्योति है। आज वह दिन है जब हम लक्ष्मी की, लक्ष्मी सिद्धांत की पूजा करते हैं, जो हमारी नाभी में है। लक्ष्मी सिद्धांत जैसा कि समझा जाता है, मैंने आपको कई बार बताया है, लक्ष्मी का वर्णन किया है कि वह कमल पर खड़ी है और उसके हाथों में दो कमल Read More …

Diwali Puja: Power of Innocence, Meaning of Nine of The Lakshmis Lecco (Italy)

              दीवाली पूजा, “अबोधिता की शक्ति”  लेको (इटली), 25 अक्टूबर 1987। पहला – हम श्री गणेश को नमन करते हैं क्योंकि श्री गणेश हमारे भीतर अबोधिता के स्रोत हैं। तो वास्तव में हम अपने भीतर की मासूमियत को नमन करते हैं। और यह वही अबोधिता है जो आपको ज्ञान देती है। जैसा कि मैंने कल तुमसे कहा था कि प्रकाश में निर्दोषता है, लेकिन यह निर्दोषता ज्ञान के बिना है। परन्तु तुम्हारी प्रबुद्धता ज्ञानमय अबोधिता है। हम हमेशा सोचते हैं कि जिन लोगों को ज्ञान है वे कभी अबोध नहीं हो सकते, कभी सरल नहीं हो सकते। और अबोधिता के बारे में हम यही विचार रखते है कि एक अबोध व्यक्ति को हमेशा धोखा दिया जाता है, उसे धोखा दिया जा सकता है – और उसे हमेशा हल्के में लिया जा सकता है। लेकिन अबोधिता एक शक्ति है; यह एक शक्ति है जो आपकी रक्षा करती है, जो आपको ज्ञान का प्रकाश देती है। सांसारिक अर्थों में हमारे पास जो ज्ञान है वह यह है कि दूसरों का शोषण कैसे किया जाए, दूसरों को कैसे धोखा दिया जाए, उनसे कैसे पैसा कमाया जाए, दूसरों का मजाक कैसे बनाया जाए, दूसरों को कैसे नीचा दिखाया जाए। लेकिन अबोधिता का प्रकाश वह प्रकाश है जिसके द्वारा आप जानते हैं कि प्रेम सर्वोच्च चीज है। और यह आपको सिखाता है कि कैसे दूसरों से प्यार करना है, कैसे दूसरों की देखभाल करना है, कैसे दूसरों के प्रति कोमल होना है। यह आपको आतंरिक का प्रबोध भी देता है। यह इस दुनिया में हमारे पास Read More …

Diwali Puja पुणे (भारत)

Diwali Puja 1st November 1986 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi दिवाली के शुभ अवसर पे हम लोग यहाँ पुण्यपट्टणम में पधारे हैं। न जाने कितने वर्षों से अपने देश में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन जब से सहजयोग शुरू हुआ है, दिवाली की जो दीपावली है वो शुरू हो गयी । दिवाली में जो दीप जलायें जाते थे , वो थोड़ी देर में जाते हैं। बुझ फिर अगले साल दूसरे दीप खरीद के उस में तेल डाल कर, उस में बाती लगा कर दीपावली मनायी जाती थी। इस प्रकार हर साल नये नये दीप लाये जाते थे। दीप की विशेषता ये होती थी, कि पहले उसे पानी में डाल के पूरी तरह से भिगो लिया जाता था| फिर सुखा लिया जाता था। जिससे दीप जो है तेल पूरा न पी ले और काफ़ी देर तक वो जले। लेकिन जब से सहजयोग शुरू हुआ है तब से हम लोग हृदय की दिवाली मना रहे है। हृदय हमारा दीप है। हृदय में बाती है, शांत है और उसमें प्रेम का तेल डाल कर के और हम लोग दीप जलाते हैं। इस तेल को डालने से पहले इस हृदय में जो कुछ भी खराबियाँ हैं उसे हम पूरी तरह से साफ़ धो कर के सुसज्जित कर लेते है। ये प्रेम हृदय में जब स्थित हो जाता है, तब उसको हृदय पूरी तरह से अपने अन्दर शोषण नहीं कर लेता। जैसे पहले कोई आपको प्रेम देता है, माँ देती है प्रेम, पिताजी देते हैं प्रेम और भी लोग Read More …

Diwali Puja Tivoli (Italy)

                                                दीवाली पूजा  टिवोली, रोम, 17 नवंबर 1985 आज हम यहां एकत्रित हुए हैं; दिवाली, दीपावली मनाने के लिए। दरअसल सहज योग शुरू होने के बाद ही, असली दिवाली आकार ले रही है। हमारे पास कई खूबसूरत दीपक थे और हमारे पास जलाने के लिए बहुत सारा तेल था। परंतु दीपों को रोशन करने के लिए कोई चिंगारी नहीं थी। और बत्ती जैसा कि आप इसे कहते हैं, हिंदी भाषा में बात्ती कहा जाता है- आपकी कुंडलिनी की तरह है। इसलिए कुंडलिनी को चिंगारी से मिलना था। सभी सुन्दर दीपक बेकार, उद्देश्यहीन, व्यर्थ थे। और यह आधुनिक समय में महान आशीर्वाद हैं, कि इतनी सारे दीपक प्रकाशित हो गए हैं, और हम मानव हृदयों की दीपावली मना रहे हैं। जब आप प्रकाश बन जाते हैं, आप दीपक के बारे में चिंता नहीं करते हैं, यह कैसा दिखता है, इसे कैसे बनाना है, यह सब हो गया है। आपको केवल लौ की, तेल की चिंता करनी है, क्योंकि वह तेल है जो जलता है और प्रकाश देता है। संस्कृत भाषा में – जो देवताओं की भाषा है – तेल को ‘स्निग्धा’, ‘स्निग्धा’ कहा जाता है; कुछ ऐसा जो नरम है लेकिन स्निग्धा है। और ‘स्नेहा’ का अर्थ है प्रेम की दोस्ती’, और अन्य भाषाओं के कवियों ने इस शब्द का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से ‘नेहा’ कहकर किया है। उन्होंने इस प्रेम का गुणगान किया है। हर कवि, हर संत ने अपने सुंदर काव्य में इस शब्द का प्रयोग किया है, चाहे वे वियोग में थी या वे मिलन में थी, योग में, Read More …

Diwali Puja: Become The Ideals Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                  दीवाली पूजा, “आदर्श बनना” “सभी धर्मों का मंदिर”, हैम्पस्टेड, लंदन (यूके), 6 नवंबर 1983 आज के चैतन्य से आप देख सकते हैं कि जब आपकी पूजा के लिए तैयारी  होती हैं तो आपको कितनी प्राप्ति होती है। आज आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो ईश्वर बहुत उत्सुक हैं, कार्य करने के लिए| केवल एक बात है कि, स्वयं तुम्हें तैयारी करनी है। और ये सभी तैयारियां आपकी काफी मदद करने वाली हैं। जैसा कि हम अब सहजयोगी हैं, हमें यह जानना होगा कि हम जो थे उससे कुछ अलग हो गए हैं। हम योगी हैं, हम दूसरों से ऊंचे लोग हैं। और ऐसे में हमें एक बात और भी समझनी होगी कि हम दूसरे इंसानों की तरह नहीं हैं जो कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, जो पाखंड के साथ जी सकते हैं. इसलिए सारी समस्याएं सभी धर्मों से उत्पन्न हुई हैं। एक व्यक्ति जो कहता है कि वह एक ईसाई है, वह पूरी तरह से मसीह विरोधी है; जो कहते हैं कि जो  इस्लामिक है, वह बिल्कुल मोहम्मद विरोधी है; जो कहता है कि वो हिंदू है, बिल्कुल श्रीकृष्ण विरोधी है। यही मुख्य कारण है कि अब तक सभी धर्म असफल रहे हैं, क्योंकि मनुष्य आदर्शों की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वे सभी कहते हैं कि हमारे पास यह आदर्श है, वह आदर्श है, लेकिन वे खुद आदर्श नहीं हैं, वे उन आदर्शों के साथ नहीं रह सकते। आदर्श उनके जीवन में नहीं हैं, वे बाहर हैं। लेकिन वे यह कहते चले जाते हैं कि ये हमारे Read More …

दिवाली पूजा Chelsham Road Ashram, London (England)

दिवाली पूजा चेल्शम रोड आश्रम, लंदन (यूके) – 1 नवंबर, 1981 आज मैंने आपको लक्ष्मी सिद्धांत के महत्व और तीन प्रक्रियाओं के बारे में बताया जिनसे हम गुजरते है । पहला गृह लक्ष्मी है। असल में,अधिकतर यह चंद्रमा के तेरहवें दिन मनाया जाता है, जहां वे कहते हैं कि गृहिणी को कुछ उपहार देना चाहिए। और सबसे अच्छी चीज जो है वह एक बर्तन है। तो लोग उसे कुछ बर्तन देते हैं, वास्तव में यह एक बहुत ही पारस्परिक बात है, क्योंकि यदि आप एक बर्तन देते हैं, तो उसे आपके लिए खाना बनाना चाहिए। यह सुझाव देने का एक बहुत ही प्यारा तरीका है कि आप हमारे लिए कुछ पकाइये। तब चौदहवा दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन देवी शक्ति के रूप में है, क्योंकि यह कार्तिकेय थे जिन्होंने नरकासुर, शैतान को मार डाला था। और वह सबसे बुरों में से एक था, जिसे मारा न जा सका था। इसलिए शिव और पार्वती, इस शक्तिशाली शक्तिपुत्र को उत्पन्न करने के लिए, इस विशेष उद्देश्य के लिए विवाहित हुए थे, जिसका मतलब वह शक्ति का पुत्र है, जिसे कार्तिकेय कहा जाता है। और वह सिर्फ इस भयानक शैतान जिसे नरकासुर कह जाता था , को मारने के लिए पैदा हुआ था। और उसने मारा। वह दिन है, चौदहवें दिन। यह उस दिन हैलोवीन की तरह कुछ है। क्योंकि वह दिन है जब उन्होंने नरक के द्वार खोले और सभी शैतानों को नरक में डाल दिया। और यही कारण है कि उस दिन सुबह को जितना संभव हो सके आराम Read More …

Diwali Puja Temple of All Faiths, Hampstead (England)

(श्री दीवाली पूजा, हॅम्पस्टेड (लंदन), 9 नवम्बर 1980) आपको मालूम होना चाहिये कि आप एक ही परिवार के सदस्य हैं। किसी को भी युद्ध नहीं करना है, किसी को भी एक दूसरे से महान नहीं बनना है, किसी को भी दूसरे में सुधार लाने की आवश्यकता नहीं है, किसी को भी यह नहीं कहना है कि मैं कुछ अनोखा ही व्यक्ति हूं। आप सबको एक साथ मिलकर कार्य करना है और साथ में कार्य करते हुये प्रेम व मित्रता से समस्याओं का समाधान ढूंढ निकालना है। कोई भी जो स्वयं को अन्य लोगों से अलग कर कुछ और ही बनने का प्रयास करता है वह बाहर (सहज से) चला जाता है और सहज के लिये वह व्यक्ति एकदम किसी काम का नहीं है …. इस तरह का व्यक्ति एकदम बेकार है… जो सहज परिवार से बाहर जाने का प्रयास करता है। आप सबको एक दूसरे का साथ देना है, एक दूसरे की सहायता करनी है, किसी पर चिल्लाना नहीं है और एक दूसरे पर क्रोध भी नहीं करना है…. एक दूसरे पर भरोसा रखना है, उनके दोष नहीं देखने हैं और एक दूसरे को आदर, प्रेम व सम्मान से देखना है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण चीज है कि सहजयोगी ये नहीं समझते हैं कि आप सब संत है और आपको सबका सम्मान करना है। उदा0 के लिये आपको किसी पर भी संदेह नहीं करना है … बिल्कुल नहीं … सहज में इसकी बिल्कुल भी आज्ञा नहीं है और यह बात बिल्कुल निषिद्ध है। सावधान रहें…. मैं तो ये भी कहूंगी कि Read More …

Diwali Puja: Today is the day to take an oath Dollis Hill Ashram, London (England)

                                                दीवाली पूजा  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन, इंग्लैंड। 20 अक्टूबर 1979। ….14वें दिन, षडानन के द्वारा उसका वध हुआ, कार्तिकेय पुत्र थे पार्वती और शंकर के जो रुद्र शक्ति की बहुत शक्तिशाली अभिव्यक्ति थे, जो कि भगवान की मारक शक्ति हैं। और उसकी रचना विशेष रूप से इसी उद्देश्य के लिए, नरकासुर को मारने के लिए की गई थी। तब – ऐसा था, यह राक्षस, ऐसा खतरा था और उसने कितने लोगों के जीवन को बर्बाद कर दिया था। उसने ऐसा कहर बरपाया है और लोगों को यह नहीं पता था कि सुरक्षा कैसे प्राप्त की जाए। उस समय, तब शक्ति द्वारा षडानन, कार्तिकेय के रूप में नरकासुर का वध किया गया था, उस समय चारों ओर उत्सव मनाया गया था। लोगों ने अगली रात मनाई और अगली रात पूरे साल की सबसे काली रात थी, जो कि आज रात है। घटते चंद्रमा के 15वें दिन को अमावस्या [अमावस्या] कहा जाता है। तो यह सबसे अंधेरी रात है। हर महीने एक बार हमेशा अंधेरी रातें होती हैं, लेकिन यह पूरे साल की सबसे काली रात होती है और इससे ठीक पहले नरकासुर का वध हुआ था। और घर में सारी रौशनी प्रज्वलित की जाती हैं और ढेर सारे दीपक जला दिए जाते हैं। बेशक बिजली की बत्तियाँ इनसे अलग होती हैं, जैसा कि आप जानते हैं, कि वे हर समय बाधा को जला देती हैं। इसलिए नरकासुर की मृत्यु के बाद, जब वह बहुत शक्तिशाली था तब उसकी अपनी एक बड़ी सेना थी, और उसने कई लोगों को सम्मोहित कर लिया Read More …