
Shri Ganesha’s Birthday House in Pratishthan, पुणे (भारत)
Talk held in occasion of Shri Ganesha’s Jayanti. Pratishthan (India), 10 February 2008.
Talk held in occasion of Shri Ganesha’s Jayanti. Pratishthan (India), 10 February 2008.
Ganesh Puja 13 September 2003, cabella , italy अब हम नन्हें बच्चों के सम्मुख हैं। यही बच्चे अवतरण हैं। यही (बच्चे) उत्थान प्राप्ति में, मानव जाति का नेतृत्व करेंगे। मानवता की देखभाल की जानी चाहिए। बच्चे कल की मानव जाति हैं और हम आज के हैं। अनुसरण करने के लिए हम, उन्हें क्या दे रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या है? ये कहना अत्यन्त-अत्यन्त कठिन है परन्तु सहज योग से वे सभी मर्यादित ढंग से चलेंगे,वे मर्यादित व्यवहार करेंगे। बहुसंख्या में सहजयोगी बनने से, सभी कुछ भिन्न हो जाएगा। परन्तु बड़े सहजयोगियों का ये कर्तव्य है कि उनकी देखभाल करें, उनका चारित्रिक स्तर बेहतर हो, उनके जीवन बेहतर हों ताकि वे आपके जीवन का अनुसरण करके वास्तव में अच्छे सहजयोगी बन सकें। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । सम्भवतः हमें इसका एहसास नहीं है। इस बात को हम नहीं समझते, परन्तु ये सभी नन्हें शिशु महान आत्माओं की प्रतिमूर्ति हैं और इनका पालन पोषण भी उन्हीं के रूप में किया जाना चाहिए। वैसे ही इनका सम्मान होना चाहिए और अत्यन्त सावधानी से इन्हें प्रेम किया जाना चाहिए। यह बात समझ लेनी आवश्यक है। हमारे बड़ी आयु के लोगों की समस्या ये है कि हम बच्चों को ध्यान देने योग्य, परवाह करने योग्य और उन्हें समझने योग्य नहीं मानते, हम सोचते हैं कि हम स्वयं बहुत अधिक विवेकशील एवं बहुत अच्छे हैं तथा हमें अपनी शक्ति इन छोटे बच्चों पर नष्ट नहीं करनी चाहिए। बड़ी आयु के लोगों के साथ ये कठिनाई है। परन्तु, आज जब हम यहां बैठे हुए Read More …
2000-09-16 श्री गणेश पूजा टॉक, केबेला,इटली, डीपी आज, हम यहाँ एकत्र हुए हैं गणेश पूजा करने के लिए। मैं भली-भांति जानती हूँ कि गणेश प्रतीक हैं पवित्रता के, निर्मलता के और पूजा करने के लिए अबोधिता की । जब आप श्री गणेश की पूजा कर रहे होते हैं तो आप को पता होना चाहिए कि वह अवतार हैं अबोधिता का । मैं जानने के लिए उत्सुक हूँ कि हम ‘ अबोधिता ‘ का अर्थ समझते हैं या नहीं । अबोधिता एक गुण है, जो अंतर्जात है, जिसे बलपूर्वक स्वीकार नहीं कराया जा सकता है, जिसमें प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है । यह केवल एक गुण है, सहज गुण, एक मानव के भीतर। जब वह श्री गणेश का अनुयायी बन जाता है तो वह एक अबोध व्यक्ति बन जाता है। हो सकता है कि आप कहें कि अबोध व्यक्तियों पर चालाक लोगों द्वारा आक्रमण किया जाता है, आक्रामक लोगों द्वारा, किन्तु अबोधिता इतनी महान बात है कि इसे नष्ट नहीं किया जा सकता है। यह गुण है आत्मा का । अबोधिता आत्मा का गुण है; और जब यह आत्मा आपके भीतर जागृत हो जाती है, तो आपको अबोधिता की शक्ति मिलती है, जिसके द्वारा आप उन सभी चीज़ों पर विजयी होते हैं जो नकारात्मक हैं, वो सब जो अनुचित है, वो सब जो हानिकारक है आपके विकास के लिए, आध्यात्मिक समझ के लिए। इसलिए अबोध होना संभव नहीं है । आपको अबोध होना होगा, इस अर्थ में कि आप अंतर्जात रूप से अबोध हैं । यह होता है सहज योग Read More …
श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं श्रीगणेश पूजा, कबैला लीगर(इटली), 25 सितम्बर 1999 आज हम सब यहाँ पर श्रीगणेश की पूजा के लिये एकत्र हुये हैं। आप सभी जानते हैं कि वे कितने शक्तिशाली देवता हैं। उनकी ये शक्तियां उनकी अबोधिता से आती है। जब भी हम छोटे बच्चों को देखते हैं तो तुरंत ही हम उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और उनको प्यार करना चाहते हैं … उन्हें चूमना चाहते हैं और उनके साथ रहना चाहते हैं वे इतने अबोध होते हैं … अत्यंत अबोध। यदि हम श्रीगणेश की पूजा करना चाहते हैं तो हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सचमुच ही अबोध और निष्कलंक हैं। आजकल लोग अत्यंत चालाक और मक्कार हो गये हैं और मक्कारी के मामले में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे सरल और मासूम लोगों के साथ अनेकों मक्कारी भरे खेल खेलते हैं। वे सोचते हैं कि इस आधुनिक समय में हमेशा वे ही सही हैं और बाकी लोग अत्यंत शातिर और धूर्त हैं। ये धूर्तता उनको अत्यंत दांई नाड़ी प्रधान बना व्यक्ति बना देती है जो अत्यंत भयावह है …. क्योंकि कुछ लोगों में इसके कारण कुछ भयानक शारीरिक समस्यायें भी हो जाती हैं जैसे कि उनके हाथ कांपने लगते हैं या उनके पैरों में लकवा मार जाता है। उनको लिवर से संबंधित अनेकों समस्यायें भी हो जाती हैं। इससे भी बढ़कर उनको सजा देने के लिये उन्हें मनोदैहिक रोग भी जकड़ लेते हैं। जैसे ही आपको इस प्रकार की कोई दांई नाड़ी प्रधान बीमारी हो जाय तो आपको श्रीगणेश Read More …
Shri Ganesha Puja. Cabella Ligure (Italy), 10 September 1995. यदि कोई आपके पास मिलने के लिये आये तो क्या आपको मालूम है कि किस प्रकार से आपको जानबूझ कर अपनी ऊर्जा को उन पर प्रक्षेपित करना है ….. ये एक नई तरह की ध्यान विधि है जिसका अभ्यास आप सबको करना है…. अपनी ऊर्जा को उत्सर्जित करके अन्य लोगों तक पंहुचाना। इसमें आपको किसी से कुछ नहीं कहना है… बातचीत नहीं करनी है लेकिन सोच समझकर और जानबूझ कर इस ऊर्जा का अनुभव करना है …. मैं फिर से कह रही हूं कि जानबूझ कर। यह सहज नहीं है …. नहीं यह स्वतः है। लेकिन इसका आपको अभ्यास करना है। अपने अंदर के श्रीगणेश की अबोधिता की ऊर्जा को अन्य लोगों तक प्रक्षेपित करना है ताकि जब वे आपको देखें तो उनकी स्वयं की अबोधिता जागृत हो जाय। उदा0 के लिये लंदन में हमें कुछ समस्या हो गई थी और सहजयोगियों ने मुझसे कहा कि माँ.. अभी भी कुछ लोग … कुछ पुरूष हमें देखते रहते हैं और कुछ ने कहा कि कुछ महिलायें भी हमें देखती रहती हैं। एक तरह से ये एक आपसी चीज घट रही थी। मैंने उनसे कहा कि आप लोग अपनी ऊर्जा को इस प्रकार से प्रक्षेपित करें कि इन लोगों का इस प्रकार का अभद्र व्यवहार पूर्णतया बंद हो जाय और उनको समझ में आ जाय कि उन्हें आपका आदर करना चाहिये और आपकी गरिमा का भी सम्मान करना चाहिये। ये बहुत कठिन भी नहीं है। इसके विपरीत… जैसी कि आजकल की संस्कृति है Read More …
श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …
Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …
Shri Ganesha Puja. Delhi (India), 5 December 1993. आज हम श्री गणेश पूजा करने है | इस यात्रा की शुरूआत हो रही है और इस मौके पर जरूरी है कि हम गणेश पूजा करें खासकर दिल्ली में गणेश पूजा की बहुत ज्यादा जरूरत है। हालांकि सभी लोग गणेश के बारे में बहुत कम जानते हैं। और क्योंकि महाराष्ट्र में अष्ट विनायक हैं और महा गणपति देव तो गणपति पूले में हैं। इसलिए लोग गणेश जी को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या है? गणेश जी हें क्या? इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अब जो भी बात हम आपको बता रहे हैं यह सहजयोगी होने के नाते आप लोग समझ सकते हैं। आम दुनिया इसे नहीं समझ सकती। एक हद तक आम दुनिया, विशेषकर बढ्धि परस्त लोग सहजयोग को देख सकते हैं। किन्तु इस योग के घटित होने में कोई देवी देवता मदद करते है ये नहीं मानते और परमचैतन्य को भी अनेक तरह के नाम दे कर के वो समझाते है की ये कॉस्मिक एनर्जी है | पता नहीं लोग समझते है या नहीं |सबसे पहले इस पृथ्वी की रचना होने से पहले समझ लीजिये परमात्मा ने यही सोचा आदिशक्ति ने यही सोचा इस पृथ्वी पर पवित्रया आना चाहिए पवित्रत्रता आणि चाहिए | और पवित्ररता जब यहाँ फ़ैल जाएगी उसके बाद सृष्टि में चैतन्य चारो और कार्यान्वित हो जायेगा जैसे समझ लीजिये परमचैतन्य चारो और फैला हुआ है लेकिन उसका असर तो तभी आता है जब आपके अंदर पवित्ररता आती है अगर आपके अंदर पवित्रता Read More …
(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991) मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात् पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर Read More …
Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja [Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari] महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, हम पात हैं कि हमारो सारी समस्याएं मानव की ही देन है। जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बाह्य जगत में जा भी प्रवृत्तियां या फैशन आयें आप उनसे प्रभावित नहीं हाते। आप अन्दर से परिवर्तित होते हैं। तब आप पूर्णतया जान जाते हैं कि दूसरे लोगों से क्या आशा की जाती उनसे किस प्रकार व्यवहार किया जाए, किस प्रकार बातचीत की जाए और उनके साथ किस सीमा तक चला जाए। यह सव विवेक से प्राप्त होता है। सहजयाग में आप सब अतियोग्य लाग विवेक को डतनी ही सुन्दर चित्त प्रदान करता है। श्री गणेश के चैतन्य प्रवाह के कारण चित्त एकाग्रित हो जाता है। पवित्रता तथा मंगल प्रदान करने के लिए श्री गणेश की सृष्टि हुईं। गणेश ही सभी का Read More …
[English to Hindi translation] श्री गणेश पूजा लैनर्सबैक (ऑस्ट्रिया), 26 अगस्त 1990 आज हम श्री गणेश का जन्मोत्सव मना रहे हैं। आप सभी उनके जन्म की कहानी जानते हैं और मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, जैसे वह केवल माँ द्वारा, आदि शक्ति द्वारा बनाए गए थे, उसी तरह उनके बाद आप सभी बनाए गए हैं। तो, आप पहले से ही श्री गणेश के मार्ग पर हैं। आपकी आंखें उसी तरह चमकती हैं जैसे उनकी आंखें चमकती हैं। आप सभी के चेहरे पर वही खूबसूरत चमक है जैसी उनके पास थी। आप कम उम्र हैं, बड़े हैं या बूढ़े हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। श्री गणेश की चमक से ही सारी सुंदरता हमारे अंदर आती है। यदि वे संतुष्ट हैं, तो हमें अन्य देवताओं की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी देवताओं की शक्ति श्री गणेश हैं। वह हर चक्र पर बैठे कुलपति की तरह हैं। जब तक वे हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक कुंडलिनी पार नहीं हो सकती, क्योंकि कुंडलिनी गौरी है और श्री गणेश की कुँवारी माँ है। अब हमें यह समझना होगा कि हम यहां पश्चिमी समाज में हैं जहां इतना गलत हो गया है क्योंकि हमने श्री गणेश की देखभाल करने की कभी परवाह नहीं की। ईसा-मसीह आए और उनका संदेश पूरी दुनिया में फैल गया। उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की जो ईसाइयों द्वारा अभ्यास नहीं की जाती हैं, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ भी शुरू किया वह सत्य पर आधारित नहीं है। सच Read More …
Shri Ganesha Puja, Les Diablerets (Switzerland), 8 August 1989. आज आप सब यहां मेरी श्रीगणेश रूप में पूजा के लिये आये हैं। हम प्रत्येक पूजा से पहले श्रीगणेश का गुणगान करते आये हैं। हमारे अंदर श्रीगणेश के लिये बहुत अधिक सम्मान है क्योंकि हमने देखा है कि जब तक अबोधिता के प्रतीक श्रीगणेश को हम अपने अंदर जागृत नहीं करते तब तक हम परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। परमात्मा के साम्राज्य में बने रहने के लिये और श्रीगणेश के आशीर्वादों का आनंद उठाने के लिये भी हमारे अंदर अबोधिता का होना अत्यंत आवश्यक है। अतः हम उनकी प्रशंसा करते हैं और वे अत्यंत सरलता से प्रसन्न भी हो जाते हैं। सहजयोग में आने से पहले हमने जो कुछ गलत कार्य किये हों उनको वे पूर्णतया क्षमा कर देते हैं क्योंकि वे चिरबालक हैं। आपने बच्चों को देखा है, जब आप उन्हें थप्पड़ लगा देते हैं …. उनसे नाराज हो जाते हैं लेकिन वे इसको तुरंत भूल जाते हैं। वे केवल आपके प्रेम को याद रखते हैं और जो कुछ भी बुरा आपने उनके साथ किया है उसे वे याद नहीं रखते। जब तक वे बड़े नहीं हो जाते तब तक वे अपने साथ घटी हुई बुरी बातों को याद नहीं रखते। जबसे बच्चा माँ की कोख से जन्म लेता है उसे याद ही नहीं रहता कि उसके साथ क्या क्या हुआ है लेकिन धीरे-धीरे उसकी याददाश्त कार्यान्वित होने लगती है तो वह चीजों को अपने अंदर याद करने लगता है। परंतु प्रारंभ में उसे उसके साथ Read More …
जीसस क्राइस्ट पूजा बोगोटा (कोलंबिया) 26 जून 1989 आज मैं आप को बताना चाहूंगी ईसा मसीह और ईसाई धर्म के बारे में, क्योंकि वह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश बहुत कैथोलिक है। और यदि आप प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक भी हैं, चर्च ने वह पूर्ण नहीं किया है जो ईसा मसीह उनसे करवाना चाहते थे, जो आप बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। यदि आप बाइबल पढ़ते हैं तो आपको ज्ञात होगा कि ईसा का वर्णन माता मेरी के पुत्र के रूप में किया गया है, जिनका जन्म पवित्र धारणा के अनुसार हुआ था। किंतु वह वास्तव में उसे पूर्ण गहराई से स्वीकार नहीं कर पाए हैं। ऊपरी तौर पर वे ईसा का उपयोग धन, संपत्ति व चर्च बनाने के लिए कर रहे हैं। क्योंकि वे इसकी व्याख्या नहीं कर सकते इसलिए वे हमेशा कहते हैं कि यह रहस्य है। कि ईसा का जन्म एक अति पवित्र माँ से हुआ था, “निर्मला”, पवित्र धारणा के साथ, उनके अनुसार एक रहस्य है। तथा वे यह भी नहीं समझा सकते कि कैसे ईसा पानी पर चले। क्योंकि वे आध्यात्मिक जीवन नहीं खोज पाए हैं जो कि ईसा का सिद्धांत (विचार) था। और उन्होंने इतना भौतिकवादी संसार बना दिया। इसके अतिरिक्त, जितनी धन-संपत्ति वेटिकन के पास है, कोई नहीं समझ सकता कि कैथोलिक देशों में इतनी गरीबी क्यों है। उन्होंने कोई भी प्रयत्न नहीं किया है गरीबी की समस्या दूर करने के लिए। भारत में उन्होंने लोगों का धर्म Read More …
Shri Ganesha Puja 18 sept 1988 Mumbai परमात्माकी सृष्टिकी रचनाकारकी शुरुआत जिस टंकारसे हुई उसीको हम ब्रम्हनाद तथा ओमकार कहते है। इस टंकारसे जो नाद विश्वमे फैला वो नाद पवित्रताका था। सबसे प्रथम परमात्माने इस सृष्टीमे पवित्रताका संचारण किया। सर्व वातावरणको पवित्र कर दिया। पहले उन्होंने पुनीत किया जो चैतन्य स्वरुप आज भी आप लोग जान सकते है। उसे महसूस कर सकते है, उसकी प्रचिती आपको मिल सकती है। वही ओमकार आज चैतन्य स्वरुप आपकोभी पवित्र कर रहा है। श्री गणेश की पूजा हर पूजामे हमलोग करते है और आज तो उन्हीकी पूजा का बड़ा भारी आपलोगोंने आयोजन किया है। लेकिन जब हम किसी भी चीज की पूजा करते है तो उनमे बोहोत सारी विविध स्वरुप की मांगे होती है। कुछ लोग होते है कामार्थी होते है, कुछ लोग पैसा मांगते है, कुछ लोग कहते है हमारा कार्य ठीक से हो जाय, कुछ कहते है की हमारी दुनियामे बड़ी शोहरत हो जाय, सब दूर हमें मान मिले। कोई कहता है की हमारी नौकरी अछेसे चली तो अच्छा है, कोई कहता है हमारा बिज़नस चलना चाहिए , कोई कहता है हमारे मकान बनने चाहिए। ये सब कामार्थी बाते है। और इसी तरहसे मनुष्य की मांगे होते होते वोह गणेश की पूजन करता है। यहाँ पर जो सिद्धि विनायक है उसकी भी जागृति मैंने बहोत साल पहले की थी। सब लोग उस सिद्धिविनायक के पास जा करके हमें ये चीज देदो हमें वो चीज देदो मांगते है। लेकिन ये सिद्धिविनायक है। ये चीज देनेवाला नहीं है , ये वस्तु देनेवाला नहीं है। Read More …
“पहले वायब्रेशन को स्पष्ट रूप से समझें,” श्री गणेश पूजा, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड), 16 मई 1987 लेकिन उनमें से कुछ बहुत अच्छे हैं और उनमें से कुछ बहुत भले, सौम्य लोग हैं। योगी : महाराष्ट्र में जनजातियां अब बहुत अच्छी हो गई हैं. बहुत अच्छा। माता: (मराठी) योगी: कुछ पहाड़ियाँ महाराष्ट्र में अमरावती के पास हैं। लेकिन यह जुड़ा हुआ है। अमरावती, वाशी. मां : पान मराठी बोलत ते लोग? (मराठी: लेकिन क्या वे लोग मराठी बोलते हैं?) योगी: नहीं टेंचे लोगन नहीं बोलते। (मराठी: नहीं, वे लोग नहीं बोलते।) मां: हो? (सचमुच?) योगी: जस्ता मराठी। (केवल मराठी।) मां : अनी माओरी ची भाषा? (मराठी: और माओरी भाषा?) योगी: माओरी की भाषा क्या है? योगिनी: ठीक है, हम इसे माओरी कहते हैं। मां : मेरे पास इन माओरी लोगों की डिक्शनरी है. फिर हम इसकी सहायता लेंगे। हम यहां से एक डिक्शनरी लेंगे। यह एक शब्दकोश है, यह देखने के लिए कि क्या वे वही बोलते हैं। योगिनी: एफ्रोम, वह आंध्र प्रदेश में काम कर रहा है। माता : एफ्रोम ? क्या वह माओरी लोगों पर काम कर रहा है? योगिनी: नहीं, उसने नहीं किया। मां: तुम पता करो, तब हम उसे यह संबंध बता सकते हैं। योगी : माओरी में कुछ ऐसे शब्द हैं, माँ, जो संस्कृत के शब्दों से बहुत मिलते-जुलते हैं। माँ: मैं माफ़ी माँगती हूँ? योगी: माओरी में कुछ ऐसे शब्द हैं, जो संस्कृत के शब्दों के समान हैं। मां: भारतीयों के समान? वह कह रहा है कि वास्तव में, महाराष्ट्र में ‘माओरी’ नामक एक जनजाति है। Read More …
सैन डिएगो (यूएसए), 7 सितंबर 1986। आज हम श्रीकृष्ण की धरती पर श्री गणेश जी का जन्मदिन मना रहे हैं। यह कुछ बहुत ही अभूतपूर्व और बहुत महत्वपूर्ण मूल्य का है कि आपको श्री कृष्ण के पुत्र का जन्मदिन उनकी ही भूमि में मनाना चाहिए। आप जानते हैं कि श्री गणेश ने इस पृथ्वी पर महाविष्णु के रूप में अवतार लिया था और वे राधा के पुत्र थे, जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह के रूप में अवतार लिया था। तो आज यह जन्मदिन मनाकर आप सबसे बड़े सत्य को पहचान रहे हैं कि प्रभु यीशु मसीह श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इसके बारे में यदि आप देवी महात्मायम में पढ़ते हैं तोएक कहानी है, किस प्रकार यह आदि बालक एक अंडे का रूप लेता है और इसका आधा हिस्सा श्री गणेश के रूप में रहता है और आधा महाविष्णु बन जाता है। उत्क्रांति की प्रक्रिया में पुरावशेषों की इन सभी घटनाओं को दर्ज किया गया है लेकिन आज मैं इतनी प्रसन्न महसूस कर रही हूं कि मानव स्तर पर लोग समझ गए हैं कि ईसा भगवान गणेश के अवतार हैं। वह शाश्वत संतान है लेकिन जिस रूप में वह मसीह के रूप में आये, वह श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में आये। लेकिन जब पार्वती ने श्री गणेश को बनाया, तब तो वे अकेली पार्वती के पुत्र थे। कोई पिता नहीं था। स्वयं पार्वती अपना ही एक पुत्र पैदा करना चाहती थीं। ऐसे देवदूत थे जो या तो विष्णु को या शिव को समर्पित थे, जैसे गण अकेले शिव को समर्पित Read More …
श्री गणेश पूजा: पवित्रता का महत्व04-08-1985ब्राइटन फ्रेंड्स मीटिंग हाउस, ब्राइटन (इंग्लैंड) आज हम यहां सही अवसर और बहुत ही शुभ दिन पर श्री गणेश की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री गणेश प्रथम देवता हैं जिनकी रचना की गई थी ताकि पूरा ब्रह्मांड शुभता, शांति, आनंद और आध्यात्मिकता से भर जाए। वह स्रोत है। वह अध्यात्म का स्रोत है। इसके परिणामस्वरूप अन्य सभी चीजें अनुसरण करती हैं। जैसे जब बारिश होती है और हवा चलती है तो आप वातावरण में ठंडक महसूस करते हैं। उसी तरह जब श्री गणेश अपनी शक्ति का उत्सर्जन करते हैं, तो हम इन तीनों चीजों को भीतर और बाहर महसूस करते हैं। लेकिन यह इतना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है, विशेष रूप से पश्चिम में, सबसे महत्वपूर्ण मौलिक देवता को न केवल पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है, बल्कि अपमानित किया गया और सूली पर चढ़ाया गया है। तो आज हालांकि मैं कुछ ऐसा नहीं कहना चाहती की आप परेशान हों, लेकिन मैं आपको बता दूं कि श्री गणेश की पूजा करने का मतलब है कि आपके भीतर पूरी तरह से स्वच्छ्ता होनी चाहिए। श्रीगणेश की पूजा करते समय मन को स्वच्छ रखें, हृदय को स्वच्छ रखें, अपने को स्वच्छ रखें – काम और लोभ का कोई विचार नहीं आना चाहिए। दरअसल, जब कुंडलिनी उठती है तो गणेश को हमारे भीतर जगाना होता है, अबोधिता को प्रकट होना पड़ता है – जो हमारे भीतर से ऐसे सभी अपमानजनक विचारों को मिटा देता है। अगर उत्थान हासिल करना है तो हमें समझना होगा कि हमें Read More …
श्री गणेश पूजा रोम (इटली), १९ मई १९८५। मेरे लिए बहुत श्रेष्ठ दिन है कि, गणेश पूजा मनाने के लिए इटली आई हूँ। चारों तरफ जिस प्रकृति को हम देखते हैं, वह गणेश का आशीर्वाद ही है क्योंकि वे ही हैं जो धरती माता से प्रार्थना करते हैं कि वह मनुष्यों पर अपना आशीर्वाद दें। 3:26 यह वही है जो प्रकृति के सभी तत्वों को ढाल कर और उन्हें जीवन बनाने के लिए प्रेरित करता है। जैसा कि आप उन्हें कहते हैं, ये सभी कार्बोहाइड्रेट हैं। अब कार्बोहाइड्रेट में कार्बन और हाइड्रोजन होते है। कार्बन श्री गणेश से आ रहा है और हाइड्रोजन महाकाली से आ रही है। और इस तरह हमारे चारों तरफ इस खूबसूरत तरीके से इस ब्रह्मांड का निर्माण होता है। अब, इन कार्बोहाइड्रेट को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो हमें सूर्य द्वारा, दायें पक्ष द्वारा दी जाती है। इस प्रकार, आप जानते हैं कि ये पेड़ रात में हाइड्रोजन उत्सर्जित करते हैं और दिन में ये ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। यह सब श्री गणेश की चाल है जो बीच में विराजमान हैं। अब वही सूर्य बनते है। वह कुंडलिनी के नीचे गहरे आसन से उत्थान करते है। वह महाकाली के बाएं पक्ष से उठकर ऊपर जाते है और सूर्य अर्थात् आज्ञा चक्र में स्थित हो जाते है। तो महाकाली, जो कि आदि शक्ति है, को वे पूर्णतया पार कर जाते हैं| महाकाली की संतान के रूप में, वह पूरी तरह से उनके प्रति समर्पित और श्रद्धामय हैं। और इसी तरह वह महाकाली शक्ति में निपुण Read More …
श्री गणेश पूजा 1 मार्च 1983, पर्थ ऑस्ट्रेलिया मुझे लगता है कि यह ज्ञान की गुणवत्ता है जो अभी भी कई ऑस्ट्रेलियाई लोगों में प्रकट हो रही है, जो बहुत से लोगो ने खो दिया है क्योंकि उन्होंने भौतिकवाद के घोर पक्ष को ले लिया है। श्री गणेश शुद्ध करने की अद्भुत शक्ति हैं, क्योंकि यह किसी के द्वारा दूषित नहीं किया जा सकते है, आप जो भी कोशिश कर ले , वह दूषित नहीं हो सकते है। केवल एक चीज है, जो की वापस आ सकती है, यह प्रकट नहीं भी हो सकती है, लेकिन जो कुछ भी है, वह अपने पूर्ण रूप में है। यदि आप इसका उपयोग करना जानते हैं, तो आप सभी को शुद्ध कर सकते हैं। तो ऑस्ट्रेलियाई लोगों की ज़िम्मेदारी को समझना जरुरी है यह बहुत स्पष्ट है , क्योंकि वे एक ऐसे देश में रह रहे हैं, जिस पर श्री गणेश का शासन है, इसलिए पहले उन्हें अपनी पवित्रता बनाए रखनी होगी। उनके अस्तित्व की पवित्रता। कई लोग कभी-कभी सोचते हैं कि पवित्रता केवल सतही पक्ष तक सीमित है, उनके यौन जीवन की शुद्धता पर्याप्त है, ऐसा नहीं है। यही कारण है कि क्राइस्ट ने कहा है “तुम्हारी आंखे व्यभिचारी नही होनी चाहिए ” अर्थात्। आपकी आँखें शुद्ध होनी चाहिए, और जैसा कि आप जानते हैं, आँखें आपके अहंकार और प्रति अहंकार दोनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसलिए जब उन्होंने कहा कि आपकी आँखें शुद्ध होनी चाहिए, तो उनका मतलब था कि आपके विचार शुद्ध होने चाहिए। अब, आपकी शक्ति का जनक कौन Read More …
श्री गणेश पूजा ट्रोइनेक्स, (जिनेवा, स्विटजरलैंड), 22 अगस्त 1982 वार्ता से पहले: उन्हें बुलाओ, लोगों को बुलाओ। आप आगे चल सकते हैं और पीछे बैठ सकते हैं। ग्रेगोइरे पूछते हैं कि क्या पूजा की व्याख्या होनी चाहिए क्योंकि कुछ नवागंतुक हैं। श्री माताजी: क्या यहाँ कोई है जो अनुवाद कर सकता है? आपको दो व्यक्तियों की आवश्यकता है। आप यहां बैठ सकते हैं। ग्रेगोइरे: मैं इतालवी में भी अनुवाद कर सकता हूँ श्री माताजी : लेकिन क्या वह नहीं आए हैं? उसे पूजा के लिए आना चाहिए, तुम्हें पता है। सभी को अंदर आना चाहिए। जब वे सब यहाँ होंगे, तब मैं शुरू करूँगी। अब, आगे आओ। यहाँ कमरा है। जो जमीन पर बैठ सकते हैं वे सामने बैठ सकते हैं। कृपया आइये। (माँ योगिनी से बात करती हैं ) तुम्हें यह पसंद है? रंग ठीक है? वह कहां है, और कौन अनुवाद करेगा? ठीक है, तुम आ सकते हो। आप इसे फ्रेंच में करते हैं और वह इसे इतालवी में कर सकती है। अरनौत नहीं आया? आप वहाँ हैं। और कौन? बच्चे सामने बैठ सकते हैं – बच्चों को सामने बैठने दो। जब आप पूजा शुरू करेंगे तो चारों बच्चे बाद में आ सकते हैं। क्या सब आ गए हैं? आह! रोबोटिक मोटर-कारें! महान! …बिल्कुल, यही है! बाहर कौन है? [यहां वार्ता की प्रतिलेख शुरू होती है] ठीक है। सबसे पहले मैं आपको पूजा का अर्थ बताना चाहूंगी। दो पहलू हैं। (५.०२) एक पहलू यह है कि आपने अपने भीतर अपने स्वयं के देवी-देवता पा लिए हैं। और इन Read More …