Guru Nanaka Jayanti (भारत)

Guru Nanaka Jayanti “…They didn’t talk of Kundalini; that’s the only trouble. And they all, that time they were all fighting. Because of that fighting nature nobody had patience to tell them ‘baba, you don’t fight now’. because when there is fight going on you can’t talk to them. But with Sahaja Yoga.., Sahaja Yoga has given you a complete freedom.” Hindi: – “there were many true nice saints but nobody ever talked about the Kundalini, nobody talked. Every body talked about the self realization. But in you that Kundalini is seated.” “None of them talked about Kundalini. There had been very great gurus. Very great gurus. But that time every body was quarreling, nobody was listening. They were all fighting. So they never talked about ‘basic is the Kundalini’. See the trouble. All of this. They were not friendly with each other. This is the problem. That time they fought. They didn’t talk of Kundalini and self realization. They were all very evident but because of this gap the problem became wider and wider. None of them talked of Kundalini. Can you imagine! They say it is; some mentioned about it in the Sanskrit language but I have not seen, have you seen! So they all knew the same thing but they didn’t say. So, so many got separated and there was a big (drift/rift) within each other. Because the truth was; there is a Kundalini. And this one was not said critically….” Shri Mataji – “… She is Read More …

Guru Puja, How To Become A Guru Campus, Cabella Ligure (Italy)

(कबैला लीगर(इटली), 20 जुलाई 2008) सभी सहजयोगियों के लिये आज का दिन बड़ा महान है क्योंकि आपका सहस्त्रार खोल दिया गया है, आप परमात्मा के अस्तित्व का अनुभव कर सकते हैं। ये कह देना कि परमात्मा है …. ये काफी नहीं है … और ये कहना भी कि परमात्मा हैं ही नहीं …ये भी सरासर गलत है और जिन लोगों ने ऐसा कहा है उन्हें इसके कारण बहुत कष्ट उठाने पड़े हैं। केवल आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद ही आपको मालूम होता है कि परमात्मा हैं और उनके चैतन्य का अस्तित्व भी है। पूरे विश्व में ये बहुत बड़ी घटना है कि विराट का सहस्त्रार खोला गया। इसीलिये आज मैं कह रही हूं कि आपके लिये ये बहुत महान दिन है। आपमें से अनेकों ने अपने हाथों और सहस्त्रार पर ठंडी हवा का अनुभव किया है। सहजयोग में कुछ लोगों ने काफी प्रगति की है और कुछ ने बिल्कुल भी नहीं की है। कुछ अभी तक अपने पुराने कैचेज के साथ ही जिये जा रहे हैं। लेकिन अब मुझे कहना है कि आपमें से अनेक स्वयं के गुरू बन सकते हैं अर्थात शिक्षक और आपको एक गुरू की तरह ही व्यवहार करना चाहिये। गुरू की तरह से व्यवहार करने के लिये आपको सहजयोग को जानना होगा … इसके सिद्धांत और आपको इसके तौर तरीकों को पूर्णतया जानना होगा … तभी आप गुरू बन सकते हैं। आपके ऊपर ये एक बहुत बड़ा दायित्व है …… गुरू बनने के लिये आपके अंदर बहुत बड़ी समझ का होना आवश्यक है। इसके लिये आपके अंदर Read More …

Guru Purnima Puja: What is our duty? Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूर्णिमा पूजा, कबेला लिगुरे (इटली), 24 जुलाई 2002 यह बहुत ही रोचक है कि जिस तरीक़े से आपने पता लगाया कि, आज असली गुरु पूर्णिमा है। पूर्णिमा वह दिन है जब चंद्रमा पूर्ण होता है। मुझे यह पता था, लेकिन सहजयोगियों के लिए हमें शनिवार, रविवार, सोमवार – शुक्रवार, शनिवार, रविवार की व्यवस्था करनी होती है। चाहे वह तारीख़ पर हो या ना हो, हमें इसकी व्यवस्था करनी होती है । तो उस मामले में, यह इस समय दो दिन पहले था शायद, हमने व्यवस्था की, ठीक है  इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। आख़िरकार, चंद्रमा हमारे लिए है और हम चंद्रमा के लिए हैं, इसलिए यह कुछ ऐसी चीज़ नहीं हो सकती है जो इसमें बहुत ग़लत होगी। गुरु सिद्धांत के बारे में मैं आपको पहले ही बहुत बता चुकी हूँ। गुरु सिद्धांत में, हमने इस पृथ्वी पर आए लोगों को देखा है। वे सब अधिकतर  जन्मजात साक्षात्कारी थे, वास्तव में, और उन्होंने कभी  साक्षात्कार नहीं दिया किसी को –  एक बहुत बड़ा अंतर है। वे सब  जन्मे थे साक्षात्कारी  आत्माओं की भाँति  और वे सूफ़ी हो गए और उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है किन्तु उन्हें साक्षात्कार नहीं दिया गया, उनके पास था, और उनके आत्म- साक्षात्कार के कारण, जैसा कि उनके पास था, उनके पास इतना ज्ञान है और वही जो उन्होंने प्रयास किया लोगों को देने का । वे चक्रों के बारे में सब कुछ जानते थे, वे जानते थे,  उनके पिछले जीवन की उपलब्धियों के कारण वे जानते थे , शायद उनमें से कुछ Read More …

Guru Puja: The Advice Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा , कबेला , इटली – २१ जुलाई ,२००२ तालिओं की जोरदार गड़गड़ाहट… भारत में वो सब मानसून की राह देख रहे थे, और वो बहुत परेशान थे क्योंकि बारिश नहीं आयी | तो मै बरसात को बंधन दे रही थी, और वो यहां आ गई(तालियां बजने लगी और माँ हंसने लगी)|  और अब टेलीविजन पर बताया है, की भारत में भी बरसात होने वाली है | पर पहले इटली में ! (हँसी) मुझे बताया गया था की इटली में आपको बरसात  की बहुत आवश्यकता थी| और पहली बरसात जो आपने पाई कुछ दिन पहले और अब ये दूसरी बरसात है| क्योंकि हमारे किसानों की परेशानियों की समझ यहाँ है|  और जो बरसात है, आप देखे, इतनी दयालू है, की वो सही समय पर बरसती है| मै आश्चर्यचकित हूँ उसकी तुरंत गतिविधि पर और उसकी आज्ञाकारिता पर|  आज का दिन बहुत बड़ा है, हम सभी के लिए क्योंकि हम गुरु पूजा मना रहे है|और सभी बड़े गुरुओं को याद कर रहे है, जो इस धरती पर आये संसार को सत्य के बारे में सिखाने के लिए | बहुत सारे थे ऐसे संत| और उन्होंने पूरी तरह से प्रयत्न किया मानव जाति को समझाने का, की अध्यात्म क्या है | पर यह ऐसी विषमता है की लोग कभी नहीं समझ पाए की अध्यात्म सबसे महत्वपूर्ण है जिसकी हमें ज़रूरत है| की हमे देवी शक्ति से एकरूप होना चाहिए| उनका सब परिश्रम गलत दिशा में था | पहले वो निश्चित ही बहुत होशियार थे, जानवरों से ज्यादा, और ढूंढ़ने लगे, सत्य Read More …

Guru Puja: Introspection, Love & Purity Campus, Cabella Ligure (Italy)

2001-07-08 गुरु पूजा टॉक: आत्मनिरीक्षण, प्रेम और पवित्रता, केबेला,इटली, डीपी  आप नहीं जानते कि आपकी माँ को कैसा लगता है इतने सारे लोगों को देख कर जो वास्तव में स्वयं गुरु बन गए हैं वे सत्य को ख़ोज  रहे हैं एक बहुत ही कठिन समय में। वे जानना चाहते रहे हैं कि सत्य क्या है। और यह मुश्किल समय, स्वयं, सहायक रहा है आपके दिमाग पर कार्रवाई करने के लिए कि इस विश्व में क्या हो रहा है, हम अपने आस-पास जो कुछ भी देख रहे हैं, पूरे विश्व में भी, निश्चित रूप से वहाँ कुछ बहुत अनुचित है और हमें उससे आगे जाना होगा।  ढूँढ़ने में, एक बात बहुत महत्वपूर्ण है, कि व्यक्ति के पास इसके बारे में महान लगन होनी चाहिए । और अनकहे दुखों से भी आपको गुज़रना होगा। ढूँढ़ना है जब अपने भीतर भी आप संघर्ष कर रहे हैं और बाहर भी आपको कुछ भी संतोषजनक नहीं मिल रहा । इस तरह ढूँढ़ने में दोहरी तीव्रता है। उस ढूँढ़ने में, जब आप प्रयास कर रहे हैं सत्य तक पहुँचने की, ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही कठिन बात है । लेकिन आप लाचार हैं, क्योंकि आप संतुष्ट नहीं हैं उस से जो आप के आसपास विद्यमान है । आज विश्व को देखिए, यह संघर्ष से भरा है । हर तरह के झगड़े हैं यहाँ। लोग तुच्छ चीज़ों के लिए लड़ रहे है-भूमि के लिए; मनुष्यों की हत्या कर रहे हैं । भूमि, क्या यह मनुष्य बना सकती है? वे बहुत ही सामूहिक तरीके से Read More …

Guru Puja: Shraddha Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, कबैला, लिगुरे (इटली), २३ जुलाई २०००। आज हम यहाँ गुरु सिद्धांत के बारे में जानने के लिए आए हैं।गुरु क्या करते हैं,आपके पास जो कुछ भी है,आपके भीतर की सभी बहुमूल्य चीज़ें,वह आपके ज्ञान के लिए उन्हें खोजते हैं। वास्तव में यह सब कुछ आपके भीतर ही है। सम्पूर्ण ज्ञान, सम्पूर्ण अध्यात्म,सम्पूर्ण आनंद, सब यही है।सही समय!यह सब आपके  भीतर समाहित है।गुरु केवल एक ही कार्य करते हैं आपको आपके ज्ञान के बारे में और आपकी आत्मा के बारे जानकारी प्रदान करना। सबके भीतर आत्मा है। हर किसी के अंदर आध्यात्मिकता है।ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको बाहर से मिले।लेकिन यह ज्ञान प्राप्त करने से पहले, आपका बर्ताव या कहें , आप अज्ञान में जी रहे हैं।उस अज्ञानता में आप नहीं जानते कि आपके  भीतर क्या निधि है।तो गुरु का काम है आपको बताना की आप क्या हैं? यह पहला कदम है।यह शुरुआत है आपके भीतर की जागृति होने की, जिसके द्वारा आप जान पाते हैं कि आपका अस्तित्व यह बाहर की दुनिया नहीं है, यह सब एक भ्रम है।और आप अपने भीतर ही प्रबुद्ध होने लगते हैं।कुछ लोगों को पूरा प्रकाश मिलता है और कुछ लोगों को यह धीरे-धीरे मिलता है।सभी धर्मों का सार यह है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए।वह लोग जो धर्म के नाम पर लड़ रहे हैं,आपको उनसे जाकर पूछना होगा, आपको उनसे पूछताछ करनी होगी, कि क्या आपके धर्म ने आपको स्वयं की पहचान कराई ?अगर सभी धर्मों ने एक बात कही है तो आपको यह सारे कार्य केवल स्वयं को Read More …

Guru Nanak Birthday (भारत)

Guru Nanak Puja Type: Puja Speech Language: Hindi Place: Noida  Date: 23rd November 1999 12.11 आज गुरु नानक साहब का जनम दिन है और सारे संसार में मनाया जा रहा है वैसे। और आश्चर्य की बात है कि इतना हिन्दुस्तान में मैंने नहीं देखा, फर्स्ट टाइम इतना पेपर में दिया है, सब कुछ किया है। और उन्होंने सिर्फ सहज की बात की है। सहज पे बोलते रहे और हमेशा कहा, कि साहब सब जो है बाहर के आडम्बर हैं।  धर्म के बारे में कहा, कि उपवास करना, तीर्थयात्रा करना और इधर जाना, उधर जाना, ये सब धर्म के आडम्बर हैं सब धर्म के।  और आपको सिर्फ अपने अन्दर जो है उसको खोजना है। अपने अन्दर जो है उसको स्थित करना है। बार-बार यही बात कहते रहे, उन्होंने कोई दुसरी बात कही ही नहीं। मतलब यहाँ तक है कि कोई भी रिच्युअल (ritual) की बात नहीं करी उसने।  पर उसके बाद जब तेग बहादूर जी आये तो उनका भी कहते हैं आज ही शहीदी दिन है, कल है, कल है। कल है उनका भी शहीदी दिन, तो वो भी उसी विचार के थे। पर जो लास्ट गुरु थे उनके, उन गुरु ने जो कि युद्ध हो रहा था इसलिये सब बनाया, कि आप कड़ा पहनिये, बाल रखिये, ये सब जो चीज़ें बनायीं, ये सब उन्होंने बनायी। पर गुरु नानक साहब ने तो सिर्फ स्पिरिट ( spirit )की बात करी। उन्होंने कहा कि बाकी सब चीजें बेकार हैं, बिल्कुल साफ़-साफ़ कहा है। कोई अब पढ़ता ही नहीं उसे अब करें क्या? वो Read More …

Guru Puja: A Guru Should Be Humble And Wise Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-07-20 गुरु पूजा प्रवचन: एक गुरु विनम्र और बुद्धिमान होना चाहिए, Cabella, डीपी-रॉ आज की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है हमारे लिए । आप सभी को अपना आत्म साक्षात्कार मिल गया है, आपके पास सारा ज्ञान है जो आवश्यक है दूसरों को आत्म साक्षात्कार देने के लिए । आपको जानना चाहिए  क्या है आपके पास पहले से, यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि आप स्वयं प्रयत्‍न नहीं करते हैं और यदि आप प्रयत्‍न नहीं करते हैं दूसरों को आत्म साक्षात्कार देने का, तो सबसे पहले आपको स्वयं पर विश्वास नहीं होगा, आपके पास कोई आत्म सम्मान भी नहीं होगा। दूसरा भाग यह है कि आप प्रयत्‍न करें अन्य व्यक्तियों को चैतन्य देने का परन्तु उस व्यक्ति के साथ  लिप्त ना हों। मैंने देखा है कुछ लोग बहुत अधिक लिप्त हो जाते हैं। यदि वे एक व्यक्ति को साक्षात्कार देते हैं तो उन्हें लगता है कि उन्होंने बहुत महान कार्य किया है और वे काम करना शुरू कर देते हैं उस व्यक्ति पर, उसके परिवार, उसके संबंधियों पर और ये सब । तो, अब तक जैसा कि आपने सीख लिया होगा, कि कोई  संबंधी हो सकता है, कोई एक व्यक्ति के अधिक समीप हो सकता है लेकिन आवश्यक  नहीं कि उसके पास अधिक मौका होगा आत्म साक्षात्कार का । एकमात्र तरीका उत्थान का सामूहिक होना है, कोई अन्य तरीका  नहीं है। अगर लोग सोचते हैं कि आश्रमों से दूर रहकर, अकेले, कहीं रहते हुए , वे कुछ अधिक प्राप्त  करेंगे, यह तरीका नहीं है सहज योग  का  । पहले लोग हिमालय जाते Read More …

Guru Puja: Gurus who belong to the collective Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, काबेला लंक (इटली), 04 जुलाई 1993. आज हम गुरु पूजा करने जा रहे हैं। वैसे मैं आपकी गुरु हूं। परंतु मुझे कभी-कभी लगता है कि एक गुरु की धारणा मुझसे अलग है। आम तौर पर, एक गुरु बहुत ही सख्त व्यक्ति होता है और किसी भी प्रकार का धैर्य नहीं रखता है। यहां तक ​​कि, उदाहरण के लिए संगीत: भारत में संगीत सिखाने वाले गुरु हैं; इसलिए, सभी नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाना चाहिए। मैं इन महान संगीतकार, रविशंकर के बारे में जानती हूं। हम मैहर गए थे जहां वह आए थे और उनके गुरु, अलाउद्दीन खान साहब मेरे पिता का बहुत सम्मान करते थे। तो, उन्होंने उनसे पूछा, “तुम कुछ क्यों नहीं बजाते?” तब उन्होंने उस समय उन्हें कुछ भी नहीं बताया। तब उन्होंने यहां एक बड़ी सूजन दिखायी। उन्होंने कहा, “सर, क्या आप इसे देख पा रहे हैं?” उन्होंने कहा, “क्या?” “मेरा अपना तानपुरा उन्होंने मेरे सिर पर तोड़ दिया, क्योंकि मैं सुर से थोड़ा बाहर था।” अन्यथा, वह बहुत अच्छे आदमी थे, मेरे विचार में; मैं अलाउद्दीन खान साहब को जानती थी  परंतु जब  यह सीखने की बात आयी, तो यह एक परंपरा है जो मुझे लगता है, कि आपको सभी प्रकार के नियमो को छात्रों के सामने रखना होगा, परंतु फिर भी छात्र गुरु से चिपके रहेंगे। वे हर समय देखभाल करते हैं। वे गुरु के लिए परेशान हैं, उन्हें यह चीज़ चाहिए, वह दौड़ेंगे, यदि वह ऐसा चाहते हैं, तो वह करेंगे। एक गुरु शिष्य की विभिन्न प्रकार से परीक्षाएँ Read More …

Guru Puja, Four Obstacles Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Guru Puja. Cabella Ligure (Italy), July 28th, 1991. आज आप सब यहाँ उपस्थित हैं, अपने गुरु की पूजा करने के लिए   Iयह एक प्रचलित प्रथा है, विशेष रूप से भारतवर्ष में, की आप अवश्य अपने गुरु की पूजा करें, और गुरु का भी अपने शिष्यों पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए I गुरु के सिद्धांत बहुत कठोर हैं और इस कठोरता के कIरण बहुत से लोग एक शिष्य के आदर्शों के अनुसार स्वयं तो नहीं ढाल सकेI  उन दिनों गुरु को, पूर्ण रूप से, आधिकारिक बनना पड़ता था। और वह गुरु ही थे जो निश्चय करते थे कि कौन उनके शिष्य होंगे। और उनको कठिन तपस्या में लीन होना पड़ता था, बड़ी तपस्या में, मात्र एक शिष्य बनने के लिए। और यह कष्ट ही एक माध्यम था जिससे गुरु आकलन करते थे। गुरु हमेशा जंगलों में रहा करते थे। और वे अपने शिष्यों का चयन किया करते थे- बहुत कम, बिलकुल, बिलकुल थोड़े से। और उनको जाना पड़ता था, और भिक्षा मांगने, भोजन के लिए, आसपास के गावों से, और भोजन पकाते थे, अपने गुरु के लिए, स्वयं अपने हाथों से, और गुरु को खिलाते थे।   इस प्रकार की गुरु-प्रणाली सहजयोग में नहीं है। यह मूल रूप से हमें समझना पड़ेगा – कि जो अंतर उन शैलीयों के गुरु-पद में, और जो अब हमारे यहाँ है, वह यह है, कि बहुत कम व्यक्तियों को गुरु बनने का अवसर दिया जाता था, बहुत कम।  और इन गिने-चुनों का चुनाव भी अनेकों लोगों में से होता था, और उन्हें लगता Read More …

Guru Puja: Creativity Lago di Braies (Italy)

                                                  गुरु पूजा लागो डी ब्रे (इटली), 23 जुलाई 1989। आज हमें उस अवस्था तक जिस में हम वास्तव में गुरु की पूजा कर सकते हैं पहुँचने के लिए सामान्य से थोड़ा अधिक समय व्यतीत करना पड़ा है। जब हम अपने गुरु की पूजा करते हैं, तो हमें यह जानना होता है कि वास्तव में हम अपने भीतर गुरु तत्व को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह केवल ऐसा नहीं है कि आप यहां अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। आप कई-कई बार पूजा कर सकते हैं, हो सकता है कि चैतन्य बहे, हो सकता है कि आप उससे भर जाएं और आप उत्थान महसूस करें, पोषित हों। लेकिन इस पोषण को हमें अपने भीतर बनाए रखना है, इसलिए हमेशा याद रखें कि जब भी आप बाहर किसी सिद्धांत की पूजा कर रहे होते हैं, तो आप उसी सिद्धांत की अपने ही भीतर पूजा करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हमारे भीतर गुरु का सिद्धांत निहित है। नाभि चक्र के चारों ओर खूबसूरती से रचे गुरु तत्व को देखना बहुत दिलचस्प है। हमें कभी भी गुरुतत्त्व से जुड़ा कोई चक्र दिखाई नहीं देता। आप नाभि को देखते हैं, और चारों ओर भवसागर है। तो यह भवसागर जो कि भ्रम का सागर है, गुरु नहीं हो सकता। तो हमारे भीतर इस भवसागर में छिपे हुए चक्र हैं, जिन्हें जगाना है और प्रकाश में लाना है, अभिव्यक्त करना है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस सिद्धांत की सीमाएं स्वाधिष्ठान चक्र की गति Read More …

Guru Puja: The Gravity of Guru Principle Camping Borda d'Ansalonga, Ansalonga (Andorra)

गुरु पूजा, गुरु सिद्धांत का महत्व अंसलॉन्गा, एंडोरा, 31 जुलाई, 1988 आज हम सब यहाँ आपके गुरु की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि गुरु तत्व भवसागर में स्थित है। यही वह सिद्धांत है जो आपको संतुलन देता है, जो आपको आकर्षण-शक्ति देता है। आपके गुरु तत्व के माध्यम से हमारी पृथ्वी माता में जो गुरुत्व है वह अभिव्यक्त होता है। गुरुत्वाकर्षण का पहला बिंदु यह है कि आपके पास एक व्यक्तित्व, एक चरित्र और एक ऐसा स्वभाव होना चाहिए कि लोग देखें कि आप एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सांसारिक चीजों में नहीं शामिल नहीं हो जाते। यह एक ऐसा व्यक्तित्व है जो जीवन के झमेलों से बर्बाद नहीं होता है। उसके अस्तित्व में  एक गुरु का व्यक्तित्व गहराई से बैठ जाता है और किसी भी लिप्त कर लेने वाली परिस्थिति में भी आसानी से विचलित नहीं होता है, उसमे आसक्त नहीं हो जाता।  गुरु का पहला सिद्धांत यही है- निर्लिप्तता। जैसा कि मैंने आपको बताया, यह कुछ ऐसा है जिसे किसी भी बात में लिप्त  नहीं जा सकता। यह किसी के व्यक्तित्व में बहुत गहराई तक बैठ जाता है। इसलिए यह पानी में तैरता नहीं है। अभी आप देखते हैं कि जो देश बहुत विकसित हैं, उनमें हम सोचते हैं कि हमारे पास व्यक्तिगत उपलब्धि की बहुत बड़ी शक्ति है, कि व्यक्तिगत रूप से हम बिल्कुल स्वतंत्र हैं और हम जो चाहें कर सकते हैं; और इसीलिए सामूहिकता की उपेक्षा करते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक देशों का लक्ष्य बन जाती Read More …

Guru Puja: Sankhya & Yoga Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

                                                     गुरु पूजा शुडी कैंप (यूके), 12 जुलाई 1987 आज, यह एक महान दिन है कि आप यहां विश्व के हृदय के दायरे में अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। अगर ऐसा हम हमारे हृदय में कर सकें तब, इसके अलावा हमें कुछ भी और करने की आवश्यकता नहीं होगी। आज, मुझे यह भी लगता है कि, मुझे आपको सहज योग और उसके मूल्य के बारे में बताना होगा, जो अन्य योगों से संबंधित है जो पूरे विश्व में पुराने दिनों में स्वीकार किए जाते थे। उन्होंने इसे कहा, एक, ‘योग’, ना कि सहज योग, ‘योग’। इसकी शुरुआत ‘अष्टांग ’के विभिन्न प्रकार के अभ्यासों से हुई है [संस्कृत / हिंदी का अर्थ है आठ चरण / भाग’] योगासन – आठ स्तरीय योग – एक गुरु के साथ। और एक साधक को बहुत कष्टों से गुजरना होता था । किसी भी विवाहित को उस अष्टांग योग में अनुमति नहीं दी गई थी, और उन्हें अपने परिवारों को छोड़ना पड़ा, अपने रिश्तों को छोड़ना पड़ा।  गुरु के पास जाने के लिए उन्हें बिलकुल बिना किसी लगाव वाला बनना पड़ा। उनका सारा सामान, उनकी सारी संपत्ति त्याग दी गई। लेकिन गुरु को नहीं दे दी गई जैसा कि आधुनिक समय में किया जा रहा है, बस त्याग दिया गया। और इसी को योग कहा गया। दूसरी शैली को सांख्य कहा जाता था। सांख्य है, जहां आपका सारा जीवन आपको निर्लिप्तता के साथ चीजों को इकट्ठा करना है, और फिर उन्हें पूरी तरह से वितरित कर के और एक गुरु के शरण में Read More …

Guru Puja (Austria)

Guru Puja आपका चित्त कहाँ है? यदि आप गुरू हैं तो फिर आपका चित्त कहाँ है? यदि आपका चित्त लोगों को व स्वयं को सुधारने और अपना पोषण करने पर है तो फिर आप सहजयोगी हैं। फिर आप गुरू कहलाने योग्य हैं। जो भी चीज जीवंत है वह गुरूत्वाकर्षण के विपरीत एक सीमा तक उठ सकती है …. ये सीमित है। जैसे कि हमने पेड़ों को देखा है… वे धरती माँ की गोद से बाहर आते हैं और ऊपर की ओर बढ़ते हैं लेकिन केवल एक सीमा तक ही। हर पेड़ … हरेक प्रकार के पेड़ की अपनी एक सीमा होती है। चिनार का पेड़ चिनार का ही रहेगा और गुलाब का पेड़ गुलाब ही रहेगा। इसका नियंत्रण गुरूत्वाकर्षण बल द्वारा किया जाता है। लेकिन एक चीज ऐसी है जो गुरूत्व बल के विपरीत दिशा में उठती है…. जिसकी कोई सीमायें नहीं हैं …. और ये है आपकी कुंडलिनी माँ। जब तक आप कुंडलिनी को नियंत्रित नहीं करना चाहते हैं तब तक इसे गुरूत्व बल से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसको कोई चीज नियंत्रित नहीं कर सकती है लेकिन आप और केवल आप इसे नियंत्रित कर सकते हैं। अतः जब आप अपनी कुंडलिनी के इंचार्ज बन गये तो आपने एक कदम आगे रख लिया है कि आपने उस बल पर विजय प्राप्त कर ली है जिसको गुरूत्व बल कहते हैं। शायद सहजयोगी लोग नहीं जानते हैं कि उनको क्या प्राप्त हुआ है। आदि गुरू और गुरू के बीच केवल एक ही अंतर है और वो है सद्गुरू। मैं Read More …

Guru Puja: You Have To Respect Your Guru Château de Chamarande, Chamarande (France)

गुरु पूजापेरिस (फ्रांस), 29 जून 1985। (पूजा की शुरुआत में गेविन ब्राउन ने अंग्रेजी में श्री गणेश की प्रार्थना पढ़कर सुनायी) मुझे विश्वास है कि आप सब इन चीज़ों को कहते हैं, और आप इसे सुनते हैं, और आप इसे अपने दिल से कहते हैं। केवल परमात्मा से जुड़े हुए लोग ही श्री गणेश की पूजा कर सकते हैं। और श्री गणेश आपकी माता की पूजा करते हैं। सबसे पहले, किसी भी व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि एक माँ और एक गुरु का संयोजन है। चुंकि कार्य सम्पन्न करने के उद्देश्य के प्रति गुरु बहुत कठोर होते हैं। वह किसी भी स्वतंत्रता को लेने की अनुमति नहीं देते हैं, और माँ बहुत दयालु हैं। अच्छा, आप में माँ के लिए भावनाएँ भी नहीं हैं, है ना? क्या यह सब एक जुमला है, जिसे आप सुनते हैं, आपके दिमाग में चला जाता है और आपको लगता है कि आप आत्मसमर्पण करने वाले सहज योगी बन गए हैं? वैसे ही जैसे कि,सभी इस्लामी लोग मानते हैं कि उन्होंने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, जैसे ईसाई मानते हैं कि उन्होंने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह सिर्फ एक जुमला है कि तुम यह हो, तुम वह हो। आप कैसे जानते हैं कि जो कहा गया है वह सच है? क्या तुमने मेरे हाथों में सूर्य नहीं देखा है? आपको और क्या सबूत चाहिए? जो कोई आपको गुमराह करता है वह निस्संदेह पापी है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन ऐसे व्यक्ति के जाल में पड़ना क्या है! यदि Read More …

Guru Puja: The State of Guru Grand Hotel Leysin (Leysin American Schools), Leysin (Switzerland)

                          गुरु पूजा  लेसिन (स्विट्जरलैंड), 14 जुलाई 1984। मैं दुनिया के सभी सहज योगियों को नमन करती हूं। आप सब को बड़ी संख्या में यहां गुरु पूजा करने के लिए इकट्ठा होते देखना बहुत खुशी की बात है। व्यक्तिगत रूप से अपने गुरु की पूजा करना सर्वोच्च आशीर्वाद माना जाता है। लेकिन मेरे मामले में यह बहुत अलग संयोजन है कि मैं आपकी माता और आपका गुरु हूं। तो आप समझ सकते हैं कि कैसे श्री गणेश ने अपनी माता की आराधना की थी। आप सभी श्री गणेश जैसी ही छवि में बने हैं जिन्होंने अपनी माँ की पूजा की और फिर वे आदि गुरु, पहले गुरु बने। वह गुरुत्व का मौलिक सार है। मां ही बच्चे को गुरु बना सकती है। और किसी भी गुरु में केवल मातृत्व ही  – चाहे वह पुरुष हो या महिला – शिष्य को गुरु बना सकता है। तो पहले आपको पैगम्बर बनना होगा और उस मातृत्व को अपने अंदर विकसित करना होगा, फिर आप दूसरों को भी पैगम्बर बना सकते हैं। अब  बोध के बाद, गुरु बनने के लिए हमें क्या करना होगा? गुरु शब्द का अर्थ है गुरुत्वाकर्षण। गुरुत्वाकर्षण का अर्थ है एक व्यक्ति जो गंभीर है, जो गहरा है, जो चुंबकीय है। अब जैसा कि आपने सहज योग में सीखा है कि बोध पूर्ण अनायास में होता है। तो आमतौर पर एक गुरु अपने शिष्यों को प्रयासहीन बनाने की कोशिश करता है, जिसे प्रयत्न शैथिल्य  कहा जाता है – जिसका अर्थ है ‘अपने प्रयासों को आराम दें’। बिना कुछ किए आपको अपनी Read More …

Guru Puja: this finger has to be strong (United States)

गुरु पूजा, ह्यूस्टन, यू.एस.ए, २० सितंबर १९८३  तो, आज हम सबसे पहले गणेश पूजा करेंगे, क्योंकि गणेश अबोधिता हैं और हमें उन्हें किसी भी ऐसे स्थान पर स्थापित करना चाहिये, जहाँ हम कोई कार्य आरंभ करना चाहते हैं या इसके विषय में कुछ करना चाहते हैं । क्योंकि वे अबोधिता हैं और अन्य कुछ और सृजित होने से पूर्व अबोधिता का सृजन हुआ था। मुझे कहना चाहिए कि यह सबसे प्रबल शक्ति है: अबोधिता।  और तब हम गुरु पूजा करेंगे, जो वास्तव में आदि गुरु हैं, ‘प्राइमोर्डीयल मास्टर’ (आदिकालीन गुरु), जिन्होंने इस पृथ्वी पर अनेकों बार अवतरण लिया । और जैसा कि आप जानते हैं, दत्तात्रेय के रूप में उनका जन्म हुआ, फिर जनक, नानक व अन्य अनेक रूपों में उनका जन्म हुआ। वह सिद्धांत हमारे अंदर है और यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हमें गुरु नानक या जनक या इनमें से किसी भी आदि गुरु के सिद्धांत को अपने अंदर विकसित करना चाहिए। क्योंकि यदि आत्मा गुरु है तो हमें स्वयं का गुरु बनना होगा। और गुरुओं की शक्ति यह है कि वे अबोधिता के मूलतत्व हैं – सृजनकर्ता की, पालनकर्ता की, तथा संहारक की । वे इन सभी की अबोधिता हैं। उनमें से, इस महान व्यक्तित्व – इन तीन व्यक्तित्वों की अबोधिता से – इस महान अवतरण का निर्माण हुआ। और उनकी अबोधिता, वस्तुओं के प्रति उनकी निर्लिप्तता से प्रकट होती है। वे सब जगह अन्य मनुष्यों के समान रहते हैं: विवाहित, परिवारों में रहने वाले, किंतु पूर्णतः निर्लिप्त। जब तक आप में यह सिद्धांत जागृत नहीं होता, Read More …

Guru Puja: Awakening the Principle of Guru Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

गुरु पूजा                              “गुरु के सिद्धांत को जागृत करना” लॉजहिल (यूके), 24 जुलाई 1983 आज आप सभी यहाँ गुरु पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आपकी गुरु, पहले एक माँ है और फिर एक गुरु है और इस बात ने मेरी बड़ी मदद की है। हमने पहले भी कई गुरु पूजन किए हैं, ज्यादातर इंग्लैंड में। और आपको आश्चर्य होना चाहिए कि माँ हमेशा किसी भी तरह गुरु पूजा लंदन में क्यों कर रही हैं। समय चक्र हमेशा इस तरह से चलता है कि, गुरु पूजा के दिनों में, मैं यहां हूं, उस दौरान मुझे लंदन में रहना होगा। इतने सालों से हम इंग्लैंड में गुरु पूजा कर रहे हैं। यदि सभी चीजें ऋतुमभरा प्रज्ञा से होती हैं तो निश्चित ही कोई कारण है की माँ यहाँ गुरु पूजा के लिए इंग्लैंड में है। पुराणों में कहा गया है कि आदि गुरु दत्तात्रेय ने तमसा नदी के किनारे माता की आराधना की थी। तमसा वही है जो आपके थेम्स के रूप में है और वह स्वयं यहां आकर आराधना करते है। और ड्र्यूड्स,( जिसमे की स्टोनहेंज वगैरह की अभिव्यक्ति थी), उस प्राचीन समय से शिव के आत्मा रूपी इस महान देश में उत्पन्न हुआ है। इसलिए आत्मा यहाँ उसी प्रकार बसी हुई है जैसे की मनुष्यों के हृदय में रहती है और सहस्रार हिमालय में है जहाँ कैलाश पर सदाशिव विद्यमान हैं। हमारे यहाँ इतने गुरु पूजन होने का यह महान रहस्य है। इसे संपन्न करने Read More …

Guru Purnima Chelsham Road Ashram, London (England)

आपको समझना होगा कि स्वयं से इस भौतिकता के लबादे को हटाने के लिये आपको अपने ऊपर कार्य करना होगा। और एक बार जब आपने इसे नियिंत्रत कर लिया तो कम से कम ….. अब आप कहीं भी सो सकते हैं अगर नहीं तो कुछ समय तक जमीन पर सोने का प्रयास करें। सन-टैनिंग के लिये आप क्या नहीं करते हैं … लोग इन बेवकूफियों के लिये स्वयं को रोक ही नहीं सकते हैं क्योंकि इन विचारों को आपके अंदर डाला गया है। इन विचारों को डालने वालों ने आपको शोषण किया है … आपको ये करना चाहिये … वो करना चाहिये… ये करना आवश्यक है … वो करना आवश्यक है। उन्हें तो बस अपने उत्पादों को बेचना है। कभी-कभी उपवास करने का प्रयास करें। मैंने भारतीयों को उपवास करने से मना किया है क्योंकि वे उपवास ही करते रहते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिये वे उपवास करते हैं। भारत में अन्न की कमी है … इसलिये वे उपवास करते हैं। उनको उपवास करने की क्या जरूरत है? लेकिन यहाँ के लोगों के लिये ये आवश्यक है कि वे उपवास करना सीखें और भोजन की ओर ज्यादा ध्यान न दें। भोजन के प्रति आकर्षण का अर्थ है कि आपकी इंद्रियां आपको पागल बना रही हैं…. हैं कि नहीं? हमको सबसे पहले अपने शरीर और बाद में इंद्रियों पर आक्रमण करना चाहिये। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हमारी जीभ है। ये दो प्रकार से कार्य करती है। एक तो स्वाद … खाने का स्वाद और दूसरे ये कड़वे बोलों से दूसरों पर Read More …

Guru Puja, The Statutes of the Lord Temple of All Faiths, Hampstead (England)

” परमात्मा द्वारा निर्देशित धर्म “, गुरु पूर्णिमा ,लंदन २७ जुलाई १९८०        आज आपने अपने गुरु की पूजा का आयोजन किया है जो आपकी माँ है। शायद आप बहुत ही अद्भुत लोग हैं जिनकी गुरु एक माँ हैं। यह पूजा क्यों आयोजित की गयी है? आपको यह जानना होगा कि यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि प्रत्येक शिष्य गुरु की पूजा करे, लेकिन गुरु को एक वास्तविक गुरु होना चाहिए, न कि वह जो केवल शिष्यों का शोषण कर रहा है और जो परमात्मा द्वारा अधिकृत नहीं है।        इस पूजा का आयोजन इसलिए किया गया है क्योंकि आप लोगों को परमात्मा द्वारा निर्देशित धर्म की स्थापना के लिए चुना गया है। आपको बताया गया है कि मानव के क्या धर्म हैं। वैसे इसके लिए आपको एक गुरु की आवश्यकता नहीं है। आप किसी भी पुस्तक को पढ़कर जान सकते हैं कि परमात्मा द्वारा निर्देशित धर्म क्या हैं। परंतु गुरु को यह देखना चाहिए कि आप इनका पालन करें।  इन धर्मों का पालन करना होगा, अपने जीवन में उतारना होगा, जो एक कठिन चीज़ है और बिना गुरु के, सुधारक शक्ति के, इन धर्मों का पालन करना बहुत कठिन है क्योंकि मानव चेतना और परमात्मा की चेतना में एक अंतर है, बहुत बड़ा अंतर। और इस अंतर की पूर्ति एक गुरु ही कर सकते हैं जो स्वयं संपूर्ण है। आज पूर्णिमा का दिन है। “पूर्णिमा” का अर्थ है पूर्ण चंद्रमा। गुरु को एक संपूर्ण व्यक्तित्व होना चाहिए; इन धर्मों के विषय में बात करने के लिए और अपने शिष्यों को समझ के Read More …

Guru Puja: The Declaration London (England)

(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्रीमाताजी की उद्घोषणा, डॉलिस हिल आश्रम लंदन, इंग्लैंड, 2 दिसम्बर 1979।) आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत समय पहले … जब ईसा नन्हे बालक थे तो उन्होंने उस समय के अनेकों लोगों को बताया कि वह एक अवतरण हैं … जो मानवता का रक्षा हेतु आये हैं। उस समय के लोगों का विश्वास था कि उनकी रक्षा हेतु कोई आने वाला है। बहुत समय पहले एक रविवार को उन्होंने उद्घोषणा की कि वही मानव मात्र की रक्षा के लिये आये हैं। इसी कारण आज … अवतरण रविवार (Advent Sunday) है। उनको बहुत कम समय तक जीवित रहना था। अतः बहुत ही कम उम्र में उन्हें उद्घोषणा करनी पड़ी कि वह एक अवतरण थे। यह देखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किसी भी अन्य अवतरण ने सार्वजनिक रूप से ये बात कभी नहीं कही कि वे अवतरण हैं। श्रीराम तो भूल ही गये थे कि वह एक अवतरण थे। एक तरह से उन्होंने स्वयं को ही भुला दिया था …. उन्होंने अपनी माया से स्वयं को पूर्णतया एक साधारण मानव बना लिया था — मर्यादापुरूषोत्तम। श्री कृष्ण ने भी केवल एक ही व्यक्ति … अर्जुन को युद्ध प्रारंभ होने से पहले यह बात बताई। अब्राहम ने भी कभी नहीं कहा कि वह एक अवतरण हैं जबकि वह आदि गुरू दत्तात्रेय के साक्षात् अवतरण थे। दत्तात्रेयजी ने भी स्वयं कभी नहीं बताया कि वह आदि गुरू के अवतरण हैं। ये तीनों धरती पर आकर लोगों का मार्ग दर्शन करने के लिये आये। मोजेज या मूसा ने Read More …

Guru Puja: Gravity Point London (England)

                                                      गुरु पूजा  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन (यूके)  8 जुलाई 1979 आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। यह पूर्ण चंद्रमा का दिन है, इसलिए इसे पूर्णिमा कहा जाता है। गुरु को पूर्ण चंद्रमा की तरह होना चाहिए: इसका मतलब है पूरी तरह से विकसित, पूरी तरह परिपक्व। चंद्रमा की सोलह कला या चरण होते हैं, और जब पूर्ण पूर्णिमा आती है, पूर्णिमा के दिन, सभी सोलह कलाएं पूरी हो जाती हैं। आप यह भी जानते हैं कि विशुद्धि चक्र में सोलह उप चक्र होते हैं। जब कृष्ण को विराट के रूप में वर्णित किया जाता है, तो उन्हें सम्पूर्ण कहा जाता है: विष्णु के स्वरूप का पूर्ण अवतार। क्योंकि उन्हें सोलह चरण पूरी तरह से प्राप्त हैं। इसलिए आज की संख्या सोलह है। छह प्लस एक सात है। अब हमें गुरु के महत्व को समझना होगा। जब हमारे पास ईश्वर हैं तो हमें गुरु क्यों चाहिए? हमें शक्ति मिली है, फिर हमें गुरु क्यों चाहिए? गुरु रखने की क्या जरूरत है? ‘गुरु’ का अर्थ होता है वजन, भार। हम अपना वजन धरती माता के गुरुत्वाकर्षण के चुंबकीय बल से प्राप्त करते हैं। तो गुरु का अर्थ है गुरुत्वाकर्षण, किसी व्यक्ति में गुरुत्वाकर्षण। हमें गुरु की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि ईश्वर को जानना आसान है, विशेष रूप से सहज योग में, उसके साथ एकाकार होना। जैसे ही आप सहज योग, आधुनिक सहज योग में अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं, तुरंत ही आप अन्य लोगों को आत्मसाक्षात्कार देने के हकदार बन जाते हैं। यह कहा जाता था कि गुरु वह व्यक्ति है जो Read More …

Guru Puja: Your own dignity and gravity Finchley Ashram, London (England)

                               गुरु पूजा, “आपका गुरुत्व एवं  गरिमा “  फिंचली आश्रम, लंदन (यूके), 21 जुलाई 1978 … अपने गुरु की पूजा, अपनी माता की नहीं, अपने गुरु की। गुरु शिष्यों में धर्म, निर्वाह स्थापित करता है। वह पोषक शक्ति क्या है, शिष्यों को इसके बारे में सभी स्पष्ट विचार देता है। वह पूरी दुनिया को उपदेश कर सकता है लेकिन अपने शिष्यों के लिए, वह बहुत स्पष्ट निर्देश देता है। अधिकांश गुरु, जब वे ऐसा करते हैं, तो वे वास्तव में हर शिष्य को तराशते हैं। पहले वे तौलते हैं कि शिष्य का आग्रह कितना है, शिष्य वास्तव में कितना ग्रहण कर सकता है, और फिर वे किसी को शिष्य के रूप में स्वीकार करते हैं कि यदि  शिष्य वास्तव में धर्म के बारे में निर्देश प्राप्त करने योग्य भी है। लेकिन सहज योग में नहीं क्योंकि आपकी गुरु एक माँ है। इसलिए वह आपका शिक्षारम्भ आपकी क्षमता,ग्रहण योग्यता,और आपके व्यक्तित्व के गुण जाने बिना करती है। यह गुरु की एक बहुत ही भिन्न शैली है जो की आप को प्राप्त है जिसमे आपके शरीर की, आपके मन की ,और आपकी समस्याओं की देखभाल करता है और फिर कुंडलिनी जागरण का आशीर्वाद देता है। लेकिन आम तौर पर गुरु ऐसा नहीं करते हैं। कारण है: वे केवल गुरु हैं, माँ नहीं। जब आप गुरु पूजा करते हैं, तो आप वास्तव में क्या करते हैं? आपको यह समझना चाहिए। इसका मतलब है कि मेरी पूजा के माध्यम से आप अपने अंदर स्थित गुरु के सिद्धांत की पूजा करते हैं। सिद्धांत तुम्हारे भीतर है: Read More …

Guru Puja: “The promises you have to make” London (England)

                          गुरु पूजा, “जो वादा आप को करना है” आज आप के गुरु की पूजा का दिन है : जो की आपकी माता है। और जैसा कि मैंने आपको बताया, यह एक बहुत ही अनोखी घटना है कि स्वयं माता, को आपका गुरु बनना पड़ा है। और आप यह भी जानते हैं कि एक माँ के लिए एक गुरु होना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि उसका प्यार इतना अति-बहता है कि उसके लिए अपने बच्चों को कोई भी अनुशासन देना मुश्किल है। वह अपने प्यार को अनुशासित नहीं कर सकती, वह अपने बच्चों को कैसे अनुशासित कर सकती है? ऐसा होने के नाते, शिष्यों पर जिम्मेदारी बहुत अधिक है। यदि गुरु एक ऐसा व्यक्ति है जो आपके किसी दर्द को अहसास किए बिना आपको अनुशासित कर सकता है, तो वह बहुत अधिक सक्षम है, और वह ऐसा कर सकता है। लेकिन एक माँ के लिए यह बहुत, बहुत, बहुत मुश्किल है, मैं कहूँगी, गुरु बनना बहुत मुश्किल काम है। वह नहीं जानती कि कैसे संतुलन बनाना है, और वह बेहद क्षमाशील है क्योंकि वह एक माँ है। जबकि गुरु, शुरू से ही क्षमा नहीं करता है। लेकिन माँ, अंत तक, वह आखिरी छोर तक जाएगी। यहां तक ​​कि अगर बच्चे ने उसे छोड़ दिया है, भले ही उसने उसे पीटा हो, भले ही वह उसे वध करने के लिए तैयार हो, फिर भी वह कह रही होगी कि, “मेरे बच्चे आपको चोट तो नहीं आयी है?” तब शिष्यों की ज़िम्मेदारी बहुत अधिक होती है, यह सुनिश्चित करने की कि, वे उसे Read More …

Guru Purnima, Sahaja Yoga a New Discovery मुंबई (भारत)

Guru Purnima Puja. Mumbay (India), 1 June 1972. Transcript Scanned from Hindi Chaytanya Lahari वास्तविक जो चीज स्थित है, जो है ही उसका अविष्कार कैसे होता है? जैसे कि कोलम्बस हिन्दुस्तान खोजने के लिए चल पड़ा था तब क्या हिन्दुस्तान नहीं था? यदि नहीं होता तो खोज किस चीज की कर रहा था। सहजयोग तो है ही पहले ही से है। इसका पता सिर्फ अभी लगा है। सहजयोग, ये परम तत्व का अपना तरीका है। यह एक ही मार्ग है, मानव जाति को उत्क्रान्ति (Evolution) के उस आयाम में उस (Dimension) में पहुँचाने का एक तरीका है, एक व्यवस्था है, जिससे मानव उच्च चेतना से परिचित हो जाए. उस चेतना से आत्मसात हो जाए जिसके सहारे ये सारा संसार, सारी सृष्टि और मानव का हृदय भी चल रहा है। बहुत कुछ इसके बारे में लिखा गया है, पुरातन कालों से ही खोज होती रही, मनुष्य खोज कुछ रहा ही है हर समय, चाहे वो पैसे में खोज ले, चाहे वो सत्ता में खोज ले चाहे वो प्रेम में खोज ले, वो किसी न किसी खोज की ओर दौड़ रहा है। लेकिन उस खोज के पीछे में कौन सी • प्यास है वो शायद वो जानता नहीं। इसके पीछे में सिर्फ आनन्द की खोज है, आनन्द की खोज में वो सोचता है कि बहुत सी गर सम्पत्ति इकट्ठा कर ले तो उस आनन्द में लय हो सकता है। लेकिन ऐसे भी देश अनेक हैं जिन्होंने सम्पत्ति में बहुत कुछ प्रगति कर ली, बहुत कुछ पा लिया है और अत्यन्त दुखी हैं। Read More …