Makar Sankranti Puja House in Pratishthan, पुणे (भारत)

Hindi Talk आज का दिन पृथ्वी के उत्तर भाग में महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य दक्षिण से उत्तर में आता है। इसलिये नहीं कि ये हम कर रहे हैं। हर साल एक ही तारीख जो कि सूर्य के ऊपर कार्य हम करते हैं,  तो हम लोग उसको क्यों इतना मानते हैं? क्या विशेष बात है कि सूर्य अगर उत्तर में आ गया, तो हम लोगों को उसमें इतनी खुशी क्यों? बात ये है कि सूर्य से ही हमारे सब कार्य जो हैं प्रणीत होते हैं। अँधेरे में, रात्रि में हम लोग निद्रावस्था में रहते हैं। लेकिन जब सूर्य उदित होता है, तो उसके बाद ही हमारे सारे कार्य चलते हैं। इसलिये इस कार्य को प्रभावित करने वाली जो चीज़ है वो है सूर्य। और वो क्योंकि हमारे कक्ष में आ जाती है, तो हम इसको बहुत मान्य करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि बाकी सारे त्यौहार चंद्रमा पर आधारित होते हैं और सिर्फ यही एक त्यौहार ऐसा है, कि जो हम सूर्य के आधार पे  करते हैं। ऐसे हमारे यहाँ सूर्यनारायण की भी बहुत महती है और लोग सूर्यनारायण को मानते हुये गंगाजी पर जा कर नहाते हैंऔर अनेक तरह के अनुष्ठान करते हैं। पर सब से महत्त्वपूर्ण है यही एक दिन है। अब हम लोगों को ये तय करना पड़ता है, कि इस दिन क्या करना चाहिये? इस विशेष दिन को क्या कार्य करना चाहिये? सूर्य का नमस्कार हो गया, सूर्य को अर्घ्य दे दिया और सूर्य के प्रति अपनी कृतज्ञता हम लोगों ने संबोधित की। Read More …

Makar Sankranti Puja पुणे (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 2001 Date: Place India Type Puja [Hindi translation from Marathi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] अत्याधिक कर्मकाण्ड करने वाले लोग जल्दी से परिवर्तित नहीं होते हमें अपने कि तप करो, उपयास करो पति-पत्नी का स्वभाव परिवर्तित करने चाहिए। उत्तर भारत में कर्मकाण्ड इतने अधिक नहीं हैं। वे लोग तपस्या से कहीं श्रेष्ठ है। भक्ति आनन्द का गंगा में स्नान करते है परन्तु अब उनमें बहुत स्रोत है। सहजयोग अपनाने वाले लोगों को बदलाव आया है बहुत से सुशिक्षित लोग न कोई तपस्या करनी है न कुछ त्यागना है। सहजयोग में आए हैं और उन्हें देखकर आश्चर्य जहाँ हैं वहीं पर सब कुछ पाना है। होता है । महाराष्ट्र के लोगों को यदि कहा जाए त्याग करो तो वे ये सब करेंगे। परन्तु भक्ति आत्मसाक्षात्कार अन्य लोगों को भी देना चाहिए नहीं तो आत्मसाक्षात्कार का क्या लाभ है? महाराष्ट्र में बहुत से साधु संत हुए जिन्होंने तपस्वी लोग देना नहीं जानते। अपनी भक्ति बहुत परिश्रम किया परन्तु उसका कोई उपयोग नहीं हुआ। सारा जीवन कर्मकाण्ड में चला गया। परन्तु अब परिवर्तन होना चाहिए और हम सबको जागृत होना चाहिए। होता। केवल हृदय से प्रार्थना करनी होती है भोर हो गई है, अब सोने का क्या अर्थ है? से आप सबकुछ दे सकते हैं। भक्ति में भी कुछ छोड़ना त्यागना नहीं कि. “मैं अपना पूरा जीवन सहजयोग के लिए समर्पित करता हूँ ।” न कुछ छोड़ना है महाराष्ट्र की स्थिति देखकर बहुत दुख न तपस्या करनी है। आपमें इतनी भक्ति होता है। यहाँ पर लोग इतना Read More …

Makar Sankranti Puja पुणे (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 1996 Date: Place Pune Type Puja Speech Language Hindi, English and Marathi आज हम लोग यहाँ संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करने के लिये एकत्रित हुए है। अपने देश में सूर्य की पूजा बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं और सूर्य को अर्ध्य देना एक प्रथा जरूरी समझी जाती है और विदेशों में भी सूर्य का बड़ा महत्त्व है। उनके ज्योतिष शास्त्र आदि सब सूर्य पर ही निर्भर है । अब संक्रांत में ये होता है, कि चौदह तारीख को, आज सूर्य अपनी कक्षा छोड़ के उत्तर दिशा में आता है और इसलिये लोग संक्रांत को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन इस पृथ्वी गति से पहले २२ दिसंबर से १४ तारीख तक बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। बहुत ही ज्यादा लोगों को तकलीफ़े होती हैं। जुकाम होता है और हर तरह की शारीरिक पीड़ा भी होती है। उसके बाद उसको संक्रमण काल कहते हैं। जरूरत से ज्यादा ठंडक हो जाता है। उस ठंड के कारण अनेक उपद्रव शुरू हो जाते हैं। पर इस ठंड का भी एक उपयोग होता है। वो ये कि जो किटाणू या तरह तरह की चीज़ें अपने देश में इधर-उधर घूम कर और सब को परेशान करते हैं, वो इस ठंड की वजह से अपनी अपनी जगह चले जाते हैं, बहुत से नष्ट हो जाते हैं। बहुत से लोग मर जाते हैं। मतलब ये कि जिसे हम कह सकते हैं, कि जो सारे हमारे ऊपर पॅरासाइट्स है वो सब खत्म हो जाते हैं। तो ये भी अत्यावश्यक चीज़ हैं, कि हमारे Read More …

Makar Sankranti Puja (भारत)

Shri Surya puja. Kalwe (India), 14 January 1990. [Hindi Transcript] 1990-0114 मकर सक्रांति पूजा, कलवे,  आज के इस शुभ अवसर पे, इस भारतवर्ष में, हर जगह खुशियां मनाई जा रही हैं। इसका कारण यह है कि, सूर्य, जो हमें छोड़ कर के, भारत को छोड़कर और मकर वृत्त पे गया था, वह अब लौट के आया है। और पृथ्वी और सूर्य के युति के साथ, जो जो वनस्पतियां खाद्यान्न आदि चीजें होती हैं, वह सब होने का अब समय आ गया है। और जो पेड़ सर्दी में पुरे पत्तों से दूर हो गए थे, पूरी तरह से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मर गए हैं, वह सारे पेड़ फिर से जागृत हो गए। फिर से हरियाली आने लग गई और इसलिए इस समय का जो विशेष है कि पृथ्वी फिर से हरी भरी हो जाएगी सारे और फिर से कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे और विशेषकर उत्तर हिंदुस्तान में जहां ठंड बहुत ज़ोर से की पड़ती है, वहां तो इसका विशेष रूप से उत्सव माना जाता है। सूर्य का आगमन हुआ और सूर्य के कारण जो भी हमारे कार्य हैं वह अब पूरी तरह से होने वाले हैं इसलिए आज की बड़ी शुभेच्छा, हम यहाँ के सब लोगों को  कहते हैं और सोचते हैं कि आज के इस शुभ अवसर पर आप सब लोगों से यहां मिलना हुआ यह भी एक बड़ी आनंद की बात है। जैसे सूर्य का आना हम लोग बहुत ऊंचा मानते हैं, उससे भी कहीं अधिक सहज योग का सूर्य इस पृथ्वी पर आना महत्वपूर्ण Read More …

Makar Sankranti Puja (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 1987 Date: Place Rahuri Type Puja [Hindi translation from Marathi talk] आज का दिन बहुत शुभ है और इस दिन हम लोगों को तिल-गुड़ देकर मीठा-मीठा बोलने को कहते हैं। हम दूसरों को तो कह देते हैं, पर खुद को भी कहें तो अच्छा होगा। क्योंकि दूसरों को कहना बहुत आसान होता है। यह प्रतीत होता है कि – आप तो मीठा बोलें और हम कड़वा – इस तरह की प्रवृत्ति से कोई भी मीठा नहीं बोलता। कहीं भी जाओ , वहाँ चिल्लाने का कोई कारण न होने पर भी, चिल्लाने के अलावा लोगों को बात करना आता ही नहीं है। उसका कारण यह है कि हमने खुद के बारे में कुछ कल्पना की हुई है। हमें परमात्मा के आशीर्वाद की तनिक भी कल्पना नहीं है। इस देश में परमात्मा ने हमें कितना बडा आशीर्वाद दिया है। देखो, इस देश में स्वच्छता का कोई विचार ही नहीं है। इस देश में तरह-तरह के कीटाणु, तरह पैरासाइटस् अपने देश में हैं। जो कही भी नहीं मिलेगा वह अपने देश में हैं। दूसरे देशों में यहाँ के कुछ पैरासाइटस् जाएं तो वे मर जाते हैं। वहाँ की ठंड में वो रह ही नहीं सकते। सूर्य की कृपा से इतने पैरासाइटस् इस देश में है और उनको मात देकर हम कैसे जिंदा हैं । एक वैज्ञानिक ने मुझसे पूछा कि, ‘अपने इंडिया में लोग जीवित कैसे रहते हैं? मैंने कहा, जीवित ही नहीं रहते, हँसते- खेलते भी रहते हैं, आनंद में रहते हैं, सुख में रहते हैं । Read More …

Makar Sankranti Puja मुंबई (भारत)

Makar Sankranti Puja Date 14th January 1985: Place Mumbai Type Puja [Hindi translation from English talk] अब आपको कहना है, कि इतने लोग हमारे यहाँ मेहमान आए हैं और आप सबने उन्हें इतने प्यार से बुलाया, उनकी अच्छी व्यवस्था की, उसके लिए किसी ने भी मुझे कुछ दिखाया नहीं कि हमें बहुत परिश्रम करना पड़ा, हमें कष्ट हुए और मुंबईवालों ने विशेषतया बहुत ही मेहनत की है। उसके लिए आप सबकी तरफ से व इन सब की तरफ से मुझे कहना होगा कि मुंबईवालों ने प्रशंसनीय कार्य किया है । अब जो इन से (विदेशियों से) अंग्रेजी में कहा वही आपको कहती हूं। आज के दिन हम लोग तिल गुड़ देते हैं। क्योंकि सूर्य से जो कष्ट होते हैं वे हमें न हों। सबसे पहला कष्ट यह है कि सूर्य आने पर मनुष्य चिड़चिड़ा होता है। एक-दूसरे को उलटा -सीधा बोलता है। उसमें अहंकार बढ़ता है। सूर्य के निकट सम्पर्क में रहने वाले लोगों में बहुत अहंकार होता है। इसलिए ऐसे लोगों को एक बात याद रखनी चाहिए, उनके लिए ये मन्त्र है कि गुड़ जैसा बोलें गुड़ खाने से अन्दर गरमी आती है, और तुरन्त लगते हैं चिल्लाने। अरे, अभी तो (मीठा-मीठा बोलो)। तिल तिल-गुड़ खाया, तो अभी तो कम से कम मीठा बोलो। ये भी नहीं होता। तिल-गुड़ दिया और लगे चिल्लाने। काहे का ये तिल-गुड़? फेंको इसे उधर! तो आज के दिन आप तय कर लीजिए। ये बहुत बड़ा सुसंयोग है कि श्री माताजी आई हैं। उन्होंने हमें कितना भी कहा तो भी हमारे दिमाग में वह Read More …

Makar Sankranti Puja: The Internal Revolution मुंबई (भारत)

                    मकर संक्रांति पूजा, आंतरिक क्रांति  मुंबई (भारत), 14 जनवरी, 1984 मैं योग के इस महान देश में विदेश से आए सभी सहजयोगियों का स्वागत करती हूं। यह मुझे बहुत खुशी देता है; आज इस विशेष अवसर को मनाने के लिए दुनिया भर से, देश भर से आने वाले सहज योगियों को देख कर मेरे पास व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। आज का दिन इतना शुभ है कि आप सब को यहां होना ही है; क्योंकि आप चुने हुए हैं, वे सैनिक जो इस पृथ्वी पर सत्य युग की स्थापना तक लड़ने वाले हैं। क्रांति का दिन है। “संक्रांत” का अर्थ है: “सं” का अर्थ है, आप जानते हैं, शुभ, “क्रांत” का अर्थ है क्रांति। आज पवित्र क्रांति का दिन है। मैंने आपको विद्रोह के बारे में बताया है कि विद्रोह में हम जड़ता के परिणामस्वरूप एक पेंडुलम की तरह एक छोर से दूसरे छोर तक जाते हैं। लेकिन उत्थान के माध्यम से, जब हम एक उच्च अवस्था प्राप्त करते हैं, तो यह तभी संभव है जब एक क्रांति हो और क्रांति सर्पिल रूप से होती है। उच्च स्थान पर पहुँचने के लिए गतिशीलता को सर्पिल होना चाहिए। तो, यह क्रांति है जो पवित्र क्रांति है। हम अब तक कई क्रांतियों के बारे में जान चुके हैं; हमारे देश में क्रांति हुई है। अन्य पश्चिमी देशों में भी हमने राजनीतिक आधार पर, विषमताओं के आधार पर क्रांति की है। क्रान्ति के द्वारा और भी बहुत सी बातें लड़ी गई हैं, लेकिन फिर भी आतंरिक उत्थान नहीं हुआ है। मैं Read More …