Shri Raja Rajeshwari Puja (भारत)

Shri Raj Rajeshwari Puja Date 21st January 1994 : Place Hyderabad Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम श्री राज राजेश्वरी की पूजा करने वाले हैं। और आपके चक्र ठीक से बैठने लग जाते हैं। जब चक्र खासकर दक्षिण में देवी का स्वरूप अनेक तरह से माना आपके ठीक हो जाते हैं तभी कण्डलिनी जागृत होती है। जाता है। उसका कारण यहां पर आदिशंकराचार्य जैसे इसलिए पहले आप वैष्णव बनते हैं, उसके बाद आप शक्ति अनेक देवीभक्त हो गए हैं। और उन्होंने शाक्त धर्म की बनते हैं। इस प्रकार से दोनों चीजें एक ही हैं। स्थापना की अर्थात शक्ति का धर्म दो तरह के धर्म एक साथ चल पड़े। रामानजाचार्य ने वैष्णव धर्म की स्थापना की उसमें से राज राजेश्वरी को बहुत ज्यादा माना जाता है। और दो तरह के धर्मों पर लोग बढ़ते-बढ़ते अलग हो गये। अब देखा जाए तो लक्ष्मी जो है वो वैष्णव पथ पर है विष्णु के असल में जो वैष्णव है उसका कार्य महालक्ष्मी का है और प्रथ पर। विष्ण की पत्नी है और इसलिए ये लक्ष्मी का एक महालक्ष्मी के जो अनेक स्वरूप हैं उनको अपने में स्वरूप बताया गया है जो कि शक्ति का ही स्वरूप है। राज आत्मसात करना है। जैसे की धर्म की स्थापना करना और राजेश्वरी का मतलब है कि जब कण्डलिनी नाभि में आ मध्यमार्ग में रहना। न तो बाएं में जाना न दाये में जाना जाती है जहां पर उसे लक्ष्मी का स्वरूप प्राप्त होता है। ऐसा मध्य मार्ग में रहना। Read More …