Sahasrara Puja: Continue To Live A Life of Reality Campus, Cabella Ligure (Italy)

  सहस्त्रार पूजा (सच्चाई का जीवन जिए), कबेला, इटली, ९ मई २००४  आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में सहज योगिओं के नाते | आज का दिन वह है जब सहस्त्रार खुला था, जो की बहुत करिश्माई बात हुई | मैंने कभी आशा नहीं की थी की मेरे जीवनकाल में मैं  यह कर पाऊँगी | पर ऐसा हुआ | और आप में से कई लोगों का सहस्त्रार खुला | उसके बिना आप कभी नहीं जान पाते की सत्य क्या है | और आप उसका आनंद ले रहे है, उस स्थिति का जहाँ आप जानते है की सत्य क्या है |  यह बहुत बड़ा आशीर्वाद है की सहस्त्रार खुल गया था और आप सबको आपका आत्मसाक्षात्कार मिला | नहीं तो सभी बातें, बातें ही है | उनका कोई अर्थ नहीं, कोई समझ नहीं | इसलिए मेरी पहली चिंता थी सहस्त्रार को खोलना | वह हुआ और अच्छे से हुआ | और आप सबका सहस्त्रार खुल गया | यह एक उल्लेखनीय बात है | कोई विश्वास नहीं कर सकता की आप में से इतने सारे लोगों का सहस्त्रार खुला है | पर मैं अब देख सकती हूँ साफ़ रौशनी आपके सरों के ऊपर |  जो भी आपने पाया है, वह उल्लेखनीय है| इसमें कोई संदेह नहीं | इसका कारण है ईमानदारी से ढूंढना | आपने ईमानदारी से ढूंढा, इसलिए आपको मिला | मैंने कुछ नहीं किया | क्योंकि आप वहाँ कंदील के जैसे थे, मैंने केवल उसे जला दिया, बस | यह करना बहुत बड़ी बात नहीं है | जैसे Read More …

Sahasrara Puja: Watch Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

Sahasrara Puja Talk Cabella, Italy 2002-05-05  आज एक बहुत महान दिवस है, मुझे कहना चाहिए, सहस्रार मनाने के लिए, सहस्रार की पूजा। यह बहुत ही अद्वितीय बात है, जो घटित हुई है, कि आपके सहस्रार खोले गए। ऐसे कुछ बहुत ही कम लोग थे, इस पूरे विश्व में। उसमें कुछ सूफ़ी थे, कुछ संत थे। उसमें कुछ और लोग भी थे चीन इत्यादि में। परन्तु बहुत कम, बहुत कम अपने सहस्रार खोल पाए। इसलिए जो कुछ भी उन्होंने कहा, या लिखा, वह कभी लोगों द्वारा समझा नहीं गया। उन्होंने वास्तव में उन्हें सताया। उन्होंने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया। और सभी प्रकार की भयानक चीज़ें कीं, क्योंकि वे सहन नहीं कर सकते थे, कि किसी को यह आत्मसाक्षात्कार मिला रहा है। इसलिए, यह बहुत ही महान दिवस है, क्योंकि सामूहिक रूप से यह सहस्रार खोला गया है। आप में से हर एक को यह मिल गया है। साथ ही विश्व भर में, आपके यहाँ कई लोग हैं जिन्होंने अपने सहस्रार खोले हैं। निश्चित रूप से, हमें और भी अधिक की आवश्यकता है, उन्हें समझाने के लिए, कि क्या है यह महान घटना, सहस्रार का इस तरह से सामूहिक रूप से खोला जाना।  कुछ बहुत अधिक बढ़ गए हैं, अपना आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद, बहुत अधिक। उन्होंने सहज योग को बहुत अच्छी तरह से समझा है। और उन्होंने अपनी गहराई को विकसित किया है, और उनकी चेतना वास्तव में एक बहुत बड़ी जागरूकता है, ईश्वर के साथ एकाकारिता की। ईश्वरीय शक्ति से एकाकार होना मनुष्य के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। अब Read More …

Talk after Sahasrara Puja: Penetrate Your Attention Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहस्त्रार पूजा के बाद की बात “अपना चित्त प्रविष्ट करें “,  कैबेला  लिगुरे, इटली, 7 मई 2000 यह एक अद्भुत विचार था मेरा  चित्त जीवन के  इन सभी क्षेत्रों पर केंद्रित करना, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं  और जैसा कि , मेरा उन सभी पर चित्त है और मैं इन सभी की परवाह करती हूँ लेकिन मैं कहूँगी की अब आप सभी लोगों को इस पर अपना चित्त रखना है क्योंकि वह आप हैं  जो इसके बारे में कुछ कर सकते हैं । आप प्रकृति के साथ शुरू कर सकते हैं जैसा कि कहा गया है कि हमें प्रकृति के प्रति दयालु होना होगा । हमें ऐसी समस्याएं हो रही हैं । लोग पेड़ों को काट रहे हैं, हर प्रकार का कार्य  कर रहे हैं यह सोचे बिना कि यह हमारी संतति के लिए हैं,  जो मरुभूमि बन जाएगी। तो, उसी प्रकार, सभी  के लिए, अपने फल और कृषि के लिए, चैतन्य वास्तव में बदल सकता है। हमारे बगीचे में आपको विश्वास नहीं होगा, एक  पिअनी (बड़े लाल फूल) थे बस इस तरह का, इस से भी बड़ा है, बहुत बड़ा है । हमने ऐसा फूल कभी नहीं देखा। हमारे पास ट्यूलिप के फूल भी उतने ही बड़े थे । मैंने अपने जीवनकाल में इस तरह के ट्यूलिप फूल नहीं देखे है । चैतन्य के साथ आप हर जगह सुधार कर सकते हैं। आप जाकर किसी राजनेता से मिलते हैं, या फिर किसी राजनीतिक दल में जाते हैं, तो आप अपने हाथों का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें हर समय बंधन Read More …

Sahasrara Puja: At Sahasrara you stand on Truth and go beyond Dharma Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहस्त्रार पूजा – 1997-05-04 आज हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं, सहस्रार की पूजा करने के लिए। जैसा कि आप समझ चुके  हैं, कि सहस्रार सूक्ष्म-तन्त्र का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है।  निःसंदेह, यह एक बड़ा दिन है, 1970 में जब इस चक्र को खोला गया था। परन्तु इसके द्वारा, आपने क्या प्राप्त किया है, इसे हमें देखना चाहिए। सर्वप्रथम, जब कुंडलिनी उठती है तो वह आपके भवसागर में जाती है, जहाँ आपका धर्म है। और आपका धर्म स्थापित हो जाता है, नाभि चक्र पर, हम कह सकते हैं कि- नाभि चक्र के चारों ओर।  आपका धर्म स्थापित हो जाता है, जो कि जन्मजात रूप से शुद्ध, सार्वभौमिक, धर्म है। स्थापित हो जाता है। लेकिन उसके बाद कुंडलिनी और ऊपर उठती है। यद्यपि, धर्म की स्थापना हो गयी है, हम थोड़ा दूर रहते हैं, अन्य समाजों से, क्योंकि हम देखते हैं कि वे अधर्मी हैं – उनका कोई धर्म नहीं है। साथ ही, मुझे लगता है,  कि हम डरते हैं कि हम उनके अधर्म में फँस सकते हैं।  तो उस स्तर पर, हम सहज योग की सीमाओं को लांघना नहीं चाहते। चाहते हैं, कि सहज योगियों तक सीमित रहें, सहज योग के कार्यक्रमों तक और अपने व्यक्तिगत सहज जीवन तक। निःसंदेह यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले इस चक्र को पूर्णतया पोषित किया जाना चाहिए। और यह चक्र वास्तव में नाभि चक्र के चारों ओर घूमता है, जिसे हम स्वाधिष्ठान के रूप में जानते हैं। यह स्वाधिष्ठान चक्र, एक प्रकार से, बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह ऊर्जा प्रदान करता है, मस्तिष्क को। इसलिए जब Read More …

Sahasrara Puja: You must feel responsible but be humble Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                   सहस्रार पूजा                                आपको ज़िम्मेदार होना चाहिए, लेकिन विनम्र होना चाहिए क्बेला लिगरे (इटली), 5 मई, 1996 आज के दिन हम  सहस्रार के खोलने का जश्न मना रहे हैं। मुझे कहना होगा कि सम्पूर्ण मानवता के लिए यह एक महान घटना हुई थी। यह एक ऐसी उपलब्धि थी, जिसे मैंने पहले कभी हासिल नहीं किया था। अब मैं देख सकती हूं कि, आत्म-साक्षात्कार के बिना, लोगों से बात करना असंभव होता। जब ऐसा हुआ तो मैंने सोचा कि, मैं इसके बारे में लोगों से कैसे बात करूंगी, क्योंकि कोई भी मुझे नहीं समझेगा, और सहस्रार के बारे में कुछ कहना मेरे लिए एक बड़ी भूल होगी, क्योंकि यहाँ तक कि सहस्रार के बारे में, शास्त्रों में कहीं कुछ वर्णन नहीं किया गया था। यह बिल्कुल अस्पष्ट विवरण था, मैं कहूंगी, जहां लोग यह भी नहीं सोच सकते थे कि सहस्रार से परे भी एक क्षेत्र है। और व्यक्ति को उस दायरे में प्रवेश करना है जहां वास्तविकता है। उस समय, मैंने अपने आस-पास जो देखा, मुझे लगा, वह सब अंधकार है। और जहाँ तक और जब तक और कई रौशनी ना हो, तब तक लोगों को कभी भी एहसास नहीं होगा कि रोशनी का होना कितना महत्वपूर्ण है। यह एक मानवीय त्रुटि है, हर समय, कि अगर कोई कुछ हासिल करता है, तो वे उस व्यक्ति को एक ताक़ पर रख देते हैं। उदाहरण के लिए, “ईसा-मसीह – ठीक है, वह मसीह थे – हम मसीह नहीं हैं। मोहम्मद साहब, वह मोहम्मद साहब थे – हम मोहम्मद साहब नहीं हैं। राम Read More …

Sahasrara Puja: The Will of God Campus, Cabella Ligure (Italy)

                               सहस्रार पूजा, “भगवान की इच्छा”  कबैला लिगरे (इटली), 10 मई 1992। आज हम सहस्रार दिवस मना रहे हैं। शायद हमने महसूस ही नहीं किया हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण दिन रहा होगा। सहस्रार को खोले बिना, स्वयं ईश्वर एक काल्पनिक कथा प्रतीत होता था, धर्म स्वयं एक मिथक था, और देवत्व के बारे में सभी बातें एक मिथक थीं। लोग इस पर विश्वास करते थे लेकिन यह सिर्फ एक विश्वास भर था। और विज्ञान, जैसा कि उसे आगे रखा गया था, सारी मूल्य प्रणाली एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के सभी प्रमाणों को करीब-करीब खारिज़ ही करने वाला था। अगर आप इतिहास में देखें, एक के बाद एक, जब विज्ञान ने खुद को स्थापित किया, तो धर्म और विभिन्न धर्मो में मामलों के तथाकथित प्रभारी लोगों ने विज्ञान के निष्कर्षों से तालमेल बैठने की कोशिश की। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की: “ठीक है, अगर इसे ऐसा कहा जाता है – इतना तो बाइबल में है, और अगर यह गलत है तो हमें इसे ठीक करना चाहिए।” खासतौर पर ऑगस्टीन ने ऐसा किया, और ऐसा लगने लगा कि जैसे यह सब मूर्खता है, ये शास्त्र सिर्फ पौराणिक थे। हालांकि, कम से कम कुरान में, बहुत सी चीजें थीं जो आज के जीव विज्ञान का वर्णन कर रही थीं। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि मानव विशेष रूप से भगवान द्वारा बनाया गया था। उन्होंने सोचा कि यह संयोग की बात है कि, एक के बाद एक, जानवरों ने एक ऐसी स्थिति हासिल कर ली जिसके द्वारा वे मनुष्य बन गए। इस Read More …

Sahasrara Puja: Realise Your Own Divinity Ischia (Italy)

स्वयं की दिव्यता को पहचानें सहस्रार दिवस  इस्चिया, 5  मई 1991 इटली आज हम यहां उस सहस्रार दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं जिसे 1970 में इसी तिथि पर खोला गया था। मुझे यह सुंदर मंडप हमारे सहस्रार जैसा प्रतीत हो रहा है। और इस सहस्रार दिवस के लिए ऐसी सुंदर व्यवस्था करना बहुत उपयुक्त है। हमें यह समझना होगा कि जब सहस्रार खुलता है तो क्या होता है। जब कुंडलिनी पांच केंद्रों से होकर गुजरती है तो वह उस क्षेत्र में प्रवेश करती है जिसे हम लिम्बिक क्षेत्र कहते हैं। यह क्षेत्र हजारों तंत्रिकाओं से घिरा हुआ है और जब ये तंत्रिकाएं प्रबुद्ध हो जाती हैं तो वे इन्द्रधनुष के रंगों, सात रंगों की लौ की तरह दिखती हैं, और बहुत ही हल्के ढंग से, खूबसूरती से चमकती हुई, शांति बिखेरती हुई दिखाई देती हैं। लेकिन जब कुंडलिनी किनारों पर अपना कंपन प्रसारित करना शुरू कर देती है तो ये सभी नसें धीरे-धीरे प्रबुद्ध हो जाती हैं और सहस्रार को खोलते हुए सभी दिशाओं में घूमने लगती हैं और फिर कुंडलिनी फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र से बाहर निकलती है, जिसे हम ‘ब्रह्मरंध्र’ कहते हैं। ‘रंध्र’ का अर्थ है ‘छिद्र’ और ‘ब्रह्म’ भगवान के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति है। तो यह सूक्ष्म ऊर्जा में प्रवेश करता है, जो सर्वव्यापी है, जिसे हम सामान्य रूप से महसूस नहीं करते हैं। लेकिन फिर चैतन्य, अथवा स्पंदन, जो की इस ऊर्जा, सर्वव्यापी शक्ति, परमचैतन्य का हिस्सा हैं, वे हमारे मस्तिष्क में प्रवेश करना शुरू कर देते हैं और लिम्बिक क्षेत्र में अपना आशीर्वाद Read More …

Sahasrara Puja, You Have All Become Mahayogis Now (Italy)

अब अपनी शक्तियों को पहचानिये। जैसे कल उसने … निशात खान ने राग दरबारी गाया या बजाया …तो आप इस समय दरबार में हैं … परमात्मा के दरबार में। अपने दायित्वों को पहचानिये। प्रत्येक को अपने दायित्वों को पहचानना है और समझना है कि आप कौन हैं …. आपकी शक्तियां क्या हैं और आप क्या-क्या कर सकते हैं? अब वे दिन गये जब आप अपने आशीर्वादों को गिना करते थे। अब आपको अपनी शक्तियों को देखना है कि मेरी कौन-कौन सी शक्तियां हैं और मैं इनका किस प्रकार से उपयोग कर सकता हूं? आपके साथ जो भी चमत्कार घटित हुये हैं अब उनको गिनने से कुछ फायदा नहीं है। आपने ये सिद्ध करने के लिये कई चमत्कार देख लिये हैं कि आप सहजयोगी हैं और परमचैतन्य आपकी सहायता कर रहा है। लेकिन अब आपको जानना होगा कि उस परमचैतन्य का आप कितना उपयोग कर रहे हैं?आप इसको किस प्रकार से नियोजित कर सकते हैं और किस प्रकार से इसको कार्यान्वित कर सकते हैं? आज से एक नये युग का प्रारंभ होने जा रहा है। मैं इसी दिन का इंतजार कर रही थी कि आप सब लोग जान जांय कि आप मात्र अपने स्वार्थ के लिये सहजयोगी नहीं हैं … न अपने परिवारों के लिये और न ही अपने समुदाय के लिये न अपने देश के लिये बल्कि पूरे विश्व के लिये हैं। अपना विस्तार करिये ….. आपके अंदर वो दूरदृष्टि होनी चाहिये जिसको मैंने आप लोगों के सामने कई बार रखा है कि आपको मानवता को मोक्ष दिलवाना है। अब Read More …

Sahasrara Puja: Jump Into the Ocean of Joy Sorrento (Italy)

सहस्रार पूजा, “प्रेम के महासागर में कूदें” सोरेंटो (इटली) 6 मई 1989। पिछली रात पूर्ण अंधकार की रात थी, जिसे वे अमावस्या कहते हैं; और अभी-अभी बस चंद्रमा का पहला चरण शुरू हुआ है। आज हम यहां उस दिन को मनाने के लिए हैं जब सहस्रार खोला गया था। साथ ही आपने फोटो में देखा है। यह वास्तव में मेरे मस्तिष्क की एक तस्वीर थी, जिसमें दिखाया गया था कि सहस्रार कैसे खुला था। अब मस्तिष्क के प्रकाश की तस्वीर खींची जाना संभव हुआ है। इस आधुनिक समय ने यह कुछ महान कार्य किया है। तो आधुनिक समय बहुत सी ऐसी चीजें लेकर आया है जो दिव्य अस्तित्व को साबित कर सकती हैं। साथ ही यह मेरे बारे में भी साबित कर सकता है। यह आपको विश्वास दिला सकता है कि मैं क्या हूं। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आधुनिक समय में इस अवतरण को पहचानना है, पूरी तरह से पहचानना है। यह सभी सहज योगियों के लिए एक शर्त है।  अब देखते हैं कि आधुनिक समय में लोगों के दिमाग में क्या चल रहा है। आज लोगों के दिमाग में देखा जाए तो सहस्रार पर वार हो रहा है। हमला बहुत पहले से होता आया है लेकिन आधुनिक समय में यह सबसे बुरा समय है। वे लिंबिक एरिया (मस्तिष्क में भावना और प्रेरणा का क्षेत्र )को बेहद असंवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बहुत उदास उपन्यास, अति अवसाद के विचार और बहुत उदास संगीत, आप कह सकते हैं ग्रीक त्रासदी जैसी बकवास। हमें कहना चाहिए कि, ये सब Read More …

Sahasrara Puja: First of all you must keep your vibrations clear Bogota (Colombia)

सहस्रार पूजा, (दक्षिण अमेरिका में पहली पूजा)  बोगोटा (कोलंबिया), 20 जुलाई 1988 यहां कोलंबिया में होना बहुत प्रसन्नता की बात है; जो कि बहुत समय पहले मेरी बड़ी इच्छा थी कि, बाद में किसी तरह अगर मैं इस देश में आ सकूं, तो मैं यहां सहज योग शुरू करने में सक्षम हो सकूं। क्योंकि उस समय मुझे महसूस हुआ था कि कोलम्बिया में बहुत से साधक और बहुत अच्छे लोग हैं। वे सत्य के साधक हैं और अपनी जागरूकता में ऊँचा उठना चाहते हैं। और जैसी मेरी इच्छा थी, वैसा ही हुआ। मैं यहां आप लोगों के बीच आकर बहुत प्रसन्न हूं; और हमारे पास दक्षिण अमेरिका के अन्य देशों से भी लोग हैं जो एक बहुत बड़ी बात है। हमने यूरोपीय देशों में काम करना शुरू किया, जिन्हें हम विकसित देश कह सकते हैं, लेकिन मेरी हमेशा दूसरी तरफ आने की बहुत तीव्र इच्छा थी, यानी अविकसित देश, जहां संस्कृति है। इसे सभी देशों में फैलाना है। कोई भी देश यह नहीं कह सके कि यह हमारे पास नहीं आया, कि हम सत्य को नहीं जानते थे, कि हम मुद्दे से चूक गए। चूंकि आप लोग सहज योग के पहले संस्थापक और नीवं के पत्थर हैं, इसलिए आपको बहुत सावधान रहना होगा। जैसा कि मैंने कई बार कहा है कि विज्ञान और अन्य चीजों से हमें जो ज्ञान है, वह वृक्ष का ज्ञान है, लेकिन सहज योग जड़ का ज्ञान है। तो, हमें गहरा व्यक्तित्व बनना है, हमें अपनी गहराई और अपनी महिमा और अपनी सुंदरता का ध्यान रखना Read More …

Sahasrara Puja, How it was decided (Italy)

[Hindi translation from English]                      सहस्रार पूजा                                    “यह कैसे तय किया गया” फ्रीगीन (इटली), 8 मई 1988  यदि आप वह पहला दिन जिस दिन सहस्रार खोला गया था की भी गणना करते हैं तो, आज उन्नीसवां सहस्रार दिवस है। मुझे आपको सहस्रार दिवस के बारे में कहानी बतानी है, जिसके बारे में यह निर्णय बहुत समय पहले, मेरे अवतार लेने के भी पूर्व   लिया गया था। स्वर्ग में उनकी एक बड़ी बैठक हुई, सभी पैंतीस करोड़ देवता वहां तय करने के लिए मौजूद थे कि क्या किया जाना है। यह परम है जो हमें मनुष्यों को करना है, उनके सहस्रार को खोलने के लिए, आत्मा के प्रति उनकी जागरूकता को खोलने के लिए, परमात्मा के वास्तविक ज्ञान के लिए, अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए, और यह अनायास होना था क्योंकि वह परमेश्वर की जीवंत शक्ति  का काम करना था। साथ ही यह बहुत जल्दी होना था। तो सभी देवताओं ने निवेदन किया कि अब मुझे, आदि शक्ति को जन्म लेना है। उन सभी ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। उन्होंने जो भी संभव था, किया;  उनके द्वारा संत बनाए गए थे, लेकिन बहुत कम। उन्होंने अवतार लिये और लोगों ने उनमें से धर्मों को बनाया जो विकृत थे और उनका नाम ख़राब किया। उन धर्मों में कोई वास्तविकता नहीं। ये धर्म धन उन्मुख या शक्ति उन्मुख थे।  दैवीय शक्ति कोई काम नहीं कर रही थी, वास्तव में यह सब दैव विरोधी कार्य था। अब मानव को इन सतही धर्मों, विनाश के इन विकृत रास्तों से दूर कैसे Read More …

Sahasrara Puja: The Ghost of Materialism Thredbo (Australia)

1987-0503 सहस्रार पूजा – “भौतिकवाद का भूत”, थ्रेडबो (औस्ट्रेलिया) आज एक बहुत महान दिन है सभी सहज योगियों के लिए। बहुत समय पहले मैंने इच्छा की थी कि सहस्रार को खोला जाना चाहिए। परंतु सही समय के लिए प्रतीक्षा कर रही थी। सही समय पर इसको करना महत्वपूर्ण था। एक लड़के ने औरंगाबाद में, काफ़ी युवा था, मुझसे एक प्रश्न पूछा, “माँ, यह ब्रह्मचैतन्य की सर्वव्यापी शक्ति हमारी इंद्रियों से परे है, आप इसे इंद्रियों द्वारा अनुभव नहीं कर सकते। ऐसा कैसे है कि अब हम इसे अपनी इंद्रियों के द्वारा अनुभव कर पा रहे हैं। यह प्रश्न उसने पूछा और मैं आपसे यही प्रश्न पूछती हूँ। इससे पहले जिन लोगों को साक्षात्कार प्राप्त हुआ था वह इसके बारे में ऐसे बात नहीं कर पाए, जैसे आप लोगों को बताते हैं, कि आप इसे अपनी इंद्रियों पर महसूस कर सकते हैं। वे समझा नहीं पाए, वे इसको अनुभव के रूप में नहीं  प्रकट कर पाए। उन्होंने बस इतना किया कि शब्दों में उन्हें बताया, शब्द जो किसी चीज़ के बारे में बता रहे थे, जैसे आम का स्वाद। जब तक आप आम को खाएंगे नहीं तब तक आपको कैसे उसका स्वाद पता चलेगा। केवल यह जान कर कि यह बहुत अच्छा है, यह महान है, यह बढ़िया है, फिर भी आपने उस आम को चखा नहीं। तो अब क्या हो गया है, यह प्रश्न था। दूसरी चीज़ यह थी कि लोग इतने परेशान हो गए थे, जैसे ज्ञानेश्वर, 21 साल की उम्र में उन्होंने समाधि ले ली। वे एक कमरे Read More …

Talk After Sahasrara Puja: Unless and until you are conscious you cannot ascend Alpe Motta (Italy)

सहस्रार पूजा के बाद भाषणमेडेसिमो, एल्पे मोट्टा (इटली), 4 मई 1986 ये वे गीत हैं जिन्हे हिमालय में गाया जाता हैं, और यहाँ गाया जाना वास्तव में कुछ उल्लेखनीय है, है ना? आप इसे यहां गाए जाने के लिए लाए हैं। अब, मुझे लगता है कि मैंने आपको पहले ही एक बहुत, बहुत लंबा व्याख्यान और आपके कथानुसार एक भाषण दिया है, लेकिन कुछ प्रतिक्रियाएं बहुत अच्छी थीं, और कुछ इसे बहुत अच्छी तरह से अवशोषित कर पाये थे। लेकिन कुछ, उन्होंने बताया कि, सो रहे थे। अब ये चीजें नकारात्मकता के कारण होती हैं। आपको अपनी नकारात्मकता से लड़ना होगा, क्योंकि नकारात्मकता ही वह चीज है जो सवाल पूछती है। जब मैं बात कर रही हूं तो मैं सच कह रही हूं, पूर्ण सत्य, लेकिन यह नकारत्मकता सवाल पूछती है और यह प्रतिबिंबित होता है। जब यह प्रतिबिंबित होने लगती है, तो कुछ भी दिमाग में नहीं जाता है क्योंकि आप पिछले वाक्य के साथ रह जाते हैं, और वर्तमान, आप इसके साथ नहीं होते हैं। तो एक पलायन की तरह, सब कुछ उबल कर नीचे बैठ जाता है, और फिर तुम बच जाते हो और तुम सो जाते हो। मेरा मतलब है, मैंने आज आपको अपने चेतन मन में डालने की पूरी कोशिश की। तुम्हें सचेत रहना है, तुम्हें सजग रहना है; और वह बात ऐसी है कि जब तक आप सचेत नहीं होते तब तक आप उत्थान नहीं कर सकते। कोई भी असामान्य व्यक्ति उत्थान नहीं कर सकता। आपको खुद को सामान्य करना होगा। आप में से Read More …

Sahasrara Puja: Consciousness and Evolution Alpe Motta (Italy)

१९८६ -०५-०४ , सहस्त्रार पूजा, इटली, चैतन्य और उत्क्रांति  आज हम सब के लिए एक महान दिवस है, क्योंकि यह सोलवां सहस्त्रार दिवस है। जैसे कि सोलह ताल या सोलह हरकत में आप कविता के एक उच्च स्तर पर पहुँच जाते हैं। क्यों कि इस प्रकार से यह पूर्ण हो जाता है।  जैसे श्री कृष्ण को भी एक पूर्ण अवतरण कहा जाता है, क्योंकि उनकी सोलह पंखुड़ियां होती हैं। इस परिपूर्णता को “पूर्ण” कहते हैं।  तो अब हम एक और आयाम पर पहुंच गए। पहला वह था जहाँ आपने आत्म साक्षात्कार प्राप्त किया।   उत्क्रांति की प्रक्रिया में यदि आप देखें, पशु अनेक चीज़ों के प्रति सचेत नहीं हैं, जिन में मानव सचेत है। जैसे कि तत्त्वों का प्रयोग पशु अपने लिए नहीं कर सकते हैं। और वह अपने प्रति बिलकुल भी सचेत नहीं हैं। यदि आप उन्हें आईना दिखाएँ तो वह ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं करते जैसे वह स्वयं उसमें हों, मेरे विचार से, “चिम्पांज़ियों“ को छोड़कर। इसका अर्थ है कि हम कुछ हद तक उनके जैसे हैं ! तो जब हम मनुष्य बन गए, हमने अनेक विषयों के संदर्भ में चेतना प्राप्त की, जिनके प्रति पशु सचेत नहीं थे। तो उनके मस्तिष्क में यह समझ नहीं थी कि वह तत्त्वों का उपयोग अपने लिए कर सकते हैं।     मनुष्य होते हुए भी आपको अपने भीतर स्थित चक्रों के विषय में ज्ञान नहीं था। तो आपकी चेतना कार्यरत हो कर, चक्रों के अचेतन कार्य और मस्तिष्क के सचेतन कार्य के आधे रास्ते तक पहुँची। और आप ने  कभी भी अपनी “स्वायत्त Read More …

Sahasrara Puja Laxenburg (Austria)

आप विराट के सहस्त्रार में प्रवेश कर रहे हैं …. (सहस्त्रार पूजा, लक्समबर्ग , वियेना, ( ऑस्ट्रिया ), 5 मई 1985) आज हम ऑस्ट्रिया की महारानी द्वारा बनाये गये इस स्थान पर सहस्त्रार पूजा के लिये एकत्र हुये हैं। जैसे ही आप सहस्त्रार के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तभी आपको सहस्त्रार पूजा करने का अधिकार है। इससे पहले किसी ने भी सहस्त्रार के विषय में बात नहीं की ….. और न ही उन्होंने कभी सहस्त्रार की पूजा की। ये आपका ही विशेषाधिकार है कि आप सहस्त्रार के क्षेत्र में पंहुच चुके हैं और इसकी पूजा भी कर रहे हैं। ये आपका अधिकार है ….. इसी कार्य के लिये आपका चयन हुआ है। ये आपके लिये विशेषाधिकार प्राप्त स्थान है कि आप विराट के सहस्त्रार में प्रवेश कर रहे हैं …. उनके मस्तिष्क में सहस्त्रार की कोशिका के रूप में निवास करने के लिये। आइये देखें कि सहस्त्रार की कोशिकाओं की विशेषतायें क्या हैं। स्वाधिष्ठान के कार्य करने के कारण ये कोशिकायें विशेष रूप से सृजित हैं और ये सभी चक्रों से होकर गुजरती हैं। जब वह सहस्त्रार पर पंहुचती हैं तो वे बिना शरीर के अन्य तत्वों से मिले या आसक्त हुये मस्तिष्क की गतिविधियों की देख रेख कर सकती हैं। इसी प्रकार से सहजयोगियों को भी अन्य कोशिकाओं ….. इस ब्रह्मांड के अन्य मनुष्यों से नहीं मिलना चाहिये। सबसे पहली चीज जो सहजयोगियों को सहस्त्रार के स्तर पर होती है वह है उसका सभी चीजों से परे हो जाना। वह कई चीजों से परे हो जाता है …. Read More …

Talk: You have to be in Nirvikalpa, Eve of Sahasrara Puja Laxenburg (Austria)

              “आपको निर्विकल्प में रहना होगा”। वियना, 4 मई 1985। सहस्रार दिवस मनाने के लिए इतने सारे सहज योगी आते हुए देखना बहुत संतुष्टिदायक है। सहस्रार को तोड़े बिना हम सामूहिक रूप से उत्थान नहीं कर सकते थे। लेकिन सहस्रार, जो कि मस्तिष्क है, पश्चिम में बहुत अधिक जटिलताओं में चला गया है और नसें बहुत अधिक मुड़ी हुई हैं, एक के ऊपर एक। सहस्रार को खुला रखना बहुत आसान होना चाहिए अगर पश्चिमी दिमाग आपकी माँ के बारे में समझ पाते और जागरूक हो सके। जब आपकी माता सहस्रार की देवी हैं, तो सहस्रार को खुला रखने में सक्षम होने का एकमात्र तरीका पूर्ण समर्पण होना है। इसके लिए बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं, “हम इसे कैसे करें?” यह एक बहुत ही मजेदार सवाल है – यह अप्रासंगिक है। यदि आपका सहस्रार किसी के द्वारा खोल दिया गया है, और सौभाग्य से वह देवता आपके सामने हैं, तो समर्पण करना सबसे आसान काम होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। यह कठिन है क्योंकि जो चित्त मस्तिष्क की कोशिकाओं के माध्यम से आया है, मस्तिष्क की कोशिकाओं के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है, वह प्रदूषित है, वह अशुद्ध है, वह विनाशकारी है; यह नसों को खराब कर देता है और जब नसें खराब हो जाती हैं, तो आत्मा का प्रकाश नसों पर नहीं पड़ता है और आप समर्पण करने में असमर्थता महसूस करते हैं। आम तौर पर, यह करना सबसे आसान काम होना चाहिए। इसलिए, हमें मानसिक रूप से खुद से संपर्क करना होगा। हमें खुद से बात Read More …

Maha Sahasrara Puja: The Start of a New Era Château de Mesnières, Rouen (France)

                    महा सहस्रार पूजा मेसनिएरेस के महल के चैपल में, रूएन (फ्रांस)  5 मई 1984 सहस्रार के इस दिन इतने सुंदर सहजयोगियों को एक साथ इकट्ठा होते देखना आपकी माता के लिए बहुत ही अद्भुत है। मुझे लगता है कि सहज योग का पहला युग अब समाप्त हो गया है, और नया शुरू हो गया है। सहज योग के पहले युग में, शुरुआती बिंदु था, पहले, सहस्रार का उद्घाटन, और धीरे-धीरे पूर्णता की ओर बढ़ते हुए, मुझे लगता है कि आज बहुत सारे महान सहज योगी हैं। यह विकास की एक बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है जिससे आप गुजरे हैं। हम कह सकते हैं, पहला था कुंडलिनी का जागरण और फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र को भेदन। जैसा कि आप अपने सिर के ऊपर इन बंधनों को देखते हैं, वैसे ही आपके सिर में भी है, वैसे ही, और आपके सहस्रार में चक्रों को उसी तरह बनाया गया है। तो, सहज योग के पहले युग में, हमने आपके केंद्रों में, मेडुला ऑबोंगटा में और मस्तिष्क में भी देवताओं को जागृत किया। लेकिन अब समय आ गया है कि हम इसे क्षैतिज स्तर पर फैलाएं, और इसे क्षैतिज स्तर पर गतिशील करें, हमें यह समझना होगा कि इसके बारे में कैसे जाना है। इन्द्रधनुष के सात रंगों की तरह हमें इन केंद्रों के, चक्रों के प्रकाश के, सात रंग मिले हैं। और जब हम इसे पीछे से शुरू करते हैं, मूलाधार से, इसे इस तरफ, आज्ञा तक लाते हैं, तो इसे एक अलग क्रम में रखा जाता है, यदि आप इसे स्पष्ट रूप से Read More …

Sahasrara Puja, Above the Sahasrar मुंबई (भारत)

सहस्रार पूजा बम्बई, ५ मई १९८३ आप सबकी ओर से बम्बई के सहजयोगी व्यवस्थापक जिन्होंने यह इन्तजामात किये हैं, उनके लिये धन्यवाद देती हूँ, और मेरी तरफ से भी मैं अनेक धन्यवाद देती हूँ। उन्होंने बहुत सुन्दर जगह हम लोगों के लिये ढूँढ रखी है। ये भी एक परमात्मा की देन है कि इस वक्त जिस चीज़़ के बारे में बोलने वाली थी, उन्हीं पेड़ों के नीचे बैठकर सहस्रार की बात हो रही है। चौदह वर्ष पूर्व कहना चाहिये या जिसे तेरह वर्ष हो गए और अब चौदहवाँ वर्ष चल पड़ा है, यह महान कार्य संसार में हुआ था, जबकि सहस्रार खोला गया। इसके बारे में मैंने अनेक बार आपसे हर सहस्रार दिन पर बताया हुआ है कि क्या हुआ किस तरह से ये घटना हुई, क्यों की गई और इसका महात्म्य क्या है? था, लेकिन चौदहवाँ जन्मदिन बहत बड़ी चीज़ है। क्योंकि मनुष्य चौदह स्तर पर रहता है, और जिस दिन चौदह स्तर वो लाँघ जाता है, तो वो फिर पूरी तरह से सहजयोगी हो जाता है। इसलिये आज सहजयोग भी सहजयोगी हो गया। अपने अन्दर इस प्रकार परमात्मा ने चौदह स्तर बनाए हैं। अगर आप गिनिये, सीधे तरीके से, तो भी अपने अन्दर आप जानते हैं सात चक्र हैं, एक साथ अपने आप। उसके अलावा और दो चक्र जो हैं, उसके बारे में आप लोग बातचीत ज़्यादा नहीं करते, वो हैं ‘चन्द्र’ का चक्र और ‘सूर्य’ का चक्र। फिर एक हम्सा चक्र है, इस प्रकार तीन चक्र और आ गए। तो, सात और तीन-दस। उसके ऊपर और चार Read More …

Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean Chelsham Road Ashram, London (England)

सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१   … ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए। मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है।  लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह Read More …

Sahasrara Puja, Sincerity Is The Key Of Your Success Dollis Hill Ashram, London (England)

सहस्त्रार पर आपको सामूहिक आत्मा द्वारा आशीर्वादित किया जा रहा है। (सहस्त्रार पूजा, डौलिस हिल) हम कह सकते हैं कि 5 मई 1970 को पहली बार परमात्मा की सामूहिक आत्मा का द्वार खोला गया था। इससे पहले परमात्मा के आशीर्वाद लोगों को व्यक्तिगत रूप से ही प्राप्त होते थे …. और वे अपना आत्मसाक्षात्कार भी व्यक्तिगत रूप से ही प्राप्त करते थे एक के बाद एक। व्यक्तिगत आत्मसाक्षात्कार की विधि सामूहिक साक्षात्कार से एकदम अलग थी। उन्हें (व्यक्तिगत आत्मसाक्षात्कार) पहले अपना धर्म को स्थापित करना पड़ता था ……. अपने मोक्ष की कामना करते हुये स्वयं को पूरी तरह से स्वच्छ करना पड़ता था …… और अपने चित्त को मोक्ष पर ही केंद्रित करना पड़ता था या कह लीजिये कि ईश्वर प्राणिधान पर….. (ईश्वर – परमात्मा और प्राणिधान– तीव्र इच्छा) ….. ध्यान धारणा—- प्रार्थना …. परमात्मा के बारे में सोचना … उनकी कृपा प्राप्त करने के लिये प्रार्थना करना …. स्वयं को शुद्ध करने के लिये धार्मिक तरीके से आचरण करना पड़ता था। उन्हें अपने मन मस्तिष्क पर, इच्छाओं पर, क्रियाओं पर इस तरह से नियंत्रण रखना पड़ता था ताकि वे पूरी तरह से मध्य मार्ग पर बने रहें और जब वे इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते थे …. या जब वे इसके योग्य हो जाते थे तो माँ की कृपा से उन्हें साक्षात्कार प्राप्त होता था। कुछ समय तक यही तरीका चलता रहा। जिन थोड़े बहुत लोगों को इस प्रकार से साक्षात्कार प्राप्त हुआ उन्होंने सहजयोग की तैयारी के लिये बहुत से सुंदर कार्य किये। वे जीवन के प्रत्येक Read More …

Sahasrara Puja: I want you to demand and ask, because I have no desire London (England)

                                 सहस्रार पूजा  डॉलिस हिल, लंदन (यूके), 5 मई 1979। तो आज बहुत महत्वपूर्ण दिन है, यह आप जानते हैं ; क्योंकि सृष्टि के इतिहास में, ईसा-मसीह के समय तक, मानव जागरूकता में, केवल पुनरुत्थान की भावना पैदा की गई थी – कि आपको पुनर्जीवित किया जा सकता है या आप का पुनर्जन्म हो सकता हैं। ऐसा यह भाव उनके साथ ही प्रकट हुआ। लोगों ने इसे पहचाना, कि यह हम सभी के साथ कभी न कभी हो सकता है। पर वह नहीं हुआ। बोध कभी नहीं हुआ। वह एक समस्या थी। और वास्तविकता में प्रवेश किए बिना आप जो भी बातें कर सकते हैं, वह कल्पना ही लगता है। तो, व्यक्ति को वास्तविकता में, सच्चाई में कूदना होगा। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और जैसा कि मैंने आपको बताया है कि, अगर यह एक या दो लोगों के साथ हुआ भी होता तो इससे आम जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता और कोई भी इसे स्वीकार नहीं करता। और रेगिस्तान में बहने वाली छोटी- मोटी नदी की तरह यह पतली हवा में गायब हो जाती है। सत्य भी , जो भी पाया गया, उसकी कभी जड़ें नहीं थीं। और इस सच्चाई के साथ सभी प्रकार की अजीब चीजें शुरू हुईं, जिनका इन लोगों ने प्रचार किया। तो मानवीय चेतना का यह चरम बिंदु होना था कि, जहाँ वह दिव्य के साथ एकाकार  हो जाता है कि, वह अपने साथ एक हो जाए। होना ही था। और वह भी उस समय होना था, जो सबसे उपयुक्त, सबसे अच्छा समय था। Read More …