Inauguration of Vaitarna Music Academy (भारत)

English Transcript Inauguration speech for the opening of the new Music Academy (transcr. only English part). Vaitarna (India), 1 January 2003. I’m sorry I spoke in Hindi language, because to talk about My father in any other language is very difficult, though he was a master of English language and he used to read a lot. He had a big library of his own where I also learned English, because my medium of instruction was Marathi. I’d never studied Hindi or English. But because of his library, because I was very fond of reading, I picked up English, whatever it is, and also Hindi. Now they all say I speak very good English and very good Hindi, I am surprised, because to Me they were foreign languages. And when I did my matriculation also, I had a very small book of English, and for inter-science also I had a very small book. And in the medical college of course there was no question of any language, but because I used to read a lot. So I would suggest to all of you to read, read more. But don’t read nonsensical books, very good famous books you must read. That’s how I developed my language, and I had to do so well. By reading that, I could know also so much about the human failings. I didn’t know human beings have those failings, I didn’t know. I was absolutely beyond them. After reading everything, I came to know that there are Read More …

Evening Program, Eve of Navaratri Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

2000-10-06 नवरात्रि पूजा से पहले शाम का कार्यक्रम  कबेला, इटली … कला, केवल वही नहीं बल्कि उसके सभी जटिल स्वरूप। मैं आनंद से परिपूर्ण हो गई सहजयोगिनियों और सहजयोगियों को इतना अच्छा नृत्य करते हुए देख, और मैं आशा करती हूँ कि इससे बदलाव आएगा – उनके चलने की शैली में (श्री माताजी और लोग हँसते हुए)। जब मैं पहली बार लंदन आई, बहुत समय पहले, अपनी बेटियों के साथ, तो वे आश्चर्यचकित होती थी “यहाँ की औरतों को देखिए” और कहती थी “मम्मी ये सभी घोड़े की तरह चलती हैं।“ मैं कहती थी, “सच में?” “देखो उनके बाल भी इस तरह से ऊपर नीचे जा रहे हैं, और उनकी चाल कैसी है।“ मुझे लगता है घोड़ों का बड़ा भारी प्रभाव है इंग्लैंड पर। वह मैंने ऐसे ही उससे कह दिया था। पर आपने ध्यान दिया होगा कि पवार एक बहुत मज़ाकिया व्यक्ति हैं क्योंकि वे भारत से आए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वे महाराष्ट्र से हैं और मेरी ही जाति के हैं। वे लोग अपने हास्य के लिए जाने जाते हैं और अपने हास्य से उन्होंने आप सभी का बहुत अच्छे से मनोरंजन करने का प्रयास किया है।  मुझे यह अवश्य कहना चाहिए कि वे इतने माहिर हैं कत्थक में। उसको समझने के लिए, मैं सोचती हूँ, आपको थोड़ा ज्ञान होना चाहिए – ताल-वाद्य का। यदि आपके पास वह ज्ञान है तो आप समझेंगे कि कैसे यह कठिन है, कैसे यह जटिल है और कैसे यह इतना रचनात्मक है यह प्रस्तुत करना। यह एक बहुत, बहुत बड़ा Read More …

Evening Program, Eve of Shri Ganesha Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-09-06 ईपी श्री गणेश पूजा, कबेला,इटली मैं आस्ट्रेलियाई सामूहिकता और अन्य सभी देशों को धन्यवाद देना चाहूंगी जो यहां हैं । कितनी खूबसूरती से उन्होंने सारी चीज़ को संगठित किया है । उन्होंने इन सभी कार्यक्रमों के साथ समय बर्बाद नहीं किया, आप  देखिये  । आपको नहीं पता कि मैं क्या महसूस कर रही हूँ जब मैं  इन सभी देशों को देखती हूँ जहाँ मैं पहले जा चुकी हूँ, और मैं आप में से अधिकांश को अच्छी तरह से जानती हूँ। । जिस तरह से आपको अपनी आध्यात्मिक जागृति के माध्यम से जो पूरी खुशी और आनंद मिला है, वह आपकी आत्मा के प्रकाश में, यह बहुत स्पष्ट है और बहुत खूबसूरती से तरंगों की तरह बज रहा है,तरंगों की तरह । यह सहज योग का सपना, जो मैंने देखा  था, यह उम्मीद से ज्यादा पूरा हो गया है, मैं आपको बता  सकती हूं । मैं समझ नहीं  पायी कि कैसे – ऑस्ट्रेलिया से शुरू होकर, फिर जापान, फिर ताइवान और वियतनाम, इन सब देशों के अलावा सबसे बड़ा है मलेशिया, के लोग – कि हम इस अनायास इतनी खूबसूरती से संगठित करने में सफल रहे हैं। किसी न किसी तरह यह कार्य हुआ है, मुझे बस यही कहना है. चीन-मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि चीनी आकर इन गीतों को गाएं; यह बहुत आश्चर्य की बात है । उन्होंने इतनी अच्छी तरह गाया । मैं चीन गयी हूं , मैंने वहां इतने अच्छे गाने कभी नहीं सुने है; मुझे लगा कि वे शुरुआत में बहुत अल्पविकसित थे, लेकिन Read More …

Evening Program, Eve of Shri Krishna Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-08-22, श्री कृष्ण पूजा, कैबेला, इटली में शाम का कार्यक्रम आप देख सकते हैं, मैं श्री कृष्ण के कारण आज काली हो गई हूं।  यह बहुत दिलचस्प है कि इस दुनिया में सब कुछ कैसे परम चैतन्य की इच्छा के अनुसार  चलता है। यह बहुत आश्चर्यजनक है। मैं चाहती थी कि वे कट्टरवाद पर एक फिल्म बनाएं। यह बहुत अच्छा हुआ और हम इसे भारत में दिखाने में सक्षम हो सकते हैं, हो सकता है कि उन्होंने पहले ही मुझे अपने जीवन के कुछ कथांश बनाने के लिए कहा  हो। जिसे वे एक के बाद एक करके दिखाना चाहेंगे। किसी तरह भारत में दूरदर्शन पर, हमारे पास कई सहज योगी हैं जिन्हें मैं  नहीं जानती निर्देशक, उप निर्देशक भी। वे सभी सहज योगी थे, और एक बार वे मुझे दिल्ली में हमारे आश्रम में देखने आए थे और मुझसे कहा था – (किसी ने कहा था) माँ, आपको मीडिया बिलकुल भी पसंद नहीं है, लेकिन दूरदर्शन का क्या? मैंने कहा कि मुझसे दूरदर्शन के बारे में बात मत करो, वे भयानक लोग हैं (माँ हँसती हैं) हमारे जीवन को नष्ट कर रहे हैं और मैंने एक बहुत बड़ा व्याख्यान दिया है जो लगभग पाँच मिनट का है । इसलिए मेरे सामने दो व्यक्ति  कान पकड़कर आए। उन्होंने कहा कि माँ, हमें खेद है, लेकिन हम दूरदर्शन से संबंधित हैं । ओह, मुझे नहीं पता है कि अगर मैंने कुछ कहा तो मुझे खेद है … उन्होंने कहा कि मैं निर्देशक हूं और वह उप निर्देशक हैं। दूरदर्शन के अखिल भारतीय Read More …

Talk: Sahaja Yoga is now on your shoulders & Evening Program Adi Shakti Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

यह हम सभी के लिए बहुत ही आनंदपूर्ण शाम रही है। और हम उन सभी लोगों का धन्यवाद करते हैं जो हम सभी के लिए सब प्रकार के मनोरंजन ले कर आए। मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूँ क्योंकि पिछली बार उनके मुझे आमंत्रित करने के बावजूद मैं स्पेन नहीं जा सकी थी, लेकिन मुझे लगता है कि किसी तरह इसने वहाँ जड़ें जमा ली हैं, ऐसे बहुत से लोग हैं जो अब सहजयोग में शामिल हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि स्पेन जैसी जगहों पर बहुत अधिक सहजयोगी होने चाहिए, मेरे विचार से, मैंने हमेशा यह सोचा, क्योंकि यह एक ऐसा देश है, जिसमें बहुत सारे लोगों ने दौरा किया, इतना सर्वदेशीय और वहाँ तुर्की प्रभाव भी अधिक है। इसके बावजूद हमने पाया कि यह इतना उत्साहजनक नहीं था , और जोस इस बात से अत्यंत परेशान थे। उन्होंने कहा: “माँ, यहाँ इन लोगों को क्या हो गया है?”। ठीक है, अब जैसा कि आप देख रहे हैं, यह बहुत उत्साहजनक है, हमारे पास स्पेन से बहुत सारे सुंदर गायक, संगीतकार हैं, और यहाँ बहुत सारे लोग हैं जो अपने सुंदर, मधुर संगीत के साथ आपका मनोरंजन करने आए हैं, विशेष रूप से उनकी लय वास्तव में कुछ अनोखी है। भारतीय संगीत की अपनी एक लय है, लेकिन वह अपनी प्रणाली से बहुत बँधा हुआ है, जबकि मैं देखती हूँ कि यहाँ पूर्ण स्वतंत्रता है, जिस तरह से आपको पसंद है, उस तरह से अपना तबला बजाने की, जिस तरह से आपको पसंद है, उस तरह से आपका लयबद्ध ढंग, Read More …

Evening Program, Eve of Sahasrara Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-05-03 Sahasrara Puja आज का कार्यक्रम वास्तव में बहुत, बहुत आनंदपूर्ण, बहुत दक्षता पूर्ण था। मुझे कहना होगा कि इसका श्रेय हमेशा की तरह जर्मनी के लोगों को और साथ-साथ ऑस्ट्रिया के लोगों को भी जाता है, सब कुछ इतना उत्तम करने के लिए। पूर्वार्ध में हम चकित थे कि कैसे पश्चिम के लोग भारतीय वाद्य यंत्रों पर भारतीय रागों के साथ इतना अच्छा बजा सकते हैं। यह एक असंभव कार्य है। मेरे कहने का अर्थ है, भारत में, वे कम से कम दस से बारह वर्ष व्यतीत करते हैं उस स्तर तक पहुँचने के लिए और तीन महीने के समय में वे सभी इतनी निपुणता प्राप्त कर चुके हैं। और बाबामामा कह रहे थे कि संभवतः ये उनके आत्मसाक्षात्कार के कारण है, कि वे तीन महीने के समय में यह सब चीज़ें सीख सके हैं। मैं स्वयं अचंभित थी कि तीन महीने के समय  में ये इतना अच्छा कैसे बजा सकते हैं। उसके बाद अन्य कार्यक्रम भी बहुत रोचक थे, उदाहरण के लिए जिस तरह से उन्होंने प्रदर्शन किया इस संगीत का इतने अच्छे से संचालन कर के।  मेरे कहने का अर्थ है कि इस कार्यक्रम को देखने के लिए आपको $ 50 का भुगतान करना पड़ेगा! और पूर्ण शांति होनी चाहिए, और सुनिश्चित रूप से अपने स्थान पर बैठना पड़ेगा, पूर्णतया स्थिर मानो… और यह इतना उल्लेखनीय था और इतना वृत्तिक था, इतनी, इतनी सुंदरता से किया गया, बिना एक गलती के कहीं भी, इतने सामंजस्य से  , संभवतः इसमें  भी सहजयोग का आशीर्वाद है, मुझे नहीं पता। Read More …

Evening Program, Eve of Adi Shakti Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहज योगी: हम भाग्यशाली हैं कि, हमें श्री माताजी और सर सीपी का सानिध्य प्राप्त हुआ है। और यहां प्रतिनिधित्व कर रहे स्पेन, बेल्जियम, हॉलैंड और अन्य सभी देशों के सहज योगियों में से केवल आधे लोग , हम यहां आपकी उपस्थिति के लिए अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं और हमारे पास 3 देशों द्वारा तैयार  एक छोटा सा कार्यक्रम है जिसमें नृत्य, और कुछ गाने शामिल हैं, और हम आशा करते हैं कि आप इसे पसंद करेंगे। अन्य सहज योगी : नमस्कार श्री माताजी! नमस्कार सर सीपी, हमारे हृदय से हम सम्मान और जो हर्ष हमें प्राप्त हुआ हैं व्यक्त करना चाहते हैं और श्री माताजी, सर सीपी और इतने सारे देशों के भाइयों और बहनों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं,  यह छोटा सा संगीत कार्यक्रम आज … कार्यक्रम की शुरुआत 3 भागों में डच कला के साथ होगी। एक हिस्सा हॉलैंड से, बेल्जियम से एक, और स्पेन से एक हिस्सा… तो हम पहले डच गीत के साथ शुरू करेंगे और पहला श्री माताजी का स्वागत नृत्य है… [प्रदर्शन शुरू होता है] श्री माताजी: यह महिला डेली वर्मा इतनी एक अद्भुत है, इस तरह का आश्चर्य और यह कितना शानदार  आश्चर्य था … मुझे यह कहते हुए खेद है लेकिन मैंने संगीत और नृत्य का ऐसा संयोजन कभी नहीं देखा है।अली अकबर खां साहब एक बहुत महान गुरु हैं लेकिन मैंने कभी किसी को उनकी प्रतिभा का उपयोग करते नहीं देखा। नृत्य के लिए प्रतिभा। यह बहुत बेहतर है, आप देखिए … कभी-कभी लोग कथक, या किसी भी Read More …

Evening Program Sahasrara Puja and Talk: You have to be politically aware Campus, Cabella Ligure (Italy)

(2:38:00 बजे)  श्री माताजी: ऑस्ट्रियन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया और फिर, कहना चाहिए कि जर्मन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया, वह बहुत सुन्दर था क्योंकि जो पहला कार्यक्रम था, वह कुछ क्लासिकल था और जिस प्रकार से उन लोगों ने प्रस्तुति रखी, वह मुझे बहुत ही अच्छी लगी ।पाश्चमात्य संगीत की वो सभी सुंदर धुनें, नि:संदेह बहुत-बहुत सुंदर थीं । लेकिन उसके बाद भी जो नाटक उन्होंने सहजयोग के बारे में प्रस्तुत किया, उसका भी मैंने भरपूर आनंद लिया और यह कि वे जिस तरह से सहजयोग को समझ रहे हैं कि अगर आपका स्वयं पर विश्वास है तो कुछ भी किया जा सकता है, वह बहुत महत्वपूर्ण है । और इस रात्रि हमने जो सारा समय यहां बिताया, वह बहुत ही आनंददायी था । मेरे विचार से सभी बहुत खुश थे और आनंद उठा रहे थे । तो, कल हमारा पूजा का एक कार्यक्रम है । इसलिए, अब अगर संभव हो तो हमें जाकर सो जाना चाहिए । इसके बाद, मुझे पता है कि आप सभी एक दूसरे का मज़ा उठाएंगे, जैसाकि हमेशा होता है, पर उसके बाद कृपया आप सभी निद्रा लें ।  आज का समारोह अति महत्वपूर्ण था – जिस प्रकार से वे झंडे लेकर आए, मैं इतनी आनंदित महसूस कर रही थी । न जाने किस-किस तरह की भावनाएं उठ रही थी, बस मैं बता नहीं सकती कि मैं  उस पर क्या कहूं -इतना बेहतरीन विचार था । कुछ झंडों के बारे में तो मुझे पता भी नहीं है । परन्तु इस संसार Read More …

Quawwali – Baba Zaheer पुणे (भारत)

Talk आपको चैतन्य कहाँ महसूस होता है? ऐसे ही सूफ़ी हो जाए गुणगान हो जाएकवाल हो जायमशरूफ हो जाए| तो सारे दूर हम  मन चैतन्य को तो इनके गाने के मध्यम से फेला सकते है| बहुत आसान है इन्होंने इनके भाई लोग है  मे पता नही भाई नाम | मैं अपना सूफ़ी नाम बता देता हूँ!आप बता दो!  (कव्वाल अपना नाम श्रीमताजी को बताते हुए|) तो आप सब लोगो का बहुत बहुत धन्यवाद की आप लोग आए और इसको क़्वाली को सुनने के लिए मैं चाहती हूँ की और भी लोग सहज योगी आ गये होते तो अच्छा होता| पर शायद यह जगह थोड़ी दूर हो इसलिये इस वजह से नही आ पाए हो  ….बहरहाल इस तरह की चीज़े अगर हमारी यहाँ धीरे धीरे फैल जाए तो सहज की जो धारा है वो ओर भी सहज हो जाए | अच्छा, दिल्ली मे भी अंदर तीन साल पहले वहाँ मुस्लिम लोग बैठ ते है| तो वहाँ हुँने ग्राउंड मैं सबके रहने  की व्यवस्था की तो पोलीस के लोगो ने हमे वहाँ खबर की वहाँ मुसलमान लोग रहते है और वो आप पे बॉम्ब छोड़ेंगे मैने कहाँ मेरे पे कोई बॉम्ब नही छोड़ने वाला आप चिंता मत करो, मैने कहाँ कौन है वो मुसलमान| कहने लगे निज़ामुद्दीन साब, निज़ामुद्दीन साब एक बहुत बड़े औलिया उनके एक शिष्य थे| आप ने सुना होगा उनका नाम उनकी इतनी सुंदर कविताए हैं जो की शृंगारिक रूप से लिखी है पर परमातमा पे | वो फिर वो लोग मैने कहाँ अरे मैनेउनकी कब्र पर सबसे पहले उनके ऊपर चादर चढ़ाई थी तब तो कोई वहाँ Read More …

Talk: Learn from Your Guru and Evening Program Ganapatipule (भारत)

                “अपने गुरु से सीखो” गणपतिपुले (भारत), 6 जनवरी 1990। मैं छह बजे तैयार थी जब बाबामामा आए और मुझसे मिलने के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण लोगों को लाये और,  मैं बस तैयार थी | लेकिन ऐसा होता है कोई बात नहीं, और मैं उस छोटे से बैले को देखने के लिए उत्सुक हूं जो इन  दिल्ली वाले लोगों ने किया है और छोटे बच्चे अब इसे आपके लिए करने जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आप सभी हर सुबह ध्यान कर रहे होंगे और सहज योग के बारे में बात कर रहे होंगे, एक दूसरे से मिल रहे होंगे। और यह ज्यादातर एक समष्टि में आने के लिए है, कि हम सभी को सहज योग के बारे में चर्चा करनी चाहिए, और यह पता लगाना चाहिए कि किस प्रकार हम इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं।  मैं सोच रही थी कि, सुबह का समय हम उन लोगों के लिए आवंटित कर सकते हैं, जो लोग इसे ‘ब्रेन ट्रस्ट’  के लिए रखना चाहते हैं, एक तरह की चीज, एक सम्मेलन। आप यह कर सकते है। कल पूजा है लेकिन परसों हम प्रात: काल में खाली हैं और 9 जनवरी को भी हम मुक्त हैं। तो आप सभी चीजों के बारे में और सतारा जिले में जो हुआ है, इस बारे में चर्चा और बात कर सकते हैं। और उन सभी बातों पर आप सबके बीच चर्चा हो सकती है। और यह स्थापित किया जा सकता है कि हम आपस में सहज योग को ठीक से समझें। बहुत से लोग Read More …

Christmas Eve Talk: Purity and Holiness and Evening Program Ganapatipule (भारत)

[English to Hindi translation] शुचिता और पवित्रता गणपतिपुले (भारत), 24 दिसंबर 1988। आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। परमात्मा आप को आशिर्वादित करे। [तालियां] ईसा मसीह का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है, और यह अच्छा है कि हम यहां गणपतिपुले में उनके जन्म का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि सहज योग में आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने महसूस किया है कि ईसा मसीह के सिद्धांत श्री गणेश थे। तो यह क्रिसमस मनाने के लिए सही जगह है और ईसा मसीह का जन्म  – आज बिल्कुल मेल खाता है और मुझे बहुत खुशी है कि आपने उसके लिए गणपतिपुले को चुना है। अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गणेश का सिद्धांत आज्ञा चक्र पर ईसा मसीह का सिद्धांत बन गया। और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे भीतर है जिसने हमें, हमारे व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया है, कि हम अपना पुनरुत्थान कर सकें जैसे कि मसीह ने खुद को पुनर्जीवित किया; इसलिए उनके जीवन का संदेश पुनरुत्थान है। तो अपने जन्म से उन्होंने अपना पुनरुत्थान करवाया, उसी तरह जब आप अपना पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं तो आप फिर से जन्म लेते हैं, या आप सहजयोगी बन जाते हैं। यह उसी सिद्धांत पर काम करता है। लेकिन उन्हें शारीरिक रूप से सारी तपस्या से गुजरना पड़ा, जैसा कि हम कहते हैं कि वह हमारे लिए, हमारे पापों के लिए मरे; लेकिन अब जैसा कि उन्होंने हमारे लिए किया है, आज्ञा चक्र पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है, Read More …

Being Bandhamukta – A free personality and Evening Program Ganapatipule (भारत)

                गणपतिपुले संगोष्ठी, भारत यात्रा  गणपतिपुले (भारत), 5 जनवरी 1988। कल के कार्यक्रम से, और इन सभी दिनों में, आपने महसूस किया होगा कि अपनी कुंडलिनी को कार्यान्वित करने के लिए, उसकी आरोहण सहस्रार की ओर  लाने के लिए और अपनी सुषुम्ना नाडी को चौड़ा करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप तीन से पांच घंटे ध्यान के लिए बैठें। बेशक, आपको थोड़े समय के लिए ध्यान करना चाहिए क्योंकि केवल उस दौरान ही  है जहां आप अकेले हैं, अपने ईश्वर के साथ एकाकार हैं। लेकिन अन्यथा सामूहिक में, जब आप इसमें विलीन हो जाते हैं, तो कुंडलिनी समान रूप से उठती है। जो होता है उसे समझने का यह एक बहुत ही विवेकपूर्ण तरीका है। सामूहिकता में जब आप होते हैं, तो आप एक-दूसरे की भरपाई करते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और ब्रह्मांड का एक सूक्ष्म पक्ष आप में प्रकट होने लगता है। फिर यदि आप वास्तव में घुल सकते हैं तो संस्कृत भाषा में ‘विलय’ शब्द है या मराठी भाषा में ‘रमना’ बहुत अच्छा है। मुझे नहीं लगता कि “आनंद के साथ विलय” लेकिन देखिये, कोई ‘साथ’ नहीं है, आनंद में विलीन हो जाते हैं। तो अगर आप किसी चीज के आनंद में विलीन हो सकते हैं जो कि सहज है तो आप एक ध्यानमय व्यक्तित्व बन सकते हैं, आप अपने भीतर उस ध्यानमय रवैये को प्राप्त कर सकते हैं। उस रवैये के साथ, उस बल के साथ, आपके भीतर नए सूक्ष्म आयाम प्रस्फुटित होने लगते हैं। आपकी अलग-अलग तरह की संस्कारबद्धता जो बेड़ियों की Read More …

Sahaj Yogiyon Ko Upadesh Ganapatipule (भारत)

सहजयोगियों को उपदेश ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए कि यहाँ जो बंबई वाले और दिल्ली वाले लोग आये हैं ये मेहमान नहीं हैं। मेहमान जो लोग बाहर से आये हैं वो हैं। बसेस उनके पैसे से आयी हैं। आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहे उसके लिए। एक कवडी भी नहीं दे रहे हैं। बसेस उनकी हैं, वो सब बसेस मार कर आप लोग यहाँ आ गये। यहाँ | बसेस छोड़ दिये, वो लोग रास्ते में लटक के खड़े हुए हैं। बजाए इसके कि आप उन लोगों का खयाल करें, आप हैं और यहाँ बसेस आराम से यहाँ पहुँच गये। आके आराम से यहाँ बैठ गये हो । और आधे लोग रस्ते में बैठे हुए सड़ रही हैं। आप लोग यहाँ मेहमान के रूप में नहीं आयें, कृपया ध्यान दीजिए । ये अपनी आदतें आप बदलिये। आप यहाँ पर आये हैं सेवा करने के लिए और ये बाहर के जो लोग आये हैं ये मेहमान हैं। आप जिस चाहे बस में चढ़ जाते हैं, जैसे कि आपने बस ली है किराये से। पिछली मर्तबा ४५,००० रू. मैंने भरा आप लोगों के बस में | चढ़ने का। बेहतर है आप सब लोग पैदल आईये और नहीं तो एक चीज़ हो सकती है कि एक बस है सिर्फ आप के लिए। किसी भी टाइम में आप लोग निकलते हैं। आपको कोई टाइम नहीं है, कुछ नहीं है, एक ही बस आयेगी और | वो बस दो मर्तबा आयेगी और उसी बस में आपको बैठने को Read More …

The Innocence of a Child & purpose of Ganapatipule, Evening Program, Eve of Shri Mahaganesha Puja Ganapatipule (भारत)

एक बच्चे सी अबोधितागणपतिपुले (भारत), 31 दिसंबर 1985। गणपतिपुले एक बहुत ही खूबसूरत जगह थी और आप सभी के लिए बहुत सुकून देने वाली जगह थी इसके अलावा यहांआने का मेरा एक विशेष उद्देश्य था । कारण यह है कि – मैंने पाया कि इस जगह में चैतन्य थे जो आपको बहुत आसानी से स्वच्छ कर देंगे, सबसे पहले। लेकिन आपको इसकी इच्छा करनी होगी, वास्तव में, तीव्र्ता के साथ। आपको वह इच्छा रखनी चाहिए अन्यथा कुंडलिनी नहीं उठ सकती है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है; कि तुम्हें अपने उत्थान की इच्छा करनी है, और कुछ नहीं। यह ऐसी जगह नहीं है जहां आप छुट्टी मनाने आए हैं या सिर्फ किसी तरह के विश्राम के लिए या किसी आनंद या सोने या किसी भी चीज के लिए आए हैं, बल्कि आप यहां तपस्या के लिए, तपस्या के लिए, अपने आप को पूरी तरह से शुद्ध करने के लिए आए हैं। यह श्री गणेश के मंदिर का एक स्थान है, जहां लोगों का आना-जाना बहुत कम है और यह अभी भी बहुत, बहुत शुद्ध है। और मैंने सोचा था कि आप में गणेश तत्व जागृत हो जाएगा जो कि हर चीज का स्रोत है। श्री गणेश के तत्व, जैसा कि आप जानते हैं, बड़े पैमाने पर या विस्तृत तरीके से, हम इसे ‘अबोधिता’ कहते हैं, लेकिन हम उन पेचीदगियों और विवरणों को नहीं जानते हैं जिन पर जाकर यह काम कर सकता है। श्री गणेश की अबोधिता में लोगों को शुद्ध करने, आपको पवित्र बनाने, आपको शुभ बनाने की Read More …