Inauguration of Vishwa Nirmal (भारत)

Udghatan – Vishwa Nirmala Prem Ashram Date 27th March 2003 : Noida Place : Seminar & Meeting Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]  अपने देश में जो अनेक प्रश्न हैं, उसमें सबसें बड़ा प्रश्न है कि यहां पर औरतों को और आदमियों को अलग-अलग तरीके से देखा जाता है। पता नहीं ये कैसे आया, क्योंकि अपने शास्त्रों में तो लिखा नहीं है। कहते हैं शास्त्रों में कि: यत्र पूज्यन्ते नार्या, नारियां जहां पूजनीय होती है तत्र रमन्ते देवता।  तो पता नहीं कैसे हमारे देश में इस तरह की स्थिति सम्पन्न हुई है, जिससे औरतों के प्रति कोई भी आदर नहीं है। विशेषतः मेरा विवाह यू.पी. में हुआ और मैं देखकर हैरान हुई कि यू.पी. में घरेलू औरतों का कोई स्थान ही नहीं है। उनमें और नौकरानियों में कोई फर्क ही नहीं है। ये इस प्रकार क्यों हुआ, और क्यों हो रहा है?  क्योंकि लोग उस ओर जागृत नहीं हैं और कभी-कभी देख कर के तो रोना आता है। जिस तरह से औरतों को छला है, घर से निकाल दिया, कोई वजह नहीं है, यूही घर से निकाल दिया। और ऐसे बहुत सारे हमने जीवन में अनुभव लिए और जिसकी वजह से अत्यन्त व्यथित हो गए। समझ में नहीं आता था कि इस तरह से क्यों औरतों को सताया जा रहा है और इनके रहने की भी व्यवस्था नहीं है। जब घर से निकल गई तो उनको देखने वाला भी कोई नहीं है। बाल बच्चे ले करके निकल आएंगी बेचारी। वो लोग तो हैं निराश्रित पर बच्चों को भी विल्कुल बुरी तरह से निकाल देते हैं। ये अपने यहाँ की व्यवस्था किस तरह से बंदल सकती है, इसका कोई इलाज है या नहीं?     Read More …

Talk, Paane ke baad dena chaahiye swagat samaroh New Delhi (भारत)

Aapko Sahajayoga Badhana Chahiye Date 5th December 1999: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सत्य को पाने वाले सभी सहजयोगियों को जो आप उठा रहे है वो दूसरों को भी देना हमारा प्रणाम । आप लोग इतनी बड़ी संख्या में चाहिए। यहाँ उपस्थित हुए है ये देखकर मेरा वाकई में हिन्दुस्तान तो है ही मेरा देश और यहाँ आने में जो एक विशेष आनन्द होता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता और जब में आप लोगों के लोगों ने, सत्य को प्राप्त किया है। सत्य के को देखती हैं, एयरपोर्ट पर, तब मुझे लगता है बगैर मनुष्य का जीवन बिल्कुल व्यर्थ है, जैसे कि न जाने कितने हृदयों में ये आनन्द आड़ोलित अन्धेरे में इन्सान टटोलता रहता है उसी तरह हो रहा है और कितने ही लोग इस आनन्द से हृदय भर आया है और सोच-सोच के कि मेरे ही जीवन काल में इतने लोगों ने, इतने दूर – दूर सत्य के बगैर मनुष्य भटक जाता है। उसमें प्लावित हो रहे हैं। इसी से हमारे बच्चों की भी रक्षा होगी, और हमारे युवा लोगों की भी रक्षा का जो उसे घेरे हुए है। जैसे कहा है आपको इतना ही नहीं, लेकिन हमारे देश में और सबको सहजयोग बढ़ाना चाहिए। ये मेरी सबद्धता और असली माने में स्वराज्य आएगा। उसका मैं दोष नहीं मानती, दोष है उस अन्धेरे होगी। भी बड़ी इच्छा है कि सहजयोग आप लोग बढ़ा स्व: का मतलब है आत्मा और आत्मा का राज्य सकते Read More …

Expression of Subtle Elements New Delhi (भारत)

Panch Tattwa – The Subtle Elements Date 16th December 1998: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतने ठंड में और तकलीफ में आप सब इतना भयंकर दावानल जैसे चारों तरफ से लगा लोग आए। एक माँ के हृदय के लिए ये बहुत हुआ दिखाई देता है। उसके बीच आप सहजयोगी बड़ी चीज़ है। अब और कोई दिन मिल नहीं रहा था, इसी दिन आप लोगों का तकलीफ वर्णन शास्त्रों में है। पर उसमें ये कहा जाता है उठानी पड़ी। और आप लोग इतने प्रेम से, सब लोग, यहाँ आए! सबका कहना था कि हवाई दिन कलि लग गया। तो उन्होंने कहा कि अब अड्डे पर माँ हम तो बिल्कुल आपको देख भी मैं तेरा सर्वनाश करता हूँ क्योंकि तुमने मेरी पत्नी नहीं पाए, और मैं भी आपको नहीं देख पाई। से मैरा बिछोह किया है । इस पर कलि ने कहा इसलिए बेहतर है कि आप लोग आज यहाँ आए कि तुम मेरा महात्म्य जानो मेरा जो महात्म्य है हैं, सब लोग। और दिल्ली वालों का जो उत्साह खड़े हुए हैं। इस कलयुग के बारे में अनेक कि नल, जो दमयंति के पति थे, के हाथ एक उसे समझ लो। उस महात्म्य में गर तुम समझो कि मुझे मार डालना है तो मार डालो, में खत्म हो जाऊंगा। उसने कहा तुम्हारा क्या महात्म्य है? है, वो कमाल का है। ऐसा ही उत्साह सब जगह हो तो ये भारतवर्ष सहजयोग का महाद्वार बन जाएगा। ये एक समय है, Read More …

Talk To Yogis Madras (भारत)

Talk to Sahaja Yogis, Madras 1994-01-17 [Translation in PDF] [Transcript Scanned from Divine Cool Breeze] Today we are lost in the Shabad Jalam We say mantras, we read books, there are Shaivaites and Vaishnavities. All these things to us have been important also because we thought by following these methods, we will achieve our moksha, our last goal. This way I must say that Indians are very alert and basically spiritually minded. They also know what is wrong and what is good. They also know what is dharma and what is not Dharma They will do wrong things. They may take to things which are absolutely against their spiritual life, but in their heart of hearts they all know that this is wrong, but they can’t help it. We have to understand that we are specially blessed by people who were our forefathers who were great seers, saints and incarnations and who gave so much time for the emancipation of our spiritual life. To them material life was not so important. Specially in the South I feel that people are deeply rooted into Dharma. I read about Shalivahana who met Christ once in Kashmir Christ told him that ‘I come from the Country of Malekshas. (Mal-iccha) means desire for filth. Their desire is towards mat not towards purity and I have come here because you people are absolutely Nirmal – Pure. Shalivahan told him ‘Why do you want to come here. You should go and work for those people who Read More …

Advice on Gudi Padwa New Delhi (भारत)

परमपूज्य माता जी श्री निर्मला देवी द्वारा दी गयी शिक्षा गुडी पाडवा, दिल्ली २४-०३-९३ आज सत्य युग का पहला दिन हैं। प्रकृति आप को बताएगी कि सत्य युग आरम्भ हो गया है। सहजयोग सत्ययुग ले आया हैं। आप आत्म साक्षात्कारी हैं, आपको स्वयं में श्रद्धा तथा विश्वास होना चाहिये। सहजयोग की कार्य शैली में आपकी श्रद्धा होनी चाहिये । आपकी ज्योतिर्मय श्रद्धा में क्या कार्य करता है? पूर्ण विश्वास होना चाहिये । मेरी ओर देखिये । मैनें अकेले सहजयोग को फैला दिया हैं। बस परम चैतन्य में विश्वास रखें । यदि आपको कोई सन्देह हैं, तो मुझसे पूछ लें। परमात्मा तो नहीं है पर मै तो आप से बातचीत करने के लिये यहाँ हूँ। अत:अब सहजयोगियों को सन्देहमुक्त होना चाहिये । | १. अगुआगणों को बहुत सावधान रहना चाहिये । उन्हें अहंकार विहीन होना चाहिये । वे संदेश के माध्यम मात्र हैं जैसे पोस्ट करने के लिये मुझे पत्र को लिफाफे में ड्रालना पड़ता हैं। स्वामित्व भाव से वे सावधान रहे । २. किसी भी चीज की योजना बनाते समय हमारा चित्त सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण चीज पर होना चाहिये। आपकी प्राथमिकताएं स्पष्ट होनी चाहियें । | ३. यदि कोई नकारात्मकता हो तो मुझे बतायें, मैं इसे ठीक करुंगी । ४. प्राय: आयोजक धन की चिन्त करने लगते हैं। सहजयोग में आपको सदा धन प्राप्त हो जायेगा । परन्तु यदि आप चिन्ता करेंगे तो धन नहीं मिलेगा। धन इतना अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं हैं । ५. एक दूसरे के लिये हम में विवेक होना चाहिये । ६. आपको कोई भय नहीं होना Read More …

Dyan Ki Avashakta, On meditation New Delhi (भारत)

Dhyan Ki Avashayakta   ध्यान की आवश्यकता  Date:27th November 1991 Place: Delhi    Seminar & Meeting Type: Speech Language Hindi  [Original transcript, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]  आज आप लोगों से फिर से मुलाकात हो रही है और सहज योग के बारे में हम लोगों को समझ लेना चाहिए।  सहज योग,  ये सारे संसार के भलाई के लिए संसार में उत्तपन्न  हुआ है, कहना चाहिए और उसके आप लोग माध्यम हैं।  आपकी जिम्मेदारियाँ बहुत ज़्यादा हैं क्योंकि आप लोग इसके माध्यम हैं, और कोई नहीं है इसका माध्यम।    कि  हम अगर पेड़ को वाईब्रेशन्स (Vibrations) दें या किसी मन्दिर को वाईब्रेशन्स दें या कहीं और भी वाईब्रेशन्स दें तो वो चलायमान नहीं हो सकते,   वो कार्यान्वित नहीं हो सकता।  आप ही की धारणा से और आप ही के कार्य से यह फैल सकता है।  फिर हमें यह सोचना चाहिए कि सहजयोग में एक ही दोष है। ऐसे तो सहज है, सहज में प्राप्ति हो जाती है। प्राप्ति सहज में होने पर भी उसका संभालना बहुत कठिन है क्योंकि हम कोई हिमालय पर नहीं रह रहे हैं। हम कहीं ऐसी जगह नहीं रह रहे हैं, जहाँ और कोई वातावरण नहीं है, बस सब  आध्यात्मिक वातावरण है। हर तरह के वातावरण में हम रहते हैं। उसी के साथ-साथ हमारी भी उपाधियाँ बहुत सारी हैं जो हमें चिपकी हुई हैं। तो सहजयोग में शुद्ध बनना,  शुद्धता अंदर लाना ये कार्य हमें करना पड़ता है। जैसे कि कोई भी चैनल (Channel)हो वो अगर शुद्ध न हो, तो उसमें से जैसे बिजली का चैनल है उसमें से बिजली नहीं गुज़र सकती। अगर पानी का नल है उसके अंदर कुछ चीज़ भरी हुई है उसमें से पानी नहीं गुज़र सकता। इसी प्रकार ये चैतन्य भी जिस  नसों में बहता है उनको शुद्ध होना चाहिए। और इन नसों को शुद्ध करने की जिम्मेदारी आप लोगों की है । हालांकि आपने कितनी बार कहा है कि माँ हमें भक्ति दो। माँ हमें निताँत आपके प्रति श्रद्धा दो किन्तु ये चीज आपको खुद ही समझदारी में जानना है। पहली तो बात है कि शुद्ध जब नसे हो जाएँगी तो आप आनंद में आ जाएंगे। आपको लगेगा ही नहीं कि आप कोई कार्य कर रहे हैं। आप काई सा भी कार्य करते जाएंगे उसमें आप यश प्राप्त करेंगे। बहुत सहज में Read More …

How We Should Behave (two talks) पुणे (भारत)

1989-12-27 India Tour – How We Should Behave FIRST SPEECH It was very interesting I was thinking about you all and about the people who have done so much for Sahaja Yoga. It is impossible really to say how many have worked for Sahaja Yoga with such interest and dedication. And this dedication is directed by divine force that’s why I think you people are not even aware how much you have worked so hard without getting any material gain out of it. And the joy has no value. We cannot evaluate in any human terminology nor can we describe it as to how we feel the joy of oneness together. This togetherness is very much felt in Ganapatipule. I see the leaders from all over the world have become great friends – there’s no jealousy, there’s no quarrelling, there’s no fighting, there’s no domination, there’s no shouting, nothing. Such beautiful brothers and sisters such a beautiful family we have created out of this beautiful universe. Now we have to maintain the beauty individually and collectively. Some people think that individually if you do something that is alright, but if it is not related to the collective it cannot be sahaj. Anything that you do has to be related to the collective. Now to be individualistic is a trend in the modern times and in that how far we have gone into nonsense that we know very well. Individuality is a personality within yourself which has to be of different Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Value Systems Ganapatipule (भारत)

हिन्दी (Hindi) अभी जो मैने बातचीत की थी उसका सारांश ये है की जब हम मनुष्यता के रूप से अपनी ज़िंदगी बसर करते है तब हमारे अंदर मनुष्यता नहीं रह जाती हम सिर्फ़ अपनी संपदा के बारे में सोचतें हैं और मनुष्यता की जो संपदा है उसे नही सोचतें हैं | जिस वक़्त हम सहज योग में उतर आते है तभी हमारे में पहली मर्तबा वो समर्थता आ जाती है की हम मनुष्यता को अपनाएँ | मनुष्यता से बढ़कर और कोई सी भी चीज़ नहीं ये हमारे समझ में आ जाती है और समझ में आने का मतलब है की वो हमारे जीवन में ही उतरने लग जाती है | जब तक हम मनुष्यता के रूप को और उसके मधुर स्वाद को चखतें नहीं तब तक मनुष्य अपने ही एक आवरण में, अपने ही एक सीमित जीवन में ही आनंदित रहता है, लेकिन जितने भी संसार में बड़े-बड़े लोग हो गये हैं, जिनके नाम हैं और जिनको हमलोग आज भी पूज्‍यनीय मानते हैं ये सब मनुष्यता के ही भोक्ते थे और उसी का आनंद इन्होने उठाया | सहज योग के बाद आप भी इसका आनंद उठा सकते हैं, क्यूँकी इसके बाद आप आत्मा स्वरूप हो जाते हैं, और आत्मा जो है ये सार्वजनिक है, ये अपने में ही सीमित नही है, ये सर्वजन्य में, सारी सृष्टि में सब  दूर इस तरह से अगोचर है, लेकिन हमेशा विचरण करते रहता है और उसका जो एक प्रभाव है हमारे अंदर वो सबसे बड़ा ये है की हमें भी उसी में आनंद आता Read More …

Health Advice to Western Yogis Sangli (भारत)

पश्चिमी योगियों को स्वास्थ्य सलाह और ऑस्ट्रेलिया के साथ समस्याएं सांगली (भारत), 21 दिसंबर 1988। मैंने सुना है कि आप सब बहुत बीमार हो गए हो। मुझे लगता है कि उसकी वजह से मैं खुद बीमार हो गयी। अब मुझे आशा है कि आप सब बेहतर होंगे। अभी भी बीमार लोग हैं? कितने? गुइडो लैंज़ा: लगभग सत्तर। श्री माताजी: सत्तर बिस्तर में बीमार हैं? वे कहां हैं? अब एक बात है जो मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए कि उस दिन ये लड़कियां मुझे गहने पहना रही थीं और मुझे उनमें से बहुत अजीब गंध आ रही थी। तो मुझे लगता है कि आप लोग ठीक से हाथ नहीं धोते।  मैंने तुमसे कहा था कि शौचालय जाने के बाद हर समय पानी का उपयोग करो- यह बहुत जरूरी है। लेकिन आप लोग अभी भी पाश्चात्य शैली से चिपके रहते हैं। यह बहुत गंदा है, मैं आपको बताती हूँ। यह जीने का एक बहुत ही गंदा तरीका है – पानी का उपयोग नहीं करना। यह बहुत अस्वास्थ्यकर भी होता है। इसलिए आप पश्चिम में पाते हैं कि ज्यादातर लोग बीमार हैं। यहाँ नहीं। आपने कल देखा कि लड़के कैसे नाच रहे थे-इतना गति से और तेज़। इसलिए एक बात याद रखनी है कि शौचालय से बाहर आने के बाद, खाने से पहले हाथ धोना है। कल मैंने उनके हाथ सूँघे और मैं दंग रह गयी। बहुत बुरी महक! तो यह भारतीय रिवाज या कुछ भी नहीं है, लेकिन यह एक स्वच्छ प्रणाली है। तो मुझे आशा है कि आपको लोटे (जग) मिल Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Eve of Guru Puja Camping Borda d'Ansalonga, Ansalonga (Andorra)

गुरु पूजा से पहले शाम पर व्याख्यान  अंसलॉन्गा (अंडोरा), 30 जुलाई, 1988 कल हम सभी के लिए एक महान दिन है क्योंकि यह गुरु पूजा दिवस है, और शायद आप जानते हैं कि गुरु पूजा सभी सहजयोगियों के लिए सबसे महान दिन है, मेरे लिए भी। बेशक, सहस्रार दिवस वह दिन है, जो बहुत महत्वपूर्ण है, जो आध्यात्मिकता में और उत्क्रांती की प्रक्रिया में भी एक बड़ा इतिहास रचता है। लेकिन हम सहजयोगियों और मेरे लिए – यह बहुत उल्लेखनीय है कि हम यहां कुछ जानने और कुछ सिखाने के लिए हैं। अब, यदि आप देखते हैं कि कैसे सहज योग ज्ञान धीरे-धीरे आप सभी के पास आ गया है। ज्ञानेश्वर ने इसका बहुत सुंदर वर्णन किया है – वे कहते हैं, “जिस तरह पंखुड़ियाँ जब धरती माता पर गिरती हैं, उसी तरह धीरे से, इस ज्ञान को शिष्यों के मन पर पड़ने दें और उन्हें सुगंधित करें।” एक और बात वर्णित है चकोर नामक पक्षी, जो एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ पूर्णिमा के समय चांदनी का अमृत चूसता है, अन्यथा यह किसी और चीज की परवाह नहीं करता है, यह केवल अपने आप को पोषित करता है। इसलिए वे कहते हैं, “चांदनी के अमृत को चूसने वाले चकोर पक्षी की तरह शिष्यों द्वारा दिव्य ज्ञान को शोषित कर लिया जाए।” चंद्रमा आत्मा का प्रतिक है। उसी तरह, इसे उनके अस्तित्व में प्रवेश करने दें। आखिरकार, वह एक बहुत महान कवि थे, मुझे कहना होगा, कविता में कोई भी उतना गहरा नहीं जा सकता जितना ज्ञानेश्वर गए हैं, कोई Read More …

Advice: Beware of the murmuring souls Armonk Ashram, North Castle (United States)

अरमोंक आश्रम में सलाह\खुसुरफुसुर करने वालों से सावधान   न्यूयॉर्क (यूएसए), 27 जुलाई 1988 यहां आकर और आप सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा! आप की मेहरबानी है की आपने मुझे अपने आश्रम में आमंत्रित किया। तो इन दो दिनों के कार्यक्रमों के अनुभव से आपने महसूस किया होगा कि,  हमने वह प्राप्त किया, हालांकि शुरुआत में यह दुर्जेय दिखता है, परिणाम प्राप्त करना और लोगों को आत्म-साक्षात्कार करना इतना मुश्किल नहीं है। मुझे लगता है कि आप सभी बहुत समझदार हैं और आपने इसे बहुत अच्छे से कार्यान्वित किया है। यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात थी, मेरे लिए इतनी खुशी की बात है कि आपने इतने सारे लोगों को आत्मसाक्षात्कार दिया और आप उन्हें सहज योग के बारे में समझाने में कामयाब रहे। इस आधुनिक समय में, विशेष रूप से अमेरिका और इसी तरह के अन्य देशों में, यह बहुत मुश्किल है ऐसा कि लोगों के लिए यह जान पाना असंभव है कि परे भी कुछ है। बेशक, अनजाने में वे खोज रहे हैं – अनजाने में। वे इस बात से भी अवगत नहीं हैं कि उनमें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने की संभावना है। और इतने नकली लोग आ गए हैं कि उन्हें लगता है कि यह भी एक और तरह की गुरु खरीददारी है जिससे उन्हें गुजरना है। और जब मैं पहली बार अमेरिका आयी थी…मुझे लगता है कि,  एक तरह से सबसे पहले जिस देश में मैं आई थी वह अमेरिका था। उससे पहले मैं ईरान गयी थी क्योंकि मेरा भाई (बाबा मामा) वहां था। और जब Read More …

महिलाओं की भूमिका, द्वितीय सेमिनार दिवस Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

महिलाओं की भूमिका, द्वितीय सेमिनार दिवस, 19 जून 1988, शूडी कैम्प, कैम्ब्रिजशायर, यू0के0 कल शाम हमने बहुत सुंदर ध्यान किया और हम सभी ने ठंडी-ठंडी चैतन्य लहरियों का अनुभव भी किया। जैसा कि मैंने आप लोगों को बताया कि ये हमारे इतिहास का सबसे महान दिन है, जिसमें आपका जन्म हुआ है और आप सभी परमात्मा का सर्वोच्च कार्य कर रहे हैं। आप सभी को विशेषकर इसी कार्य के लिये चुना गया है। आप सबको ये जानना होगा कि अब आप लोग संत हैं। लेकिन, इन्ही आशीर्वादों के कारण कभी-कभी आप लोग भूल जाते हैं कि आप लोग अब संत हैं और आपको ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिये जो संतों को शोभा नहीं देता है।   इस बार, कई वर्षों के बाद मैंने श्री एकादश रूद्र पूजा के लिये अपनी सहमति दी है, मुझे मालूम है कि इस पूजा को करना कितना कठिन काम है, क्योंकि अभी भी बहुत से सहजयोगी परिपक्व नहीं है और उनमें से कुछ तो सहजयोग का फायदा उठाकर पैसे कमा रहे हैं और कुछ इससे नाम, प्रसिद्धि, शक्ति या कुछ और प्राप्त करना चाह रहे हैं। वैसे तो इसको अब छोड़ दिया गया है। यह शक्ति, एक प्रकार से बहुत ही खतरनाक शक्ति है और आपको इस संबंध में बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। निसंदेह, यह उन लोगों और नकारात्मकताओं से आपकी रक्षा करती है जो आपको परेशान करना चाहते हैं और आपको नष्ट करना चाहते हैं। ये आपकी सुरक्षा के लिये हरसंभव प्रयास करना चाहती है, लेकिन यदि आप गलत व्यवहार करते हैं Read More …

Seminar Day 1, Introspection and Meditation Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

Advice, “Introspection and Meditation”. Shudy Camps (UK), 18 June 1988. परामर्श, “आत्मनिरीक्षण और ध्यान”।शुडी कैंप (यूके), 18 जून 1988। इस साल हमारे विचार से यूके में सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, क्योंकि कुछ परिस्थितियां भी हैं। लेकिन जब भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है, जो किसी न किसी रूप में हमारे कार्यक्रमों को बदल देती है, तो हमें तुरंत समझ जाना चाहिए कि उस बदलाव के पीछे एक उद्देश्य है, और हमें तुरंत खुले दिल से इसे स्वीकार करना चाहिए कि ईश्वर चाहते हैं कि हम बदल दें। मान लीजिए मैं एक सड़क पर जा रही हूँ और लोग कहते हैं, “आप रास्ता भटक गई हो माँ।” यह सब ठीक है। मैं कभी खोयी नहीं हूँ क्योंकि मैं अपने साथ हूँ! (हँसी।) मुझे उस विशेष रास्ते से जाना था, यही बात है। मुझे यही करना था, और इसलिए मुझे उस सड़क पर नहीं होना चाहिए था और मैं अपना रास्ता भटक गयी हूं। यदि आपके पास उस तरह की समझ है, और अगर आपके दिल में वह संतुष्टि है, तो आप पाएंगे कि जीवन जितना आप सोचते हैं उससे कहीं अधिक श्रेयस्कर है। अब, जैसा की है, क्या कारण था, मैंने सोचा, कि हमने निश्चित रूप से इस वर्ष सार्वजनिक कार्यक्रम करने का फैसला किया था, और हम सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं कर सके? तो इसका कारण यह है कि हमें अधिक समर्थ होना होगा। एक पेड़ के विकास में, जो एक जीवित पेड़ है, ऐसा होता है कि यह एक विशेष दिशा में एक बिंदु तक बढ़्ता है जब तक कि Read More …

The Myth of Leadership Rome (Italy)

                   “नेतृत्व का मिथक”  9 मई, 1988 अब यह महालक्ष्मी तत्व, महालक्ष्मी सिद्धांत की स्तुति है। और जैसा कि आप जानते हैं कि, लक्ष्मी सिद्धांत श्री विष्णु की शक्ति है, जो सबसे पहले हमारे भीतर तब स्थापित होती है जब हम धार्मिक भौतिक जीवन, धार्मिक वित्तीय जीवन और धार्मिक पारिवारिक जीवन पर ध्यान देना शुरू करते हैं। उसके बाद, खोज शुरू होती है, उच्च लोकों की तलाश: वहां यह हमारे भीतर महालक्ष्मी सिद्धांत द्वारा अभिव्यक्त होता है। इसलिए संपन्न देशों में लोग खोज करने लगते हैं; वे गलत हो सकते हैं, यह अलग बात है। हर एक व्यक्ति में यह मौजूद होता है, लेकिन अभिव्यक्ति तब शुरू होती है जब आप अपने भौतिक पक्ष से पूरी तरह संतुष्ट होते हैं, सहज योग में ऐसा नहीं। सहज योग में यह अभिव्यक्त और कार्यान्वित होता है। तो महालक्ष्मी का केंद्रीय मार्ग खुलने लगता है, इसलिए आपके नाभि चक्र से ऊपर उठकर आपके सहस्रार तक जाता है और उसमें छेदन करता है। सहस्रार में भी विष्णु तत्व [वह] विराट बनता है – यह केवल एक सिद्धांत है। यह सहस्रार में ही प्रकट होता है और आप सामूहिक चेतना के प्रति जागरूक हो जाते हैं, आप ज्ञानी हो जाते हैं और आप सत्य को जानते हैं। ऐसा कुंडलिनी के उत्थान के माध्यम से होता है। अब यहाँ तो वे बस मध्य मार्ग की स्तुति ही कर रहे हैं, जो महालक्ष्मी है। तो यहाँ आप मेरे लिए, मेरे महालक्ष्मी सिद्धांत के लिए गा रहे हैं। लेकिन जब यह सहस्रार में पहुंचती है तो सहस्रार में महामाया Read More …

“The light of love”, Evening before Diwali Puja Lecco (Italy)

“प्रेम का प्रकाश”कोमो झील (इटली), 24 ऑक्टुबर 1987। [मंत्र उच्चारण के बाद।]परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।और लक्ष्मी की, समस्त अष्ट लक्ष्मी की कृपा आप पर हो। परमात्मा आपका भला करें। आज हम यहां दीपावली का एक बड़ा उत्सव मनाने के लिए आए हैं, जिसका अर्थ है रोशनी की पंक्तियाँ, या प्रकाश का त्योहार। यह श्री राम के राज्याभिषेक का जश्न मनाने के लिए भी था, यानी प्रतीकात्मक रूप से एक ऐसे राज्य की स्थापना का जश्न मनाने के लिए जिसमें एक कल्याकारी प्रशासन हो।आज मैं आप सभी को यहां अपने सामने बैठी रोशनी के रूप में पाती हूं और इन रोशनीयों के साथ मुझे लगता है कि दीपावली वास्तव में मनाई गई है; मैं उन आँखों की दमकते हुए, तुम्हारे भीतर स्थित उस प्रकाश को उनआँखो में टीमटिमाते हुए देखती हूँ। रोशनी देने वाले दीये में हमें घी जैसी कोई स्निग्ध चीज डालनी है; जो बहुत ही सौम्य और कोमल चीज है, यह हमारे दिल का प्यार है। और वह दूसरों को प्रेम का यह सुखदायक प्रकाश देने के लिए जलता है।ऐसा व्यक्ति जिसके पास प्रेम का यह प्रकाश है, वह स्वयं से भी प्रेम करता है और दूसरों के प्रति प्रेम का संचार करता है। मैं सुन रही थी कि जिस तरह से लोग संत बनने के लिए खुद को प्रताड़ित करते थे। सहजयोगियों को स्वयं को प्रताड़ित करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। लेकिन उच्च गुणवत्ता का प्रकाश बनने के लिए उन्हें प्रेम से परिपूर्ण होना पड़ता है और यह प्रेम उन्हें मिलता कहां से है? आप Read More …

Talk, Eve of Shri Vishnumaya Puja YWCA Camp, Pawling (United States)

श्री विष्णुमाया पूजा से एक दिन पहलेन्यूयॉर्क (यूएसए), 8 अगस्त 1987। यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि आज,आप में से बहुत से अमेरिकी एकत्र हुए हैं, और कल आप विष्णुमाया पूजा करना चाहते हैं। मुझे वे दिन याद हैं जब मैं केवल कुर्सियों से ही बात करती थी, लेकिन इतने वर्षों में इतनी मेहनत करने के बावजूद, इस देश में इतनी बार यात्रा करने के बाद भी, किसी भी अन्य राष्ट्र की तुलना में हमारे पास बहुत कम सहज योगी हैं। श्रीकृष्ण के इस देश में लोगों का ध्यान धन पर लगाना अनिवार्य है, क्योंकि वे विष्णु के अवतार हैं और उनकी शक्ति लक्ष्मी है। लक्ष्मी धन की देवी हैं, लेकिन वह धन नहीं है जिसे “डॉलर” कहा जाता है। यह वह धन है जिसका अर्थ है भौतिक संपदा का पूर्ण, एकीकृत रूप। वैसे भी, पदार्थ में केवल एक ही शक्ति होती है: कि वह दूसरों के प्रति हमारे प्रेम का इजहार कर सके। जैसे, अगर आपको किसी से अपने प्यार का इजहार करना है, तो आप एक अच्छा उपहार या कुछ ऐसा बनाएँगे जो उस व्यक्ति के लिए उपयोगी हो; या तुम अपनी संपत्ति, धन अपने बच्चों को दे सकते हो।एक बहुत ही प्रतीकात्मक तरीके से, आप एक छोटा, छोटा सा पत्थर भी दे सकते हैं, यदि आप अपनी माँ को बच्चे हैं, जो भी आपको दिलचस्प लगता है की जो आपकी माँ को खुश करेगा। लेकिन हर समय, किसी को कोई वस्तु देने के पीछे का विचार है अपने प्यार और भावनाओं को प्रदर्शित करना – Read More …

Address to Sahaja Yogis, The need to go deeper Sydney (Australia)

(सहजयोगियों से बातचीत, प्रश्नोत्तर, बरवुड, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 6 मई, 1987) आज मैंने आपकी उन सभी समस्याओं को सोख लिया है जो कैनबरा में थीं और बाद में उस कॉफ्रेंस में थीं और उसके बाद यहां पर भी थीं। ये सभी समस्यायें मेरे चित्त में आती हैं और मैं उन पर वर्क करने का प्रयास कर रहीं थी। मेरी वर्क करने की शैली एकदम अलग है क्योंकि मेरा यंत्र अत्यंत तीक्ष्ण और प्रभावशाली है। लेकिन इसके लिये मुझे इस पर अपना चित्त डालना पड़ता है और कभी कभी मुझे थोड़ा-बहुत कष्ट भी उठाना पड़ता है लेकिन कोई बात नहीं। आपके लिये भी यह महत्वपूर्ण है कि आप भी इन गहन भावनाओं को…. गहन संवेदनाओं को अपने अंदर विकसित होने दीजिये। लेकिन अधिकांशतया लोग अत्यंत बनावटी हैं। वे केवल अपने शरीर, अपने इंप्रेशन और वे किस प्रकार से स्वयं को लोगों के सामने पेश करते हैं ….इन्हीं बातों के विषय में सोचते हैं। ज्यादा से ज्यादा वे सोचते हैं कि हमें कानूनी तौर पर सजग होना चाहिये …. या हमें शराब नहीं पीनी चाहिये… सिगरेट नहीं पीनी चाहिये। वे सोचते हैं कि यदि हमने ये सब प्राप्त कर लिया तो हमने सब कुछ प्राप्त कर लिया। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता है। दूसरी बात ये है कि हम सोचते हैं कि यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं … यदि हम माँ से प्रेम करते हैं तो हमने सब कुछ प्राप्त कर लिया है। ये भी सच नहीं है क्योकि मेरे प्रति आपका प्रेम अगाध है इसमें कोई संदेह नहीं है Read More …

Talk to Sahaja Yogis: How To Be Respected, Leadership The Hague Ashram, The Hague (Holland)

सम्मान कैसे प्राप्त करें, नेतृत्व और प्रशासन,हेग (हॉलैंड), 17 सितंबर, 1986 अब। (हिंदी एक तरफ में) तो। अब, आप देखिये, अन्य लोगों को प्रभावित करने के लिए हमें यह जानना होगा कि हमारा स्वयं पर भी कितना नियंत्रण है; यह बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, आप देखते हैं कि कुछ लोगों की कोई उचित छवि नहीं होती है और वे दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, इसलिए यह एक मजाक हो जाता है। कोई भी ऐसे व्यक्ति से प्रभावित नहीं होता जिसकी अपनी कोई छवि नहीं होती। इसलिए, बाहरी काम करने से पहले, आंतरिकता पर काम करना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो हमेशा कार्यालय में देर से आता है, और हमेशा देरी से आता है और समयबद्ध्ता की समझ नहीं रखता है, उसका कभी सम्मान नहीं किया जाता है। इसलिए जब आप लोगों से कहते हैं कि “आपको समय पर होना चाहिए”, तो आपको सबसे पहले समय पर, सही समय पर पहुंचना चाहिए। आपको हमेशा समयबद्ध्ता रखना चाहिए, बिल्कुल, आपको समयबद्ध्ता का पालन करने के लिए जाना जाने वाला व्यक्ति होना चाहिए। मान लीजिए कि आपको दस बजे कार्यालय जाना है, तो आप कार्यालय इस तरह पहुँचें कि आप वहाँ पाँच मिनट पहले हों, बाहर प्रतीक्षा करें और ठीक उसी समय कार्यालय में प्रवेश करें जब आपको जाना हो। यह समय की पाबंदी बहुत महत्वपूर्ण है। यह लोगों की मदद करती है, और लोगों को आपके बारे में भय मिश्रित विस्मय होता है क्योंकि वे सोचते हैं कि “यह सज्जन इतना नियमित है और मैं Read More …

Talk about Shri Krishna (before the dinner) Hostellerie am Schwarzsee, Plaffeien (Switzerland)

शाम की बात, श्री कृष्ण पूजा संगोष्ठीश्वार्जसी (स्विट्जरलैंड), 23 अगस्त 1986। तो हमने फैसला किया… [माइक्रोफ़ोन थोड़ा और आगे लाया जाना चाहिए ], हमने अपने शाम के खाने के बाद पूजा करने का फैसला किया है क्योंकि श्री कृष्ण रात में लगभग बारह बजे पैदा हुए थे,जबकि मेरा जन्म भी दिन के समय बारह बजे पैदा हुआ था, श्री राम के साथ भी ऐसा ही। और क्राइस्ट का जन्म भी रात के बारह बजे हुआ था। मैंने आपको बताया है कि आज मैं आपको गीता के बारे में बताने जा रही हूं। वह कृष्ण के जीवन का दूसरा भाग है। यह इतना अलग और विविध है कि कुछ लोग, हमेशा की तरह बुद्धिजीवी, कहते हैं कि गोकुल में एक बच्चे के रूप में खेलने वाले कृष्ण द्वारिका के राजा कृष्ण से अलग थे। तो जब वे द्वारिका के राजा बने, तो पांडव और कौरवों के बीच युद्ध हुआ, एक पक्ष अच्छे लोगों का प्रतिनिधित्व करता था, दूसरा पक्ष बुरे लोगों का प्रतिनिधित्व करता था। इसलिए वे उनसे पूछने आए कि क्या वह उनकी तरफ से शामिल होंगे। तो उन्होंने कहा, “मेरे पास मेरी सेना है और मैं स्वयं हूं, इसलिए जो कुछ भी आप चुनते हैं वह आप पा सकते है।” तो कौरवों ने कहा, “हम आपकी सेना लेंगे,” लेकिन पांडवों ने कहा, “हम आपको पाना चाहेंगे।” और इस तरह युद्ध शुरू हुआ और युद्ध में उनका सबसे बड़ा शिष्य पांडवों में से एक नामअर्जुन था। और अर्जुन ने उन्हे अपने पक्ष से लड़ने के लिये पुछा। उन्होंने कहा, “मैं Read More …

Morning of Shri Krishna Puja seminar Hostellerie am Schwarzsee, Plaffeien (Switzerland)

कृष्ण पूजा संगोष्ठीश्वार्जसी (स्विट्जरलैंड), 23 अगस्त 1986। आज आप सभी को यहां श्री कृष्ण पूजा करने के लिए एकत्रित देखकर बहुत आनंद और खुशी हो रही है। क्या तुम मुझे वहाँ सुन पा रहे हो? नहीं? सुन नहीं सकते। ग्रेगोइरे: फिल, क्या आप वापस जोड़ सकते हैं … श्री माताजी : इतने सारे सहजयोगियों को यहाँ एकत्रित देखकर, मुझे यकीन है कि शैतान बहुत पहले भाग गया होगाऔर कारवां चला गया होगा, लेकिन मुझे आशा है कि हम इसके बारे में जागरुक हैं और हमअपनी पकड़ के बारे मेअपने डर, अपने अतीत और अबतक के अपने कृत्य के बारे में भूल जाते हैं।अचानक मेरी उपस्थिति में, मुझे लगता है, लोग अपराध की भावना में आ जाते हैं। मैं यहां आपको शांत करने के लिए, आपको शुद्ध करने के लिए, आपको सुंदर बनाने के लिए हूं ना की दोषी महसूस करवाने के लिए। दरअसल, जब हम अपने आप को देखना शुरू करते हैं, तो पहली चीज जो हम देखते हैं, वह यह है कि आज्ञा में एक अवरोध है, लेकिन आज्ञा में यह रुकावट सबसे बुरी चीज है जो हमारे साथ हो सकती है क्योंकि यह कुंडलिनी का द्वार है। वह विशुद्धि तक पहुँचती है, ठीक है, और जब उसे आगे बढ़ना होता है, तो यह आज्ञा उसे रोक देती है। इसलिए हमे बायें विशुद्धि ग्रस्तता है, हमारे पास सभी विशुद्धि समस्याएं हैं। प्रवाह नहीं हो सकता। इसके अलावा, यह उन कारणो मे से एक है जिन से कि हम दोषी महसूस करते हैं – बायीं विशुद्धि के कारण। यह एक Read More …

Going from Swaha to Swadha Brompton Square House, London (England)

                “स्वाहा से स्वधा पर जाना,”  श्री माताजी का निवास, 48 ब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन (इंग्लैंड), 3 मार्च 1986। यही आखिरी चीज़, मैंने, दिल्ली में अपने व्याख्यानों में इस्तेमाल की थी कि;  श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जागरूकता नीचे की ओर जाती है और मानव जागरूकता की जड़ें मस्तिष्क में हैं। और जब मनुष्य नीचे की ओर जाने लगते हैं तो वे परमात्मा के विपरीत दिशा में चले जाते हैं। इतना ही उन्होंने कहा है। उन्होंने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा है। अब देखिए, ऐसा होता है कि, उस समय, आप भवसागर में पैदा हुए हैं। अब, जब मानव चेतना विकसित होने लगती है, भवसागर का सार स्वाहा है और उद्देश्य स्वधा है। स्वाहा का अर्थ है उपभोग: सारे विष का क्षय, हर चीज का सेवन। और स्वधा वह है अर्थात: स्व आत्मा है और धा का अर्थ है जो धारण करता है। तो आत्मा का धर्म जब आप में आता है, तो आप गुरु बन जाते हैं। तो भवसागर में यह स्वाहा और स्वधा है। तो स्वाहा से आपको स्वाधा में जाना होगा। यदि आप स्वधा अवस्था में आ जाते हैं तो आपके भीतर महालक्ष्मी जागृत हो जाती है और आप ऊपर उठने लगते हैं। तो इसे ‘उर्ध्वगति’ कहा जाता है: उत्थान की ओर जाना। अवरोही पक्ष को ‘अधोगति’ कहा जाता है। अब अधोगति शुरू होती है क्योंकि नीचे जाना बहुत आसान है, सबसे पहले। दूसरी बात जब आप सीढ़ियों पर होते हैं, सबसे ऊपर, आप सीढ़ियों को बहुत अच्छे से देखते हैं, नीचे जाने के लिए अच्छी तरह Read More …

Health Advice, the Sun, western habits, the brain and medical matters Near Musalwadi Lake, Musalwadi (भारत)

               सूर्य, मस्तिष्क, चिकित्सा प्रश्न  राहुरी (भारत)। 13 जनवरी 1986। [आगमन पर: श्री माताजी: “आज का दिन बहुत हवादार और अच्छा और ठंडा है”। वारेन: “माँ, यह तो आपकी बयार है”। श्री माताजी (हँसते हुए): “मुझे लगता है कि यह उससे पहले है”] श्री माताजी : कृपया बैठ जाइए। मैं थोड़ा पानी लुंगी। शादियां अब हो चुकी हैं? वॉरेन: वे अगले दरवाजे पर जा रहे हैं, माँ। श्री माताजी: (हँसते हुए) मैंने सोचा कि विवाह समाप्त होने के बाद मुझे यहाँ आना चाहिए। इसे मेरी पीठ पर रखना बेहतर होगा, इस से मुझे प्रसन्नता होगी। मैं थोड़ा पानी लुंगी, कृपया। बस आपका धन्यवाद। हर समय व्याख्यान? मुझे लगा कि मैं आप सभी से मिलने आयी हूं, आपको व्याख्यान देने नहीं। तो अब हम अपनी अगली गतिविधि के लिए जा रहे हैं और मुझे वापस बंबई लौटना पड़ सकता है। मुझे नहीं पता कि आप यहाँ कितने आराम में थे (तालियाँ), लेकिन आप पागल भीड़ (हँसी) से दूर रहना चाहते थे और मुझे लगा कि यहाँ रहने के लिए यह अच्छी जगह होगी, हालाँकि धूमल हर समय जोर देकर कहते रहे थे कि उन्हें किसी मंगलकार्यालय में या कुछ और में रुकना चाहिए। लेकिन मैंने उससे कहा, “आप उन्हें नहीं समझते हैं, वे इस सभी सीमेंट, कंक्रीट का ज्यादा आनंद नहीं लेते हैं।” (तालियाँ) वे हमेशा प्रकृति की संगति में रहना चाहेंगे जब तक उन्हें धूप और बारिश से कुछ सुरक्षा मिलती है। और वे उस तरह के सामूहिक जीवन का आनंद लेना चाहते हैं, और वे बहुत खुश होंगे। लेकिन फिर Read More …

The English Are Scholars, Seminar Totley Hall Training College, Sheffield (England)

“अंग्रेज विद्वान हैं”अंग्रेज संगोष्ठी, शेफ़ील्ड (यूके), 21 सितंबर 1985। जैसा कि मैंने कल कहा, यह क्षेत्र है; वह क्षेत्र जहाँ प्रबोध को आना है। इतने दीपों से क्षेत्र को जगमगाना पड़ता है। और यह क्षेत्र जो प्रबुद्ध है, प्रकृति से भी समृद्ध है। और जब तुम गा रहे थे, तो मुझे लगा कि बादल स्वरों को पकड़ रहे हैं, उन्हें अपने भीतर बुन रहे हैं और जब बारिश होगी, तो बारिश फिर से गीत गाएगी; मानो घाटियाँ इतनी खूबसूरती से गूंज रही हों। और प्रतिध्वनि बहुत कोमल थी और पूरे वातावरण को भर रही थी। शायद आपको ईश्वरीय सूक्ष्मता के बारे में पता नहीं है कि वह इसे कार्यांवित करने के लिए कितना उत्सुक है । लेकिन हमारे यंत्र हमारी तुरहियां और हमारी बांसुरी और हमारे ढोल ठीक होने चाहिए। तालमेल होना चाहिए, पूरी तरह से तालमेल बिठाना चाहिए-तब माधुर्य सुन्दर ढंग से बजाया जाता है। बादल केवल शुद्धतम जल, शुद्धतम स्तोत्र वहन कर ले जाते हैं। इसलिए, जब हम संदेश फैला रहे हैं, तो हमें यह समझना होगा कि इसे एक शुद्ध स्रोत से आना चाहिये। शुद्धता बहुत जरूरी है। पवित्रता वाले हिस्से के बारे में मैंने पहले से ही बात की है, जो मूलाधार है, जो आज बहुत महत्वपूर्ण है; आप इसे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन यह उसका अंत नहीं है, यह तो बस शुरुआत है – बस शुरुआत है। लेकिन हमें जो देखना है वह हमारे भीतर बहुत ही सहज निर्मित है। और आज जब हम दिलों के दिल Read More …

The Priorities Are To Be Changed Chelsham Road Ashram, London (England)

प्राथमिकताओं को बदला जाना है चेल्शम रोड, क्लैफम लंदन (यूके), 6 अगस्त 1985। अब मेरा इंग्लैंड में प्रवास अपना 12वां वर्ष पूरा कर रहा है और यही कारण है कि मैं आप लोगों से सहज योग के बारे में बात करना चाहती थी। यह कहां तक चला गया है और हमारे पास कहां कमी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि हमने अपने धर्म की स्थापना की है: निर्मल धर्म, जैसा कि हम इसे कहते हैं, विश्व निर्मल धर्म। और आप शब्दों के अर्थ जानते हैं, विश्व का अर्थ है सार्वभौमिक, निर्मल का अर्थ है शुद्ध और धर्म का अर्थ है धर्म। यह अमेरिका में स्थापित किया गया है। और हमें इसे यहां इंग्लैंड में पंजीकृत करना होगा। अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, जब हम किसी धर्म से संबंध रखते हैं, तो हमें यह जानना होगा कि उस धर्म की आज्ञाएं क्या हैं। और अभी तक हमने कुछ भी मसौदा तैयार नहीं किया है। यह ऐसी चीज़ नही हो सकती जिसे लोगों या मनुष्यों के लिये बनायी गईअनुकूल वस्तु नहीं हो सकती है। ऐसा नहीं हो सकता। और आपकी अनुकूलता के लिये इस मे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जैसे रूस में, जैसा कि मैंने आपको कहानी सुनाई, मैं वहां गयी और मैंने कहा, “मैं एक चर्च देखना चाहती हूं।” इसलिए वे मुझे एक चर्च में ले गए, जो ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च था, और मेरे पति भी वहां थे जहां हम वीआईपी थे, इसलिए चर्च का मुखिया नीचे आया और हमें दोपहर के भोजन के लिए Read More …

Seminar, Mahamaya Shakti, Evening, Improvement of Mooladhara University of Birmingham, Birmingham (England)

                                            महामाया शक्ति बर्मिंघम सेमिनार (यूके), 20 अप्रैल 1985. भाग 2 श्री माताजी: कृपया बैठे रहें। क्या यह सब ठीक है? क्या आप ठीक रिकॉर्ड कर रहे हैं? सहज योगी: हाँ माँ तो इसी तरह से महामाया के खेल होते हैं | उन्होंने हर चीज की योजना बनाई थी। उनके पास सारी व्यवस्था बनायीं थी और साड़ी गायब थी। ठीक है। तो उन्होंने आकर मुझे बताया कि साड़ी गायब है, तो अब क्या करना है? उनके अनुसार, आप साड़ी के बिना पूजा नहीं कर सकती हैं। तो मैंने कहा, “ठीक है, चलो इंतजार करते हैं ।” यदि यह साडी समय पर आती है तो हम पूजा करेंगे; अन्यथा हम यह बाद में कर सकते हैं। लेकिन मैं बिलकुल भी परेशान नहीं थी,ना अव्यवस्थित । क्योंकि मुझे इसका कोई मानसिक अनुमान नहीं है। लेकिन अगर आपके पास एक मानसिक अवधारणा है की , “ओह, हमने सब कुछ प्रोग्राम किया है, सब कुछ व्यवस्थित किया है। हमने यह कर लिया है और अब यह व्यर्थ जा रहा है। ” कोई बात नहीं कुछ भी  फिजूल नहीं है। [हसना] लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते। चूँकि आपने आज मुझसे पूछा था, “महामाया क्या है?”, यही है वो महामाया । [हसना] आपको अपने मार्ग में जो कुछ भी आता है उसे स्वीकार करना सीखना चाहिए। यह भी एक चीज़ है और चूँकि हम एक मानसिक कल्पना कर लेते हैं इसलिए,यहाँ हम निराश, क्रोधित, परेशान हो कर और अपने आनन्द को बिगाड़ लेते हैं। मानसिक रूप से हम कुछ गणना करते हैं। ऐसा होना ही है। Read More …

Bordi Seminar Final Talk, Maya Is Important Bordi (भारत)

[English to Hindi translation] इस अवसर पर जब आप सभी मुझे छोड़ कर जा रहे हैं, इन्ह गुणों को सुनना कठिन है जो आपके सुंदर गीत में वर्णित है। मेरे शब्द एक घोर उदासी की भावना से इतने भरे हुए हैं, साथ ही नए कार्यों के विचारों का उत्साह, कुछ विचार कि मुझे और भी बहुत कुछ करना है आप जो भी वर्णन कर रहे हैं मुझे उसे स्थापित करने के लिए। कितने ही राक्षसों का वध होना है जैसा कि आप ने मेरा वर्णन किया है। सारी विषमताएं दूर करनी हैं इस दुनिया से। सारा अज्ञान, अंधकार, कल्पनाएँ जैसा आपने वर्णन किया है, उसे हटाना होगा मुझे। इस संसार को नष्ट करना बहुत आसान है और राक्षसों, शैतानों को नष्ट करना, आसान था पर आज समय इतना विकट है कि इन सभी ने प्रवेश कर लिया है दिमागों में, अनेक साधकों के सहस्रार। तो, यह एक बहुत ही नाजुक काम है उन भयानक प्रभावों को दूर करने के लिए साधकों को चंगुल से बचाने के लिए इन शैतानों के। आपने समझने की बहुत कृपा की है कि यह बहुत नाजुक चीज है और हम यह नहीं कर सकते कठोरता के साथ, कड़ाई के साथ, सीधे तरीके से हमें उन्हें घुमाना है क्योंकि वे कठोर चट्टानें हैं और उन्हें इसके माध्यम से समझाएं करुणा, प्रेम और पूरी चिंता। विवेक ही एकमात्र तरीका है जिससे हम संचालन कर सकते हैं और सभी प्रकार के विवेक के तरीकों का उपयोग करना पड़ता है इन लोगों को बचाने के लिए । अधिकतम संख्या Read More …

A New Era – Sacrifice, Freedom, Ascent Bordi (भारत)

                                एक नया युग – त्याग, स्वतंत्रता, उत्थान  बोरडी (भारत), 6 फरवरी 1985। आप सभी को यहां देखकर मुझे अपार हर्ष हो रहा है। मुझे नहीं पता कि मेरी तरफ से क्या कहना है। शब्द खो जाते हैं, उनका कोई अर्थ नहीं है। आप में से बहुत से लोग उस अवस्था में जाने के इच्छुक हैं, जहाँ आपको पूर्ण आनंद, कल्याण और शांति मिलेगी। यही है जो मैं आपको दे सकती हूं। और एक माँ तभी खुश होती है जब वह अपने बच्चों को जो दे सकती है वह दे पाती है। उसकी नाखुशी, उसकी सारी बेचैनी, सब कुछ बस उस परिणाम को प्राप्त करने के लिए है – वह सब उपहार में देने के लिए जो उसके पास है। मैं नहीं जानती कि अपने ही अंदर स्थित उस खजाने को पाने हेतु इस सब से गुजरने के लिए आप लोगों को कितना धन्यवाद देना चाहिए। ‘सहज’ ही एकमात्र ऐसा शब्द है जिसके बारे में मैं सोच सकी थी, जब मैंने सहस्रार उद्घाटन को प्रकट करना शुरू किया। जिसे अब तक सभी ने आसानी से समझा है। लेकिन आपने महसूस किया है कि यह आज योग की एक अलग शैली है जहां पहले आत्मसाक्षात्कार दिया जाता है और फिर आपको खुद की देखभाल करने की अनुमति दी जाती है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। यह आपकी माँ का सिर्फ एक उपक्रम है जिसने ऐसा कार्यान्वयन किया है। अन्यथा, पुराने समय में दैवीय के का सम्बन्ध लोगों को बोध देने से तो था और यह ज्ञान नहीं था कि इसे कैसे Read More …

Put me in your Heart Chelsham Road Ashram, London (England)

                 “मुझे अपने दिल में रखो” चेल्शम रोड, लंदन (यूके), 5 अक्टूबर 1984 श्री माताजी : कृपया बैठ जाइए। ठीक है। योगी: क्योंकि आज हम कुछ समय के लिए अपनी मां को और ऑस्ट्रेलिया के अपने आदरणीय भाई डॉ वारेन को भी विदाई दे रहे हैं, जिन्होंने यहां रहते हुए अथक परिश्रम किया है। हमारी माँ की ओर से और हमारी ओर से, और इस देश में काम करने में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे जबरदस्त काम किया; और हम चाहते हैं कि इसे सिर्फ यह बताने का एक विशेष अवसर हो कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और वह है, जो कुछ भी वह हमसे कहते है, वह हमारे हृदय का भला करता है। डॉ वारेन: श्री माताजी, यह वास्तव में मेरे लिए आश्चर्य की बात है। श्री माताजी : कृपया थोड़ा और आगे आएं। डॉ वारेन: मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात मैं यह कह सकता हूं कि मुझे यहां रहने में कितना आनंद आ रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी हृदय में आए, हम सभी को प्रसारित करना है और जब भी मुझे पता चलता है कि मैं यहां आया हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। क्योंकि मैं इस तरह से नहीं सोचता कि मैं कुछ कर रहा हूं। जब आप श्री माताजी की उपस्थिति में होते हैं, जैसा कि आप में से कई लोग महसूस करते हैं, यह समर्पण की ऐसी अभिव्यक्ति है। लेकिन समर्पण जो आपको मानसिक आशंका से परे ले जाता है कि समर्पण क्या है, क्योंकि Read More …

Talk to Sahaja Yogis: The Time of Destruction Milan (Italy)

                    “विनाश की बेला”  सहज योगियों से बात   इटली, १९८४, सितंबर, १८  श्री माताजी : धुआँ। धुएं की तरह। सहज योगी: “फुमो”। श्री माताजी: और यह कितनी बेतुकी जगह है। और हैरानी की बात यह भी है कि हर 28 मिनट में एक जगह धरती मां से हर 28 मिनट में पानी निकलता है। यह ठीक 28 मिनट के बाद फव्वारे की तरह निकल पड़ता है। यह एक बहुत ही मज़ेदार जगह है और बहुत सारी सल्फर है, वहाँ बहुत सारा सल्फर है। बस गंधक के बुलबुले निकल रहे है, आप देखते हैं कि अचानक कहीं से पानी उंडेले जाने की तरह गर्म पानी निकल रहा है। क्या आप ऐसी जगह की कल्पना कर सकते हैं? अब, एंडीज एक और स्थान है। एंडीज एक ऐसा प्रकार है जो झटके देगा, भूकंप देगा। यह बहुत सारे भूकंप देगा और इसमें बहुत सारा सोना भी है क्योंकि यह एक दायाँ पक्ष है, बहुत सारा सोना है और यह बहुत सारे भूकंप देगा। जब विनाश की यह बारी आएगी, तो इसका उपयोग भूकंप के रूप में किया जाएगा। वे करेंगे, यह भूकंप के रूप में कार्य करेगा। अमेरिका वह पूरा हिस्सा है, ऊपर से नीचे तक यह सब एंडीज है। और वह सब बिखर जाएगा। तो विनाश के समय ये दोनों बल अधिक कार्य करेंगे। ऐसे में इससे सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि, आप देखिए, बोलीविया, पेरू और इन सभी जगहों पर, ये लोग यहाँ से गए। उन्होंने इनमें से बहुत से लोगों को मार डाला। इनमें से कई जातियों को पूरी तरह Read More …

Raksha Bandhan and Maryadas (England)


(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, रक्षाबंधन, मर्यादा, लंदन, 1984) 
यू.के. के इस सुंदर दौरे के बाद मुझे भरोसा हो चला है कि सहजयोग ने अब अपनी जड़ें पकड़ ली हैं और उनमें से कुछ पौधों को उगते हुये भी आप देख सकते हैं। यह हैरान करने वाली बात है कि जैसे ही मैंने घोषणा की कि यह मेरा यू.के. का यह आखिरी दौरा होगा तो सब कुछ क्रियान्वित होने लगा है। जहां-जहां भी हम गये हमारा दौरा सफल और अच्छा रहा खासकर कुछ स्थानों पर तो यह अत्यंत चमत्कारपूर्ण भी था। आपने उस महिला के बारे में तो अवश्य ही सुना होगा जो अपने घर से बाहर निकलती ही नहीं थी …….. क्योंकि वह एग्रोफोबिया नामक रोग से पीड़ित थी। प्रेस ने हमें चुनौती दे डाली थी कि हमें उसको ठीक करना ही होगा क्योंकि वह अपने घर से बाहर निकल ही नहीं पाती थी। उसके फोटोग्राफ पर कार्य करने और थोड़े से उपचार मात्र से ही वह ठीक हो गई और अब वह अच्छी तरह से चल फिर लेती है। मीडिया ने अखबारों में बड़ी खबर बना कर इसे छाप दिया …….. जब गुरू माँ ने अपना वचन निभाया। यह उन चमत्कारों में से केवल एक है जबकि ऐसे कई चमत्कार घटित हो चुके हैं जिसकी रिपोर्ट भी आप देख सकते हैं। मुझे कहना चाहिये कि आप सभी सहजयोगियों ने मुझसे सहयोग किया, वे सभी बहुत सक्रिय और अत्यंत प्रोग्रेसिव भी थे। मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं और स्वयं में सुधार भी Read More …

Talk to doctors: the fourth dimension and the parasympathetic Brighton (England)

               श्री माताजी की डॉक्टरों से बातचीत ब्राइटन (यूके), 26 जुलाई 1984। श्री माताजी: जिस चौथे आयाम के बारे में उन्होंने उल्लेख किया है, वे उसका क्या अर्थ लगाते है? वह महत्वपूर्ण बात है। वारेन: वे उस अतींद्रिय अवस्था को कहते हैं। श्री माताजी: लेकिन क्या? वारेन: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते। (यहाँ माँ फिर से कहती है “क्या?”, जबकि वॉरेन शब्द “वर्णन” कह रहा है) श्री माताजी: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते, आप देखिए। मान लें कि किसी के दिल की धड़कन कम है, नाड़ी की दर कम है या ऑक्सीजन की ग्रहण क्षमता या कुछ भी कम है। वारेन: यह अतींद्रिय स्थिति नहीं है। श्री माताजी: वह अतींद्रिय अवस्था नहीं है, क्योंकि आप अभी भी उस अवस्था में हैं, जहाँ आपका ध्यान आपके शरीर पर है। तो, यह एक अतींद्रिय नहीं है, आपको इन्द्रियों के पार जाना होगा। (ट्रान्सडैंटल) अतींद्रिय का मतलब है कि आपको परानुकम्पी (पैरासिम्पेथेटिक) पर कूदना होगा। देखें, हम कह सकते हैं, हमारे पास चार आयाम हैं । एक आयाम है बायीं अनुकम्पी (लेफ्ट सिम्पैथेटिक)का, दूसरा दायीं अनुकंपी (राईट सिम्पैथेटिक)का है, फिर हमें मध्य तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम )प्राप्त हुआ है, जो हमारा चेतन मन है और चौथा आयाम परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) है। क्या वह परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक)पर कूदता है? वारेन: हम करते हैं। श्री माताजी: हाँ। सहज योग में आप परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) पर कूदते हैं; अर्थात आपका चित्त परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र (पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम )को नियंत्रित करना शुरू कर देता है। फिर हम यह कैसे साबित करते हैं कि हम चौथे आयाम के हो Read More …

Parent’s day celebrations New Delhi (भारत)

माता-पिता का बच्चों के साथ सहज मन्दिर, दिल्ली, १५ दिसम्बर १९८३ स आज मैं आपको एक छोटी-सी हजयोग क्या है और उसमें मनुष्य क्या-क्या पाता है, आप जान सकते हैं। लेकिन बात बताने वाली हूँ कि माता-पिता का सम्बन्ध बच्चों के साथ कैसा होना चाहिए। सबसे पहले बच्चों के साथ हमारे दो सम्बन्ध बन ही जाते हैं, जिसमें एक तो भावना होती है, और एक में कर्तव्य होता है। भावना और कर्तव्य दो अलग-अलग चीज़ बनी रहती हैं। जैसे कि कोई माँ है, बच्चा अगर कोई गलत काम करता है, गलत बातें सीखता है, तो भी अपनी भावना के कारण कहती है, “ठीक है, चलने दो। आजकल बच्चे ऐसे ही हैं, बच्चों से क्या कहना । जैसा भी है ठीक है।” दूसरी माँ होती है कि वो सोचती है कि वो बच्चों को कर्तव्य परायण बनाए। कर्तव्य परायण बनाने के लिए वो फिर बच्चों से कहती है कि “सवेरे जल्दी उठना चाहिए आपको। पढ़ने बैठना चाहिए। फिर आप जल्दी से स्कूल जाइए। ये समय से करना चाहिए। वहाँ बैठना चाहिए। यहाँ उठना चाहिए, ऐसे कपड़े पहनना चाहिए।” इन सब चीज़ों के पीछे में लगी रहती है। अब इसे कहना चाहिए कि ये सम्यक नहीं है, integrated (सम्यक) बात नहीं है। इसमें integration (समग्रता) नहीं है और आज का सहजयोग जो है वह integration (समग्रता) है । दोनों चीज़ों का integration (विलय, एकीकरण, समग्रीकरण) होना चाहिए न कि combination (एकत्रीकरण) होना चाहिए। समग्रता और एकत्रीकरण में ये फर्क हो जाता है कि हमारी जो भावना है वो कर्तव्य होनी चाहिए और Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Money, Sleep, Bhoots, Lethargy Surbiton Ashram, Surbiton (England)

                                             पैसा-भूत-नींद-आलस्य आश्रम में बात, दीवाली पर माँ के साथ अलाव रात सर्बिटन (यूके), 5 नवंबर 1983। मैंने पुरे अमेरिका की एक अति व्यस्त, कठिन यात्रा की है और यह मेरी अपेक्षा से बहुत अधिक था, इसने बहुत अच्छा काम किया और मैं इसके बारे में बहुत खुश हूं। सभी अमेरिकी इंग्लैंड और अन्य देशों के सहज योगियों के बहुत आभारी हैं जिन्होंने इस दौरे में योगदान दिया है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्होंने यात्रा की और चक्कर लगाया और उन्हें व्यवस्थित किया। इसलिए मैं आपको बताती हूं कि वे बहुत आभारी हैं, लेकिन आप लोगों के लिए यह संभव नहीं होगा। यह एक बहुत ही कठिन यात्रा थी, निस्संदेह, और ज़ोरदार दौरा और यूरोप के दौरे के बाद यह सब कुछ बहुत अधिक ही था। लेकिन जिस तरह से लोग यहां से गए और उन्हें लिया और आपने पैसे भेजे, उन पर बहुत कम दबाव था और वे इसे बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित कर सके और जैसा कि आप जानते हैं कि हमने सहज योग के बीज बोने के संबंध में बहुत अच्छा किया है। . तो मुझे लगता है कि सहज योग का बीज अब बोया जा चुका है और यह एक बड़ी उड़ान ले सकता है, मुझे यकीन है क्योंकि अमेरिकियों को पता है कि वे बहुत, जड़ों से उखड़े हुए प्रकार के लोग हैं और काफी उथले लोग हैं और कोई यह भी कह सकता है कि वे उनके गुरु हर तीसरे दिन और उनकी कारें हर चौथे दिन और उनकी पत्नियां Read More …

Guru Purnima Seminar Part 2: Assume your position Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

                                      ऋतुम्भरा प्रज्ञा – भाग II  लॉज हिल (यूके), गुरु पूर्णिमा सेमिनार, 23 जुलाई, 1983। सहज योगी गाते हैं | भय काय तया प्रभु ज्याचा रे  (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? सर्व विसरली प्रभुमय झाली  (x2) हम दिव्यता में सब कुछ भूल जाते हैं पूर्ण जयाची वाचा रे (x2) और हम परमात्मा में पूरी तरह खो जाते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? जगत विचरे उपकारास्त्व (x2) जो दुनिया की भलाई के लिए विचरण करते हैं  परी नच जो जगतचा रे (x2) लेकिन वह दुनिया से संबंधित नहीं है क्योंकि वह पूरी तरह से अलग है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं तो डरने की क्या बात है? इति निर्धन। परस्त्र ज्याचा  (x2) आप बिना किसी बाहरी धन के हो सकते हैं: सर्व धनाचा साचा रे  (x2) धन का असली खजाना अपने अंदर है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे(x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आधि व्याधि मरणावरती (x2) सभी रोग और मरण जैसी समस्याएं पूरी तरह से भंग हो जाती हैं पाय अशा पुरुषाचे  (x2) ऐसे व्यक्ति के पैर इन सब से ऊपर रहते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम ईश्वर से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आपका बहुत बहुत धन्यवाद! कोई मेरा अनुवाद करेगा? योगिनी: नहीं। हम चाहेंगे कि आप इसका अनुवाद हमारे लिए करें, कृपया! Read More …

Questions and Answers About America New Delhi (भारत)

अमेरिका के बारे में प्रश्नोत्तर, दिल्ली, भारत, 1983-02-10 Questions and Answers About America, Delhi, India 1983-02-10 सहजयोगियों से बातचीत 1983-02-10 योगी: हम काफी-कुछ वहीं प्रश्न पूछेंगे जो हमने उस दिन पुछे थे। हमें ऐसे उत्तरों की आवश्यकता होगी जो एक या दो मिनट लंबे हों। श्री माताजी: सिर्फ दो मिनट? वह अमेरिका जैसा बड़ा देश है। योगी: यदि यह बहुत लंबा हुआ तो हम इसे संपादित कर सकते है। (श्री माताजी प्रश्नों को देखती हैं।) . आत्मसाक्षात्कार का क्या महत्व है? . आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना क्यों महत्वपूर्ण है? . चैतन्य क्या है? . पश्चिम भारतीयों से और भारतीय पश्चिम से क्या सीख सकते है? श्री माताजी: यह भारत बनाम पश्चिम बहुत विवादास्पद है। भारत से कुछ नहीं सीखो और भारत को आपसे कुछ नहीं सीखना चाहिए। वे सभी एक ही नांव में सवार है। ब्रायन, क्या तुमने मुझे सुना? भारतीयों से स्थूल स्तर पर कुछ सीखने का नहीं और पश्चिम से कुछ सीखने का नहीं। दोनों एक ही नांव में सवार है। एक विकसित हो चुका है और एक विकसित हो रहा है। तुम क्या कहते हों? योगी: आध्यात्मिक स्तर पर, तो, माँ? श्री माताजी: आप भारतीयों के आध्यात्मिक स्तर के बारे में क्या सोचते हैं? शून्य है? यह क्या है? योगी: लेकिन आकांक्षाएं, जो कि इस देश में अभी भी संरक्षित है? श्री माताजी: अगर मुझे अमेरिकियों से बात करनी है, तो वे अहंकार उन्मुख हैं। उन्हें बुरा लगेगा। भारत उनसे अधिक महान है ऐसा ना कहना ही बेहतर होगा। योगी: माँ, आप राजनयिकों की राजनयिक हो। श्री माताजी: Read More …

Left Mooladhara and Supraconscious, Meditation Dhule (भारत)

                            बायाँ मूलाधार और अग्रचेतना, मकर संक्रांति  धूलिया, (भारत), 13 जनवरी 1983। भारत में हम सूर्य की कक्षा में परिवर्तन का जश्न मनाते हैं। चूँकि अब वह मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर मुड़ जाता है। इसलिए ऐसा है? तो, अब इस देश में गर्मी अधिक होने वाली है। तो गर्मी की तैयारी के लिए और इसके लिए लोगों को तैयार करने के लिए वे थोड़ा गुड़ और तिल या चीनी और तिल देते हैं और कहते हैं कि “हम आपको मीठा देते हैं इसलिए आप भी मीठा बोलें”, क्योंकि गर्मी लोगों को परेशान करती है। और, अगर आपके अंदर गर्मी है, तो आप एक-दूसरे से बहुत कड़वी बातें करने लगते हैं। तो उस गर्मी को शांत करने के लिए वे चीनी या गुड़ आपके लिवर को देते हैं। लेकिन आप सिर्फ इतना ही नहीं दे सकते हैं, इसलिए इसके साथ ’तिल है जो एक सुखदायक तेल भी है। अब। यह बहुत ही प्रतीकात्मक है। बस यही बात है कि, यह एक प्रतीकात्मक बात है। और यह इस देश में हर 14 जनवरी को किया जाता है। इसे ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है। यह ‘मकर ‘ के लिए परिवर्तन है – मकर का मतलब Capricorn. है। और यह आश्चर्य की बात है! जैसे प्राचीन काल में भारत में Cancer कैंसर को ‘कर्क’  कहा जाता था और आप इस चीज को लंबे समय से कैंसर भी कहते हैं। अब, रोग Cancer कैंसर को भी ‘कैंसर’ कहा जाता है। बस देखें कि यह कैसे संबंधित है। और भारतीय भाषा में इसे कर्क Read More …

Talk about Shri Saraswati and the Veena Kolhapur (भारत)

                                   श्री सरस्वती और वीणा   1983, कोल्हापुर, भारत जो सज्जन साथ दे रहे हैं, उनका नाम मिस्टर चटर्जी है लेकिन मैंने आज तक कभी किसी को तबले पर इतनी अच्छी तरह से ताल बजाते हुए नहीं देखा। तबले पर सभी उत्तर भारतीय ताल को बजाना ठीक है, लेकिन दोनों को मिलाना और तबले पर दक्षिण भारतीय तालों का प्रबंधन पहली बार मैं देख रही हूं। अन्यथा वे आम तौर पर मृदुंगम का उपयोग करते हैं। यह उन चीजों का एक बहुत ही अनूठा संयोजन है, जिन पर हमने काम किया है और, यदि आपके पास समय है, तो हमारे केंद्र में कुछ समय आएं और हम आपको समझाएंगे कि नाद क्या है और इसका क्या अर्थ है और क्या है यह महान यंत्र जिसे वीणा कहा जाता है, जो मूल वाद्य है। सभी यंत्र इस यंत्र के रूपांतर और अभिव्यक्ति हैं, जो मानव जागरूकता में सबसे पहले, सबसे पहले, कल्पना की गई है और यही कारण है कि इसे एक पवित्र वाद्य माना जाता है। यह देवी सरस्वती के हाथ में है, जो विद्या और ललितकला की देवी हैं, जिसका अर्थ है पाँच कलाएँ। महान संतों के अनुसार, विद्या की देवी एक ऐसे व्यक्तित्व का सुझाव देती है या उसका प्रतीक है जिसे संगीत का ज्ञान होना चाहिए; अर्थात यदि कोई व्यक्ति यदि विद्वान है तो उसे अवश्य ही पता होना चाहिए कि संगीत क्या है। यदि वह संगीत को नहीं समझता है, तो वह अभी तक एक पूर्ण, विद्वान व्यक्ति नहीं है। हर कोई जो एक विद्वान व्यक्ति है, उसे Read More …

Mental Projection, Guru Puja Evening Talk Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

[Translation English to Hindi]                   मानसिक कल्पना सहज योगियों से बातचीत   निर्मला पैलेस आश्रम, नाईट एंगल लेन 1982-04-07 नोट [कृपया ध्यान दें श्री माताजी उस समय उपस्थित भारतीय नर्तकियों के लिए अनुवाद करती हैं और मैंने इसे कोष्ठक में (भारतीय भाषा में बोलती है) के रूप में चिह्नित किया है।] श्री माताजी: क्या आप कल सुबह आ सकते हैं, उन्होंने कहा कि शायद यह कल के बाद से बेहतर होगा, ….कुछ न कुछ तर्क संगत, मैंने कहा। ????कृपया बैठ जाइये। अभी वीडियो रिकार्डिंग क्यों कर रहे है आप इसे क्यों रखना चाहते हैं? कुछ अनौपचारिक ढंग खोजें। योगी: नहीं, हम वीडियो नहीं चाहते हैं योगी: इन से लोगों को बहुत मदद मिलती हैं माँ। श्री माताजी: क्या आप ऐसा सोचते हैं? योगी: हाँ माँ ये अनौपचारिक वार्ताएं हैं जो वास्तव में दुनिया भर के लोगों की मदद करती हैं।  योगी: लोगों के लिए योगी: आप इसे रात में देख सकते हैं श्री माताजी: आप इसे रात में देख सकते हैं योगी: क्षमा करें? श्री माताजी: हम्पस्टेड ?? योगी: हां हम इसे रात में देख सकते हैं योगी: मेरा अनुरोध था कि इन अनौपचारिक बातचीत को फिल्माना संभव होगा क्योंकि ये हैं…। श्री माताजी: कौन सी? योगी: अनौपचारिक माँ श्री माताजी: कब योगी: अभी एस एम: यह बहुत ही अनौपचारिक है, मुझे लगता है कि ठीक नहीं है? श्री माताजी: अब, मुझे आशा है कि आप सब समझ गए होंगे कि मैंने आज सुबह क्या कहा था। मुझे लगता है कि फिर से देखा जाना चाहिए,  योगी: हाँ श्री माताजी: आपकी Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Open Your Heart, Seminar 4th Session (भारत)

योगीयों से बातचीत लोनावाला (भारत), 25 जनवरी 1982 सारी दुनिया से इतने सारे सहज योगियों से मिलने और उनसे बात कर पा कर बहुत खुशी है। वे मुझे विश्व में सबसे अच्छी समझते हैं|, इस पूरे विश्व में एक ऐसे व्यक्ति के साथ जो की सहज योगी नहीं है तालमेल होना असंभव है| यहां तक कि अगर आप उन्हें आत्मसाक्षात्कार भी देते हैं, यदि वे सहज योगी नहीं बनते हैं, तो उन्हें अपने स्वयं के अस्तित्व की सूक्ष्मता भी समझने में मुश्किल हो सकती है। आज, जैसा कि हम यहां सभी सहज योगी हैं, मै तम्हे अस्तित्व का\\का सूक्ष्मता के धरातल पर विकास के बारे में बताउंगी।हर समय, जैसा कि हम कुछ भी कर रहे होते हैं, हम सोच रहे होतेहैं कि क्या और कैसे करें । “आत्मबोध करने के लिए क्या करना चाहिए?”यह पहला प्रश्न लोगों ने मुझसे पूछा, जब उन्हें आत्मबोध नहीं हुआ था| “माँ हमें आत्मसाक्षात्कार पाने के लिए क्या करना है ?” तो फिर मुझे कहना पड़ा “कुछ भी नहीं, बस मेरी और अपने हाथ फैला दें है, और यह काम होजावेगा।” यह सच है, यह इस तरह से ही काम करता है। अब प्राप्ति के बाद, आपको कुछ करना होता है, जैसा कि वे कहते हैं। लेकिन फिर भी सवाल आता है आपको क्या करना है “इस चक्र को हटाने के लिए, इस चक्र के लिए हमें क्या करना चाहिए? तकनीक क्या है, क्या बात है? “आज के समय में सहज योगी के साथ परेशानी ये है कि वे सभी पहले से टेक्नोक्रेट हैं। उन्होंने Read More …

Subconscious, Supraconscious and Our Correct Ideals Chelsham Road Ashram, London (England)

                     अवचेतन, अतिचेतन  चेल्शम रोड, क्लैफम, लंदन (यूके) 24 मई 1981 …इन लोगों ने इसे देखा और सोचा वे एक तरह के पागल लोग हैं। ऐसी सभी प्रकार की संभावित बातें। और नया सिद्धांत यह है कि मन कुछ नहीं कर सकता। लोग कहते हैं कि बेहतर होगा कि आप कुछ ऐसा करें जो आपके मन के नियन्त्रण के बाहर हो, आप देखिए। लेकिन इसका एक आसान सा जवाब है; मैं कहती हूँ देखते हैं, सरल उत्तर क्या है? आइए देखते हैं। सहजयोगी… ब्रेन ट्रस्ट से?  सरल उत्तर क्या है? देखिये, वे कहते हैं कि, मन सीमित है, ठीक है, तो मन जो कुछ भी करता है वह सीमित है। तो अगर कोई ऐसे प्रयास हों जिनके द्वारा आप हमारे मन पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो हम जो कुछ भी करते हैं, वह मन की क्रिया है। तो अगर इस प्रकार का कुछ किया जाता है, तो यह स्वतःस्फूर्त होता है, उनके अनुसार “यह स्वतःस्फूर्त है!” तो किसी अन्य को यह करने दो। मेरा मतलब है कि यह कुछ कुछ इस प्रकार है जैसे कि परमात्मा आपके साथ कर रहा है।” आइए सभी बुद्धिजीवियों को नीचे रखें! आप इसका क्या जवाब देते हैं? क्या आपने सुना है कि लिंडा [विलियम्स (पियर्स)]? प्रश्न बहुत सरल है। प्रश्न यह है कि वे कह रहे थे कि मन सीमित है। ठीक है? नमस्कार। क्या मारिया यहाँ है? मैं उसके बारे में सोच रही थी। वह कहाँ हॆ? मैं उसे देख नहीं पा रही। नमस्कार! मैं आज तुम्हारे बारे में सोच रही थी, किसी Read More …