Shivaji School, Vishesh goshti sathi vel aali aahe (भारत)

Shivaji School, Vishesh goshti sathi vel aali aahe [Marathi to Hindi Translation] HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) परमात्मा की बहुत सारी कृपायें हम पर होती हैं। मनुष्य पर भी उसकी अनेक कृपायें होती हैं। परमात्मा की आशीर्वाद से ही उसे अनेक उत्तम चीजें और उत्तम जीवन प्राप्त होता है। पर मनुष्य तो उसे हर क्षण भूल जाता है। साक्षात् परमात्माने यह पृथ्वी हमारे लिये बनायी है और पृथ्वी निर्माण कर के उसमें विशेष रूप से एक स्थान बनाया है। इसी कारण से वह सूर्य के ज़्यादा समीप नहीं और चंद्रमा से जितनी दर पृथ्वी ने होना चाहिये उतनी ही दूरी पर वह है। और उस पृथ्वी पर जीवजंतुओं का निर्माण कर आज वह सुंदर कार्य मनुष्य के रूप में फलित हो गया है। अर्थात् अब आप मानव बन गये हैं। और अब मानव अवस्था में आने पर हमें परमात्मा का विस्मरण होना यह ठीक नहीं है। जिस परमात्मा ने हमें इतना ऐश्वर्य, सुख और शांति दी है, उस परमात्मा को लोग बहुत ही शीघ्र भूल जाते हैं। पर जिन लागों को परमात्मा ने इतना आराम नहीं दिया, जो अभी भी दरिद्रता में हैं, दःख में हैं, बीमार हैं, पीड़ा में हैं, वो लोग परमात्मा का स्मरण करते रहते हैं। पर जिन लोगों को परमात्मा ने दिया है, वे परमात्मा को पूरी तरह भूल जाते हैं। यह बहुत आश्चर्य की बात है। और जिन्हें नहीं दिया वे तो परमात्मा की याद करते रहते हैं। फिर याद करने के बाद, उन्हें भी आशीर्वाद मिलने के बाद वे लोग भी भूल जाएंगे। मनुष्य का Read More …

1st Day of Navaratri Celebrations, Shri Kundalini, Shri Ganesha मुंबई (भारत)

Kundalini Ani Shri Ganesha 22nd September 1979 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type [Hindi translation from Marathi talk] आज के इस के प्रथम दिन शुभ घड़ी में, ऐसे इस सुन्दर वातावरण में इतना सुन्दर विषय, सभी योगायोग मिले हुए दिखते हैं। आज तक मुझे किसी ने पूजा की बात नहीं कही थी, परन्तु वह कितनी महत्त्वपूर्ण है! विशेषतः इस भारत भूमि में,महाराष्ट्र की पूण्य भूमि में, जहाँ अष्टविनायकों की रचना सृष्टि देवी ने (प्रकृति ने) की है । वहाँ श्री गणेश का क्या महत्त्व है और अष्टविनायक का महत्त्व क्यों है ? ये बातें बहुत से लोगों को मालूम नहीं है । इसका मुझे बहुत आश्चर्य है। हो सकता है जिन्हें सब कुछ पता था या जिन्हें सब कुछ मालुम था ऐसे बड़े-बड़े साधु सन्त आपकी इसी सन्त भूमि में हुए हैं, उन्हें किसी ने बोलने का मौका नहीं दिया या उनकी किसी ने सुनी नहीं। परन्तु | इसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है और एक के जगह सात भाषण भी रखते तो भी श्री गणेश के बारे में बोलने के लिए मुझे वो कम होता । आज का सुमुहूर्त घटपूजन का है। घटस्थापना अनादि है । मतलब जब इस सृष्टि की रचना हुई, (सृष्टि की रचना एक ही समय नहीं हुई वह अनेक बार हुई है।) तब पहले घटस्थापना करनी पड़ी । अब ‘घट’ का क्या मतलब है, यह अत्यन्त गहनता से समझ लेना जरूरी है । प्रथम, ब्रह्मत्त्व में जो स्थिति है, वहाँ परमेश्वर का वास्तव्य होता है । उसे हम अंग्रेजी में Read More …

Evening prior to departure for London, Importance of Meditation पुणे (भारत)

Evening prior to Her departure for London (Marathi & Hindi). Pune, Maharashtra, India. 30 March 1979. [Hindi Transcript]  ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आप लोग सब इस तरह से हाथ कर के बैठिये। इस तरह से हाथ कर के बैठे और आराम से बैठे। इस तरह से बैठिये। सीधे इस तरह से आराम से बैठिये। कोई स्पेशल पोज़ लेने की जरूरत नहीं है। बिल्कुल आराम से बैठिये। सहज आसन में। बिल्कुल सादगी से। जिसमें कि आप पे कोई प्रेशर नहीं। न गर्दन ऊपर करिये, नीचे करिये। कुछ नहीं। मुँह पर कोई भी भाव लाने की जरूरत नहीं है और कोई भी जोर से चीखना, चिल्लाना, हाथ-पैर घुमाना, श्वास जोर से करना, खड़े हो जाना, श्वास फुला लेना ये सब कुछ करने की जरूरत नहीं। बहुत सहज, सरल बात है और अपने आप घटित होती है। आपके अन्दर इसका बीज बड़े सम्भाल कर के त्रिकोणाकार अस्थि में रखा हुआ है। इसके लिये आपको कुछ करना नहीं है। आँख इधर रखिये। बार बार आँख घुमाने से चित्त घूमेगा। आँख इधर रखिये। चित्त को घुमाईये नहीं। आँख घुमाने से चित्त घूमता है। आँखे बंद कर लीजिये, उसमें हर्ज नहीं । उल्टा अच्छा है, आँख बंद कर लीजिये। अगर आँख बंद नहीं हो रही हो या आँखें फड़क रही हो तो आँख खोल दीजिये। सब से पहली चीज़ है यह घटना घटित होनी चाहिये। लेक्चर सुनना और सहजयोग के बारे में जानना इसके लिये बोलते बोलते मैं तो थक गयी हूँ। और एक बहोत बड़ी किताब भी लिखी गयी है, अंग्रेजी में । उसकी कॉपीज Read More …

Public Program Day 2: Utkranti Ki Sanstha Birla Kreeda Kendra, मुंबई (भारत)

Public Program Day 2, Birla Krida Kendra, Mumbai (Hindi), 15 January 1979. ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK मैंने कहा था, कि कुण्डलिनी के बारे में विशद रूप से आपको बताऊँगी। इसलिये आज आपसे मैं कुण्डलिनी के बारे में बताने वाली हूँ। पर मुश्किल है आप सब को ये चार्ट दिखायी नहीं दे रहा होगा। क्या सब को दिखायी दे रहा है ये चार्ट? इसमें जो कुछ भी दिखायी दे रहा है वो आपको इन पार्थिव आँखो से नहीं दिखायी देता। इसलिये सूक्ष्म आँखें चाहिये जो आपके पास नहीं हैं। बहरहाल ये आप के अन्दर है या नहीं आदि सब बातें हम बाद में आपको बतायेंगे। इसे किस तरह जानना चाहिए? लेकिन इस वक्त अगर मैं आपको इसके बारे में बताना चाहती हूँ तो एक साइंटिस्ट के जैसे खुले दिमाग से बैठिये। पहले ही आपने अनेक किताबें कुण्डलिनी के बारे में पढ़ी हुई हैं। योग के बारे में पढ़ी हुई हैं। लेकिन सत्य क्या है उसे जान लेना चाहिए। किताबों से सत्य नहीं जाना जा सकता। कोई कहीं कहता है, कोई कहीं कहता है, कोई कहीं बताता है। लेकिन आप अगर साइंटिस्ट है तो अपना दिमाग को थोड़ा खाली कर के मैं जो बात बता रही हूँ, उसे देखने की कोशिश करें। जिस तरह से कोई भी साइंटिस्ट अपना कोई हाइपोथिसिस आपके सामने रखता है, कोई ऐसी कल्पना कर के रखता है, कि ऐसी ऐसी बात हो सकती हैं, उसको वो फिर अन्वेषण कर के और सिद्ध करता है, प्रयोग कर के, एक्सपिरिमेंट के साथ ये सिद्ध कर देता है, कि वो Read More …

What is the Kundalini and how it awakens Bharatiya Vidya Bhavan, मुंबई (भारत)

Talk in Hindi at the Bharat Vidya Bhavan, Mumbai, Maharashtra, India. 9 January 1979. [Hindi transcript until 00:49:05] सबको फिर से मिल के बड़ी ख़ुशी होती हैं | मनुष्य पढता है लोगो से सुनता है बड़े बड़े पंडित आ करके लोगो को भाषण देते हैं | इस संसार में परमात्मा का राज्य हैं परमात्मा न सृष्टि है | ऐसे हाथ करिये बैठे राहिएए जब तक में भाषण देती हूँ उसी के साथ ही कुण्डलिनी का जागरण हो जाता है | आज में आपसे ये बताने वाली हूँ की कुण्डलिनी क्या चीज़ है और उसका जागरण कैसे होता है | कल मेने आपसे बताया था मानव देह हम आज देख रहे हैं इस मानव देह को चलाने वाली शक्तियां हमारे अंदर प्रवाहित हैं | उन गुप्त प्रवाहों को हम नहीं जानते हैं | जिनके कारन आज हमारी सारी शक्तियां ये शरीर मन बुद्धि अहंकार सारी चीज़ो का व्यापर करती हैं उनके बारे में जो कुछ भी हमने साइंस से जाना है वो इतना ही जाना है की ऐसी कोई स्वयंचालित शक्तियां है जिसको की ऑटोनॉमस सिस्टम कहते हैं जो इस कार्य को करती हैं और जिसके बारे में हम बोहत ज्यादा नहीं बता सकते | की वो शक्ति कैसी है और किस तरह से वो अपने को चलाती है | किसी भी चीज़ को जानने का तरीका एक तो ये होता है की अँधेरे में उस चीज़ को खोजिये जैसे आप इस कमरे में आये है और यहाँ अंधेरा है इसको धीरे धीरे टटोलिये जानिये की ये क्या है कोई दरवाजे Read More …

Advice at Bharatiya Vidya Bhavan मुंबई (भारत)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी सार्वजनिक प्रवचन, भारतीय विद्या भवन, बंबई, भारत 22 मार्च 1977 भारतीय विद्या भवन में सलाह (प्रश्न और उत्तर) यह प्रकाश आप को इसलिए प्रदान किए गया है, क्योंकि आप दूसरों को प्रकाश देते हैं। यदि आप इसे दूसरों को नहीं देते हैं, तो धीरे-धीरे यह प्रकाश फीका पड़ जाता है। आपको यह प्रकाश ऐसे रास्ते पर रखना चाहिए, जहां लोग अंधकार में भटक रहे हों। इस प्रकाश को मेज के नीचे ना रखें, जहां ये बुझ जाए। आप लोग यहां आएं, अगर आप को कोई समस्या है, कोई बीमार है तब हम इस के (उपचार) बारे में भी बताएंगे, और इसी प्रकार ये लोग आप को सहज योग के विषय में बताएंगे। (श्री माताजी मराठी भाषा में – फड़के और अन्य सहज योगी वहां जाइए। उन्हे कुंडलिनी और सहज योग के बारे में बताइए। ये दो दिन में समाप्त नहीं होगा। इस में समय लगेगा। अब हमारे साथ लोग हैं जो वास्तव में बहुत ही अच्छे हैं। वे कुंडलिनी के विषय में सब कुछ जानते हैं।) उन्होंने कुंडलिनी पर पूरी तरह से महारत हासिल कर ली है। कुछ लोग हैं, आप जानते हैं, लेकिन कुछ हैं जिन्हे पांच वर्ष पूर्व आत्म साक्षात्कार प्राप्त हुआ था, पर वो एक शब्द भी नहीं जानते। उसके विपरीत, वे ऐसे ही आ कर हम से पूछते हैं, ”मेरी मां बीमार हैं। कृपया उनका उपचार कीजिए। मेरे पिता बीमार हैं। मेरा उपचार कीजिए। मेरा ये बीमार है।” बस इतना ही। इसलिए वे किसी काम के नहीं हैं। तो इसलिए Read More …

Sahajayogyanmadhe Dharma Stapna Aur Sahajayog, Dharma has to be established Within मुंबई (भारत)

Dharma Talk [Translation from Marathi to Hindi] HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) सहजयोग का ये कार्य कितना खास है। मैं आपको पहले ही बता चूकी हूँ कि मैंने श्री गणेशजी की तरह एक नया मॉडल बनाया है तुम्हारा। ये एक नया तरीका है। और इसे विशेष रूप से आपने ग्रहण किया है। इसका कारण ये है कि आपण उसे ग्रहण करने योग्य हो। मैंने अयोग्य दान नहीं दिया है। आपकी योग्यता को मैं हर क्षण, हर पल जानती हूँ। मैं तो सिर्फ इतना कह सकती हूँ कि ये जो कुछ भी हुआ ये सब माँ के प्यार की वजह से, बहुत ही धीरे से, प्रेम से, सम्वेदनापूर्ण ये कार्य हुआ है। पर अगर आप इसके योग्य नहीं होते तो ये सम्भव नहीं होता। आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो इधर-उधर भाग रहे हैं । वे पागल हो गये हैं। अनादिकाल से जो भी शास्त्रों ें कहा गया है उस पर विचार तक नहीं करते हैं ये। जो कहा है, बड़े-बड़़े ज्ञानी, श्रीकृष्ण जैसे महान परमेश्वरी अवतरण से सुनकर भी वे सब कुछ छोड़कर वे लोग नयी-नयी योजनाओं से लोगों को अपने जाल में फँसाते है, उसके बारे में कोई भी विचार ये लोग नहीं करते हैं। किसी भी शास्त्र में, चाहे वो मोहम्मद साहब ने लिखा हो या फिर क्राइस्ट ने कहा हो या श्रीकृष्ण की कही गयी ‘गीता’ हो, इन सब में एक ही तत्व है कि आप अपने ‘स्व’ को समझें। अगर आप अपने अन्दर के ‘स्व’ को जानेंगे तो उसकी शक्ति से आपको लाभ होगा। पर Read More …

Sahajyog Sagalyana Samgra Karto मुंबई (भारत)

Public Program [Hindi Translation from Marathi] HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) ऐसी विचित्र कल्पना लेकर के लोग यहाँ आते हैं। ऐसे में आपको अपनी समझदारी से चलना है। समझदारी से कार्य करना है। समझदारी तो बड़ी मुश्किल से आती है मूर्खपना तो बड़ी जल्दी से आ जाता है । ऐसे हालात में आपको अपने समझदारी को लेकर आगे बढ़ना है। मैं माँ हूँ। मैं आपकी मूर्खता और खराबियों के बारे में बताने वाली हूँ। उसे आप मत करिये, इसी में आपकी भलाई है। मैं कोई गुरु नहीं हूँ। मुझे आपसे कुछ भी नहीं चाहिए । मैं तो केवल आपकी भलाई और कल्याण चाहती हूँ। आपके हित के लिए जो अच्छा है वही में आपसे कहूँगी। इसका आप कोई बुरा न माने। अभी कुछ नये लोग आये हुए हैं। उन्हें मैं बता देती हूँ कि अगर किसी को कुछ खराब लग जायेगा तो फिर वो तो गये काम से। वाइब्रेशन्स चले जाएंगे । मैं नहीं निकालती हूँ इसे। (वाइब्रेशन्स को) आप को जो अभी आवाज आयी है वैसी ही आवाज ‘ओम’ जैसे हम कहते हैं उनकी होती है। समझ में आया क्या। मतलब ये जो एनर्जी बहती है और जब वो बहती है पर पूरी तरह से चैनलाइज्ड़ नहीं हुई होती है तब ऐसी आवाज आती है। जब यह चैनलाइज्ड़ होने लगती है तब ऐसी ‘ओम’ की आवाजें कभी अपने कानों में या फिर कभी अपने सिर में आने लगती है, तभी ये समझ लेना चाहिए कि एनर्जीपूर्ण तथा एड़जेस्ट और चैनलाइज्ड नहीं हुआ है इसलिए ऐसी आवाजें आती हैं। जब ऐसी Read More …

Nirvicharita मुंबई (भारत)

Nirvicharita “VIC Date 6th April 1976 : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi तुम लोगों को बुरा लगेगा इसलिये मराठी में बोलने दो। मैं कह रही हूँ कि तुम्हारे सामने जो भी प्रश्न हैं, उन प्रश्नों को तुम अचेतन में छोड़ो, वो मेरे पैर में बह रहा है। माने ये कि कोई भी प्रश्न , अब तुमको अपनी लड़की का | प्रश्न है समझ लो। उसमें खोपड़ी मिलाने से कुछ नहीं होने वाला। जो भी प्रश्न है वो यहाँ छोड़ दो। उसका उत्तर मिल जायेगा। अब तुम अगर सोचते हो कि इस चीज़ से लाभ होगा , वो नहीं बात। जो परमात्मा सोचता हैं तुम्हारे लिये जो हितकारी चीज़ है, वो घटित हो जायेगी । वो तुम कर भी नहीं सकते हो । इसलिये उसको छोड़ दो तुम क्यों बीच में तंगड़ियाँ तोड़ रही हो? तुम क्यों परेशान हो रही हो ? तुमको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं। तुम छोड़ तो दो| जो तुम्हारे सारे प्रश्नों को सॉल्व करने के लिये पूरी इतनी कमिटी बैठी हुयी है, उनके पास छोड़ो तुम | सहजयोग में यही तो कमाल है, कि सर का बोझा उतर गया उनकी खोपड़ी पर। छोड़ के देखो। ऐसे कमाल होंगे, ऐसे कमाल होंगे, कि बस्। लेकिन मनुष्य की खुद्दारी की बात हो जाती है। आखिर तक वो यही सोचते रहता है कि, ‘मुझी को करना है। और सोचते रहिये, एक के ऊपर एक ताना, बाना चलता रहेगा। कितना भी आप करते रहिये। आखिर आप पाईयेगा, कि आप कहीं भी नहीं पहुँचे और पागलखाने Read More …

Public Program Bharatiya Vidya Bhavan, मुंबई (भारत)

Updesh – Bhartiya Vidya Bhavan- 1, 17th March 1975 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi ( … अस्पष्ट) उन सब के बारे में काफ़ी विशद रूप से मैने आपको बताया है। और जिस चैतन्य स्वरूप की बात हर एक धर्म में, हर समय की गयी है उससे भी आप में से काफ़ी लोग भली भाँति परिचित हैं। उस पर भी जब मैं कहती हूँ कि आप गृहस्थी में रहते हो और आप हठयोग की ओर न जायें, तो बहुत से लोग मुझसे नाराज़ हो जाते हैं। और जब मैं कहती हूँ कि इन संन्यासिओं के पीछे में आप लोग अपने को बर्बाद मत करिये और इनको चाहिये की गृहस्थ लोग दूर ही रखें। तब भी आप लोग सोचतें हैं कि माँ, सभी चीज़ को क्यों मना कर रहे हैं।  ऐसे तो मैं सारे ही धर्मों को संपूर्ण तरह से आपको बताना चाहती हूँ। इतना ही नहीं, जो कुछ भी उसमें आधा-अधूरापन भापित होता है उसको मैं पूर्ण करना चाहती हूँ। मैं किसी भी शास्त्र या धर्म के विरोध में हो ही नहीं सकती। लेकिन अशास्त्र के जरूर विरोध में हूँ और अधर्म के। और जहाँ कोई चीज़ अधर्म होती है और अशास्त्र होती है, एक माँ के नाते मुझे आपसे साफ़-साफ़ कहना ही पड़ता है। बाद में आपको भी इसका अनुभव आ जायेगा  कि मैं जो कहती हूँ वो बिल्कुल सत्य है, प्रॅक्टिकल है। जब आप अपने हाथ से बहने वाले इन वाइब्रेशन्स को दूसरों पे आजमायेंगे, आप समझ लेंगे, कि मैं जो कहती हूँ Read More …

Teen Shaktiya मुंबई (भारत)

TEEN SHAKTIYAN, Date: 21st January 1975, Place: Dadar, Type: Seminar & Meeting [Hindi Transcript] जैसे कोई माली बाग लगा देता है और उस पे प्रेम से सिंचन करता है और उसके बाद देखते रहता है कि देखें कि बाग में कितने फूल खिले खिल रहे हैं। वो देखने पर जो आनन्द एक माली को आता है उसका क्या वर्णन हो सकता हे! कृष्ण नाम का अर्थ होता है कृषि से”, कृषि आप जानते है खेती को कहते हैं। कृष्ण के समय में खेती हुई थी और क्राइस्ट के समय में उसके खून से सींचा गया था। इस संसार की उर्वरा भूमि को कितने ही अवतारों ने पहले संबारा हुआ था। आज कलियुग में ये समय आ गया है कि उस खेती की बहार देखें, उसके फूलों का सुगन्ध उठायें। ये जो आपके हाथ में से चेतन्य लहरियाँ बह रही हैं ये वही सुगन्‍ध है जिसके सहारे सारा संसार, सारी सृष्टि, सारी प्रकृति चल रही है। लेकिन आज आप वो चुने हुये फूल हैं जो युगों से चुने गये हैं कि आज आप खिलेंगे और आपके अन्दर से ये सुगन्ध संसार में फैल कर के इस कीचड़ के इस मायासागर के सारी ही गन्दगी को खत्म कर दे। देखने में ऐसा लगता है कि ये केसे हो सकता है ? माताजी बहुत बड़ी बात कह रही हैं। लेकिन ये एक सिलसिला है, कन्टिन्यूअस प्रॉसेस (continuous process) है। और जब मंजिल सामने आ गयी तब ये सोचना कि मंजिल क्‍यों आ गयी ? कैसे आ गयी ? कैसेहो सकता है ? जब Read More …

Public Program Dhule (भारत)

HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) वास्तव में धूलिया नगर का यह बहुत बड़ा सौभाग्य है कि राजकुंवर राऊल जैसी स्त्री यहाँ है। उनके प्रेम के आकर्षण से ही मैं यहाँ आयी हूँ। मैंने उनसे कहा था कि मैं धूलिया एक बार अवश्य आऊंगी। और यहाँ मुझे अंदर से अनुभूति हो रही है कि उनका भक्तिभाव और प्रेम कितना गहन है । हमारे देश में धर्म के संबंध में सब ने बहुत कुछ लिखा हुआ है और बहुत सारी चर्चायें भी हो चुकी हैं। मंदिरो में भी घंटियाँ बजती हैं। लोग चर्च में जाते हैं, मस्जिद | में जाते हैं। धर्म के नाम पर अपने देश में बहुत सारा कार्य हुआ है। परंतु वास्तव में जो कार्य है वह कहीं भी हुआ है ऐसा दिखता नहीं। हम मंदिर में जाते हैं, सब कुछ यथास्थित करते हैं। पूजा- पाठ भी ठीक से करते हैं, घर आते हैं पर ऐसा कुछ लगता नहीं कि हमने कुछ पाया है। हमारे अन्दर अंतरतम में जो शांति है, अन्दर जो प्रेम है ये सब हम कभी भी नहीं प्राप्त करते। कितना भी किया, तो भी ऐसा लगता नहीं कि हम भगवान के पास गये हैं और हमें वहाँ ऐसी माँ मिली है जिन की गोद में सिर रखकर हम आराम से कह सकते हैं कि हमें अब कुछ नहीं करना है। मेरा ऐसा कहना नहीं है कि मनुष्य ने मंदिर नहीं जाना चाहिये । जाईये, अवश्य जाईये। अगर आप को मधु (शहद) की पहचान कर लेनी है, तो यह ही ठीक रहेगा कि पहले फूल की बातें Read More …