Birthday Puja, Mind is a Myth New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा मन मिथ्या है दिल्ली मार्च 21, 1996 मेरा जन्म दिन आप इतने प्रेम, आदर और श्रद्धा से मना रहे हैं। यह देख कर ऐसा लगता है कि हमने ऐसा किया ही क्या है जो आप लोग इस तरह अपना प्रेम दिखा रहे हैं। आज मैं आपको एक अनूठी बात बताने वाली हूँ कि हमारे अन्दर जो मन या mind नाम की संस्था है वो एक मिथ्या बात है। वो मिथ्या ऐसी है कि जब हम पैदा होते हैं तो हमारे अन्दर ये मन नाम की बात कोई नहीं होती। जब धीरे धीरे हम बाह्य में प्रतिक्रिया करते हैं, दोनों तरह की, या तो हमें कोई संस्कार बनाता है और कोई हमारे अन्दर अहंकार का भाव जागृत होता है तब उन प्रतिक्रियाओं से जो हमारे अन्दर चीज़ जागृत होती है वो बुलबुलों की तरह इक्टी हो जाती है और ये हमारे विचारों के बुलबुले, हमारे अन्दर मन नाम की एक कृत्रिम संस्था बना देते हैं। यह सारी चीजें हमारे अन्दर ऐसी घटित होती हैं कि जिसे हम खुद ही बना करके, उसी की गुलामी करते हैं। जैसे घड़ी इन्सान ने बनाई है और हम घड़ी की गुलामी करते हैं । सहज में फिर आप कालातीत हो जाते हैं, आप इससे परे उठ जाते हैं। समय आपके साथ चलने लगता है आप समय के पीछे नहीं दौड़ते। अब कम्पयूटर आजकल लोग बना रहे हैं, कम्पयूटर बनाने से उसी की गुलामी लोग करने लग गये। और उस गुलामी में वो इस कदर बहक गये हैं कि वो ये नहीं समझ Read More …

Guru Puja: Creativity Lago di Braies (Italy)

                                                  गुरु पूजा लागो डी ब्रे (इटली), 23 जुलाई 1989। आज हमें उस अवस्था तक जिस में हम वास्तव में गुरु की पूजा कर सकते हैं पहुँचने के लिए सामान्य से थोड़ा अधिक समय व्यतीत करना पड़ा है। जब हम अपने गुरु की पूजा करते हैं, तो हमें यह जानना होता है कि वास्तव में हम अपने भीतर गुरु तत्व को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह केवल ऐसा नहीं है कि आप यहां अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। आप कई-कई बार पूजा कर सकते हैं, हो सकता है कि चैतन्य बहे, हो सकता है कि आप उससे भर जाएं और आप उत्थान महसूस करें, पोषित हों। लेकिन इस पोषण को हमें अपने भीतर बनाए रखना है, इसलिए हमेशा याद रखें कि जब भी आप बाहर किसी सिद्धांत की पूजा कर रहे होते हैं, तो आप उसी सिद्धांत की अपने ही भीतर पूजा करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हमारे भीतर गुरु का सिद्धांत निहित है। नाभि चक्र के चारों ओर खूबसूरती से रचे गुरु तत्व को देखना बहुत दिलचस्प है। हमें कभी भी गुरुतत्त्व से जुड़ा कोई चक्र दिखाई नहीं देता। आप नाभि को देखते हैं, और चारों ओर भवसागर है। तो यह भवसागर जो कि भ्रम का सागर है, गुरु नहीं हो सकता। तो हमारे भीतर इस भवसागर में छिपे हुए चक्र हैं, जिन्हें जगाना है और प्रकाश में लाना है, अभिव्यक्त करना है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस सिद्धांत की सीमाएं स्वाधिष्ठान चक्र की गति Read More …

Christmas Puja: Reach Completion of Your Realization पुणे (भारत)

क्रिसमस पूजा  पुणे 25 दिसम्बर 87 आज मैंने अंग्रेजी में बात की। क्योंकि यह उनका विषय है। लेकिन हम भी ईसा-मसीह के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, और जो हम जानते हैं वह इतना कम है, कि हम उससे जो अनुमान लगाते हैं वह गलत है जैसा कि ये ईसाई देखते हैं। कहा जा रहा है कि किसी भी जाति में ऐसे बुद्धिमान व्यक्ति नहीं मिलते। तो यह हिंदू धर्म या ईसाई धर्म क्यों है? किसी भी धर्म में केवल मूढ़ लोगों कि अधिक पोषित किया जाता है। इसलिए हम इन मूढों से कुछ भी सीखना नहीं चाहते हैं, लेकिन इस दुनिया में जितने भी अवतरण आये है, उसमे उनकी बहुत विशेषता है। इनमें ईसा मसीह की विशेषता यह है कि उनका जीवन सोने के समान है। कोई भी उनके जीवन के बारे में एक अक्षर भी नहीं कह सकता कि ईसा-मसीह ने यह छोटा सा काम गलत किया, या उसने यह कैसे किया? कोई सवाल टिक नहीं पाते। इतने छोटे जीवनकाल में भी उन्होंने जो उंचाई हासिल की है, और उनके सभी कार्यों का योग, व्यवस्थित रूप से, एक के बाद एक, वास्तव में असाधारण है, और यही मैं आज आपको बताना चाहती हूं। जैसे ईसा-मसीह बिना पिता के केवल पवित्र आत्मा के द्वारा उत्पन्न हुए, वैसे ही तुम भी उत्पन्न हुए हो। तब आपको वैसी ही पवित्रता में आना चाहिए और उसी पवित्रता में रहकर संसार को एक ईसा-मसीह जैसा जीवन प्रदर्शित करना चाहिए। तब लोग कहेंगे कि यह तुम्हारे सामने ईसा-मसीह के उदाहरण का फल है। Read More …