Seminar Day 1, Questions and Answers, Advice to Realised Souls Bordi (भारत)

[Hindi translation from English]                     1977-01-26 1 Seminar Day 1, Questions Answers, Bordi, India आपने जो पूछे हैं, मैं अधिकतर बिंदुओं पर प्रकाश डालने का प्रयास करूँगी। परन्तु मैं यह अवश्य ही कहूँगी कि आप के अधिकतर प्रश्न सुनकर मैं बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि यह दिखाता है कि आपकी जिज्ञासा सूक्ष्म से सूक्ष्मतर हो रही है, क्योंकि आप पहले से ही चक्रों के स्थूल स्वरूप जानते हैं और अब आप सूक्ष्मतर स्वरूप को जानना चाहते हैं। अब पहला प्रश्न जो सबसे पहले लेना चाहिए, वह है, “मानव के अंदर चक्र कैसे आते हैं? किस समय? जीवन के किस चरण में?” क्योंकि यही पहला प्रश्न होना चाहिए। यह प्रश्न कुछ इस प्रकार है कि यदि हम पूछें, “बीज के अस्तित्व में, बीजक किस समय आता है?” यह कुछ इस प्रकार है।  जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, जैसा मैंने आपको पहले बताया है, उसकी पूर्ण मृत्यु नहीं होती, उसका कुछ ही अंश मरता है, जो अधिकांश भूमि तत्व होता है। और शेष तत्व वहीं रह जाते हैं। बाकी शरीर विलुप्त हो जाता है। और हम उसे देख नहीं सकते क्योंकि यह पूर्ण मानव रूप नहीं है। यह अंदर से कम होता जाता है, और कुण्डलिनी शरीर छोड़ देती है और बाहर रहती है, शरीर के बाहर।   और आत्मा जिसे हम प्राण कहते हैं, यह भी शरीर को छोड़ देती है, और शरीर के बाहर रहती है- जो बचा हुआ शरीर है। इस नवीन शरीर की संरचना हमारे शरीर से भिन्न है। आप कह सकते हैं कि एक दीप जो बुझ हुआ Read More …