Easter Puja: You Have To Grow Vertically Eastbourne (England)

1990-04-22 ईस्टरपूजा प्रवचन : आपको उर्ध्व दिशा में उत्थान करना है। ब्रिटेन,डीपी आज हम यहाँ पूजा करने जा रहें हैं, ईसा मसीह के पुनरुत्थान की। और साथ ही उन्हें धन्यवाद देना है,  हमें प्रदान करने के लिए ,एक संत का आदर्श जीवन , जिसे कार्य करना है ,संपूर्ण विश्व  के कल्याण लिए । हम ईसा मसीह की बात करते हैं ।हम श्री गणेश   भजन का गायन करते हैं । हम कहते हैं कि हम उनको मानते हैं । विशेष रूप से सहजयोगियों को लगता है कि उनके सभी भाइयों में वे  सबसे बड़े  हैं  ।और एक प्रबल  , समर्पण मैं पातीं हूँ, विशेष रूप से पाश्चात्य सहज योगियों में, ईसा मसीह के लिए । कारण कि शायद हो सकता है कि उनका जन्म ईसाई धर्म में हुआ हो ।अथवा हो सकता है कि उन्होंने  ईसा मसीह के जीवन को पाया हो ,एक बहुत  विशेष प्रकार का  । परंतु उन्हें उस से कहीं अधिक होना है सहज योग के लिए , और आप सहज योगियों के लिए । बहुत से लोग अनेक देवी-देवताओं को मानते हैं । जैसे कुछ लोग श्री कृष्ण को मानतें  हैं, कुछ लोग श्री राम को , कुछ लोग बुद्ध को , कुछ लोग महावीर को एवं कुछ लोग ईसा मसीह को। पूरी दुनिया में, वे अवश्य विश्वास करतें हैं, किसी उच्चतर अस्तित्व में । परंतु शुरुआत मे यह विश्वास बिना योग के  होता है ।और बन जाता है एक प्रकार का,  मिथक  कि वे सोचते हैं कि ,ईसा मसीह उनके अपने  हैं, राम उनके अपने Read More …

1st Day of Navaratri: Innocence and Virginity Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                नवरात्रि पूजा, “अबोधिता और कौमार्य” सभी आस्थाओं का मंदिर, हैम्पस्टेड, लंदन (इंग्लैंड) 17 अक्टूबर 1982  आज, यह बहुत अच्छी बात है कि हम इंग्लैंड में वर्जिन (कुँवारी) की पूजा मना रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, सहज योग के अनुसार, इंग्लैंड हृदय है जहां शिव की आत्मा निवास करती है। और यह कि वर्जिन (कौमार्य) को उच्च मान्यता और सम्मान किया जाना चाहिए और इंग्लैंड में पूजा की जानी चाहिए, मुझे लगता है कि सभी सहज योगियों के लिए यह एक बड़ा सम्मान है। अब किसी को यह सोचना होगा कि कुँवारी को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। क्यों एक कुँवारी का उस हद तक सम्मान किया जाता है। कुँवारी की शक्तियां क्या हैं? कि वह उस महिमा के एक बच्चे को गर्भ में धारण कर सकती है जो कि ईसा-मसीह थे, कि वह अपने शरीर से श्री गणेश को बना सके, कि वह अपने बच्चों की अबोध, गतिशील शक्ति की रक्षा कर सके जो निरहंकारी हैं, जो नहीं जानते कि अहंकार क्या है। तो यह महान बल और शक्ति उस शख्सियत में निवास करती है जिसके पास बहुत सारे “गुरु पुण्य” [गुरु गुण] हैं, जिन्होंने पिछले जन्मों में बहुत सारे अच्छे काम किए हैं, जिन्होंने हमेशा यह समझा है कि कौमार्य किसी भी अन्य शक्ति की तुलना में ऊँची शक्ति है और जो कौमार्य और शुद्धता की उसके सभी प्रयासों और देखभाल के साथ रक्षा करेगी। जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे शरीर के भीतर उसे कुंडलिनी के रूप में रखा गया है, जिसका अर्थ है Read More …

Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean Chelsham Road Ashram, London (England)

सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१   … ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए। मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है।  लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह Read More …

Christmas And Its Relationship To Lord Jesus Caxton Hall, London (England)

The Incarnation Of Christ, The Last Judgement Date : 10th December 1979 Place : London Туре Seminar & Meeting Speech [Translation from English to Hindi,Scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का दिन हमारे लिए यह स्मरण करने का के लिए यंह बात अत्यन्त कष्टकर है और उन्हें है कि ईसामसीह ने पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म खेद होता है कि जो अवतरण हमें बचाने के लिए लिया। वे पृथ्वी पर अवतरित हुए और उनके आया उसे इन परिस्थितियों में रखा गया। क्यों नहीं, सम्मुख मानव के अन्दर मानवीय चेतना प्रज्जवलित परमात्मा ने, उन्हें कुछ अच्छे हालात प्रदान किये? करने का कार्य था मानव को यह समझाना कि वे परन्तु ऐसे लोगों की इस बात से कोई फ़र्क नहीं यह शरीर नहीं हैं, वे आत्मा हैं। ईसामसीह का पड़ता, कि चाहे वो सूखी घास पर लेटे रहें या पुनर्जन्म ही उनका सन्देश था अथात् आप अपनी अस्तबल में या किसी भी और स्थान पर, उनके आत्मा हैं यह शरीर नहीं । अपने पुनर्जन्म द्वारा उन्होंने लिए सभी कुछ समान है क्योंकि इन भौतिक चीजों दर्शाया कि किस प्रकार वे आत्मा के साम्राज्य तक का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वो इतने उन्नत हो पाए, अपनी वास्तविक स्थिति तक। क्योंकि निर्लिप्त होते हैं तथा पूर्णतः आनन्द में बने रहते हैं। वे ब्रह्मा थे, महाविष्णु वे अपने स्वामी होते हैं। कोई अन्य चीज उन पर थे, जैसे मैंने उनके जन्म के विषय में आपको स्वामित्व नहीं जमा सकती है। कोई पदार्थ उन पर वे ‘प्रणव’ थे, वे ब्रह्मा थे – Read More …