Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2003: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk] ईसामसीह की आज जन्मतारीख है और हम लोग बहुत खुशी से मना रहे हैं। किंतु जीझस क्राइस्ट को कितनी तकलीफें हुईं वो भी हम लोग जानते हैं और जो तकलीफें, परेशानियाँ उनको हुई वो हम लोगों को नहीं हो सकती क्योंकि अब समाज बदल गया है, दुनिया बदल गयी है और इस बदली हुई दुनिया में आध्यात्मिक जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे कितने क्लेश हमारे दूर हो सकते हैं। हमारे शारीरिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। मानसिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा जागतिक जो | क्लेश हैं वो भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह सारी दुनिया की जिंदगी जो है अध्यात्म में पनप सकती है। कितना महत्त्वपूर्ण है ये जानना की एक तरफ तो ईसामसीह जैसा अध्यात्म का…. और दूसरी तरफ हम लोग जिन्होंने अध्यात्म को थोडा बहुत पाया है और हम लोगों की वजह से दुनिया शांत हो गयी। बहुत सी तकलीफें दूर हो गयी है और मनुष्य जान गया कि उसके लिये सबसे बड़ी चीज़ है अध्यात्म को पाना । ये आप लोगों की जिंदगी से उसने जाना है। आपको देख कर उसने जाना है। ये सारा परिवर्तन आप लोगों की वजह से आया। हम अकेले क्या कर | सकते थे? जैसे ईसामसीह वैसे हम। हम कितना कर सकते थे । लेकिन इतने आप लोगों ने जब अध्यात्म को प्राप्त कर लिया है, तब देख सकते हैं कि दुनिया कितनी बदल गयी है। आपके प्रभाव से Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 2002. Merry Christmas to you all. According to Sahaja Yoga, Christ is settled on your Agnya Chakra. His whole life is depicting the qualities of a person who is a realised soul. What He has suggested in His own life is that you should not have any greed or lust. The way these days people are greedy all over the world is really shocking. Right from the childhood, our children also learn to ask for this or ask for that; only complete satisfaction in life can give you that equanimity, that balance by which you do not hanker after things. These days even India has become very much westernised in the sense they are also very much wanting to have this and that. Actually, now in America suddenly, with this happening, people are getting to spirituality. They come to spirituality because they think they have not found any satisfaction anywhere. But we have to see from His life, the great life of Christ. First He was born in a small little hut, as you saw many of them when you come round. Very much satisfied. And He was put in a cradle which was all covered with dry, very dry grass. Can you imagine? And then He sacrificed His life on the cross. Whole thing is a story of a sacrifice. Because He had a power, power of Spirit, that He could sacrifice anything, even sacrifice His own life, so you can understand the Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 2001. 2001-12-25 Christmas Puja Talk, Ganapatipule, India अच्छा लगा क्रिसमस पूजा के दौरान इतने सारे सहज योगियों को यहाँ आया देख कर । ईसाई धर्म दुनिया भर में फैल गया है, और बहुत सारे तथाकथित ‘ईसाई’ हैं जो कहते हैं कि वे ईसा मसीह  का अनुसरण करते हैं – मुझे नहीं पता कौन से विशेष दृष्टिकोण से! ईसा मसीह परम चैतन्य का अवतार थे, वह ओंकार थे । वह श्री गणेश थे। और जो उनका अनुसरण करते हैं, उन्हें बहुत अलग तरह के लोग होना चाहिए। परन्तु यह हमेशा होता है हर धर्म में, कि वे बिना सोचे समझे विपरीत दिशा में चले जाते हैं, पूर्णतया विपरीत।  ईसा मसीह के जीवन का सार, निर्लिप्तता और बलिदान था। एक व्यक्ति जो निर्लिप्त है, उसके लिए बलिदान जैसा कुछ नहीं होता है। वह अपने जीवन को केवल एक नाटक के रूप में देखता है।  ऐसा महान व्यक्तित्व इस पृथ्वी पर आया और इस तथाकथित ‘ईसाई’ धर्म का निर्माण किया, जिसने युद्ध किए और सभी प्रकार की पाखंडी चीज़ें; और अब लोग इसके बारे में जान रहे हैं।  वह सत्य के लिए खड़े हुए थे और ईसाई नहीं जानते क्या सत्य है। सत्य यह है कि आप आत्मा हैं और, आपको आत्मा बनना है। वे ही हैं जिन्होंने बात की, दूसरे जन्म की, आत्मसाक्षात्कार की। लेकिन वे भूल गए हैं उन्होंने क्या कहा था, उन्हें क्या प्राप्त करना है। यह इतनी अजीब बात है कि ये सभी महान लोग इस पृथ्वी पर आए और एक उचित धर्म Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2000: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का शुभ दिवस है जो मनाया जाता है। कारण ईसामसीह का जन्म कहते हैं को जानो’। यह कहते हुए भी लोगों ने इस कि आज हुआ था। ईसामसीह के बारे में चीज़ का महत्व नहीं समझा और धर्म फैलाना लोग बहुत कम जानते हैं क्योंकि वो छोटी शुरू कर दिया। अपने को जाने बगैर ही उम्र में बाहर चले गए थे और उसके धर्म फैल नहीं सकता, धीरे-धीरे वो बाद वापिस आकर के उन्होंने जो महान अधर्म हो जाता है और यही बात ईसाई कार्य किए वो सिर्फ तैंतीस (33) वर्ष के उम्र धर्म की हो गई | जैसे कि ईसामसीह एक तक ही थे। उसके बाद उनके जो शिष्य विवाहोत्सव में गए थे, शादी में गए थे और थे, बारह उन्होंने धर्म का प्रचार किया लेकिन वहाँ पानी में हाथ डाल के उन्होंने उसकी जैसे आप लोगों को भी समस्याएं आती हैं शराब बना दी ऐसा लिखा हुआ है हिब्रु में उसी प्रकार उनको भी अनेक समस्याएं कहा जाता है जिसमें कि यह बात लिखी आईं। पर इन बारह आदमियों ने बहुत गई है शुरूआत में, कि वो पानी जो था कार्य किया और शुरूआत के जो लोग उसका परिवर्तन जो हुआ सो जैसे कि इनको मानते थे उनको (Gnostics) कहते थे। ग्नोस्टिक माने और अंगूर के रस को भी उसमें वाईन “जिन्होंने जाना है। ‘जन्म’ से आता है ग्नः, (wine) नहीं कहते। इसी बात को लेकर ग्नः Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja. Ganapatipule (Maharashtra, India), 24 December 1998. First, I’ll speak in English and then in Hindi. Today, long time back, Christ was born. You all know the story of His birth, and of all the sufferings He had to go through. He’s the One who has given us the model of Sahaja Yoga. For He didn’t live for Himself, in no way, but He lived for others, working out the Agnya Chakra. You may be Divine, you may be very powerful, but this world is so cruel that they don’t understand spirituality, they don’t understand the spiritual greatness. Not only that, but they are many factors which attack spirituality, they have always done it. Every saint has suffered a lot, but I think Christ has suffered the most. As you know, He was endowed with all the powers of Shri Ganesh, as He is the reincarnation of Shri Ganesha. The first of them was His innocence: He was the eternal child, we should say that He could not understand the cruelty and the hypocrisy of this stupid world. Still if you can understand, what can you do about it? But with great courage, He took birth in a country where people had no idea of spirituality. I read a book about Him, saying that He came to Kashmir, where He met one of My forefathers Shalivana. It’s very interesting, because it is all in Sanskrit, and the writer perhaps did not know Sanskrit, so he has given everything in Sanskrit language, which is Read More …

Christmas Puja, You have to be loving, affectionate, kind and disciplined Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 1997: Ganapatipule Place: Type Puja Hindi & English आज हम लोग यहाँ ईसा मसीह का जन्म दिन मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। ईसा मसीह की जिन्दगी बहुत छोटी थी और अधिक काल उन्होंने हिन्दुस्तान में ही बिताया, काश्मीर में। सिर्फ आखिरी तीन साल के लिए वापिस गए और लोगों ने उन्हें क्रॉस पर टॉँग दिया। ये सब कुछ विधि का लिखा हुआ था। आज्ञा चक्र को खोलने के लिए उनको ये बलिदान देना पड़ा और इस तरह से उन्होंने आज्ञा चक्र की व्यवस्था करी। आज्ञा चक्र बहुत संकीर्ण है, छोटा सा, और आसानी से खुलने वाला नहीं है। क्योंकि मनुष्य में जो स्वतंत्रता आ गई उससे वो अहंकारी बन गया। इस अहंकार ने उसका आज्ञा चक्र बंद कर दिया और उस बंद आज्ञा चक्र से निकालने के लिए अहंकार निकालना ज़रूरी है। और अहंकार निकालने के लिए आपको अपने मन पे ही काबू लेना पड़ता है। लेकिन आप मन से अहंकार नहीं निकाल सकते। जैसे ही आप मन से अहंकार निकालने का प्रयत्न करेंगे, वैसे ही मन बढ़ता जाएगा और अहंकार बढ़ता जाएगा। “अहं करोति सः अहंकार:”।  हम करेंगे, इसका मतलब कि अगर हम अपने अहंकार को कम करने की कोशिश करे, तो अहंकार बढ़ेगा क्योंकि हम अहंकार से ही वो ही कोशिश कर रहे हैं। जो लोग ये सोचते हैं कि हम अपने अहंकार को दबा लेंगे, खाना कम खाएंगे, दुनिया भर के उपद्रव।  एक पैर पे खड़े हैं, तो कोई सिर के बल खड़ा है!  हर तरह के प्रयोग लोग करते Read More …

Christmas Puja: The Mother’s Culture Ganapatipule (भारत)

आज, हम उत्सव मना रहे हैं ईसा मसीह के जन्म का। ईसा मसीह का जन्म बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि उनका जन्म इस तरह से हुआ था कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी ऐसे पैदा नहीं होगा, एक अस्तबल में! और उन्हें उस बिस्तर में लिटा दिया गया जो सूखी घास से बना थाl  वह इस धरती पर आए लोगों को दिखाने के लिए कि, जो व्यक्ति अवतरण है, या जो एक उच्च विकसित आत्मा है, उसे शरीर के आराम की चिंता नहीं है। उनका संदेश इतना महान और इतना गहरा था, परन्तु उनके शिष्य थे जो तैयार नहीं थे उस युद्ध के लिए जो उन्हें लड़ना था। यही चीज़ कभी-कभी सहजयोग के साथ भी घटित होती है। उनके केवल 12 शिष्य थे, हमारे पास भी 12 प्रकार के सहजयोगी हैं, और वह सब, हालांकि प्रयास करते हैं स्वयं को ईसा मसीह के प्रति समर्पित करने का, जाल में फंस जाते हैं, उनमें से कुछ, सांसारिक आकांक्षाओं के या अपनी स्वयं की लालसाओं के।  उनका प्रेम और क्षमा का संदेश आज भी वैसा ही है। सभी के द्वारा प्रचारित किया गया, सभी संतों, सभी अवतरणों, सभी पैगम्बरों द्वाराl उन सभी ने प्रेम और क्षमा के बारे में बात की है। यदि इसे चुनौती दी गई या लोगों को लगा कि यह काम नहीं करेगा, तो उनसे कहा गया, वे विश्वास करें उनकी कही बातों पर। परन्तु वे साधारण लोग थे, उन दिनों में, इसलिए उन्होंने उनकी बात मानी। उनमें से कुछ निश्चित रूप से बहुत अच्छे थे, उनमें से कुछ आधे Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 1992. I must have said lots of things about Christ before, and how Jesus Christ is related to Shri Radhaji, that he is the incarnation of Shri Ganesha who was the son of the Adi Shakti to begin with but then he was given to Shri Radhaji and Shri Radha created as Mahalaxmi, as Mother Mary this great incarnation of Christ. Now for the western mind it is impossible to understand how there can be a immaculate conception because they have no sense at all, no sensitivity at all to spiritual life. We Indians can understand it, is very easy for Indians to understand because we had Shri Ganesha created that way. We just believe it we don’t doubt these things. Whatever is said about God is not to be doubted with this limited brain, that’s not done in India. But in the west, from the very birth of Christ they have had arguments, arguments, arguments, arguments with this limited brain they had, and the whole religion in the name of Christ is just a perversion, such a horrible things have been said that it’s unbelievable. His purity, his holiness, his auspiciousness is never understood in the west I think. Those who follow Christianity, how can they be so debased in their moral character. they’re all right for their political, their economical you can say, their legal side but their moral sense is absolutely missing. Is very surprising, those who are the followers of Read More …

Shri Ganesha and Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 24th December 1991 : Ganapatipule Place : Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahiri] आज का याग अति विशेष है। इस विशेष दिन को अंगार की चतुर्थी अथवा कृष्णपक्ष की चतुर्थी कहते हैं। प्रत्येक चतुर्थों को, जो कि महीने के चौथे दिन पडती है, को श्री गणेश का जन्मदिन मनाया जाता है। मंगलवार के दिन आयो इस चतुर्थी का विशेष महत्व हाता है। आज यही दिन है। हम सब मंगलवार, अंगार की चतुर्थी के दिन गणपति पुल में आये हैं। आज के दिन श्री गणेश की पूजा के लिए हजारा लोग यहाँ आते हैं। कि क्या करें। नम्रता तथा विवेक श्री गणेश जी को विशेषताएं हैं। ये दोनों गुण ग्णेश तत्व की देन हैं । सुन्दर चाल से चलने वाली स्त्री को भी गज गामिनी कहते हैं। हाथी केवल घास खाते हैं फिर भी अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, वड़े-बड़े वजन ढाते हैं फिर भी बड़े शान्त स्वभाव के होते हैं। किसी भी चीज के लिए वे जल्दी नहीं करते। उनकी स्मरणशक्ति भी बहुत तीव्र होती है। जब भी आप की बायों और दुर्बल हा जाती है तो आपकी स्मरण शक्ति धुंध्रला जाती है। ऐसा इसलिए हाता है क्योंकि आपके अन्दर गणेश तत्व कम हो गया है। जब आप बहुत अधिक दायों ओर को झुक जाती है तो बायीं ओर का गणेश तत्व कम हो जाता है। अति कर्मी लोगों की स्मरण शक्ति भी वृद्धावस्था में समाप्त हो जाती है। सहजयोगियों को समझना चाहिए कि जा भी कुछ घटित हाता है, उसे Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja 25th December 1990 Date : Ganapatipule Place Type Puja आपमें से लोग मेरी बात इंग्लिश में नहीं समझ पाये होंगे। ईसामसीह का आज जन्म दिन है और मैं कुछ समझा रही थी कि ईसामसीह कितने महान हैं। हम लोग गणेश जी की प्रार्थना और स्तुति करते हैं क्योंकि हमें ऐसा करने को बताया गया है। पर यह है क्या? गणेशजी क्या चीज़ हैं? हम कहते हैं कि वो ओंकार हैं, ओंकार क्या है? सारे संसार का कार्य इस ओंकार की शक्ति से होता है। इसे हम लोग चैतन्य कहते हैं, जिसे ब्रह्म चैतन्य कहते हैं। ब्रह्म चैतन्य का साकार स्वरूप ही ओंकार है और उसका मूर्त-स्वरूप है या विग्रह श्री गणेश हैं। इसका जो अवतरण ईसामसीह हैं। इस चीज़ को समझ लें तो जब हम गणेश की स्तुति करते हैं तो बस पागल जैसे गाना शुरू कर देते हैं। एक-एक शब्द में हम क्या कह रहे हैं? उनकी शक्तियों का वर्णन हम कर रहे हैं। पर क्यों? ऐसा करने की क्या जरूरत है? इसलिए कि वो शक्तियाँ हमारे आ जायें और हम भी शक्तिशाली हो जायें । इसलिए हम गणेश जी की स्तुति करते हैं। ‘पवित्रता’ उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। जो चीज़ पवित्र होती है वो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं। उसको कोई छू नहीं सकता। जैसे साबुन से जो मर्जी धोइए वो गन्दा नहीं हो सकता। एक बार साबुन भी गन्दा हो सकता पर यह ओंकार अति पवित्र और अनन्त का कार्य करने वाली शक्ति है। इस शक्ति की उपासना करते हुए हमें याद रखना है Read More …

Christmas Eve Talk: Purity and Holiness and Evening Program Ganapatipule (भारत)

[English to Hindi translation] शुचिता और पवित्रता गणपतिपुले (भारत), 24 दिसंबर 1988। आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। परमात्मा आप को आशिर्वादित करे। [तालियां] ईसा मसीह का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है, और यह अच्छा है कि हम यहां गणपतिपुले में उनके जन्म का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि सहज योग में आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने महसूस किया है कि ईसा मसीह के सिद्धांत श्री गणेश थे। तो यह क्रिसमस मनाने के लिए सही जगह है और ईसा मसीह का जन्म  – आज बिल्कुल मेल खाता है और मुझे बहुत खुशी है कि आपने उसके लिए गणपतिपुले को चुना है। अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गणेश का सिद्धांत आज्ञा चक्र पर ईसा मसीह का सिद्धांत बन गया। और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे भीतर है जिसने हमें, हमारे व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया है, कि हम अपना पुनरुत्थान कर सकें जैसे कि मसीह ने खुद को पुनर्जीवित किया; इसलिए उनके जीवन का संदेश पुनरुत्थान है। तो अपने जन्म से उन्होंने अपना पुनरुत्थान करवाया, उसी तरह जब आप अपना पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं तो आप फिर से जन्म लेते हैं, या आप सहजयोगी बन जाते हैं। यह उसी सिद्धांत पर काम करता है। लेकिन उन्हें शारीरिक रूप से सारी तपस्या से गुजरना पड़ा, जैसा कि हम कहते हैं कि वह हमारे लिए, हमारे पापों के लिए मरे; लेकिन अब जैसा कि उन्होंने हमारे लिए किया है, आज्ञा चक्र पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है, Read More …

Christmas Puja: Reach Completion of Your Realization पुणे (भारत)

क्रिसमस पूजा  पुणे 25 दिसम्बर 87 आज मैंने अंग्रेजी में बात की। क्योंकि यह उनका विषय है। लेकिन हम भी ईसा-मसीह के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, और जो हम जानते हैं वह इतना कम है, कि हम उससे जो अनुमान लगाते हैं वह गलत है जैसा कि ये ईसाई देखते हैं। कहा जा रहा है कि किसी भी जाति में ऐसे बुद्धिमान व्यक्ति नहीं मिलते। तो यह हिंदू धर्म या ईसाई धर्म क्यों है? किसी भी धर्म में केवल मूढ़ लोगों कि अधिक पोषित किया जाता है। इसलिए हम इन मूढों से कुछ भी सीखना नहीं चाहते हैं, लेकिन इस दुनिया में जितने भी अवतरण आये है, उसमे उनकी बहुत विशेषता है। इनमें ईसा मसीह की विशेषता यह है कि उनका जीवन सोने के समान है। कोई भी उनके जीवन के बारे में एक अक्षर भी नहीं कह सकता कि ईसा-मसीह ने यह छोटा सा काम गलत किया, या उसने यह कैसे किया? कोई सवाल टिक नहीं पाते। इतने छोटे जीवनकाल में भी उन्होंने जो उंचाई हासिल की है, और उनके सभी कार्यों का योग, व्यवस्थित रूप से, एक के बाद एक, वास्तव में असाधारण है, और यही मैं आज आपको बताना चाहती हूं। जैसे ईसा-मसीह बिना पिता के केवल पवित्र आत्मा के द्वारा उत्पन्न हुए, वैसे ही तुम भी उत्पन्न हुए हो। तब आपको वैसी ही पवित्रता में आना चाहिए और उसी पवित्रता में रहकर संसार को एक ईसा-मसीह जैसा जीवन प्रदर्शित करना चाहिए। तब लोग कहेंगे कि यह तुम्हारे सामने ईसा-मसीह के उदाहरण का फल है। Read More …

Christmas Eve Talk: Christianity पुणे (भारत)

क्रिसमस की पूर्व संध्या पर भाषण, पुणे (भारत), 24 दिसंबर 1982 इससे पहले कि हम यीशु मसीह के जन्म का उत्सव प्रारम्भ करें, हमें इसकी थोड़ी समीक्षा करनी होगी कि हमने उनके जन्म के उपरांत क्या किया, ताकि हम समझ सकें कि उनके साथ हम कहां खड़े हैं ।  वे एक कुंवारी कन्या के पुत्र थे। इसलिए उनके नाम पर लेशमात्र भी कलंक नहीं आना चाहिए। क्योंकि उन्हें हमारी आज्ञा में चेतना लाने का महानतम् कार्य करना था ,जो हमारे समस्त पापों, हमारी समस्त धारणाओं और हमारे समस्त अहंकार को नष्ट करने में हमारी मदद करेगा।  और हमारे भीतर ऐसे महान कार्य के लिए ही इस महान व्यक्तित्व की निर्मिति हुई । परन्तु, दुर्भाग्यवश, हमने अपने भीतर की इन दोनों संस्थाओ को इस सीमा तक बिगाड़ दिया है कि ईसाइयों को आत्मसाक्षात्कार देना सबसे कठिन कार्य है। एक ओर हमारे भीतर बहुत अधिक धारणाएं हैं, जैसा कि आप जानते हैं, कैथोलिक धर्म और ईसाइयत के विषय में अन्य विचारों के द्वारा , हमारे प्रतिअहंकार में एक भयानक धारणा निर्मित हो गई  है, जो कि, कभी-कभी मुझे लगता है , एक ठोस चट्टान की तरह है। और जो लोग कैथोलिक चर्च में गए हैं वे अभी तक इससे चिपके  हुए हैं। मेरा मतलब है कि अगर वे मेरे सामने हों, तो मुझे ऐसा लगता है कि उनकी आँखें झपक रही हैं और उनकी आज्ञा ठीक नहीं हैं। यदि आप सचमुच में सहजयोग की गहराई प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको कंडीशनिंग पूरी तरह से छोड़नी पड़ेगी ।  हम इस मामले में इस Read More …