Adi Shakti Puja, The Shakti of Satya Yuga (Hindi with English live translation) New Delhi (भारत)

Shakti Puja 5th December 1995 Date : Place Delhi Type Puja  आज हम सत्य युग में शक्ति की पूजा करेंगे  क्योंकि सत्य युग की शुरुवात हो गई है।  और इसी वातावरण के कारण शक्ति का रूप भी प्रखर हो गया है। शक्ति का  पहला स्वरुप है कि वो प्रकाशमान है, तेजस्वी है, तेजपुंज है  ये शक्ति जब प्रकट होगी,  पूर्णतया इस सत्य युग में,  वो हर  एक गलत किसम के लोग सामने उपस्थित हो जायेंगे।  उनकी सारी कारवाहियां सामने आ जाएँगी।   उनकी जो कार्यप्रणाली आज तक चोरी छुपे चल रही थी और उसमे वो मगन थे,  वो सब खुल जायेगा। हर तरह की बुराइयां, वो चाहे नैतिक हो चाहे मानसिक हों, आतंकवादी हो या किसी तरह की भी, सत्य को पसंद न हों।  ऐसी कोई सी भी संस्था, ऐसी कोई सी भी व्यवस्था बच नहीं सकेगी क्योंकि उस पर सत्य का प्रकाश पड़ेगा।  इस सत्य के प्रकाश में शक्ति की विशेष प्रकृति देखियेगा, उसकी एक विशेष आकृति देखियेगा।  कारण, मैने आपसे पहले बताया था कि अब कृत-युग शुरू हो गया और इसके बाद सत्य-युग आयेगा और यह भी बता दिया था कि अब सत्ययुग का सूर्य क्षितिज पर आ गया है। इसकी प्रचीति आपको मिलेगी,  इसका प्रूफ (Proof) आपको मिलेगा कि सत्य के मार्ग में जो भी असत्य लायेगा वो पकड़ा जायेगा, फिर वो सहजयोगी ही क्यों न हो। वो अपने को सहजयोगी कहलाता है और गलत काम अगर करता है, तो वो बच नहीं सकेगा। उसको आज तक सत्य ने बचाया, सम्भाला, उसकी रक्षा करी। लेकिन अब इसके Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 31st December 1993 : Place Kalwe Type Puja Speech Language Hindi आज फिर दुनिया में आये हर एक प्रकार के संघर्ष हम लोगों के सामने हैं। और उन संघर्षों को देखते हुये हम लोग ये सोचने लग जाते हैं, कि क्या ये सृष्टि और ये मानव जाति का पूर्णतया सर्वनाश हो जायेगा ? ऐसा विचार | करते हैं। और ये विचार आना बिल्कुल ही सहज है। क्योंकि हम चारों तरफ देख रहे हैं कि हर तरह की आपत्तियाँ आ रही है। आपके महाराष्ट्र में ही इतना बड़ा भूकम्प हो गया। लोग उस भूकम्प से भी काफ़ी घबरा गये। पर तीन साल लगातार मैं पुणे में पब्लिक मिटिंग में कहती रही, कि गणेश जी के सामने जा के शराब पीते हैं और ये गंदे डान्स करते हैं और बहुत बेहुदे तरीके से उनके सामने पेश आते हैं। पर गणपति ये बहत जाज्वल्य देवता है, बहुत जाज्वल्यवान। और उनको ऐसी गलत चीजें चलती नहीं । पता नहीं इतने साल उन्होंने कैसे टॉलरेट किया? और मैंने साफ़ कहा था, कि ऐसा करोगे तो महाराष्ट्र में भूकम्प आयेगा। भूकम्प शब्द मैंने कहा था। लेकिन कोई सुनता थोड़ी ही है। वो डिस्को वगैरा क्या गंदी चीजें हैं, वो ले कर के वहाँ डान्स करते हैं। शराब तो इतनी महाराष्ट्र में आ गयी कि इसकी कोई हद नहीं। अब दो तरह की जनता अब मैं देख रही हूँ, एक शराबी, बिल्कुल म्लेंछ और दुसरी शुद्ध, पवित्र ऐसी सहज कम्युनिटी। अगर आपको बच्चों को बचाना है और उनको एक शुद्ध वातावरण देना है, Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991) मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात्  पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें  यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त  किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja [Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari] महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, हम पात हैं कि हमारो सारी समस्याएं मानव की ही देन है। जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बाह्य जगत में जा भी प्रवृत्तियां या फैशन आयें आप उनसे प्रभावित नहीं हाते। आप अन्दर से परिवर्तित होते हैं। तब आप पूर्णतया जान जाते हैं कि दूसरे लोगों से क्या आशा की जाती उनसे किस प्रकार व्यवहार किया जाए, किस प्रकार बातचीत की जाए और उनके साथ किस सीमा तक चला जाए। यह सव विवेक से प्राप्त होता है। सहजयाग में आप सब अतियोग्य लाग विवेक को डतनी ही सुन्दर चित्त प्रदान करता है। श्री गणेश के चैतन्य प्रवाह के कारण चित्त एकाग्रित हो जाता है। पवित्रता तथा मंगल प्रदान करने के लिए श्री गणेश की सृष्टि हुईं। गणेश ही सभी का Read More …

New Year Puja: Mother depends on us Sangli (भारत)

नव वर्ष पूजा  सांगली (भारत), 1 जनवरी, 1990 कल का अनुभव यह रहा कि पूरा दिन पुलिस वालों को समझाने में बीत गया। और अब मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में माफिया का राज है। और ऐसा कि, हमें इसका सामना करना है और हमें इसे साबित करना है। मुझे खेद है कि कुछ लोगों को इतनी बुरी तरह चोट लगी है और मुझे लगता है कि पूजा के बाद वे आपको अस्पताल ले जाएंगे। यहाँ एक बहुत अच्छा अस्पताल है जहाँ हमारे पास बहुत अच्छे डॉक्टर हैं। और फिर मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप यह जान लें कि अच्छे और बुरे को हमेशा संघर्ष और लड़ाई करना पड़ती है। पहले इस महान देश महाराष्ट्र में सभी संतों को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि आश्चर्य होता है कि इतना सब होते हुए भी उन्होंने अध्यात्म का परचम कैसे ऊंचा रखा। वे अभी भी मौजूद हैं, वही लोग, जिन्होंने संतों को प्रताड़ित किया है और मुझे लगता है कि वे वही लोग हैं जिन्होंने आप सभी के प्रति इतना बुरा व्यवहार किया है। इस प्रकार की अहं-यात्रा सभी में निर्मित होती है – यहाँ तक कि सहजयोगियों में भी, यह निर्मित होती है। और वे (दुष्ट) हर समय एक अलग दृश्य पर होते हैं। यह हिटलर के व्यवहार की शैली जैसा है कि आप किसी तरह का मुद्दा उठा लेते हैं। मुद्दा कुछ भी हो सकता है, जैसे वे कह रहे हैं कि “हम सभी अंधविश्वासों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं”। मेरा मतलब है, मैंने इसे Read More …

How We Should Behave (two talks) पुणे (भारत)

1989-12-27 India Tour – How We Should Behave FIRST SPEECH It was very interesting I was thinking about you all and about the people who have done so much for Sahaja Yoga. It is impossible really to say how many have worked for Sahaja Yoga with such interest and dedication. And this dedication is directed by divine force that’s why I think you people are not even aware how much you have worked so hard without getting any material gain out of it. And the joy has no value. We cannot evaluate in any human terminology nor can we describe it as to how we feel the joy of oneness together. This togetherness is very much felt in Ganapatipule. I see the leaders from all over the world have become great friends – there’s no jealousy, there’s no quarrelling, there’s no fighting, there’s no domination, there’s no shouting, nothing. Such beautiful brothers and sisters such a beautiful family we have created out of this beautiful universe. Now we have to maintain the beauty individually and collectively. Some people think that individually if you do something that is alright, but if it is not related to the collective it cannot be sahaj. Anything that you do has to be related to the collective. Now to be individualistic is a trend in the modern times and in that how far we have gone into nonsense that we know very well. Individuality is a personality within yourself which has to be of different Read More …

Nothing to discuss in Sahaja Yoga Alibag (भारत)

                                      भारत दौरे की पहली पूजा  अलीबाग (भारत), 17 दिसंबर 1989। आप सभी का स्वागत है। थोड़ी देर हो गई है लेकिन अभी-अभी उन्होंने मुझे सूचित किया है कि विमान और भी देरी से चल रहा है, इसलिए मैंने सोचा कि अब पूजा करना बेहतर है, हालाँकि अंग्रेजों ने हमें शुरू से ही बताया था कि वे इसमें शुरुआत से ही शामिल होना चाहेंगे। उन्हें हमेशा बहुत अधिक पूजाएँ मिलती हैं, यही कारण हो सकता है। [श्री माताजी हंसती हैं, हंसी] तो अब हम सब यहां आ गए हैं और हम एक साथ तीर्थयात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह यात्रा बहुत ही सूक्ष्म प्रकृति की है और अगर हम यह महसूस करें हम यहां क्यों हैं, तो हम समझेंगे कि यह सारी सृष्टि आप सभी पर नज़र रखे हुए है और यह आपकी मदद करने की कोशिश कर रही है कि आपका उत्थान होना चाहिए और आप अपनी गहनता को महसूस करें और इस तरह अपने स्व का आनंद लें। खुद। यात्रा संभवतः बहुत आरामदायक नहीं रहे। सड़कें स्पीड-ब्रेकर्स तथा हर तरह के अवरोध से बहुत भरी हुई हैं  [श्री माताजी हंसती हैं] । हमारे उत्थान की जैसी यात्रा है|  मुझे लगा, कि अपनी गति को नीचे लाना है। नि:संदेह पश्चिम में हम बहुत तेज गति वाले हो गए हैं और इस गति को कम करने के लिए हमें ध्यान की प्रक्रिया का उपयोग करना होगा जिससे हम अपने भीतर शांति का अनुभव कर सकें। साथ ही विचार हमारे दिमाग पर बमबारी कर रहे हैं और हम दूसरों पर Read More …

Christmas Eve Talk: Purity and Holiness and Evening Program Ganapatipule (भारत)

[English to Hindi translation] शुचिता और पवित्रता गणपतिपुले (भारत), 24 दिसंबर 1988। आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। परमात्मा आप को आशिर्वादित करे। [तालियां] ईसा मसीह का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है, और यह अच्छा है कि हम यहां गणपतिपुले में उनके जन्म का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि सहज योग में आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने महसूस किया है कि ईसा मसीह के सिद्धांत श्री गणेश थे। तो यह क्रिसमस मनाने के लिए सही जगह है और ईसा मसीह का जन्म  – आज बिल्कुल मेल खाता है और मुझे बहुत खुशी है कि आपने उसके लिए गणपतिपुले को चुना है। अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गणेश का सिद्धांत आज्ञा चक्र पर ईसा मसीह का सिद्धांत बन गया। और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे भीतर है जिसने हमें, हमारे व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया है, कि हम अपना पुनरुत्थान कर सकें जैसे कि मसीह ने खुद को पुनर्जीवित किया; इसलिए उनके जीवन का संदेश पुनरुत्थान है। तो अपने जन्म से उन्होंने अपना पुनरुत्थान करवाया, उसी तरह जब आप अपना पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं तो आप फिर से जन्म लेते हैं, या आप सहजयोगी बन जाते हैं। यह उसी सिद्धांत पर काम करता है। लेकिन उन्हें शारीरिक रूप से सारी तपस्या से गुजरना पड़ा, जैसा कि हम कहते हैं कि वह हमारे लिए, हमारे पापों के लिए मरे; लेकिन अब जैसा कि उन्होंने हमारे लिए किया है, आज्ञा चक्र पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है, Read More …

Health Advice to Western Yogis Sangli (भारत)

पश्चिमी योगियों को स्वास्थ्य सलाह और ऑस्ट्रेलिया के साथ समस्याएं सांगली (भारत), 21 दिसंबर 1988। मैंने सुना है कि आप सब बहुत बीमार हो गए हो। मुझे लगता है कि उसकी वजह से मैं खुद बीमार हो गयी। अब मुझे आशा है कि आप सब बेहतर होंगे। अभी भी बीमार लोग हैं? कितने? गुइडो लैंज़ा: लगभग सत्तर। श्री माताजी: सत्तर बिस्तर में बीमार हैं? वे कहां हैं? अब एक बात है जो मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए कि उस दिन ये लड़कियां मुझे गहने पहना रही थीं और मुझे उनमें से बहुत अजीब गंध आ रही थी। तो मुझे लगता है कि आप लोग ठीक से हाथ नहीं धोते।  मैंने तुमसे कहा था कि शौचालय जाने के बाद हर समय पानी का उपयोग करो- यह बहुत जरूरी है। लेकिन आप लोग अभी भी पाश्चात्य शैली से चिपके रहते हैं। यह बहुत गंदा है, मैं आपको बताती हूँ। यह जीने का एक बहुत ही गंदा तरीका है – पानी का उपयोग नहीं करना। यह बहुत अस्वास्थ्यकर भी होता है। इसलिए आप पश्चिम में पाते हैं कि ज्यादातर लोग बीमार हैं। यहाँ नहीं। आपने कल देखा कि लड़के कैसे नाच रहे थे-इतना गति से और तेज़। इसलिए एक बात याद रखनी है कि शौचालय से बाहर आने के बाद, खाने से पहले हाथ धोना है। कल मैंने उनके हाथ सूँघे और मैं दंग रह गयी। बहुत बुरी महक! तो यह भारतीय रिवाज या कुछ भी नहीं है, लेकिन यह एक स्वच्छ प्रणाली है। तो मुझे आशा है कि आपको लोटे (जग) मिल Read More …

Adi Shakti Puja: Detachment Residence of Madhukar Dhumal, Rahuri (भारत)

आदि शक्ति पूजा, वैराग्य, राहुरी (भारत),11 दिसंबर 1988 पूजा उस समय आरंभ होती है, जब इसे आरंभ होना होता है और मैं प्रतीक्षा और प्रतीक्षा और प्रतीक्षा कर रही हूँ।फिर मुझे एहसास हुआ कि आज बहुत अच्छा समय है, पंचांग के अनुसार, परंतु यह प्रातः का नहीं है,तो इसे चंद्रमा का तीसरा दिन होना थाऔर जैसा कि चंद्रमा दिन के समय में अपनी कलाएँ बदल रहा है, हमें प्रतीक्षा करनी पड़ी जब तक यह आरंभ नहीं हुआ। मुझे लगता है, ये सब चीज़ें हुईं; चोरी की और सब कुछ हुआ, संभवतः पूजा को उस समय तक टालने के लिए जब इसे आरंभ होना चाहिए।तो सहज योग में हम सभी समय से परे चले जाते हैंऔर हमें समय के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती। मात्र जब तक यह एक औपचारिक कार्यक्रम या ऐसा कुछ हो, क्योंकि लोग औपचारिक हैं और वे हमारी शैलियों को नहीं समझते हैं।इसलिए हमें वहाँ सही समय पर उपस्थित होना होता है,अन्यथा हमें समय को स्वमार्ग लेनेदेना चाहिए और इसे हमें अपनी तरह से जानना चाहिए।अब हमारी यात्रा और इस दौरे के बारे में हमें यह जानना होगा कि हम यहाँ पाने के लिए आए हैं एक निश्चित ऊँचाई अपनी निर्लिप्तता में, हमें अपनी स्थिति के क्षेत्र में ऊपर उठना हैजबकि आसपास की परिस्थितियाँ,वे हमें घेरे हुए हैं और वे हमें दुखी नहीं कर सकतीया पक्षपाती, या हमें उन पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।इसके विपरीत हमें उनसे ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए। यदि कुछ विकृत घटित न हो तो आप परम की बढ़ती Read More …

Being Bandhamukta – A free personality and Evening Program Ganapatipule (भारत)

                गणपतिपुले संगोष्ठी, भारत यात्रा  गणपतिपुले (भारत), 5 जनवरी 1988। कल के कार्यक्रम से, और इन सभी दिनों में, आपने महसूस किया होगा कि अपनी कुंडलिनी को कार्यान्वित करने के लिए, उसकी आरोहण सहस्रार की ओर  लाने के लिए और अपनी सुषुम्ना नाडी को चौड़ा करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप तीन से पांच घंटे ध्यान के लिए बैठें। बेशक, आपको थोड़े समय के लिए ध्यान करना चाहिए क्योंकि केवल उस दौरान ही  है जहां आप अकेले हैं, अपने ईश्वर के साथ एकाकार हैं। लेकिन अन्यथा सामूहिक में, जब आप इसमें विलीन हो जाते हैं, तो कुंडलिनी समान रूप से उठती है। जो होता है उसे समझने का यह एक बहुत ही विवेकपूर्ण तरीका है। सामूहिकता में जब आप होते हैं, तो आप एक-दूसरे की भरपाई करते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और ब्रह्मांड का एक सूक्ष्म पक्ष आप में प्रकट होने लगता है। फिर यदि आप वास्तव में घुल सकते हैं तो संस्कृत भाषा में ‘विलय’ शब्द है या मराठी भाषा में ‘रमना’ बहुत अच्छा है। मुझे नहीं लगता कि “आनंद के साथ विलय” लेकिन देखिये, कोई ‘साथ’ नहीं है, आनंद में विलीन हो जाते हैं। तो अगर आप किसी चीज के आनंद में विलीन हो सकते हैं जो कि सहज है तो आप एक ध्यानमय व्यक्तित्व बन सकते हैं, आप अपने भीतर उस ध्यानमय रवैये को प्राप्त कर सकते हैं। उस रवैये के साथ, उस बल के साथ, आपके भीतर नए सूक्ष्म आयाम प्रस्फुटित होने लगते हैं। आपकी अलग-अलग तरह की संस्कारबद्धता जो बेड़ियों की Read More …

Devi Puja: Commitment and Dedication Paithan (भारत)

“प्रतिबद्धता और समर्पण”।पैठण, महाराष्ट्र, (भारत), 11 जनवरी 1987। आपने इस जगह के चैतन्य को महसूस किया होगा: वे जबरदस्त हैं। और इतने वर्षों के बाद हमारा यहां आना हुआ, यह वास्तव में बहुत आश्चर्य की बात है। इस स्थान का मेरे साथ बहुत गहरा संबंध है, क्योंकि मेरे पूर्वजों ने इस स्थान पर शासन किया था। और यह शालिवाहनों की राजधानी थी। इसे ‘प्रतिष्ठान’ कहा जाता है, लेकिन फिर उन्होंने आसान भाषा मे “पैठन” बना दिया। यहां हजारों वर्षों से शासक थे और उन्होंने ही इस शालिवाहन वंश की शुरुआत की थी। असल में उन्होंने खुद को ‘सातवाहन’ [जिसका अर्थ है ‘सात वाहन’ कहा। वे सात चक्रों के सात वाहनों का प्रतिनिधित्व करते थे। यह आश्चर्यजनक है कि कैसे सहज। उसके बाद एक महान कवि हुए, जैसा कि आप उनके बारे में जानते हैं – ज्ञानेश्वर। वे यहां आए थे और उनका जन्म इस जगह के बहुत करीब हुआ था। वह यहां काफी समय से थे। और एक व्यक्ति था, जो एक अति-चेतन व्यक्ति था, जिसने उन्हे चुनौती दी थी। उसका नाम चांगदेव था। तो उसने कहा कि, “तुम्हारे पास तुम्हारे पास क्या है जो यह प्रदर्शित करे कि तुम्हारे साथ ईश्वर है?” और उसके साथ एक नर भैंसा था जो बस सड़क पर चल रहा था और ज्ञानेश्वर ने उस भैंस के द्वारा वेद मंत्र पाठ करवाया। और इस चांगदेव ने कुछ चालबाज़ी दिखाने की कोशिश की। और ज्ञानेश्वर अपने भाइयों और बहनों के साथ एक टूटी हुई दीवार पर बैठे थे और उन सभी के साथ दीवार को Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: A temperament of a peaceful personality Sangli (भारत)

श्री महालक्ष्मी पूजादिनांक 31 दिसंबर 1986: स्थान सांगली [मराठी से हिंदीअनुवाद]सहज योग सांगली जिले में धीरे-धीरे फैल रहा है। लेकिन जो चीज धीरे-धीरे फैलती है वह मजबूती से स्थापित हो जाती है। और कोई भी सजीव प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। इसलिए हमें ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि यह अचानक बड़े पैमाने पर बढ़ेगी। अगर हमें प्लास्टिक के फूल बनाने हैं तो उसके लिए एक मशीन काफी है। लेकिन सजीव फूल बनाने में समय लगता है। इसे उगाने की जरूरत है, प्रयास करने की जरूरत है। बहुत से लोगों को अभी भी सहज योग के बारे में कोई जानकारी नहीं है। और जो जानते हैं उन्हें केवल भ्रांतियां होती हैं। हमारे यहां कई पंथ, संप्रदाय हैं जो लंबे समय से सक्रिय हैं। लेकिन हमें इन पंथों और संप्रदायों से कोई लाभ नहीं हुआ है। “हम इतने दिनों से पंढरी (पंढरपुर) जा रहे हैं, इतने दिनों से तुलजापुर की भवानी की पूजा कर रहे हैं, कोल्हापुर में महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन कर रहे हैं। हमने वह सब कुछ किया जो संभव है। उपवास और धार्मिक अनुष्ठान किए। इतना सब करने के बाद भी माताजी हमें कुछ नहीं मिला। इसके भी ऊपर, आपके बच्चे बड़े होकर आपसे पूछेंगे – आपने इतना समय बिताया, पैसा खर्च किया, प्रयास किया और अंत में आपको कुछ भी हासिल नहीं हुआ। यानी कोई भगवान है ही नहीं। अगर आप सांगली जाना चाहते हैं तो सांगली की ओर जाने वाला रास्ता लें। यदि आप उल्टा रास्ता अपनाते हैं तो आप सांगली नहीं पहुंचेंगे। तो इतने सालों के Read More …

Shri Mahadevi Puja: Steady yourself with meditation Chalmala, Alibag (भारत)

मैं सभी सहजयोगियों को नमन करती हूं।इन खूबसूरत परिवेश में, आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि परमात्मा ने इन खूबसूरत चीजों को क्यों बनाया है। क्योंकि आप लोगों को इस धरती पर आना था और उस सुंदरता का आनंद लेना था, जो कि इसका एक कारण है। और अब ईश्वर आनंद और संतुष्टि के साथ बहुत अधिक तृप्ति और एक प्र्कार से अपनी इच्छापुर्ति को महसूस करते हैं।“भगवान ने यह सुंदर ब्रह्मांड क्यों बनाया है?” हजारों वर्षों से ऐसा एक प्रश्न पूछा गया है। कारण समझने में बहुत सरल है: यह जो सौंदर्य बनाया गया है वह स्वयं को नहीं देख सकता है। उसी तरह, सुंदरता का स्रोत ईश्वर अपनी सुंदरता को नहीं देख सकता है। जैसे मोती अपनी सुंदरता को देखने के लिए अपने आप में प्रवेश नहीं कर सकता। जैसे आकाश अपनी सुंदरता को नहीं समझ सकता। सितारे अपनी सुंदरता नहीं देख सकते। सूर्य अपना तेज नहीं देख सकता। उसी तरह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने स्वयं के अस्तित्व को नहीं देख सकते हैं। उन्हे एक दर्पण की जरूरत है और इसी तरह उसने इस सुंदर ब्रह्मांड को अपने दर्पण के रूप में बनाया है। इस दर्पण में उसने सूर्य की तरह अब सुंदर चीजें बनाई हैं, फिर सूर्य को अपना प्रतिबिंब भी देखना होगा। तो, उसने इन खूबसूरत पेड़ों को यह देखने के लिए बनाया है कि जब वह चमकता है, तो वे इतनी अच्छी तरह से ऊपर आते हैं और इतने हरे दिखते हैं।फिर उन्होंने उन पक्षियों को बनाया है जो सुबह जल्दी उठकर सूर्य Read More …

Shri Mahaganesha Puja Ganapatipule (भारत)

                                            श्री महागणेश पूजा  गणपतिपुले (भारत), 1 जनवरी 1986। आज हम सब यहां श्री गणेश को प्रणाम करने के लिए एकत्रित हुए हैं। गणपतिपुले का एक विशेष महत्व है क्योंकि वे महागणेश हैं। मूलाधार में गणेश विराट यानी मस्तिष्क में महागणेश बन जाते हैं। यानी यह श्री गणेश का आसन है। अर्थात श्री गणेश उस आसन से निर्दोषता के सिद्धांत का संचालन करते हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, जैसा कि वे इसे कहते हैं, यह ऑप्टिक थैलेमस, ऑप्टिक लोब के क्षेत्र में, पीछे रखा जाता है; और वह आँखों को निर्दोषता के दाता है। जब उन्होंने क्राइस्ट के रूप में अवतार लिया – जो यहाँ, सामने, आज्ञा में है – उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि “तुम्हें आँखें भी व्यभिचारी नहीं होना चाहिए।” यह एक बहुत ही सूक्ष्म कहावत है, जिस में लोग ‘व्यभिचारी’ शब्द का अर्थ भी नहीं समझते हैं। ‘व्यभिचार’ का अर्थ सामान्य शब्द में अशुद्धता है। आँख में कोई भी अशुद्धता “तेरे पास नहीं होगी”। यह बहुत मुश्किल है। यह कहने के बजाय कि आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें और अपनी पिछले आज्ञा चक्र को साफ करें, उन्होंने इसे बहुत ही संक्षिप्त रूप में कहा है, “तुम्हें व्यभिचारी आँखे नहीं रखना चाहिए”। और लोगों ने सोचा “यह एक असंभव स्थिति है!” चूँकि उन्हें लंबे समय तक जीने नहीं दिया गया – वास्तव में उनका सार्वजनिक जीवन केवल साढ़े तीन साल तक सीमित है – इसलिए उन्होंने जो कुछ भी कहा है उसका बहुत बड़ा महत्व है, कि आपकी आंखें व्यभिचारी न हों। जब Read More …

Bordi Seminar Final Talk, Maya Is Important Bordi (भारत)

[English to Hindi translation] इस अवसर पर जब आप सभी मुझे छोड़ कर जा रहे हैं, इन्ह गुणों को सुनना कठिन है जो आपके सुंदर गीत में वर्णित है। मेरे शब्द एक घोर उदासी की भावना से इतने भरे हुए हैं, साथ ही नए कार्यों के विचारों का उत्साह, कुछ विचार कि मुझे और भी बहुत कुछ करना है आप जो भी वर्णन कर रहे हैं मुझे उसे स्थापित करने के लिए। कितने ही राक्षसों का वध होना है जैसा कि आप ने मेरा वर्णन किया है। सारी विषमताएं दूर करनी हैं इस दुनिया से। सारा अज्ञान, अंधकार, कल्पनाएँ जैसा आपने वर्णन किया है, उसे हटाना होगा मुझे। इस संसार को नष्ट करना बहुत आसान है और राक्षसों, शैतानों को नष्ट करना, आसान था पर आज समय इतना विकट है कि इन सभी ने प्रवेश कर लिया है दिमागों में, अनेक साधकों के सहस्रार। तो, यह एक बहुत ही नाजुक काम है उन भयानक प्रभावों को दूर करने के लिए साधकों को चंगुल से बचाने के लिए इन शैतानों के। आपने समझने की बहुत कृपा की है कि यह बहुत नाजुक चीज है और हम यह नहीं कर सकते कठोरता के साथ, कड़ाई के साथ, सीधे तरीके से हमें उन्हें घुमाना है क्योंकि वे कठोर चट्टानें हैं और उन्हें इसके माध्यम से समझाएं करुणा, प्रेम और पूरी चिंता। विवेक ही एकमात्र तरीका है जिससे हम संचालन कर सकते हैं और सभी प्रकार के विवेक के तरीकों का उपयोग करना पड़ता है इन लोगों को बचाने के लिए । अधिकतम संख्या Read More …

Makar Sankranti Puja मुंबई (भारत)

Makar Sankranti Puja Date 14th January 1985: Place Mumbai Type Puja [Hindi translation from English talk] अब आपको कहना है, कि इतने लोग हमारे यहाँ मेहमान आए हैं और आप सबने उन्हें इतने प्यार से बुलाया, उनकी अच्छी व्यवस्था की, उसके लिए किसी ने भी मुझे कुछ दिखाया नहीं कि हमें बहुत परिश्रम करना पड़ा, हमें कष्ट हुए और मुंबईवालों ने विशेषतया बहुत ही मेहनत की है। उसके लिए आप सबकी तरफ से व इन सब की तरफ से मुझे कहना होगा कि मुंबईवालों ने प्रशंसनीय कार्य किया है । अब जो इन से (विदेशियों से) अंग्रेजी में कहा वही आपको कहती हूं। आज के दिन हम लोग तिल गुड़ देते हैं। क्योंकि सूर्य से जो कष्ट होते हैं वे हमें न हों। सबसे पहला कष्ट यह है कि सूर्य आने पर मनुष्य चिड़चिड़ा होता है। एक-दूसरे को उलटा -सीधा बोलता है। उसमें अहंकार बढ़ता है। सूर्य के निकट सम्पर्क में रहने वाले लोगों में बहुत अहंकार होता है। इसलिए ऐसे लोगों को एक बात याद रखनी चाहिए, उनके लिए ये मन्त्र है कि गुड़ जैसा बोलें गुड़ खाने से अन्दर गरमी आती है, और तुरन्त लगते हैं चिल्लाने। अरे, अभी तो (मीठा-मीठा बोलो)। तिल तिल-गुड़ खाया, तो अभी तो कम से कम मीठा बोलो। ये भी नहीं होता। तिल-गुड़ दिया और लगे चिल्लाने। काहे का ये तिल-गुड़? फेंको इसे उधर! तो आज के दिन आप तय कर लीजिए। ये बहुत बड़ा सुसंयोग है कि श्री माताजी आई हैं। उन्होंने हमें कितना भी कहा तो भी हमारे दिमाग में वह Read More …

False gurus Kovalam (भारत)

धन्यवाद, झूठेगुरु – भारत भ्रमण , ९फरवरी, 1979 …. इन चक्रों में जो देवी-देवता हैं, वो देवत बस सो जाते हैं और भीतर में हानिकारकता बनने लगती है, कैंसर हो जाता है। कैंसर को तब तक ठीक नहीं किया जा सकता जब तक कि आपको अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त न हो जाए, चाहे आप डॉक्टर हों या कुछ भी। मैं आपको यह बताऊँगी, वह भी इंग्लैंड के एक डॉक्टर हैं। हमने हाल ही में एक कैंसर को ठीक किया है। मेरा तात्पर्य है कि मैं कई कैंसर रोगियों का इलाज कर सकती हूँ परंतु मेरा रुझान ऐसा करने में नहीं है। मात्र एक चीज़ जो सभी संतों के साथ होगी, यदि वो अब भी गलतियाँ करते हैं, तो वह स्वयं कैंसर हो जाऐंगे। क्योंकि अहंकार, अहंकार बहुत अधिक है, और अहंकार यहाँ अति-क्रियाशीलता से आता है, यह इस प्रकार से फूलता है। और इससे दूसरा भाग जहाँ भावनात्मक पक्ष है, वहाँ पर हमें प्रति-अहंकार होने लगता है। अतएव आप इस प्रकार से जकड़ जाते हैं। अब पश्चिम में जो हुआ है हमें उसे समझना चाहिए कि आपमें बहुत अधिक क्रियाशीलता थी, आपका अहंकार वास्तव में गुब्बारे की तरह फूला हुआ था और उसने इसे (प्रति-अहंकार को) नीचे दबाया। इसलिए आप इससे परेशान हो गए। आपने मात्र यह कहा, ” यह सब भौतिकवादी विकास नरक में जाए” ! अब, हम भौतिक रूप से विकसित होने का प्रयास कर रहे हैं। आप देखें, भारतीयों को अपनी आँखें खोलनी होंगी, उन्हें इस परिपथ को तोड़ना होगा। वे संपन्न होने और फिर अपने स्वयं के Read More …