Shri Ganesha Puja: They Are All Incarnations Campus, Cabella Ligure (Italy)

Ganesh Puja 13 September 2003, cabella , italy अब हम नन्हें बच्चों के सम्मुख हैं। यही बच्चे अवतरण हैं। यही (बच्चे) उत्थान प्राप्ति में, मानव जाति का नेतृत्व करेंगे। मानवता की देखभाल की जानी चाहिए। बच्चे कल की मानव जाति हैं और हम आज के हैं। अनुसरण करने के लिए हम, उन्हें क्या दे रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या है? ये कहना अत्यन्त-अत्यन्त कठिन है परन्तु सहज योग से वे सभी मर्यादित ढंग से चलेंगे,वे मर्यादित व्यवहार करेंगे। बहुसंख्या में सहजयोगी बनने से, सभी कुछ भिन्न हो जाएगा। परन्तु बड़े सहजयोगियों का ये कर्तव्य है कि उनकी देखभाल करें, उनका चारित्रिक स्तर बेहतर हो, उनके जीवन बेहतर हों ताकि वे आपके जीवन का अनुसरण करके वास्तव में अच्छे सहजयोगी बन सकें। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । सम्भवतः हमें इसका एहसास नहीं है। इस बात को हम नहीं समझते, परन्तु ये सभी नन्हें शिशु महान आत्माओं की प्रतिमूर्ति हैं और इनका पालन पोषण भी उन्हीं के रूप में किया जाना चाहिए। वैसे ही इनका सम्मान होना चाहिए और अत्यन्त सावधानी से इन्हें प्रेम किया जाना चाहिए। यह  बात समझ लेनी आवश्यक है। हमारे बड़ी आयु के लोगों की समस्या ये है कि हम बच्चों को ध्यान देने योग्य, परवाह करने योग्य और उन्हें समझने योग्य नहीं मानते, हम सोचते हैं कि हम स्वयं बहुत अधिक विवेकशील एवं बहुत अच्छे हैं तथा हमें अपनी शक्ति इन छोटे बच्चों पर नष्ट नहीं करनी चाहिए।  बड़ी आयु के लोगों के साथ ये कठिनाई है। परन्तु, आज जब हम यहां बैठे हुए Read More …

Shri Ganesha Puja: Your innocence will save this world Campus, Cabella Ligure (Italy)

2000-09-16 श्री गणेश  पूजा टॉक,  केबेला,इटली, डीपी आज, हम यहाँ एकत्र हुए हैं गणेश पूजा करने के लिए। मैं भली-भांति जानती हूँ कि गणेश  प्रतीक हैं पवित्रता के, निर्मलता के और पूजा करने के लिए अबोधिता की । जब आप श्री गणेश की पूजा कर रहे होते हैं तो आप को पता होना चाहिए कि वह अवतार हैं अबोधिता का । मैं जानने के लिए उत्सुक हूँ कि हम ‘ अबोधिता ‘ का अर्थ समझते हैं या नहीं । अबोधिता एक गुण है, जो अंतर्जात है, जिसे बलपूर्वक स्वीकार नहीं कराया जा सकता है, जिसमें प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है । यह केवल एक गुण है, सहज गुण, एक मानव के भीतर। जब वह श्री गणेश का अनुयायी बन जाता है तो वह एक अबोध व्यक्ति बन जाता है। हो सकता है कि आप कहें कि अबोध व्यक्तियों पर चालाक लोगों द्वारा आक्रमण किया जाता है, आक्रामक लोगों द्वारा, किन्तु अबोधिता इतनी महान बात है कि इसे नष्ट नहीं किया जा सकता है। यह गुण है आत्मा का । अबोधिता आत्मा का गुण है; और जब यह आत्मा आपके भीतर जागृत हो जाती है, तो आपको अबोधिता की शक्ति मिलती है, जिसके द्वारा आप उन सभी चीज़ों पर विजयी होते हैं जो नकारात्मक हैं, वो सब जो अनुचित है, वो सब जो हानिकारक है आपके विकास के लिए, आध्यात्मिक समझ के लिए। इसलिए अबोध होना संभव नहीं है । आपको अबोध होना होगा, इस अर्थ में कि आप अंतर्जात रूप से अबोध हैं । यह होता है सहज योग Read More …

श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं श्रीगणेश पूजा, कबैला लीगर(इटली), 25 सितम्बर 1999 आज हम सब यहाँ पर श्रीगणेश की पूजा के लिये एकत्र हुये हैं। आप सभी जानते हैं कि वे कितने शक्तिशाली देवता हैं। उनकी ये शक्तियां उनकी अबोधिता से आती है। जब भी हम छोटे बच्चों को देखते हैं तो तुरंत ही हम उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और उनको प्यार करना चाहते हैं … उन्हें चूमना चाहते हैं और उनके साथ रहना चाहते हैं वे इतने अबोध होते हैं … अत्यंत अबोध। यदि हम श्रीगणेश की पूजा करना चाहते हैं तो हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सचमुच ही अबोध और निष्कलंक हैं। आजकल लोग अत्यंत चालाक और मक्कार हो गये हैं और मक्कारी के मामले में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे सरल और मासूम लोगों के साथ अनेकों मक्कारी भरे खेल खेलते हैं। वे सोचते हैं कि इस आधुनिक समय में हमेशा वे ही सही हैं और बाकी लोग अत्यंत शातिर और धूर्त हैं। ये धूर्तता उनको अत्यंत दांई नाड़ी प्रधान बना व्यक्ति बना देती है जो अत्यंत भयावह है …. क्योंकि कुछ लोगों में इसके कारण कुछ भयानक शारीरिक समस्यायें भी हो जाती हैं जैसे कि उनके हाथ कांपने लगते हैं या उनके पैरों में लकवा मार जाता है। उनको लिवर से संबंधित अनेकों समस्यायें भी हो जाती हैं। इससे भी बढ़कर उनको सजा देने के लिये उन्हें मनोदैहिक रोग भी जकड़ लेते हैं। जैसे ही आपको इस प्रकार की कोई दांई नाड़ी प्रधान बीमारी हो जाय तो आपको श्रीगणेश Read More …

Shri Ganesha Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Ganesha Puja. Cabella Ligure (Italy), 10 September 1995. यदि कोई आपके पास मिलने के लिये आये तो क्या आपको मालूम है कि किस प्रकार से आपको जानबूझ कर अपनी ऊर्जा को उन पर प्रक्षेपित करना है ….. ये एक नई तरह की ध्यान विधि है जिसका अभ्यास आप सबको करना है…. अपनी ऊर्जा को उत्सर्जित करके अन्य लोगों तक पंहुचाना। इसमें आपको किसी से कुछ नहीं कहना है… बातचीत नहीं करनी है लेकिन सोच समझकर और जानबूझ कर इस ऊर्जा का अनुभव करना है …. मैं फिर से कह रही हूं कि जानबूझ कर। यह सहज नहीं है …. नहीं यह स्वतः है। लेकिन इसका आपको अभ्यास करना है। अपने अंदर के श्रीगणेश की अबोधिता की ऊर्जा को अन्य लोगों तक प्रक्षेपित करना है ताकि जब वे आपको देखें तो उनकी स्वयं की अबोधिता जागृत हो जाय। उदा0 के लिये लंदन में हमें कुछ समस्या हो गई थी और सहजयोगियों ने मुझसे कहा कि माँ.. अभी भी कुछ लोग … कुछ पुरूष हमें देखते रहते हैं और कुछ ने कहा कि कुछ महिलायें भी हमें देखती रहती हैं। एक तरह से ये एक आपसी चीज घट रही थी। मैंने उनसे कहा कि आप लोग अपनी ऊर्जा को इस प्रकार से प्रक्षेपित करें कि इन लोगों का इस प्रकार का अभद्र व्यवहार पूर्णतया बंद हो जाय और उनको समझ में आ जाय कि उन्हें आपका आदर करना चाहिये और आपकी गरिमा का भी सम्मान करना चाहिये। ये बहुत कठिन भी नहीं है। इसके विपरीत… जैसी कि आजकल की संस्कृति है Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …

Shri Ganesha Puja New Delhi (भारत)

Shri Ganesha Puja. Delhi (India), 5 December 1993. आज हम श्री गणेश पूजा करने है | इस यात्रा की शुरूआत हो रही है और इस मौके पर जरूरी है कि हम गणेश पूजा करें खासकर दिल्ली में गणेश पूजा की बहुत ज्यादा जरूरत है। हालांकि सभी लोग गणेश के बारे में बहुत कम जानते हैं। और क्योंकि महाराष्ट्र में अष्ट विनायक हैं और महा गणपति देव तो गणपति पूले में हैं। इसलिए लोग गणेश जी को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या है? गणेश जी हें क्या? इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अब जो भी बात हम आपको बता रहे हैं यह सहजयोगी होने के नाते आप लोग समझ सकते हैं। आम दुनिया इसे नहीं समझ सकती। एक हद तक आम दुनिया, विशेषकर बढ्धि परस्त लोग सहजयोग को देख सकते हैं। किन्तु इस योग के घटित होने में कोई देवी देवता मदद करते है ये नहीं मानते और परमचैतन्य को भी अनेक तरह के नाम दे कर के वो समझाते है की ये कॉस्मिक एनर्जी है | पता नहीं लोग समझते है या नहीं |सबसे पहले इस पृथ्वी की रचना होने से पहले समझ लीजिये परमात्मा ने यही सोचा आदिशक्ति ने यही सोचा इस पृथ्वी पर पवित्रया आना चाहिए पवित्रत्रता आणि चाहिए | और पवित्ररता जब यहाँ फ़ैल जाएगी उसके बाद सृष्टि में चैतन्य चारो और कार्यान्वित हो जायेगा जैसे समझ लीजिये परमचैतन्य चारो और फैला हुआ है लेकिन उसका असर तो तभी आता है जब आपके अंदर पवित्ररता आती है अगर आपके अंदर पवित्रता Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja [Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari] महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, हम पात हैं कि हमारो सारी समस्याएं मानव की ही देन है। जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बाह्य जगत में जा भी प्रवृत्तियां या फैशन आयें आप उनसे प्रभावित नहीं हाते। आप अन्दर से परिवर्तित होते हैं। तब आप पूर्णतया जान जाते हैं कि दूसरे लोगों से क्या आशा की जाती उनसे किस प्रकार व्यवहार किया जाए, किस प्रकार बातचीत की जाए और उनके साथ किस सीमा तक चला जाए। यह सव विवेक से प्राप्त होता है। सहजयाग में आप सब अतियोग्य लाग विवेक को डतनी ही सुन्दर चित्त प्रदान करता है। श्री गणेश के चैतन्य प्रवाह के कारण चित्त एकाग्रित हो जाता है। पवित्रता तथा मंगल प्रदान करने के लिए श्री गणेश की सृष्टि हुईं। गणेश ही सभी का Read More …

Shri Ganesha Puja: The Glow of Shri Ganesha Lanersbach (Austria)

[English to Hindi translation]                                              श्री गणेश पूजा  लैनर्सबैक (ऑस्ट्रिया), 26 अगस्त 1990 आज हम श्री गणेश का जन्मोत्सव मना रहे हैं। आप सभी उनके जन्म की कहानी जानते हैं और मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, जैसे वह केवल माँ द्वारा, आदि शक्ति द्वारा बनाए गए थे, उसी तरह उनके बाद आप सभी बनाए गए हैं। तो, आप पहले से ही श्री गणेश के मार्ग पर हैं। आपकी आंखें उसी तरह चमकती हैं जैसे उनकी आंखें चमकती हैं। आप सभी के चेहरे पर वही खूबसूरत चमक है जैसी उनके पास थी। आप कम उम्र हैं, बड़े हैं या बूढ़े हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। श्री गणेश की चमक से ही सारी सुंदरता हमारे अंदर आती है। यदि वे संतुष्ट हैं, तो हमें अन्य देवताओं की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी देवताओं की शक्ति श्री गणेश हैं। वह हर चक्र पर बैठे कुलपति की तरह हैं। जब तक वे हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक कुंडलिनी पार नहीं हो सकती, क्योंकि कुंडलिनी गौरी है और श्री गणेश की कुँवारी माँ है। अब हमें यह समझना होगा कि हम यहां पश्चिमी समाज में हैं जहां इतना गलत हो गया है क्योंकि हमने श्री गणेश की देखभाल करने की कभी परवाह नहीं की। ईसा-मसीह आए और उनका संदेश पूरी दुनिया में फैल गया। उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की जो ईसाइयों द्वारा अभ्यास नहीं की जाती हैं, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ भी शुरू किया वह सत्य पर आधारित नहीं है। सच Read More …

Shri Ganesha Puja, Switzerland 1989 (Switzerland)

Shri Ganesha Puja, Les Diablerets (Switzerland), 8 August 1989. आज आप सब यहां मेरी श्रीगणेश रूप में पूजा के लिये आये हैं। हम प्रत्येक पूजा से पहले श्रीगणेश का गुणगान करते आये हैं। हमारे अंदर श्रीगणेश के लिये बहुत अधिक सम्मान है क्योंकि हमने देखा है कि जब तक अबोधिता के प्रतीक श्रीगणेश को हम अपने अंदर जागृत नहीं करते तब तक हम परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। परमात्मा के साम्राज्य में बने रहने के लिये और श्रीगणेश के आशीर्वादों का आनंद उठाने के लिये भी हमारे अंदर अबोधिता का होना अत्यंत आवश्यक है। अतः हम उनकी प्रशंसा करते हैं और वे अत्यंत सरलता से प्रसन्न भी हो जाते हैं। सहजयोग में आने से पहले हमने जो कुछ गलत कार्य किये हों उनको वे पूर्णतया क्षमा कर देते हैं क्योंकि वे चिरबालक हैं। आपने बच्चों को देखा है, जब आप उन्हें थप्पड़ लगा देते हैं …. उनसे नाराज हो जाते हैं लेकिन वे इसको तुरंत भूल जाते हैं। वे केवल आपके प्रेम को याद रखते हैं और जो कुछ भी बुरा आपने उनके साथ किया है उसे वे याद नहीं रखते। जब तक वे बड़े नहीं हो जाते तब तक वे अपने साथ घटी हुई बुरी बातों को याद नहीं रखते। जबसे बच्चा माँ की कोख से जन्म लेता है उसे याद ही नहीं रहता कि उसके साथ क्या क्या हुआ है लेकिन धीरे-धीरे उसकी याददाश्त कार्यान्वित होने लगती है तो वह चीजों को अपने अंदर याद करने लगता है। परंतु प्रारंभ में उसे उसके साथ Read More …

Shri Ganesha Puja: spread love all over and remove the people from the shackles of materialism Madrid (Spain)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, मैड्रिड, स्पेन 6 नवंबर, 1987  तो आज हम यहां स्पेन आए हैं, और यहां बहुत सारे दूसरे स्पेनिश सहज योगी हैं, और आप सब उनसे मिले चुके हैं। इस कारण, वे सहज योग में बहुत मजबूत हो गए हैं, कि उन्हें लगता है कि सारी दुनिया में उनके भाई बहन हैं। क्योंकि स्पेन में बहुत कम सहज योगी हैं, और वे काफी खोया हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि उनकी संख्या बहुत कम है। लेकिन आप के यहां आने से ऐसा हुआ, जैसे कि एक हाथ दूसरे हाथ की मदद कर रहा है। अब स्पेन का भौतिक विकास हो रहा है, और ये है…इस बार उन्हें सावधान रहना होगा। उन्हे अतिविकसित अवस्था में पूरी तरह आगे तक जाने की और फिर कष्ट सहने की आवश्यकता नहीं है, और उनके लिए ये कष्ट एक प्रकार की सज़ा नहीं बननी चाहिए, जैसे संपन्न देशों में होता है, क्योंकि जैसे-जैसे भौतिकवाद बढ़ता है, वह मनुष्य पर हावी होने की कोशिश करता है। लेकिन अगर आत्म साक्षात्कार के पश्चात भौतिकवाद बढ़ने लगे, तो आप इस पदार्थ (मैटर) पर महारत हासिल कर लेते हैं। तब पदार्थ आपके सिर पर नहीं बैठता, क्योंकि आत्म साक्षात्कार के पश्चात आपके पास विवेक आ जाता है। और वास्तव में, भौतिकवाद को लक्ष्मी तत्व, लक्ष्मी सिद्धांत के माध्यम से समझा जाना चाहिए। यदि आप सहज योग में सुबुध्दि विकसित करते हैं, तो आप समझ जाते हैं कि भौतिकवाद के साथ किस हद तक जाना है। पदार्थ आप के लिए है, आप पदार्थ Read More …

Diwali Puja: Power of Innocence, Meaning of Nine of The Lakshmis Lecco (Italy)

              दीवाली पूजा, “अबोधिता की शक्ति”  लेको (इटली), 25 अक्टूबर 1987। पहला – हम श्री गणेश को नमन करते हैं क्योंकि श्री गणेश हमारे भीतर अबोधिता के स्रोत हैं। तो वास्तव में हम अपने भीतर की मासूमियत को नमन करते हैं। और यह वही अबोधिता है जो आपको ज्ञान देती है। जैसा कि मैंने कल तुमसे कहा था कि प्रकाश में निर्दोषता है, लेकिन यह निर्दोषता ज्ञान के बिना है। परन्तु तुम्हारी प्रबुद्धता ज्ञानमय अबोधिता है। हम हमेशा सोचते हैं कि जिन लोगों को ज्ञान है वे कभी अबोध नहीं हो सकते, कभी सरल नहीं हो सकते। और अबोधिता के बारे में हम यही विचार रखते है कि एक अबोध व्यक्ति को हमेशा धोखा दिया जाता है, उसे धोखा दिया जा सकता है – और उसे हमेशा हल्के में लिया जा सकता है। लेकिन अबोधिता एक शक्ति है; यह एक शक्ति है जो आपकी रक्षा करती है, जो आपको ज्ञान का प्रकाश देती है। सांसारिक अर्थों में हमारे पास जो ज्ञान है वह यह है कि दूसरों का शोषण कैसे किया जाए, दूसरों को कैसे धोखा दिया जाए, उनसे कैसे पैसा कमाया जाए, दूसरों का मजाक कैसे बनाया जाए, दूसरों को कैसे नीचा दिखाया जाए। लेकिन अबोधिता का प्रकाश वह प्रकाश है जिसके द्वारा आप जानते हैं कि प्रेम सर्वोच्च चीज है। और यह आपको सिखाता है कि कैसे दूसरों से प्यार करना है, कैसे दूसरों की देखभाल करना है, कैसे दूसरों के प्रति कोमल होना है। यह आपको आतंरिक का प्रबोध भी देता है। यह इस दुनिया में हमारे पास Read More …

Shri Ganesha Puja: Establishing Shri Ganesha Principle YMCA – Camp Marston, San Diego (United States)

सैन डिएगो (यूएसए), 7 सितंबर 1986। आज हम श्रीकृष्ण की धरती पर श्री गणेश जी का जन्मदिन मना रहे हैं। यह कुछ बहुत ही अभूतपूर्व और बहुत महत्वपूर्ण मूल्य का है कि आपको श्री कृष्ण के पुत्र का जन्मदिन उनकी ही भूमि में मनाना चाहिए। आप जानते हैं कि श्री गणेश ने इस पृथ्वी पर महाविष्णु के रूप में अवतार लिया था और वे राधा के पुत्र थे, जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह के रूप में अवतार लिया था। तो आज यह जन्मदिन मनाकर आप सबसे बड़े सत्य को पहचान रहे हैं कि प्रभु यीशु मसीह श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इसके बारे में यदि आप देवी महात्मायम में पढ़ते हैं तोएक कहानी है, किस प्रकार यह आदि बालक एक अंडे का रूप लेता है और इसका आधा हिस्सा श्री गणेश के रूप में रहता है और आधा महाविष्णु बन जाता है। उत्क्रांति की प्रक्रिया में पुरावशेषों की इन सभी घटनाओं को दर्ज किया गया है लेकिन आज मैं इतनी प्रसन्न महसूस कर रही हूं कि मानव स्तर पर लोग समझ गए हैं कि ईसा भगवान गणेश के अवतार हैं। वह शाश्वत संतान है लेकिन जिस रूप में वह मसीह के रूप में आये, वह श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में आये। लेकिन जब पार्वती ने श्री गणेश को बनाया, तब तो वे अकेली पार्वती के पुत्र थे। कोई पिता नहीं था। स्वयं पार्वती अपना ही एक पुत्र पैदा करना चाहती थीं। ऐसे देवदूत थे जो या तो विष्णु को या शिव को समर्पित थे, जैसे गण अकेले शिव को समर्पित Read More …

Shri Kartikeya Puja: Woman Is A Woman Munich (Germany)

श्री कार्तिकेय पूजा ग्रॉसहार्टपेनिंग, म्यूनिख (जर्मनी), 13 जुलाई 1986 मैं देर से आने के लिए माफी चाहती हूं। मुझे पता नहीं था कि यह कार्यक्रम इस तरह की एक सुंदर जगह पर है और यहाँ आप माइकल एंजेलो की एक खूबसूरत पेंटिंग देख रहे हैं, जो कि आपको बचाने तथा मदद करने की, आपके परम पिता की इच्छा को व्यक्त करती है और अब यह घटित भी हो रहा है । जर्मनी में हमारे साथ बहुत आक्रामक घटनाएं हुई हैं और इसने पश्चिमी जीवन पर सब और विनाशकारी प्रभाव डाला। मूल्य प्रणालियां टूट गईं, धर्म का विचार गड़बड़ा गया, महिलाओं ने पुरुषों की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया और इतने लोग मारे गए। बहुत युवा मर गए, बहुत, बहुत युवा। उनकी सभी इच्छाएँ पूर्ण न हो पाई थी, उनके जीवन ने उन्हें युद्ध के अलावा कुछ नहीं दिया। यह एक तरह से गर्म हवा का झोंका था जो आया और उसने सभी सूक्ष्म चीजों को नष्ट कर दिया। जब प्रकृति राहत चाहती है, या क्रोध करती है, तो यह केवल स्थूल चीजों को नष्ट करती है, लेकिन जब मनुष्य नष्ट करना शुरू करता है, तो वे आपकी मूल्य प्रणाली, आपका चरित्र, आपकी पवित्रता, आपकी अबोधिता, और धैर्य जैसी सूक्ष्म चीजों को भी नष्ट कर देता हैं। इसलिए अब युद्ध सूक्ष्म स्तर पर है। हमें अब यह समझना होगा कि इन सभी चीजों ने पश्चिमी व्यक्तित्व पर, पश्चिम में इस तरह का तोड़ देने वाला दुष्प्रभाव डाला है। तो पहला प्रयास यह करना है कि इसे ठीक करना है, इसे Read More …

Shri Mahaganesha Puja Ganapatipule (भारत)

                                            श्री महागणेश पूजा  गणपतिपुले (भारत), 1 जनवरी 1986। आज हम सब यहां श्री गणेश को प्रणाम करने के लिए एकत्रित हुए हैं। गणपतिपुले का एक विशेष महत्व है क्योंकि वे महागणेश हैं। मूलाधार में गणेश विराट यानी मस्तिष्क में महागणेश बन जाते हैं। यानी यह श्री गणेश का आसन है। अर्थात श्री गणेश उस आसन से निर्दोषता के सिद्धांत का संचालन करते हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, जैसा कि वे इसे कहते हैं, यह ऑप्टिक थैलेमस, ऑप्टिक लोब के क्षेत्र में, पीछे रखा जाता है; और वह आँखों को निर्दोषता के दाता है। जब उन्होंने क्राइस्ट के रूप में अवतार लिया – जो यहाँ, सामने, आज्ञा में है – उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि “तुम्हें आँखें भी व्यभिचारी नहीं होना चाहिए।” यह एक बहुत ही सूक्ष्म कहावत है, जिस में लोग ‘व्यभिचारी’ शब्द का अर्थ भी नहीं समझते हैं। ‘व्यभिचार’ का अर्थ सामान्य शब्द में अशुद्धता है। आँख में कोई भी अशुद्धता “तेरे पास नहीं होगी”। यह बहुत मुश्किल है। यह कहने के बजाय कि आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें और अपनी पिछले आज्ञा चक्र को साफ करें, उन्होंने इसे बहुत ही संक्षिप्त रूप में कहा है, “तुम्हें व्यभिचारी आँखे नहीं रखना चाहिए”। और लोगों ने सोचा “यह एक असंभव स्थिति है!” चूँकि उन्हें लंबे समय तक जीने नहीं दिया गया – वास्तव में उनका सार्वजनिक जीवन केवल साढ़े तीन साल तक सीमित है – इसलिए उन्होंने जो कुछ भी कहा है उसका बहुत बड़ा महत्व है, कि आपकी आंखें व्यभिचारी न हों। जब Read More …

The Innocence of a Child & purpose of Ganapatipule, Evening Program, Eve of Shri Mahaganesha Puja Ganapatipule (भारत)

एक बच्चे सी अबोधितागणपतिपुले (भारत), 31 दिसंबर 1985। गणपतिपुले एक बहुत ही खूबसूरत जगह थी और आप सभी के लिए बहुत सुकून देने वाली जगह थी इसके अलावा यहांआने का मेरा एक विशेष उद्देश्य था । कारण यह है कि – मैंने पाया कि इस जगह में चैतन्य थे जो आपको बहुत आसानी से स्वच्छ कर देंगे, सबसे पहले। लेकिन आपको इसकी इच्छा करनी होगी, वास्तव में, तीव्र्ता के साथ। आपको वह इच्छा रखनी चाहिए अन्यथा कुंडलिनी नहीं उठ सकती है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है; कि तुम्हें अपने उत्थान की इच्छा करनी है, और कुछ नहीं। यह ऐसी जगह नहीं है जहां आप छुट्टी मनाने आए हैं या सिर्फ किसी तरह के विश्राम के लिए या किसी आनंद या सोने या किसी भी चीज के लिए आए हैं, बल्कि आप यहां तपस्या के लिए, तपस्या के लिए, अपने आप को पूरी तरह से शुद्ध करने के लिए आए हैं। यह श्री गणेश के मंदिर का एक स्थान है, जहां लोगों का आना-जाना बहुत कम है और यह अभी भी बहुत, बहुत शुद्ध है। और मैंने सोचा था कि आप में गणेश तत्व जागृत हो जाएगा जो कि हर चीज का स्रोत है। श्री गणेश के तत्व, जैसा कि आप जानते हैं, बड़े पैमाने पर या विस्तृत तरीके से, हम इसे ‘अबोधिता’ कहते हैं, लेकिन हम उन पेचीदगियों और विवरणों को नहीं जानते हैं जिन पर जाकर यह काम कर सकता है। श्री गणेश की अबोधिता में लोगों को शुद्ध करने, आपको पवित्र बनाने, आपको शुभ बनाने की Read More …

Shri Ganesha Puja: The Importance of Chastity Brighton Friends Meeting House, Brighton (England)

श्री गणेश पूजा: पवित्रता का महत्व04-08-1985ब्राइटन फ्रेंड्स मीटिंग हाउस, ब्राइटन (इंग्लैंड) आज हम यहां सही अवसर और बहुत ही शुभ दिन पर श्री गणेश की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री गणेश प्रथम देवता हैं जिनकी रचना की गई थी ताकि पूरा ब्रह्मांड शुभता, शांति, आनंद और आध्यात्मिकता से भर जाए। वह स्रोत है। वह अध्यात्म का स्रोत है। इसके परिणामस्वरूप अन्य सभी चीजें अनुसरण करती हैं। जैसे जब बारिश होती है और हवा चलती है तो आप वातावरण में ठंडक महसूस करते हैं। उसी तरह जब श्री गणेश अपनी शक्ति का उत्सर्जन करते हैं, तो हम इन तीनों चीजों को भीतर और बाहर महसूस करते हैं। लेकिन यह इतना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है, विशेष रूप से पश्चिम में, सबसे महत्वपूर्ण मौलिक देवता को न केवल पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है, बल्कि अपमानित किया गया और सूली पर चढ़ाया गया है। तो आज हालांकि मैं कुछ ऐसा नहीं कहना चाहती की आप परेशान हों, लेकिन मैं आपको बता दूं कि श्री गणेश की पूजा करने का मतलब है कि आपके भीतर पूरी तरह से स्वच्छ्ता होनी चाहिए। श्रीगणेश की पूजा करते समय मन को स्वच्छ रखें, हृदय को स्वच्छ रखें, अपने को स्वच्छ रखें – काम और लोभ का कोई विचार नहीं आना चाहिए। दरअसल, जब कुंडलिनी उठती है तो गणेश को हमारे भीतर जगाना होता है, अबोधिता को प्रकट होना पड़ता है – जो हमारे भीतर से ऐसे सभी अपमानजनक विचारों को मिटा देता है। अगर उत्थान हासिल करना है तो हमें समझना होगा कि हमें Read More …

Seminar, Mahamaya Shakti, Evening, Improvement of Mooladhara University of Birmingham, Birmingham (England)

                                            महामाया शक्ति बर्मिंघम सेमिनार (यूके), 20 अप्रैल 1985. भाग 2 श्री माताजी: कृपया बैठे रहें। क्या यह सब ठीक है? क्या आप ठीक रिकॉर्ड कर रहे हैं? सहज योगी: हाँ माँ तो इसी तरह से महामाया के खेल होते हैं | उन्होंने हर चीज की योजना बनाई थी। उनके पास सारी व्यवस्था बनायीं थी और साड़ी गायब थी। ठीक है। तो उन्होंने आकर मुझे बताया कि साड़ी गायब है, तो अब क्या करना है? उनके अनुसार, आप साड़ी के बिना पूजा नहीं कर सकती हैं। तो मैंने कहा, “ठीक है, चलो इंतजार करते हैं ।” यदि यह साडी समय पर आती है तो हम पूजा करेंगे; अन्यथा हम यह बाद में कर सकते हैं। लेकिन मैं बिलकुल भी परेशान नहीं थी,ना अव्यवस्थित । क्योंकि मुझे इसका कोई मानसिक अनुमान नहीं है। लेकिन अगर आपके पास एक मानसिक अवधारणा है की , “ओह, हमने सब कुछ प्रोग्राम किया है, सब कुछ व्यवस्थित किया है। हमने यह कर लिया है और अब यह व्यर्थ जा रहा है। ” कोई बात नहीं कुछ भी  फिजूल नहीं है। [हसना] लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते। चूँकि आपने आज मुझसे पूछा था, “महामाया क्या है?”, यही है वो महामाया । [हसना] आपको अपने मार्ग में जो कुछ भी आता है उसे स्वीकार करना सीखना चाहिए। यह भी एक चीज़ है और चूँकि हम एक मानसिक कल्पना कर लेते हैं इसलिए,यहाँ हम निराश, क्रोधित, परेशान हो कर और अपने आनन्द को बिगाड़ लेते हैं। मानसिक रूप से हम कुछ गणना करते हैं। ऐसा होना ही है। Read More …

Shri Ganesha Puja: Four Oaths Hotel Riffelberg, Zermatt (Switzerland)

श्री गणेश पूजा  जर्मेट (स्विट्जरलैंड), 2 सितंबर 1984। जब हम इस पवित्र पर्वत, जिसे हमने गणराज नाम दिया है, की पूजा करने आए हैं तो मेरी खुशी का कोई पार नहीं है। कभी-कभी शब्द आपकी खुशी को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। मैं आपकी माँ के प्रतीक के रूप में आपके पास आती हूँ, लेकिन पहला पुत्र जो रचा गया वह श्री गणेश थे। और फिर, जब मातृत्व के प्रतीक के रूप में धरती माता को बनाया गया, तो उन्होंने इस ब्रह्मांड में कई श्री गणेश बनाए। ब्रह्माण्ड में जिस तारे को मंगल कहा जाता है वह गणेश, श्री गणेश है। ये सभी प्रतीक आप, सहज योगियों के लिए, उन्हें पहचानने के लिए बनाए गए थे। यदि आप एक आत्मसाक्षात्कारी हैं तो इन सभी प्रतीकों को पहचानना आसान है। लेकिन हमारे पास अतीत में बहुत उच्च गुणवत्ता वाली कई महान आत्म ज्ञानी आत्माएं हैं, और उन्होंने बहुत समय पहले ही पता लगा लिया था, श्री गणेश के प्रतीकों को पहचान लिया था|। भारत सम्पूर्ण पृथ्वी,  धरती माता का सूक्ष्म रूप है। तो, महाराष्ट्र के त्रिकोण में, हमें आठ गणेश मिले हैं जो चैतन्य प्रसारित कर रहे हैं और महाराष्ट्र के महान संतों द्वारा पहचाने गए थे। लेकिन जैसा कि आपने देखा है, इन महान संतों की कृपा से, विशेष रूप से महाराष्ट्र में, ऐसे मनुष्यों का निर्माण हुआ है जिनमें उनकी भावना और मन की उच्चतम अभिव्यक्ति को श्रद्धा के रूप में रखा गया है। मन में उस उच्च दृष्टि के कारण, जब भी वे इस उत्कृष्ट Read More …

Guru Puja: this finger has to be strong (United States)

गुरु पूजा, ह्यूस्टन, यू.एस.ए, २० सितंबर १९८३  तो, आज हम सबसे पहले गणेश पूजा करेंगे, क्योंकि गणेश अबोधिता हैं और हमें उन्हें किसी भी ऐसे स्थान पर स्थापित करना चाहिये, जहाँ हम कोई कार्य आरंभ करना चाहते हैं या इसके विषय में कुछ करना चाहते हैं । क्योंकि वे अबोधिता हैं और अन्य कुछ और सृजित होने से पूर्व अबोधिता का सृजन हुआ था। मुझे कहना चाहिए कि यह सबसे प्रबल शक्ति है: अबोधिता।  और तब हम गुरु पूजा करेंगे, जो वास्तव में आदि गुरु हैं, ‘प्राइमोर्डीयल मास्टर’ (आदिकालीन गुरु), जिन्होंने इस पृथ्वी पर अनेकों बार अवतरण लिया । और जैसा कि आप जानते हैं, दत्तात्रेय के रूप में उनका जन्म हुआ, फिर जनक, नानक व अन्य अनेक रूपों में उनका जन्म हुआ। वह सिद्धांत हमारे अंदर है और यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हमें गुरु नानक या जनक या इनमें से किसी भी आदि गुरु के सिद्धांत को अपने अंदर विकसित करना चाहिए। क्योंकि यदि आत्मा गुरु है तो हमें स्वयं का गुरु बनना होगा। और गुरुओं की शक्ति यह है कि वे अबोधिता के मूलतत्व हैं – सृजनकर्ता की, पालनकर्ता की, तथा संहारक की । वे इन सभी की अबोधिता हैं। उनमें से, इस महान व्यक्तित्व – इन तीन व्यक्तित्वों की अबोधिता से – इस महान अवतरण का निर्माण हुआ। और उनकी अबोधिता, वस्तुओं के प्रति उनकी निर्लिप्तता से प्रकट होती है। वे सब जगह अन्य मनुष्यों के समान रहते हैं: विवाहित, परिवारों में रहने वाले, किंतु पूर्णतः निर्लिप्त। जब तक आप में यह सिद्धांत जागृत नहीं होता, Read More …

Shri Ganesha Puja Perth (Australia)

                   श्री गणेश पूजा  1 मार्च 1983, पर्थ ऑस्ट्रेलिया  मुझे लगता है कि यह ज्ञान की गुणवत्ता है जो अभी भी कई ऑस्ट्रेलियाई लोगों में प्रकट हो रही है, जो बहुत से लोगो ने खो दिया है क्योंकि उन्होंने भौतिकवाद के घोर पक्ष को ले लिया है। श्री गणेश शुद्ध करने की अद्भुत शक्ति हैं, क्योंकि यह किसी के द्वारा दूषित नहीं किया जा सकते है, आप जो भी कोशिश कर ले , वह दूषित नहीं हो सकते है। केवल एक चीज है, जो की वापस आ सकती है, यह प्रकट नहीं भी हो सकती है, लेकिन जो कुछ भी है, वह अपने पूर्ण रूप में है। यदि आप इसका उपयोग करना जानते हैं, तो आप सभी को शुद्ध कर सकते हैं। तो ऑस्ट्रेलियाई लोगों की ज़िम्मेदारी को समझना जरुरी है यह बहुत स्पष्ट है , क्योंकि वे एक ऐसे देश में रह रहे हैं, जिस पर श्री गणेश का शासन है, इसलिए पहले उन्हें अपनी पवित्रता बनाए रखनी होगी। उनके अस्तित्व की पवित्रता। कई लोग कभी-कभी सोचते हैं कि पवित्रता केवल सतही  पक्ष तक सीमित है, उनके यौन जीवन की शुद्धता पर्याप्त है, ऐसा नहीं है। यही कारण है कि क्राइस्ट ने कहा है “तुम्हारी आंखे व्यभिचारी नही होनी चाहिए ” अर्थात्। आपकी आँखें शुद्ध होनी चाहिए, और जैसा कि आप जानते हैं, आँखें आपके अहंकार और प्रति अहंकार दोनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसलिए जब उन्होंने कहा कि आपकी आँखें शुद्ध होनी चाहिए, तो उनका मतलब था कि आपके विचार शुद्ध होने चाहिए। अब, आपकी शक्ति का जनक कौन Read More …

Shri Ganesha Puja: Innocence & Joy House of Charles and Magda Mathys, Troinex (Switzerland)

                                                  श्री गणेश पूजा  ट्रोइनेक्स, (जिनेवा, स्विटजरलैंड), 22 अगस्त 1982 वार्ता से पहले: उन्हें बुलाओ, लोगों को बुलाओ। आप आगे चल सकते हैं और पीछे बैठ सकते हैं। ग्रेगोइरे पूछते हैं कि क्या पूजा की व्याख्या होनी चाहिए क्योंकि कुछ नवागंतुक हैं। श्री माताजी: क्या यहाँ कोई है जो अनुवाद कर सकता है? आपको दो व्यक्तियों की आवश्यकता है। आप यहां बैठ सकते हैं। ग्रेगोइरे: मैं इतालवी में भी अनुवाद कर सकता हूँ श्री माताजी : लेकिन क्या वह नहीं आए हैं? उसे पूजा के लिए आना चाहिए, तुम्हें पता है। सभी को अंदर आना चाहिए। जब ​​वे सब यहाँ होंगे, तब मैं शुरू करूँगी। अब, आगे आओ। यहाँ कमरा है। जो जमीन पर बैठ सकते हैं वे सामने बैठ सकते हैं। कृपया आइये। (माँ योगिनी से बात करती हैं ) तुम्हें यह पसंद है? रंग ठीक है? वह कहां है, और कौन अनुवाद करेगा? ठीक है, तुम आ सकते हो। आप इसे फ्रेंच में करते हैं और वह इसे इतालवी में कर सकती है। अरनौत नहीं आया? आप वहाँ हैं। और कौन? बच्चे सामने बैठ सकते हैं – बच्चों को सामने बैठने दो। जब आप पूजा शुरू करेंगे तो चारों बच्चे बाद में आ सकते हैं। क्या सब आ गए हैं? आह! रोबोटिक मोटर-कारें! महान! …बिल्कुल, यही है! बाहर कौन है? [यहां वार्ता की प्रतिलेख शुरू होती है] ठीक है। सबसे पहले मैं आपको पूजा का अर्थ बताना चाहूंगी। दो पहलू हैं। (५.०२) एक पहलू यह है कि आपने अपने भीतर अपने स्वयं के देवी-देवता पा लिए हैं। और इन Read More …

Aim of Seeking Royal Exhibition Building, Melbourne (Australia)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, ‘खोज का उद्देश्य’ रॉयल एग्जीबिशन बिल्डिंग, मेलबॉर्न, ऑस्ट्रेलिया 2 अप्रैल, 1981 मेलबॉर्न आ कर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। मैं यहां आई क्योंकि कोई व्यक्ति जो सिडनी आया था बोला, ‘मां आप को मेलबॉर्न जरूर आना चाहिए। हमें आप की आवश्यकता है।’ जब मैं यहां किसी और उद्देश्य से आई, मुझे अनुभव हुआ की मेलबॉर्न में चैतन्य वास्तव में बहुत अच्छा है, और ये बहुत संभव है, कि यहां अनेक साधक हो सकते हैं। जैसे मैंने कहा, यहां आप सब के बीच होना वास्तव में बहुत सुखद है। ये एक सत्य है, कि समय आ गया है हजारों, हजारों और हजारों के लिए और लाखों लोगों के लिए अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने का, जो इस धरती पर साधकों के रूप में जन्में हैं। उन्हे अपना अर्थ जानना होगा। उन्हे जानना होगा कि प्रकृति ने अमीबा से मनुष्य क्यों बनाया। उनके जीवन का क्या उद्देश्य है? जब तक आप अपने जीवन का उद्देश्य ना पा लें आप खुश नहीं हो पाएंगे, आप संतुष्ट नहीं हो पाएंगे। आप कुछ भी अन्य आज़मा लें। आप अंहकार यात्रा या अन्य यात्राएं जैसे पैसे की खोज पर निकलें, या आप अन्य चीजें आजमा लें जैसे मादक पदार्थों का सेवन, मदिरा का सेवन, योगिक ऊर्जा से हवा में उड़ना, हर प्रकार की चीज़ें, परंतु इन चीज़ों ने किसी को भी संतुष्टि नहीं दी है। आप को वो परम पाना होगा, जिस के बिना हम भ्रांति में हैं। ये परम आप के अंदर है, इस लिए सहज योग एक Read More …

Mooladhara and Swadishthan Maccabean Hall, Sydney (Australia)

1981-03-25 मूलाधार और स्वाधिष्ठान, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया  सत्य के सभी साधकों को हमारा नमस्कार।  उस दिन, मैंने आपको पहले चक्र के बारे में थोड़ा बहुत बताया था, जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं और कुंडलिनी, जो त्रिकोणाकार अस्थि, जिसे sacrum (पवित्र) कहते हैं, में बची हुई चेतना है। जैसा मैंने आपको बताया था कि यह शुद्ध इच्छा शक्ति है, जो अभी तक जागृत नहीं हुई है और न ही आपके अंदर अभी तक प्रकट हुई है, जो यहाँ पर उस क्षण का इंतजार कर रही है जब वह जागृत होगी और आपको आपका पुनर्जन्म देगी, आपका बपतिस्मा। या आपको शांति देती है। या आपको आपका आत्म-साक्षात्कार देती है। यह शुद्ध इच्छा है कि आपकी आत्मा से आपका योग हो। जब तक यह इच्छा पूर्ण नहीं होगा, वे लोग जो खोज रहे हैं, काभी भी संतुष्ट नहीं होंगे, चाहे वे कुछ भी करें।   अब, यह पहला चक्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि या सबसे पहला चक्र था जिसका निर्माण किया गया, जब आदिशक्ति ने अपना कार्य करना शुरू किया था। यह अबोधिता, जो कि पवित्रता, का चक्र है। इस पृथ्वी पर सबसे पहली वस्तु का निर्माण किया गया वह पवित्रता थी। यह चक्र सभी मनुष्यों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जानवरों में अबोधिता है, उन्होंने उसको खोया नहीं है, जबकि हमारे पास अधिकार है या हम काह सकते हैं, हमारे पास यह स्वतंत्रता है कि हम इसका परित्याग करे दें। हम यह कर सकते हैं, हम अपने तथाकथित स्वतंत्रता के विचारों के द्वारा किसी भी प्रकार से इसको नष्ट कर सकते हैं।   Read More …

Public Program, Introduction to Mooladhara Chakra New Delhi (भारत)

Public Program, India, Delhi, 05-02-1981 आज मैं सहज योग और कुंडलिनी जागृति के बारे में सामान्य रूप से बात करने जा रहीं हूँ। सहज, जैसा कि आप जानते हैं, का अर्थ है,’सह’ साथ और ‘जा’आपके साथ पैदा हुआ। लेकिन शायद लोगों को एहसास नहीं है सहज का वास्तव में क्या अर्थ है। यह स्वतःस्फूर्त है लेकिन क्या है स्वतःस्फूर्त? स्वतःस्फूर्त वह नहीं है – मान लीजिए मैं कार में जा रहीं हूँ और अचानक कोई मिल जाए तो मैं कहूँ, ‘मैं अनायास/सहज ही उस व्यक्ति से मिल गई।’ सहज का अर्थ है, वह घटित होना जो कि एक जीवंत घटना है। यह एक जीवित वस्तु होनी चाहिए जो कि स्वतःस्फूर्त है; यह बहुत ही रहस्यमय शब्द है जिसे समझाया नहीं जा सकता और जो, इस बारे में बिना किसी ज्ञप्ति के घटित होता है, जो मनुष्य के लिए समझना संभव नहीं है, यही सहज है। सहज का अर्थ हो सकता है, यह बहुत सरल है, बहुत आसान है – यह है, इसे होना ही है। उदाहरण के लिए, ईश्वर ने हमें ये आँखें दीं हैं। ये अद्भुत आँखें जो मनुष्य को मिलीं हैं, ऐसा नहीं कि वे रंग देख सकतीं हैं वरन इसकी सराहना भी कर सकतीं हैं। भगवान ने उन्हें नाक दी है, जो इतनी अच्छी तरह से विकसित है कि यह गंदगी को महसूस कर सकती है – जानवर इसे महसूस नहीं कर सकते। आप एक मानव बन गए हैं, मैं एक मानव बन गईं हूँ, और हर कोई इंसान बन गया है – बन गया है – Read More …