
Shri Ganesha’s Birthday House in Pratishthan, पुणे (भारत)
Talk held in occasion of Shri Ganesha’s Jayanti. Pratishthan (India), 10 February 2008. […]
Talk held in occasion of Shri Ganesha’s Jayanti. Pratishthan (India), 10 February 2008. […]
Ganesh Puja 13 September 2003, cabella , italy
अब हम नन्हें बच्चों के सम्मुख हैं। यही बच्चे अवतरण हैं। यही (बच्चे) उत्थान प्राप्ति में, मानव जाति का नेतृत्व करेंगे। मानवता की देखभाल की जानी चाहिए। बच्चे कल की मानव जाति हैं और हम आज के हैं। अनुसरण करने के लिए हम, उन्हें क्या दे रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या है? ये कहना अत्यन्त-अत्यन्त कठिन है परन्तु सहज योग से वे सभी मर्यादित ढंग से चलेंगे,वे मर्यादित व्यवहार करेंगे। बहुसंख्या में सहजयोगी बनने से, […]
2000-09-16 श्री गणेश पूजा टॉक, केबेला,इटली, डीपी
आज, हम यहाँ एकत्र हुए हैं गणेश पूजा करने के लिए।
मैं भली-भांति जानती हूँ कि गणेश प्रतीक हैं पवित्रता के, निर्मलता के और पूजा करने के लिए अबोधिता की । जब आप श्री गणेश की पूजा कर रहे होते हैं तो आप को पता होना चाहिए कि वह अवतार हैं अबोधिता का ।
मैं जानने के लिए उत्सुक हूँ कि हम ‘ अबोधिता ‘ का अर्थ समझते हैं या नहीं । अबोधिता एक गुण है, […]
श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं श्रीगणेश पूजा, कबैला लीगर(इटली), 25 सितम्बर 1999
आज हम सब यहाँ पर श्रीगणेश की पूजा के लिये एकत्र हुये हैं। आप सभी जानते हैं कि वे कितने शक्तिशाली देवता हैं। उनकी ये शक्तियां उनकी अबोधिता से आती है। जब भी हम छोटे बच्चों को देखते हैं तो तुरंत ही हम उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और उनको प्यार करना चाहते हैं … उन्हें चूमना चाहते हैं और उनके साथ रहना चाहते हैं वे इतने अबोध होते हैं … […]
Shri Ganesha Puja. Cabella Ligure (Italy), 10 September 1995.
यदि कोई आपके पास मिलने के लिये आये तो क्या आपको मालूम है कि किस प्रकार से आपको जानबूझ कर अपनी ऊर्जा को उन पर प्रक्षेपित करना है ….. ये एक नई तरह की ध्यान विधि है जिसका अभ्यास आप सबको करना है…. अपनी ऊर्जा को उत्सर्जित करके अन्य लोगों तक पंहुचाना। इसमें आपको किसी से कुछ नहीं कहना है… बातचीत नहीं करनी है लेकिन सोच समझकर और जानबूझ कर इस ऊर्जा का अनुभव करना है …. […]
Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993.
यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, […]
Shri Ganesha Puja. Delhi (India), 5 December 1993.
आज हम श्री गणेश पूजा करने है | इस यात्रा की शुरूआत हो रही है और इस मौके पर जरूरी है कि हम गणेश पूजा करें खासकर दिल्ली में गणेश पूजा की बहुत ज्यादा जरूरत है। हालांकि सभी लोग गणेश के बारे में बहुत कम जानते हैं। और क्योंकि महाराष्ट्र में अष्ट विनायक हैं और महा गणपति देव तो गणपति पूले में हैं। इसलिए लोग गणेश जी को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या है? […]
Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja
[Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari]
महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, […]
Shri Ganesha Puja, Les Diablerets (Switzerland), 8 August 1989.
आज आप सब यहां मेरी श्रीगणेश रूप में पूजा के लिये आये हैं। हम प्रत्येक पूजा से पहले श्रीगणेश का गुणगान करते आये हैं। हमारे अंदर श्रीगणेश के लिये बहुत अधिक सम्मान है क्योंकि हमने देखा है कि जब तक अबोधिता के प्रतीक श्रीगणेश को हम अपने अंदर जागृत नहीं करते तब तक हम परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। परमात्मा के साम्राज्य में बने रहने के लिये और श्रीगणेश के आशीर्वादों का आनंद उठाने के लिये भी हमारे अंदर अबोधिता का होना अत्यंत आवश्यक है। अतः हम उनकी प्रशंसा करते हैं और वे अत्यंत सरलता से प्रसन्न भी हो जाते हैं। सहजयोग में आने से पहले हमने जो कुछ गलत कार्य किये हों उनको वे पूर्णतया क्षमा कर देते हैं क्योंकि वे चिरबालक हैं।
आपने बच्चों को देखा है, […]
दीवाली पूजा, “अबोधिता की शक्ति”
लेको (इटली), 25 अक्टूबर 1987।
पहला – हम श्री गणेश को नमन करते हैं क्योंकि श्री गणेश हमारे भीतर अबोधिता के स्रोत हैं। तो वास्तव में हम अपने भीतर की मासूमियत को नमन करते हैं। और यह वही अबोधिता है जो आपको ज्ञान देती है। जैसा कि मैंने कल तुमसे कहा था कि प्रकाश में निर्दोषता है, लेकिन यह निर्दोषता ज्ञान के बिना है। परन्तु तुम्हारी प्रबुद्धता ज्ञानमय अबोधिता है। हम हमेशा सोचते हैं कि जिन लोगों को ज्ञान है वे कभी अबोध नहीं हो सकते, […]
श्री गणेश पूजा, “श्री गणेश सिद्धांत की स्थापना”।
सैन डिएगो (यूएसए), 7 सितंबर 1986।
आज हम श्रीकृष्ण की धरती पर श्री गणेश जी का जन्मदिन मना रहे हैं।
यह कुछ बहुत ही अभूतपूर्व और बहुत महत्वपूर्ण मूल्य का है कि आपको श्री कृष्ण के पुत्र का जन्मदिन उनकी ही भूमि में मनाना चाहिए। आप जानते हैं कि श्री गणेश ने इस पृथ्वी पर महाविष्णु के रूप में अवतार लिया था और वे राधा के पुत्र थे, […]
श्री कार्तिकेय पूजा ग्रॉसहार्टपेनिंग, म्यूनिख (जर्मनी), 13 जुलाई 1986
मैं देर से आने के लिए माफी चाहती हूं। मुझे पता नहीं था कि यह कार्यक्रम इस तरह की एक सुंदर जगह पर है और यहाँ आप माइकल एंजेलो की एक खूबसूरत पेंटिंग देख रहे हैं, जो कि आपको बचाने तथा मदद करने की, आपके परम पिता की इच्छा को व्यक्त करती है और अब यह घटित भी हो रहा है ।
जर्मनी में हमारे साथ बहुत आक्रामक घटनाएं हुई हैं और इसने पश्चिमी जीवन पर सब और विनाशकारी प्रभाव डाला। मूल्य प्रणालियां टूट गईं, […]
श्री महागणेश पूजा
गणपतिपुले (भारत), 1 जनवरी 1986।
आज हम सब यहां श्री गणेश को प्रणाम करने के लिए एकत्रित हुए हैं।
गणपतिपुले का एक विशेष महत्व है क्योंकि वे महागणेश हैं। मूलाधार में गणेश विराट यानी मस्तिष्क में महागणेश बन जाते हैं। यानी यह श्री गणेश का आसन है। अर्थात श्री गणेश उस आसन से निर्दोषता के सिद्धांत का संचालन करते हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, जैसा कि वे इसे कहते हैं, […]
एक बच्चे सी अबोधितागणपतिपुले (भारत), 31 दिसंबर 1985।
गणपतिपुले एक बहुत ही खूबसूरत जगह थी और आप सभी के लिए बहुत सुकून देने वाली जगह थी इसके अलावा यहांआने का मेरा एक विशेष उद्देश्य था । कारण यह है कि – मैंने पाया कि इस जगह में चैतन्य थे जो आपको बहुत आसानी से स्वच्छ कर देंगे, सबसे पहले। लेकिन आपको इसकी इच्छा करनी होगी, वास्तव में, तीव्र्ता के साथ। आपको वह इच्छा रखनी चाहिए अन्यथा कुंडलिनी नहीं उठ सकती है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है; […]
श्री गणेश पूजा: पवित्रता का महत्व04-08-1985ब्राइटन फ्रेंड्स मीटिंग हाउस, ब्राइटन (इंग्लैंड)
आज हम यहां सही अवसर और बहुत ही शुभ दिन पर श्री गणेश की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री गणेश प्रथम देवता हैं जिनकी रचना की गई थी ताकि पूरा ब्रह्मांड शुभता, शांति, आनंद और आध्यात्मिकता से भर जाए। वह स्रोत है। वह अध्यात्म का स्रोत है। इसके परिणामस्वरूप अन्य सभी चीजें अनुसरण करती हैं। जैसे जब बारिश होती है और हवा चलती है तो आप वातावरण में ठंडक महसूस करते हैं। उसी तरह जब श्री गणेश अपनी शक्ति का उत्सर्जन करते हैं, […]
महामाया शक्ति
बर्मिंघम सेमिनार (यूके), 20 अप्रैल 1985. भाग 2
श्री माताजी: कृपया बैठे रहें।
क्या यह सब ठीक है?
क्या आप ठीक रिकॉर्ड कर रहे हैं?
सहज योगी: हाँ माँ
तो इसी तरह से महामाया के खेल होते हैं | उन्होंने हर चीज की योजना बनाई थी। उनके पास सारी व्यवस्था बनायीं थी और साड़ी गायब थी। ठीक है। तो उन्होंने आकर मुझे बताया कि साड़ी गायब है, तो अब क्या करना है? उनके अनुसार, […]
गुरु पूजा, ह्यूस्टन, यू.एस.ए, २० सितंबर १९८३
तो, आज हम सबसे पहले गणेश पूजा करेंगे, क्योंकि गणेश अबोधिता हैं और हमें उन्हें किसी भी ऐसे स्थान पर स्थापित करना चाहिये, जहाँ हम कोई कार्य आरंभ करना चाहते हैं या इसके विषय में कुछ करना चाहते हैं । क्योंकि वे अबोधिता हैं और अन्य कुछ और सृजित होने से पूर्व अबोधिता का सृजन हुआ था। मुझे कहना चाहिए कि यह सबसे प्रबल शक्ति है: अबोधिता।
और तब हम गुरु पूजा करेंगे, […]
श्री गणेश पूजा
1 मार्च 1983, पर्थ ऑस्ट्रेलिया
मुझे लगता है कि यह ज्ञान की गुणवत्ता है जो अभी भी कई ऑस्ट्रेलियाई लोगों में प्रकट हो रही है, जो बहुत से लोगो ने खो दिया है क्योंकि उन्होंने भौतिकवाद के घोर पक्ष को ले लिया है। श्री गणेश शुद्ध करने की अद्भुत शक्ति हैं, क्योंकि यह किसी के द्वारा दूषित नहीं किया जा सकते है, आप जो भी कोशिश कर ले , वह दूषित नहीं हो सकते है। केवल एक चीज है, […]
श्री गणेश पूजा
ट्रोइनेक्स, (जिनेवा, स्विटजरलैंड), 22 अगस्त 1982
वार्ता से पहले:
उन्हें बुलाओ, लोगों को बुलाओ। आप आगे चल सकते हैं और पीछे बैठ सकते हैं।
ग्रेगोइरे पूछते हैं कि क्या पूजा की व्याख्या होनी चाहिए क्योंकि कुछ नवागंतुक हैं।
श्री माताजी: क्या यहाँ कोई है जो अनुवाद कर सकता है? आपको दो व्यक्तियों की आवश्यकता है। आप यहां बैठ सकते हैं।
ग्रेगोइरे: मैं इतालवी में भी अनुवाद कर सकता हूँ
श्री माताजी : लेकिन क्या वह नहीं आए हैं? […]
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी,
‘खोज का उद्देश्य’
रॉयल एग्जीबिशन बिल्डिंग,
मेलबॉर्न, ऑस्ट्रेलिया
2 अप्रैल, 1981
मेलबॉर्न आ कर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। मैं यहां आई क्योंकि कोई व्यक्ति जो सिडनी आया था बोला, ‘मां आप को मेलबॉर्न जरूर आना चाहिए। हमें आप की आवश्यकता है।’ जब मैं यहां किसी और उद्देश्य से आई, मुझे अनुभव हुआ की मेलबॉर्न में चैतन्य वास्तव में बहुत अच्छा है, और ये बहुत संभव है, कि यहां अनेक साधक हो सकते हैं।
जैसे मैंने कहा, […]
1981-03-25 मूलाधार और स्वाधिष्ठान, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
सत्य के सभी साधकों को हमारा नमस्कार।
उस दिन, मैंने आपको पहले चक्र के बारे में थोड़ा बहुत बताया था, जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं और कुंडलिनी, जो त्रिकोणाकार अस्थि, जिसे sacrum (पवित्र) कहते हैं, में बची हुई चेतना है। जैसा मैंने आपको बताया था कि यह शुद्ध इच्छा शक्ति है, जो अभी तक जागृत नहीं हुई है और न ही आपके अंदर अभी तक प्रकट हुई है, जो यहाँ पर उस क्षण का इंतजार कर रही है जब वह जागृत होगी और आपको आपका पुनर्जन्म देगी, […]
Public Program
[Hindi Transcript] […]