11th Day of Navaratri Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा। कैबेला लॅक्गर (इटली), 8 अक्टूबर 2000. आज हम देवी की पूजा करने जा रहे हैं, हम उन्हें अम्बा कहते हैं, और कई अन्य नामों से। वह अंतिमा है, हमें कहना चाहिए, “अवशिष्ट शक्ति”। जब वह सभी कार्य पूर्ण कर चुकी होती है, तब वह कुंडलिनी बन जाती है और आप की त्रिकोणीय हड्डी में बस जाती है। यह मूलाधार चक्र है। लेकिन वास्तव में वह बाईं तरफ अधिक अभिव्यक्त होती है, क्योंकि, उस समय, वह विशुद्ध रूप से अम्बा है। सभी मनुष्यों के लिए यह बाईं बाजू बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपके पास कोई बाईं बाजू नहीं है, तो आप अपने आप को संतुलित नहीं कर सकते, शुरुआत में। और कहा जाता है कि वह आपको सहज योगी का वास्तविक व्यक्तित्व प्रदान करती है। ऐसा है कि, यदि आपकी बाईं नाड़ी कमजोर है, तो आपको उनकी पूजा करनी होगी, और उनसे अनुरोध करना होगा कि: “कृपया हमारी बाईं नाड़ी को समृद्ध करें।” आपकी बाईं नाड़ी को समृद्ध करके, वह क्या करती है, वह सुख प्रदाता है, इसलिए वह आपको क्या देती हैं? सबसे पहले, वह आपको सुख देती हैं। यह कहा जाता है कि वह आपको आराम देती है। ऐसा है कि, वह आपको नींद देती है। यदि आप भविष्य के बारे में बहुत अधिक सोच रहे हैं और आप भविष्य की योजना में बहुत लिप्त हैं, तो आपको कुछ समस्याएं हैं। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है, अगर आप सो सकते हैं, तो यह एक बड़ा आराम है, यह आपके लिए बहुत ही सुखद है, कि आप Read More …

8th Day of Navaratri, The Powers of Shri Mahakali Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला लिगरे (इटली), 17 अक्टूबर 1999 आज रात हम यहां देवी की पूजा करने के लिए एकत्र हुए हैं, जिन्हें की हम महाकाली कह सकते हैं – या दुर्गा। उन्होने कई प्रकार के रूप धारण किए हैं, उन नकारात्मक शक्तियों को मारने के लिए जो परेशान करने या बाधित करने की कोशिश कर रही हैं, या यहां तक ​​कि उन लोगों को विकसित करने के लिए जो सभ्य और अच्छे थे। उसके रूप विभिन्न प्रकार के हैं – जिसके बारे में हम जानते हैं कि, उन्होने कितने राक्षसों को नष्ट किया, उन्होने कितने दुष्टों को नष्ट किया। साथ ही हमें यह भी जानकारी नहीं हैं कि जो हमारे विश्व युद्ध हुए थे, वह सही प्रकार के लोगों की रक्षा के लिए वहां मौजूद थीं। और इस तरह वे सभी बहुत ही क्रूर और दुष्ट लोगों की खून खराबे की योजना, दुष्प्रयोजन से बच गए। दुष्ट लोगों में हर संभव तरीके से घृणा करने और अपनी घृणा व्यक्त करने की क्षमता होती है। वे वास्तव में पैदाइशी दुष्ट हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो ‘बुराई’ बन जाते हैं। जब वे दुष्ट पैदा होते हैं, तो आप उन्हें इस तरह पहचान सकते हैं: कि उनकी पूरी शैली अति आक्रामक और चीजों के प्रति इतनी प्रतिशोधी है। लेकिन नफरत की कोई सीमा नहीं है, बिल्कुल कोई सीमा नहीं है। क्योंकि, अगर वे नफरत करते हैं, अगर वे किसी से नफरत करते हैं, तो – बस उस नफरत को सही ठहराने के लिए – वे हर तरह की बातें कहेंगे। सिर्फ Read More …

7th Day of Navaratri, You all should depend on Paramchaitanya Campus, Cabella Ligure (Italy)

                 नवरात्रि पूजा, “शुद्ध ज्ञान”  कबेला (इटली), 27 सितंबर 1998 आप कल्पना नहीं कर सकते कि एक माँ, जिसके इतने सुंदर बच्चे हैं, उन्हें अपने परिवारों के साथ इतनी हर्षित मनोदशा में, अपने बच्चों को अच्छी तरह स्थापित देख कैसा महसूस करती है। आप सभी को इतना आनंद और परमात्मा के साथ पूर्ण एकाकारिता में देखकर बहुत संतोष होता है। किसी व्यक्ति को केवल एक ही बात समझनी है, कि यद्यपि आप बहुत हैं, फिर भी, इस दुनिया की आबादी की तुलना में, हम बहुत कम हैं जो वास्तव में सच्चे ज्ञान, वास्तविक ज्ञान को जानते हैं। बेशक, आप ज्ञानी लोग हैं। लेकिन साथ ही ऐसा ज्ञान जो सत्य से सुशोभित नहीं है, या जो सच्चा ज्ञान नहीं है, अर्थहीन है। वह सब कुछ हवा में गायब हो जाता है क्योंकि यह कृत्रिम है। अपने कुंडलिनी जागरण से, आप सभी ने वह अवस्था प्राप्त कर ली है, जहाँ हम कह सकते हैं, आप जानते हैं। आप जानते हैं कि वास्तविक ज्ञान क्या है। लेकिन उन लोगों के बारे में सोचो जो नहीं जानते कि ज्ञान क्या है। हम, उदाहरण के लिए, हम कहते हैं कि हमारा ज्ञान प्रेम के अलावा और कुछ नहीं है। लेकिन व्यक्ति को विवेकबुद्धि को समझना चाहिए। तुम्हारे भीतर, ज्ञान जो प्रेम है, वह तुम्हारे अस्तित्व से उत्सर्जित हो रहा है। आपको जताने की जरूरत नहीं है। आपको सोचने की जरूरत नहीं है। आपको किसी प्रकार की कविता पढ़ने या किसी प्रकार के प्रेम-प्रदर्शन में जाने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल शुद्ध प्रेम है जो उत्सर्जित Read More …

6th Day of Navaratri, Your Beautiful Qualities will prove the Truth of Sahaja Yoga Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-10-05 छठा दिन, नवरात्रि पूजा प्रवचन, कबेला,इटली आज नवरात्रि का छठा दिन है ।  देवी के अनेक अवतरण हुए हैं, विभिन्न विभिन्न उद्देश्यों के लिए। लेकिन महान संतों  ने जब स्वयं का आत्मनिरीक्षण किया, जो मॉं की पूजा कर रहे थे तो उन्हें पता चला कि उन्होंने हमारे लिए क्या किया है । दूसरे दिन मैंने आपको बताया था कि धर्म, मनुष्य का अंतर्निहित गुण है। और वे दस हैं। यह हमारे भीतर पहले से ही स्थापित है, लेकिन हम भटक जाते हैं, धर्म से भटक जाते हैं और सभी समस्याएं सामने आती हैं, क्योंकि धर्म छोड़ना मानव का गुण नहीं है। लेकिन देवी ने खुद हमारे लिए,हमारे भीतर पहले से ही बहुत सारे काम किए हैं, हालांकि हमें इसका बोध नहीं है । कहा जाता है कि “या देवी सर्व भूतेषु”- “वे सब लोग  जिनको आपने बनाया है” – अर्थात ज्यादातर मनुष्य – “आप क्या करती हैं? मनुष्य के अंदर आप किस रूप में मौजूद हैं? अब जरा आत्मनिरीक्षण करें कि आपके भीतर ये गुण हैं या नहीं, क्योंकि ये आपको देवी द्वारा दिए जाते हैं, आपके भीतर की शक्ति के द्वारा । जैसे: “या देवी सर्व भूतेषु शांति रूपेणा संस्थिता” – ये बहुत महत्वपूर्ण है, कि आप मनुष्यों के भीतर शांति के रूप में विद्यमान हैं । क्या आप ऐसे मनुष्य पाते हैं जो भीतर और बाहर शांतिपूर्ण हैं? बहुत मुश्किल है। लेकिन उन्होंने आपको यह दिया है कि, उन्होंने आपको वह शांति दी है जिसे आपको प्राप्त करना है। अब यह होता है, क्योंकि आप अपने मानव Read More …

8th Day of Navaratri: Be Aware Of Your Own State Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला लिगरे (इटली), 20 अक्टूबर 1996 आज एक विशेष दिन है, जैसा कि आप जानते हैं कि हम देवी की पूजा कर रहे हैं, जो इस धरती पर नौ बार पहले आई थीं, सभी राक्षसों और सभी नकारात्मकता को मारने और सभी भक्तों को आराधना करने के लिए राहत देने के लिए। उसके सभी कार्यों का वर्णन पहले ही किया जा चुका है। इसके बावजूद वे पाते हैं कि, नए प्रकार के शैतान, नए प्रकार के नकारात्मक लोग, वापस आ गए हैं। शायद होना ही था। शायद यही होना था, आखिर यह कलियुग है और जब तक वे ना हों,  कलियुग का नाटक नहीं किया जा सकेगा। तो इस ड्रामा को पूरा करने वे आए थे। लेकिन इस बार बहुत अलग तरह का युद्ध होने जा रहा है। यह शांतिपूर्ण लोगों का युद्ध होने जा रहा है और शांतिपूर्ण लोग जीवन के हर क्षेत्र में सबसे सफल लोग हैं, यहां तक ​​कि युद्ध में भी। पहले ऐसा कार्यान्वित नहीं हुआ करता था। वे कहते हैं कि जब चंगेज खान आया, तो वह गया के पास, बौद्ध के एक बहुत बड़े मठ में गया, और उन सभी को मार डाला, वहां लगभग 30,000 बौद्ध थे, और उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा और वे सभी मारे गए। इसलिए लोगों ने बौद्ध धर्म में अविश्वास करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “यहां किस तरह का बौद्ध धर्म है, बुद्ध ने उन्हें क्यों नहीं बचाया। ऐसी है मानवीय सोच है। बुद्ध को इन 30,000 लोगों को बचाना चाहिए था जो शांतिपूर्ण Read More …

9th Day of Navaratri, Reintrospect Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

                      नवरात्रि पूजा कबेला (इटली), 24 अक्टूबर 1993। आज हम यहां देवी की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। देवी के कई रूप हैं, लेकिन वह शक्ति का अवतार हैं। आदि शक्ति इन सभी अवतारों को शक्ति देती है और इसलिए हमारे पास कई देवी हैं। अलग-अलग समय पर वे इस धरती पर आए और जो साधक लोग थे उनके उत्थान के लिए वह सब किया जो आवश्यक था। विशेष रूप से जिसे हम जानते हैं, जगदम्बा, दुर्गा। वह सत्य के सभी साधकों की रक्षा करने और सभी बुरी ताकतों को नष्ट करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि मनुष्य अपने उत्थान के बिना सत्य को नहीं जान पाते हैं, और इसलिए वे जो कुछ भी करने की कोशिश करते हैं वह एक मानसिक प्रक्षेपण (कल्पना)है, और यह मानसिक प्रक्षेपण, यदि यह सत्य पर, धर्म पर आधारित नहीं होता है, इसका पतन होता है। संस्कृत में इसे ग्लानी कहते हैं। जब यह ग्लानी होती है, तब अवतारों का जन्म होता है-समस्या को हल करने के लिए। देवी के सभी अवतारों के दौरान शैतानी ताकतों का भी बहुत अधिक अवतार हुआ है, उन्होंने अवतार लिया था, और देवी को उनसे युद्ध करके उन्हें नष्ट करना पड़ा था। लेकिन यह विनाश केवल विनाश की ख़ातिर नहीं था कि बुरी ताकतों को नष्ट कर दिया जाए, बल्कि बुरी ताकतें हमेशा साधकों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, संतों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती हैं, कभी-कभी उन्हें नष्ट भी कर देती हैं। ये सभी विनाशकारी Read More …

1st Day of Navaratri, 10th Position Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा कबेला लिगरे (इटली), 27 सितम्बर 1992। आज नवरात्रि का पहला दिन है। और जब मैंने पाया कि बारिश हो रही है और सभी प्रकार की समस्याएं हैं, और विष्णुमाया कुछ सुझाव दे रही थी, तो मैंने जरा कैलेंडर देखा, और आप यह जानकर चकित होंगे कि कैलेंडर में लिखा है कि पांच पैंतालीस तक यह शुभ नहीं है यह अशुभ है। पाँच पैंतालीस के बाद ही उचित शुरूआत होती है, तो ज़रा सोचिए, गणना करके यह कैसे सही था कि पाँच पैंतालीस के बाद ही हमें यह पूजा करनी थी, पाँच पैंतालीस के बाद। यानी इटली में या यूरोप में नवरात्रि का पहला दिन पांच पैंतालीस के बाद शुरू होता है। तो यह कुछ ऐसा है जिस से हमें समझना चाहिए कि चैतन्य सब कुछ कर रहा है, और वह सभी सुझाव दे रहा है; क्योंकि मैंने तो देखा ही नहीं था, जिसे आप तिथि कहते हैं, लेकिन मुझे बस ऐसा लगा, मैंने कहा कि यह हम शाम को रख लेंगे। और जब मैंने ऐसा कहा, मैंने कहा “चलो इसे देखते हैं,” और यही हो गया। हमें कितनी चीज़ें देखनी हैं, कि जो कुछ भी रहस्योद्घाटन तुम्हे हुआ है, तुम उसकी पुष्टि कर सकते हो। उदाहरण के लिए, मैंने बहुत पहले कहा था कि मूलाधार चक्र कार्बन, कार्बन परमाणु से बना है, और यदि आप इसे बाएं से दाएं-नहीं दाएं से बाएं, बाएं ओर देखते हैं तो आपको अन्य कुछ नहीं अपितु स्वास्तिक दिखाई देता है। तो, अब आप बाएं से दाएं देखते हैं, फिर आप ॐ देखते Read More …

6th Day of Navaratri, Recognize Me Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला (इटली), 13 अक्टूबर 1991 आज हम यहां नवरात्रि पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। नौ बार ऐसा हुआ था जब इस ब्रह्मांड की मां के प्रमुख अवतार प्रकट हुए थे। वे एक उद्देश्य के साथ प्रकट होते हैं। वह उद्देश्य अपने भक्तों, अपने शिष्यों, अपने बच्चों की रक्षा करना है। यह एक प्रेम का बंधन था, वह इससे बच नहीं सकती थी। माँ की ममता एक बंधन है, वह उससे बच नहीं सकती। और उसे उसे अभिव्यक्त करना ही होता है, उसे कार्यान्वित करना है और अपने सभी बच्चों को वह सुरक्षा देनी है। आधुनिक समय में इस सुरक्षा ने दूसरा रूप धारण कर लिया है। उन दिनों शैतान उन लोगों को नुकसान पहुँचाने, नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे, जो धर्मी थे, जो भक्त थे, जो अच्छे काम कर रहे थे, जो एक बहुत ही धार्मिक जीवन जीना चाहते थे। इसलिए उन्हें बचाने के लिए उन्होंने अवतार लिया। उनकी रक्षा के लिए उन्होंने अवतार लिया। लेकिन वे जानते थे कि क्या अच्छा है, वे जानते थे कि क्या गलत है और वे अपने अच्छे जीवन, अपने कीमती जीवन को संरक्षित करना चाहते थे। उन्हें धन की परवाह नहीं थी, उन्हें सत्ता की परवाह नहीं थी, लेकिन वे सिर्फ अपना जीवन चाहते थे, यानी वे जीवित रहना चाहते थे, देवी की पूजा करना चाहते थे। और जब वे इन शैतानी शक्तियों से परेशान या नुकसान या नष्ट हुए, तो उसे प्रकट होना पड़ा। लेकिन आधुनिक समय में यह बहुत जटिल हो गया है क्योंकि आधुनिक Read More …

6th Day of Navaratri, Complete dedication Weggis (Switzerland)

Navaratri puja. Weggis (Switzerland), 19 October 1985 आज नवरात्रि का महान दिन है। हम छठे और सातवें दिन के मध्य में बैठे हैं। षष्ठी और सप्तमी वह दिन है,जब महासरस्वती ने अपना कार्य संपन्न किया और शक्ति ने इसे स्वयं प्रारंभ किया। इसलिए आज बारह बजे देवी स्वयं शक्ति को धारण करेंगीं। वास्तव में, जैसा आप जानते हैं कि महाकाली और महासरस्वती दोनों श्री सदाशिव की शक्तियां हैं। आदिशक्ति ने सबसे पहले स्वयं को महाकाली के रूप में बनाया ,जो कि इच्छा की शक्ति हैं। लेकिन यह शक्तियां और कुछ भी नहीं है, बल्कि ईश्वर के प्रेम की ही शक्ति हैं। इसलिए इस ईश्वरीय महान प्रेम के क्रम में, आदिशक्ति को सर्वप्रथम इच्छा की शक्ति के रूप में निर्मित होना पड़ा। इसी प्रकार से सहजयोगी, जो इस प्रेम की शक्ति से आशीर्वादित किए गए हैं,उन्हें अपने हृदय में पूर्ण इच्छा रखनी चाहिए। प्रेम करने की इच्छा। वह इच्छा मनुष्य के दूसरे तरह के मानवीय प्रेम से, हम जानते है उस प्रेम से बिल्कुल अलग है। अन्य मानवीय प्रेम के दूसरे तरह के प्रेम में, जब हमारा सम्बन्ध दूसरों के साथ होता है तो हम उनसे उम्मीदें रखते हैं। यही कारण है कि यह बहुत निराशाजनक होता है। हमारी अपेक्षाएं हमेशा हमारी समझ और वास्तविकता से बहुत अधिक होती हैं। यही कारण है कि हम निराशा और कुंठा से ग्रस्त हो जाते हैं। और वही प्रेम जो पोषित करने वाला और परिपूर्ण करने वाला होना चाहिए, वह व्यर्थ हो जाता है। इसलिए जब यह प्रेम मनुष्य में प्रतिबिंबित होता है, तब Read More …

Chaitra Navaratri Puja New Delhi (भारत)

सहजयोगियों के लिये भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का महत्त्व दिल्ली , २५/३/१९८५ आज नवरात्रि के शुभ अवसर पर सबको बधाई ! सहजयोग के प्रति जो उत्कण्ठा और आदर प्रेम आप लोगों में है वो जरूर सराहनीय है, इसमें कोई शंका नहीं। क्योंकि जो हमने उत्तर हिन्दुस्तान की स्थिति देखी है वहाँ पर हमारी परम्परागत जो कुछ धारणाएँ हैं उसी प्रकार शिक्षा प्रणालियाँ हैं, सब कुछ खोई हुई हैं । बहुत कुछ हम लोगों का अतीत मिट चुका है और हम लोग एक उधेड़बुन में लगे हुए हैं कि नवीन वातावरण, तीन सौ साल की गुलामी के बाद स्वतन्त्रता पाने पर तैयार हुआ, वो एक बहुत विस्मयकारी जरूर है, लेकिन विध्वंसकारी भी है । माने कि जैसे कि हम अपने मूलभूत तत्त्वों से उखड़ से गए हैं। उनका सिंचन नहीं हुआ, ये बात जरूर है, लेकिन जो कि हमारा भी रुझान ज्यादा बाह्य की ओर रहा। ये उत्तर हिन्दुस्तान पर एक तरह का शाप सा है। उत्तर प्रदेश में मैं सोचती हूँ कि सीताजीके साथ जो दुर्व्यवहार किया गया उसके फलस्वरूप अब मेरे ख्याल से धोबियों का ही राज शुरू हो गया है। और बड़ी दुःख की बात है कि जब आप उत्तर प्रदेश में सफर करते हैं तो देखते हैं कि लोगों में उथलापन, अधूरापन, अश्रद्धा, अनास्था आदि इतने बुरे गुण आ गये हैं कि लगता नहीं है कि वहाँ कभी सहजयोग पनप सकता है। बड़ा दूसरी बात बिहार, पंजाब, हर जगह ये पाया जाता है कि हम अपने को कहलाते हैं कि हिन्दू या भारतीय हैं, लेकिन हम अपनी Read More …

8th Day of Navaratri: What We Have To Do Within Ourselves, Talk After the Puja Complexe sportif René Leduc, Meudon (France)

1984-09-30 नवरात्रि पूजा वार्ता: हमे अपने भीतर क्या करना है,पेरिस, फ्रांस  आज नवरात्रि का आठवां दिन है, और यह सहज योगियों के लिए महान दिन है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण समय है। यानी हम सातवां चक्र पार कर चुके हैं, और हम आठवें चक्र पर हैं। हमें यह सोचने की आवश्यकता नहीं कि देवी ने आठवें दिन क्या किया, हमें आज यह सोचना होगा कि हमें अपने भीतर क्या करना है। सातवें दिन को पार करने के बाद, सातवें चक्र को पार करने के बाद-जो कि वास्तव में आप का  आध्यात्मिक उत्थान है, हमें आठवें पर क्या करना चाहिए? यह कितना सहज है कि आज अष्टमी का दिन है, क्योंकि इसी दिन देवी ने दुष्टों, शैतानों और राक्षसों का वध किया। उन्होंने यह अपने बल से स्वयं ही किया। अब यह शैतानी शक्तियां  मनुष्य में भी प्रकट हो रही हैं। वह फैल चुके हैं। यह शक्तियां हमारे भीतर हैं। इसलिए हम सभी को अपने भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। युद्ध अपने भीतर है, बाहर नहीं। पहले जब आप सातवें चक्र को पार करते हैं और आप आठवें पर होते हैं, तो आप याद रखें कि पहले आपको स्वयं के भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। आप सब बहुत बुद्धिमान लोग हैं, कभी-कभी कुछ अधिक ही बुद्धिमान। इसलिए मैं जो कुछ भी कहती हूं आप उसे उलट देते हैं, और इसे आप अपनी बुद्धि से उपयोग करने का प्रयत्न करते हैं। लेकिन इसमें आपकी भलाई नहीं है। यह आपके ‘हित’ के लिए नहीं, आपके भले के लिए नहीं है। आप Read More …

Navaratri Puja Hampstead (England)

नवरात्रि पूजा, हैंपस्टड, लंदन 23 सितंबर) हम नवरात्रि का त्योहार क्यों मनाते हैं? हृदय में देवी की शक्तियों को जागृत करना ही नवरात्रि मनाना है… जो शक्ति इन सभी 9 चक्रों में है उसको जानना और जब वे जागृत हो जांय तो आप स्वयं के अंदर उन 9 चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से अभिव्यक्त करना हैं। सात चक्र और हृदय और चांद मिलाकर ये 9 चक्र हुये। परंतु मैं कहूंगी कि ये सात और इनके ऊपर दो अन्य चक्र जिनको विलियम ब्लेक ने भी आश्चर्यजनक व स्पष्ट रूप से 9 ही कहा था। इस समय मैं आपको उन दो ऊपर के चक्रों के विषय में नहीं बता सकती। क्या इन चक्रों की शक्तियों को हमने अपने अंदर जागृत कर लिया है? किस तरह से आप ये कर सकते हैं? आपके पास तो समय ही नहीं है। आप सब लोग तो अत्यंत व्यस्त और अहंवादी लोग हैं इन शक्तियों को जागृत करने के लिये हमें इन चक्रों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। जहां भी मैं गई, मुझे आश्चर्य हुआ….. जो प्रश्न उन्होंने मुझसे पूछे …..किसी ने भी मुझसे अपने परिवार, घर, नौकरी या अन्य किसी बेकार बात के बारे में नहीं पूछा …… उन सबने मुझसे पूछा कि माँ हम इन चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से विकसित करें। मैंने उऩसे पूछा कि आप किसी एक चक्र विशेष के बारे में कैसे पूछ रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे अंदर अभी बहुत कमियां है … या मेरे अंदर यही चक्र ठीक नहीं है। अब किसी साक्षात्कारी Read More …

1st Day of Navaratri: Innocence and Virginity Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                नवरात्रि पूजा, “अबोधिता और कौमार्य” सभी आस्थाओं का मंदिर, हैम्पस्टेड, लंदन (इंग्लैंड) 17 अक्टूबर 1982  आज, यह बहुत अच्छी बात है कि हम इंग्लैंड में वर्जिन (कुँवारी) की पूजा मना रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, सहज योग के अनुसार, इंग्लैंड हृदय है जहां शिव की आत्मा निवास करती है। और यह कि वर्जिन (कौमार्य) को उच्च मान्यता और सम्मान किया जाना चाहिए और इंग्लैंड में पूजा की जानी चाहिए, मुझे लगता है कि सभी सहज योगियों के लिए यह एक बड़ा सम्मान है। अब किसी को यह सोचना होगा कि कुँवारी को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। क्यों एक कुँवारी का उस हद तक सम्मान किया जाता है। कुँवारी की शक्तियां क्या हैं? कि वह उस महिमा के एक बच्चे को गर्भ में धारण कर सकती है जो कि ईसा-मसीह थे, कि वह अपने शरीर से श्री गणेश को बना सके, कि वह अपने बच्चों की अबोध, गतिशील शक्ति की रक्षा कर सके जो निरहंकारी हैं, जो नहीं जानते कि अहंकार क्या है। तो यह महान बल और शक्ति उस शख्सियत में निवास करती है जिसके पास बहुत सारे “गुरु पुण्य” [गुरु गुण] हैं, जिन्होंने पिछले जन्मों में बहुत सारे अच्छे काम किए हैं, जिन्होंने हमेशा यह समझा है कि कौमार्य किसी भी अन्य शक्ति की तुलना में ऊँची शक्ति है और जो कौमार्य और शुद्धता की उसके सभी प्रयासों और देखभाल के साथ रक्षा करेगी। जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे शरीर के भीतर उसे कुंडलिनी के रूप में रखा गया है, जिसका अर्थ है Read More …

Navaratri Celebrations मुंबई (भारत)

             कुंडलिनी और श्री कल्कि के बीच संबंध   अंतिम से एक रात पूर्व नवरात्रि  बॉम्बे (भारत), 28 सितंबर 1979। आज मैं आपकी इच्छानुसार अंग्रेजी भाषा में आपको संबोधित करने जा रही हूं। कल भी, शायद, हमें इस विदेशी भाषा का प्रयोग करना पड़ सकता है। आज का विषय है, कुंडलिनी और कल्कि के बीच संबंध| कल्कि शब्द वस्तुत: निष्कलंक का संक्षिप्त रूप है। निष्कलंक का अर्थ, मेरे नाम के समान ही है, अर्थात निर्मला:, तात्पर्य यह बेदाग स्वच्छ है, कुछ ऐसा जो बेदाग हो, निष्कलंक ऐसा स्वच्छ है, जिस पर कोई धब्बा नहीं है। अब इस अवतार का – अनेकों पुराणों में वर्णन किया गया है कि -वे  इस धरती पर सफेद घोड़े पर सवार होकर आएंगे, संभलपुर के एक गांव में, ऐसा वे कहते हैं, संभलपुर। यह बहुत दिलचस्प है कि किस प्रकार लोग हर चीज को इतने शाब्दिक रूप में ले लेते हैं। सम्भाल शब्द का अर्थ इस प्रकार है…, भाल अर्थात माथा, सम्भाल का अर्थ है उस अवस्था में। अर्थात कल्कि आपके भाल पर स्थित है। भाल मतलब माथा। और यहीं उनका जन्म होने वाला है। संभलपुर शब्द का वास्तविक अर्थ यही है। ईसा मसीह और उनके विनाशकारी अवतार महाविष्णु जिन्हें कल्कि कहा जाता है, के बीच में एक काल खंड है जिस में मनुष्य को खुद को सुधारने के लिए समय दिया गया है, ताकि वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकें, जिसे बाइबिल में लास्ट जजमेंट कहा जाता है कि, तुम्हारा न्याय किया जाएगा, तुम सब का, इस पृथ्वी पर न्याय किया जाएगा। वे ऐसा Read More …