
Makar Sankranti Puja House in Pratishthan, पुणे (भारत)
Makar Sankranti. Pratishtan (India), 2008. […]
Makar Sankranti. Pratishtan (India), 2008. […]
Makar Sankranti Puja 14th January 2001 Date: Place India Type Puja
[Hindi translation from Marathi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]
अत्याधिक कर्मकाण्ड करने वाले लोग जल्दी से परिवर्तित नहीं होते हमें अपने कि तप करो, उपयास करो पति-पत्नी का स्वभाव परिवर्तित करने चाहिए। उत्तर भारत में कर्मकाण्ड इतने अधिक नहीं हैं। वे लोग तपस्या से कहीं श्रेष्ठ है। भक्ति आनन्द का गंगा में स्नान करते है परन्तु अब उनमें बहुत स्रोत है। सहजयोग अपनाने वाले लोगों को बदलाव आया है बहुत से सुशिक्षित लोग न कोई तपस्या करनी है न कुछ त्यागना है। सहजयोग में आए हैं और उन्हें देखकर आश्चर्य जहाँ हैं वहीं पर सब कुछ पाना है। होता है । महाराष्ट्र के लोगों को यदि कहा जाए त्याग करो तो वे ये सब करेंगे। परन्तु भक्ति आत्मसाक्षात्कार अन्य लोगों को भी देना चाहिए नहीं तो आत्मसाक्षात्कार का क्या लाभ है? […]
Shri Hanumana puja. Pune (India), 31 March 1999.
[Hindi Transcript]
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari आज हम लोग श्री हनुमान जी की जयन्ती भी चित्र बनाते हैं तो पहले हनुमान जी का ही मना रहे हैं हनुमान जी के बारे में क्या कहें कि वो जितने शक्तिवान थे जितने गुणवान थे उतने ही वो श्रद्धामय और भक्तिमय थे। अधिकतर, ऐसा मनुष्य जो बहुत शक्तिवान हो जाता है, बहुत जो कुछ भी हमने अपने उत्क्रान्ति में, […]
4-12-1994 Shri Rajlaxmi Puja, Delhi
आज हम राजलक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं,
मतलब वह देवी जो राजाओं पर शासन करती है। आज यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मूल रूप से कुछ गलत हो रहा है हमारी राजनीतिक व्यवस्थाओं की
कार्यप्रणाली में और क्यों लोगों ने अपनी न्याय, निष्पक्ष व्यवहार
और परोपकार की भावना को खो दिया है।
हम कहाँ गलत हो गए हैं कि ये सब खो रहा है?
ये केवल भारत में नहीं, […]
Shri Surya puja. Kalwe (India), 14 January 1990.
Table of Contents[Hindi Transcript][English Transcript]
[Hindi Transcript]
1990-0114 मकर सक्रांति पूजा, कलवे,
आज के इस शुभ अवसर पे, इस भारतवर्ष में, हर जगह खुशियां मनाई जा रही हैं। इसका कारण यह है कि, सूर्य, जो हमें छोड़ कर के, भारत को छोड़कर और मकर वृत्त पे गया था, वह अब लौट के आया है। और पृथ्वी और सूर्य के युति के साथ, जो जो वनस्पतियां खाद्यान्न आदि चीजें होती हैं, […]
‘आप सभी देवदूत हैं’: श्री हनुमान पूजा, मार्गेट, केंट, (यूके), 23 अप्रैल 1989
आज का यह दिवस बहुत ही आनंदमय है, और सम्पूर्ण वातावरण इससे उत्साहित लग रहा है, जैसे कि देवदूत गा रहें हों । और श्री हनुमान की यही विशेषता थी कि वे एक देवदूत थे । देवदूत, देवदूतों की भांति ही जन्म लेते हैं । वे देवदूत हैं, और वे मनुष्य नहीं हैं । वे दैवीय गुणों के साथ जन्म लेते हैं । लेकिन अब, […]
श्री राम पूजा
लेस अवंत्स (स्विट्जरलैंड), 4 अक्टूबर 1987।
आज हम स्विट्जरलैंड में दशहरा दिवस पर श्री राम के राज्याभिषेक का जश्न मना रहे हैं। दशहरा दिवस पर कई बातें हुईं। सबसे खास बात यह थी कि इसी दिन श्री राम का राजा के रूप में राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन उन्होंने रावण का वध भी किया था। कई लोग कह सकते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है कि उन्होंने रावण को मारा और उसी तारीख को उनका राज्याभिषेक हुआ? […]
Makar Sankranti Puja 14th January 1987 Date: Place Rahuri Type Puja
[Hindi translation from Marathi talk]
आज का दिन बहुत शुभ है और इस दिन हम लोगों को तिल-गुड़ देकर मीठा-मीठा बोलने को कहते हैं। हम दूसरों को तो कह देते हैं, पर खुद को भी कहें तो अच्छा होगा। क्योंकि दूसरों को कहना बहुत आसान होता है। यह प्रतीत होता है कि – आप तो मीठा बोलें और हम कड़वा – इस तरह की प्रवृत्ति से कोई भी मीठा नहीं बोलता। कहीं भी जाओ , […]
Makar Sankranti Puja Date 14th January 1985: Place Mumbai Type Puja
[Hindi translation from English talk]
अब आपको कहना है, कि इतने लोग हमारे यहाँ मेहमान आए हैं और आप सबने उन्हें इतने प्यार से बुलाया, उनकी अच्छी व्यवस्था की, उसके लिए किसी ने भी मुझे कुछ दिखाया नहीं कि हमें बहुत परिश्रम करना पड़ा, हमें कष्ट हुए और मुंबईवालों ने विशेषतया बहुत ही मेहनत की है। उसके लिए आप सबकी तरफ से व इन सब की तरफ से मुझे कहना होगा कि मुंबईवालों ने प्रशंसनीय कार्य किया है । अब जो इन से (विदेशियों से) अंग्रेजी में कहा वही आपको कहती हूं। आज के दिन हम लोग तिल गुड़ देते हैं। क्योंकि सूर्य से जो कष्ट होते हैं वे हमें न हों। सबसे पहला कष्ट यह है कि सूर्य आने पर मनुष्य चिड़चिड़ा होता है। एक-दूसरे को उलटा -सीधा बोलता है। उसमें अहंकार बढ़ता है। सूर्य के निकट सम्पर्क में रहने वाले लोगों में बहुत अहंकार होता है। इसलिए ऐसे लोगों को एक बात याद रखनी चाहिए, […]
मकर संक्रांति पूजा, आंतरिक क्रांति
मुंबई (भारत), 14 जनवरी, 1984
मैं योग के इस महान देश में विदेश से आए सभी सहजयोगियों का स्वागत करती हूं। यह मुझे बहुत खुशी देता है; आज इस विशेष अवसर को मनाने के लिए दुनिया भर से, देश भर से आने वाले सहज योगियों को देख कर मेरे पास व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। आज का दिन इतना शुभ है कि आप सब को यहां होना ही है; […]
Shri Saraswati Puja, Dhulia (India), Sankranti day, 14 January 1983.
English to Hindi translation
HINDI TRANSLATION (English Talk) Scanned from Hindi Chaitanya Lahari प्रेम से सभी प्रकार की सृजनात्मक गतिविधि जो नहीं सुहाते वे सब लुप्त हो जाते हैं। यद्यपि ऐसा घटित होती है। आप देखिए कि किस प्रकार राऊल बाई मुझे प्रेम करती हैं और यहाँ आप सब लोगों को भी एक सुन्दर चीज़ के सृजन करने का नया विचार को प्रभावित नहीं करते, तो तुरन्त ये पदार्थ लुप्त प्राप्त हुआ है! […]
“राइट साइड,”
कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 18 मई 1981।
मैं आपसे राइट साइड, दायें तरफ की अनुकंपी प्रणाली Right Side sympathetic nervous system के बारे में बात करूंगी, जो हमारी महासरस्वती की सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा व्यक्त की जाती है, जो हमें कार्य करने की शक्ति देती है।
बाईं बाजु से हम कामना करते हैं और दाईं ओर, पिंगला नाड़ी की शक्ति का उपयोग करके, हम कार्य करते हैं।
मैं उस दिन आपको राइट साइड के बारे में बता रही थी। आइए देखें कि हमारा राइट साइड कैसे बनता है। जो लोग पहली बार आए हैं उनके लिए मुझे खेद है लेकिन हर बार जब मैं विषय का परिचय शुरू करती हूं, […]
“अनुकंपी और परानुकंपी”
डॉलिस हिल आश्रम। लंदन (यूके), 24 अप्रैल 1980।
एक्यूपंक्चर वास्तव में उस शक्ति का दोहन है जो पहले से ही हमारे भीतर है। अब उदाहरण के लिए, आपके पेट में एक निश्चित शक्ति है, ठीक है? अब पेट में आपके अन्य अंगों को लगातार इस शक्ति की आपूर्ति की जाती है, तथा अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के माध्यम से उसका उपयोग किया जाता है। परानुकम्पी इसे संग्रहीत करता है और अनुकंपी इसका उपयोग करती है।
अब मान लीजिए पेट में कोई बीमारी है। तो अब उसमें जो शक्ति है, […]