Adi Shakti Puja: You Have to Become Fragrant Campus, Cabella Ligure (Italy)

आप सभी को फिर से यहाँ देख कर बहुत अच्छा लग रहा है।मुझे लगता है कि इस स्थान पर हमारी पहली पूजा है, जो हमकर रहे हैं और मुझे आशा है कि आप सभी आराम से हैंऔर यहाँ पहुँचना सुविधाजनक रहा होगा ।आज वास्तव में बहुत ही महान दिन हैयह एक आदि शक्ति हैं, आदि शक्ति का उत्सव मनाना,और आदि शक्ति की उत्पति क्या है।मैंने इसके बारे में कभी बात नहीं की है,यह पहली बार है जब मैं आपको बताऊँगीकि आदि शक्ति आदि माँ है, वे शक्ति है,ईश्वर की शक्ति है,जो इस दुनिया को बनाना चाहती थी।और उन्होंने स्वयं ही इस महान दुनिया को बनाने की व्यवस्था की(क्या आप सब बैठ नहीं सकते?उनके लिए कोई जगह नहीं है या क्या है?कृपया बैठ जाएँ।वे क्यों खड़े हैं?आपके पीछे कुर्सियाँ हैं।यह सब ठीक है आप कुर्सियों पर बैठ सकते हैं।)यह सब नीचे गिर रहा है [माइक्रोफोन]। जहां तक ​​संभव हो आराम से रहें,अपने आप को अनावश्यक रूप से तनाव न दें।मुझे आशा है कि आप सभीको आराम से बैठने के लिए कुछ जगह मिल जाएगी।तो आज मैं आपको आदि शक्ति के विषय में बताने जा रही हूँ,जो एक बहुत ही प्राचीन विषय है।आदि शक्ति स्वयं ईश्वर की शक्ति है,और उन्होंने इस पृथ्वी पर ईश्वर का साम्राज्य स्थापित करने हेतु इस दुनिया का निर्माण किया।आप कल्पना कर सकते हैं कि यहाँ अंधकार के सिवाय और कुछ नहीं थाउसी अंधकार से उन्हें इन सभी सुंदर, चित्रमय वृक्षों और सभी प्रकार की वनस्पतियों की रचना करनी थी , वह उन्होंने बनाया। लेकिन इन सब चीजों Read More …

Adi Shakti Puja: Be One With Yourself First Campus, Cabella Ligure (Italy)

[English to Hindi translation] परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी आदि शक्ति पूजा कबेला, इटली 6 जून, 2004 आज की सभा बहुत विशेष है। आज का दिन भी बहुत बहुत विशेष है, अत्यधिक विशेष और अत्यंत परमानंद पूर्ण। इसका कारण है कि यह बात करता है और गाता है, और बताता है उत्पन्न करने की प्रणाली, उत्पन्न करने की शक्ति, मूलरूप, आदि और आदिकालीन के बारे में और यही एक इस महान ब्रह्मांड की रचना के लिए उत्तरदाई हैं। यह क्यों शुरू हुआ और यह किस तरह कार्य करता है यह आप पहले से ही जानते हैं। मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है। परंतु आज हमें उस शक्ति के बारे में बात करनी है जो आपके हृदयों में छुपी है जिसके द्वारा आप जो कुछ चाहे कर सकते हैं एक नए संसार, नए परिवार और नए मापदंडों की रचना के लिए, वह सब जो अभी तक अज्ञात है। यह काफी संभव है, काफी संभव है और यह किया जा रहा है। पर जो कठिन है वह है लोगों को अधिक अनुकूल बनाना, एक दूसरे से अधिक सामंजस्य बिठाना पूर्णत:। एक मुश्किल चीज लगती है। वे आपस में ठीक रहते हैं अगर उनके अपने मित्र हों, अपनी शैली हो और अपना सामान हो। लेकिन उन्हें पूर्णत: एक रूप बनाना एक दूसरे से एकरूप बनाना एक धुन में, एक पंक्ति में, बहुत बहुत कठिन है और यह करना भी नहीं चाहिए। यह होना नहीं चाहिए, वह ऐसे होने नहीं चाहिए, परंतु यह कार्यान्वित होना चाहिए। अब समस्या यह है कि हमारे पास Read More …

Adi Shakti Puja: We are the singers of Shri Mataji Campus, Cabella Ligure (Italy)

आदिशक्ति पूजा ,कबेला , लीगुरे , १५ जून २००३ छोटी पूजा के बाद बड़े ही उत्साह के साथ गोंडरी भजन गाया गया । अंत में , श्रीमाताजी ने कहा: मैं बहुत प्रसन्न हूँ, आप सभी यहाँ पर हैं, गोदड़ी के गीत गा रहे हैं। शायद, आपको अर्थ नहीं पता। अर्थात् हम श्रीमाताजी के गायक हैं।और वे गीत गाये गए हैं, लोगों द्वारा, जो ग्रामवासी हैं। और वे गीत गा रहे हैं कि हम गा रहे हैं, अपनी माता के गीत, उनके प्रति अपने सम्पूर्ण प्रेम के साथ। और वह सब गायन आप तक पहुँच गया है। बहुत-बहुत खुशी की बात है, मेरे लिए। क्योंकि वे केवल सामान्य ग्रामवासी हैं। और कैसे आपने चयन कर लिया, ऐसा अच्छा भाव, और गीत उनमें से।  परमात्मा आपको आशीर्वादित करे। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

Adi Shakti Puja: Use Your Right Side For Giving Realization Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्री आदि शक्ति पूजा, काबेला लिगुरे इटली, 2002 यह एक अलग दिन है, पूर्ण रूप से, आप सब के लिए क्योंकि यह पूजा है आदिशक्ति की और आदिशक्ति एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है। यह केवल बायाँ पक्ष नहीं  है जिसे आप जानते हैं। आप सभी केवल बायाँ पक्ष जानते हैं, श्री गणेश से, भिन्न-भिन्न चक्रों  के उत्थान से बायीँ नाड़ी में। मैं आपको बताना नहीं चाहती थी दाएँ पक्ष के बारे में, शुरुआत में, क्योंकि जो लोग दाएँ पक्ष से गुजरे हैं, वे बस खो गए। उन्हें गायत्री मंत्र मिला ग्रन्थों से, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह किस बारे में है, वे बस इसे रटते थे। वे इसका वास्तविक अर्थ भी नहीं जानते थे, और इसी तरह वे चले गए दाहिनी ओर और, मुझे नहीं पता, वे अटक गए आज्ञा पर; और फिर वे प्रयास कर रहे थे आत्म-साक्षात्कार के लिए। उन्हें भरोसा दिया गया था कि यदि आपने यह दायाँ पक्ष सही से किया तो आप पहुँच जायेंगे अंतिम लक्ष्य तक आत्म साक्षात्कार के। परन्तु उनमे से कोई भी वहां नहीं पहुँचा। उनमें से अधिकांश भयानक क्रोध में आ गए, भयानक क्रोध दूसरों को श्रापित करने का, दूसरों को नष्ट करने का। यह सारी बातें उन्होंने सीखीं अपने दाएँ पक्षीय आंदोलन से। कुण्डलिनी की जागृति नहीं थी, और उन्हें पहुँचाया गया ज़्यादा से ज़्यादा आज्ञा चक्र तक, और फिर उनका पतन हो गया पूर्ण अज्ञानता के भिन्न स्थानों में। ये सारी पुस्तकें लिखी गयी थीं बिना समझ के कि दाएँ पक्ष से हो कर जाना सरल नहीं है Read More …

Adi Shakti Puja: You Must Develop Humility Campus, Cabella Ligure (Italy)

१९९८- ०६ -२१, आदिशक्ति पूजा, कबैला, इटली                  आपको विनम्रता विकसित करनी होगी कारण कुछ भी हो, रूस के लोग खुले विचारों वाले होते हैं। इतना ही नहीं, विशेष रूप से वैज्ञानिक बहुत ही खुले विचार वाले हैं। और पहले उन्हें बहुत दबाया जाता था, इसलिए उन्होंने सूक्ष्मतर चीज़ों को खोजने का प्रयत्न किया। वह न केवल रसायनों के विषय या प्रकाश के कुछ भौतिक गुणों के बारे में पता लगा रहे थे बल्कि वह सूक्ष्मतर की ओर जाना चाहते थे और उन्होंने पहले से ही भौतिक आभा के विषय में गहन ज्ञान प्राप्त किया था – हाथों के चारों ओर की आभा और शरीर के आस-पास की आभा। उन्होंने बहुत शोध किया और उनकी खोज को विश्व भर में स्वीकार किया गया। अब यह सज्जन एक विशेषज्ञ थे, मुझे लगता है, क्योंकि वह एक बहुत ही जाने-माने, अत्यंत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और वह बहुत ऊँचे पद पर हैं। वह कह रहे थे कि उन्हें 150 संस्थाएँ चलानी पड़ती हैं – अति विनम्र और बहुत अच्छे व्यक्ति। और जब उन्होंने यह खोज की तो मैं एक प्रकार से प्रसन्न थी, क्योंकि वैज्ञानिक रूप से अगर यह प्रमाणित हो गया, तो कोई भी इसे चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने पहले से ही एक पुस्तक लिखी है जिसमें सभी बीजगणितीय जटिलताओं के बारे में बताया गया है, जिसे वह प्रमाणित करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वहाँ एक शून्य है, चेतना से परे एक शून्य क्षेत्र है। और केवल उस शून्य क्षेत्र में ही आप वास्तविकता को जान सकते हैं और एक बार Read More …

Adi Shakti Puja: Respect the Mother Earth Campus, Cabella Ligure (Italy)

Adi Shakti Puja 1997-05-25 आज हम आदिशक्ति की पूजा करने जा रहे हैं। आदिशक्ति के बारे में बात करना एक कठिन विषय है, क्योंकि यह समझना सरल नहीं है कि आदिशक्ति सदाशिव की शक्ति हैं। सदाशिव सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं। वह उनकी श्वास हैं, जैसा कि कुछ लोग इसे कहते हैं। कुछ कहते हैं कि वह इच्छा हैं और कुछ कहते हैं कि वह सदाशिव की संपूर्ण शक्ति हैं और सदाशिव उनकी शक्तियों के बिना कुछ नहीं कर सकते। इस विषय का वर्णन कई लोगों ने विभिन्न पुस्तकों में भिन्न- भिन्न तरीक़ों से किया है। परंतु वास्तव में हमें जाने की आवश्यकता नहीं है, आदिशक्ति के निर्माण की पृष्ठभूमि में। इसके लिए आपको कम से कम सात भाषणों की आवश्यकता होगी। परंतु हम उस मुद्दे पर आते हैं जब आदि शक्ति ने इस धरती माँ पर कार्य करना आरंभ किया था। पहली बात यह है कि हमें पता होना चाहिए, कि उन्होंने स्वयं धरती माँ में कुंडलिनी का निर्माण किया और उन्होंने धरती माँ में से ही श्री गणेश का सृजन किया, यह बहुत ही रोचक है। इसलिए धरती माँ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण  बन जाती हैं। यदि हम नहीं जानते कि धरती माँ का सम्मान कैसे किया जाए, तो हम नहीं जानते कि हमें स्वयं का सम्मान कैसे करना चाहिए। कुंडलिनी आपके भीतर आदि शक्ति की अभिव्यक्ति है, निःसंदेह। वह आप में आदिशक्ति का प्रतिबिंब है। परंतु धरती माँ में भी यह प्रतिबिंब व्यक्त किया गया है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, विभिन्न स्थानों में, विभिन्न देशों में, विभिन्न Read More …

Adi Shakti Puja Jaipur (भारत)

Adi Shakti Puja (Hindi). Jaipur (India), 11 December 1994. [Original transcript Hindi talk, scanned fromo Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग आदिशक्ति का पूजन कर रहे हैं। जिसमें सब कुछ आ जाता है। बहुत से लोगों ने आदिशक्ति का नाम भी नहीं सुना। हम लोग शक्ति के पुजारी हैं, शाक्तधर्मी हैं और महामाया स्वरूप था। आदिशक्ति को महामाया स्वरूप होना जरूरी है क्योंकि सारा ही शक्ति का जिसमें समन्वय हो, प्रकाश हो और हर तरह से जो हरेक शक्ति विशेष कर राजे-महाराजे सभी शक्ति की पूजा की अधिकारिणी हो उसे महामाया का ही स्वरूप करते हैं। सबकी अपनी-2 देवियाँ हैं और उन लेना पड़ता है। उसका कारण ये है कि जो प्रचण्ड शक्तियाँ इस स्वरूप में संसार में आती सब देवियों के नाम अलग-2 हैं। यहाँ की देवो का नाम भी अलग है, गणगौर। लेकिन आदिशक्ति हैं. सबसे पहले सुरकभि के रूप में आई थी ये का एक बार अवतरण इस राजस्थान में हुआ जो शक्ति, जो एक गाय थी। उसमें सारे ही देंबी वो सती देवी के रूप में यहाँ प्रकट हुई। उनका देवता बसे हैं और उसकोे बाद एक बार सती बड़ा उपकार है जो राजस्थान में अब भी अपनी देवी के रूप में, एक ही बार इस राजस्थान में अवतरित हुई। मैंने आपसे बताया कि मेरा संबंध संस्कृति, स्त्री धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, राजधर्म हरेक तरह के धर्म को उनकी शक्ति ने इस राजस्थान से बहुत पुराना है क्यांकि हमारे पूर्वज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सिसौदिया वश प्लावित किया, Nourish किया। सती देवी की Read More …

Adi Shakti Puja: She is the Mother Campus, Cabella Ligure (Italy)

आज आप सभी ने आदि शक्ति की पूजा करने का निर्णय लिया है। कुंडलिनी शक्ति या आदि कुंडलिनी और आदिशक्ति की पूजा करने में फ़र्क़ है, अंतर इस प्रकार है, एक ओर कुंडलिनी आप में आदि कुंडलिनी के द्वारा प्रतिबिंबित हैं; दूसरी ओर आदि शक्ति की शक्ति है, जो परम चैतन्य हैं तो समग्रता में अगर आप देखे तो इसके दो पहलू हैं। एक है परम चैतन्य के रूप में उसकी शक्ति  और उसके साथ ही मनुष्य में कुंडलिनी के रूप में उसका प्रतिबिंब। तीसरा कार्य जो आदि शक्ति को करना था वह इस पूरे ब्रह्मांड की रचना करना । शुरुआत के लिए जैसा आपने कल भी देखा कि ब्रह्मांड कैसे बनाया गया था  और फिर कैसे धरती माँ के इस विशेष ग्रह को बनाया गया।  अब मैंने आपको एडम (नर) और ईव (मादा) के बारे में जो बताया है, हमने पाया है कि जॉन ने अपनी किताब ज्ञानशास्त्र में भी कहा है।  यह बहुत आश्चर्यजनक है।  मैंने हमेशा आपको बताया है कि ईसा मसीह ने आपको बहुत सी बातें बताई होंगी, लेकिन वे बाइबिल में नहीं हैं। इसलिए यदि आप समझते हैं कि यह आदि शक्ति एक सर्प के रूप में आई हैं, तो आदि कुंडलिनी उसका हिस्सा है, और एडम और ईव से कहा, विशेष रूप से ईव से कि उसे ज्ञान का फल खाने के लिए कहना चाहिए। और इसका कारण जो मैंने दिया वह वहां लिखा है मैंने आपको बिलकुल वही दिया है क्योंकि मातृ शक्ति, नारी शक्ति नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे जानवरों की Read More …

Adi Shakti Puja: The Fruit of Knowledge Campus, Cabella Ligure (Italy)

आदिशक्ति पूजा- 1993-06-06 – कबेला, इटली आज हम सभी पूजा करने जा रहे हैं ‘मेरी’ पहली बार ! पूजा सदा रही है मेरे किसी स्वरूप की, या मेरे अंश की। अब, हमें  बहुत स्पष्ट रूप से जानना होगा कि आदि शक्ति क्या है? जैसा कि हम कहते हैं, यह परमेश्वर की शुद्ध इच्छा है, सदाशिव की। परन्तु क्या शुद्ध इच्छा है, सर्वशक्तिमान ईश्वर की ? यदि आप देखें, आपकी अपनी इच्छाओं को उनका स्त्रोत क्या है? दैवीय प्रेम में से नहीं, किन्तु शारीरिक प्रेम में से, भौतिक प्रेम में से, शक्ति के प्रेम में से । इन सभी इच्छाओं के पीछे प्रेम है। यदि आप किसी चीज़ से प्रेम नहीं करते हैं, तो आप उसकी इच्छा नहीं करेंगे। तो ये सांसारिक प्रकार के प्रेम जो आपके पास हैं,जिनके लिए हम अपना बहुत समय गवाँते हैं, व्यर्थ में। वास्तव में वे आपको संतुष्टि नहीं देते हैं।  क्योंकि वह सच्चा प्रेम नहीं है, जो आपके पास है । बस ‘मोह’ है थोड़े से समय के लिए  और फ़िर आप बस इससे तंग आ जाते हैं और यहाँ से आप कूद जाते हैं किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर । तो आदि शक्ति अभिव्यक्ति हैं परमेश्वर के दिव्य प्रेम की । यह परमेश्वर का शुद्ध प्रेम है और उनके प्रेम में, उन्होंने क्या चाहा? उन्होंने चाहा कि वे मनुष्यों का निर्माण करें जो बहुत आज्ञाकारी होंगे, उत्कृष्ट होंगे, स्वर्गदूतों की तरह होंगे। और यह उनका विचार था, आदम और हौवा को बनाने का। तो, स्वर्गदूतों Read More …

Shri Pallas Athena Puja: You have to be sincere and honest Athens, Sahaja Yoga Center in Athens (Greece)

                            श्री पल्लेस एथेना पूजा  एथेंस (ग्रीस), 26 अप्रैल 1993।  मेरे लिए यह बहुत अच्छा दिन है कि यहां इतने सारे सहज योगी को मिल रही हूँ जो इस देश, ग्रीस से हैं। जब मैं पहली बार ग्रीस आयी थी, मैंने अपने पति से कहा था कि यह देश चैतन्य से भरा है और इस देश में कई विकसित आत्माएं रही हैं, लेकिन शायद लोगों ने अपनी विरासत खो दी है, लेकिन वातावरण में चैतन्य हैं और एक दिन सहज योग यहां बहुत समृद्ध होना चाहिए। और किसी तरह, हम कुछ नौकरशाहों से मिले जो यूनानी थे और उनके साथ अनुभव अच्छा नहीं था और मेरे पति ने कहा कि “अगर आपने कहा कि यूनानी वास्तव में धार्मिक लोग हैं, तो इन लोगों को देखें। वे मेरे लिए क्या कर रहे हैं? मैंने कहा, “वे नौकरशाह हो सकते हैं और सभी जगह  नौकरशाहों के बारे में, आप यह नहीं कह सकते हैं कि वे किस तरह के लोग हो सकते हैं।” लेकिन, कुल मिलाकर, चैतन्य बहुत, बहुत अच्छा था, इसमें कोई संदेह नहीं है, और मैं यहां सभी स्थानों पर गयी, जैसे मैं डेल्फी गयी, मैं एथेना के मंदिर और सब कुछ देखने के लिए वहां गयी। सभी रुचि के स्थानों पर, उन्होंने मुझे विशेष रूप से मेरे लिए, चक्कर लगाया, क्योंकि वह अपने सम्मेलन में व्यस्त थे, इसलिए उन्होंने मुझे हर जगह घुमाया। और हर जगह मुझे लगा – यहां तक कि मैंने जो समुद्र महसूस किया वह बहुत सुंदर था। यह था करीब – मुझे लगता है कि मैं Read More …

Shri Radha Krishna Puja: The importance of friendship La Belle Étoile, La Rochette (France)

             श्री राधा कृष्ण पूजा, “दोस्ती का महत्व”  मेलून (फ्रांस), 9 जुलाई 1989। मैं वास्तव में अत्यंत प्रसन्न हूं कि इस पूजा के लिए फ्रांस में हमारे पास इतने सारे आगंतुक और फ्रेंच सहज योगी हैं। यह सामूहिकता को दर्शाता है, ऐसी सामूहिकता जो आप सभी को हर जगह से आकर्षित करती है, और यह कि आप उस सामूहिकता का आनंद लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन सामूहिकता की नींव, सामूहिकता का आधार बहुत गहरा है; और गहरी समझ ही आपको बता सकती है कि सामूहिकता का आधार निर्लिप्त प्रेम है। प्यार ही एक रास्ता है। सामूहिकता का होना तब तक संभव नहीं है जब तक कि आपने प्रेम को निर्लिप्त \ अनासक्त न बना लिया हो। फ्रेंच लोग, प्रेम के इतने प्रकार में अच्छे रहे हैं जिनके बारे में वे बात करते रहे हैं; और उन्होंने किताबों के बाद किताबें, उपन्यासों के बाद उपन्यास लिखे हैं और प्यार की बात करने के लिए बहुत सारे रोमांटिक और गैर रोमांटिक और हर तरह का माहौल बनाया है। लेकिन शुद्ध प्रेम, जैसा कि हम सहज योग में समझते हैं, अब सहज योगियों द्वारा आपस में व्यक्त किया जाना है। आखिर हम सब एक ईश्वर द्वारा बनाए गए इंसान हैं। और हम सब एक माँ द्वारा बनाए गए सहज योगी हैं। इसलिए हमारे बीच किसी भी तरह की कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन हमें पता होना चाहिए कि क्या है जो कभी-कभी हमें थोड़ा अलग बनाता है। यदि हम उन समस्याओं को समझ सकें जिनका हम सामना कर रहे हैं, तो हमारे Read More …

Shri Pallas Athena Puja: The Origins and Role of Greece Athens, Stamatis Boudouris house (Greece)

              श्री पल्लास एथेना पूजा  ग्रीस, 24 मई 1989 सहज योग में सब कुछ बहुत वैज्ञानिक है, सभी पूर्व-नियोजित हैं जो मुझे लगता है, और सभी महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, आज बुधवार है और हमने बुधवार को कभी कोई पूजा नहीं की क्योंकि मेरा जन्म बुधवार को हुआ था।  इसलिए, मैं सोच रही थी कि यदि पूजा बारह बजे से पहले शुरू हो जाए, तो हम इसे प्रबंधित कर पाएंगे क्योंकि मेरा जन्म बारह बजे हुआ था। तो, प्रत्येक बच्चे को बारह बजे के बाद सोना पड़ता है, आप देखते हैं, और मुझे भी सो जाना था जो मैं नहीं कर पायी। तो, यह इतना महत्वपूर्ण है, आप देखिए। यह पहली बार है जब हम बुधवार को पूजा कर रहे हैं, आम तौर पर मैं बुधवार को यात्रा भी नहीं करती हूं। तो, आप सोच सकते हैं कि यह ऐसी सफलता है, और मुझे बहुत खुशी है कि आप सभी एक पूजा के लिए तैयार हैं और हम इतने लंबे समय के बाद, इस नियम को भी तोड़ सके हैं| क्योंकि मेरे लिए बारह के बाद जागते रहना असंभव था, आप देखते हैं, मैं कोशिश कर रही थी, कोशिश कर रही थी, और मुझे पता था कि आप सभी भी, बहुत नींद महसूस कर रहे थे। तो, यह बहुत पारस्परिक है और यह बहुत सरल है। ठीक है। तो, आज हम ब्रह्मांड के नाभी के केंद्र में, वास्तव में, उल्लेखनीय रूप से एकत्र हुए हैं, और मुझे नहीं पता कि मैं इस महान देश, जिसे हम ग्रीस कहते हैं, के Read More …

Adi Shakti Puja: Detachment Residence of Madhukar Dhumal, Rahuri (भारत)

आदि शक्ति पूजा, वैराग्य, राहुरी (भारत),11 दिसंबर 1988 पूजा उस समय आरंभ होती है, जब इसे आरंभ होना होता है और मैं प्रतीक्षा और प्रतीक्षा और प्रतीक्षा कर रही हूँ।फिर मुझे एहसास हुआ कि आज बहुत अच्छा समय है, पंचांग के अनुसार, परंतु यह प्रातः का नहीं है,तो इसे चंद्रमा का तीसरा दिन होना थाऔर जैसा कि चंद्रमा दिन के समय में अपनी कलाएँ बदल रहा है, हमें प्रतीक्षा करनी पड़ी जब तक यह आरंभ नहीं हुआ। मुझे लगता है, ये सब चीज़ें हुईं; चोरी की और सब कुछ हुआ, संभवतः पूजा को उस समय तक टालने के लिए जब इसे आरंभ होना चाहिए।तो सहज योग में हम सभी समय से परे चले जाते हैंऔर हमें समय के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती। मात्र जब तक यह एक औपचारिक कार्यक्रम या ऐसा कुछ हो, क्योंकि लोग औपचारिक हैं और वे हमारी शैलियों को नहीं समझते हैं।इसलिए हमें वहाँ सही समय पर उपस्थित होना होता है,अन्यथा हमें समय को स्वमार्ग लेनेदेना चाहिए और इसे हमें अपनी तरह से जानना चाहिए।अब हमारी यात्रा और इस दौरे के बारे में हमें यह जानना होगा कि हम यहाँ पाने के लिए आए हैं एक निश्चित ऊँचाई अपनी निर्लिप्तता में, हमें अपनी स्थिति के क्षेत्र में ऊपर उठना हैजबकि आसपास की परिस्थितियाँ,वे हमें घेरे हुए हैं और वे हमें दुखी नहीं कर सकतीया पक्षपाती, या हमें उन पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।इसके विपरीत हमें उनसे ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए। यदि कुछ विकृत घटित न हो तो आप परम की बढ़ती Read More …

Devi Puja: The sincerity is the most important Dourdan (France)

देवी पूजा, फ्रेंच सेमिनार। डोरडन (फ्रांस), 18 मई 1986। आज हम यहां इस खूबसूरत जगह पर कुछ बहुत गहन काम करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती है, जो इतिहास में हैं, और कुछ चीजें वातावरण में हैं, वे हमें बहुत प्रभावित करती हैं क्योंकि हम पांच तत्वों की उपज हैं, जिनमें से पृथ्वी मां हमारे भीतर बाईं ओर है। धरती माता अपने वातावरण को बदलती है, अपनी पहाड़ियाँ और डलियाँ, नदियाँ, उन्हें इस तरह बनाती हैं कि यह उनके स्वभाव को विविधता प्रदान करती है। अब ईश्वर ने एक ही दुनिया बनाई है, उसने कई दुनिया नहीं बनाई हैं, उसने एक ही दुनिया बनाई है, यह दुनिया बॅस अकेले यहां इंसानों की रचना की गई है। तो, यह सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है, आप एसा कह सकते हैं, जोपरमात्मा के ध्यान में रहा है। तो, संपूर्ण ब्रह्मांड इस ग्रह के कल्याण के लिए काम करता है, और उस ब्रह्मांड के कार्य ने इस पृथ्वी को बनाया है, और फिर मनुष्य को, और फिर सहजयोगियों को तो, सहजयोगी रचनात्मक शक्तियों का साकार स्वरुप हैं, वे ईश्वर की इच्छा की अभिव्यक्ति हैं, यही उन्होंने चाहा, इसलिए उन्होंने इस ब्रह्मांड, इस ब्रह्मांड और इस पृथ्वी की रचना की। तो अब उनकी इच्छा पूरी होती है जब वे सहजयोगियों के माध्यम से बीज प्रतिबिम्बित होते देखते हैं। लेकिन अभी भी कुछ चीजें हैं जो हमें अपने भीतर स्पष्ट करनी हैं।हमारे भीतर महाकाली शक्ति उनकी इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। अब हमें यह देखना Read More …

Devi Puja: Steady Yourself San Diego (United States)

देवी पूजा.सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया (यूएसए), 31 मई 1985परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।कृपया बैठ जाएँ। (सिर्फ रिकॉर्ड करने के लिए, हम्म?)सैन डिएगो के आश्रम में आकर बहुत खुशी हो रही है। और यह इतनी खूबसूरत जगह है, ईश्वर के, परमात्मा के प्यार को इतना व्यक्त करते हुए, जिस तरह से परमात्मा हर कदम पर आपकी मदद करना चाहता है। यदि आप एक आश्रम चाहते हैं, यदि आप एक उचित स्थान चाहते हैं, आप अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करना चाहते हैं, आप ईश्वरीय काम करना चाहते हैं, हर चीज की देखभाल की जाती है, हर चीज कार्यांवित होनी पड़ती है। अगर यह कार्यांवित ना हो तो आप किस तरहअपना काम करेंगे? तो, यह सब काम करता है। और यह इतना स्पष्ट है, जिस तरह से हमारे पास अलग-अलग आश्रम हैं, बहुत ही उचित धनराशि जो हम खर्च कर सकें में ऐसे आरामदायक स्थान उपलब्ध हैं, कि हम एक साथ खुशी से रह सकते हैं। यह आपके लिए प्यार से बनाया गया घर है। तो सबसे पहले हमें एक बात याद रखनी होगी कि आपस में पूर्ण प्रेम हो। [मराठी] हमें उन लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो हमें बांटने की कोशिश करते हैं, जो हमें गलत विचार देने की कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति को पहचानना जो दिल से सहजयोगी हो बहुत आसान है। पहचानना बहुत आसान है। आपको थोड़ा और संवेदनशील होना होगा और आप ऐसे व्यक्ति को बहुत आसानी से खोज लेंगे। जो कोई भी चालाक हो, उसे खोजा जा सकता है। अब कोई परमेश्वर के विरुद्ध Read More …

Devi Puja: How To Ascend Into Nirvikalpa Sydney (Australia)

             देवी पूजा, “निर्विकल्प तक उत्थान कैसे पाएँ ”  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 10 मार्च 1985 बयार चलेगी, अब आपको परेशानी नहीं होगी। इतने उच्च विकसित बहुत सारे सहजयोगियों को देखकर बहुत खुशी होती है। मुझे यकीन है कि सभी देवी-देवता और स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर इस उपलब्धि को देखकर बहुत प्रसन्न होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन मुझे बताया गया था कि आप उच्च तरीके, या ऊँची बातें जानना चाहते हैं, जिसके द्वारा आप उच्च और अधिक ऊंचाई का उत्थान चाहते हैं। समाधि अवस्था में, सबसे पहले निर्विचार समाधि होती है, जैसा कि आप जानते हैं, निर्विचार समाधि कहलाती है। और फिर दूसरी अवस्था में, जिसे निर्विकल्प समाधि कहा जाता है, जहां यह निस्संदेह जागरूकता है, दो चरण हैं: सविकल्प और निर्विकल्प। अधिकांश सहजयोगी अब सविकल्प पर हैं, अभी तक निर्विकल्प पर नहीं हैं। और निर्विकल्प तक उठने के लिए, हमें यह समझना होगा कि हमें इसके बारे में कुछ और करना होगा। अब तक हमारी शारीरिक समस्याएं थीं जिनका समाधान हो गया है – शारीरिक जरूरतें, सुख-सुविधाएं अब हम पर हावी नहीं हो सकतीं। हम ब्रह्मपुरी जैसी किसी भी स्थिति में रह सकते हैं। हम उस सबका आनंद लेते हैं, जो दर्शाता है कि हम अब भौतिक जीवन या पदार्थ द्वारा निर्धारित बंधनों  से ऊपर उठ गए हैं। यह एक अच्छी स्थिति है जहां हम पहुंच गए हैं, जो लोगों के लिए भी बहुत मुश्किल है। आम तौर पर, लोग बेहद उधम मचाते हैं; वे सांसारिक चीजों, सांसारिक संपत्ति, सांसारिक भौतिक समस्याओं के बारे में चिंतित हैं। उनमें से बहुत से Read More …

Devi Puja: Individual journey towards God Sydney (Australia)

                                                       देवी पूजा  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 14 मार्च 1983। अब आप सभी इस समय तक जान गए हैं कि हमारे ही भीतर शांति, सुंदरता, हमारे अस्तित्व का गौरव स्थित है। इन सबका एक सागर है। हम बाहर इसकी खोज़ नहीं कर सकते। हमें भीतर जाना है; जिसे वे ‘ध्यान की अवस्था में’ कहते हैं, आप उसकी तलाश करते हैं, आप उसका आनंद लेते हैं। जैसे, प्यास लगने पर आप किसी नदी पर जाते हैं या क्या आप समुद्र में जाते हैं ? और अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सागर भी मीठा पानी नहीं दे सकता, तो जो बाहर फैला हुआ है, वो तुम्हें वह गहरी बात जो तुम्हारे भीतर स्थित है, कैसे दे सकता है? आप इसे बाहर खोजने की कोशिश कर रहे हैं जहां यह है ही नहीं। यह हमारे भीतर है, बिल्कुल हमारे भीतर है। यह इतना आसान है क्योंकि यह आपका अपना है। यह आपकी पहुंच के भीतर है, बस वहीं है। आप जो कुछ भी करते रहे हैं: आनंद, तथाकथित आनंद, तथाकथित खुशी, सांसारिक शक्तियों और सांसारिक संपत्ति की तथाकथित महिमा को खोजने के लिए बाहर जाना, आपको इस पूरी चीज से वापसी करना होगी। आपको अपने भीतर ध्यान देना होगा। यह गलत नहीं था कि आप बाहर गए [लेकिन] यह उचित नहीं था कि आप बाहर गए। आपने अब तक जो किया है उसके लिए आपको खेद नहीं होना चाहिए। जीवन के वास्तविक आनंद, अपने अस्तित्व की वास्तविक महिमा को पाने का यह उचित तरीका नहीं था। इसने इतने लोगों में काम किया है Read More …