Mooladhara and Swadishthan Maccabean Hall, Sydney (Australia)

1981-03-25 मूलाधार और स्वाधिष्ठान, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया  सत्य के सभी साधकों को हमारा नमस्कार।  उस दिन, मैंने आपको पहले चक्र के बारे में थोड़ा बहुत बताया था, जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं और कुंडलिनी, जो त्रिकोणाकार अस्थि, जिसे sacrum (पवित्र) कहते हैं, में बची हुई चेतना है। जैसा मैंने आपको बताया था कि यह शुद्ध इच्छा शक्ति है, जो अभी तक जागृत नहीं हुई है और न ही आपके अंदर अभी तक प्रकट हुई है, जो यहाँ पर उस क्षण का इंतजार कर रही है जब वह जागृत होगी और आपको आपका पुनर्जन्म देगी, आपका बपतिस्मा। या आपको शांति देती है। या आपको आपका आत्म-साक्षात्कार देती है। यह शुद्ध इच्छा है कि आपकी आत्मा से आपका योग हो। जब तक यह इच्छा पूर्ण नहीं होगा, वे लोग जो खोज रहे हैं, काभी भी संतुष्ट नहीं होंगे, चाहे वे कुछ भी करें।   अब, यह पहला चक्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि या सबसे पहला चक्र था जिसका निर्माण किया गया, जब आदिशक्ति ने अपना कार्य करना शुरू किया था। यह अबोधिता, जो कि पवित्रता, का चक्र है। इस पृथ्वी पर सबसे पहली वस्तु का निर्माण किया गया वह पवित्रता थी। यह चक्र सभी मनुष्यों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जानवरों में अबोधिता है, उन्होंने उसको खोया नहीं है, जबकि हमारे पास अधिकार है या हम काह सकते हैं, हमारे पास यह स्वतंत्रता है कि हम इसका परित्याग करे दें। हम यह कर सकते हैं, हम अपने तथाकथित स्वतंत्रता के विचारों के द्वारा किसी भी प्रकार से इसको नष्ट कर सकते हैं।   Read More …

Public Program, Swadishthana Chakra New Delhi (भारत)

Public Program, New Delhi (India), 6 February 1981. [Hindi Transcript] आपने विनती की है कि हिंदी मे भाषण कीजिएगा बात ये है कि ये तय किया गया था कि इस जगह मे अंग्रेजी मे बातचीत करुँगी अ.. उसकी वजह ये है कि अभी तक हिन्दुस्तान मे अंग्रेजी मे मैंने कहीं भी बातचीत नहीं की और ये जो अतिथि लोग आयें है आज तक मेरा भाषण सुन नहीं पाए इसलिए इनसे कहा था कि यहाँ पर मे मे अंग्रेजी मे बातचीत करुँगी और जब मंदिरों मे आदि या मेरे ख्याल से दिल.. दिल्ली के विद्यापीठ मे भी जो भाषण होने वाले है वो हिंदी भाषा में ही होंगे इसलिए कृपया आप दूसरे भाषणों मे भी आएंगे तो मैं हिंदी मे बातचीत करुँगी आशा हैं आप लोग बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि आतिथी है थोड़ा सा इनका भी कभी ख्याल करना चाहिए हालाँकि आप लोग सब थोडा-बहुत तो अंग्रेजी समझते है और मैं कोई ऐसी कठिन अंग्रेजी बोलती नहीं हूँ अगर आपको कोई उसमे प्रश्न हो तो मैं आपको बता दूंगी सिर्फ ये पांच ही लेक्चरस जो है ये मे अंग्रेजी मे देने वाली हूँ इसके लिए क्षमा कीजिएगा ……कल मैंने आपसे उन सूक्ष्म केंद्रों के बारे में बात की , जो हमारे अस्तित्व के भीतर मौजूद हैं। इसका ज्ञान हजारों वर्षों पहले यहाँ के कई भारतीयों को ज्ञात था, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया, दो प्रकार के लोग थे जो प्रकृति की उच्च शक्तियों के बारे में जानते थे। उनमें से एक ऐसे लोग थे जिन्होंने सोचा था कि हम स्वयं Read More …

Seminar Day 2, Attention and Joy Bordi (भारत)

                                            [Hindi translation from Enlgish]     चित्त और आनंद                                      3 ​​दिन के शिबिर का दूसरा दिन  बोरडी (भारत), 27 जनवरी 1977। …  बहुत ज्यादा भटकाव और चित्त को स्थिर कैसे करें| अब चित्त की गुणवत्ता आपके विकास की स्थिति के अनुसार बदल जाती है। उदाहरण के लिए, एक जानवर में … तो इंसान में चित्त कहाँ रखा जाता है? यह एक निश्चित बिंदु नहीं है। आप कह सकते हैं, चित्त जागरूकता की सतह या किनारा है। जहां भी हमें जागरूक किया जाता है, चित्त उस बिंदु की तरफ मुड़ जाता है। यदि आप कोई मिलता-जुलता उदाहरण चाहते हैं, तो जैसे लोहे की सभी छीलन को चुंबक की ओर आकर्षित होने की शक्ति मिली है। , आप यह पता नहीं लगा सकते हैं कि, वह शक्ति कहां है – यह सब हो चूका है। जहां भी चुंबक रखा जाता है वहां लोह-छीलन आकर्षित होती हैं। हमारा चित्त भी ऐसा ही है कि,  जहां कहीं भी हम आकर्षित होते हैं, हमारा चित्त वहीं जाता है।  इस मायने में कि इसका रुख शरीर के बाहर या अंदर कहीं भी किया जा सकता है, यह पूरे शरीर में विद्यमान है। शरीर के अंदर भी, अगर कोई दर्द हो या कोई परेशानी हो। यह नसों पर बहता है, यह पूरे तंत्रिका तंत्र पर बहता है, लेकिन मस्तिष्क में एक नियंत्रण केंद्र है। अगर इस पर प्रहार हो तब, हम बिना चित्त के सचेत रह सकते हैं| इसके अलावा, अगर किसी के विशुद्धि चक्र पर प्रहार करें, तो भी ऐसा हो सकता है। यदि किसी पर प्रहार Read More …