Diwali Puja, 1st Day, Dhanteras New Delhi (भारत)

Dhanteras Puja 27th October 2008 Date : Place Delhi : Type Puja : Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK यह एक अद्भूत चीज़ है कि हमारे अन्दर बसी हुई शक्ति को हमने जगाया है और हम खोये रहते है हमारे अपने ही ने विचारों में। लेकिन हमारे अन्दर बहत शक्ति है और सब परमात्मा हमें ये शक्ति दी है। हम सब परमात्मा, परमात्मा कहते है पर सब ये जानते है कि वो हर जगह है, हर जगह रहते है, हर जगह वो देखते है। और हमारी हर एक बात को वो बहुत प्यार से देखते हैं। अब तुम लोग तो उनके दरबार में आ गये हो। यही मुझे कहना है कि मुझे बड़ा आनन्द आया कि इतने साल हो गये दिल्ली में सहजयोग बड़े जोरो में चला है। इसका मतलब ये है कि दिल्ली के लोगों में बड़ी श्रद्धा है और बहुत सामाजिक भी है। नहीं तो इतने और जगह में गयी हूँ, वहाँ इतना प्रचार हुआ फिर भी में ये नहीं कह सकती कि हर जगह इस कदर समझदारी लोगों में आयी। आप लोगों ने सहजयोग को पूरी तरह से समझना है और उसका आशीर्वाद आपके अधिकार की चीज़ है । आपने ‘सहज’ को समझा तो सहज आपको समझेगा । वो जानते हैं कि आप क्या है और आपकी क्या हैसियत है और आपको क्या देना चाहिए। अब मैं आपसे बताती हूँ ये एक बात कि बहुत साल पहले मैं आयी थी दिल्ली और दिल्ली में मैंने सोचा था कि यहाँ सहजयोग बहुत जम जाएगा | क्या वजह Read More …

Talk of the Evening Eve of Diwali (भारत)

Diwali Celebrations Date 10th November 2007: Noida Place Type Puja [Original transcript Hindi talk] हॅप्पी दिवाली ! आप सबको दिवाली मुबारक हो। ये तरह तरह के नृत्य को आपने देखा; इससे एक बात समझलो, कि ये जो भी थे जिन्होने ये लिखा, कहा, सब एक ही बात कह रहे हैं और सबसे बड़ी बात कौनसी कही कि परमात्मा एक है । उन्होनें अलग अलग अवतार लिए पर परमात्मा एक है । उनमें आपस में कोई झगड़ा नहीं और वो इस संसार में इसलिए आते हैं कि, दुष्टों का नाश करें । खराब लोगों को बर्बाद करे। और हो रहा है हर जगह । हर जगह मैं देखती हैँ, कि जो दुष्ट लोग हैं, वो सामने आ रहे हैं । और अब आप लोगों का भी यही काम है, कि जो दुष्ट हैं, जो परमात्मा के विरोध में काम करते हैं और पैसा कमाने के लिए कोई भी काम कर सकते हैं, वो सब नर्क में जाएंगे। हमको पता नहीं कितने नर्क हैं। अभी जिस माहौल में आप बैठे हैं, जिस जगह आप बैठे हैं, ये नर्क से परे है । इसका संबंध नर्क से कोई नहीं है। लेकिन आप इसमें रहकर | और अधर्म करें, गलत काम करें तो आप भी नर्क में जा सकते हैं। बहत तरह के न्क हैं और ये नर्क में जाने की 6. व्यवस्था भी बड़ी अच्छी है। क्योंकि वहाँ पर जानेवाले जानते नहीं कि हम कहाँ जा रहे हैं। और जो बच जाते हैं वो स्वर्ग चले जाते हैं। तो इस पृथ्वी तल पे Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja 15th February 2004 Date: Place Pune Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] कठिन है। कल्याण’ माने हर तरह से साफल्य, हर तरह से प्लावित होना, हर तरह से अलंकृत होना। जब आशीर्वाद में कोई कहता है कि तुम्हारा “कल्याण” हो तो क्या होना चाहिए? क्या होता है? ये कल्याण क्या है? यह वही कल्याण है जिसको हम आत्मसाक्षात्कार’ कहते है। बगैर आत्मसाक्षात्कार के कल्याण नहीं हो सकता। उसकी समझ भी नहीं आ सकती और उसको आत्मसात भी नहीं किया र जा सकता। ये सब चीजें एक साथ कल्याणमय होती हैं और जिसकी वजह से मनुष्य अपने को अत्यन्त सुखी, अत्यन्त तेजस्वी समझता है। इस कल्याणमार्ग के लिए आपको जो करना पड़ा वो कर दिया, जो मेहनत करनी थी सो कर ली. जो विश्वास धरने थे वो धर लिए । लेकिन जब कल्याण का मार्ग अब मिल गया, जब आपको गुरु ने मन्त्र दे दिया कि आपका कल्याण हो जाए तो क्या ा क चीज घटित होगी? आपके अन्दर सबसे बड़ी चीज समाधान। इसके वाद कुछ खोजना नहीं। अब आप स्वयं भी गुरु हो गए अब आपको कुछ विशेष प्राप्त होने वाला नहीं है। किन्तु इस समाधान का जो आशीर्वाद है उसको आप महसूस कर सकेंगे उसको आप जान सकेंगे और उसमें आज हम लोग यहाँ गुरु की पूजा करने के आप रममाण हो सकेंगे पहले तो देखिए, सबसे लिए उपस्थित हुए हैं। गुरु को सारे देवताओं से, बड़ी चीज है शारीरिक-शारीरिक तकलीफें, शारीरिक देवियों से ऊँचा माना जाता है। वास्तविक ये गुरु दुर्बलता Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2003: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk] ईसामसीह की आज जन्मतारीख है और हम लोग बहुत खुशी से मना रहे हैं। किंतु जीझस क्राइस्ट को कितनी तकलीफें हुईं वो भी हम लोग जानते हैं और जो तकलीफें, परेशानियाँ उनको हुई वो हम लोगों को नहीं हो सकती क्योंकि अब समाज बदल गया है, दुनिया बदल गयी है और इस बदली हुई दुनिया में आध्यात्मिक जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे कितने क्लेश हमारे दूर हो सकते हैं। हमारे शारीरिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। मानसिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा जागतिक जो | क्लेश हैं वो भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह सारी दुनिया की जिंदगी जो है अध्यात्म में पनप सकती है। कितना महत्त्वपूर्ण है ये जानना की एक तरफ तो ईसामसीह जैसा अध्यात्म का…. और दूसरी तरफ हम लोग जिन्होंने अध्यात्म को थोडा बहुत पाया है और हम लोगों की वजह से दुनिया शांत हो गयी। बहुत सी तकलीफें दूर हो गयी है और मनुष्य जान गया कि उसके लिये सबसे बड़ी चीज़ है अध्यात्म को पाना । ये आप लोगों की जिंदगी से उसने जाना है। आपको देख कर उसने जाना है। ये सारा परिवर्तन आप लोगों की वजह से आया। हम अकेले क्या कर | सकते थे? जैसे ईसामसीह वैसे हम। हम कितना कर सकते थे । लेकिन इतने आप लोगों ने जब अध्यात्म को प्राप्त कर लिया है, तब देख सकते हैं कि दुनिया कितनी बदल गयी है। आपके प्रभाव से Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

80th Birthday Puja Date 21st March 2003: Place New Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सारे सहज योगियों को हमारे ओर से अनन्त आशीर्वाद । इतने बड़े तादाद में आप लोग आज यहां पर हमारा जन्मदिवस मनाने के लिए पधारे। मैं किस तरह से आपको धन्यवाद दूं? मेरी तो समझ में नहीं आता है! बाहर से भी इतने लोग आये हैं और अपने भी देश के इतने यहाँ सम्मिलित हुए । ये देखकर के हृदय भर आता है। न जाने हमने ऐसा कौन सा अद्भुत कार्य किया है जो आप लोग हमारा जन्म दिन मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। आप लोगों का हृदय भी बहुत विशाल है कि आपने आज के दिन इतने दूरस्थ स्थित जगह पर आकर के हमें सम्मानित किया हमारे पास तो शब्द ही नहीं हैं कि आप लोगों से बताया जाए कि इससे हम कितने आनन्द से पुलकित हो गए! ন हिन्दी प्रवचन : सहज सरल बात जो है बो सहजयोग है आज मैंने अंग्रेजी में इन लोगों को बताया और इसके लिए सब लोग तैयार हैं। आप और आपको बताने की ज़रूरत नहीं क्योंकि कहीं भी जाएं, कोई देहात में जाएं, शहर में इस देश में तो सब लोग जानते ही हैं कि जाएं. हर जगह सहजयोग के लिए उपयुक्त आध्यात्मिक जीवन कितना महत्वपूर्ण है और है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि आप लोग और लोग चाहते हैं कि आध्यात्म में उत्थान हो। पूरी तरह से कोशिश करें और अगले साल लोग प्रयत्नशील हैं। कोई हिमालय में Read More …

Inauguration of Vaitarna Music Academy (भारत)

English Transcript Inauguration speech for the opening of the new Music Academy (transcr. only English part). Vaitarna (India), 1 January 2003. I’m sorry I spoke in Hindi language, because to talk about My father in any other language is very difficult, though he was a master of English language and he used to read a lot. He had a big library of his own where I also learned English, because my medium of instruction was Marathi. I’d never studied Hindi or English. But because of his library, because I was very fond of reading, I picked up English, whatever it is, and also Hindi. Now they all say I speak very good English and very good Hindi, I am surprised, because to Me they were foreign languages. And when I did my matriculation also, I had a very small book of English, and for inter-science also I had a very small book. And in the medical college of course there was no question of any language, but because I used to read a lot. So I would suggest to all of you to read, read more. But don’t read nonsensical books, very good famous books you must read. That’s how I developed my language, and I had to do so well. By reading that, I could know also so much about the human failings. I didn’t know human beings have those failings, I didn’t know. I was absolutely beyond them. After reading everything, I came to know that there are Read More …

Gudi Padwa Puja (भारत)

Gudi Padwa Puja Date 13th April 2002: Place Gurgaon: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] हम लोग जो मनाते हैं गुड़ी पड़वा ऐसा भी तिथियां हैं वो मानते हैं। एक तारीख हर एक जगह है, साउथ में भी है। हर ऐसी जरूर है जो सूर्य के रूप से होता है। जगह ये त्यौहार मनाया जाता है। जो सूर्य जब दक्षिणायण से उत्तरायण में आता सम्वत शुरु हुआ है और जो शालीवाहान ने है उस दिन जरूर हम एक त्यौहार मानते भी सम्वत शुरु किया वो सब एक ही दिन हैं। वो सारे देश में वही दिन माना जाता पड़ते हैं। वो आज का ही दिन है और सारे है । अब जो है, चन्द्रमा के हिसाब से, देश में उसको माना जाता है। उसी के ज्योतिष शास्त्र भी हमारे यहाँ चन्द्रमा के हिसाब से सब हमारी तिथियां और सब हिसाब से चलता है। ज्योतिष में भी चन्द्रमा हमारी तारीखें बनायी जाती हैं खास करके की स्थिति देखी जाती है। कहाँ है, क्या है। त्यौहार। और हम लोग चन्द्रमा के कैलेंडर उसी के अनुसार ज्योतिष शास्त्र बनाया पर चलते हैं। विदेशी लोग जो हैं वो सूर्य जाता है। और इसीलिए जो पहले हमारा के कैलेंडर पर चलते हैं इसलिए उनकी कैलेंडर बनाया गया जिसको कि हम लोग तारीख कभी बदलती नहीं है। अपने यहाँ हर एक त्यौहार हमेशा चनद्र की स्थिति पर होता है और इसलिए हमारे पर निर्भर हैं, जिन लोगों को अपनी तिथि यहाँ की तारीख भी बदलती है और का पता नहीं होगा Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Sarvajanik Karyakram – Public Program Date 24th March 2002: Place New Delhi Public Program Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] वो सबके अंदर है और स्थित है। उसके क. अंदर रंग, जाति-पाति कोई भेद नहीं। हर इंसान में है। जानवर में भी है। आपको आश्चर्य होगा कि जानवर प्यार बहुत समझते हैं। इंसान से भी ज्यादा जानवर समझते हैं प्यार क्या चीज़ है। तो हम लोग वाकई अगर अपनी उत्क्रान्ति में बढ़ रहे हैं, अपने Evolution में बढ़ रहे हैं तो हमारे अंदर प्यार का बड़ा जबरदस्त प्रकाश होना चाहिए। अगर प्यार आ जाए तो हमारे सारे प्रश्न जो हैं, जो मानव जाति के लिए पहाड़ सत्य को खोजने वाले आप सभी जैसे खड़े हैं, एक दम खत्म हो जाऐं। साधकों को हमारा प्रणाम | प्यार की हमने व्याख्याएं अनेक की हैं जिस चीज की आज हर जगह कमी है, पुर उसकी कोई व्याख्या नहीं कर सकता वो है प्रेम। यही प्रेम जो है यही प्रभु की क्योंकि वो एक सागर है हमारे अंदर बसा भक्ति है बहुत लोग जिस बात को शब्द हुआ एक महान सागर है और उसको समझते हैं, लेकिन प्रेम एक शब्द नहीं है। भोगना भी हमारे ही नसीब में है । उसकी प्यार एक शक्ति है और उसका भण्डार लहरें भी हमीं ज्ञात कर सकते हैं। हमारे हमारे ही अंदर है। हम सभी उस प्यार से ही लिए वह है। दूसरा चाहे उसे समझे या भरे हैं। कभी-कभी उसका अनुभव हमको न समझे लेकिन हमारे लिए वो एक बहुत आता है Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 2002 Date: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप इसको महसूस कर सकते हैं। इसको जान सकते हैं कि ये प्यार, परमात्मा का प्यार, परमात्मा की शक्ति सिर्फ प्यार है और प्यार ही की शक्ति है जो कार्यान्वित होती है। हम लोग इसे समझ नहीं पाते। किसी से नफरत करना, किसी के प्रति दुष्ट भाव रखना, किसी से झगड़ा करना, ये तो बहुत ही गिरी हुई बात है। आप तो सहजयोगी हैं, आपके मन में सिर्फ प्यार के और कुछ भी नहीं होना चाहिए। अपने देश में आजकल जो आफत मची है, इसको देखते हुए 1 मैं देख रही हैं कि ये सारे प्यार की समझ में नहीं आता है कि धर्म के नाम पर महिमा कैसे फैल गई, कहाँ से कहाँ पहुँच इतना प्रकाण्ड रौरव इंसान ने क्यों खड़ा गई, कितने लोगों तक, इसकी खबर ही कर दिया? इसकी क्या ज़रूरत थी? एक नही है! किन्तु इसका पूरा शास्त्र समझ में चीज़ शुरु होती है फिर इसकी प्रतिक्रिया आ गया । प्यार का भी कोई शास्त्र हो आती हैं और प्रतिक्रिया शुरुआत की एक सकता है? प्यार का कोई शास्त्र नहीं। क्रिया से भी बढ़कर होती है। इस तरह से प्यार जो है एक महामण्डल की तरह सब परमात्मा का जो भी आपको अनुभव है वो दूर छाया हुआ है। इसका एहसास हमें कम होता जाता है। अब समझने की कोशिश नहीं, उसे हम जानते नहीं। लेकिन परमात्मा करना चाहिए कि हम प्यार को कैसे बढ़ावा का प्यार, Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)

New Year Puja – You Should Be Satisfied Within 31st December 2001 Date: Kalwe Place Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] देर हो गई और आप लोगों की प्रेम की आप कर रहे हैं कि सिर्फ इस शक्ति को शक्ति मुझे खींच के लाई है यहाँ । कुछ तो अपने लिए, अपने बच्चों के लिए आप आपकी माँ की तबियत ठीक नहीं है और इस्तेमाल करें? ये बहुत जरूरी है क्योंकि इच्छा शक्ति जबरदस्त है। उसी के बूते मैंने देखा है कि पार होने पर भी लोगों में दोष रह जाता है। पूर्णता आनी चाहिए। पर चल रहा है। मैं चाहती हूँ आप लोगों की भी इच्छा जब तक आप दूसरों से संबंधित हो कर शक्ति जबरदस्त हो जाए। इस मामले में के सहजयोग का कार्य न करें, आपको आपने क्या किया वो खुद ही सोचना चाहिए। पता ही नहीं चलेगा कि आप के अंदर अपनी ओर नज़र करके देखें कि आपने इसमें कौन सी मेहनत की? आप ध्यान लोग आते हैं और पैसा बनाते हैं। ऐसे करते हैं, ध्यान में आप गहनता लाएँ और बहुत से लोग हैं जो सहजयोग में आने के सोचिए कि आप एक संत हैं। और आपको बाद पैसा बनाते हैं बाद में जरूर वो खुल क्या करना चाहिए? माँ ने आपको संत जाते हैं, दिखाई देता है और बेकार परेशानी बना दिया है। अब आपको आगे क्या करना होती है। सो फायदा क्या? चाहिए? अपनी दुरुस्ती तो करनी है। इसमें कोई शक नहीं । आगे आपको क्या करना आप Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2000: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का शुभ दिवस है जो मनाया जाता है। कारण ईसामसीह का जन्म कहते हैं को जानो’। यह कहते हुए भी लोगों ने इस कि आज हुआ था। ईसामसीह के बारे में चीज़ का महत्व नहीं समझा और धर्म फैलाना लोग बहुत कम जानते हैं क्योंकि वो छोटी शुरू कर दिया। अपने को जाने बगैर ही उम्र में बाहर चले गए थे और उसके धर्म फैल नहीं सकता, धीरे-धीरे वो बाद वापिस आकर के उन्होंने जो महान अधर्म हो जाता है और यही बात ईसाई कार्य किए वो सिर्फ तैंतीस (33) वर्ष के उम्र धर्म की हो गई | जैसे कि ईसामसीह एक तक ही थे। उसके बाद उनके जो शिष्य विवाहोत्सव में गए थे, शादी में गए थे और थे, बारह उन्होंने धर्म का प्रचार किया लेकिन वहाँ पानी में हाथ डाल के उन्होंने उसकी जैसे आप लोगों को भी समस्याएं आती हैं शराब बना दी ऐसा लिखा हुआ है हिब्रु में उसी प्रकार उनको भी अनेक समस्याएं कहा जाता है जिसमें कि यह बात लिखी आईं। पर इन बारह आदमियों ने बहुत गई है शुरूआत में, कि वो पानी जो था कार्य किया और शुरूआत के जो लोग उसका परिवर्तन जो हुआ सो जैसे कि इनको मानते थे उनको (Gnostics) कहते थे। ग्नोस्टिक माने और अंगूर के रस को भी उसमें वाईन “जिन्होंने जाना है। ‘जन्म’ से आता है ग्नः, (wine) नहीं कहते। इसी बात को लेकर ग्नः Read More …

Easter Puja, Purity Is the Basis of Your Existence Istanbul (Turkey)

Easter puja. Istanbul (Turkey), 23 April 2000. ईस्टर पूजा- इस्तांबुल (तुर्की), 23 अप्रैल 2000 आज हम एक महान घटना का उत्सव मना रहे हैं, जो है ईसा मसीह का पुनरुत्थान। इस प्रकार से आपका भी पुनरुत्थान हुआ है, कि आप दिव्य प्रेम के नए जीवन की ओर बढ़े  हैं। आप सभी को यह ज्ञान था कि कुछ महान होना है और आपका पुनर्जन्म होना है। परन्तु, किसी को नहीं पता था कि यह कैसे क्रियान्वित होना है ?  आपके अस्तित्व का सूक्ष्म रूप आपको कभी नहीं बताया गया। संतों ने केवल इसी बात पर चर्चा की कि आपको कैसे व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने केवल यही कहा कि कैसे आपको बहुत ही शुद्ध जीवन, ईमानदारी से जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन उन्होंने आपको यह नहीं बताया कि यह कैसे क्रियान्वित होगा। निस्संदेह, भारत में लोग इसे जानते थे, बहुत कम लोग, बहुत ही कम। लेकिन, अब यह एक विश्व व्यापी ज्ञान है, आप लोगों के माध्यम से। अब जब आपकी कुंडलिनी उठती है, वह आपकी माँ है, वह आपकी व्यक्तिगत माँ है और वह आपको दूसरा जन्म देती है। इस प्रकार आप दिव्य स्वर्ग से जुड़ जाते हैं। यह सब, यदि बिना साक्षात्कार के बताया जाए तो इसका कोई अर्थ नहीं है, परन्तु लोगों को इसके बारे में महान विचार दिए गए हैं और उनसे यह भी वचन दिया गया कि एक दिन आपका पुनरुत्थान होगा। यह आपके लिए महानतम संयोग है, यह आपके जीवन की महानतम घटना है और यह अत्यंत सौभाग्य की बात है कि आप इसे Read More …

Gudi Padwa/Navaratri Puja Talk (भारत)

Gudi Padwa Puja Date 5th April 2000: Noida Place Type: Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Chaitanya Lahari] अपने यहाँ हिन्दुस्तान में देवी के दो नवरात्र पवित्र कर देती थी। इतनी संहारक थी। ये माने जाते हैं। ये चैत्र नवरात्र जिसमें आज जो सातवीं शक्ति है उसे संहारक शक्ति का दिन जो शैल पुत्री के अवतरण का है। कहते हैं। उसके बाद संहारक शक्ति आई शैल पुत्री माने जब उन्होंने हिमालय में जन्म Right Side में चली गई इसी Right Side में लिया था इसलिए उनको शैल पुत्री कहते हैं सावित्री गायत्री आदि हैं। पर संहारक शक्ति और फिर उसमें और भी उनके नाम हैं । का जो प्रादुर्भाव हुआ मतलब एक दिशा Left लेकिन शैल पुत्री की विशेषता ये है कि में गई एक दिशा Right में गई और जो उनका प्रथम जन्म शैल पुत्री के रूप है । तो हिमालय की उस ठण्ड में देवी का जन्म संहारक शक्ति है वो Centre में चली गई। उसमें आप देखते हैं कि देवी के अनेक रूप हुआ और जो कुछ भी उन्हें करना था वो बही-शैल पुत्री ने किया लेकिन आगे की उनके रूप हैं जिससे उन्होंने संहार किया। कहानी तो आपको मालूम ही है कि दक्ष ने वो हृदय पर विराजमान हैं। हृदय चक्र में, Heart चक्र में हैं, जैसे दुर्गा है और भी जो जो हवन बनाया था, उसमें उन्होंने शिवजी हमारे हृदय चक्र में वो विराजती हैं। तो इस. को आमन्त्रण नहीं दिया ये शिवजी की पत्नी हृदय चक्र की एक शक्ति तो ये है Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Hamari Atma Kya Chij Hai Date 25th March 2000: Place Delhi: Public Program Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] की। एंसा मुझें लगता है कि लोग जा हैं को हमें केवल सत्य मिला नहीं। जिस चीज को पीतल में खाना नहीं खाएंगे और लोहे में खाना बुद्धि ठीक समझतो थी उसी को हमने सल्य मान खाएंगे। इस प्रकार की बहुत ही औपचारिक बाते लिया। फिर बहकते-बहकते ये बुद्धि उस दिशा इसमें लिखी हैं। लेकिन जो दृश्य हैं जो सामने चल पडी कि कॉई सा भी काम करों व दिखाई देता है यो बहुत भयानका है और बहुत आज तक हम लोग जानते ही नहीं थे कि आ है। ठीक है, अच्छा है। इससे लाभ है ये ही करना विचलित करने वाला है। इसके पोछे यही कहना चाहिए। सत्य से परे सनुष्य भटक गया और चाहिए कि मनुष्य को अपना रास्ता नहीं मिला भटकते-भटकते पता नहीं कौन सी खाई में और वह कहा से कहा भटक गया! उसकी सुख जाकर गिरा। ये देख कर के लोग सोचते हैं कि नहीं मिला। इस सुख की खोज में वो गलत ऐसे कैसे हुआ? ऐसी स्थिति क्यों आई? मनुष्य चीजों के पोछे भागा जिसे मुगतृष्णा कहते हैं। इस के अन्दर जो बुद्धि हैं उस बुद्धि की उस तरह प्रकार मनुष्य भटकते भटकते घार डूब गया। वो ये भी नहीं जानता कि जा मैं कर अँधकार में से कुबुद्धि में परिवर्तित क्यों कर दिया? उसको रहा हूँ वो कुकर्म है और इस कुकर्म का फल सुबुद्धि बनाना था। बो कुबुद्धि हो Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 2000 Date: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Chaitanya Lahari] पहले अंग्रेजी में बातचीत की क्योंकि यहाँ हृदय दूसरों के सामने खाल सकें और उन्हें परदस से बहुत से लोग आए हैं और आप को अपने हृदय में बसा सकें। और मन काई एतराज नहीं कि हम थोड़ी देर अंगरेजी में से हमको यह सोचना चाहिए कि जिस मन में प्यार नहीं है वो संसार में किसी भी चीज़ का अधिकारी नहीं बातचीत करें। हालांकि यह तो दिल्ली वालों का कमाल है और उसी के साथ उत्तर प्रदेश के होता क्योंकि जो भी चौज़ उसे मिलती है. वो भी जुट गए और राजस्थान के लोग भी किसो भी तरह से तृष्त नहीं हो सकता। उसमे लाग, वो जूट गए और हरियाणा के लोगों ने भी मदद की। तृप्ति नहीं आ सकती। लेकिन जब आपके मन इन सब नं मिल करके इतने प्यार से बड़ा ही में ही एक तृप्ति का सागर है तो ऐसी कीन सी सुन्दर मन्दिर जैसे बनाया है। मैं तो खुद ही चीज़ है जिससे आप तृप्त न हों। ये चीज़ें जब दखकर हैरान हो गई। क्या यहाँ पर ऐसे कारीगर आपक अंदर हो जाती हैं और समाधान आपक लोग हैं? मैं तो नहीं जानती थी! सारी कारीगरी अंदर समा जाता है तो समाधान की परिश्रि को कहाँ से आई और कहाँ से उन्होंने सब कुछ बना कोई समझ नहीं सकता। उस समाधान के व्यापा को काई समझ नहीं सकता और इतना मधुर, कर यहाँ सजाया। यह समझ में Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 5th March 2000: Place Pune: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] शिवजी को आप लोग मानते हैं और धीरे-2 वो नष्ट होते जाते हैं। धीरे धीरें वी उनकी बड़ी पूजा अर्चना होती है। लेकिन शिवजी के गुणधर्म आप जानते नहीं, इसलिए बहुत बार सांत्वना करने वाले हैं। हमको शांति देने वाले आपसे गलती हो हैं। और जब स्वरूप जो है वो आनंद स्वरूप है। सूक्ष्म सं शिवजी की शक्ति और विष्णु की शक्ति जैसे समाप्त होते जाते हैं। पर शिवजी जो हैं ये हमारी जाती है। शिवजी का विशेष और हमको आनंद देने वाले ये आनंद उनका सब तरफ छाया रहता है। कि कुण्डलिनी और नाड़ी, इन दोनों का मेल हो जाता है तब आपको केवल सत्य मिलता तेक आपमें नहीं आएगी आप उसे देख नहीं है। केवल सत्य। जैसे की उस सत्य को कोई सुषुम्ना सूक्ष्म लेकिन उसको आकलन करने की शक्ति जब पाएंगे और समझ नहीं पाएंगे। वो हर चीज़ में विराजमान है। हर चीज़ में एक तरह से आनंदमय, सकते क्योंकि वो पूर्णतया सत्य है। आप अपने कहना चाहिए कि एक आनंदमय सृष्टि तैयार अंगुलियां पर अपने हाथ पर भी उसे जान सकते करते हैं और उस सृष्टि में विचरण करते हुए आप किसी भी तरह से अस्वीकार्य नहीं कर हैं। अनेक तरह के अनुभव आपको आएंगे आप देखते हैं कि आप भी कुछ और ही हो जिससे आप समझ जाएंगे कि एकदम सत्य जो गए। दूसरे लोगों को जिस चौज़ में आनंद आता है उसमें असत्य की छटा Read More …

Talk, Paane ke baad dena chaahiye swagat samaroh New Delhi (भारत)

Aapko Sahajayoga Badhana Chahiye Date 5th December 1999: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सत्य को पाने वाले सभी सहजयोगियों को जो आप उठा रहे है वो दूसरों को भी देना हमारा प्रणाम । आप लोग इतनी बड़ी संख्या में चाहिए। यहाँ उपस्थित हुए है ये देखकर मेरा वाकई में हिन्दुस्तान तो है ही मेरा देश और यहाँ आने में जो एक विशेष आनन्द होता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता और जब में आप लोगों के लोगों ने, सत्य को प्राप्त किया है। सत्य के को देखती हैं, एयरपोर्ट पर, तब मुझे लगता है बगैर मनुष्य का जीवन बिल्कुल व्यर्थ है, जैसे कि न जाने कितने हृदयों में ये आनन्द आड़ोलित अन्धेरे में इन्सान टटोलता रहता है उसी तरह हो रहा है और कितने ही लोग इस आनन्द से हृदय भर आया है और सोच-सोच के कि मेरे ही जीवन काल में इतने लोगों ने, इतने दूर – दूर सत्य के बगैर मनुष्य भटक जाता है। उसमें प्लावित हो रहे हैं। इसी से हमारे बच्चों की भी रक्षा होगी, और हमारे युवा लोगों की भी रक्षा का जो उसे घेरे हुए है। जैसे कहा है आपको इतना ही नहीं, लेकिन हमारे देश में और सबको सहजयोग बढ़ाना चाहिए। ये मेरी सबद्धता और असली माने में स्वराज्य आएगा। उसका मैं दोष नहीं मानती, दोष है उस अन्धेरे होगी। भी बड़ी इच्छा है कि सहजयोग आप लोग बढ़ा स्व: का मतलब है आत्मा और आत्मा का राज्य सकते Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 1999 Date : Place Delhi Type Puja : Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप लोगों का ये प्यार देखकर के मेरा इस प्रकार कि आप ध्यान करें, सुबह-शाम। तो हृदय भर आया है और ये सोचकर कि प्यार आपके अन्दर के जो बुरे विचार हैं, जिससे आप कितनी बड़ी शक्ति है. इससे लोग इतने आकर्षित ईष्ष्या करते हैं और क्रोधित होते हैं और छोटी-छोटी होते हैं और आनन्दित होते हैं। ये बड़ी आश्चर्य बात पे बुरा मान जाते हैं. ऐसे सारे विचार खत्म की बात है। इस कलियुग में प्यार का महात्मय हो जाएंगे। उसके बाद बच क्या जाता है। निर्मल प्रेम। इस प्रेम से आप सारे संसार को एक नया इतना तो किसी ने नहीं देखा होगा मैं सोचती हूँ कि इसको देखकर के आप सभी लोग अपना जीवन दे सकते हैं। घ्यार बढ़ाना सीखें। यो चीज़ बहुत आसान है। वो परमात्मा आपको आशीर्वादित करें ন [Hindi translation from English, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] से अपने प्रम का प्रदर्शन करना ही हिन्दी प्रवचन में मैन बताया, एक व्यक्ति प्रकार के प्रेम की अभिव्यक्ति आप यहाँ बहुत सी सर्वोत्तम है। आँखो में देख सकते हैं। आपके उत्साह को मैं एक उदाहरण दूँगी जिसे पहले भी देखकर मेरा हृदय प्रेम से भर गया, महान प्रेम बहुत बार दें चुकी हूँ। एक वार में गगनगिरी से। तो हम देख सकते हैं कि बह प्रेम कितना महान है! यदि आप सच्चे हदय से सुबह शाम ध्यान करें तो सभी प्रकार Read More …

Gudi Padwa (भारत)

Gudi Padwa Puja Date 18th March 1999: Noida Place: Type Puja Speech-Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] में चले गए। उसके बाद वो मद्रास भी चले गए। इस तरह से ये चीज़ है कि इनका इतिहास ऐसा ये बड़ा शुभ दिन हैं इस दिन जी भी कार्य करो हैं। शालीवाहन का और उसी वंश के हम भी हैं। बहुत हजारों वर्ष पहले थे तो वो गए थे महाराष्ट्र सांसारिक दृष्टि से आात है और दूसरा ये कि में और फिर वहाँ से उसी शालीवाहन के हम शालीवाहन में जो एक बबू वाहन करके थे, लोग वंशज हैं। इसलिए हम लोगों का नाम साल्विया-साल्बे-ऐसा कर दिया गया। तो जो आज का दिन गुडी पड़वा का है और ये सहाराष्ट्र में मनाया जाता है ज्यादा। कहते हैं कि वो बहुत सफल हो जाता है। वो जो भी हो, उन्होंने विक्रमादित्य को हराया और उसके बाद उन्होंने ये नया पंचाग शुरू किया जिसे शालीवाहन कहते हैं। उसके वर्ष का आज का दिन प्रथम शाल्व थे जिन्होंने युद्ध किया था. भीष्म के साथ. आपने सुना होगा शाल्व, भीष्म के साथ शाल्व, उन्होंने मदद की थी पांडवों की बाद में भौष्म कि उन्होंने ये शालीवाहन का ये द्योतक दिखाने ने चारों तरफ उनके शर पंजर डाले और उस के लिए एक कुम्भ की लेते हैं और उसके शरपंजर की वजह से वे निकल नहीं पाए तो अन्दर एक शाल जो कि शालीवाहन थे, तो उन्होंने शाप दिया तुम्हारे भी ऐसे ही शरपंजर पड़ेंगे। वो आखिर में भीष्म के साथ हो Read More …

Public Program मुंबई (भारत)

1999-02-20 Awakening Of Kundalini Is Not A Ritual, Mumbai, India Hindi सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को मेरा प्रणाम.  सत्य के और हमारी नज़र नही होती, इसकी क्या वजह है? क्यों हम सत्य को पसंद नहीं करते और आत्मसात नहीं करते? उसकी नज़र एक ही चीज़ से खत्म हो जाये तो बातकी जाए, पर ये तो दुनिया ऐसी हो गई की गलत-सलत चीज़ों पे ही नज़र जाती है। सो इस पर यही कहना है कि ये घोर कलियुग है, भयंकर कलियुग है। हमने जो लोग देखे वो बहुत निराले थे और आज जो लोग दिखाई दे रहे हैं, वो बहुत ही विक्षिप्त, बहुत ही बिगड़े हुए लोग हैं। और वो बड़े खुशी से बिगड़े हुए हैं, किसी ने उन पे ज़बरदस्ती नही की । तो अपने देश का जो कुछ हाल हो रहा है उसका कारण यही है कि मनुष्य का नीति से पतन हो गया। अब उसके लिए अपने देश में अनेक साधु-संतों ने मेहनत की, बहुत कुछ कहा, समझाया। और खास कर भारतवर्षीयों की विशेषता ये है कि जो कोई साधु-संत बता देते हैं उसको वो बिलकुल मान लेते हैं, उसको किसी तरह से प्रश्ण नही करते। विदेश में ऐसा नही है। विदेश में किसे ने भी कुछ कहा तो उसपे तर्क करने शुरू कर देते है। लेकिन हिंदुस्तान के लोगों की ये विशेषता है कि कोई ग़र साधु-संत उनको कोई बात बताए तो उसे वो निर्विवाद मान लेते है कि ये कह गए है ये हमें करना चाहिए। छोटी से लेकर बड़ी बात तक हम लोग ऐसा करते हैं। ये भारतीय लोगों की Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 14th February 1999: Place Delhi: Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] पहले मैं हिन्दी भाषा में बोलूँगी फिर सोपान मार्ग बना हुआ है. जिसे हम सुषुम्ना नाड़ी अंग्रेजी में आज हम श्री महादेव, शिवशंकर की पूजा करने के लिए एकत्र हुए हैं। शंकर जी के नाम से अनेक व्यवस्थाएं दुनिया में हो गईं। आदिशंकराचार्य के प्रसार के कारण शिवजी की शिव की, और जो रास्ता है वो विष्णु का पूजा बहुत जोरों में मनाने लग गए और दक्षिण में तो दो तरह के पंथ तैयार हो गए एक जिसको शैव कहते हैं और दूसरे जो वैष्णव कहलाते हैं । अब शैव माने शिव को मानने वाले और वैष्णव अपनी जगह बैठे हैं, जिसको आना है आए, नहीं जो विष्णु को मानने वाले। अपने देश में, विभाजन करने में हम लोग बहुत होशियार हैं। भगवान के भी विभाजन कर डालते हैं और फिर जब चाहिए और उसके लिए जो उसको एकत्रित करना चाहते हैं तो और उसका विद्रुप रूप निकल कहते हैं, जो मध्य मार्ग है, वो विष्यु का मार्ग है और उस मार्ग से ही हम शिव तत्व पे पहुँचते हैं तो जो मंजिल है वो है शिव तत्व की, बनाया हुआ है इस रास्ते को बनाने में विष्णु ने और आदिशक्ति ने मेहनत की है, इसमें शिवजी का कोई हाथ नहीं, बो तो आराम से |कॉ आना है नहीं आए। सो इस शिव तत्व को प्राप्त करने के लिए हमें इसी विष्णु मार्ग से जाना अनेक Read More …

New Year’s eve Puja (भारत)

New Year Puja – Indian Culture 31st December 1998 Date: Place Kalwe Type Puja Speech-Language English, Marathi & Hindi आज जो बात कही है वो समझने की बात है कि हम लोग अपने बच्चों पर जो जबरदस्ती, जुल्म करते हैं उसे हम जुल्म नहीं समझते हैं। पर ये बच्चे सब साधू-संत आपके घर में आये हैं, तो आपको उनकी इज्जत करनी चाहिए। उनको सम्भालना चाहिए। उनको प्यार देना चाहिए, जिससे वो पनपे, बढ़े। उनको स्वतन्त्रता देनी चाहिए । वो कभी गलत काम कर नहीं सकते क्योंकि वो संत-साधू है। लेकिन आपकी दृष्टि में फर्क है। आप हर जगह अपना ही एक, मराठी में कहते हैं कि ‘मनगटशाही’ या ‘हिटलर शाही’ सब ‘शाही’ लगाते हैं। इस चीज़ में मेरे खयाल से मुझसे बढ़कर कोई नहीं होगा, मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है बच्चों को जरा भी कुछ कहना। मुझे पसन्द नहीं है। अगर कोई ऐसी वैसी बात हो तो उसको समझायें, पर इन बच्चों को पनपना चाहिए। यही इस देश के कल के नागरिक हैं और यही बच्चे आपको करामात करके दिखाएंगे। इन लोगों को, बच्चों को इस कदर स्वतन्त्रता तो उस स्वतन्त्रता से आज मैं देखती हूँ कि कितने बढ़िया हो गये हैं। हालांकि खराबी भी बहुतों की हुई है। अब आपके पास संस्कृति का आधार है। उस आधार पर इन बच्चों को आप सम्भालें, उनको समझाईये कि हमारी क्या संस्कृति हो जाएंगी। हमारे देश के बारे में, वहाँ जो महान लोग हो गये हैं उनके बारे में है, तो बहुत सी बातें सीधी-सरल किसी को कुछ मालूम ही नहीं। कोई Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

नैतिकता और देशभक्ति दिल्ली, १८/१२/१९९८ सत्य को शोधने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार! हम सत्य को खोज रहे हैं किंतु कौन सी जगह खोजना चाहिए? कहाँ खोजना चाहिए? कहाँ ये सत्य छुपा हुआ है? ये पहले समझ लेना चाहिए। आप देखते हैं कि परदेस से हजारों लोग हर एक देश से यहाँ आते हैं और उनसे पूछा जाये कि, ‘तुम यहाँ क्यों आयें?’ तो कहते हैं कि, ‘हम यहाँ सत्य खोजने आयें हैं, हमारे देश में तो सत्य नहीं लेकिन भारत वर्ष में तो सत्य है। ये समझ कर के हम यहाँ आयें हैं। और इस सत्य की खोज में हम हर साल हजारों लोग इस देश में आते हैं और हजारों वर्षों से इस देश में आते हैं। आपने सुना ही होगा कि इतिहास में चायना से और भी कई देशों से लोग यहाँ आते थे। और उनको पता नहीं कैसे मालूम था कि इस देश में ही सत्य नेक है, छुपा हुआ है। और उसकी खोज में वो गिरीकंदरों में घूमते थे । हिमालय पर जाते थे। हर तरह का प्रयत्न करते थे कि किसी तरह से हम सत्य को खोज लें क्योंकि वो किसी भी धर्म का पालन करते हैं। लेकिन वो जानते थे कि इस धर्म पालन से हमें सत्य नहीं मिलने वाला है। ये एक तो मार्गदर्शक है। जैसे रास्ते पर इशारे पर लिखा जाता है कि ये रास्ता है। किंतु इससे हम पाते हैं इसलिए इस अधूरेपन से परेशान होकर के वो इस भारतवर्ष में आते थे। अब ये सत्य हमारे देश Read More …

Expression of Subtle Elements New Delhi (भारत)

Panch Tattwa – The Subtle Elements Date 16th December 1998: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतने ठंड में और तकलीफ में आप सब इतना भयंकर दावानल जैसे चारों तरफ से लगा लोग आए। एक माँ के हृदय के लिए ये बहुत हुआ दिखाई देता है। उसके बीच आप सहजयोगी बड़ी चीज़ है। अब और कोई दिन मिल नहीं रहा था, इसी दिन आप लोगों का तकलीफ वर्णन शास्त्रों में है। पर उसमें ये कहा जाता है उठानी पड़ी। और आप लोग इतने प्रेम से, सब लोग, यहाँ आए! सबका कहना था कि हवाई दिन कलि लग गया। तो उन्होंने कहा कि अब अड्डे पर माँ हम तो बिल्कुल आपको देख भी मैं तेरा सर्वनाश करता हूँ क्योंकि तुमने मेरी पत्नी नहीं पाए, और मैं भी आपको नहीं देख पाई। से मैरा बिछोह किया है । इस पर कलि ने कहा इसलिए बेहतर है कि आप लोग आज यहाँ आए कि तुम मेरा महात्म्य जानो मेरा जो महात्म्य है हैं, सब लोग। और दिल्ली वालों का जो उत्साह खड़े हुए हैं। इस कलयुग के बारे में अनेक कि नल, जो दमयंति के पति थे, के हाथ एक उसे समझ लो। उस महात्म्य में गर तुम समझो कि मुझे मार डालना है तो मार डालो, में खत्म हो जाऊंगा। उसने कहा तुम्हारा क्या महात्म्य है? है, वो कमाल का है। ऐसा ही उत्साह सब जगह हो तो ये भारतवर्ष सहजयोग का महाद्वार बन जाएगा। ये एक समय है, Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

75th Birthday Puja Date 21st March 1998: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज इसलिए अंग्रेज़ी में बात की क्योंकि हमेशा में रियलाइज़ेशन दे दो। आपके सारे प्रश्न इससे छुट जायेंगे और हिन्दी में ही बात करती हैँ। लेकिन जो इनसे बात की वो आप एक नए तरह का व्यक्तित्व आपके अंदर आ जायेगा। यह एक लोगों को समझ में आयी होगी। वो यह है कि जब आपके बहुत बड़ा मन्वंतर घटित हो रहा है। मैं कहूँगी कि एक आत्मा का प्रकाश आपके अन्दर फैलता है तो आपमें तीन युनरुत्थान की नई बेला आ गई। इसमें मनुष्य का परिवर्तन होना विशेषतायें आ जाती हैं : आप गुणातीत हो जाते हैं । आप जानते ही अत्यावश्यक है। नहीं तो मनुष्य की जो समस्या है वो ठीक हैं कि आपके अन्दर तमो गुण, रजो गुण और सत्व गुण – तीन नहीं हो सकती। उसका परिवर्तन होना चाहिए और जब वो गुण हैं। तमो गुण जिसमें होते हैं उनका एक स्टाइल (Style) होता है । रजो जिसमें होता है उनका एक स्टाइल होता है, और फिर जब दोनों चीजों से ऊबकर वे सत्व गुण में उतरते सारे प्रांगण में ही आके जैसे आनन्द नाचता है। ऐसे सौंदर्यमय हैं जहां पर आप सोचते हैं अब ये तो सब बेकार की चीजें हैं, और सुन्दर जीवन को प्राप्त करने के लिए आपको कुछ करना अब हमें खोजना है । जब खोज शुरू हो जाती हैं तब आप सत्व गुणी हो जाते हैं। सत्व गुण में उतरने पर फिर Read More …

Shakti Puja (भारत)

Shakti Puja. Kalwe (India), 31 December 1997. ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आज हम लोग शक्ति की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। शक्ति का मतलब है पूरी ही शक्तियाँ, और किसी एक विशेष शक्ति की बात नहीं है। ये पूरी शक्तियाँ हमारे हर एक चक्र पर अलग-अलग स्थान पर विराजित है। और इस शक्ति के बगैर किसी भी देवता का कार्य नहीं हो सकता है। जैसे आप जानते हैं कि कृष्ण की शक्ति राधा है और राम की शक्ति सीता है और विष्णु की लक्ष्मी। इसी प्रकार हर जगह शक्ति का सहवास देवताओं के साथ है। और ये देवता लोग शक्ति के बगैर कार्य नहीं कर सकते हैं। वो शक्ति एक मात्र है। आपके हृदय चक्र में बीचो-बीच जगदम्बा स्वरूपिणी विराजमान है। ये जगदम्बा शक्ति बहुत शक्तिमान है। उससे आगे गुजरने के बाद आप जानते हैं कि कहीं वो माता स्वरूप और कहीं वह पत्नी स्वरूप देवताओं के साथ रहती है। तो शक्ति का पूजन माने सारे ही देवताओं के शक्ति का आज पूजन होने वाला है। इन शक्तियों के बिगड़ जाने से ही हमारे चक्र खराब हो जाते हैं और उसी कारण शारीरिक, मानसिक, भौतिक आदि जो भी हमारी समस्यायें हैं वो खड़ी हो जाती हैं। इसलिए इन शक्तियों को हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए । कहा जाता है कि, ‘देवी प्रसन्नो भवे’ । देवी को प्रसन्न करने से न जाने क्या हो जाये ! अब कुण्डलिनी के जागरण से इस शक्ति को एक विशेष और एक शक्ति मिल जाती है। इन शक्तियों में एक विशेषता और होती है Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

‘सार्वजनिक प्रवचन एवं आत्म साक्षात्कार’, -Types of powers through Kundalini Awakening, Ramlila Maidan, New Delhi, India 12-4-1997 सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा प्रणाम। सर्वप्रथम ये जान लेना चाहिए, कि सत्य की अनेक व्याखायें हो चुकी हैं और अनेक किताबें इस पर लिखी गई हैं। धर्म पुरस्सर कितनी किताबें, कितने प्रवचन, कितने भजन, कितनी भक्ति आप के सामने हैं। आज विशेषकर तेग बहादुर गुरु जी का विशेष दिवस है। उन्होंने भी कहा है, कि परमात्मा की भक्ति करो। परमात्मा की भक्ति से आप प्राप्त कर सकते हैं अपने अंदर के संतुलन को, अपने अंदर की शांति को, और जो कुछ भी आप के अंदर एक तरह से दुर्गुण चिपके हुए हैं, वो सब खत्म हो जाएंगे। पर आज कल का जमाना ऐसा नहीं रहा। आज कल के जमाने के लोग कोई विशेष हैं। एक इधर तो वो बहुत साधक हैं, खोज रहे हैं, सत्य को पाना चाहते हैं, और दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं कि जिनको किसी भी चीज का डर ही नहीं लगता। न तो परमात्मा का डर लगता है। उनसे बताया जाए कि ऐसे गलत काम करने से तुम्हे नर्क प्राप्त होगा। वो उस चीज को नहीं मानते। ये कहा जाता है कि सात जन्म तक मनुष्य इस पाप को ले कर के न जाने कितने तो भी हर तरह के दुख दर्द से गुजरता है। कुछ भी कहिए, किसी भी चीज से डराइए, कुछ भी कहिए, वो डर मनुष्य में बैठता नहीं। ऐसे अजीब पत्थर जैसे लोग हो गए हैं। अब हत्या करना तो महापाप Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja Date 21st March 1997 Delhi Place : Type Puja : Hindi & English आप सबको अनन्त आशीर्वाद | जब सब दुनिया सोती है तब एक सहजयोगी जागता है और जब सब दुनिया जागती है तो सहजयोगी सोता है। इसका मतलब ये होता है कि जिन चीज़ों की तरफ सहजयोगियों का रुख है उस तरफ और लोगों का रुख नहीं । उनका रुख और चीज़ों में है। किसी न किसी तरह से वो सत्य से विमुख हैं, मानें किसी को पैसे का चक्कर, किसी को सत्ता का चक्कर, न जाने कैसे-कैसे चक्कर में इंसान घूमता रहता है और भूला-भटका, सत्य से परे, उसकी ओर उसकी नज़र नहीं है। कोई कहेगा कि इसका कारण ये है, उसका कारण ये है कोई न कोई विश्लेषण कर सकता है। पर मैं सोचती हूँ अज्ञान! अज्ञान में मनुष्य न जाने क्या-क्या करता है। एक तरह का अंधकार, घना अंधकार, छा जाता है। जैसे अभी यहाँ अगर अंधकार हो जाए तो न जाने भगदड़ मच जाए, कुछ लोग उठकर भागना शुरु कर दें, कितने लोगों को गिरा दें, उनके ऊपर पाँव रख दें, उन्हें चोट लग जाए। कुछ भी हो सकता है। इस अंधकार में हम लोग जब रहते हैं तब हमारी निद्रा अवस्था है। लेकिन हम जब जागृत हो गए, जब कुण्डलिनी का जागरण हो गया और जब आप सत्य के सामने खड़े हो जाते हैं तो सत्य की महिमा का वर्णन कोई नहीं कर सकता। मैंने पूछा किसी से, ‘भई, सहज में तुम्हें क्या मिला?’ बोले, ‘माँ, ये नहीं बता सकते पर Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 16th March 1997 : Place Delhi : Type Puja Hindi & English [Orignal transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग शिवजी की पूजा करने जा भी चीज का महत्व नहीं रह जाता। रहे हैं। शिवजी के स्वरूप में एक स्वयं साक्षात अब शंकर जी की जो हमने एक आकृति सदाशिव हैं और उनका प्रतिबिम्ब शिव स्वरुप है। देखी है, एक अवधूत, पहुँचे हुए, एक बहुत कोई ये शिव का स्वरूप हमारे हृदय में हर समय औलिया हो, उस तरह के हैं। उनको किसी चीज़ आत्मस्वरूप बन कर स्थित है। ये मैं नहीं कहूँगी की सुध-बुध नहीं, बाल बिखरे हुए हैं, जटा जूट बने कि प्रकाशित है जब कुण्डलिनी का जागरण होता हैं। कुछ नहीं, तो बदन में कौन से कपड़े पहने हुए हैं, क्या कहें, इसका कोई विचार नहीं। ये सब है तो ये शिव का स्वरूप प्रकाशित होता है और वो हुए प्रकाशित होता है हमारी नसों में। चैतन्य के लिए काम उन्होंने नारायण को, विष्णु को दे दिया है। वे कहा है ‘मेदेस्थित’, प्रथम ‘इसका प्रकाश हमारे स्वयं मुक्त हैं। व्याघ्र का च्म पहन कर घूमते ह मस्तिष्क में, पहली मर्तबा हमारे हृदय का और और उनकी सवारी भी नन्दी की है जो किसी तरह हमारे मस्तिष्क का योग घटित होता है। नहीं तो से पकड़ में नहीं आ सकते। कोई घोड़े जैसा नहीं सर्वसाधारण तरह से मनुष्य की बुद्धि एक तरफ कि उसमें कोई लगाम हो, जहाँ नन्दी महाराज और उसका मन दूसरी तरफ दौड़ता है। योग जायें वहाँ शिवजी Read More …

Shri Raja Lakshmi Puja New Delhi (भारत)

Shri Rajlakshmi Puja Date 7th December 1996: Place Delhi Type Puja Speech Language Hindi दिल्ली शहर में और उसके आसपास सहजयोग बहुत जोर में फैल रहा है। ये एक बड़ी आश्चर्य की बात है। दिल्ली शहर एक राजधानी है और यहाँ अधिकतर लोग सत्ता लोलुप हैं। जो सत्ता पर हैं उनके आगे-पीछे लोग दौड़ते हैं। लेकिन ये सब होते हये भी अपनी आत्मशक्ति को खोजना अपना आत्मबोध कराना और बहुत आश्चर्यजनक है । मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी । क्योंकि ये सूक्ष्म चीज़ है। अत्यंत सूक्ष्म है। ऊपरी तरह से हम इस चीज़ को बहुत मानते हैं। जैसे है, मैंने बहत बार आपके सामने उदाहरण दिया, कि एक सुंदर सा चित्र अगर देख रहे हैं और उस चित्र में बरसात हो रही है। बहुत सुंदर फूल हैं। पक्षी उड़ रहे हैं और आप चित्र को देख कर बहुत खुश हो रहे हैं। लेकिन उस चित्र की जो अनुभूति है वो आपमें नहीं। इसलिये उसकी अनुभूति लेने की आवश्यकता है और अनुभूति लेने के लिये एक बहुत सूक्ष्म विचार चाहिये। आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त होना ये इच्छा रखना ही सूक्ष्म विचार आप के अन्दर जागृत हो गया यही कमाल है, कि हमने अभी तक यथार्थ को पाया नहीं। हमने अभी तक असलियत को पाया नहीं। कोई न कोई ऐसी चीज़ है जिसके पीछे हम भागते हैं। उसमें सत्य नहीं है और वो मैं इस प्रकार मनुष्य कहाँ से कहाँ भटक जाता है। बाह्यत: धर्म के अवलंबन में मनुष्य भागता है। मेरा यह धर्म है, बहुत ऊँचा हूँ। दूसरा कहेगा, मेरा यह धर्म Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Public Program Date 3rd December 1996: Place Delhi Public Program Type Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सत्य को खोजने वाले आप सभी साघकों को हमारा नमस्कार। तो इस भारत वर्ष में अनादिकाल से सत्य की खोज होती रही है, ये हमारे शास्त्रों से ज्ञात होता है। अनेक मार्गों से हमने सत्य की खोज की। अपना देश एक विशेष रूप से अध्यात्मिक है उसका कारण ये कि अपने देश में बहुत सी बातें सुलभ हैं। हम जानते नहीं कि हमारा देश कितना समृद्ध है और कितना पावन है, और यहाँ के लोग कितने सरल और मलरहित हैं। विदेश के लोगों को हम लोग मलेच्छ कहते थे क्योंकि देखते थे कि ये लोग जो यहां आये इनकी सारी इच्छायें ही मल की ओर जाती थी। हमारे जमाने में, क्योंकि अब तो हम बुड्ढे हो गये हैं; तो ये देखा जाता था कि ये जो लोग बाहर से आये हैं, ये कितने उथले हैं, इनकी सारी दृष्टि कितनी उथली है, इनकी जो इच्छायें होती थी वो कितनी उथली हैं। धोरे धीरे अपने दंश पर भी इस पश्चिमात्य संस्कृति की बड़ी जबरदस्त पकड़ आने लगी। उसका कारण यह था कि तीन सौ वर्ष हुए हमारी खोपड़ी पर ये लोग लद गये और हम लोग धीरे-धीरे ये समझने लग गये कि ये बड़े महान हैं जो हमारे देश में आये हैं और हमारे ऊपर राज कर रहे हैं। वास्तिवकता में इन्होंने सबको बेवकूफ बना-बना कर ही अपना कार्यसाध्य किया। दूसरे कर्मकाण्डों की वजह से अनेक तरह की विचित्र-विचित्र Read More …

Easter Puja कोलकाता (भारत)

Easter Puja. Calcutta (India), 14 April 1996. ​आज हम लोग ईस्टर की पूजा कर रहे हैं। आज सहजयोगीं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन हैं। क्यों की ईसा मसीह ने दिखा दिया की मानव का उत्थान हो सकता हैं। और इस उत्थान के लिए हमें प्रयत्नशील रहना चाहिए। जो उनको क्रूस पे चढ़ाया गया, उसमें भी एक बढ़ा अर्थ है के क्रूस पर टाँग कर उनकी हत्या की गई और क्रूस आज्ञा चक्र पे एक स्वस्तिक का ही स्वरूप है। उसी पर टाँग कर के ​और ईसा मसीह वही पे गत:प्राण। उस वक्त उन्होंने जो बातें कही उसमें से सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी की उन्होंने कहा की माँ का इंतज़ार करो। माँ की ओर नज़र करो। उसका अर्थ कोई कुछ भी लगाए पर दिखाई देता हैं की, उन्होंने यह बात कहीं थी के मैं तुम्हारे लिए एक ऐसी शक्ति भेजूंगा जिसके तीन अंग होंगे। वह त्रिगुणात्मिका होंगी। और उसका वर्णन बहोत सुंदरता से किया हैं की, एक शक्ति होंगी वो आपको आराम देंगी। आराम देनेवाली शक्ति हमारे अन्दर जो हैं वो हैं महाकाली की शक्ति, जिससे हमें आराम मिलता हैं। जिससे हमारी बीमारियां ठीक होती हैं। जिससे अनेक प्रश्न जो हमारे भूतकाल के हैं वह सही हो जाते हैं। दूसरी शक्ति उन्होंने दी थी, जो भेजी उन्होंने वो थी महासरस्वती। सो महासरस्वती को उन्होंने कौंसलर (Counsellor) कहा। माने जो आपको समझाएँगी, उपदेश करेंगी। जैसा वर्णन हैं, योग-निरूपण कराएगी। ये दूसरी शक्ति से जिससे हम ज्ञान, सूक्ष्म ज्ञान को प्राप्त होंगे। और तीसरी शक्ति महालक्ष्मी की, जिससे की हम अपने उत्थान Read More …

Birthday Puja, Mind is a Myth New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा मन मिथ्या है दिल्ली मार्च 21, 1996 मेरा जन्म दिन आप इतने प्रेम, आदर और श्रद्धा से मना रहे हैं। यह देख कर ऐसा लगता है कि हमने ऐसा किया ही क्या है जो आप लोग इस तरह अपना प्रेम दिखा रहे हैं। आज मैं आपको एक अनूठी बात बताने वाली हूँ कि हमारे अन्दर जो मन या mind नाम की संस्था है वो एक मिथ्या बात है। वो मिथ्या ऐसी है कि जब हम पैदा होते हैं तो हमारे अन्दर ये मन नाम की बात कोई नहीं होती। जब धीरे धीरे हम बाह्य में प्रतिक्रिया करते हैं, दोनों तरह की, या तो हमें कोई संस्कार बनाता है और कोई हमारे अन्दर अहंकार का भाव जागृत होता है तब उन प्रतिक्रियाओं से जो हमारे अन्दर चीज़ जागृत होती है वो बुलबुलों की तरह इक्टी हो जाती है और ये हमारे विचारों के बुलबुले, हमारे अन्दर मन नाम की एक कृत्रिम संस्था बना देते हैं। यह सारी चीजें हमारे अन्दर ऐसी घटित होती हैं कि जिसे हम खुद ही बना करके, उसी की गुलामी करते हैं। जैसे घड़ी इन्सान ने बनाई है और हम घड़ी की गुलामी करते हैं । सहज में फिर आप कालातीत हो जाते हैं, आप इससे परे उठ जाते हैं। समय आपके साथ चलने लगता है आप समय के पीछे नहीं दौड़ते। अब कम्पयूटर आजकल लोग बना रहे हैं, कम्पयूटर बनाने से उसी की गुलामी लोग करने लग गये। और उस गुलामी में वो इस कदर बहक गये हैं कि वो ये नहीं समझ Read More …

Mahashivaratri Puja Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

“अपने चित्त को प्रेरित करें “, महाशिवरात्रि पूजा। बुंडिला स्काउट कैंप, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 मार्च 1996. आज हम शिव, श्री शिव की पूजा करने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, श्री शिव हमारे भीतर सदाशिव का प्रतिबिंब हैं। मैंने पहले ही प्रतिबिंब के बारे में बताया है। सदाशिव , सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं, जो आदि शक्ति की लीला देखते हैं। लेकिन वह पिता हैं जो अपनी प्रत्येक रचना को या उनकी प्रत्येक रचना को देख रहे हैं। उनका समर्थन आदि शक्ति को पूरी तरह से है, पूर्णतया सशक्त करने वाला है। उनके मन में आदि शक्ति की क्षमता के बारे में कोई सन्देह नहीं है। लेकिन जब वह पाते हैं कि आदि शक्ति की लीला में, लोग या दुनिया अपने आप में, उन्हें आकुल करने, या उनके काम को बिगाड़ने का प्रयत्न कर रहे हैं, तो वह अपनी कुपित मन:स्थिति में आ जाते  हैं, और वह ऐसे सभी लोगों को नष्ट कर देते हैं, और हो सकता है, वह पूरी दुनिया को नष्ट कर दें । एक ओर वह क्रोधी हैं, कोई संदेह नहीं, दूसरी ओर, वे करुणा और आनंद का सागर हैं। इसीलिए, जब वह हमारे भीतर परिलक्षित होते  हैं , हमें अपना आत्मसाक्षात्कार  प्राप्त होता है, हमें अपनी आत्मा का प्रकाश मिलता है और हम आनंद के सागर में डूब जाते हैं। इसके साथ ही, वे ज्ञान का महासागर हैं, इसलिए जो लोग आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है, जो बहुत ही सूक्ष्म है, प्रत्येक परमाणु और अणु में व्यापित, इस ज्ञान की Read More …

Makar Sankranti Puja पुणे (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 1996 Date: Place Pune Type Puja Speech Language Hindi, English and Marathi आज हम लोग यहाँ संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करने के लिये एकत्रित हुए है। अपने देश में सूर्य की पूजा बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं और सूर्य को अर्ध्य देना एक प्रथा जरूरी समझी जाती है और विदेशों में भी सूर्य का बड़ा महत्त्व है। उनके ज्योतिष शास्त्र आदि सब सूर्य पर ही निर्भर है । अब संक्रांत में ये होता है, कि चौदह तारीख को, आज सूर्य अपनी कक्षा छोड़ के उत्तर दिशा में आता है और इसलिये लोग संक्रांत को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन इस पृथ्वी गति से पहले २२ दिसंबर से १४ तारीख तक बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। बहुत ही ज्यादा लोगों को तकलीफ़े होती हैं। जुकाम होता है और हर तरह की शारीरिक पीड़ा भी होती है। उसके बाद उसको संक्रमण काल कहते हैं। जरूरत से ज्यादा ठंडक हो जाता है। उस ठंड के कारण अनेक उपद्रव शुरू हो जाते हैं। पर इस ठंड का भी एक उपयोग होता है। वो ये कि जो किटाणू या तरह तरह की चीज़ें अपने देश में इधर-उधर घूम कर और सब को परेशान करते हैं, वो इस ठंड की वजह से अपनी अपनी जगह चले जाते हैं, बहुत से नष्ट हो जाते हैं। बहुत से लोग मर जाते हैं। मतलब ये कि जिसे हम कह सकते हैं, कि जो सारे हमारे ऊपर पॅरासाइट्स है वो सब खत्म हो जाते हैं। तो ये भी अत्यावश्यक चीज़ हैं, कि हमारे Read More …

Public Program, Satya Ki Pahchan Chaitanya Se He (भारत)

Satya Ki Pahchan Chaitanya Se Hai 14th December 1995 Date : Lucknow Place : Public Program Type सब से पहले ये जान लेना चाहिये, कि सत्य है वो अपनी जगह। उसको हम बदल नहीं सकते, उसका हम वर्णन नहीं कर सकते। वो अपनी जगह स्थिर है। हमें ये भी करना है कि हम उस सत्य सृष्टि को प्राप्त करें। परमात्मा ने हमारे अन्दर ही सारी व्यवस्था की हुई है। इस सत्य को जानना अत्यावश्यक है। आज मनुष्य हम देख रहे है कि भ्रमित हैं। इस कलियुग में बहता चला जा रहा है। उसकी समझ में नहीं आता कि पुराने मूल्य क्या हो गये और हम कहाँ से कहाँ पहुँच गये और आगे का हमारा भविष्य क्या होगा। जब वो सोचने लगता है कि हमारे भविष्य का क्या है? क्या इसका इंतजाम है? हमारे बच्चों के लिये कौनसी व्यवस्था है? तब वो जान लेता है, कि जो आज की व्यवस्था है, मनुष्य आज तक जिस स्थिति में पहुँचा है वो स्थिति संपूर्ण स्थिति नहीं क्योंकि वो एकमेव सत्य को नहीं जानती। केवल सत्य को नहीं जानती। हर एक अपनी मस्तिष्क जो सत्य आता है, उसे समझ लेता है। दो प्रकार के विचार हैं। एक तो विचार ये है कि हम अपने मस्तिष्क से जो मान ले, जिस चीज़ को हम ठीक समझ ले, उसी को हम मान लेते हैं। लेकिन बुद्धि से सोची हुई, बुद्धि पुरस्सर चीज़ सीमित है। कोई | सोचता है, कि ये अच्छा है, तो कोई सोचता है कि वो अच्छा है। और ये ले कर के सब Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 20, 1995 अपने ही जन्मदिन में क्या कहा जाए? जो उम्मीद नहीं थी वो आप इतने लोग सहजयोग में आज दिल्ली में बैठे हुए हैं, इससे बढ़कर एक माँ के लिए घटित हो गया है। और कौन सा जन्म दिन हो सकता है? आप लोगों ने आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त किया है, ये भी आप का जन्मदिन है। एक महान कार्य के लिए आप लोग तैयार हुए हैं। और ये महान कार्य आज तक कभी हुआ नहीं। उसके आप संचालक हैं । इससे बढ़कर और मेरे लिए क्या सुख का साधन हो सकता है? कभी सोचा भी नहीं था कि अपने जीवन में ही इतने आत्मसाक्षात्कारी जीवों के दर्शन होंगे और इतना अगम्य आनन्द उठाने को मिलेगा। एक वातावरण की विशेषता कहें जिसमें कि आज आप देख रहे हैं कि मनुष्य एक भ्रांति में घूम रहा है। एक तरफ विदेश की ओर नज़र करने पर ये समझ में आता है कि ये लोग एकदम ही भटक गए हैं। वहाँ पर नैतिकता का कोई अर्थ ही नहीं रहा। अनीति के ही रास्ते पर चलना, अग्रसर होना वो बड़ी बहादुरी की चीज़ समझते हैं और सीधे नरक की ओर उनकी गति है। इस गतिमान प्रवृत्ति को रोकना बहुत ही कठिन काम है, लेकिन वहाँ भी ऐसे अनेक हीरे थे जिन्होनें सोचा कि बाहर आएँ। 6. दूसरी तरफ हम जब देखते हैं तो बुरी तरह से कठिन परिस्थितियाँ बनाई गई हैं, मनुष्य के लिए कि आप अपने जीवन को एक कठिन बंधन में बाँध लें कि हम धार्मिक हैं। Read More …

Birthday Felicitations New Delhi (भारत)

Janam Diwas Puja – Prem Tattwa 21st March 1995 Date : Place Delhi : Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] अपने ही जन्मदिन में क्या कहा जाए? जो उम्मीद नहीं थी वो घटित हो गया है आप इतने लोग आज सहजयांग में दिल्ली में बैठे हुए है, इससे बढ़कर एक माँ के लिए और कौन सा जन्म दिन हो सकता है? आप लोंगों ने पर उसमें भी खुले आम कोई गलत काम करने की हिम्मत नहीं क्योंकि समाज इतना जबरदस्त है कि उसे खींच लेगा। इसलिए जो बात मैं आज आपको बताने वाली हूं वो ये है कि एक अपने देश की संस्कृति इतनी ऊंची जो अब भी मानी जाती है और अब भी अपने यहां लोग नैतिकता का स्तर मानते हैं। ऐसे देश में विचार करना चाहिए कि यहां किसने इतना अधिक कार्य किया। ये की शक्ति ने और इस शक्ति के सहार उसने अपने बाल-बच्चे, अड़रास-पड़ास और सारे समाज की भी धर्म पर स्थापना की। हालांकि अब विदेशी संस्कृति का असर आ रहा है और उससे हो सकता है कि हम लोग भी थोड़े बहुत प्लावित हो सकते हैं। पर अतिशयता में जाना बड़ी कठिन बात है क्योंकि हम लोग जकड़े हुए हैं अपने दंश की परम्पराओं में। अपना देश इतना सौभाग्यशाली है कि यहां पर एक से एक महात्मा हो गए इतने सन्त हो गए, इतने यहाँ पर अवतरण हुए, हिन्दू धर्म में ही नहीं मुसलमानों में भी और आप जानते हैं सिखों में बड़े-बड़े धरमत्मा इस Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …

Adi Shakti Puja Jaipur (भारत)

Adi Shakti Puja (Hindi). Jaipur (India), 11 December 1994. [Original transcript Hindi talk, scanned fromo Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग आदिशक्ति का पूजन कर रहे हैं। जिसमें सब कुछ आ जाता है। बहुत से लोगों ने आदिशक्ति का नाम भी नहीं सुना। हम लोग शक्ति के पुजारी हैं, शाक्तधर्मी हैं और महामाया स्वरूप था। आदिशक्ति को महामाया स्वरूप होना जरूरी है क्योंकि सारा ही शक्ति का जिसमें समन्वय हो, प्रकाश हो और हर तरह से जो हरेक शक्ति विशेष कर राजे-महाराजे सभी शक्ति की पूजा की अधिकारिणी हो उसे महामाया का ही स्वरूप करते हैं। सबकी अपनी-2 देवियाँ हैं और उन लेना पड़ता है। उसका कारण ये है कि जो प्रचण्ड शक्तियाँ इस स्वरूप में संसार में आती सब देवियों के नाम अलग-2 हैं। यहाँ की देवो का नाम भी अलग है, गणगौर। लेकिन आदिशक्ति हैं. सबसे पहले सुरकभि के रूप में आई थी ये का एक बार अवतरण इस राजस्थान में हुआ जो शक्ति, जो एक गाय थी। उसमें सारे ही देंबी वो सती देवी के रूप में यहाँ प्रकट हुई। उनका देवता बसे हैं और उसकोे बाद एक बार सती बड़ा उपकार है जो राजस्थान में अब भी अपनी देवी के रूप में, एक ही बार इस राजस्थान में अवतरित हुई। मैंने आपसे बताया कि मेरा संबंध संस्कृति, स्त्री धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, राजधर्म हरेक तरह के धर्म को उनकी शक्ति ने इस राजस्थान से बहुत पुराना है क्यांकि हमारे पूर्वज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सिसौदिया वश प्लावित किया, Nourish किया। सती देवी की Read More …

Shri Rajalakshmi Puja New Delhi (भारत)

4-12-1994 Shri Rajlaxmi Puja, Delhi आज हम राजलक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं, मतलब वह देवी जो राजाओं पर शासन करती है। आज यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मूल रूप से कुछ गलत हो रहा है हमारी राजनीतिक व्यवस्थाओं की  कार्यप्रणाली में और क्यों लोगों ने अपनी न्याय, निष्पक्ष व्यवहार और परोपकार की भावना को खो दिया है। हम कहाँ गलत हो गए हैं कि ये सब खो रहा है? ये केवल भारत में नहीं, ये केवल जापान या इंग्लैंड में नहीं या किसी अन्य स्थान पर, जहाँ हमें लगता है कि लोकतंत्र है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी देशों ने, यहां तक ​​कि जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता पायी है, उन देशों का अनुसरण करना शुरू किया जो बहुत ही उच्च और पराक्रमी और बहुत शक्तिशाली माने जाते थे जैसे कि अमरीका, जैसे कि रूस, जैसे कि चीन, इंग्लैंड – सोचे समझे बिना कि वे अपने उस लक्ष्य को पाने में कितना सफल हुए हैं जो उन्हें प्राप्त करने थे। जैसा भी हो, इंग्लैंड जैसे देश में, आप देखते है यह राज-तंत्र, किस ढंग से यह काम करता है, आश्चर्य चकित कर देता है, बिल्कुल चौंका देता है । जिस तरह से उन्होंने अपने मंत्रियों के प्रति आचरण किया, जैसे क्रॉमवेल, आपको ऐसा लगता है जैसे कोई आदिम लोग कुछ प्रबंधन करने का प्रयत्न कर  रहे हैं। और राजा लोग इतने क्रूर, रानियाँ इतनी क्रूर, इतने चरित्रहीन, इतने अविश्वसनीय। उनमें कोई चरित्र नहीं था राजा और रानी बनने का। अपने राजलक्ष्मी सिद्धांत के प्रति कोई Read More …

Quawwali – Baba Zaheer पुणे (भारत)

Talk आपको चैतन्य कहाँ महसूस होता है? ऐसे ही सूफ़ी हो जाए गुणगान हो जाएकवाल हो जायमशरूफ हो जाए| तो सारे दूर हम  मन चैतन्य को तो इनके गाने के मध्यम से फेला सकते है| बहुत आसान है इन्होंने इनके भाई लोग है  मे पता नही भाई नाम | मैं अपना सूफ़ी नाम बता देता हूँ!आप बता दो!  (कव्वाल अपना नाम श्रीमताजी को बताते हुए|) तो आप सब लोगो का बहुत बहुत धन्यवाद की आप लोग आए और इसको क़्वाली को सुनने के लिए मैं चाहती हूँ की और भी लोग सहज योगी आ गये होते तो अच्छा होता| पर शायद यह जगह थोड़ी दूर हो इसलिये इस वजह से नही आ पाए हो  ….बहरहाल इस तरह की चीज़े अगर हमारी यहाँ धीरे धीरे फैल जाए तो सहज की जो धारा है वो ओर भी सहज हो जाए | अच्छा, दिल्ली मे भी अंदर तीन साल पहले वहाँ मुस्लिम लोग बैठ ते है| तो वहाँ हुँने ग्राउंड मैं सबके रहने  की व्यवस्था की तो पोलीस के लोगो ने हमे वहाँ खबर की वहाँ मुसलमान लोग रहते है और वो आप पे बॉम्ब छोड़ेंगे मैने कहाँ मेरे पे कोई बॉम्ब नही छोड़ने वाला आप चिंता मत करो, मैने कहाँ कौन है वो मुसलमान| कहने लगे निज़ामुद्दीन साब, निज़ामुद्दीन साब एक बहुत बड़े औलिया उनके एक शिष्य थे| आप ने सुना होगा उनका नाम उनकी इतनी सुंदर कविताए हैं जो की शृंगारिक रूप से लिखी है पर परमातमा पे | वो फिर वो लोग मैने कहाँ अरे मैनेउनकी कब्र पर सबसे पहले उनके ऊपर चादर चढ़ाई थी तब तो कोई वहाँ Read More …

Shri Raja Rajeshwari Puja (भारत)

Shri Raj Rajeshwari Puja Date 21st January 1994 : Place Hyderabad Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम श्री राज राजेश्वरी की पूजा करने वाले हैं। और आपके चक्र ठीक से बैठने लग जाते हैं। जब चक्र खासकर दक्षिण में देवी का स्वरूप अनेक तरह से माना आपके ठीक हो जाते हैं तभी कण्डलिनी जागृत होती है। जाता है। उसका कारण यहां पर आदिशंकराचार्य जैसे इसलिए पहले आप वैष्णव बनते हैं, उसके बाद आप शक्ति अनेक देवीभक्त हो गए हैं। और उन्होंने शाक्त धर्म की बनते हैं। इस प्रकार से दोनों चीजें एक ही हैं। स्थापना की अर्थात शक्ति का धर्म दो तरह के धर्म एक साथ चल पड़े। रामानजाचार्य ने वैष्णव धर्म की स्थापना की उसमें से राज राजेश्वरी को बहुत ज्यादा माना जाता है। और दो तरह के धर्मों पर लोग बढ़ते-बढ़ते अलग हो गये। अब देखा जाए तो लक्ष्मी जो है वो वैष्णव पथ पर है विष्णु के असल में जो वैष्णव है उसका कार्य महालक्ष्मी का है और प्रथ पर। विष्ण की पत्नी है और इसलिए ये लक्ष्मी का एक महालक्ष्मी के जो अनेक स्वरूप हैं उनको अपने में स्वरूप बताया गया है जो कि शक्ति का ही स्वरूप है। राज आत्मसात करना है। जैसे की धर्म की स्थापना करना और राजेश्वरी का मतलब है कि जब कण्डलिनी नाभि में आ मध्यमार्ग में रहना। न तो बाएं में जाना न दाये में जाना जाती है जहां पर उसे लक्ष्मी का स्वरूप प्राप्त होता है। ऐसा मध्य मार्ग में रहना। Read More …

Ardha Matra Volume 5 two interviews or talks (भारत)

अर्धमात्रा वॉल्यूम ५ कथावाचक : अनादिकाल से मानव सत्य की खोज में पर्वतो की बर्फीली चोटियों से ले कर [unclear] कठिन परिश्रम करता रहा| भारत की पावन भूमि सत्य साधको की योगभूमि रही है| उन्होंने पाया की सारे ब्रह्माण्ड को चलने वाले अनगिनत शक्तियाँ एक परा शक्ति का अंश है, इस पराशक्ति को उन्होंने आदिशक्ति का नाम दिया |आदिशक्ति प्रभु के प्रेम की असीम शक्ति है जिसे मानव आपने जीवन में हर पल मह्सूस करता है|  प्रभु के प्रेम में आत्मविभोर होकर मानव प्रभु के प्रति पूर्णता समर्पित हो जाता है, प्रभु के साथ एकाकारिता को ही योग कहते है|  नचिकेता तथा मर्कंद्ये ने कठिन तप कर इस दिव्यज्ञान को बाल्यकाल में प्राप्त किया | योग की हर विधा पर दिया गया भगवान श्री कृष्ण का ज्ञान, आज भी मानव को सत्य की साधना को करने को प्रेरित करता है | मानव जिस आनन्द एवं शांति की खोज में लगा है वह सत्य उसे केवल तार्किक श्रद्धा से प्राप्त हो सकता है, इस बात से कदापि इंकार नही किया जा सकता कीपृथ्वी पर जितने भी अवतरण हुए, जितने भी धर्मं बने , पंथ बने, जितने भी संत-पीर हुए वे मात्र सात्विक श्रद्धा के आविष्कार थे| कर्म-कांड से परे, रिती-रिवाजों से हट कर एवं रुढियों से उठकर [unclear] जिस शक्ति की ओर संकेत करती है वह शक्ति केवल मानवता का प्रतीक है |  महाराष्ट्र के महान संत ज्ञानेश्वरजी ने ज्ञानेश्वरी का छ्ठे अध्याय में दिव्य ज्ञान को सरल एवं सुन्दर मराठी भाषा में व्याख्या कर के जन-जन तक पहुँचने का महान Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 31st December 1993 : Place Kalwe Type Puja Speech Language Hindi आज फिर दुनिया में आये हर एक प्रकार के संघर्ष हम लोगों के सामने हैं। और उन संघर्षों को देखते हुये हम लोग ये सोचने लग जाते हैं, कि क्या ये सृष्टि और ये मानव जाति का पूर्णतया सर्वनाश हो जायेगा ? ऐसा विचार | करते हैं। और ये विचार आना बिल्कुल ही सहज है। क्योंकि हम चारों तरफ देख रहे हैं कि हर तरह की आपत्तियाँ आ रही है। आपके महाराष्ट्र में ही इतना बड़ा भूकम्प हो गया। लोग उस भूकम्प से भी काफ़ी घबरा गये। पर तीन साल लगातार मैं पुणे में पब्लिक मिटिंग में कहती रही, कि गणेश जी के सामने जा के शराब पीते हैं और ये गंदे डान्स करते हैं और बहुत बेहुदे तरीके से उनके सामने पेश आते हैं। पर गणपति ये बहत जाज्वल्य देवता है, बहुत जाज्वल्यवान। और उनको ऐसी गलत चीजें चलती नहीं । पता नहीं इतने साल उन्होंने कैसे टॉलरेट किया? और मैंने साफ़ कहा था, कि ऐसा करोगे तो महाराष्ट्र में भूकम्प आयेगा। भूकम्प शब्द मैंने कहा था। लेकिन कोई सुनता थोड़ी ही है। वो डिस्को वगैरा क्या गंदी चीजें हैं, वो ले कर के वहाँ डान्स करते हैं। शराब तो इतनी महाराष्ट्र में आ गयी कि इसकी कोई हद नहीं। अब दो तरह की जनता अब मैं देख रही हूँ, एक शराबी, बिल्कुल म्लेंछ और दुसरी शुद्ध, पवित्र ऐसी सहज कम्युनिटी। अगर आपको बच्चों को बचाना है और उनको एक शुद्ध वातावरण देना है, Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …

Advice on Gudi Padwa New Delhi (भारत)

परमपूज्य माता जी श्री निर्मला देवी द्वारा दी गयी शिक्षा गुडी पाडवा, दिल्ली २४-०३-९३ आज सत्य युग का पहला दिन हैं। प्रकृति आप को बताएगी कि सत्य युग आरम्भ हो गया है। सहजयोग सत्ययुग ले आया हैं। आप आत्म साक्षात्कारी हैं, आपको स्वयं में श्रद्धा तथा विश्वास होना चाहिये। सहजयोग की कार्य शैली में आपकी श्रद्धा होनी चाहिये । आपकी ज्योतिर्मय श्रद्धा में क्या कार्य करता है? पूर्ण विश्वास होना चाहिये । मेरी ओर देखिये । मैनें अकेले सहजयोग को फैला दिया हैं। बस परम चैतन्य में विश्वास रखें । यदि आपको कोई सन्देह हैं, तो मुझसे पूछ लें। परमात्मा तो नहीं है पर मै तो आप से बातचीत करने के लिये यहाँ हूँ। अत:अब सहजयोगियों को सन्देहमुक्त होना चाहिये । | १. अगुआगणों को बहुत सावधान रहना चाहिये । उन्हें अहंकार विहीन होना चाहिये । वे संदेश के माध्यम मात्र हैं जैसे पोस्ट करने के लिये मुझे पत्र को लिफाफे में ड्रालना पड़ता हैं। स्वामित्व भाव से वे सावधान रहे । २. किसी भी चीज की योजना बनाते समय हमारा चित्त सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण चीज पर होना चाहिये। आपकी प्राथमिकताएं स्पष्ट होनी चाहियें । | ३. यदि कोई नकारात्मकता हो तो मुझे बतायें, मैं इसे ठीक करुंगी । ४. प्राय: आयोजक धन की चिन्त करने लगते हैं। सहजयोग में आपको सदा धन प्राप्त हो जायेगा । परन्तु यदि आप चिन्ता करेंगे तो धन नहीं मिलेगा। धन इतना अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं हैं । ५. एक दूसरे के लिये हम में विवेक होना चाहिये । ६. आपको कोई भय नहीं होना Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Sarvajanik Karyakram 22nd March 1993 Date : Place Delhi : Public Program Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सहजयोग का ज्ञान सूक्ष्मज्ञान है और सूक्ष्मज्ञान को प्राप्त करने कास्प पे दोड़ते रहते हैं। आज ये विचार आया। कल ये विचार के लिये, हमें भी सूक्ष्म होना है। ये सूक्ष्मता क्या है कि हमें आत्मा स्वरुप होना चाहिये। आत्मा से ही हम इस सूक्ष्म ज्ञान को समझ चढ़ती है तो क्या होता है कि विचार कुछ लम्बा हो जाता है। सकते हैं। क्योंकि आत्मा का अपना प्रकाश हैं और वो प्रकाश इन दोनों विचारों के बीच में जो स्थान है उसे विलम्ब कहते हैं। जब हमारे ऊपर प्रगटित होता है तो उस आत्मा के प्रकाश में इस विलम्ब स्थिति में आप आ जाते हैं और विलम्ब की स्थिति ही हम इस सूक्ष्मज्ञान को जानते हैं ये हमारे ही अन्दर की आत्मा जो बहुत संकीर्ण होती है वो बढ़ जाती है। ये हो वर्तमान है। है। ये परमात्मा का प्रतिबिम्ब हमारे ही अन्दर आत्मा स्वरुप है और कुण्डलिनी परमात्मा की इच्छा शक्ति आदि शक्ति का से सतर्क है, बेसुध अवस्था में नहीं जाते। आप सुप्ता अवस्था में प्रतिबिम्ब है। कुण्डलिनी साढ़े तीन वलयों में है जिन्हें कुण्डल नहीं जाते। जरुरत से ज्यादा सतर्क हो जाते हैं। लेकिन कोई कहते हैं इसलिये उसका नाम कुण्डलिनी है। कुण्डलिनी जब विचार आपके अंदर नहीं आता। बस सब चौज देखना मात्र बनता उठतो है तो ये साढ़े तीन कुण्डल पूरे के पूरे नहीं उठते। जैसे है। इसे साक्षो स्वरूप कहा गया है Read More …

Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 19th February 1993 : Place Mumbai Type Puja Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज यहां पर हम लोग शिवजी की पूजा करने के लिये है कि जिसपे भी दृष्टि पड़ जाए वो ही तर जाता है। जिसके एकत्रित हुए तरफ उनका चित्त चला जाए वो ही तर जाए। कुछ उनको े पूजा एक बहुत विशेष पूजा है क्योकि मानव का अन्तिम लक्ष्य यही है कि वो शिव तत्व को प्राप्त करें। करने की ज़रूरत ही नहीं है ये सब खेल है। जैसे बच्चों शिव तत्व बुद्धि से परे है। उसको बुद्धिध से नहीं जाना जा सकता। के लिए खेल होता है परमात्मा के लिए भी वो सारा एक जब तक आप आत्म-साक्षात्कारी नहीं होते, जब तक आपने खेल है वो देख रहे हैं। उस भोलेपन में एक और चीज नीहित अपने आत्मा को पहचाना नहीं, अपने को जाना नहीं, आप शिव हैं। जो भोला आदमी होता है, सत्यवादी होता है अच्छाई से तत्व को जान नहीं सकते। शिवजी के नाम पर बहुत ज्यादा आडम्ब, अन्धता और अन्धश्रद्धा फैली हुई है। किन्तु जो मनुष्य ले रहा है तब उसको बड़े जोर से क्रोध आता है। उसका आत्म साक्षात्कारी नहीं वो शिवजी को समझ ही नहीं सकता क्रोध बहुत जबरदस्त होता है। चालाक आदमी होगा वो क्रोध क्योंकि उनकी प्रकृति को समझने के लिये सबसे पहले मनुष्य को घुमा देगा, ऐसा बना देगा कि उसकी जो प्रमुख किरणें को उस स्थिति में पहुंचना चाहिए जहां पर सारे ही महान तत्व अपने आप Read More …

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love आज हम यहां आदि-कुंडलिनी और आपकी अपनी कुंडलिनी, दोनों की पूजा करने के लिये एकत्र हुये हैं क्योंकि आपकी कुंडलिनी आदि कुंडलिनी का ही प्रतिबिंब है। हम कुंडलिनी के विषय में बहुत कुछ समझ चुके हैं और हम यह भी जानते हैं कि कुंडलिनी के जागृत होने से ….. इसके उत्थान से हम चेतना की अथाह ऊंचाइयों को छू चुके हैं। ऐसा नहीं है कि हम मात्र चेतना के उच्च क्षेत्रों तक उठे हैं ….. इसने हमें कई शक्तियां भी प्रदान की हैं ….. आध्यात्मिकता के इतिहास में पहले कभी भी लोगों के पास कुंडलिनी को जागृत करने की शक्ति नहीं थी। जैसे ही उनकी कुंडलिनी जागृत होती थी वैसे ही वे या तो दांये या बांये की ओर चले जाते थे और शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे और ऐसी शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते थे जो लोगों के हित के लिये नहीं होती थीं। बुद्ध ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भविष्य में जब बुद्ध का पुनर्जन्म होगा …. तो मात्रयात् के रूप में होगा … अर्थात तीन माताओं की शक्तियां जिसमें निहित होंगी ……. जब वह इस धरती पर आयंगी उस समय इन शक्तियों को लोगों के हित के लिये उपयोग किया जायेगा। यह एक प्रतीकात्मक बात है …… लोगों के हित के लिये न कि केवल सहजयोगियों के लिये। जब तक कि जो बुद्ध अर्थात आत्मसाक्षात्कारी हैं …. कुंडलिनी के विज्ञान के विषय में नहीं जान जाते तब तक ये कैसे संभव है? जिन Read More …