
Makar Sankranti Puja House in Pratishthan, पुणे (भारत)
Makar Sankranti. Pratishtan (India), 2008. […]
Makar Sankranti. Pratishtan (India), 2008. […]
Hindi Transcript of Shri Krishna Puja. Pune (India), 9 August 2003.
हम लोगों को अब यह सोचना है कि सहजयोग तो बहुत फैल गया और किनारे किनारे पर भी लोग सहजयोग को बहुत मानते हैं। लेकिन जब तक अपने अन्दर सहजयोग वायवास्तीह रूप से प्रकटित नहीं होगा तब तक जैसा लोग सहजयोग को मानते हैं वो मानेगें नहीं। इसलिए ज़रूरत है कि हम कोशिश करें कि अपने अन्दर झांकें। यही कृष्ण का चरित्र है कि हम अपने अन्दर झांके और देखें जाने की कौन सी ऐसी चीजे हैं जो हमें दुविधा में डाल देती हैं। इसका पता लगाना चाहिए। हमें अपने तरफ देखना चाहिए, […]
Talk at the Hindu Temple (Hindi). Vancouver (Canada), 27 June 1999. […]
Shri Hanumana puja. Pune (India), 31 March 1999.
[Hindi Transcript]
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari आज हम लोग श्री हनुमान जी की जयन्ती भी चित्र बनाते हैं तो पहले हनुमान जी का ही मना रहे हैं हनुमान जी के बारे में क्या कहें कि वो जितने शक्तिवान थे जितने गुणवान थे उतने ही वो श्रद्धामय और भक्तिमय थे। अधिकतर, ऐसा मनुष्य जो बहुत शक्तिवान हो जाता है, बहुत जो कुछ भी हमने अपने उत्क्रान्ति में, […]
Public Program, Ramlila Maidan, Delhi (India), 4 December 1997.
[Hindi Transcript]
[Talk in Hindi ends and English starts]
I am sorry I have to speak in Hindi language because there are so many people who know only Hindi. But I am sorry for you because I wont be able to meet you again as you are going away on the tour.What I was telling them that whatever maybe taught through religion and whatever they might frighten you, […]
Sarvajanik Karyakram 22nd March 1993 Date : Place Delhi : Public Program Type
[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]
सहजयोग का ज्ञान सूक्ष्मज्ञान है और सूक्ष्मज्ञान को प्राप्त करने कास्प पे दोड़ते रहते हैं। आज ये विचार आया। कल ये विचार के लिये, हमें भी सूक्ष्म होना है। ये सूक्ष्मता क्या है कि हमें आत्मा स्वरुप होना चाहिये। आत्मा से ही हम इस सूक्ष्म ज्ञान को समझ चढ़ती है तो क्या होता है कि विचार कुछ लम्बा हो जाता है। सकते हैं। क्योंकि आत्मा का अपना प्रकाश हैं और वो प्रकाश इन दोनों विचारों के बीच में जो स्थान है उसे विलम्ब कहते हैं। जब हमारे ऊपर प्रगटित होता है तो उस आत्मा के प्रकाश में इस विलम्ब स्थिति में आप आ जाते हैं और विलम्ब की स्थिति ही हम इस सूक्ष्मज्ञान को जानते हैं ये हमारे ही अन्दर की आत्मा जो बहुत संकीर्ण होती है वो बढ़ जाती है। ये हो वर्तमान है। है। ये परमात्मा का प्रतिबिम्ब हमारे ही अन्दर आत्मा स्वरुप है और कुण्डलिनी परमात्मा की इच्छा शक्ति आदि शक्ति का से सतर्क है, […]
Mahashivaratri Puja (Hindi/English). Delhi (India), 9 February 1991. […]
1989-03-19 Birthday Puja – Introspection (Hindi)
जन्मदिवस पूजा दिल्ली, १९ मार्च १९८९ सहजयोग के कार्य में व्यस्त न जाने कैसे समय बीत जाता है। अब करिबन अठारह साल से सहजयोग कर रहे हैं हम और उसकी प्रगती अब काफी हो रही है। आपने देखा किस तरह से इसकी प्रगती बढ़ रही है। अब जन्मदिन के दिन अब हमारे तो आपकी सबकी स्तुति करनी चाहिए और सब अच्छा ही कहना चाहिए। लेकिन एक ही बात मुझे जो समझ में आती है और जो मुझे कहनी चाहिए वो है कि अपनी गहराई को बढ़ाना है। अपनी गहराई को बढ़ाना बहुत जरुरी है और ये गहराई हमारे अन्दर है, […]
Sarvajanik Karyakram 12th March 1989 Date : Noida Place Public Program Type Speech Language Hindi
सत्य को खोजने वाले सभी साधकों को हमारा प्रणाम ! सब से पहले तो बड़ी दुःख की बात है, कि इतनी देर से आना हुआ और एरोप्लेन ने इतनी देरी कर दी और आप लोग इतनी उत्कंठा से और इतनी सबूरी के साथ सब लोग यहाँ बैठे हये हैं। और हम, असहाय माँ, जो सोच रही थी कि किस तरह से वहाँ पहुँच जायें? […]
सहजयोगियों को उपदेश
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए कि यहाँ जो बंबई वाले और दिल्ली वाले लोग आये हैं ये मेहमान नहीं हैं। मेहमान जो लोग बाहर से आये हैं वो हैं। बसेस उनके पैसे से आयी हैं। आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहे उसके लिए। एक कवडी भी नहीं दे रहे हैं। बसेस उनकी हैं, वो सब बसेस मार कर आप लोग यहाँ आ गये। यहाँ | बसेस छोड़ दिये, […]
1986-01-21 Public Program: Satya, Mumbai (Hindi) […]
Mahashivaratri Puja Date : 17th February 1985 Place Delhi Туре Puja Speech Language Hindi
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari अपनी कुण्डलिनी को नीचे नहीं गिरने दें । आज शिवरात्रि के इस शुभ अवसर पे हम लोग एकत्रित हुए हैं और ये बड़ी भारी बात है कि हर बार जब भी शिवरात्रि होती है मैं तो दिल्ली में रहती हूँ। हमारे सारे शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार, सारे चीजों में सबसे महत्वपूर्ण चीज है आत्मा और बाकी सब कुण्डलिनी इसलिए नीचे गिरती है क्योंकि हमारे अन्दर बहुत से पुराने विचार, […]
1985-02-12 Public Program, Delhi […]
1984-01-03, New Year Puja: Who Is A Sahaja Yogi?, Delhi
Nav Varsh Puja – S. Sahajyogi Ki Pahechan 3rd January 1984 Date : Place Delhi :
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Nirmala Yog लेकिन माँ की व्यवस्था और है कि पहले चैतन्य को पा लो. जान लो कि परमात्मा है, उस पर विश्वास करो जो अन्धविश्वास नहीं है, सत्य के रूप हर साल नया साल आता है और पुराना साल खत्म हो जाता है। सहजयोगियों के लिए हर क्षण एक नया साल है, […]
Public Program, Delhi (India), 29 Jauary 1983. […]
Public Program. Lakshmi Narayan temple, New Delhi (India), 18 February 1981. […]
1981-02-15 Talk at Delhi University 1981: Tattwa Ki Baat 1, Delhi
Tattwa Ki Baat – 1 Date 15th February 1981 : Place Delhi Public Program Type Speech Language Hindi CONTENTS | Transcript | 02 – 18 Hindi English Marathi || Translation English Hindi 19 – 30 Marathi
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindii Chaitanya Lahiri कल मैंने आपसे कहा था कि………….. है? अगर धरती माता की वजह से ही सारा कार्य आज आपको तत्व की बात बतायेंगे जब हो रहा है तो घरती माता की वजह से यह जो हम एक पेड़ की ओर देखें और उसका उन्नतिगत पत्थर है वो क्यों नहीं पनपता ? […]
1981-02-10 What To Do After Self-realisation and Sahasrara Chakra, Delhi (PP)
सहजयोग में प्रगति नई दिल्ली, १० फरवरी १९८१ यहाँ कुछ दिनों से अपना जो कार्यक्रम होता रहा है उसमें मैंने आपसे बताया था कि कुण्डलिनी और उसके साथ और भी क्या-क्या हमारे अन्दर स्थित है। जो भी मैं बात कह रही हूँ ये आप लोगों को माननी नहीं चाहिए लेकिन इसका धिक्कार भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये अन्तरज्ञान आपको अभी नहीं है । और अगर मैं कहती हूँ कि मुझे है, […]
Public Program
[Hindi Transcript] […]
1980-12-13 Bharatiya Vidya Bhavan, Mumbai […]
1980-01-29, Seminar for the new Sahaja yogis Day 2, Bordi
[Hindi Transcript]
ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK कल आपको प्रस्तावना मैं मैंने बताया, कि जो आप हैं वो किसलिये संसार में आये हैं। परमात्मा ने इतनी मेहनत से आपको क्यों इन्सान बनाया? और इस इन्सान का क्या उपयोग है? इसके लिये परमात्मा ने हमारे अन्दर जो जो व्यवस्था की है वो अतीव सुन्दर है। और बड़ी मेहनत ले कर के बड़ी व्यवस्था की गयी। और सारी तैय्यारियाँ अन्दर जुट गयी। लेकिन जिस वक्त मनुष्य को स्वतंत्रता दी गयी, […]
5th Day of Navaratri Celebrations, Guru Tattwa (Mahima) and Shri Krishna
[Hindi Transcript]
गुरू तत्व और श्रीकृष्ण शक्ति २६ सितम्बर १९७९, मुंबई अभी तक के लेखों के अनुसार अपने शरीर में अलग-अलग देवताओं के विशिष्ट स्थान हैं। सद्गुरु का भी स्थान अपने शरीर में है और यह स्थान हमारे शरीर में हमारी नाभि के चारों तरफ है। नाभिचक्र पर श्री विष्णुशक्ति का स्थान है। विष्णुशक्ति के कारण ही मानव की अमीबा से उत्क्रान्ति हुई है। और इसी विष्णुशक्ति से ही मानव का अतिमानव होने की घटना घटित होगी। सद्गुरु का स्थान आप में बहुत पहले से स्थित है। अब गुरूतत्व कैसा है यह समझने की कोशिश करते हैं । गुरुतत्व अनादि है। आप में अदृश्य रूप से तीन मुख्य शक्तियाँ कार्यान्वित हैं। इसमें से पहली शक्ति को हम श्री महाकाली की शक्ति, […]
Public program (Hindi). Bordi Shibir, Maharashtra, India. 24 March 1979.
[Hindi Transcript]
आप लोग सब सहजयोग में आये हैं। कुछ लोग पहले से आये हैं, बहुत सालों से और कोई लोग नये हैं। धीरे- धीरे सहजयोग में संख्या बढ़ने वाली है इसमें कोई शक नहीं है और सत्य जो है वो धीरे -धीरे ही प्रस्थापित होता है। सत्य की पकड़ धीरे-धीरे होती है। आपके यहाँ ऐसे लोग हैं जो आठ-आठ, नौ-नौ महिनों तक सहजयोग में आते रहे और उसके बाद पार हुए। सत्य को पाने के लिये हमारे अन्दर पहले तो गहराई होनी चाहिए। पर सबसे बड़ी चीज़ है हमारे अन्दर सफाई होनी चाहिए। अब अनेक गुरुओं के बीच में जाकर के हमारा चित्त जो है वो बुरी तरह से विक्षिप्त हो जाता है । दूसरा, […]
Public program, Sahasrara (Hindi). Delhi (India). 18 March 1979. […]
Seminar (Hindi). (in Delhi?). 13 March 1979. […]
Seminar in Delhi (India), 10 March 1979.
भारतवर्ष योगभूमि , सेमिनार दिल्ली, १०/३/१९७९ आज सबेरे मैंने आपसे बताया था अंग्रेजी में कि परमात्मा ने हमें जो बनाया है, आप इसे माने या न माने, उसका अस्तित्व आप समझे या न समझे वो है। और उसने हमें जिस प्रकार बनाया, जिस तरह से बनाया है वो भी | एक बड़ी खूबी की चीज़ है। मैंने सबेरे बताया था कि कैसे बहुत थोड़े से समय में एक अमीबा जैसे प्राणी से मनुष्य बनाया गया। और आप को मनुष्य बनाया गया सो क्यों? […]
Seminar (Hindi). Dheradun, UP, India. 4 March 1979.
परमात्मा सब से शक्तिशाली है देहरादून, ४ मार्च १९७९ आज मैंने आपसे सबेरे बताया था कि कुण्डलिनी के सबसे पहले चक्र पे श्री गणेश जी बैठते हैं, श्री गणेश का स्थान है और श्री गणेश ये पवित्रता के द्योतक हैं। पवित्रता स्वयं साक्षात ही है। वो तो पहला चक्र हुआ। और ये चक्र जो है कुण्डलिनी से नीचे है वो कुण्डलिनी की रक्षा ही नहीं करता है, लेकिन वो लोग जो कुण्डलिनी में जाते हैं उनसे पूरी तरह से सतर्क रहते हैं। इस रास्ते से कोई भी कुण्डलिनी को नहीं छू सकता है। आज सबेरे मैंने आपसे बताया था कि इस रास्ते से जो लोग कोशिश करते हैं वो बड़ा ही महान पाप करते हैं। हालांकि उससे थोड़ा बहुत रुपया-पैसा कमा सकते हैं। लेकिन अपने लिए जो पूँजी इकठ्ठी करते हैं, […]
Seminar (Hindi). Boriwali, India. 26 January 1979. […]