Guru Puja, How To Become A Guru Campus, Cabella Ligure (Italy)

(कबैला लीगर(इटली), 20 जुलाई 2008) सभी सहजयोगियों के लिये आज का दिन बड़ा महान है क्योंकि आपका सहस्त्रार खोल दिया गया है, आप परमात्मा के अस्तित्व का अनुभव कर सकते हैं। ये कह देना कि परमात्मा है …. ये काफी नहीं है … और ये कहना भी कि परमात्मा हैं ही नहीं …ये भी सरासर गलत है और जिन लोगों ने ऐसा कहा है उन्हें इसके कारण बहुत कष्ट उठाने पड़े हैं। केवल आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद ही आपको मालूम होता है कि परमात्मा हैं और उनके चैतन्य का अस्तित्व भी है। पूरे विश्व में ये बहुत बड़ी घटना है कि विराट का सहस्त्रार खोला गया। इसीलिये आज मैं कह रही हूं कि आपके लिये ये बहुत महान दिन है। आपमें से अनेकों ने अपने हाथों और सहस्त्रार पर ठंडी हवा का अनुभव किया है। सहजयोग में कुछ लोगों ने काफी प्रगति की है और कुछ ने बिल्कुल भी नहीं की है। कुछ अभी तक अपने पुराने कैचेज के साथ ही जिये जा रहे हैं। लेकिन अब मुझे कहना है कि आपमें से अनेक स्वयं के गुरू बन सकते हैं अर्थात शिक्षक और आपको एक गुरू की तरह ही व्यवहार करना चाहिये। गुरू की तरह से व्यवहार करने के लिये आपको सहजयोग को जानना होगा … इसके सिद्धांत और आपको इसके तौर तरीकों को पूर्णतया जानना होगा … तभी आप गुरू बन सकते हैं। आपके ऊपर ये एक बहुत बड़ा दायित्व है …… गुरू बनने के लिये आपके अंदर बहुत बड़ी समझ का होना आवश्यक है। इसके लिये आपके अंदर Read More …

Easter Puja: You must forgive The Pride Hotel, Nagpur (भारत)

ईस्टर  पूजा (आपको क्षमा करना ही चाहिए ), २००८  मैंने आशा नहीं की थी की आप सब यहाँ आएँगे पूजा के लिए | मुझे नहीं पता आप सब कैसे आ पाए | नहीं तो यह आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हम सभी के लिए क्योंकि आपको पता है की क्राइस्ट कैसे मरे | उन्हें सूली पर चढ़ाया था | उन्हें क्रॉस पर चढ़ाया गया और फिर वो मर गए | उन्होंने आपके बारे में जिस तरह बताया वो वह कमाल की बात है | उन्होंने परमात्मा से क्षमाशीलता मांगी | हमे उनके जीवन से सीखना है की किस प्रकार सबको क्षमा करना |  हमे भी लोगों को क्षमा करना चाहिए | लोगों के लिए क्षमा करना बहुत कठिन प्रतीत होता है | और अगर वो  नाराज़ है तो वो नाराज़ है | वो क्षमा नहीं कर सकते | फिर आप सहज योगी नहीं है | सहज योगिओं ने क्षमा करना ही चाहिए | बहुत महत्वपूर्ण है | क्योंकि यही शक्ति है, जो आपको क्राइस्ट से मिली है, क्षमा की शक्ति | मनुष्य ग़लतियाँ करते है, वह उनके जीवन का हिस्सा है | पर उसी समय, सहज योगी होने के नाते आपको याद रखना है की आपको क्षमा करना है | वह कही ज़्यादा महत्वपूर्ण है, नाराज़ होने से | तो लोगों को उनकी किसी गलती के लिए, आपके मुताबिक या परमात्मा के मुताबिक, आपको क्षमा करना है | और आपको आश्चर्य होगा की क्षमाशीलता इतनी महान है, और संतुष्टि देने वाली आपकी विशेषता है | यदि आप लोगों को Read More …

Adi Shakti Puja: You Have to Become Fragrant Campus, Cabella Ligure (Italy)

आप सभी को फिर से यहाँ देख कर बहुत अच्छा लग रहा है।मुझे लगता है कि इस स्थान पर हमारी पहली पूजा है, जो हमकर रहे हैं और मुझे आशा है कि आप सभी आराम से हैंऔर यहाँ पहुँचना सुविधाजनक रहा होगा ।आज वास्तव में बहुत ही महान दिन हैयह एक आदि शक्ति हैं, आदि शक्ति का उत्सव मनाना,और आदि शक्ति की उत्पति क्या है।मैंने इसके बारे में कभी बात नहीं की है,यह पहली बार है जब मैं आपको बताऊँगीकि आदि शक्ति आदि माँ है, वे शक्ति है,ईश्वर की शक्ति है,जो इस दुनिया को बनाना चाहती थी।और उन्होंने स्वयं ही इस महान दुनिया को बनाने की व्यवस्था की(क्या आप सब बैठ नहीं सकते?उनके लिए कोई जगह नहीं है या क्या है?कृपया बैठ जाएँ।वे क्यों खड़े हैं?आपके पीछे कुर्सियाँ हैं।यह सब ठीक है आप कुर्सियों पर बैठ सकते हैं।)यह सब नीचे गिर रहा है [माइक्रोफोन]। जहां तक ​​संभव हो आराम से रहें,अपने आप को अनावश्यक रूप से तनाव न दें।मुझे आशा है कि आप सभीको आराम से बैठने के लिए कुछ जगह मिल जाएगी।तो आज मैं आपको आदि शक्ति के विषय में बताने जा रही हूँ,जो एक बहुत ही प्राचीन विषय है।आदि शक्ति स्वयं ईश्वर की शक्ति है,और उन्होंने इस पृथ्वी पर ईश्वर का साम्राज्य स्थापित करने हेतु इस दुनिया का निर्माण किया।आप कल्पना कर सकते हैं कि यहाँ अंधकार के सिवाय और कुछ नहीं थाउसी अंधकार से उन्हें इन सभी सुंदर, चित्रमय वृक्षों और सभी प्रकार की वनस्पतियों की रचना करनी थी , वह उन्होंने बनाया। लेकिन इन सब चीजों Read More …

Adi Shakti Puja: Be One With Yourself First Campus, Cabella Ligure (Italy)

[English to Hindi translation] परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी आदि शक्ति पूजा कबेला, इटली 6 जून, 2004 आज की सभा बहुत विशेष है। आज का दिन भी बहुत बहुत विशेष है, अत्यधिक विशेष और अत्यंत परमानंद पूर्ण। इसका कारण है कि यह बात करता है और गाता है, और बताता है उत्पन्न करने की प्रणाली, उत्पन्न करने की शक्ति, मूलरूप, आदि और आदिकालीन के बारे में और यही एक इस महान ब्रह्मांड की रचना के लिए उत्तरदाई हैं। यह क्यों शुरू हुआ और यह किस तरह कार्य करता है यह आप पहले से ही जानते हैं। मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है। परंतु आज हमें उस शक्ति के बारे में बात करनी है जो आपके हृदयों में छुपी है जिसके द्वारा आप जो कुछ चाहे कर सकते हैं एक नए संसार, नए परिवार और नए मापदंडों की रचना के लिए, वह सब जो अभी तक अज्ञात है। यह काफी संभव है, काफी संभव है और यह किया जा रहा है। पर जो कठिन है वह है लोगों को अधिक अनुकूल बनाना, एक दूसरे से अधिक सामंजस्य बिठाना पूर्णत:। एक मुश्किल चीज लगती है। वे आपस में ठीक रहते हैं अगर उनके अपने मित्र हों, अपनी शैली हो और अपना सामान हो। लेकिन उन्हें पूर्णत: एक रूप बनाना एक दूसरे से एकरूप बनाना एक धुन में, एक पंक्ति में, बहुत बहुत कठिन है और यह करना भी नहीं चाहिए। यह होना नहीं चाहिए, वह ऐसे होने नहीं चाहिए, परंतु यह कार्यान्वित होना चाहिए। अब समस्या यह है कि हमारे पास Read More …

Sahasrara Puja: Continue To Live A Life of Reality Campus, Cabella Ligure (Italy)

  सहस्त्रार पूजा (सच्चाई का जीवन जिए), कबेला, इटली, ९ मई २००४  आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में सहज योगिओं के नाते | आज का दिन वह है जब सहस्त्रार खुला था, जो की बहुत करिश्माई बात हुई | मैंने कभी आशा नहीं की थी की मेरे जीवनकाल में मैं  यह कर पाऊँगी | पर ऐसा हुआ | और आप में से कई लोगों का सहस्त्रार खुला | उसके बिना आप कभी नहीं जान पाते की सत्य क्या है | और आप उसका आनंद ले रहे है, उस स्थिति का जहाँ आप जानते है की सत्य क्या है |  यह बहुत बड़ा आशीर्वाद है की सहस्त्रार खुल गया था और आप सबको आपका आत्मसाक्षात्कार मिला | नहीं तो सभी बातें, बातें ही है | उनका कोई अर्थ नहीं, कोई समझ नहीं | इसलिए मेरी पहली चिंता थी सहस्त्रार को खोलना | वह हुआ और अच्छे से हुआ | और आप सबका सहस्त्रार खुल गया | यह एक उल्लेखनीय बात है | कोई विश्वास नहीं कर सकता की आप में से इतने सारे लोगों का सहस्त्रार खुला है | पर मैं अब देख सकती हूँ साफ़ रौशनी आपके सरों के ऊपर |  जो भी आपने पाया है, वह उल्लेखनीय है| इसमें कोई संदेह नहीं | इसका कारण है ईमानदारी से ढूंढना | आपने ईमानदारी से ढूंढा, इसलिए आपको मिला | मैंने कुछ नहीं किया | क्योंकि आप वहाँ कंदील के जैसे थे, मैंने केवल उसे जला दिया, बस | यह करना बहुत बड़ी बात नहीं है | जैसे Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja 15th February 2004 Date: Place Pune Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] कठिन है। कल्याण’ माने हर तरह से साफल्य, हर तरह से प्लावित होना, हर तरह से अलंकृत होना। जब आशीर्वाद में कोई कहता है कि तुम्हारा “कल्याण” हो तो क्या होना चाहिए? क्या होता है? ये कल्याण क्या है? यह वही कल्याण है जिसको हम आत्मसाक्षात्कार’ कहते है। बगैर आत्मसाक्षात्कार के कल्याण नहीं हो सकता। उसकी समझ भी नहीं आ सकती और उसको आत्मसात भी नहीं किया र जा सकता। ये सब चीजें एक साथ कल्याणमय होती हैं और जिसकी वजह से मनुष्य अपने को अत्यन्त सुखी, अत्यन्त तेजस्वी समझता है। इस कल्याणमार्ग के लिए आपको जो करना पड़ा वो कर दिया, जो मेहनत करनी थी सो कर ली. जो विश्वास धरने थे वो धर लिए । लेकिन जब कल्याण का मार्ग अब मिल गया, जब आपको गुरु ने मन्त्र दे दिया कि आपका कल्याण हो जाए तो क्या ा क चीज घटित होगी? आपके अन्दर सबसे बड़ी चीज समाधान। इसके वाद कुछ खोजना नहीं। अब आप स्वयं भी गुरु हो गए अब आपको कुछ विशेष प्राप्त होने वाला नहीं है। किन्तु इस समाधान का जो आशीर्वाद है उसको आप महसूस कर सकेंगे उसको आप जान सकेंगे और उसमें आज हम लोग यहाँ गुरु की पूजा करने के आप रममाण हो सकेंगे पहले तो देखिए, सबसे लिए उपस्थित हुए हैं। गुरु को सारे देवताओं से, बड़ी चीज है शारीरिक-शारीरिक तकलीफें, शारीरिक देवियों से ऊँचा माना जाता है। वास्तविक ये गुरु दुर्बलता Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2003: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk] ईसामसीह की आज जन्मतारीख है और हम लोग बहुत खुशी से मना रहे हैं। किंतु जीझस क्राइस्ट को कितनी तकलीफें हुईं वो भी हम लोग जानते हैं और जो तकलीफें, परेशानियाँ उनको हुई वो हम लोगों को नहीं हो सकती क्योंकि अब समाज बदल गया है, दुनिया बदल गयी है और इस बदली हुई दुनिया में आध्यात्मिक जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे कितने क्लेश हमारे दूर हो सकते हैं। हमारे शारीरिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। मानसिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा जागतिक जो | क्लेश हैं वो भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह सारी दुनिया की जिंदगी जो है अध्यात्म में पनप सकती है। कितना महत्त्वपूर्ण है ये जानना की एक तरफ तो ईसामसीह जैसा अध्यात्म का…. और दूसरी तरफ हम लोग जिन्होंने अध्यात्म को थोडा बहुत पाया है और हम लोगों की वजह से दुनिया शांत हो गयी। बहुत सी तकलीफें दूर हो गयी है और मनुष्य जान गया कि उसके लिये सबसे बड़ी चीज़ है अध्यात्म को पाना । ये आप लोगों की जिंदगी से उसने जाना है। आपको देख कर उसने जाना है। ये सारा परिवर्तन आप लोगों की वजह से आया। हम अकेले क्या कर | सकते थे? जैसे ईसामसीह वैसे हम। हम कितना कर सकते थे । लेकिन इतने आप लोगों ने जब अध्यात्म को प्राप्त कर लिया है, तब देख सकते हैं कि दुनिया कितनी बदल गयी है। आपके प्रभाव से Read More …

Diwali Puja: The Need for Sincerity Los Angeles (United States)

                                                    दीवाली पूजा  लॉस एंजिल्स (यूएसए), 9 नवंबर 2003 आज दीपावली का महान दिन है। इसका मतलब है कि आज दुनिया को एक उचित दिशा में ले जाने के लिए एक बड़ा प्रकाश बनाने के लिए प्रकाश, अपने दिलों के प्रकाश को एक साथ शामिल करने का महान दिन है। यह बहुत खुशी का दिन है, और इसमें शामिल होने वाले भी बहुत आनंद फैला रहे हैं। लेकिन समस्याएं हैं, जैसा कि वे कहते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई समस्या नहीं है क्योंकि अंधकार नहीं है, हम कहीं भी अंधकार नहीं देखते है, हमें प्रकाश, प्रकाश और प्रकाश ही दिखाई देता है। फिर किस चीज की कमी है, जो गुम है वह है हमारी निष्ठा। हमें स्वयं के प्रति बहुत ईमानदार होना होगा, क्योंकि यह केवल उधार लिया हुआ प्रेम या उधार का आनंद नहीं है, बल्कि यह स्रोत के भीतर से है, यह प्रवाहित है, बह रहा है और बह रहा है। तो उसे जगाना है, और वह प्रेम बहना चाहिए, और हमारी छोटी-छोटी क्षुद्र चीजें जैसे ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा और वे सभी ख़राब करने वाली चीजें हैं, उन्हें स्वच्छ करना चाहिए। और अगर आपका दिल प्यार से भरा है तो इसे धोया जा सकता है। आज का दिन प्रेम, प्रेम का प्रकाश फैलाने का है, जिससे हर कोई प्रबुद्ध और प्रसन्न महसूस करता है और इन छोटी-छोटी समस्याओं को भूल जाता है। मुझे खुशी है कि आपको कोई हॉल मिल गया है, यह सब भाग्य है कि हमें मिल गया, लोग हॉल पाने के लिए बहुत चिंतित थे। लेकिन Read More …

Shri Ganesha Puja: They Are All Incarnations Campus, Cabella Ligure (Italy)

Ganesh Puja 13 September 2003, cabella , italy अब हम नन्हें बच्चों के सम्मुख हैं। यही बच्चे अवतरण हैं। यही (बच्चे) उत्थान प्राप्ति में, मानव जाति का नेतृत्व करेंगे। मानवता की देखभाल की जानी चाहिए। बच्चे कल की मानव जाति हैं और हम आज के हैं। अनुसरण करने के लिए हम, उन्हें क्या दे रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या है? ये कहना अत्यन्त-अत्यन्त कठिन है परन्तु सहज योग से वे सभी मर्यादित ढंग से चलेंगे,वे मर्यादित व्यवहार करेंगे। बहुसंख्या में सहजयोगी बनने से, सभी कुछ भिन्न हो जाएगा। परन्तु बड़े सहजयोगियों का ये कर्तव्य है कि उनकी देखभाल करें, उनका चारित्रिक स्तर बेहतर हो, उनके जीवन बेहतर हों ताकि वे आपके जीवन का अनुसरण करके वास्तव में अच्छे सहजयोगी बन सकें। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । सम्भवतः हमें इसका एहसास नहीं है। इस बात को हम नहीं समझते, परन्तु ये सभी नन्हें शिशु महान आत्माओं की प्रतिमूर्ति हैं और इनका पालन पोषण भी उन्हीं के रूप में किया जाना चाहिए। वैसे ही इनका सम्मान होना चाहिए और अत्यन्त सावधानी से इन्हें प्रेम किया जाना चाहिए। यह  बात समझ लेनी आवश्यक है। हमारे बड़ी आयु के लोगों की समस्या ये है कि हम बच्चों को ध्यान देने योग्य, परवाह करने योग्य और उन्हें समझने योग्य नहीं मानते, हम सोचते हैं कि हम स्वयं बहुत अधिक विवेकशील एवं बहुत अच्छे हैं तथा हमें अपनी शक्ति इन छोटे बच्चों पर नष्ट नहीं करनी चाहिए।  बड़ी आयु के लोगों के साथ ये कठिनाई है। परन्तु, आज जब हम यहां बैठे हुए Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

80th Birthday Puja Date 21st March 2003: Place New Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सारे सहज योगियों को हमारे ओर से अनन्त आशीर्वाद । इतने बड़े तादाद में आप लोग आज यहां पर हमारा जन्मदिवस मनाने के लिए पधारे। मैं किस तरह से आपको धन्यवाद दूं? मेरी तो समझ में नहीं आता है! बाहर से भी इतने लोग आये हैं और अपने भी देश के इतने यहाँ सम्मिलित हुए । ये देखकर के हृदय भर आता है। न जाने हमने ऐसा कौन सा अद्भुत कार्य किया है जो आप लोग हमारा जन्म दिन मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। आप लोगों का हृदय भी बहुत विशाल है कि आपने आज के दिन इतने दूरस्थ स्थित जगह पर आकर के हमें सम्मानित किया हमारे पास तो शब्द ही नहीं हैं कि आप लोगों से बताया जाए कि इससे हम कितने आनन्द से पुलकित हो गए! ন हिन्दी प्रवचन : सहज सरल बात जो है बो सहजयोग है आज मैंने अंग्रेजी में इन लोगों को बताया और इसके लिए सब लोग तैयार हैं। आप और आपको बताने की ज़रूरत नहीं क्योंकि कहीं भी जाएं, कोई देहात में जाएं, शहर में इस देश में तो सब लोग जानते ही हैं कि जाएं. हर जगह सहजयोग के लिए उपयुक्त आध्यात्मिक जीवन कितना महत्वपूर्ण है और है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि आप लोग और लोग चाहते हैं कि आध्यात्म में उत्थान हो। पूरी तरह से कोशिश करें और अगले साल लोग प्रयत्नशील हैं। कोई हिमालय में Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] Translation  अंग्रेजी प्रवचन – अनुवादित आज हम श्री शिव-सदाशिव की पूजा करेंगे। उनका गुण यह है कि वे क्षमा की मूर्ति हैं। उनकी क्षमाशीलता क्षमा के गुण के कारण ही हम आज जीवित हैं, अन्यथा ये विश्व नष्ट हो गया होता। बहुत से लोग खत्म हो गए होते क्योंकि मानव की स्थिति को तो आप जानते ही हैं। मनुष्य की समझ में ही नहीं आता कि उचित क्या है और अनुचित क्या है। इसके अतिरिक्त वे क्षमा भी नहीं कर पाते। गलतियों पर गलतियाँ करते चले जाते हैं। परन्तु वो अन्य लोगों को क्षमा नहीं कर सकते। इसलिए हम लोगों को यही गुण श्री शिव-सदाशिव से सीखना हैं। Transcription   हिन्दी प्रवचन  आज हम लोग श्री सदाशिव की पूजा करने वाले हैं। इनका विशेष स्वभाव यह है कि इनकी क्षमाशीलता इतनी ज्यादा है कि उससे कोई इन्सान मुकाबला नहीं कर सकता। हर हमारी गलतियों को वो, माफ करेंगे। वो अगर न करते तो ये दुनिया खत्म हो सकती थी।  क्योंकि उनके अन्दर वो भी शक्ति है जिससे वो इस सृष्टि को नष्ट कर सकते हैं। इतने क्षमाशील होते हुए भी ये शक्ति उनके यहां जागृत है और बढ़ती ही रहती है। इसी शक्ति से जिससे वो क्षमा करते हैं। उसी परिपाक से या कहना चाहिए अतिशयता से फिर वो इस संसार को नष्ट भी कर सकते हैं।  तो पहले तो हमें उनकी क्षमाशीलता सीखनी चाहिए। छोटी-छोटी चीजों को लेकर के हम झगड़ा करते हैं छोटी-छोटी बातों पर हम झगड़ा करते हैं। पर Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)

New Year Puja Date 31st December 2002: Place Vaitarna: Type Puja Speech [Hindi translation from Marathi and English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतनी बड़ी संख्या में कार्यक्रम के लिए बुद्धिमान तथा विद्वान व्यक्ति थे परन्तु आए आप सब लोगों को देखकर मैं बहुत उन्होंने सर्वसाधारण लोगों की ओर ध्यान प्रसन्न हू। वास्तव में मैंने ये जमीन 25 वर्ष दिया, उनकी देखभाल की और उनमें संगीत पहले खरीदी थी। परन्तु इस पर मैं कुछ न कला को बढ़ावा दिया। इसी विचार के साथ कर सकी क्योंकि इस पर बहुत सारी मैंने निर्णय किया कि कला और संगीत के आपत्तियाँ थीं, आदि-आदि। परन्तु किसी तरह से मैंने इसकी योजना बनाई और अब प्रचार-प्रसार के उनके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं ये स्थान समर्पित कर दूं। ये देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कि मेरा ये विचार फलीभूत हो गया है काश कि आप लोगों कि इतनी कठिनाइयों का सामना करने को प्रसन्न करने के लिए आज मेरा भाई भी के पश्चात् आज मेरे सम्मुख मेरी पूजा के यहां होता! वो अत्यन्त प्रेम एवं करुणामय व्यक्ति था। मैंने देखा कि वो कभी किसी से नाराज़ नहीं हुए। सदा उन्होंने सभी लोगों यहां पर मुझे अपने भाई बाबा की याद की बहुत अच्छी तस्वीर मेरे सम्मुख पेश की। आती है जिन्होंने भारतीय संगीत, शास्त्रीय परन्तु इस विषय में कोई भी क्या कर सकता ये सब कार्यान्वित हो गया है। आप सब लोगों को यहां देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इतने सारे सहजयोगी उपस्थित हैं Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 2002. Merry Christmas to you all. According to Sahaja Yoga, Christ is settled on your Agnya Chakra. His whole life is depicting the qualities of a person who is a realised soul. What He has suggested in His own life is that you should not have any greed or lust. The way these days people are greedy all over the world is really shocking. Right from the childhood, our children also learn to ask for this or ask for that; only complete satisfaction in life can give you that equanimity, that balance by which you do not hanker after things. These days even India has become very much westernised in the sense they are also very much wanting to have this and that. Actually, now in America suddenly, with this happening, people are getting to spirituality. They come to spirituality because they think they have not found any satisfaction anywhere. But we have to see from His life, the great life of Christ. First He was born in a small little hut, as you saw many of them when you come round. Very much satisfied. And He was put in a cradle which was all covered with dry, very dry grass. Can you imagine? And then He sacrificed His life on the cross. Whole thing is a story of a sacrifice. Because He had a power, power of Spirit, that He could sacrifice anything, even sacrifice His own life, so you can understand the Read More …

Devi Puja: The heart is closed, which has to open out Ealing Ashram, London (England)

देवी पूजा (हृदय बंद है जिसे खुलना चाहिए), लंदन(इंग्लैंड), ३० अगस्त २००२  मै नहीं जानती क्या कहूँ (हॅसते हुए)| आप इस घर में रह रहे है अब, और ये बहुत अच्छा था क्योंकि सहज योगी यहाँ रहते थे और उन्होंने मेरे यहाँ वास का आनंद लिया| पर हमें बदलना है और प्रगति करना है| यही बात है| हर बदलाव के साथ आपको प्रगति करनी ही चाहिए, नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं| उस बदलाव का कोई अर्थ नहीं| तो अब वो सोच रहे है की मुझे इस घर में रहना चाहिए| मुझे लगता है यह अच्छा विचार है|  डेरेक ली: (बहुत अच्छी खबर है हमारे लिए माँ)  श्री माताजी, हम आपका शुक्रियादा अदा करना चाहेंगे| यहाँ एलिंग में आकर रहने के लिए, इस घर में इतने लम्बे समय तक| और हम जानते है, की इस घर से सभी प्रकार के आशीर्वाद हमारे लिए आये है | और मै कहना चाहता था, की वह प्रतीकात्मक था श्री माताजी | जब आप यहाँ आये, यह घर पूरी तरह ख़राब और नष्ट हो रहा था | और अब आपने उसे बनाया, उसे पुनः नया तैयार करवाया, बनवाया, एक महल के रूप में, जो यह अभी है| और हम आशा करते है श्री माताजी की आप ऐसा ही आश्चर्यजनक और खूबसूरत बदलाव पा सकते है हमारे साथ, क्योंकि  यह प्रतीकात्मक है (हँसते हुए)|  श्री माताजी: पर क्या मैंने वह नहीं किया? मैंने पहले ही किया है| आप देखे, ये आपकी करनी है| आपने स्वीकार किया, जिससे कार्य हुआ| और मुझे कहना चाहिए की बहुत Read More …

Guru Purnima Puja: What is our duty? Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूर्णिमा पूजा, कबेला लिगुरे (इटली), 24 जुलाई 2002 यह बहुत ही रोचक है कि जिस तरीक़े से आपने पता लगाया कि, आज असली गुरु पूर्णिमा है। पूर्णिमा वह दिन है जब चंद्रमा पूर्ण होता है। मुझे यह पता था, लेकिन सहजयोगियों के लिए हमें शनिवार, रविवार, सोमवार – शुक्रवार, शनिवार, रविवार की व्यवस्था करनी होती है। चाहे वह तारीख़ पर हो या ना हो, हमें इसकी व्यवस्था करनी होती है । तो उस मामले में, यह इस समय दो दिन पहले था शायद, हमने व्यवस्था की, ठीक है  इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। आख़िरकार, चंद्रमा हमारे लिए है और हम चंद्रमा के लिए हैं, इसलिए यह कुछ ऐसी चीज़ नहीं हो सकती है जो इसमें बहुत ग़लत होगी। गुरु सिद्धांत के बारे में मैं आपको पहले ही बहुत बता चुकी हूँ। गुरु सिद्धांत में, हमने इस पृथ्वी पर आए लोगों को देखा है। वे सब अधिकतर  जन्मजात साक्षात्कारी थे, वास्तव में, और उन्होंने कभी  साक्षात्कार नहीं दिया किसी को –  एक बहुत बड़ा अंतर है। वे सब  जन्मे थे साक्षात्कारी  आत्माओं की भाँति  और वे सूफ़ी हो गए और उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है किन्तु उन्हें साक्षात्कार नहीं दिया गया, उनके पास था, और उनके आत्म- साक्षात्कार के कारण, जैसा कि उनके पास था, उनके पास इतना ज्ञान है और वही जो उन्होंने प्रयास किया लोगों को देने का । वे चक्रों के बारे में सब कुछ जानते थे, वे जानते थे,  उनके पिछले जीवन की उपलब्धियों के कारण वे जानते थे , शायद उनमें से कुछ Read More …

Guru Puja: The Advice Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा , कबेला , इटली – २१ जुलाई ,२००२ तालिओं की जोरदार गड़गड़ाहट… भारत में वो सब मानसून की राह देख रहे थे, और वो बहुत परेशान थे क्योंकि बारिश नहीं आयी | तो मै बरसात को बंधन दे रही थी, और वो यहां आ गई(तालियां बजने लगी और माँ हंसने लगी)|  और अब टेलीविजन पर बताया है, की भारत में भी बरसात होने वाली है | पर पहले इटली में ! (हँसी) मुझे बताया गया था की इटली में आपको बरसात  की बहुत आवश्यकता थी| और पहली बरसात जो आपने पाई कुछ दिन पहले और अब ये दूसरी बरसात है| क्योंकि हमारे किसानों की परेशानियों की समझ यहाँ है|  और जो बरसात है, आप देखे, इतनी दयालू है, की वो सही समय पर बरसती है| मै आश्चर्यचकित हूँ उसकी तुरंत गतिविधि पर और उसकी आज्ञाकारिता पर|  आज का दिन बहुत बड़ा है, हम सभी के लिए क्योंकि हम गुरु पूजा मना रहे है|और सभी बड़े गुरुओं को याद कर रहे है, जो इस धरती पर आये संसार को सत्य के बारे में सिखाने के लिए | बहुत सारे थे ऐसे संत| और उन्होंने पूरी तरह से प्रयत्न किया मानव जाति को समझाने का, की अध्यात्म क्या है | पर यह ऐसी विषमता है की लोग कभी नहीं समझ पाए की अध्यात्म सबसे महत्वपूर्ण है जिसकी हमें ज़रूरत है| की हमे देवी शक्ति से एकरूप होना चाहिए| उनका सब परिश्रम गलत दिशा में था | पहले वो निश्चित ही बहुत होशियार थे, जानवरों से ज्यादा, और ढूंढ़ने लगे, सत्य Read More …

Adi Shakti Puja: Use Your Right Side For Giving Realization Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्री आदि शक्ति पूजा, काबेला लिगुरे इटली, 2002 यह एक अलग दिन है, पूर्ण रूप से, आप सब के लिए क्योंकि यह पूजा है आदिशक्ति की और आदिशक्ति एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है। यह केवल बायाँ पक्ष नहीं  है जिसे आप जानते हैं। आप सभी केवल बायाँ पक्ष जानते हैं, श्री गणेश से, भिन्न-भिन्न चक्रों  के उत्थान से बायीँ नाड़ी में। मैं आपको बताना नहीं चाहती थी दाएँ पक्ष के बारे में, शुरुआत में, क्योंकि जो लोग दाएँ पक्ष से गुजरे हैं, वे बस खो गए। उन्हें गायत्री मंत्र मिला ग्रन्थों से, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह किस बारे में है, वे बस इसे रटते थे। वे इसका वास्तविक अर्थ भी नहीं जानते थे, और इसी तरह वे चले गए दाहिनी ओर और, मुझे नहीं पता, वे अटक गए आज्ञा पर; और फिर वे प्रयास कर रहे थे आत्म-साक्षात्कार के लिए। उन्हें भरोसा दिया गया था कि यदि आपने यह दायाँ पक्ष सही से किया तो आप पहुँच जायेंगे अंतिम लक्ष्य तक आत्म साक्षात्कार के। परन्तु उनमे से कोई भी वहां नहीं पहुँचा। उनमें से अधिकांश भयानक क्रोध में आ गए, भयानक क्रोध दूसरों को श्रापित करने का, दूसरों को नष्ट करने का। यह सारी बातें उन्होंने सीखीं अपने दाएँ पक्षीय आंदोलन से। कुण्डलिनी की जागृति नहीं थी, और उन्हें पहुँचाया गया ज़्यादा से ज़्यादा आज्ञा चक्र तक, और फिर उनका पतन हो गया पूर्ण अज्ञानता के भिन्न स्थानों में। ये सारी पुस्तकें लिखी गयी थीं बिना समझ के कि दाएँ पक्ष से हो कर जाना सरल नहीं है Read More …

Sahasrara Puja: Watch Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

Sahasrara Puja Talk Cabella, Italy 2002-05-05  आज एक बहुत महान दिवस है, मुझे कहना चाहिए, सहस्रार मनाने के लिए, सहस्रार की पूजा। यह बहुत ही अद्वितीय बात है, जो घटित हुई है, कि आपके सहस्रार खोले गए। ऐसे कुछ बहुत ही कम लोग थे, इस पूरे विश्व में। उसमें कुछ सूफ़ी थे, कुछ संत थे। उसमें कुछ और लोग भी थे चीन इत्यादि में। परन्तु बहुत कम, बहुत कम अपने सहस्रार खोल पाए। इसलिए जो कुछ भी उन्होंने कहा, या लिखा, वह कभी लोगों द्वारा समझा नहीं गया। उन्होंने वास्तव में उन्हें सताया। उन्होंने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया। और सभी प्रकार की भयानक चीज़ें कीं, क्योंकि वे सहन नहीं कर सकते थे, कि किसी को यह आत्मसाक्षात्कार मिला रहा है। इसलिए, यह बहुत ही महान दिवस है, क्योंकि सामूहिक रूप से यह सहस्रार खोला गया है। आप में से हर एक को यह मिल गया है। साथ ही विश्व भर में, आपके यहाँ कई लोग हैं जिन्होंने अपने सहस्रार खोले हैं। निश्चित रूप से, हमें और भी अधिक की आवश्यकता है, उन्हें समझाने के लिए, कि क्या है यह महान घटना, सहस्रार का इस तरह से सामूहिक रूप से खोला जाना।  कुछ बहुत अधिक बढ़ गए हैं, अपना आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद, बहुत अधिक। उन्होंने सहज योग को बहुत अच्छी तरह से समझा है। और उन्होंने अपनी गहराई को विकसित किया है, और उनकी चेतना वास्तव में एक बहुत बड़ी जागरूकता है, ईश्वर के साथ एकाकारिता की। ईश्वरीय शक्ति से एकाकार होना मनुष्य के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। अब Read More …

Doctor’s conference at AIIMS Jawaharlal Auditorium, New Delhi (भारत)

एम्स में डॉक्टर का सम्मेलन, नई दिल्ली (भारत)।2 अप्रैल 2002  सभी सत्य साधकों को हमारा प्रणाम। डॉक्टरों से बात करते समय  मैं अपने कॉलेज के दिनों के बारे में सोचती हूँ, जब मैं भी चिकित्सा में अध्ययन कर रही थी, परंतु  सौभाग्यवश  या दुर्भाग्यवश हमारा कॉलेज पूरी तरह से बंद हो गया, लाहौर में,एवं मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ऐसा नहीं है कि मेरा इस पश्चिमी चिकित्या शिक्षा में कोई विश्वास नहीं था, किंतु यह एक अच्छा अवसर था इसे उससे जोड़ने का और समझने का कि पाश्चात्य  चिकित्सा शिक्षा में क्या कमी रह गई है। असफल तथ्य  यह है ,कि मनुष्यों को चिकित्सा विज्ञान में कुछ, अति व्यक्तिगत माना जाता है और सम्पूर्ण साथ  जुड़ा हुआ नहीं, समझा जाता। हम सब समपूर्ण से जुड़े हुए हैं। किंतु लोगों को कैसे विश्वास दिलाएँ कि आप सभी सम्पूर्ण के साथ जुड़े हुए है और यह कि आप अलग नहीं हैं? क्यों कि हम सम्पूर्ण से जुड़े हुए है,  हमारी सभी समस्याएँ पूर्ण से जुडी हुई हैं, तो आप किसी को केवल एक चीज़ के रोगी और दूसरे रोगी को एक दूसरी चीज़ का रोगी नहीं मान सकते, हो सकता है कि एक व्यक्ति जिसे एक परेशानी है, उसे बहुत सारी अन्य दूसरी परेशानियाँ भी हो सकती है,  कई अन्य संबंद्ध जिन्हें हम पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान में स्थापित  नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को चिकित्सकीय रूप से बहुत बीमार समझना, हो सकता है, परंतु आप नहीं जानते, उसकी मानसिक स्थिति क्या है? वह मानसिक रूप से क्या कर रहा Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Sarvajanik Karyakram – Public Program Date 24th March 2002: Place New Delhi Public Program Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] वो सबके अंदर है और स्थित है। उसके क. अंदर रंग, जाति-पाति कोई भेद नहीं। हर इंसान में है। जानवर में भी है। आपको आश्चर्य होगा कि जानवर प्यार बहुत समझते हैं। इंसान से भी ज्यादा जानवर समझते हैं प्यार क्या चीज़ है। तो हम लोग वाकई अगर अपनी उत्क्रान्ति में बढ़ रहे हैं, अपने Evolution में बढ़ रहे हैं तो हमारे अंदर प्यार का बड़ा जबरदस्त प्रकाश होना चाहिए। अगर प्यार आ जाए तो हमारे सारे प्रश्न जो हैं, जो मानव जाति के लिए पहाड़ सत्य को खोजने वाले आप सभी जैसे खड़े हैं, एक दम खत्म हो जाऐं। साधकों को हमारा प्रणाम | प्यार की हमने व्याख्याएं अनेक की हैं जिस चीज की आज हर जगह कमी है, पुर उसकी कोई व्याख्या नहीं कर सकता वो है प्रेम। यही प्रेम जो है यही प्रभु की क्योंकि वो एक सागर है हमारे अंदर बसा भक्ति है बहुत लोग जिस बात को शब्द हुआ एक महान सागर है और उसको समझते हैं, लेकिन प्रेम एक शब्द नहीं है। भोगना भी हमारे ही नसीब में है । उसकी प्यार एक शक्ति है और उसका भण्डार लहरें भी हमीं ज्ञात कर सकते हैं। हमारे हमारे ही अंदर है। हम सभी उस प्यार से ही लिए वह है। दूसरा चाहे उसे समझे या भरे हैं। कभी-कभी उसका अनुभव हमको न समझे लेकिन हमारे लिए वो एक बहुत आता है Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 2002 Date: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप इसको महसूस कर सकते हैं। इसको जान सकते हैं कि ये प्यार, परमात्मा का प्यार, परमात्मा की शक्ति सिर्फ प्यार है और प्यार ही की शक्ति है जो कार्यान्वित होती है। हम लोग इसे समझ नहीं पाते। किसी से नफरत करना, किसी के प्रति दुष्ट भाव रखना, किसी से झगड़ा करना, ये तो बहुत ही गिरी हुई बात है। आप तो सहजयोगी हैं, आपके मन में सिर्फ प्यार के और कुछ भी नहीं होना चाहिए। अपने देश में आजकल जो आफत मची है, इसको देखते हुए 1 मैं देख रही हैं कि ये सारे प्यार की समझ में नहीं आता है कि धर्म के नाम पर महिमा कैसे फैल गई, कहाँ से कहाँ पहुँच इतना प्रकाण्ड रौरव इंसान ने क्यों खड़ा गई, कितने लोगों तक, इसकी खबर ही कर दिया? इसकी क्या ज़रूरत थी? एक नही है! किन्तु इसका पूरा शास्त्र समझ में चीज़ शुरु होती है फिर इसकी प्रतिक्रिया आ गया । प्यार का भी कोई शास्त्र हो आती हैं और प्रतिक्रिया शुरुआत की एक सकता है? प्यार का कोई शास्त्र नहीं। क्रिया से भी बढ़कर होती है। इस तरह से प्यार जो है एक महामण्डल की तरह सब परमात्मा का जो भी आपको अनुभव है वो दूर छाया हुआ है। इसका एहसास हमें कम होता जाता है। अब समझने की कोशिश नहीं, उसे हम जानते नहीं। लेकिन परमात्मा करना चाहिए कि हम प्यार को कैसे बढ़ावा का प्यार, Read More …

Marriages the day after Shri Ganesha Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

Marriages. Cabella (Italy), 23 September 2001. Talk to brides You are going to marry. I am going to just .. (the microphone is adjusted) .. and with full understanding. It’s very important to understand your role in Sahaja Yoga as married women. We have had very funny types of women who got married because they wanted to marry, and they saw to it that the marriage is not successful. And they have been of such a trouble to Me that I don’t understand that before marriage why don’t they see that what they have to do. You have to make a successful marriage in Sahaja Yoga. It’s not an ordinary marriage. And for that, it’s not sacrifice, but joyful understanding. You may have to withstand many troubles also. Financially maybe somebody’s not so well off. Maybe, though he’s all right, he’s not looking after you financially, he’s not giving you money or maybe he’s very dominating – it’s possible. Everything is possible. As you could be the same. So in Sahaja Yoga we have selected you to be married and we think that you will make a very, very happy marriage. Now it is more the responsibility of the woman somehow, because marriage is her responsibility and she has to make a happy marriage. If any of you now don’t want to marry a particular person, you can say no. But now if you are marrying, then please think of the way a Sahaja Yogini who is getting married. The Read More …

Shri Krishna Puja: Ananya Bhakti New York City (United States)

श्री कृष्ण पूजा| निर्मल नगरी, कैनाजोहारी, न्यूयॉर्क (यूएसए), 29 जुलाई 2001।   आज हम सब यहां श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री कृष्ण, जो विराट थे, उन्होंने युद्ध भूमि में प्रवेश किए बिना ही हर तरह की बुराई से लड़ाई की। श्री कृष्ण का जीवन, अपने आप में बहुत ही सुंदर, रचनात्मक और प्रेमपूर्ण है, लेकिन उन्हें समझना आसान नहीं है।   उदाहरण के लिए, कुरुक्षेत्र में, जब युद्ध चल रहा था और अर्जुन उदास हो गए थे, तब अर्जुन ने पूछा, : “हम क्यों लड़ें, अपने परिजनों से, क्यों लड़ें अपने ही करीबी रिश्तों, दोस्तों और अपने गुरुओं से? क्या यह धर्म है ? क्या यह धर्म है?” इससे पहले, गीता में, श्री कृष्ण ने एक व्यक्तित्व का वर्णन किया है जो एक ऋषि हैं। हम उन्हें संत कह सकते हैं। उन्होंने इसे स्तिथप्रज्ञ कहा । इसलिए, जब उनसे पूछा गया कि स्तिथप्रज्ञ की परिभाषा क्या है, तो उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का विवरण दिया, जो अपने आप में शांत है और अपने वातावरण के प्रति भी शांत है।   यह आश्चर्यजनक है |  यह ज्ञान उन्होंने गीता में प्रथम स्थान पर दिया। यह सबसे उत्तम है, उन्होंने  इसे ज्ञान मार्ग कहा है । यह सहज योग है, जिससे आप सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त करते हैं। लेकिन उसी समय, जब आप उन्हें अर्जुन को सलाह देते हुए देखते हैं, तो यह बहुत आश्चर्यजनक है कि यहाँ वे केवल आध्यात्मिकता की बात कर रहे है , पूर्ण अनासक्ति की | और वहाँ वे अर्जुन से कह रहे है कि: “तुम जाओ Read More …

We Have To Be Transformed Royal Albert Hall, London (England)

रॉयल अल्बर्ट हॉल में सार्वजनिक कार्यक्रम। लंदन (यूके), 14 जुलाई 2001. मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप में से कुछ ने सत्य पाया है, आप में से कुछ ने इसे पूरी तरह से नहीं पाया है, और आप में से कुछ ने इसे बिल्कुल नहीं पाया है। लेकिन अगर आप आज की स्थिति में चारों ओर देखते हैं, तो आपको सहमत होना पड़ेगा कि बड़ी उथल-पुथल चल रही है। देशों के बाद देश सभी प्रकार की गलत चीजों को अपना रहे हैं। कोल्ड वॉर जारी है, लोग एक-दूसरे को मार रहे हैं, खूबसूरत जगहों को नष्ट कर रहे हैं, एक-दूसरे का गला काट रहे हैं। वे सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्मित हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उन्हें बनाया है और उन्हें मानवीय जागरूकता के इस स्तर पर लाया है। इस मोड़ पर कोई यह नहीं देख पाता है कि हम सामूहिक रूप से कहां जा रहे हैं। यही है, हमें कहाँ पहुँचना है – या क्या यही हमारी नियति है? क्या यही मनुष्य की नियति है, भूमि या किसी और चीज की खातिर आपस में संघर्ष कर नष्ट हो जाना? पूरी दुनिया को एक मानें, और सोचें कि क्या हो रहा है: हर दिन जब हम अखबार पढ़ते है तो, भयानक खबरें सुनते हैं कि, हर दिन लोग बिना किसी तुक और कारण के आपस में भयानक बर्ताव कर रहे हैं । हमें सोचना होगा, नियति क्या है? हम कहां जा रहे हैं? क्या हम नर्क जा रहे हैं या स्वर्ग जा रहे हैं? हमारी स्थिति क्या Read More …

Guru Puja: Introspection, Love & Purity Campus, Cabella Ligure (Italy)

2001-07-08 गुरु पूजा टॉक: आत्मनिरीक्षण, प्रेम और पवित्रता, केबेला,इटली, डीपी  आप नहीं जानते कि आपकी माँ को कैसा लगता है इतने सारे लोगों को देख कर जो वास्तव में स्वयं गुरु बन गए हैं वे सत्य को ख़ोज  रहे हैं एक बहुत ही कठिन समय में। वे जानना चाहते रहे हैं कि सत्य क्या है। और यह मुश्किल समय, स्वयं, सहायक रहा है आपके दिमाग पर कार्रवाई करने के लिए कि इस विश्व में क्या हो रहा है, हम अपने आस-पास जो कुछ भी देख रहे हैं, पूरे विश्व में भी, निश्चित रूप से वहाँ कुछ बहुत अनुचित है और हमें उससे आगे जाना होगा।  ढूँढ़ने में, एक बात बहुत महत्वपूर्ण है, कि व्यक्ति के पास इसके बारे में महान लगन होनी चाहिए । और अनकहे दुखों से भी आपको गुज़रना होगा। ढूँढ़ना है जब अपने भीतर भी आप संघर्ष कर रहे हैं और बाहर भी आपको कुछ भी संतोषजनक नहीं मिल रहा । इस तरह ढूँढ़ने में दोहरी तीव्रता है। उस ढूँढ़ने में, जब आप प्रयास कर रहे हैं सत्य तक पहुँचने की, ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही कठिन बात है । लेकिन आप लाचार हैं, क्योंकि आप संतुष्ट नहीं हैं उस से जो आप के आसपास विद्यमान है । आज विश्व को देखिए, यह संघर्ष से भरा है । हर तरह के झगड़े हैं यहाँ। लोग तुच्छ चीज़ों के लिए लड़ रहे है-भूमि के लिए; मनुष्यों की हत्या कर रहे हैं । भूमि, क्या यह मनुष्य बना सकती है? वे बहुत ही सामूहिक तरीके से Read More …

New Year Puja, You All Have to Become Masters in Sahaja Yoga (भारत)

New Year Puja 31st December 2000 Date: Place Kalwe: Type Puja Speech [Hindi translation from English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] वे सफल नहीं हो सकते। अब इस बात का निर्णय सहजयोगियों को करना है कि किस प्रसन्नता तथा वैभव से परिपूर्ण नववर्ष की सीमा तक वे सहजयोग को फैलाएंगे और मंगलकामना करती हूँ। मेरे इस देश में कितने लोगों को सहजयोग में लाएंगे। इस आप सबकी सहजयोग में गहन उन्नति वर्ष से लोग आपकी प्रतीक्षा कर रहे हो। मेरी ये मंगल कामना है अब आप सब होंगे और यदि आप सब लोग मिलकर इसे लोग सहजयोगी हों और आपको सहजयोग कार्यान्वित करने का निर्णय ले लें, तो मुझे में गुरु बनना है सहजयोग में गुरु बनने पूर्ण विश्वास है, आपको ऐसे बहुत से लोग के लिए, मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप लोग मिल सकते हैं जिन्हें कलियुगी अभिशाप के आज हम नव वर्ष की शुरुआत कर रहे हैं इस अवसर पर मैं आप सबके लिए बहुत ध्यान धारणा, अन्तर्वलोकन तथा अन्य सभी कारण ठगा गया। नव वर्ष के इस दिन प्रकार के आवश्यक कर्म कर रहे हैं। मैं यह शपथ आपको लेनी है कि अब हम सोचती हूँ इस वर्ष में बीते हुए वर्षों की सहजयोग को नए. विशाल एवं अधिक अपेक्षा आपके लिए अधिक उन्नति करने के गतिशील तरीके से आरम्भ करेंगे। अवसर है क्योंकि कठिनाईयों के वे वर्ष अब इसके लिए पहली आवश्यक चीज़ है ‘संघ शक्ति’ अर्थात आपकी सामूहिकता। अब हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे ये सामूहिकता अत्यन्त सुदृढ़, सुगठित, हैं Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2000: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का शुभ दिवस है जो मनाया जाता है। कारण ईसामसीह का जन्म कहते हैं को जानो’। यह कहते हुए भी लोगों ने इस कि आज हुआ था। ईसामसीह के बारे में चीज़ का महत्व नहीं समझा और धर्म फैलाना लोग बहुत कम जानते हैं क्योंकि वो छोटी शुरू कर दिया। अपने को जाने बगैर ही उम्र में बाहर चले गए थे और उसके धर्म फैल नहीं सकता, धीरे-धीरे वो बाद वापिस आकर के उन्होंने जो महान अधर्म हो जाता है और यही बात ईसाई कार्य किए वो सिर्फ तैंतीस (33) वर्ष के उम्र धर्म की हो गई | जैसे कि ईसामसीह एक तक ही थे। उसके बाद उनके जो शिष्य विवाहोत्सव में गए थे, शादी में गए थे और थे, बारह उन्होंने धर्म का प्रचार किया लेकिन वहाँ पानी में हाथ डाल के उन्होंने उसकी जैसे आप लोगों को भी समस्याएं आती हैं शराब बना दी ऐसा लिखा हुआ है हिब्रु में उसी प्रकार उनको भी अनेक समस्याएं कहा जाता है जिसमें कि यह बात लिखी आईं। पर इन बारह आदमियों ने बहुत गई है शुरूआत में, कि वो पानी जो था कार्य किया और शुरूआत के जो लोग उसका परिवर्तन जो हुआ सो जैसे कि इनको मानते थे उनको (Gnostics) कहते थे। ग्नोस्टिक माने और अंगूर के रस को भी उसमें वाईन “जिन्होंने जाना है। ‘जन्म’ से आता है ग्नः, (wine) नहीं कहते। इसी बात को लेकर ग्नः Read More …

Diwali Puja Los Angeles (United States)

                                                  दीवाली पूजा  पिरू झील, लॉस एंजिल्स के पास, कैलिफोर्निया (यूएसए) – 29 अक्टूबर 2000। पूरी दुनिया के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है कि हम इस दीवाली पूजा को अमेरिका में मना रहे हैं। यह बहुत ज़रूरी है। यहां, जहां लोग पैसा कमाने में सक्षम हुए हैं, कभी-कभी बहुत पैसा है, और ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। जब हम दीवाली की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि – दीवाली के दिन हम इतनी सारी रोशनी क्यों करते है? रोशनी और पानी में उत्पन्न  हुई लक्ष्मी, जो पानी में खड़ी होती है, का संयोजन क्या है? यह संयोजन क्यों है? वह पानी में खड़ी थी, जैसा कि हम जानते हैं, समृद्धि का प्रतीक; जो मानव जागरूकता में निर्मित है कि वह समृद्ध हो सकता है। पशु समृद्ध नहीं होते हैं। सबकी अपनी मर्यादा है, वृक्षों की मर्यादा है। मनुष्य ही समृद्ध हो सकता है। लेकिन अगर उन्हें अपने मर्यादाओं का बोध नहीं है, तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही पतनशील और विनाशकारी है। तो प्रकाश प्रतीक है कि लक्ष्मी के आशीर्वाद वाले सभी लोगों को खुद को प्रबुद्ध करना चाहिए, प्रकाशित होना चाहिए, और उन्हें दूसरों को भी प्रबुद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तव में, तथाकथित लक्ष्मी प्राप्त होते ही वे बिल्कुल अंधे हो जाते हैं, और वे भूल जाते हैं कि लक्ष्मी के आशीर्वाद के पीछे क्या है। सबसे पहले, जैसा कि हम देखते हैं, लक्ष्मी का यह प्रतीक कैसे प्रतिनिधित्व करता है, मैंने आपको Read More …

11th Day of Navaratri Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा। कैबेला लॅक्गर (इटली), 8 अक्टूबर 2000. आज हम देवी की पूजा करने जा रहे हैं, हम उन्हें अम्बा कहते हैं, और कई अन्य नामों से। वह अंतिमा है, हमें कहना चाहिए, “अवशिष्ट शक्ति”। जब वह सभी कार्य पूर्ण कर चुकी होती है, तब वह कुंडलिनी बन जाती है और आप की त्रिकोणीय हड्डी में बस जाती है। यह मूलाधार चक्र है। लेकिन वास्तव में वह बाईं तरफ अधिक अभिव्यक्त होती है, क्योंकि, उस समय, वह विशुद्ध रूप से अम्बा है। सभी मनुष्यों के लिए यह बाईं बाजू बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपके पास कोई बाईं बाजू नहीं है, तो आप अपने आप को संतुलित नहीं कर सकते, शुरुआत में। और कहा जाता है कि वह आपको सहज योगी का वास्तविक व्यक्तित्व प्रदान करती है। ऐसा है कि, यदि आपकी बाईं नाड़ी कमजोर है, तो आपको उनकी पूजा करनी होगी, और उनसे अनुरोध करना होगा कि: “कृपया हमारी बाईं नाड़ी को समृद्ध करें।” आपकी बाईं नाड़ी को समृद्ध करके, वह क्या करती है, वह सुख प्रदाता है, इसलिए वह आपको क्या देती हैं? सबसे पहले, वह आपको सुख देती हैं। यह कहा जाता है कि वह आपको आराम देती है। ऐसा है कि, वह आपको नींद देती है। यदि आप भविष्य के बारे में बहुत अधिक सोच रहे हैं और आप भविष्य की योजना में बहुत लिप्त हैं, तो आपको कुछ समस्याएं हैं। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है, अगर आप सो सकते हैं, तो यह एक बड़ा आराम है, यह आपके लिए बहुत ही सुखद है, कि आप Read More …

Without knowing the Self you cannot get rid of your problems Royal Albert Hall, London (England)

2000-09-26 सार्वजनिक कार्यक्रम,  रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन, ब्रिटेन  सत्य को खोजने वाले सभी साधकों को मेरा प्रणाम। इस आधुनिक समय में यह भविष्यवाणी की गई थी कि बहुत – बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे और आप इसका प्रमाण देख सकते हैं। बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे क्योंकि वे असत्य से तंग आ जाएंगे, उन्हें यह भी पता चल सकेगा है कि बहुत सारी चीज़ें सतही हैं, जो बिल्कुल संतोषजनक नहीं है (यह) इस आधुनिक समय का आशीर्वाद है, यद्यपि हम कहते हैं आधुनिक समय सबसे ख़राब है। इसके अत्याचार के कारण, इसकी समस्या के कारण  लोग सच्चाई जानना चाहते हैं और उन्हें सच भी पहले से पता चल जाएगा। इसके अलावा आपको अपने बारे में भी सत्य जानना होगा। मैंने आपको कई बार कहा है कि सच यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, आप यह मन नहीं हैं, आप यह भावनाएं नहीं हैं, अपितु आप शुद्ध आत्मा हैं।  आप हैं, आप सभी  हैं, यह केवल एक कहानी नहीं जो मैं आपको बता रही हूं, यह एक तथ्य है। लेकिन जब वे कहते हैं कि स्वयं को जानो। सभी शास्त्रों में उन्होंने एक समान बात कही है, आपको स्वयं को जानना चाहिए। क्योंकि यदि आप स्वयं को नहीं जानते हैं तो आप परमात्मा को कैसे जानेंगे? इसलिए सबसे पहले आपको स्वयं  को जानना चाहिए और स्व भीतर है। समस्या यह थी कि स्वयं को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें, स्वयं को अनुभव करने के लिए, स्वयं की शक्ति को अनुभव करने के लिए आपको Read More …

On Torsion Area Holiday Inn London – Kensington Forum Hotel, London (England)

                                        वी आई पी रिसेप्शन, LONDON ,UK,DP RAW                                                            2000-09-23 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूँ। ये विशिष्ट समय है जब हमारे पास सत्य के इतने साधक हैं । आश्चर्यजनक रूप से आजकल बहुत सारे लोग जानना चाहते  हैं कि सत्य क्या, और परिणाम उनमें से कुछ खो भी जाते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, यह मन, यह भावनाएं यह तथाकथित बुद्धिमत्ता नहीं हैं लेकिन आप सच्ची आत्मा हैं। सभी शास्त्रों ने कहा है कि जहाँ  तक और जब तक आप खुद को नहीं जानते तब तक आप परमात्मा को कैसे जान पाएंगे। क्योंकि यदि हम स्वयं को वास्तव में नहीं जानते हैं तो हम परमात्मा को जानने के लिए सुसज्जित नहीं हैं और इसलिए स्वयं को जानना इतना महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी चीज है जिसे लोग समझ नहीं पाते हैं क्योंकि ज्यादातर उन्हें कविता में लिखा गया है। और उन सभी ने कहा है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए लेकिन आप स्वयं को कैसे जान पाएंगे कि आपका स्व भीतर है और बाहर नहीं। तो अपने आप को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें यह समस्या है। यह समस्या वास्तव में इतनी महान है कि बहुत से लोगों को जानने के ज्ञान से बाहर रखता है। अब मुझे आपको अपने बारे में बताना चाहिए कि मैंने खुद महसूस किया है कि लोगों को खुद को जानने की एक बड़ी समस्या है, हालांकि मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से जानती थी । दूसरों को अपने बारे Read More …

Have you been able to know yourself? New York City (United States)

2000-06-16 सार्वजनिक कार्यक्रम, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका “… एक साथ वे खोज रहे हैं, खोज रहे हैं खोज रहे हैं परन्तु क्या? और उस खोज से आपको क्या प्राप्त होने वाला है ? आप भली-भांति जानते हैं शास्त्रों में ,उन सभी में, यह लिखा है- आपको स्वयं को जानना है। आप स्वयं को नहीं जानते, यही मुख्य बिन्दु है। सर्वप्रथम  आपको स्वयं को जानना चाहिए। अपनी सभी खोजों के साथ, अपने सभी प्रयासों के साथ,  सभी प्रकार की कलाबाजियां करके, क्या आप स्वयं को जानने‌ में सक्षम होंगे? हमें यह प्रश्न पूछना चाहिए । मात्र इसलिए ,क्योंकि कभी-कभी आप बहुत अच्छा अनुभव करते हैं, आपको लगता है कि आप बहुत शांतिपूर्ण हैं, या आपको लगता है कि आप हवा में उड़ रहे हैं – ये सभी चीज़ें, ये सब दिखावा है। यह सब दिखावा है और हम  इतने वर्षों से यह सब कर रहे हैं । मैं नहीं जानती कि क्या हो जाता है हमारी सोच और हमारी समझ  को, जब वह परमात्मा के विषय में हो ।वही  दिव्यता जो आपके अन्दर है , उसका आपके ऊपर क्या प्रभाव होना चाहिए जिसके द्वारा  ( सर्वप्रथम), आप स्वयं को जानते हैं। यह देश साधकों से परिपूर्ण है, मैं जानती हूं । और मैं यह पाती हूं कि, एक पूंजीवादी देश होने के कारण, वे सोचते हैं कि परमात्मा को भी ख़रीदा जा सकता है, यहां तक कि गुरुओं को भी ख़रीदा जा सकता है । यदि आप किसी को ख़रीद सकते हैं, अगर आप किसी को पाल सकते हैं, तो वे Read More …

Talk after Sahasrara Puja: Penetrate Your Attention Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहस्त्रार पूजा के बाद की बात “अपना चित्त प्रविष्ट करें “,  कैबेला  लिगुरे, इटली, 7 मई 2000 यह एक अद्भुत विचार था मेरा  चित्त जीवन के  इन सभी क्षेत्रों पर केंद्रित करना, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं  और जैसा कि , मेरा उन सभी पर चित्त है और मैं इन सभी की परवाह करती हूँ लेकिन मैं कहूँगी की अब आप सभी लोगों को इस पर अपना चित्त रखना है क्योंकि वह आप हैं  जो इसके बारे में कुछ कर सकते हैं । आप प्रकृति के साथ शुरू कर सकते हैं जैसा कि कहा गया है कि हमें प्रकृति के प्रति दयालु होना होगा । हमें ऐसी समस्याएं हो रही हैं । लोग पेड़ों को काट रहे हैं, हर प्रकार का कार्य  कर रहे हैं यह सोचे बिना कि यह हमारी संतति के लिए हैं,  जो मरुभूमि बन जाएगी। तो, उसी प्रकार, सभी  के लिए, अपने फल और कृषि के लिए, चैतन्य वास्तव में बदल सकता है। हमारे बगीचे में आपको विश्वास नहीं होगा, एक  पिअनी (बड़े लाल फूल) थे बस इस तरह का, इस से भी बड़ा है, बहुत बड़ा है । हमने ऐसा फूल कभी नहीं देखा। हमारे पास ट्यूलिप के फूल भी उतने ही बड़े थे । मैंने अपने जीवनकाल में इस तरह के ट्यूलिप फूल नहीं देखे है । चैतन्य के साथ आप हर जगह सुधार कर सकते हैं। आप जाकर किसी राजनेता से मिलते हैं, या फिर किसी राजनीतिक दल में जाते हैं, तो आप अपने हाथों का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें हर समय बंधन Read More …

We are not ourselves Istanbul (Turkey)

२०००. ० ४. २५  सार्वजनिक कार्यक्रम, इस्तांबुल, तुर्की, लेवेंट सिरका और ओया बसर थियेटर, माक्का-इस्तांबुल मैं सत्य       को खोजनेवाले सभी साधकों को नमन करती       हूँ । ये दिन हैं       सर्वाधिक उथल-पुथल के      । हम देख सकते हैं अपने आसपास      सभी प्रकार की आपदाओं को       आते हुए । साथ ही, जो  हम      देखते हैं कि मानव      स्वयं से खुश नहीं है और न ही दूसरों से      । इसका मतलब है,      कुछ मूल-रूप से ग़लत है हमारे साथ , जो कि हम सभी एक साथ शांति से नहीं रह सकते हैं। हमारे पास आनंद नहीं है। हम अपने जीवन का आनंद नहीं ले सकते हैं। हम अनावश्यक रूप से इतने दुखी हैं। चाहे अमीर हो या गरीब, जो भी स्थिति/परिस्थिति/अवस्था      हो, लोग बहुत खुश नहीं हैं। इसका क्या कारण है? क्या हम दुख और परेशानियों के लिए बनाए गए हैं/क्या हमारी सृष्टि की गई है  दुःख और परेशानियों के लिए  ?      सभी प्रकार के रोगों और सभी प्रकार के संक्रमणों से पीड़ित होने के  लिए ?  प्रकृति भी, धरती माँ, सब का हमारे साथ सामंजस्य नहीं है। इसका कारण है,      हम स्वयं      नहीं हैं। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है , जैसा कि सभी के द्वारा कहा गया है ,      कि आपको स्वयं को जानना चाहिए। लेकिन हम कैसे जानें      ? अब समय आ गया है। कुरान में, इसे दो चरणों में वर्णित किया गया है, एक है क़ियामा और दूसरा है क़यामत । हम बच      सकते हैं और कियामा का आनंद उठा सकते हैं। या हम नष्ट हो सकते Read More …

Easter Puja, Purity Is the Basis of Your Existence Istanbul (Turkey)

Easter puja. Istanbul (Turkey), 23 April 2000. ईस्टर पूजा- इस्तांबुल (तुर्की), 23 अप्रैल 2000 आज हम एक महान घटना का उत्सव मना रहे हैं, जो है ईसा मसीह का पुनरुत्थान। इस प्रकार से आपका भी पुनरुत्थान हुआ है, कि आप दिव्य प्रेम के नए जीवन की ओर बढ़े  हैं। आप सभी को यह ज्ञान था कि कुछ महान होना है और आपका पुनर्जन्म होना है। परन्तु, किसी को नहीं पता था कि यह कैसे क्रियान्वित होना है ?  आपके अस्तित्व का सूक्ष्म रूप आपको कभी नहीं बताया गया। संतों ने केवल इसी बात पर चर्चा की कि आपको कैसे व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने केवल यही कहा कि कैसे आपको बहुत ही शुद्ध जीवन, ईमानदारी से जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन उन्होंने आपको यह नहीं बताया कि यह कैसे क्रियान्वित होगा। निस्संदेह, भारत में लोग इसे जानते थे, बहुत कम लोग, बहुत ही कम। लेकिन, अब यह एक विश्व व्यापी ज्ञान है, आप लोगों के माध्यम से। अब जब आपकी कुंडलिनी उठती है, वह आपकी माँ है, वह आपकी व्यक्तिगत माँ है और वह आपको दूसरा जन्म देती है। इस प्रकार आप दिव्य स्वर्ग से जुड़ जाते हैं। यह सब, यदि बिना साक्षात्कार के बताया जाए तो इसका कोई अर्थ नहीं है, परन्तु लोगों को इसके बारे में महान विचार दिए गए हैं और उनसे यह भी वचन दिया गया कि एक दिन आपका पुनरुत्थान होगा। यह आपके लिए महानतम संयोग है, यह आपके जीवन की महानतम घटना है और यह अत्यंत सौभाग्य की बात है कि आप इसे Read More …

Birthday Felicitations New Delhi (भारत)

Birthday Felicitations (English part), Delhi (India), 22 March 2000. HINDI TRANSLATION (English Talk) Scanned from Hindi Chaitanya Lahari है कि किस प्रकार इन लोगों ने विश्व के हजारों सम्माननीय अतिथिगण, सम्माननीय गृहमन्तरी श्री आडवाणी जी. जो कि महान देशभक्त रहे हैं लोगों को आत्मसाक्षात्कार की ज्योति प्रदान की! और उनके देश प्रेम के कारण जिनकी मैं सदैव प्रशंसक रही हूँ। वे अत्यन्त देशभक्त हैं और तरह से कार्य नहीं कर रही। जिस प्रकार ये आप जानते हैं मेरे माता-पिता भी अत्यन्त देशभक्त बधाई सन्देश हमें आए हैं, आप देख ही रहे हैं. थे उन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान ये सब इनके प्रयासों का फल है सहजयोगी वास्तव में यही लोग कार्य कर रहे हैं। मैं उनकी कर दिया। देशभक्त होने के कारण उसे समय उनसे मिलते हैं उन्हें सहजयोग के विषय में सबने मेरी भी बहुत भत्संना की। जिस देश में बताते हैं और उन्हें आत्मसाक्षात्कार भी देते हैं। इस प्रकार से इन्होंने इस कार्य को किया है। अतः हमें अपने देश और उसकी गहन सम्बन्ध है। मैने देखा है कि सहजयोग में समस्याओं के विषय में चिन्ता करनी चाहिए। ये आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करके परिवर्तित होने के समस्याएं क्यों है? मैं जानती हूँ कि आपकी कामनाएं और प्रयत्न निश्चित रूप से आपके कमी है। सहजयोगी उन कमियों के विषय में देश की स्थिति को सुधारेंगे हर जगह ये घटित बहुत जागरूक हो जाते हैं । मैं हैरान हूँ कि सभी हो रहा है। भारत में भी ये घटित होना चाहिए। मुझे बताते हैं कि उनक दश में क्या Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 2000 Date: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Chaitanya Lahari] पहले अंग्रेजी में बातचीत की क्योंकि यहाँ हृदय दूसरों के सामने खाल सकें और उन्हें परदस से बहुत से लोग आए हैं और आप को अपने हृदय में बसा सकें। और मन काई एतराज नहीं कि हम थोड़ी देर अंगरेजी में से हमको यह सोचना चाहिए कि जिस मन में प्यार नहीं है वो संसार में किसी भी चीज़ का अधिकारी नहीं बातचीत करें। हालांकि यह तो दिल्ली वालों का कमाल है और उसी के साथ उत्तर प्रदेश के होता क्योंकि जो भी चौज़ उसे मिलती है. वो भी जुट गए और राजस्थान के लोग भी किसो भी तरह से तृष्त नहीं हो सकता। उसमे लाग, वो जूट गए और हरियाणा के लोगों ने भी मदद की। तृप्ति नहीं आ सकती। लेकिन जब आपके मन इन सब नं मिल करके इतने प्यार से बड़ा ही में ही एक तृप्ति का सागर है तो ऐसी कीन सी सुन्दर मन्दिर जैसे बनाया है। मैं तो खुद ही चीज़ है जिससे आप तृप्त न हों। ये चीज़ें जब दखकर हैरान हो गई। क्या यहाँ पर ऐसे कारीगर आपक अंदर हो जाती हैं और समाधान आपक लोग हैं? मैं तो नहीं जानती थी! सारी कारीगरी अंदर समा जाता है तो समाधान की परिश्रि को कहाँ से आई और कहाँ से उन्होंने सब कुछ बना कोई समझ नहीं सकता। उस समाधान के व्यापा को काई समझ नहीं सकता और इतना मधुर, कर यहाँ सजाया। यह समझ में Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 5th March 2000: Place Pune: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] शिवजी को आप लोग मानते हैं और धीरे-2 वो नष्ट होते जाते हैं। धीरे धीरें वी उनकी बड़ी पूजा अर्चना होती है। लेकिन शिवजी के गुणधर्म आप जानते नहीं, इसलिए बहुत बार सांत्वना करने वाले हैं। हमको शांति देने वाले आपसे गलती हो हैं। और जब स्वरूप जो है वो आनंद स्वरूप है। सूक्ष्म सं शिवजी की शक्ति और विष्णु की शक्ति जैसे समाप्त होते जाते हैं। पर शिवजी जो हैं ये हमारी जाती है। शिवजी का विशेष और हमको आनंद देने वाले ये आनंद उनका सब तरफ छाया रहता है। कि कुण्डलिनी और नाड़ी, इन दोनों का मेल हो जाता है तब आपको केवल सत्य मिलता तेक आपमें नहीं आएगी आप उसे देख नहीं है। केवल सत्य। जैसे की उस सत्य को कोई सुषुम्ना सूक्ष्म लेकिन उसको आकलन करने की शक्ति जब पाएंगे और समझ नहीं पाएंगे। वो हर चीज़ में विराजमान है। हर चीज़ में एक तरह से आनंदमय, सकते क्योंकि वो पूर्णतया सत्य है। आप अपने कहना चाहिए कि एक आनंदमय सृष्टि तैयार अंगुलियां पर अपने हाथ पर भी उसे जान सकते करते हैं और उस सृष्टि में विचरण करते हुए आप किसी भी तरह से अस्वीकार्य नहीं कर हैं। अनेक तरह के अनुभव आपको आएंगे आप देखते हैं कि आप भी कुछ और ही हो जिससे आप समझ जाएंगे कि एकदम सत्य जो गए। दूसरे लोगों को जिस चौज़ में आनंद आता है उसमें असत्य की छटा Read More …

Guru Nanak Birthday (भारत)

Guru Nanak Puja Type: Puja Speech Language: Hindi Place: Noida  Date: 23rd November 1999 12.11 आज गुरु नानक साहब का जनम दिन है और सारे संसार में मनाया जा रहा है वैसे। और आश्चर्य की बात है कि इतना हिन्दुस्तान में मैंने नहीं देखा, फर्स्ट टाइम इतना पेपर में दिया है, सब कुछ किया है। और उन्होंने सिर्फ सहज की बात की है। सहज पे बोलते रहे और हमेशा कहा, कि साहब सब जो है बाहर के आडम्बर हैं।  धर्म के बारे में कहा, कि उपवास करना, तीर्थयात्रा करना और इधर जाना, उधर जाना, ये सब धर्म के आडम्बर हैं सब धर्म के।  और आपको सिर्फ अपने अन्दर जो है उसको खोजना है। अपने अन्दर जो है उसको स्थित करना है। बार-बार यही बात कहते रहे, उन्होंने कोई दुसरी बात कही ही नहीं। मतलब यहाँ तक है कि कोई भी रिच्युअल (ritual) की बात नहीं करी उसने।  पर उसके बाद जब तेग बहादूर जी आये तो उनका भी कहते हैं आज ही शहीदी दिन है, कल है, कल है। कल है उनका भी शहीदी दिन, तो वो भी उसी विचार के थे। पर जो लास्ट गुरु थे उनके, उन गुरु ने जो कि युद्ध हो रहा था इसलिये सब बनाया, कि आप कड़ा पहनिये, बाल रखिये, ये सब जो चीज़ें बनायीं, ये सब उन्होंने बनायी। पर गुरु नानक साहब ने तो सिर्फ स्पिरिट ( spirit )की बात करी। उन्होंने कहा कि बाकी सब चीजें बेकार हैं, बिल्कुल साफ़-साफ़ कहा है। कोई अब पढ़ता ही नहीं उसे अब करें क्या? वो Read More …

8th Day of Navaratri, The Powers of Shri Mahakali Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला लिगरे (इटली), 17 अक्टूबर 1999 आज रात हम यहां देवी की पूजा करने के लिए एकत्र हुए हैं, जिन्हें की हम महाकाली कह सकते हैं – या दुर्गा। उन्होने कई प्रकार के रूप धारण किए हैं, उन नकारात्मक शक्तियों को मारने के लिए जो परेशान करने या बाधित करने की कोशिश कर रही हैं, या यहां तक ​​कि उन लोगों को विकसित करने के लिए जो सभ्य और अच्छे थे। उसके रूप विभिन्न प्रकार के हैं – जिसके बारे में हम जानते हैं कि, उन्होने कितने राक्षसों को नष्ट किया, उन्होने कितने दुष्टों को नष्ट किया। साथ ही हमें यह भी जानकारी नहीं हैं कि जो हमारे विश्व युद्ध हुए थे, वह सही प्रकार के लोगों की रक्षा के लिए वहां मौजूद थीं। और इस तरह वे सभी बहुत ही क्रूर और दुष्ट लोगों की खून खराबे की योजना, दुष्प्रयोजन से बच गए। दुष्ट लोगों में हर संभव तरीके से घृणा करने और अपनी घृणा व्यक्त करने की क्षमता होती है। वे वास्तव में पैदाइशी दुष्ट हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो ‘बुराई’ बन जाते हैं। जब वे दुष्ट पैदा होते हैं, तो आप उन्हें इस तरह पहचान सकते हैं: कि उनकी पूरी शैली अति आक्रामक और चीजों के प्रति इतनी प्रतिशोधी है। लेकिन नफरत की कोई सीमा नहीं है, बिल्कुल कोई सीमा नहीं है। क्योंकि, अगर वे नफरत करते हैं, अगर वे किसी से नफरत करते हैं, तो – बस उस नफरत को सही ठहराने के लिए – वे हर तरह की बातें कहेंगे। सिर्फ Read More …

श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं श्रीगणेश पूजा, कबैला लीगर(इटली), 25 सितम्बर 1999 आज हम सब यहाँ पर श्रीगणेश की पूजा के लिये एकत्र हुये हैं। आप सभी जानते हैं कि वे कितने शक्तिशाली देवता हैं। उनकी ये शक्तियां उनकी अबोधिता से आती है। जब भी हम छोटे बच्चों को देखते हैं तो तुरंत ही हम उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और उनको प्यार करना चाहते हैं … उन्हें चूमना चाहते हैं और उनके साथ रहना चाहते हैं वे इतने अबोध होते हैं … अत्यंत अबोध। यदि हम श्रीगणेश की पूजा करना चाहते हैं तो हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सचमुच ही अबोध और निष्कलंक हैं। आजकल लोग अत्यंत चालाक और मक्कार हो गये हैं और मक्कारी के मामले में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे सरल और मासूम लोगों के साथ अनेकों मक्कारी भरे खेल खेलते हैं। वे सोचते हैं कि इस आधुनिक समय में हमेशा वे ही सही हैं और बाकी लोग अत्यंत शातिर और धूर्त हैं। ये धूर्तता उनको अत्यंत दांई नाड़ी प्रधान बना व्यक्ति बना देती है जो अत्यंत भयावह है …. क्योंकि कुछ लोगों में इसके कारण कुछ भयानक शारीरिक समस्यायें भी हो जाती हैं जैसे कि उनके हाथ कांपने लगते हैं या उनके पैरों में लकवा मार जाता है। उनको लिवर से संबंधित अनेकों समस्यायें भी हो जाती हैं। इससे भी बढ़कर उनको सजा देने के लिये उन्हें मनोदैहिक रोग भी जकड़ लेते हैं। जैसे ही आपको इस प्रकार की कोई दांई नाड़ी प्रधान बीमारी हो जाय तो आपको श्रीगणेश Read More …

Easter Puja: We have to establish our meditation Istanbul (Turkey)

ईस्टर पूजा। इस्तांबुल (तुर्की), 25 अप्रैल 1999. आज, हम सभी एकत्रित  हुए हैं यहाँ , तुर्की में, इस्तांबुल  में, ईसा मसीह के पुनरुत्थान को मनाने के लिए, और उसी के साथ आपके संग आपके पुनर्जागरण को मनाने के लिए । ईसा मसीह का पुनरुत्थान हमारे लिए एक महान संदेश था। उन्होंने  मृत्यु पर विजय प्राप्त किया ।और उस मृत शरीर से बाहर आ गए , एक दूसरे शरीर के साथ जो जीवित शरीर था। शरीर वही था।परन्तु एक मृत शरीर था ।और दूसरा शरीर एक  जीवित शरीर  था। यह केवल प्रतीकात्मक नहीं है ।यह सच में उनके साथ घटित  हुआ था। आख़िरकार , वे  एक दिव्य बालक थे ।वे एक दिव्य व्यक्ति थे । सच  में यह उनके साथ घटित  हुआ । यह मात्र एक प्रतीकात्मक बात नहीं है,  कि उनकी मृत्यु हुई एवं  उनका  किसी एक अन्य व्यक्ति के रूप में पुनर्जन्म  हो गया। या, आप कह सकते हैं, एक जीवित व्यक्ति के रूप में। उनके लिए, मृत्यु क्या चीज़ है? शाश्वत  प्राणियों के लिए कोई  मृत्यु नहीं होती है। उस व्यक्ति के लिए कोई मृत्यु नहीं है जो शाश्वत है। कुछ समय के लिए, वे ऐसे दिख  सकतें हैं  जैसे कि वे मृत  हैं।परन्तु वे कभी मर नहीं सकते। ईसा मसीह उसी प्रकार के थे ।एक अत्यधिक  विशेष अवतरण, जो मृत शरीर से पुनर्जन्म लेने के लिए इस धरती पर प्रकट हुए।  हम भी अब  , जबकि हम अभी भी आत्म साक्षात्कारी नहीं हैं, जबकि हम अभी तक प्रबुद्ध नहीं हुए हैं। हम भी  मृत हैं, इस आशय Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 1999 Date : Place Delhi Type Puja : Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप लोगों का ये प्यार देखकर के मेरा इस प्रकार कि आप ध्यान करें, सुबह-शाम। तो हृदय भर आया है और ये सोचकर कि प्यार आपके अन्दर के जो बुरे विचार हैं, जिससे आप कितनी बड़ी शक्ति है. इससे लोग इतने आकर्षित ईष्ष्या करते हैं और क्रोधित होते हैं और छोटी-छोटी होते हैं और आनन्दित होते हैं। ये बड़ी आश्चर्य बात पे बुरा मान जाते हैं. ऐसे सारे विचार खत्म की बात है। इस कलियुग में प्यार का महात्मय हो जाएंगे। उसके बाद बच क्या जाता है। निर्मल प्रेम। इस प्रेम से आप सारे संसार को एक नया इतना तो किसी ने नहीं देखा होगा मैं सोचती हूँ कि इसको देखकर के आप सभी लोग अपना जीवन दे सकते हैं। घ्यार बढ़ाना सीखें। यो चीज़ बहुत आसान है। वो परमात्मा आपको आशीर्वादित करें ন [Hindi translation from English, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] से अपने प्रम का प्रदर्शन करना ही हिन्दी प्रवचन में मैन बताया, एक व्यक्ति प्रकार के प्रेम की अभिव्यक्ति आप यहाँ बहुत सी सर्वोत्तम है। आँखो में देख सकते हैं। आपके उत्साह को मैं एक उदाहरण दूँगी जिसे पहले भी देखकर मेरा हृदय प्रेम से भर गया, महान प्रेम बहुत बार दें चुकी हूँ। एक वार में गगनगिरी से। तो हम देख सकते हैं कि बह प्रेम कितना महान है! यदि आप सच्चे हदय से सुबह शाम ध्यान करें तो सभी प्रकार Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 14th February 1999: Place Delhi: Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] पहले मैं हिन्दी भाषा में बोलूँगी फिर सोपान मार्ग बना हुआ है. जिसे हम सुषुम्ना नाड़ी अंग्रेजी में आज हम श्री महादेव, शिवशंकर की पूजा करने के लिए एकत्र हुए हैं। शंकर जी के नाम से अनेक व्यवस्थाएं दुनिया में हो गईं। आदिशंकराचार्य के प्रसार के कारण शिवजी की शिव की, और जो रास्ता है वो विष्णु का पूजा बहुत जोरों में मनाने लग गए और दक्षिण में तो दो तरह के पंथ तैयार हो गए एक जिसको शैव कहते हैं और दूसरे जो वैष्णव कहलाते हैं । अब शैव माने शिव को मानने वाले और वैष्णव अपनी जगह बैठे हैं, जिसको आना है आए, नहीं जो विष्णु को मानने वाले। अपने देश में, विभाजन करने में हम लोग बहुत होशियार हैं। भगवान के भी विभाजन कर डालते हैं और फिर जब चाहिए और उसके लिए जो उसको एकत्रित करना चाहते हैं तो और उसका विद्रुप रूप निकल कहते हैं, जो मध्य मार्ग है, वो विष्यु का मार्ग है और उस मार्ग से ही हम शिव तत्व पे पहुँचते हैं तो जो मंजिल है वो है शिव तत्व की, बनाया हुआ है इस रास्ते को बनाने में विष्णु ने और आदिशक्ति ने मेहनत की है, इसमें शिवजी का कोई हाथ नहीं, बो तो आराम से |कॉ आना है नहीं आए। सो इस शिव तत्व को प्राप्त करने के लिए हमें इसी विष्णु मार्ग से जाना अनेक Read More …

Expression of Subtle Elements New Delhi (भारत)

Panch Tattwa – The Subtle Elements Date 16th December 1998: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतने ठंड में और तकलीफ में आप सब इतना भयंकर दावानल जैसे चारों तरफ से लगा लोग आए। एक माँ के हृदय के लिए ये बहुत हुआ दिखाई देता है। उसके बीच आप सहजयोगी बड़ी चीज़ है। अब और कोई दिन मिल नहीं रहा था, इसी दिन आप लोगों का तकलीफ वर्णन शास्त्रों में है। पर उसमें ये कहा जाता है उठानी पड़ी। और आप लोग इतने प्रेम से, सब लोग, यहाँ आए! सबका कहना था कि हवाई दिन कलि लग गया। तो उन्होंने कहा कि अब अड्डे पर माँ हम तो बिल्कुल आपको देख भी मैं तेरा सर्वनाश करता हूँ क्योंकि तुमने मेरी पत्नी नहीं पाए, और मैं भी आपको नहीं देख पाई। से मैरा बिछोह किया है । इस पर कलि ने कहा इसलिए बेहतर है कि आप लोग आज यहाँ आए कि तुम मेरा महात्म्य जानो मेरा जो महात्म्य है हैं, सब लोग। और दिल्ली वालों का जो उत्साह खड़े हुए हैं। इस कलयुग के बारे में अनेक कि नल, जो दमयंति के पति थे, के हाथ एक उसे समझ लो। उस महात्म्य में गर तुम समझो कि मुझे मार डालना है तो मार डालो, में खत्म हो जाऊंगा। उसने कहा तुम्हारा क्या महात्म्य है? है, वो कमाल का है। ऐसा ही उत्साह सब जगह हो तो ये भारतवर्ष सहजयोग का महाद्वार बन जाएगा। ये एक समय है, Read More …

7th Day of Navaratri, You all should depend on Paramchaitanya Campus, Cabella Ligure (Italy)

                 नवरात्रि पूजा, “शुद्ध ज्ञान”  कबेला (इटली), 27 सितंबर 1998 आप कल्पना नहीं कर सकते कि एक माँ, जिसके इतने सुंदर बच्चे हैं, उन्हें अपने परिवारों के साथ इतनी हर्षित मनोदशा में, अपने बच्चों को अच्छी तरह स्थापित देख कैसा महसूस करती है। आप सभी को इतना आनंद और परमात्मा के साथ पूर्ण एकाकारिता में देखकर बहुत संतोष होता है। किसी व्यक्ति को केवल एक ही बात समझनी है, कि यद्यपि आप बहुत हैं, फिर भी, इस दुनिया की आबादी की तुलना में, हम बहुत कम हैं जो वास्तव में सच्चे ज्ञान, वास्तविक ज्ञान को जानते हैं। बेशक, आप ज्ञानी लोग हैं। लेकिन साथ ही ऐसा ज्ञान जो सत्य से सुशोभित नहीं है, या जो सच्चा ज्ञान नहीं है, अर्थहीन है। वह सब कुछ हवा में गायब हो जाता है क्योंकि यह कृत्रिम है। अपने कुंडलिनी जागरण से, आप सभी ने वह अवस्था प्राप्त कर ली है, जहाँ हम कह सकते हैं, आप जानते हैं। आप जानते हैं कि वास्तविक ज्ञान क्या है। लेकिन उन लोगों के बारे में सोचो जो नहीं जानते कि ज्ञान क्या है। हम, उदाहरण के लिए, हम कहते हैं कि हमारा ज्ञान प्रेम के अलावा और कुछ नहीं है। लेकिन व्यक्ति को विवेकबुद्धि को समझना चाहिए। तुम्हारे भीतर, ज्ञान जो प्रेम है, वह तुम्हारे अस्तित्व से उत्सर्जित हो रहा है। आपको जताने की जरूरत नहीं है। आपको सोचने की जरूरत नहीं है। आपको किसी प्रकार की कविता पढ़ने या किसी प्रकार के प्रेम-प्रदर्शन में जाने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल शुद्ध प्रेम है जो उत्सर्जित Read More …

Shri Krishna Puja – Witness State Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्री कृष्ण पूजा। कबेला लिगर (इटली), 16 अगस्त 1998 आज हम श्री कृष्ण पूजा करने जा रहे हैं। श्री कृष्ण की शक्ति के बारे में यह एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि, यह आपको एक साक्षी भाव प्रदान करती है। यह बहुत महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि कलियुग और पूर्ण भ्रमित जीवन मूल्यों के इस समय में, सभी प्रकार की उथल-पुथल, इस से बाहर निकलने  के लिए एक बहुत ही जटिल स्थिति बनाती है। साक्षीभाव की अवस्था ध्यान के माध्यम से ही संभव है। आप निर्विचारिता में पहुँच जाते हैं। यह दोनों  संयुक्त है। अब साक्षी अवस्था एक ऐसी अवस्था है जहाँ आप कोई प्रतिक्रिया नहीं करते। यदि आप प्रतिक्रिया करते हैं, तो समस्या शुरू होती है। यह समझना बहुत सरल है कि हम अपने अहंकार या अपने कंडीशनिंग के कारण प्रतिक्रिया करते हैं। अन्यथा प्रतिक्रिया करने का कोई और कारण नहीं है। कोई भी। अब, उदाहरण के लिए, यहां एक सुंदर कालीन है। जैसे ही मैं इसे देखती हूं – अगर मैं अपने अहंकार का उपयोग करुं तो मैं सोचना शुरू कर दूंगी , “अब, उन्हें यह कहाँ से मिला? उन्होंने इसका कितना भुगतान किया? ” यह पहली प्रतिक्रिया है। फिर आप इस से आगे भी जा सकते हैं। क्रोध आ सकता है। ”वो इतना अच्छा कालीन क्यों लाए? इसे यहां लगाने की क्या जरूरत थी? ” इस प्रकार एक के बाद एक विचार चलता रहता है। अब अगर मैं अपनी अनुकूलताओं से इन चीजों को देखूँ, तो मैं कहूंगी कि यह रंग कृष्ण पूजा के लिए उपयुक्त नहीं है। इस Read More …

Adi Shakti Puja: You Must Develop Humility Campus, Cabella Ligure (Italy)

१९९८- ०६ -२१, आदिशक्ति पूजा, कबैला, इटली                  आपको विनम्रता विकसित करनी होगी कारण कुछ भी हो, रूस के लोग खुले विचारों वाले होते हैं। इतना ही नहीं, विशेष रूप से वैज्ञानिक बहुत ही खुले विचार वाले हैं। और पहले उन्हें बहुत दबाया जाता था, इसलिए उन्होंने सूक्ष्मतर चीज़ों को खोजने का प्रयत्न किया। वह न केवल रसायनों के विषय या प्रकाश के कुछ भौतिक गुणों के बारे में पता लगा रहे थे बल्कि वह सूक्ष्मतर की ओर जाना चाहते थे और उन्होंने पहले से ही भौतिक आभा के विषय में गहन ज्ञान प्राप्त किया था – हाथों के चारों ओर की आभा और शरीर के आस-पास की आभा। उन्होंने बहुत शोध किया और उनकी खोज को विश्व भर में स्वीकार किया गया। अब यह सज्जन एक विशेषज्ञ थे, मुझे लगता है, क्योंकि वह एक बहुत ही जाने-माने, अत्यंत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और वह बहुत ऊँचे पद पर हैं। वह कह रहे थे कि उन्हें 150 संस्थाएँ चलानी पड़ती हैं – अति विनम्र और बहुत अच्छे व्यक्ति। और जब उन्होंने यह खोज की तो मैं एक प्रकार से प्रसन्न थी, क्योंकि वैज्ञानिक रूप से अगर यह प्रमाणित हो गया, तो कोई भी इसे चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने पहले से ही एक पुस्तक लिखी है जिसमें सभी बीजगणितीय जटिलताओं के बारे में बताया गया है, जिसे वह प्रमाणित करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वहाँ एक शून्य है, चेतना से परे एक शून्य क्षेत्र है। और केवल उस शून्य क्षेत्र में ही आप वास्तविकता को जान सकते हैं और एक बार Read More …

Easter Puja: You Can Spread Sahaja Yoga Only Through Love and Compassion Istanbul (Turkey)

Easter Puja. Istanbul (Turkey), 19 April 1998 आज हम ईसा मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव मना रहे है | यह ईसा मसीह के जीवन का सबसे बड़ा संदेश है, सूली पर चढ़ना नहीं है |  किसी भी व्यक्ति को सूली पर टांगा जा सकता है और मारा जा सकता है, किन्तु ईसा मसीह का ये मृत शरीर पुनर्जीवित हो उठा | म्रुत्यु का स्वयं अंत हो गया और उन्होंने इस पर विजय प्राप्त कर ली |  यह चमत्कार हो सकता है सामान्य मनुष्य के लिए निश्चय ही, किन्तु ईसा मसीह के लिए नहीं, क्योंकि वे दैवीय व्यक्तित्व थे, वे श्री गणेश थे, वे स्वयं ओंकार थे | इसलिए वे पानी पर चल सकते थे | गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव उन पर नहीं पड़ सकता था और इसलिए भी वे पुनर्जीवित हो उठे क्योकि मृत्यु उन पर प्रभावी नहीं हो सकी|  वे ऐसे महान दैवीय व्यक्तित्व थे विशेषतः मनुष्यों के लिए बनाये गए थे ताकी लोग उनको पहचान सकें | लेकिन लोगों ने उनको पहचाना नहीं, उनकी हत्या कर दी अत्यंत बर्बरतापूर्वक | वे आज भी सोचते हैं कि यह क्रॉस (सूली) एक महान वस्तु है क्योंकि ईसा मसीह की मृत्यु एक क्रॉस पर हुई थी | यह एक बहुत ही क्रूर विचार है मानव जाति का क्रॉस (सूली) को सम्मान देना | यह क्या दर्शाता है? यह ये दर्शाता है कि लोगों ने पसंद किया उनके प्रति की गई क्रूरता बर्बरता को | क्रॉस प्रतीक है उनकी मृत्यु का और उन पर अत्याचारों है, जिस तरह से उन्हें यातनाएं दी गई थी। इसलिए वह बहुत  दुःखद समय था जब उनको सूली पर टांगा गया | लेकिन जब वे पुनर्जीवित हो उठे तो यह सर्वाधिक आनंददायक अत्यंत मंगलदायक और Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

75th Birthday Puja Date 21st March 1998: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज इसलिए अंग्रेज़ी में बात की क्योंकि हमेशा में रियलाइज़ेशन दे दो। आपके सारे प्रश्न इससे छुट जायेंगे और हिन्दी में ही बात करती हैँ। लेकिन जो इनसे बात की वो आप एक नए तरह का व्यक्तित्व आपके अंदर आ जायेगा। यह एक लोगों को समझ में आयी होगी। वो यह है कि जब आपके बहुत बड़ा मन्वंतर घटित हो रहा है। मैं कहूँगी कि एक आत्मा का प्रकाश आपके अन्दर फैलता है तो आपमें तीन युनरुत्थान की नई बेला आ गई। इसमें मनुष्य का परिवर्तन होना विशेषतायें आ जाती हैं : आप गुणातीत हो जाते हैं । आप जानते ही अत्यावश्यक है। नहीं तो मनुष्य की जो समस्या है वो ठीक हैं कि आपके अन्दर तमो गुण, रजो गुण और सत्व गुण – तीन नहीं हो सकती। उसका परिवर्तन होना चाहिए और जब वो गुण हैं। तमो गुण जिसमें होते हैं उनका एक स्टाइल (Style) होता है । रजो जिसमें होता है उनका एक स्टाइल होता है, और फिर जब दोनों चीजों से ऊबकर वे सत्व गुण में उतरते सारे प्रांगण में ही आके जैसे आनन्द नाचता है। ऐसे सौंदर्यमय हैं जहां पर आप सोचते हैं अब ये तो सब बेकार की चीजें हैं, और सुन्दर जीवन को प्राप्त करने के लिए आपको कुछ करना अब हमें खोजना है । जब खोज शुरू हो जाती हैं तब आप सत्व गुणी हो जाते हैं। सत्व गुण में उतरने पर फिर Read More …