Guru Nanaka Jayanti (भारत)

Guru Nanaka Jayanti “…They didn’t talk of Kundalini; that’s the only trouble. And they all, that time they were all fighting. Because of that fighting nature nobody had patience to tell them ‘baba, you don’t fight now’. because when there is fight going on you can’t talk to them. But with Sahaja Yoga.., Sahaja Yoga has given you a complete freedom.” Hindi: – “there were many true nice saints but nobody ever talked about the Kundalini, nobody talked. Every body talked about the self realization. But in you that Kundalini is seated.” “None of them talked about Kundalini. There had been very great gurus. Very great gurus. But that time every body was quarreling, nobody was listening. They were all fighting. So they never talked about ‘basic is the Kundalini’. See the trouble. All of this. They were not friendly with each other. This is the problem. That time they fought. They didn’t talk of Kundalini and self realization. They were all very evident but because of this gap the problem became wider and wider. None of them talked of Kundalini. Can you imagine! They say it is; some mentioned about it in the Sanskrit language but I have not seen, have you seen! So they all knew the same thing but they didn’t say. So, so many got separated and there was a big (drift/rift) within each other. Because the truth was; there is a Kundalini. And this one was not said critically….” Shri Mataji – “… She is Read More …

Talk of the Evening Eve of Diwali (भारत)

Diwali Celebrations Date 10th November 2007: Noida Place Type Puja [Original transcript Hindi talk] हॅप्पी दिवाली ! आप सबको दिवाली मुबारक हो। ये तरह तरह के नृत्य को आपने देखा; इससे एक बात समझलो, कि ये जो भी थे जिन्होने ये लिखा, कहा, सब एक ही बात कह रहे हैं और सबसे बड़ी बात कौनसी कही कि परमात्मा एक है । उन्होनें अलग अलग अवतार लिए पर परमात्मा एक है । उनमें आपस में कोई झगड़ा नहीं और वो इस संसार में इसलिए आते हैं कि, दुष्टों का नाश करें । खराब लोगों को बर्बाद करे। और हो रहा है हर जगह । हर जगह मैं देखती हैँ, कि जो दुष्ट लोग हैं, वो सामने आ रहे हैं । और अब आप लोगों का भी यही काम है, कि जो दुष्ट हैं, जो परमात्मा के विरोध में काम करते हैं और पैसा कमाने के लिए कोई भी काम कर सकते हैं, वो सब नर्क में जाएंगे। हमको पता नहीं कितने नर्क हैं। अभी जिस माहौल में आप बैठे हैं, जिस जगह आप बैठे हैं, ये नर्क से परे है । इसका संबंध नर्क से कोई नहीं है। लेकिन आप इसमें रहकर | और अधर्म करें, गलत काम करें तो आप भी नर्क में जा सकते हैं। बहत तरह के न्क हैं और ये नर्क में जाने की 6. व्यवस्था भी बड़ी अच्छी है। क्योंकि वहाँ पर जानेवाले जानते नहीं कि हम कहाँ जा रहे हैं। और जो बच जाते हैं वो स्वर्ग चले जाते हैं। तो इस पृथ्वी तल पे Read More …

Makar Sankranti Puja House in Pratishthan, पुणे (भारत)

Hindi Talk आज का दिन पृथ्वी के उत्तर भाग में महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य दक्षिण से उत्तर में आता है। इसलिये नहीं कि ये हम कर रहे हैं। हर साल एक ही तारीख जो कि सूर्य के ऊपर कार्य हम करते हैं,  तो हम लोग उसको क्यों इतना मानते हैं? क्या विशेष बात है कि सूर्य अगर उत्तर में आ गया, तो हम लोगों को उसमें इतनी खुशी क्यों? बात ये है कि सूर्य से ही हमारे सब कार्य जो हैं प्रणीत होते हैं। अँधेरे में, रात्रि में हम लोग निद्रावस्था में रहते हैं। लेकिन जब सूर्य उदित होता है, तो उसके बाद ही हमारे सारे कार्य चलते हैं। इसलिये इस कार्य को प्रभावित करने वाली जो चीज़ है वो है सूर्य। और वो क्योंकि हमारे कक्ष में आ जाती है, तो हम इसको बहुत मान्य करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि बाकी सारे त्यौहार चंद्रमा पर आधारित होते हैं और सिर्फ यही एक त्यौहार ऐसा है, कि जो हम सूर्य के आधार पे  करते हैं। ऐसे हमारे यहाँ सूर्यनारायण की भी बहुत महती है और लोग सूर्यनारायण को मानते हुये गंगाजी पर जा कर नहाते हैंऔर अनेक तरह के अनुष्ठान करते हैं। पर सब से महत्त्वपूर्ण है यही एक दिन है। अब हम लोगों को ये तय करना पड़ता है, कि इस दिन क्या करना चाहिये? इस विशेष दिन को क्या कार्य करना चाहिये? सूर्य का नमस्कार हो गया, सूर्य को अर्घ्य दे दिया और सूर्य के प्रति अपनी कृतज्ञता हम लोगों ने संबोधित की। Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja, New Delhi (India), 21 March 2004. [Shri Mataji speaks in Hindi:] I thank you all for giving Me this welcome. With such great love and respect you all have given this programme, I don’t know how much I have to thank you all, I don’t understand. [Shri Mataji speaks in English:] I wanted to thank you all for giving Me such a hearty welcome to Me today. I don’t know what words to use to thank you. [Shri Mataji speaks in Hindi:] Today in every moment I am enjoying it. I am very happy, what can I say to you all, I don’t understand. Your love and respect is beyond my strength, beyond my expectation. I don’t understand why you are all embarrassing Me, I don’t know what I have done for you all, the thing which you all wanted to have, you have got it. I haven’t done anything for you all. [Shri Mataji speaks in English:] I was overjoyed to see the way you all welcomed and you are singing songs of happiness and joy. I don’t know how to express Myself because I’m Myself very happy and I don’t know what to say in your praise, where you have taken to Sahaja Yoga so easily and have assimilated it. Whatever it is, it’s a very mutual admiration society, I should say, that we are enjoying each other. May God bless you all with this happiness and joy and complete oneness with the Divine. Thank you Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja 15th February 2004 Date: Place Pune Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] कठिन है। कल्याण’ माने हर तरह से साफल्य, हर तरह से प्लावित होना, हर तरह से अलंकृत होना। जब आशीर्वाद में कोई कहता है कि तुम्हारा “कल्याण” हो तो क्या होना चाहिए? क्या होता है? ये कल्याण क्या है? यह वही कल्याण है जिसको हम आत्मसाक्षात्कार’ कहते है। बगैर आत्मसाक्षात्कार के कल्याण नहीं हो सकता। उसकी समझ भी नहीं आ सकती और उसको आत्मसात भी नहीं किया र जा सकता। ये सब चीजें एक साथ कल्याणमय होती हैं और जिसकी वजह से मनुष्य अपने को अत्यन्त सुखी, अत्यन्त तेजस्वी समझता है। इस कल्याणमार्ग के लिए आपको जो करना पड़ा वो कर दिया, जो मेहनत करनी थी सो कर ली. जो विश्वास धरने थे वो धर लिए । लेकिन जब कल्याण का मार्ग अब मिल गया, जब आपको गुरु ने मन्त्र दे दिया कि आपका कल्याण हो जाए तो क्या ा क चीज घटित होगी? आपके अन्दर सबसे बड़ी चीज समाधान। इसके वाद कुछ खोजना नहीं। अब आप स्वयं भी गुरु हो गए अब आपको कुछ विशेष प्राप्त होने वाला नहीं है। किन्तु इस समाधान का जो आशीर्वाद है उसको आप महसूस कर सकेंगे उसको आप जान सकेंगे और उसमें आज हम लोग यहाँ गुरु की पूजा करने के आप रममाण हो सकेंगे पहले तो देखिए, सबसे लिए उपस्थित हुए हैं। गुरु को सारे देवताओं से, बड़ी चीज है शारीरिक-शारीरिक तकलीफें, शारीरिक देवियों से ऊँचा माना जाता है। वास्तविक ये गुरु दुर्बलता Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2003: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk] ईसामसीह की आज जन्मतारीख है और हम लोग बहुत खुशी से मना रहे हैं। किंतु जीझस क्राइस्ट को कितनी तकलीफें हुईं वो भी हम लोग जानते हैं और जो तकलीफें, परेशानियाँ उनको हुई वो हम लोगों को नहीं हो सकती क्योंकि अब समाज बदल गया है, दुनिया बदल गयी है और इस बदली हुई दुनिया में आध्यात्मिक जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे कितने क्लेश हमारे दूर हो सकते हैं। हमारे शारीरिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। मानसिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा जागतिक जो | क्लेश हैं वो भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह सारी दुनिया की जिंदगी जो है अध्यात्म में पनप सकती है। कितना महत्त्वपूर्ण है ये जानना की एक तरफ तो ईसामसीह जैसा अध्यात्म का…. और दूसरी तरफ हम लोग जिन्होंने अध्यात्म को थोडा बहुत पाया है और हम लोगों की वजह से दुनिया शांत हो गयी। बहुत सी तकलीफें दूर हो गयी है और मनुष्य जान गया कि उसके लिये सबसे बड़ी चीज़ है अध्यात्म को पाना । ये आप लोगों की जिंदगी से उसने जाना है। आपको देख कर उसने जाना है। ये सारा परिवर्तन आप लोगों की वजह से आया। हम अकेले क्या कर | सकते थे? जैसे ईसामसीह वैसे हम। हम कितना कर सकते थे । लेकिन इतने आप लोगों ने जब अध्यात्म को प्राप्त कर लिया है, तब देख सकते हैं कि दुनिया कितनी बदल गयी है। आपके प्रभाव से Read More …

Shri Krishna Puja पुणे (भारत)

Hindi Transcript of Shri Krishna Puja. Pune (India), 9 August 2003. हम लोगों को अब यह सोचना है कि सहजयोग तो बहुत फैल गया और किनारे किनारे पर भी लोग सहजयोग को बहुत मानते हैं। लेकिन जब तक अपने अन्दर सहजयोग वायवास्तीह रूप से प्रकटित नहीं होगा तब तक जैसा लोग सहजयोग को मानते हैं वो मानेगें नहीं। इसलिए ज़रूरत है कि हम कोशिश करें कि अपने अन्दर झांकें। यही कृष्ण का चरित्र है कि हम अपने अन्दर झांके और देखें जाने की कौन सी ऐसी चीजे हैं जो हमें दुविधा में डाल देती हैं। इसका पता लगाना चाहिए। हमें अपने तरफ देखना चाहिए, अपने अन्दर देखना चाहिए और वो कोई कठिन बात नहीं है जब हम अपनी शक्ल देखना चाहते हैं तो हम शीशे में देखते हैं। उसी प्रकार जब हमें अपनी आत्मा के दर्शन करने होते हैं तो हमें देखना चाहिए हमारे अन्दर ,वो कैसे देखा जाता है । बहुत से सहजयोगियों ने कहा माँ यह कैसे देखा कर जायेगा कि हमारे अन्दर क्या है, और हम कैसे हैं? उसके लिए ज़रूरी है कि मनुष्य पहले स्वयं की और नम्र हो जाए क्योंकि अगर आपमें नम्रता नहीं होगी तो आप अपने ही विचार लेकर बैठे रहेंगे। कृष्ण के जीवन में पहले दिखाया गया कि एक छोटे लड़के के जैसे वो थे बिलकुल जैसा शिशु होता है बिलकुल ही अज्ञानी वो इसी तरह थे , वो अपने को कुछ समझते नहीं थे | उनकी माँ थी एक और वो अपनी माँ के सहारे वो बढ़ना चाहते थे। इसी प्रकार Read More …

Inauguration of Vishwa Nirmal (भारत)

Udghatan – Vishwa Nirmala Prem Ashram Date 27th March 2003 : Noida Place : Seminar & Meeting Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]  अपने देश में जो अनेक प्रश्न हैं, उसमें सबसें बड़ा प्रश्न है कि यहां पर औरतों को और आदमियों को अलग-अलग तरीके से देखा जाता है। पता नहीं ये कैसे आया, क्योंकि अपने शास्त्रों में तो लिखा नहीं है। कहते हैं शास्त्रों में कि: यत्र पूज्यन्ते नार्या, नारियां जहां पूजनीय होती है तत्र रमन्ते देवता।  तो पता नहीं कैसे हमारे देश में इस तरह की स्थिति सम्पन्न हुई है, जिससे औरतों के प्रति कोई भी आदर नहीं है। विशेषतः मेरा विवाह यू.पी. में हुआ और मैं देखकर हैरान हुई कि यू.पी. में घरेलू औरतों का कोई स्थान ही नहीं है। उनमें और नौकरानियों में कोई फर्क ही नहीं है। ये इस प्रकार क्यों हुआ, और क्यों हो रहा है?  क्योंकि लोग उस ओर जागृत नहीं हैं और कभी-कभी देख कर के तो रोना आता है। जिस तरह से औरतों को छला है, घर से निकाल दिया, कोई वजह नहीं है, यूही घर से निकाल दिया। और ऐसे बहुत सारे हमने जीवन में अनुभव लिए और जिसकी वजह से अत्यन्त व्यथित हो गए। समझ में नहीं आता था कि इस तरह से क्यों औरतों को सताया जा रहा है और इनके रहने की भी व्यवस्था नहीं है। जब घर से निकल गई तो उनको देखने वाला भी कोई नहीं है। बाल बच्चे ले करके निकल आएंगी बेचारी। वो लोग तो हैं निराश्रित पर बच्चों को भी विल्कुल बुरी तरह से निकाल देते हैं। ये अपने यहाँ की व्यवस्था किस तरह से बंदल सकती है, इसका कोई इलाज है या नहीं?     Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

80th Birthday Puja Date 21st March 2003: Place New Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सारे सहज योगियों को हमारे ओर से अनन्त आशीर्वाद । इतने बड़े तादाद में आप लोग आज यहां पर हमारा जन्मदिवस मनाने के लिए पधारे। मैं किस तरह से आपको धन्यवाद दूं? मेरी तो समझ में नहीं आता है! बाहर से भी इतने लोग आये हैं और अपने भी देश के इतने यहाँ सम्मिलित हुए । ये देखकर के हृदय भर आता है। न जाने हमने ऐसा कौन सा अद्भुत कार्य किया है जो आप लोग हमारा जन्म दिन मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। आप लोगों का हृदय भी बहुत विशाल है कि आपने आज के दिन इतने दूरस्थ स्थित जगह पर आकर के हमें सम्मानित किया हमारे पास तो शब्द ही नहीं हैं कि आप लोगों से बताया जाए कि इससे हम कितने आनन्द से पुलकित हो गए! ন हिन्दी प्रवचन : सहज सरल बात जो है बो सहजयोग है आज मैंने अंग्रेजी में इन लोगों को बताया और इसके लिए सब लोग तैयार हैं। आप और आपको बताने की ज़रूरत नहीं क्योंकि कहीं भी जाएं, कोई देहात में जाएं, शहर में इस देश में तो सब लोग जानते ही हैं कि जाएं. हर जगह सहजयोग के लिए उपयुक्त आध्यात्मिक जीवन कितना महत्वपूर्ण है और है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि आप लोग और लोग चाहते हैं कि आध्यात्म में उत्थान हो। पूरी तरह से कोशिश करें और अगले साल लोग प्रयत्नशील हैं। कोई हिमालय में Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)

New Year Puja Date 31st December 2002: Place Vaitarna: Type Puja Speech [Hindi translation from Marathi and English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतनी बड़ी संख्या में कार्यक्रम के लिए बुद्धिमान तथा विद्वान व्यक्ति थे परन्तु आए आप सब लोगों को देखकर मैं बहुत उन्होंने सर्वसाधारण लोगों की ओर ध्यान प्रसन्न हू। वास्तव में मैंने ये जमीन 25 वर्ष दिया, उनकी देखभाल की और उनमें संगीत पहले खरीदी थी। परन्तु इस पर मैं कुछ न कला को बढ़ावा दिया। इसी विचार के साथ कर सकी क्योंकि इस पर बहुत सारी मैंने निर्णय किया कि कला और संगीत के आपत्तियाँ थीं, आदि-आदि। परन्तु किसी तरह से मैंने इसकी योजना बनाई और अब प्रचार-प्रसार के उनके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं ये स्थान समर्पित कर दूं। ये देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कि मेरा ये विचार फलीभूत हो गया है काश कि आप लोगों कि इतनी कठिनाइयों का सामना करने को प्रसन्न करने के लिए आज मेरा भाई भी के पश्चात् आज मेरे सम्मुख मेरी पूजा के यहां होता! वो अत्यन्त प्रेम एवं करुणामय व्यक्ति था। मैंने देखा कि वो कभी किसी से नाराज़ नहीं हुए। सदा उन्होंने सभी लोगों यहां पर मुझे अपने भाई बाबा की याद की बहुत अच्छी तस्वीर मेरे सम्मुख पेश की। आती है जिन्होंने भारतीय संगीत, शास्त्रीय परन्तु इस विषय में कोई भी क्या कर सकता ये सब कार्यान्वित हो गया है। आप सब लोगों को यहां देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इतने सारे सहजयोगी उपस्थित हैं Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Sarvajanik Karyakram – Public Program Date 24th March 2002: Place New Delhi Public Program Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] वो सबके अंदर है और स्थित है। उसके क. अंदर रंग, जाति-पाति कोई भेद नहीं। हर इंसान में है। जानवर में भी है। आपको आश्चर्य होगा कि जानवर प्यार बहुत समझते हैं। इंसान से भी ज्यादा जानवर समझते हैं प्यार क्या चीज़ है। तो हम लोग वाकई अगर अपनी उत्क्रान्ति में बढ़ रहे हैं, अपने Evolution में बढ़ रहे हैं तो हमारे अंदर प्यार का बड़ा जबरदस्त प्रकाश होना चाहिए। अगर प्यार आ जाए तो हमारे सारे प्रश्न जो हैं, जो मानव जाति के लिए पहाड़ सत्य को खोजने वाले आप सभी जैसे खड़े हैं, एक दम खत्म हो जाऐं। साधकों को हमारा प्रणाम | प्यार की हमने व्याख्याएं अनेक की हैं जिस चीज की आज हर जगह कमी है, पुर उसकी कोई व्याख्या नहीं कर सकता वो है प्रेम। यही प्रेम जो है यही प्रभु की क्योंकि वो एक सागर है हमारे अंदर बसा भक्ति है बहुत लोग जिस बात को शब्द हुआ एक महान सागर है और उसको समझते हैं, लेकिन प्रेम एक शब्द नहीं है। भोगना भी हमारे ही नसीब में है । उसकी प्यार एक शक्ति है और उसका भण्डार लहरें भी हमीं ज्ञात कर सकते हैं। हमारे हमारे ही अंदर है। हम सभी उस प्यार से ही लिए वह है। दूसरा चाहे उसे समझे या भरे हैं। कभी-कभी उसका अनुभव हमको न समझे लेकिन हमारे लिए वो एक बहुत आता है Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)

New Year Puja – You Should Be Satisfied Within 31st December 2001 Date: Kalwe Place Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] देर हो गई और आप लोगों की प्रेम की आप कर रहे हैं कि सिर्फ इस शक्ति को शक्ति मुझे खींच के लाई है यहाँ । कुछ तो अपने लिए, अपने बच्चों के लिए आप आपकी माँ की तबियत ठीक नहीं है और इस्तेमाल करें? ये बहुत जरूरी है क्योंकि इच्छा शक्ति जबरदस्त है। उसी के बूते मैंने देखा है कि पार होने पर भी लोगों में दोष रह जाता है। पूर्णता आनी चाहिए। पर चल रहा है। मैं चाहती हूँ आप लोगों की भी इच्छा जब तक आप दूसरों से संबंधित हो कर शक्ति जबरदस्त हो जाए। इस मामले में के सहजयोग का कार्य न करें, आपको आपने क्या किया वो खुद ही सोचना चाहिए। पता ही नहीं चलेगा कि आप के अंदर अपनी ओर नज़र करके देखें कि आपने इसमें कौन सी मेहनत की? आप ध्यान लोग आते हैं और पैसा बनाते हैं। ऐसे करते हैं, ध्यान में आप गहनता लाएँ और बहुत से लोग हैं जो सहजयोग में आने के सोचिए कि आप एक संत हैं। और आपको बाद पैसा बनाते हैं बाद में जरूर वो खुल क्या करना चाहिए? माँ ने आपको संत जाते हैं, दिखाई देता है और बेकार परेशानी बना दिया है। अब आपको आगे क्या करना होती है। सो फायदा क्या? चाहिए? अपनी दुरुस्ती तो करनी है। इसमें कोई शक नहीं । आगे आपको क्या करना आप Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2000: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का शुभ दिवस है जो मनाया जाता है। कारण ईसामसीह का जन्म कहते हैं को जानो’। यह कहते हुए भी लोगों ने इस कि आज हुआ था। ईसामसीह के बारे में चीज़ का महत्व नहीं समझा और धर्म फैलाना लोग बहुत कम जानते हैं क्योंकि वो छोटी शुरू कर दिया। अपने को जाने बगैर ही उम्र में बाहर चले गए थे और उसके धर्म फैल नहीं सकता, धीरे-धीरे वो बाद वापिस आकर के उन्होंने जो महान अधर्म हो जाता है और यही बात ईसाई कार्य किए वो सिर्फ तैंतीस (33) वर्ष के उम्र धर्म की हो गई | जैसे कि ईसामसीह एक तक ही थे। उसके बाद उनके जो शिष्य विवाहोत्सव में गए थे, शादी में गए थे और थे, बारह उन्होंने धर्म का प्रचार किया लेकिन वहाँ पानी में हाथ डाल के उन्होंने उसकी जैसे आप लोगों को भी समस्याएं आती हैं शराब बना दी ऐसा लिखा हुआ है हिब्रु में उसी प्रकार उनको भी अनेक समस्याएं कहा जाता है जिसमें कि यह बात लिखी आईं। पर इन बारह आदमियों ने बहुत गई है शुरूआत में, कि वो पानी जो था कार्य किया और शुरूआत के जो लोग उसका परिवर्तन जो हुआ सो जैसे कि इनको मानते थे उनको (Gnostics) कहते थे। ग्नोस्टिक माने और अंगूर के रस को भी उसमें वाईन “जिन्होंने जाना है। ‘जन्म’ से आता है ग्नः, (wine) नहीं कहते। इसी बात को लेकर ग्नः Read More …

Address to IAS Officers, Stress and Tension Management मुंबई (भारत)

Address to IAS Officers, Mumbai (India), 11 March 2000. I bow to all the seekers of truth. That’s a very interesting subject that has been given to Me to talk to you people because I have been always worried about the IAS, IPS, and other Government servants, very much worried because I have known the kind of life My husband was leading. And I used to think: if these new people, who have come to the services, to the Government service, we have to tell them the dangers that are ahead of them. Because we don’t know what is the subtle system within us, which works. And in the subtle system, when we lead this kind of a very speedy, intensive life, it has a defect. It has a defect you can see in the chart. They have shown the, they have shown the subtle system which works it out. So we have a center here on the crossing of the optic chiasma. These, this center is very important because we react with this. We react to everything. By this reaction we create a problem within ourselves. And this reaction comes to us because we do not know how to go beyond the mind. Every time we are looking at something, we react. We look at someone, we react. But we cannot just watch. We cannot be just the witness. If we could be the witness, it will not have any effect on us. But we cannot be. That’s the Read More …

Shri Hanumana Puja पुणे (भारत)

Shri Hanuman Puja, Pune,  India 31 March 1999 [Hindi Transcript] आज हम लोग श्री हनुमान जी की जयन्ती मना रहे हैं। हनुमान जी के बारे में क्या कहें कि वो जितने शक्तिमान थे, जितने गुणवान थे, उतने ही वो श्रद्धामय और भक्तिमय थे। अधिकतर मनुष्य, जो बहुत बलवान हो जाता है और जिसके पास शक्ति आ जाती है, जिसे हम लोग कहें कि वह राईट साईडेड (right sided) हो जाता है और वो अपने को इतना ऊँचा समझता है कि अपने आगे किसी को भी नहीं मानता। पर हनुमान जी एक विशेष देवता हैं, एक विशेष गुणधारी देवता। कि  जितने वो बलवान थे, जितने वो शक्तिशाली थे, उतनी ही उनकी भक्ति, शक्ति के संतुलन में; जितनी  शक्ति थी उतनी उनके अंदर भक्ति थी। ये संतुलन उन्होंने किस प्रकार पाला और उसमें रहे, ये एक बड़ी समझने की बात है। जब हम सहजयोग में पार हो जाते हैं ,और सहजयोग में हमारे पास अनेकविध शक्तियां आ जाती है, उसके साथ में हमें संतुलन भी आ जाता है।  हम प्यार करते हैं और प्यार के सहारे, प्यार की शक्ति के सहारे, हम अपने कार्य में रत रहतें हैं, वो कार्य करते रहते हैं। इसी प्रकार श्री हनुमान जी अत्यंत शक्तिशाली थे। और उनके अंदर दैवी शक्तियां थी। उनके अंदर नवधा शक्तियां थी। जैसे कहते है गरिमा, लघुमा… वो चाहे जितना बड़ा हो सकते थे, चाहे जितना छोटा हो सकते थे, अणिमा – छोटे, बिलकुल बारीक़ हो सकते थे। ये सारी शक्तियां उन्होंने अपने भक्ति से पायी है। इसका मतलब ये है की Read More …

Gudi Padwa (भारत)

Gudi Padwa Puja Date 18th March 1999: Noida Place: Type Puja Speech-Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] में चले गए। उसके बाद वो मद्रास भी चले गए। इस तरह से ये चीज़ है कि इनका इतिहास ऐसा ये बड़ा शुभ दिन हैं इस दिन जी भी कार्य करो हैं। शालीवाहन का और उसी वंश के हम भी हैं। बहुत हजारों वर्ष पहले थे तो वो गए थे महाराष्ट्र सांसारिक दृष्टि से आात है और दूसरा ये कि में और फिर वहाँ से उसी शालीवाहन के हम शालीवाहन में जो एक बबू वाहन करके थे, लोग वंशज हैं। इसलिए हम लोगों का नाम साल्विया-साल्बे-ऐसा कर दिया गया। तो जो आज का दिन गुडी पड़वा का है और ये सहाराष्ट्र में मनाया जाता है ज्यादा। कहते हैं कि वो बहुत सफल हो जाता है। वो जो भी हो, उन्होंने विक्रमादित्य को हराया और उसके बाद उन्होंने ये नया पंचाग शुरू किया जिसे शालीवाहन कहते हैं। उसके वर्ष का आज का दिन प्रथम शाल्व थे जिन्होंने युद्ध किया था. भीष्म के साथ. आपने सुना होगा शाल्व, भीष्म के साथ शाल्व, उन्होंने मदद की थी पांडवों की बाद में भौष्म कि उन्होंने ये शालीवाहन का ये द्योतक दिखाने ने चारों तरफ उनके शर पंजर डाले और उस के लिए एक कुम्भ की लेते हैं और उसके शरपंजर की वजह से वे निकल नहीं पाए तो अन्दर एक शाल जो कि शालीवाहन थे, तो उन्होंने शाप दिया तुम्हारे भी ऐसे ही शरपंजर पड़ेंगे। वो आखिर में भीष्म के साथ हो Read More …

New Year’s eve Puja (भारत)

New Year Puja – Indian Culture 31st December 1998 Date: Place Kalwe Type Puja Speech-Language English, Marathi & Hindi आज जो बात कही है वो समझने की बात है कि हम लोग अपने बच्चों पर जो जबरदस्ती, जुल्म करते हैं उसे हम जुल्म नहीं समझते हैं। पर ये बच्चे सब साधू-संत आपके घर में आये हैं, तो आपको उनकी इज्जत करनी चाहिए। उनको सम्भालना चाहिए। उनको प्यार देना चाहिए, जिससे वो पनपे, बढ़े। उनको स्वतन्त्रता देनी चाहिए । वो कभी गलत काम कर नहीं सकते क्योंकि वो संत-साधू है। लेकिन आपकी दृष्टि में फर्क है। आप हर जगह अपना ही एक, मराठी में कहते हैं कि ‘मनगटशाही’ या ‘हिटलर शाही’ सब ‘शाही’ लगाते हैं। इस चीज़ में मेरे खयाल से मुझसे बढ़कर कोई नहीं होगा, मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है बच्चों को जरा भी कुछ कहना। मुझे पसन्द नहीं है। अगर कोई ऐसी वैसी बात हो तो उसको समझायें, पर इन बच्चों को पनपना चाहिए। यही इस देश के कल के नागरिक हैं और यही बच्चे आपको करामात करके दिखाएंगे। इन लोगों को, बच्चों को इस कदर स्वतन्त्रता तो उस स्वतन्त्रता से आज मैं देखती हूँ कि कितने बढ़िया हो गये हैं। हालांकि खराबी भी बहुतों की हुई है। अब आपके पास संस्कृति का आधार है। उस आधार पर इन बच्चों को आप सम्भालें, उनको समझाईये कि हमारी क्या संस्कृति हो जाएंगी। हमारे देश के बारे में, वहाँ जो महान लोग हो गये हैं उनके बारे में है, तो बहुत सी बातें सीधी-सरल किसी को कुछ मालूम ही नहीं। कोई Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

नैतिकता और देशभक्ति दिल्ली, १८/१२/१९९८ सत्य को शोधने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार! हम सत्य को खोज रहे हैं किंतु कौन सी जगह खोजना चाहिए? कहाँ खोजना चाहिए? कहाँ ये सत्य छुपा हुआ है? ये पहले समझ लेना चाहिए। आप देखते हैं कि परदेस से हजारों लोग हर एक देश से यहाँ आते हैं और उनसे पूछा जाये कि, ‘तुम यहाँ क्यों आयें?’ तो कहते हैं कि, ‘हम यहाँ सत्य खोजने आयें हैं, हमारे देश में तो सत्य नहीं लेकिन भारत वर्ष में तो सत्य है। ये समझ कर के हम यहाँ आयें हैं। और इस सत्य की खोज में हम हर साल हजारों लोग इस देश में आते हैं और हजारों वर्षों से इस देश में आते हैं। आपने सुना ही होगा कि इतिहास में चायना से और भी कई देशों से लोग यहाँ आते थे। और उनको पता नहीं कैसे मालूम था कि इस देश में ही सत्य नेक है, छुपा हुआ है। और उसकी खोज में वो गिरीकंदरों में घूमते थे । हिमालय पर जाते थे। हर तरह का प्रयत्न करते थे कि किसी तरह से हम सत्य को खोज लें क्योंकि वो किसी भी धर्म का पालन करते हैं। लेकिन वो जानते थे कि इस धर्म पालन से हमें सत्य नहीं मिलने वाला है। ये एक तो मार्गदर्शक है। जैसे रास्ते पर इशारे पर लिखा जाता है कि ये रास्ता है। किंतु इससे हम पाते हैं इसलिए इस अधूरेपन से परेशान होकर के वो इस भारतवर्ष में आते थे। अब ये सत्य हमारे देश Read More …

Expression of Subtle Elements New Delhi (भारत)

Panch Tattwa – The Subtle Elements Date 16th December 1998: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतने ठंड में और तकलीफ में आप सब इतना भयंकर दावानल जैसे चारों तरफ से लगा लोग आए। एक माँ के हृदय के लिए ये बहुत हुआ दिखाई देता है। उसके बीच आप सहजयोगी बड़ी चीज़ है। अब और कोई दिन मिल नहीं रहा था, इसी दिन आप लोगों का तकलीफ वर्णन शास्त्रों में है। पर उसमें ये कहा जाता है उठानी पड़ी। और आप लोग इतने प्रेम से, सब लोग, यहाँ आए! सबका कहना था कि हवाई दिन कलि लग गया। तो उन्होंने कहा कि अब अड्डे पर माँ हम तो बिल्कुल आपको देख भी मैं तेरा सर्वनाश करता हूँ क्योंकि तुमने मेरी पत्नी नहीं पाए, और मैं भी आपको नहीं देख पाई। से मैरा बिछोह किया है । इस पर कलि ने कहा इसलिए बेहतर है कि आप लोग आज यहाँ आए कि तुम मेरा महात्म्य जानो मेरा जो महात्म्य है हैं, सब लोग। और दिल्ली वालों का जो उत्साह खड़े हुए हैं। इस कलयुग के बारे में अनेक कि नल, जो दमयंति के पति थे, के हाथ एक उसे समझ लो। उस महात्म्य में गर तुम समझो कि मुझे मार डालना है तो मार डालो, में खत्म हो जाऊंगा। उसने कहा तुम्हारा क्या महात्म्य है? है, वो कमाल का है। ऐसा ही उत्साह सब जगह हो तो ये भारतवर्ष सहजयोग का महाद्वार बन जाएगा। ये एक समय है, Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

75th Birthday Puja Date 21st March 1998: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज इसलिए अंग्रेज़ी में बात की क्योंकि हमेशा में रियलाइज़ेशन दे दो। आपके सारे प्रश्न इससे छुट जायेंगे और हिन्दी में ही बात करती हैँ। लेकिन जो इनसे बात की वो आप एक नए तरह का व्यक्तित्व आपके अंदर आ जायेगा। यह एक लोगों को समझ में आयी होगी। वो यह है कि जब आपके बहुत बड़ा मन्वंतर घटित हो रहा है। मैं कहूँगी कि एक आत्मा का प्रकाश आपके अन्दर फैलता है तो आपमें तीन युनरुत्थान की नई बेला आ गई। इसमें मनुष्य का परिवर्तन होना विशेषतायें आ जाती हैं : आप गुणातीत हो जाते हैं । आप जानते ही अत्यावश्यक है। नहीं तो मनुष्य की जो समस्या है वो ठीक हैं कि आपके अन्दर तमो गुण, रजो गुण और सत्व गुण – तीन नहीं हो सकती। उसका परिवर्तन होना चाहिए और जब वो गुण हैं। तमो गुण जिसमें होते हैं उनका एक स्टाइल (Style) होता है । रजो जिसमें होता है उनका एक स्टाइल होता है, और फिर जब दोनों चीजों से ऊबकर वे सत्व गुण में उतरते सारे प्रांगण में ही आके जैसे आनन्द नाचता है। ऐसे सौंदर्यमय हैं जहां पर आप सोचते हैं अब ये तो सब बेकार की चीजें हैं, और सुन्दर जीवन को प्राप्त करने के लिए आपको कुछ करना अब हमें खोजना है । जब खोज शुरू हो जाती हैं तब आप सत्व गुणी हो जाते हैं। सत्व गुण में उतरने पर फिर Read More …

Shakti Puja (भारत)

Shakti Puja. Kalwe (India), 31 December 1997. ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आज हम लोग शक्ति की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। शक्ति का मतलब है पूरी ही शक्तियाँ, और किसी एक विशेष शक्ति की बात नहीं है। ये पूरी शक्तियाँ हमारे हर एक चक्र पर अलग-अलग स्थान पर विराजित है। और इस शक्ति के बगैर किसी भी देवता का कार्य नहीं हो सकता है। जैसे आप जानते हैं कि कृष्ण की शक्ति राधा है और राम की शक्ति सीता है और विष्णु की लक्ष्मी। इसी प्रकार हर जगह शक्ति का सहवास देवताओं के साथ है। और ये देवता लोग शक्ति के बगैर कार्य नहीं कर सकते हैं। वो शक्ति एक मात्र है। आपके हृदय चक्र में बीचो-बीच जगदम्बा स्वरूपिणी विराजमान है। ये जगदम्बा शक्ति बहुत शक्तिमान है। उससे आगे गुजरने के बाद आप जानते हैं कि कहीं वो माता स्वरूप और कहीं वह पत्नी स्वरूप देवताओं के साथ रहती है। तो शक्ति का पूजन माने सारे ही देवताओं के शक्ति का आज पूजन होने वाला है। इन शक्तियों के बिगड़ जाने से ही हमारे चक्र खराब हो जाते हैं और उसी कारण शारीरिक, मानसिक, भौतिक आदि जो भी हमारी समस्यायें हैं वो खड़ी हो जाती हैं। इसलिए इन शक्तियों को हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए । कहा जाता है कि, ‘देवी प्रसन्नो भवे’ । देवी को प्रसन्न करने से न जाने क्या हो जाये ! अब कुण्डलिनी के जागरण से इस शक्ति को एक विशेष और एक शक्ति मिल जाती है। इन शक्तियों में एक विशेषता और होती है Read More …

Christmas Puja, You have to be loving, affectionate, kind and disciplined Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 1997: Ganapatipule Place: Type Puja Hindi & English आज हम लोग यहाँ ईसा मसीह का जन्म दिन मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। ईसा मसीह की जिन्दगी बहुत छोटी थी और अधिक काल उन्होंने हिन्दुस्तान में ही बिताया, काश्मीर में। सिर्फ आखिरी तीन साल के लिए वापिस गए और लोगों ने उन्हें क्रॉस पर टॉँग दिया। ये सब कुछ विधि का लिखा हुआ था। आज्ञा चक्र को खोलने के लिए उनको ये बलिदान देना पड़ा और इस तरह से उन्होंने आज्ञा चक्र की व्यवस्था करी। आज्ञा चक्र बहुत संकीर्ण है, छोटा सा, और आसानी से खुलने वाला नहीं है। क्योंकि मनुष्य में जो स्वतंत्रता आ गई उससे वो अहंकारी बन गया। इस अहंकार ने उसका आज्ञा चक्र बंद कर दिया और उस बंद आज्ञा चक्र से निकालने के लिए अहंकार निकालना ज़रूरी है। और अहंकार निकालने के लिए आपको अपने मन पे ही काबू लेना पड़ता है। लेकिन आप मन से अहंकार नहीं निकाल सकते। जैसे ही आप मन से अहंकार निकालने का प्रयत्न करेंगे, वैसे ही मन बढ़ता जाएगा और अहंकार बढ़ता जाएगा। “अहं करोति सः अहंकार:”।  हम करेंगे, इसका मतलब कि अगर हम अपने अहंकार को कम करने की कोशिश करे, तो अहंकार बढ़ेगा क्योंकि हम अहंकार से ही वो ही कोशिश कर रहे हैं। जो लोग ये सोचते हैं कि हम अपने अहंकार को दबा लेंगे, खाना कम खाएंगे, दुनिया भर के उपद्रव।  एक पैर पे खड़े हैं, तो कोई सिर के बल खड़ा है!  हर तरह के प्रयोग लोग करते Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 16th March 1997 : Place Delhi : Type Puja Hindi & English [Orignal transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग शिवजी की पूजा करने जा भी चीज का महत्व नहीं रह जाता। रहे हैं। शिवजी के स्वरूप में एक स्वयं साक्षात अब शंकर जी की जो हमने एक आकृति सदाशिव हैं और उनका प्रतिबिम्ब शिव स्वरुप है। देखी है, एक अवधूत, पहुँचे हुए, एक बहुत कोई ये शिव का स्वरूप हमारे हृदय में हर समय औलिया हो, उस तरह के हैं। उनको किसी चीज़ आत्मस्वरूप बन कर स्थित है। ये मैं नहीं कहूँगी की सुध-बुध नहीं, बाल बिखरे हुए हैं, जटा जूट बने कि प्रकाशित है जब कुण्डलिनी का जागरण होता हैं। कुछ नहीं, तो बदन में कौन से कपड़े पहने हुए हैं, क्या कहें, इसका कोई विचार नहीं। ये सब है तो ये शिव का स्वरूप प्रकाशित होता है और वो हुए प्रकाशित होता है हमारी नसों में। चैतन्य के लिए काम उन्होंने नारायण को, विष्णु को दे दिया है। वे कहा है ‘मेदेस्थित’, प्रथम ‘इसका प्रकाश हमारे स्वयं मुक्त हैं। व्याघ्र का च्म पहन कर घूमते ह मस्तिष्क में, पहली मर्तबा हमारे हृदय का और और उनकी सवारी भी नन्दी की है जो किसी तरह हमारे मस्तिष्क का योग घटित होता है। नहीं तो से पकड़ में नहीं आ सकते। कोई घोड़े जैसा नहीं सर्वसाधारण तरह से मनुष्य की बुद्धि एक तरफ कि उसमें कोई लगाम हो, जहाँ नन्दी महाराज और उसका मन दूसरी तरफ दौड़ता है। योग जायें वहाँ शिवजी Read More …

Shri Raja Lakshmi Puja New Delhi (भारत)

Shri Rajlakshmi Puja Date 7th December 1996: Place Delhi Type Puja Speech Language Hindi दिल्ली शहर में और उसके आसपास सहजयोग बहुत जोर में फैल रहा है। ये एक बड़ी आश्चर्य की बात है। दिल्ली शहर एक राजधानी है और यहाँ अधिकतर लोग सत्ता लोलुप हैं। जो सत्ता पर हैं उनके आगे-पीछे लोग दौड़ते हैं। लेकिन ये सब होते हये भी अपनी आत्मशक्ति को खोजना अपना आत्मबोध कराना और बहुत आश्चर्यजनक है । मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी । क्योंकि ये सूक्ष्म चीज़ है। अत्यंत सूक्ष्म है। ऊपरी तरह से हम इस चीज़ को बहुत मानते हैं। जैसे है, मैंने बहत बार आपके सामने उदाहरण दिया, कि एक सुंदर सा चित्र अगर देख रहे हैं और उस चित्र में बरसात हो रही है। बहुत सुंदर फूल हैं। पक्षी उड़ रहे हैं और आप चित्र को देख कर बहुत खुश हो रहे हैं। लेकिन उस चित्र की जो अनुभूति है वो आपमें नहीं। इसलिये उसकी अनुभूति लेने की आवश्यकता है और अनुभूति लेने के लिये एक बहुत सूक्ष्म विचार चाहिये। आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त होना ये इच्छा रखना ही सूक्ष्म विचार आप के अन्दर जागृत हो गया यही कमाल है, कि हमने अभी तक यथार्थ को पाया नहीं। हमने अभी तक असलियत को पाया नहीं। कोई न कोई ऐसी चीज़ है जिसके पीछे हम भागते हैं। उसमें सत्य नहीं है और वो मैं इस प्रकार मनुष्य कहाँ से कहाँ भटक जाता है। बाह्यत: धर्म के अवलंबन में मनुष्य भागता है। मेरा यह धर्म है, बहुत ऊँचा हूँ। दूसरा कहेगा, मेरा यह धर्म Read More …

Easter Puja कोलकाता (भारत)

Easter Puja. Calcutta (India), 14 April 1996. ​आज हम लोग ईस्टर की पूजा कर रहे हैं। आज सहजयोगीं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन हैं। क्यों की ईसा मसीह ने दिखा दिया की मानव का उत्थान हो सकता हैं। और इस उत्थान के लिए हमें प्रयत्नशील रहना चाहिए। जो उनको क्रूस पे चढ़ाया गया, उसमें भी एक बढ़ा अर्थ है के क्रूस पर टाँग कर उनकी हत्या की गई और क्रूस आज्ञा चक्र पे एक स्वस्तिक का ही स्वरूप है। उसी पर टाँग कर के ​और ईसा मसीह वही पे गत:प्राण। उस वक्त उन्होंने जो बातें कही उसमें से सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी की उन्होंने कहा की माँ का इंतज़ार करो। माँ की ओर नज़र करो। उसका अर्थ कोई कुछ भी लगाए पर दिखाई देता हैं की, उन्होंने यह बात कहीं थी के मैं तुम्हारे लिए एक ऐसी शक्ति भेजूंगा जिसके तीन अंग होंगे। वह त्रिगुणात्मिका होंगी। और उसका वर्णन बहोत सुंदरता से किया हैं की, एक शक्ति होंगी वो आपको आराम देंगी। आराम देनेवाली शक्ति हमारे अन्दर जो हैं वो हैं महाकाली की शक्ति, जिससे हमें आराम मिलता हैं। जिससे हमारी बीमारियां ठीक होती हैं। जिससे अनेक प्रश्न जो हमारे भूतकाल के हैं वह सही हो जाते हैं। दूसरी शक्ति उन्होंने दी थी, जो भेजी उन्होंने वो थी महासरस्वती। सो महासरस्वती को उन्होंने कौंसलर (Counsellor) कहा। माने जो आपको समझाएँगी, उपदेश करेंगी। जैसा वर्णन हैं, योग-निरूपण कराएगी। ये दूसरी शक्ति से जिससे हम ज्ञान, सूक्ष्म ज्ञान को प्राप्त होंगे। और तीसरी शक्ति महालक्ष्मी की, जिससे की हम अपने उत्थान Read More …

Birthday Puja, Mind is a Myth New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा मन मिथ्या है दिल्ली मार्च 21, 1996 मेरा जन्म दिन आप इतने प्रेम, आदर और श्रद्धा से मना रहे हैं। यह देख कर ऐसा लगता है कि हमने ऐसा किया ही क्या है जो आप लोग इस तरह अपना प्रेम दिखा रहे हैं। आज मैं आपको एक अनूठी बात बताने वाली हूँ कि हमारे अन्दर जो मन या mind नाम की संस्था है वो एक मिथ्या बात है। वो मिथ्या ऐसी है कि जब हम पैदा होते हैं तो हमारे अन्दर ये मन नाम की बात कोई नहीं होती। जब धीरे धीरे हम बाह्य में प्रतिक्रिया करते हैं, दोनों तरह की, या तो हमें कोई संस्कार बनाता है और कोई हमारे अन्दर अहंकार का भाव जागृत होता है तब उन प्रतिक्रियाओं से जो हमारे अन्दर चीज़ जागृत होती है वो बुलबुलों की तरह इक्टी हो जाती है और ये हमारे विचारों के बुलबुले, हमारे अन्दर मन नाम की एक कृत्रिम संस्था बना देते हैं। यह सारी चीजें हमारे अन्दर ऐसी घटित होती हैं कि जिसे हम खुद ही बना करके, उसी की गुलामी करते हैं। जैसे घड़ी इन्सान ने बनाई है और हम घड़ी की गुलामी करते हैं । सहज में फिर आप कालातीत हो जाते हैं, आप इससे परे उठ जाते हैं। समय आपके साथ चलने लगता है आप समय के पीछे नहीं दौड़ते। अब कम्पयूटर आजकल लोग बना रहे हैं, कम्पयूटर बनाने से उसी की गुलामी लोग करने लग गये। और उस गुलामी में वो इस कदर बहक गये हैं कि वो ये नहीं समझ Read More …

Makar Sankranti Puja पुणे (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 1996 Date: Place Pune Type Puja Speech Language Hindi, English and Marathi आज हम लोग यहाँ संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करने के लिये एकत्रित हुए है। अपने देश में सूर्य की पूजा बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं और सूर्य को अर्ध्य देना एक प्रथा जरूरी समझी जाती है और विदेशों में भी सूर्य का बड़ा महत्त्व है। उनके ज्योतिष शास्त्र आदि सब सूर्य पर ही निर्भर है । अब संक्रांत में ये होता है, कि चौदह तारीख को, आज सूर्य अपनी कक्षा छोड़ के उत्तर दिशा में आता है और इसलिये लोग संक्रांत को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन इस पृथ्वी गति से पहले २२ दिसंबर से १४ तारीख तक बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। बहुत ही ज्यादा लोगों को तकलीफ़े होती हैं। जुकाम होता है और हर तरह की शारीरिक पीड़ा भी होती है। उसके बाद उसको संक्रमण काल कहते हैं। जरूरत से ज्यादा ठंडक हो जाता है। उस ठंड के कारण अनेक उपद्रव शुरू हो जाते हैं। पर इस ठंड का भी एक उपयोग होता है। वो ये कि जो किटाणू या तरह तरह की चीज़ें अपने देश में इधर-उधर घूम कर और सब को परेशान करते हैं, वो इस ठंड की वजह से अपनी अपनी जगह चले जाते हैं, बहुत से नष्ट हो जाते हैं। बहुत से लोग मर जाते हैं। मतलब ये कि जिसे हम कह सकते हैं, कि जो सारे हमारे ऊपर पॅरासाइट्स है वो सब खत्म हो जाते हैं। तो ये भी अत्यावश्यक चीज़ हैं, कि हमारे Read More …

Public Program, Satya Ki Pahchan Chaitanya Se He (भारत)

Satya Ki Pahchan Chaitanya Se Hai 14th December 1995 Date : Lucknow Place : Public Program Type सब से पहले ये जान लेना चाहिये, कि सत्य है वो अपनी जगह। उसको हम बदल नहीं सकते, उसका हम वर्णन नहीं कर सकते। वो अपनी जगह स्थिर है। हमें ये भी करना है कि हम उस सत्य सृष्टि को प्राप्त करें। परमात्मा ने हमारे अन्दर ही सारी व्यवस्था की हुई है। इस सत्य को जानना अत्यावश्यक है। आज मनुष्य हम देख रहे है कि भ्रमित हैं। इस कलियुग में बहता चला जा रहा है। उसकी समझ में नहीं आता कि पुराने मूल्य क्या हो गये और हम कहाँ से कहाँ पहुँच गये और आगे का हमारा भविष्य क्या होगा। जब वो सोचने लगता है कि हमारे भविष्य का क्या है? क्या इसका इंतजाम है? हमारे बच्चों के लिये कौनसी व्यवस्था है? तब वो जान लेता है, कि जो आज की व्यवस्था है, मनुष्य आज तक जिस स्थिति में पहुँचा है वो स्थिति संपूर्ण स्थिति नहीं क्योंकि वो एकमेव सत्य को नहीं जानती। केवल सत्य को नहीं जानती। हर एक अपनी मस्तिष्क जो सत्य आता है, उसे समझ लेता है। दो प्रकार के विचार हैं। एक तो विचार ये है कि हम अपने मस्तिष्क से जो मान ले, जिस चीज़ को हम ठीक समझ ले, उसी को हम मान लेते हैं। लेकिन बुद्धि से सोची हुई, बुद्धि पुरस्सर चीज़ सीमित है। कोई | सोचता है, कि ये अच्छा है, तो कोई सोचता है कि वो अच्छा है। और ये ले कर के सब Read More …

Diwali Puja: Sahaj Yog ki shuruvaat (भारत)

Diwali Puja – Sahajayog Ki Shuruvat Date 29th October 1995 : Place Nargol Puja Type Speech Language Hindi ये तो हमने सोचा भी नहीं था इस नारगोल में २५ साल बाद इतने सहजयोगी एकत्रित होंगे। जब हम यहाँ आये थे तो ये विचार नहीं था कि इस वक्त सहस्रार खोला जाए। सोच रहे थे कि अभी देखा जाय कि मनुष्य की क्या स्थिति है। मनुष्य अभी भी उस स्थिति पे नहीं पहुँचा जहाँ वो आत्मसाक्षात्कार को समझें। हालांकि इस देश में साक्षात्कार की बात अनेक साधू-संतों ने सिद्धों ने की है और इसका ज्ञान महाराष्ट्र में तो बहुत ज़्यादा है। कारण यहाँ जो मध्यमार्गी थे जिन्हें नाथ पंथी कहते हैं, कि नाथ लोग उन लोगों ने आत्मकल्याण के लिए एक ही मार्ग बताया था; आत्मबोध का। खुद को जाने बगैर आप कोई भी चीज़ प्राप्त नहीं कर सकते हो, ये मैं भी जानती थी। लेकिन उस वक्त जो मैंने मनुष्य की स्थिति देखी वो बहुत विचित्र सी थी। कि वो जिन लोगों के पीछे में भागते थे उनमें कोई सत्यता नहीं। उनके पास सिवाय पैसे कमाने के और कोई लक्ष्य नहीं था। और जब मनुष्य की स्थिति ऐसी होती है कि जहाँ वो सत्य को बिल्कुल ही नहीं पहचानता उसे सत्य की बात कहना बहुत कठिन है और लोग मेरी बात क्यों सुनेंगे? बार-बार मुझे लगता था कि अभी और भी मानव को बड़ना चाहिए। किन्तु मैंने देखा कि कलयुग की बड़ी घोर यातनायें लोग भोग रहे हैं। एक तो पूर्वजन्म में जिन्होंने अच्छे कर्म किये थे, उन लोगों को Read More …

Easter Puja, Crucify Yourself कोलकाता (भारत)

1995-04-14 ईस्टर पूजा प्रवचन, स्वयं को क्रूसारोपित करें, कलकत्ता, भारत (अंग्रेजी, हिंदी) । [अंग्रेजी में प्रवचन] आज वह दिन है जब हम ईस्टर मना रहे हैं । ईस्टर पूर्णतया प्रतीकात्मक है, केवल ईसा मसीह के लिए नहीं, बल्कि हम सभी के लिए भी। उस में सबसे महत्वपूर्ण दिन पुनरुत्थान का है। ईसा मसीह के पुनरुत्थान में ईसाई धर्म का संदेश है, क्रॉस का नहीं। पुनरुत्थान के माध्यम से  ईसा मसीह ने दिखाया था कि कोई भी व्यक्ति अपने शरीर के साथ पुनर्जीवित हो सकता है और उनके पुनरुत्थान के बिना, हम आज्ञा चक्र को पार नहीं कर सकते थे, इसमें कोई संदेह नहीं है। उनका जीवन बहुत कम था, हम कह सकते हैं मात्र साढ़े तीन वर्ष , वह वहां रहे । वह भारत आए और शालिवाहन से मिले और शालिवाहन ने उनका नाम पूछा । उन्होंने बताया कि उनका नाम ईसा मसीह है । लेकिन उन्होंने कहा, मैं उस देश से आ रहा हूँ, जहां म्लेच्छ, मल–इच्छा । इनमें मल की इच्छा है, मलिन बने रहने की इच्छा है और मैं नहीं जानता कि वहाँ कैसे रहना है । मेरे लिए, यह मेरा देश है । लेकिन शालिवाहन ने कहा कि, आप वापस जाकर अपने लोगों को बचाएं और उन्हें परम निर्मल तत्व प्रदान करें। इसलिए वह वापस चले गए, और जैसा कि है, साढ़े तीन साल के भीतर उन्हें क्रॉस पर चढ़ाया गया था। अपनी  मृत्यु के समय उन्होंने क्षमा के लिए बहुत सारी सुंदर बातें बताई, लेकिन अंततः उन्होंने कहा माँ को निहारें अर्थात आपको मां के Read More …

Public Program, Sarvajanik Karyakram कोलकाता (भारत)

Public Program सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा प्रणाम इस कलियुग में मनुष्य जीवन की अनेक समस्याओं के कारण विचलित हो गया है, और घबरा रहा है। कलियुग में जितने सत्य को खोजने वाले हैं, उतने पहले कभी नहीं थे और यही समय है जबकि आपको सत्य मिलने वाला है। लेकिन ये समझ लेना चाहिए कि हम कौनसे सत्य को खोज रहे हैं ? क्या खोज रहे हैं? नहीं तो किसी भी चीज़ के पीछे हम लग करके ये सोचने लग जाते हैं कि यही सत्य है। इसका कारण ये है, कि हमें अभी तक केवल सत्य, अॅबसल्यूट ट्रूथ (absolute truth – परम सत्य) मालूम नहीं । कोई सोचता है कि ये अच्छा है, कोई सोचता है वो अच्छा, कोई सोचता है कि जीवन और ही तरह से बिताना चाहिए। तो विक्षुब्ध सारी मन की भावना और भ्रांति में इन्सान घूम रहा है। इस संभ्रांत स्थिति में उसको समझ में नहीं आता है कि,’आखिर क्या कारण है,जो मेरे अन्दर शांति नहीं है। मैं शांति को किस तरह से अपने अन्दर प्रस्थापित करूं । मैं ही अपने साथ लड़ रहा हूँ, झगड़ रहा हूँ, कुछ समझ में नहीं आता।’ यही कलियुग की विशेषता है और इसी कारण इस कलियुग में ही मनुष्य खोजेगा। पहले इस तरह की संभ्रांत स्थिति नहीं थी। मनुष्य अपने मानवता से ही प्रसन्न था। अब आप इस मानव स्थिति में आ गये हैं। इस स्थिति में अगर आपको केवल सत्य मालूम होता तो कोई झगड़ा ही नहीं होता, हर एक इन्सान एक ही बात Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …

Adi Shakti Puja Jaipur (भारत)

Adi Shakti Puja (Hindi). Jaipur (India), 11 December 1994. [Original transcript Hindi talk, scanned fromo Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग आदिशक्ति का पूजन कर रहे हैं। जिसमें सब कुछ आ जाता है। बहुत से लोगों ने आदिशक्ति का नाम भी नहीं सुना। हम लोग शक्ति के पुजारी हैं, शाक्तधर्मी हैं और महामाया स्वरूप था। आदिशक्ति को महामाया स्वरूप होना जरूरी है क्योंकि सारा ही शक्ति का जिसमें समन्वय हो, प्रकाश हो और हर तरह से जो हरेक शक्ति विशेष कर राजे-महाराजे सभी शक्ति की पूजा की अधिकारिणी हो उसे महामाया का ही स्वरूप करते हैं। सबकी अपनी-2 देवियाँ हैं और उन लेना पड़ता है। उसका कारण ये है कि जो प्रचण्ड शक्तियाँ इस स्वरूप में संसार में आती सब देवियों के नाम अलग-2 हैं। यहाँ की देवो का नाम भी अलग है, गणगौर। लेकिन आदिशक्ति हैं. सबसे पहले सुरकभि के रूप में आई थी ये का एक बार अवतरण इस राजस्थान में हुआ जो शक्ति, जो एक गाय थी। उसमें सारे ही देंबी वो सती देवी के रूप में यहाँ प्रकट हुई। उनका देवता बसे हैं और उसकोे बाद एक बार सती बड़ा उपकार है जो राजस्थान में अब भी अपनी देवी के रूप में, एक ही बार इस राजस्थान में अवतरित हुई। मैंने आपसे बताया कि मेरा संबंध संस्कृति, स्त्री धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, राजधर्म हरेक तरह के धर्म को उनकी शक्ति ने इस राजस्थान से बहुत पुराना है क्यांकि हमारे पूर्वज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सिसौदिया वश प्लावित किया, Nourish किया। सती देवी की Read More …