Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 2003: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk] ईसामसीह की आज जन्मतारीख है और हम लोग बहुत खुशी से मना रहे हैं। किंतु जीझस क्राइस्ट को कितनी तकलीफें हुईं वो भी हम लोग जानते हैं और जो तकलीफें, परेशानियाँ उनको हुई वो हम लोगों को नहीं हो सकती क्योंकि अब समाज बदल गया है, दुनिया बदल गयी है और इस बदली हुई दुनिया में आध्यात्मिक जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे कितने क्लेश हमारे दूर हो सकते हैं। हमारे शारीरिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। मानसिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा जागतिक जो | क्लेश हैं वो भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह सारी दुनिया की जिंदगी जो है अध्यात्म में पनप सकती है। कितना महत्त्वपूर्ण है ये जानना की एक तरफ तो ईसामसीह जैसा अध्यात्म का…. और दूसरी तरफ हम लोग जिन्होंने अध्यात्म को थोडा बहुत पाया है और हम लोगों की वजह से दुनिया शांत हो गयी। बहुत सी तकलीफें दूर हो गयी है और मनुष्य जान गया कि उसके लिये सबसे बड़ी चीज़ है अध्यात्म को पाना । ये आप लोगों की जिंदगी से उसने जाना है। आपको देख कर उसने जाना है। ये सारा परिवर्तन आप लोगों की वजह से आया। हम अकेले क्या कर | सकते थे? जैसे ईसामसीह वैसे हम। हम कितना कर सकते थे । लेकिन इतने आप लोगों ने जब अध्यात्म को प्राप्त कर लिया है, तब देख सकते हैं कि दुनिया कितनी बदल गयी है। आपके प्रभाव से Read More …

Shri Krishna Puja पुणे (भारत)

Hindi Transcript of Shri Krishna Puja. Pune (India), 9 August 2003. हम लोगों को अब यह सोचना है कि सहजयोग तो बहुत फैल गया और किनारे किनारे पर भी लोग सहजयोग को बहुत मानते हैं। लेकिन जब तक अपने अन्दर सहजयोग वायवास्तीह रूप से प्रकटित नहीं होगा तब तक जैसा लोग सहजयोग को मानते हैं वो मानेगें नहीं। इसलिए ज़रूरत है कि हम कोशिश करें कि अपने अन्दर झांकें। यही कृष्ण का चरित्र है कि हम अपने अन्दर झांके और देखें जाने की कौन सी ऐसी चीजे हैं जो हमें दुविधा में डाल देती हैं। इसका पता लगाना चाहिए। हमें अपने तरफ देखना चाहिए, अपने अन्दर देखना चाहिए और वो कोई कठिन बात नहीं है जब हम अपनी शक्ल देखना चाहते हैं तो हम शीशे में देखते हैं। उसी प्रकार जब हमें अपनी आत्मा के दर्शन करने होते हैं तो हमें देखना चाहिए हमारे अन्दर ,वो कैसे देखा जाता है । बहुत से सहजयोगियों ने कहा माँ यह कैसे देखा कर जायेगा कि हमारे अन्दर क्या है, और हम कैसे हैं? उसके लिए ज़रूरी है कि मनुष्य पहले स्वयं की और नम्र हो जाए क्योंकि अगर आपमें नम्रता नहीं होगी तो आप अपने ही विचार लेकर बैठे रहेंगे। कृष्ण के जीवन में पहले दिखाया गया कि एक छोटे लड़के के जैसे वो थे बिलकुल जैसा शिशु होता है बिलकुल ही अज्ञानी वो इसी तरह थे , वो अपने को कुछ समझते नहीं थे | उनकी माँ थी एक और वो अपनी माँ के सहारे वो बढ़ना चाहते थे। इसी प्रकार Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)

New Year Puja Date 31st December 2002: Place Vaitarna: Type Puja Speech [Hindi translation from Marathi and English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतनी बड़ी संख्या में कार्यक्रम के लिए बुद्धिमान तथा विद्वान व्यक्ति थे परन्तु आए आप सब लोगों को देखकर मैं बहुत उन्होंने सर्वसाधारण लोगों की ओर ध्यान प्रसन्न हू। वास्तव में मैंने ये जमीन 25 वर्ष दिया, उनकी देखभाल की और उनमें संगीत पहले खरीदी थी। परन्तु इस पर मैं कुछ न कला को बढ़ावा दिया। इसी विचार के साथ कर सकी क्योंकि इस पर बहुत सारी मैंने निर्णय किया कि कला और संगीत के आपत्तियाँ थीं, आदि-आदि। परन्तु किसी तरह से मैंने इसकी योजना बनाई और अब प्रचार-प्रसार के उनके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं ये स्थान समर्पित कर दूं। ये देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कि मेरा ये विचार फलीभूत हो गया है काश कि आप लोगों कि इतनी कठिनाइयों का सामना करने को प्रसन्न करने के लिए आज मेरा भाई भी के पश्चात् आज मेरे सम्मुख मेरी पूजा के यहां होता! वो अत्यन्त प्रेम एवं करुणामय व्यक्ति था। मैंने देखा कि वो कभी किसी से नाराज़ नहीं हुए। सदा उन्होंने सभी लोगों यहां पर मुझे अपने भाई बाबा की याद की बहुत अच्छी तस्वीर मेरे सम्मुख पेश की। आती है जिन्होंने भारतीय संगीत, शास्त्रीय परन्तु इस विषय में कोई भी क्या कर सकता ये सब कार्यान्वित हो गया है। आप सब लोगों को यहां देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इतने सारे सहजयोगी उपस्थित हैं Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 5th March 2000: Place Pune: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] शिवजी को आप लोग मानते हैं और धीरे-2 वो नष्ट होते जाते हैं। धीरे धीरें वी उनकी बड़ी पूजा अर्चना होती है। लेकिन शिवजी के गुणधर्म आप जानते नहीं, इसलिए बहुत बार सांत्वना करने वाले हैं। हमको शांति देने वाले आपसे गलती हो हैं। और जब स्वरूप जो है वो आनंद स्वरूप है। सूक्ष्म सं शिवजी की शक्ति और विष्णु की शक्ति जैसे समाप्त होते जाते हैं। पर शिवजी जो हैं ये हमारी जाती है। शिवजी का विशेष और हमको आनंद देने वाले ये आनंद उनका सब तरफ छाया रहता है। कि कुण्डलिनी और नाड़ी, इन दोनों का मेल हो जाता है तब आपको केवल सत्य मिलता तेक आपमें नहीं आएगी आप उसे देख नहीं है। केवल सत्य। जैसे की उस सत्य को कोई सुषुम्ना सूक्ष्म लेकिन उसको आकलन करने की शक्ति जब पाएंगे और समझ नहीं पाएंगे। वो हर चीज़ में विराजमान है। हर चीज़ में एक तरह से आनंदमय, सकते क्योंकि वो पूर्णतया सत्य है। आप अपने कहना चाहिए कि एक आनंदमय सृष्टि तैयार अंगुलियां पर अपने हाथ पर भी उसे जान सकते करते हैं और उस सृष्टि में विचरण करते हुए आप किसी भी तरह से अस्वीकार्य नहीं कर हैं। अनेक तरह के अनुभव आपको आएंगे आप देखते हैं कि आप भी कुछ और ही हो जिससे आप समझ जाएंगे कि एकदम सत्य जो गए। दूसरे लोगों को जिस चौज़ में आनंद आता है उसमें असत्य की छटा Read More …

Public Program मुंबई (भारत)

1999-02-20 Awakening Of Kundalini Is Not A Ritual, Mumbai, India Hindi सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को मेरा प्रणाम.  सत्य के और हमारी नज़र नही होती, इसकी क्या वजह है? क्यों हम सत्य को पसंद नहीं करते और आत्मसात नहीं करते? उसकी नज़र एक ही चीज़ से खत्म हो जाये तो बातकी जाए, पर ये तो दुनिया ऐसी हो गई की गलत-सलत चीज़ों पे ही नज़र जाती है। सो इस पर यही कहना है कि ये घोर कलियुग है, भयंकर कलियुग है। हमने जो लोग देखे वो बहुत निराले थे और आज जो लोग दिखाई दे रहे हैं, वो बहुत ही विक्षिप्त, बहुत ही बिगड़े हुए लोग हैं। और वो बड़े खुशी से बिगड़े हुए हैं, किसी ने उन पे ज़बरदस्ती नही की । तो अपने देश का जो कुछ हाल हो रहा है उसका कारण यही है कि मनुष्य का नीति से पतन हो गया। अब उसके लिए अपने देश में अनेक साधु-संतों ने मेहनत की, बहुत कुछ कहा, समझाया। और खास कर भारतवर्षीयों की विशेषता ये है कि जो कोई साधु-संत बता देते हैं उसको वो बिलकुल मान लेते हैं, उसको किसी तरह से प्रश्ण नही करते। विदेश में ऐसा नही है। विदेश में किसे ने भी कुछ कहा तो उसपे तर्क करने शुरू कर देते है। लेकिन हिंदुस्तान के लोगों की ये विशेषता है कि कोई ग़र साधु-संत उनको कोई बात बताए तो उसे वो निर्विवाद मान लेते है कि ये कह गए है ये हमें करना चाहिए। छोटी से लेकर बड़ी बात तक हम लोग ऐसा करते हैं। ये भारतीय लोगों की Read More …

New Year’s eve Puja (भारत)

New Year Puja – Indian Culture 31st December 1998 Date: Place Kalwe Type Puja Speech-Language English, Marathi & Hindi आज जो बात कही है वो समझने की बात है कि हम लोग अपने बच्चों पर जो जबरदस्ती, जुल्म करते हैं उसे हम जुल्म नहीं समझते हैं। पर ये बच्चे सब साधू-संत आपके घर में आये हैं, तो आपको उनकी इज्जत करनी चाहिए। उनको सम्भालना चाहिए। उनको प्यार देना चाहिए, जिससे वो पनपे, बढ़े। उनको स्वतन्त्रता देनी चाहिए । वो कभी गलत काम कर नहीं सकते क्योंकि वो संत-साधू है। लेकिन आपकी दृष्टि में फर्क है। आप हर जगह अपना ही एक, मराठी में कहते हैं कि ‘मनगटशाही’ या ‘हिटलर शाही’ सब ‘शाही’ लगाते हैं। इस चीज़ में मेरे खयाल से मुझसे बढ़कर कोई नहीं होगा, मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है बच्चों को जरा भी कुछ कहना। मुझे पसन्द नहीं है। अगर कोई ऐसी वैसी बात हो तो उसको समझायें, पर इन बच्चों को पनपना चाहिए। यही इस देश के कल के नागरिक हैं और यही बच्चे आपको करामात करके दिखाएंगे। इन लोगों को, बच्चों को इस कदर स्वतन्त्रता तो उस स्वतन्त्रता से आज मैं देखती हूँ कि कितने बढ़िया हो गये हैं। हालांकि खराबी भी बहुतों की हुई है। अब आपके पास संस्कृति का आधार है। उस आधार पर इन बच्चों को आप सम्भालें, उनको समझाईये कि हमारी क्या संस्कृति हो जाएंगी। हमारे देश के बारे में, वहाँ जो महान लोग हो गये हैं उनके बारे में है, तो बहुत सी बातें सीधी-सरल किसी को कुछ मालूम ही नहीं। कोई Read More …

Shakti Puja (भारत)

Shakti Puja. Kalwe (India), 31 December 1997. ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आज हम लोग शक्ति की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। शक्ति का मतलब है पूरी ही शक्तियाँ, और किसी एक विशेष शक्ति की बात नहीं है। ये पूरी शक्तियाँ हमारे हर एक चक्र पर अलग-अलग स्थान पर विराजित है। और इस शक्ति के बगैर किसी भी देवता का कार्य नहीं हो सकता है। जैसे आप जानते हैं कि कृष्ण की शक्ति राधा है और राम की शक्ति सीता है और विष्णु की लक्ष्मी। इसी प्रकार हर जगह शक्ति का सहवास देवताओं के साथ है। और ये देवता लोग शक्ति के बगैर कार्य नहीं कर सकते हैं। वो शक्ति एक मात्र है। आपके हृदय चक्र में बीचो-बीच जगदम्बा स्वरूपिणी विराजमान है। ये जगदम्बा शक्ति बहुत शक्तिमान है। उससे आगे गुजरने के बाद आप जानते हैं कि कहीं वो माता स्वरूप और कहीं वह पत्नी स्वरूप देवताओं के साथ रहती है। तो शक्ति का पूजन माने सारे ही देवताओं के शक्ति का आज पूजन होने वाला है। इन शक्तियों के बिगड़ जाने से ही हमारे चक्र खराब हो जाते हैं और उसी कारण शारीरिक, मानसिक, भौतिक आदि जो भी हमारी समस्यायें हैं वो खड़ी हो जाती हैं। इसलिए इन शक्तियों को हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए । कहा जाता है कि, ‘देवी प्रसन्नो भवे’ । देवी को प्रसन्न करने से न जाने क्या हो जाये ! अब कुण्डलिनी के जागरण से इस शक्ति को एक विशेष और एक शक्ति मिल जाती है। इन शक्तियों में एक विशेषता और होती है Read More …

Makar Sankranti Puja पुणे (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 1996 Date: Place Pune Type Puja Speech Language Hindi, English and Marathi आज हम लोग यहाँ संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करने के लिये एकत्रित हुए है। अपने देश में सूर्य की पूजा बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं और सूर्य को अर्ध्य देना एक प्रथा जरूरी समझी जाती है और विदेशों में भी सूर्य का बड़ा महत्त्व है। उनके ज्योतिष शास्त्र आदि सब सूर्य पर ही निर्भर है । अब संक्रांत में ये होता है, कि चौदह तारीख को, आज सूर्य अपनी कक्षा छोड़ के उत्तर दिशा में आता है और इसलिये लोग संक्रांत को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन इस पृथ्वी गति से पहले २२ दिसंबर से १४ तारीख तक बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। बहुत ही ज्यादा लोगों को तकलीफ़े होती हैं। जुकाम होता है और हर तरह की शारीरिक पीड़ा भी होती है। उसके बाद उसको संक्रमण काल कहते हैं। जरूरत से ज्यादा ठंडक हो जाता है। उस ठंड के कारण अनेक उपद्रव शुरू हो जाते हैं। पर इस ठंड का भी एक उपयोग होता है। वो ये कि जो किटाणू या तरह तरह की चीज़ें अपने देश में इधर-उधर घूम कर और सब को परेशान करते हैं, वो इस ठंड की वजह से अपनी अपनी जगह चले जाते हैं, बहुत से नष्ट हो जाते हैं। बहुत से लोग मर जाते हैं। मतलब ये कि जिसे हम कह सकते हैं, कि जो सारे हमारे ऊपर पॅरासाइट्स है वो सब खत्म हो जाते हैं। तो ये भी अत्यावश्यक चीज़ हैं, कि हमारे Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …

Shri Mahalakshmi Puja, The Universal Love (भारत)

30 /12/ 1992  महालक्मी पूजा, सर्वव्यापी प्रेम, कल्वे, भारत  सहज योगियों को ऐसे साधारण सांसारिक लोगों के स्तर तक नहीं गिरना चाहिए। अंत में आपके साथ क्या होगा? जो लोग इस प्रकार की चिंता कर रहे हैं, मैं उन्हें कहूँगी कि वह गहन ध्यान में जाएं, यह समझने के लिए कि आप स्वयं का अपमान कर रहे हैं। आप संत हैं। आप इस बात की चिंता क्यों करें कि आपको कौन सा विमान मिलने वाला है, कौन सा नहीं? यह दर्शाता है कि आपका स्तर बहुत नीचा है – निश्चित रूप से। आप सभी जो चिंतित हैं, आप मेरे संरक्षण में यहां आए हैं, और मेरी सुरक्षा में ही वापस जाएंगे।  आज सुबह मैं ईतनी बीमार हो गई कि मुझे यह विचार आया, आज हम कोई पूजा का आयोजन नहीं करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि आप सब मेरे अंग प्रत्यंग है। आपको अपने शरीर में स्थान दिया है, और आप आपना आचरण सुधारें !  ऐसे शुभ दिन में हम सभी यहां आए हैं, यह विशेष पूजा करने के लिए। मैं कहूँगी की इसे महालक्ष्मी पूजा कहना चाहिए क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे देश के और सारे संसार के उद्योग से है।  जब तक मनुष्य के सभी प्रयासों को परमात्मा के साथ जोड़ा न जाए, वह अपने उत्तम स्थिति और पद को प्राप्त नहीं कर सकते। इस कारण पश्चिम के देशों में अब हमें समस्याएं आती हैं। तथाकथित अत्यंत समझदार, अति चुस्त, संपन्न और शिक्षित लोग – अब यहाँ हमें आर्थिक मंदी जैसी स्थिति दिखती हैं, क्योंकि उनमें कोई संतुलन Read More …

Shri Mahalakshmi Puja Kolhapur (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 21st December 1990 : Place Kolhapur Type Puja Speech Language Hind मैं आपसे बता चुकी हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिकोणाकार अस्थि और उसमें कुण्डलाकार में शक्ति विराजती है । महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और आदिशक्ति इस तरह से साढ़े तीन कुण्डलों में बैठी हुई है। माहुरगढ़ में महासरस्वती हैं जिन्हें रेणुका देवी भी कहते हैं। तुलजापुर में भवानी है जिन्हें महाकाली कहते हैं और कोल्हापुर में महालक्ष्मी का स्थान है। यहाँ से आगे सप्तश्रृंगी नाम का एक पहाड़ है जिस पर आदिशक्ति की अर्धमात्रा है। इस प्रकार ये साढ़े तीन शक्तियाँ इस महाराष्ट्र में पृथ्वी तत्व से प्रकट हुई हैं। और यहीं पर श्री चक्र भी विराजता है। आप सब जानते हैं कि महालक्ष्मी ही मध्यमार्ग है जिससे कुण्डलिनी का जागरण होता है। इसलिए हजारों वर्षों से इस महालक्ष्मी मन्दिर में ‘उदे अम्बे’ कहा जाता है। क्योंकि अम्बा ही कुण्डलिनी है और कुण्डलिनी की शक्ति महालक्ष्मी में ही जागृत हो सकती है। इसलिए महालक्ष्मी के मन्दिर में बैठ कर अम्बा के गीत गाये जाते हैं। इसी स्थान पर अम्बा ने कोल्हापुर नामक राक्षस को मारा था, इसलिए इसका नाम कोल्हापुर पड़ा। कोल्हा का अर्थ है सियार। सियार के रूप में आये राक्षस का वध देवी ने किया। लेकिन जहाँ भी मन्दिरों में पृथ्वी तत्व ने ये स्वयंभू विग्रह तैयार किये हैं वहाँ लोगों ने बुरी तरह से पैसा बनाना शुरू कर दिया है । मन्दिरों की तरफ कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कभी-कभी लगता है इन मन्दिरों में चैतन्य दब सा जाएगा। अब आप लोग Read More …

Devi Puja: In 10 years we can change the whole world & Weddings Announcements Brahmapuri (भारत)

मुझे खेद है जो भी कल हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि बुराई और अच्छाई के बीच युद्ध शुरू हो गया है, और आखिरकार अच्छाई की जीत होती है। आधुनिक युग में अच्छाई पर बुराई हावी रहती थी लेकिन अब इस कृत युग में बुराई पर अच्छाई की पूरी तरह से जीत होगी, इतना ही नहीं, अच्छाई हर जगह फैलेगी। बुराई में अति तक जाने और फिर उत्क्रांती की प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हो जाने की क्षमता है। चूँकि वे अंधे हैं वे अच्छे को नहीं देख सकते हैं इसलिए वे बुरे हैं। यदि वे अच्छाई देख पाते तो वे अपनी बुराई छोड़ देते। हमारे देश में जो योग का देश है, विशेष रूप से महाराष्ट्र जो संतों का देश है, मैं यह सुनकर चकित रह गयी जो कि लोग क्या कर रहे हैं। इस बकवास के वास्तविक स्रोत में से एक रजनीश, भयानक आदमी लगता है, क्योंकि उसने यहां एक प्रदर्शनी लगाई है जिसमें सभी देवताओं की पूरी तरह से निंदा की गई है और सभी प्रकार की गंदी बातें कही गई हैं, और मुझे लगता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल हैं।  वे सभी यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई आध्यात्मिकता नहीं है। वे यह स्थापित करना चाहते हैं कि विज्ञान ही सब कुछ है। भारत में हमारे पास विज्ञान की कोई विरासत नहीं है, हमारे पास अध्यात्म की विरासत है। मेरा मतलब है कि इस देश में इतने बड़े वैज्ञानिक के रूप में कोई भी विख्यात Read More …

Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Shivaratri Puja, Bombay (India), 14 February 1988. This part was spoken in Hindi Today we are all come together to celebrate the Shiva Tattwa Puja.  Nowadays, in Sahaja Yoga, what we have achieved is by the Grace of the Shiva Tattwa.  Shiva Tattwa is the ultimate goal (establishment, completion) of pure desire. When the Kundalini gets awakened in us, pure desire takes us near and keeps us at the Shiva Tattwa. Beyond Shiva Tattwa is the safe refuge of the Atma.  The new dimensions of the Spirit are slowly seen and start working out.  And when a man is fully engrossed (absorbed?) in the Shiva Tattwa, he gets surrendered without doing anything.  Kundalini Shakti is the reflection of Adi Shakti within us and Shiva Tattwa is the light of the almighty (Paramatma).  Like as there is a small twinkling light in the gas lamp, and when the gas comes into it then you can see the light.  But before you cannot notice the gas passing through.  For this it is necessary that the Kundalini should be awakened.  When we have the sensation of (can feel the?) Kundalini then the light shines out. For this it is necessary that within you there is Kundalini awakening and then this light is there. Today I have given a new example so that we could understand.  In its own place Kundalini can do no work.  Just like a gas, it cannot do anything on its own.  In this way the twinkling also cannot do Read More …

Diwali Puja पुणे (भारत)

Diwali Puja 1st November 1986 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi दिवाली के शुभ अवसर पे हम लोग यहाँ पुण्यपट्टणम में पधारे हैं। न जाने कितने वर्षों से अपने देश में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन जब से सहजयोग शुरू हुआ है, दिवाली की जो दीपावली है वो शुरू हो गयी । दिवाली में जो दीप जलायें जाते थे , वो थोड़ी देर में जाते हैं। बुझ फिर अगले साल दूसरे दीप खरीद के उस में तेल डाल कर, उस में बाती लगा कर दीपावली मनायी जाती थी। इस प्रकार हर साल नये नये दीप लाये जाते थे। दीप की विशेषता ये होती थी, कि पहले उसे पानी में डाल के पूरी तरह से भिगो लिया जाता था| फिर सुखा लिया जाता था। जिससे दीप जो है तेल पूरा न पी ले और काफ़ी देर तक वो जले। लेकिन जब से सहजयोग शुरू हुआ है तब से हम लोग हृदय की दिवाली मना रहे है। हृदय हमारा दीप है। हृदय में बाती है, शांत है और उसमें प्रेम का तेल डाल कर के और हम लोग दीप जलाते हैं। इस तेल को डालने से पहले इस हृदय में जो कुछ भी खराबियाँ हैं उसे हम पूरी तरह से साफ़ धो कर के सुसज्जित कर लेते है। ये प्रेम हृदय में जब स्थित हो जाता है, तब उसको हृदय पूरी तरह से अपने अन्दर शोषण नहीं कर लेता। जैसे पहले कोई आपको प्रेम देता है, माँ देती है प्रेम, पिताजी देते हैं प्रेम और भी लोग Read More …

Navaratri, Shri Gauri Puja पुणे (भारत)

Shri Gauri Puja 5th October 1986 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi & Marathi पूना शहर का नाम वेदों में, पूराणों में सब जगह मशहूर है । इस को पुण्यपट्टणम कहते है। पुण्यपट्टणम और इस जगह जो नदी बहती है उसका नाम है मूल नदी | जो यहाँ से मूल बहता है, ऐसी ये नदी | यहाँ पर हजारों वर्षों से बह रही है और इस भूमी को पूरण्यवान बना रही है। हम लोगों को पुण्य के बारे में पूरी तरह से मालूमात नहीं है । बहुत से लोग सोचते है अगर हम गरीबों को कुछ दान दे दें या कोई चीज़ किसी को बाँट दें या कभी हम सच बोले या थोडी बहुत कुछ अच्छाई कर लें तो हमारे अन्दर पुण्य समा जाता है। इस तरह का पुण्य संचय होता तो होगा लेकिन वो एक बुँद, बुँद, बुँद बनकर के न जाने कब सरोवर हो सकता है। पुण्य का जो अर्थ है, उसको जैसा जाना गया है कि ऐसे कार्य करना कि जिसे परमात्मा संतोषित हो, जिसे परमात्मा खुष हो ऐसे कार्य हमें करने चाहिए । और जो आदमी ऐसे कार्य करता है वही पुण्यवान आत्मा होता है क्योंकि जब वो परमात्मा को खुष कर देता है, उस पर जो आशीर्वाद परमात्मा के आते है वो उसको पुण्यवान बना देते है। परमात्मा की शक्तियाँ उसके अन्दर आ जाती है वो उसके अन्दर एक नयीं चेतना कहिए या नया व्यक्तित्व कहिए, एक नयी हैसियत कहिए प्रगट करती है। उस हैसियत में मनुष्य ऐसा हो जाता है कि Read More …

Shri Mahaganesha Puja Ganapatipule (भारत)

                                            श्री महागणेश पूजा  गणपतिपुले (भारत), 1 जनवरी 1986। आज हम सब यहां श्री गणेश को प्रणाम करने के लिए एकत्रित हुए हैं। गणपतिपुले का एक विशेष महत्व है क्योंकि वे महागणेश हैं। मूलाधार में गणेश विराट यानी मस्तिष्क में महागणेश बन जाते हैं। यानी यह श्री गणेश का आसन है। अर्थात श्री गणेश उस आसन से निर्दोषता के सिद्धांत का संचालन करते हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, जैसा कि वे इसे कहते हैं, यह ऑप्टिक थैलेमस, ऑप्टिक लोब के क्षेत्र में, पीछे रखा जाता है; और वह आँखों को निर्दोषता के दाता है। जब उन्होंने क्राइस्ट के रूप में अवतार लिया – जो यहाँ, सामने, आज्ञा में है – उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि “तुम्हें आँखें भी व्यभिचारी नहीं होना चाहिए।” यह एक बहुत ही सूक्ष्म कहावत है, जिस में लोग ‘व्यभिचारी’ शब्द का अर्थ भी नहीं समझते हैं। ‘व्यभिचार’ का अर्थ सामान्य शब्द में अशुद्धता है। आँख में कोई भी अशुद्धता “तेरे पास नहीं होगी”। यह बहुत मुश्किल है। यह कहने के बजाय कि आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें और अपनी पिछले आज्ञा चक्र को साफ करें, उन्होंने इसे बहुत ही संक्षिप्त रूप में कहा है, “तुम्हें व्यभिचारी आँखे नहीं रखना चाहिए”। और लोगों ने सोचा “यह एक असंभव स्थिति है!” चूँकि उन्हें लंबे समय तक जीने नहीं दिया गया – वास्तव में उनका सार्वजनिक जीवन केवल साढ़े तीन साल तक सीमित है – इसलिए उन्होंने जो कुछ भी कहा है उसका बहुत बड़ा महत्व है, कि आपकी आंखें व्यभिचारी न हों। जब Read More …

Puja: The Purity Inside Dr Sanghvi’s House, Nashik (भारत)

पूजाडॉ. संघवी गार्डन, नासिक (भारत), 17 दिसंबर 1985। नासिक, इस स्थान का विशेष महत्व है। बहुत समय पहले, लगभग आठ हजार साल पहले, जब श्री राम वनवास के लिए गए, तो वे महाराष्ट्र आए और वे विभिन्न स्थानों से गुजरे और वे अपनी पत्नी के साथ इस जगह नासिक में बस गए। और यहाँ एक महिला जो वास्तव में रावण की बहन थी, जिसका नाम शूर्पणखा था, उसने श्री राम को लुभाने की कोशिश की। अब पुरुषों को लुभाने या महिलाओं को लुभाने का यह गुण वास्तव में राक्षसी है और इसलिए लोग उन्हें ‘राक्षस’ कहते हैं। क्योंकि जो लोग राक्षसी लोग होते हैं वे स्वभाव से आक्रामक, अहंकार से भरे और हर किसी पर हावी होना चाहते हैं। और अगर उनका अहंकार संतुष्ट हो जाता है तो वे काफी संतुष्ट महसूस करते हैं। तो जो लोग ऐसे थे, उन्हें इस देश में ‘राक्षस’ कहा जाता था। उनके अनुसार यह सामान्य मानवीय व्यवहार नहीं था। तो ये राक्षस भारत के उत्तरी भाग, उत्तरी भाग में अधिक रहते थे और उनकी विभिन्न श्रेणियां वर्णित हैं। तो स्त्रियों के पीछे दौड़ने वालों को किसी और नाम से पुकारा जाता था और जहाँ स्त्रियाँ उन पर हावी होने की कोशिश करती थीं, उन्हें किसी और नाम से पुकारा जाता था। जहां पुरुष महिलाओं की तरह बनने की कोशिश करते हैं, वहां दूसरा नाम है। लेकिन उन्हें कभी इंसान नहीं कहा गया। उन्हें ‘राक्षस’ या ‘वेताल’ और अन्य सभी नामों से पुकारा जाता था। लेकिन आजकल आप एक ऐसी उलझन पाते हैं कि समझ Read More …

Devi Puja: On Leadership (Morning) Rahuri (भारत)

अंग्रेजी से अनुवाद… और यह वह स्थान है जहां मेरे पूर्वज राजाओं के रूप में राज्य करते थे, और उनका एक राजवंश भी था। अब, हम जिस दूसरी जगह पर गए, मुसलवाड़ी, वह जगह है जहां देवी ने सबसे पहले उन्हें एक बीम से मारा था, इसलिए इसे मुसलवाड़ी कहा जाता है। इसका अर्थ है एक बीम, ‘मुसल’ का अर्थ है ‘बीम’। तो यह वह स्थान है जहाँ देवी ने बहुत काम किया है। एक और जगह है जिसे अरडगांव कहा जाता है जहां वह दौड़ रहा था और चिल्ला रहा था, इसलिए इसे अरड़ कहा जाता है। ‘अरड़’ का अर्थ है ‘चिल्लाना’ (‘गाओ’ का अर्थ है गाँव)। तो पूरी जगह पहले से ही बहुत चैतन्य पुर्ण रही है क्योंकि नाथ, नौ नाथ – हमने वहां एक गणिफनाथ देखा – लेकिन वे सभी इस क्षेत्र में रहते थे और उन्होने बहुत मेहनत की थी। सबसे अंतिम, साईनाथ, शिरडी में, जैसा कि आप जानते हैं, यहाँ से बहुत निकट था। तो यह एक बहुत ही पवित्र स्थान और महान पूजा का स्थान है जहाँ कई बार देवी की पूजा की जाती थी। राहुरी ही, यदि आप चारों तरफ घुमें, तो आप पाते हैं कि वहां नौ देवता बैठे हैं। इन्हें भी धरती माता ने ही बनाया है। वे सुंदर चीजें हैं। उनके बारे में कोई नहीं जानता। आप जा सकते हैं और देख सकते हैं। उनमें से नौ हैं और ये देवी के नौ अवतारों या देवी की नौ शैलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब, इस खूबसूरत जगह में हम यहां Read More …

Sarvajanik Karyakram Rahuri (भारत)

राहुरी फैक्ट्ररी के माननीय अध्यक्ष श्री सर्जेराव पाटिलजी, मित्र संघ संस्था के संचालकगण, जितने भी राहुरीकार और पिछड़े/दलित जाती के लोग यहाँ एकत्रित हुए हैं, मुझे ऐसा कहना उचित नहीं लगता। क्योंकि वे सब मेरे बच्चे हैं। सभी को नमस्कार! दादासाहेब से मेरी एक बार अचानक मुलाक़ात हुई और मुझे तब एहसास हुआ कि यह आदमी वास्तव में लोगों की फिक्र (परवाह) करता है। जिसके हृदय में करुणा न हो उसे समाज के नेता नहीं बनना चाहिए. जिन्होंने सामाजिक कार्य नहीं किया है उन्हें राजनीति में नहीं आना चाहिए। जिन्होंने सामाजिक कार्य किया है, अगर वे राजनीति में आते हैं, तो उनके मन में जनसामान्य के लिए दया रहेगी। लेकिन ज्यादातर लोग सामाजिक कार्य इसलिए करते हैं ताकि हम राजनीति में आएं और पैसा कमाएं। मुझे सब पता है। मैंने बचपन से अपने देश का हाल देखा है। मैं शायद तुम सब में सबसे उम्रदराज हूँ। मेरे पिता भी बहुत धार्मिक हैं, एक बहुत ही उच्च वर्ग के सामाजिक कार्यकर्ता, देश के कार्यकर्ता, राष्ट्रीय कार्यकर्ता और डॉ अम्बेडकर के साथ बहुत दोस्ताना था,  घनिष्ठ मित्रता थी। उनका हमारे घर आना-जाना था। मैंने उन्हें (डॉ. अम्बेडकर को) बचपन से देखा है।  मैं उन्हें चाचा कहती थी। उनके साथ संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। और वह बहुत तेजस्वी और उदार थे। मेरे पिता गांधीवादी थे और यह(डॉ. अम्बेडकर)  गांधी जी के खिलाफ थे। बहस करते थे। तकरार के बावजूद उनके बीच काफी दोस्ती थी। वह बहुत स्नेही थे! जब मेरे पिता जेल गए, तो वह हमारे घर आकर पूछते थे कि कैसे चल Read More …

Shri Saraswati Puja, The basis of all creativity is love Dhule (भारत)

Shri Saraswati Puja, Dhulia (India), Sankranti day, 14 January 1983. English to Hindi translation HINDI TRANSLATION (English Talk) Scanned from Hindi Chaitanya Lahari प्रेम से सभी प्रकार की सृजनात्मक गतिविधि जो नहीं सुहाते वे सब लुप्त हो जाते हैं। यद्यपि ऐसा घटित होती है। आप देखिए कि किस प्रकार राऊल बाई मुझे प्रेम करती हैं और यहाँ आप सब लोगों को भी एक सुन्दर चीज़ के सृजन करने का नया विचार को प्रभावित नहीं करते, तो तुरन्त ये पदार्थ लुप्त प्राप्त हुआ है! ज्यों-ज्यों प्रेम बढ़ेगा आपकी होने लगते हैं (नष्ट होने लगते हैं)। होने में समय लगता है, नि:सन्देह इसमें समय लगता है- ज्यों ही आपको लगता है कि ये जनता सृजनात्मकता विकसित होगी। तो प्रेम ही श्री सरस्वती की सृजनात्मकता का आधार है। यदि प्रेम न होता तो अब जिस प्रेम की हम बात करते हैं, हम सृजनात्मकता न होती। इसका अर्थ और भी गहन है, आप देखिए वैज्ञानिक चीजों का सृजन करने वाले लोगों ने भी ये चीजें जनता से प्रेम के कारण बनाई हैं, केवल अपने लिए नहीं। किसी ने भी केवल अपने लिए किसी भी चीज़ की रचना नहीं की। अपने लिए भी यदि वे कोई चीज बनाते तो भी वह सबके उपयोग के लिए हो जाती, अन्यथा इसका कोई अर्थ ही नहीं है। यदि आप ऐटॅम बम तथा विज्ञान द्वारा बनाई गई अन्य सभी चीज़ों की बात करें तो भी ये अत्यन्त सुरक्षात्मक हैं। यदि उन्होंने इन चीज़ों का सृजन न किया होता तो लोगों के मस्तिष्क युद्ध से न हटते। अब कोई भी Read More …

Shri Mahakali Puja (भारत)

Shri Mahakali Puja, Lonawala, Maharashtra (India), 19 December 1982. [English to Hindi Translation] HINDI TRANSLATION (English Talk) Scanned from Hindi Chaitanya Lahari आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के पश्चात् पहली योग के इस महान देश में आप सब सहज-योगियों का स्वागत है। आज सर्वप्रथम बाधा जो आपके सम्मुख आती है वो ये है कि आप अपने परिवार के विषय में सोचने लगते हैं, “कि अपने अन्तस में हमें अपनी इस इच्छा को स्थापित करना है कि हम साधक हैं। तथा हमें पूर्ण मेरी माँ को जागृति नहीं प्राप्त हुई. मेरे पिताजी को उत्क्रान्ति एवं परिपक्वता प्राप्त करनी है। आज की जागृति नहीं हुई, मेरी पत्नी को जागृति नहीं हुई. मेरे बच्चों को जागृति नहीं हुई।” आपको ये समझ पूजा पूरे ब्रह्माण्ड के लिए है। इस इच्छा से पूरा ब्रह्माण्ड का ज्योतिर्मय होना चाहिए। आपकी लेना चाहिए कि ये सारे सम्बन्ध सांसारिक हैं । इच्छा इतनी गहन होनी चाहिए कि इससे आत्मा संस्कृत भाषा में इन्हें लौकिक कहा जाता है, ये प्राप्ति की शुद्ध इच्छा, महाकाली शक्ति से निकलने अलौकिक नहीं हैं, ये सांसारिक सम्बन्धों से परे नहीं वाली पावन चैतन्य-लहरियाँ बहनी चाहिए। यही हैं। सांसारिक सम्बन्ध हैं। सारे मोह सांसारिक हैं । इस सांसारिक माया में यदि आप फँसे रहे, क्योंकि आप जानते हैं कि महामाया शक्ति आपको ऐसा सच्ची इच्छा है। बाकी सभी इच्छाएं मृगतृष्णा सम हैं। आप लोग विशेषरूप से परमात्मा द्वारा चुने गए खिलवाड़ करने देती हैं, तो आप इसमें किसी भी हैं, सर्वप्रथम इस इच्छा की अभिव्यक्ति करने के सीमा तक जा सकते हैं। लोग मेरे पास अपने लिए Read More …

Evening prior to departure for London, Importance of Meditation पुणे (भारत)

Evening prior to Her departure for London (Marathi & Hindi). Pune, Maharashtra, India. 30 March 1979. [Hindi Transcript]  ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आप लोग सब इस तरह से हाथ कर के बैठिये। इस तरह से हाथ कर के बैठे और आराम से बैठे। इस तरह से बैठिये। सीधे इस तरह से आराम से बैठिये। कोई स्पेशल पोज़ लेने की जरूरत नहीं है। बिल्कुल आराम से बैठिये। सहज आसन में। बिल्कुल सादगी से। जिसमें कि आप पे कोई प्रेशर नहीं। न गर्दन ऊपर करिये, नीचे करिये। कुछ नहीं। मुँह पर कोई भी भाव लाने की जरूरत नहीं है और कोई भी जोर से चीखना, चिल्लाना, हाथ-पैर घुमाना, श्वास जोर से करना, खड़े हो जाना, श्वास फुला लेना ये सब कुछ करने की जरूरत नहीं। बहुत सहज, सरल बात है और अपने आप घटित होती है। आपके अन्दर इसका बीज बड़े सम्भाल कर के त्रिकोणाकार अस्थि में रखा हुआ है। इसके लिये आपको कुछ करना नहीं है। आँख इधर रखिये। बार बार आँख घुमाने से चित्त घूमेगा। आँख इधर रखिये। चित्त को घुमाईये नहीं। आँख घुमाने से चित्त घूमता है। आँखे बंद कर लीजिये, उसमें हर्ज नहीं । उल्टा अच्छा है, आँख बंद कर लीजिये। अगर आँख बंद नहीं हो रही हो या आँखें फड़क रही हो तो आँख खोल दीजिये। सब से पहली चीज़ है यह घटना घटित होनी चाहिये। लेक्चर सुनना और सहजयोग के बारे में जानना इसके लिये बोलते बोलते मैं तो थक गयी हूँ। और एक बहोत बड़ी किताब भी लिखी गयी है, अंग्रेजी में । उसकी कॉपीज Read More …

Sahajyog Sagalyana Samgra Karto मुंबई (भारत)

Public Program [Hindi Translation from Marathi] HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) ऐसी विचित्र कल्पना लेकर के लोग यहाँ आते हैं। ऐसे में आपको अपनी समझदारी से चलना है। समझदारी से कार्य करना है। समझदारी तो बड़ी मुश्किल से आती है मूर्खपना तो बड़ी जल्दी से आ जाता है । ऐसे हालात में आपको अपने समझदारी को लेकर आगे बढ़ना है। मैं माँ हूँ। मैं आपकी मूर्खता और खराबियों के बारे में बताने वाली हूँ। उसे आप मत करिये, इसी में आपकी भलाई है। मैं कोई गुरु नहीं हूँ। मुझे आपसे कुछ भी नहीं चाहिए । मैं तो केवल आपकी भलाई और कल्याण चाहती हूँ। आपके हित के लिए जो अच्छा है वही में आपसे कहूँगी। इसका आप कोई बुरा न माने। अभी कुछ नये लोग आये हुए हैं। उन्हें मैं बता देती हूँ कि अगर किसी को कुछ खराब लग जायेगा तो फिर वो तो गये काम से। वाइब्रेशन्स चले जाएंगे । मैं नहीं निकालती हूँ इसे। (वाइब्रेशन्स को) आप को जो अभी आवाज आयी है वैसी ही आवाज ‘ओम’ जैसे हम कहते हैं उनकी होती है। समझ में आया क्या। मतलब ये जो एनर्जी बहती है और जब वो बहती है पर पूरी तरह से चैनलाइज्ड़ नहीं हुई होती है तब ऐसी आवाज आती है। जब यह चैनलाइज्ड़ होने लगती है तब ऐसी ‘ओम’ की आवाजें कभी अपने कानों में या फिर कभी अपने सिर में आने लगती है, तभी ये समझ लेना चाहिए कि एनर्जीपूर्ण तथा एड़जेस्ट और चैनलाइज्ड नहीं हुआ है इसलिए ऐसी आवाजें आती हैं। जब ऐसी Read More …

Nirvicharita मुंबई (भारत)

Nirvicharita “VIC Date 6th April 1976 : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi तुम लोगों को बुरा लगेगा इसलिये मराठी में बोलने दो। मैं कह रही हूँ कि तुम्हारे सामने जो भी प्रश्न हैं, उन प्रश्नों को तुम अचेतन में छोड़ो, वो मेरे पैर में बह रहा है। माने ये कि कोई भी प्रश्न , अब तुमको अपनी लड़की का | प्रश्न है समझ लो। उसमें खोपड़ी मिलाने से कुछ नहीं होने वाला। जो भी प्रश्न है वो यहाँ छोड़ दो। उसका उत्तर मिल जायेगा। अब तुम अगर सोचते हो कि इस चीज़ से लाभ होगा , वो नहीं बात। जो परमात्मा सोचता हैं तुम्हारे लिये जो हितकारी चीज़ है, वो घटित हो जायेगी । वो तुम कर भी नहीं सकते हो । इसलिये उसको छोड़ दो तुम क्यों बीच में तंगड़ियाँ तोड़ रही हो? तुम क्यों परेशान हो रही हो ? तुमको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं। तुम छोड़ तो दो| जो तुम्हारे सारे प्रश्नों को सॉल्व करने के लिये पूरी इतनी कमिटी बैठी हुयी है, उनके पास छोड़ो तुम | सहजयोग में यही तो कमाल है, कि सर का बोझा उतर गया उनकी खोपड़ी पर। छोड़ के देखो। ऐसे कमाल होंगे, ऐसे कमाल होंगे, कि बस्। लेकिन मनुष्य की खुद्दारी की बात हो जाती है। आखिर तक वो यही सोचते रहता है कि, ‘मुझी को करना है। और सोचते रहिये, एक के ऊपर एक ताना, बाना चलता रहेगा। कितना भी आप करते रहिये। आखिर आप पाईयेगा, कि आप कहीं भी नहीं पहुँचे और पागलखाने Read More …

Talk to Sahaja Yogis Bharatiya Vidya Bhavan, मुंबई (भारत)

Updesh – Bhartiya Vidya Bhavan – II 18th March 1975 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi इसका कैन्सर ठीक कर दो। हमारी बहन का ये ठीक कर दो। क्यों आखिर क्यों किया जाये! फिर माँ को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। हर एक को जा के माँगना पड़ता है। ये जो बड़े बड़े रईस लोग हैं, इनका ये है कि हमारे बहन को ठीक कर दो, हमारी माँ को ठीक कर दो। और जिस वक्त पैसा देने को आया तो, हाँ, तो चॅरिटी के मामले में तो हमसे कोई वास्ता नहीं। एक मैं बता देती हूँ कि जिन लोगों ने ऐसा काम किया है, उनको मैं ब्लैक लिस्ट कर देंगी। बड़े बड़े लोग हैं और उनका नाम भी मैं सबको बताऊंगी। और आपके सामने ऐसे लोग जरूरी आना चाहिये । सब का मैं नाम बताऊंगी। छोड़ंगी नहीं मैं किसी को। (मराठी – हे घ्या. कोणी ठेवलं? त्यांचं नाव लिहा. साइड में बातचीत) बैठो बेटा, बैठो। अपना नाम लिखा लो। रसीद भी ले लो कायदे से। इसमें से कोई भी पैसा इधर उधर जाने वाला नहीं। लिख लीजिये। कोई भी पैसा इसका हम रखना ही नहीं चाहते हैं। जो जमीन ले रहे हैं, जगह ले रहे हैं, जमीन क्या वो तो फ्लैट ही है। वहाँ पे हॉल बना रहे हैं। इसलिये वो लगा लेंगे। इधर उधर जाने का कोई सवाल ही नहीं। मेरे जाने से पहले ही सब ठीक ठाक कर देंगे वो। कोई उसमें गड़बड़ की बात नहीं है। आपका रुपया किसी Read More …

Public Program Dhule (भारत)

HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) वास्तव में धूलिया नगर का यह बहुत बड़ा सौभाग्य है कि राजकुंवर राऊल जैसी स्त्री यहाँ है। उनके प्रेम के आकर्षण से ही मैं यहाँ आयी हूँ। मैंने उनसे कहा था कि मैं धूलिया एक बार अवश्य आऊंगी। और यहाँ मुझे अंदर से अनुभूति हो रही है कि उनका भक्तिभाव और प्रेम कितना गहन है । हमारे देश में धर्म के संबंध में सब ने बहुत कुछ लिखा हुआ है और बहुत सारी चर्चायें भी हो चुकी हैं। मंदिरो में भी घंटियाँ बजती हैं। लोग चर्च में जाते हैं, मस्जिद | में जाते हैं। धर्म के नाम पर अपने देश में बहुत सारा कार्य हुआ है। परंतु वास्तव में जो कार्य है वह कहीं भी हुआ है ऐसा दिखता नहीं। हम मंदिर में जाते हैं, सब कुछ यथास्थित करते हैं। पूजा- पाठ भी ठीक से करते हैं, घर आते हैं पर ऐसा कुछ लगता नहीं कि हमने कुछ पाया है। हमारे अन्दर अंतरतम में जो शांति है, अन्दर जो प्रेम है ये सब हम कभी भी नहीं प्राप्त करते। कितना भी किया, तो भी ऐसा लगता नहीं कि हम भगवान के पास गये हैं और हमें वहाँ ऐसी माँ मिली है जिन की गोद में सिर रखकर हम आराम से कह सकते हैं कि हमें अब कुछ नहीं करना है। मेरा ऐसा कहना नहीं है कि मनुष्य ने मंदिर नहीं जाना चाहिये । जाईये, अवश्य जाईये। अगर आप को मधु (शहद) की पहचान कर लेनी है, तो यह ही ठीक रहेगा कि पहले फूल की बातें Read More …