Guru Puja, How To Become A Guru Campus, Cabella Ligure (Italy)

(कबैला लीगर(इटली), 20 जुलाई 2008) सभी सहजयोगियों के लिये आज का दिन बड़ा महान है क्योंकि आपका सहस्त्रार खोल दिया गया है, आप परमात्मा के अस्तित्व का अनुभव कर सकते हैं। ये कह देना कि परमात्मा है …. ये काफी नहीं है … और ये कहना भी कि परमात्मा हैं ही नहीं …ये भी सरासर गलत है और जिन लोगों ने ऐसा कहा है उन्हें इसके कारण बहुत कष्ट उठाने पड़े हैं। केवल आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद ही आपको मालूम होता है कि परमात्मा हैं और उनके चैतन्य का अस्तित्व भी है। पूरे विश्व में ये बहुत बड़ी घटना है कि विराट का सहस्त्रार खोला गया। इसीलिये आज मैं कह रही हूं कि आपके लिये ये बहुत महान दिन है। आपमें से अनेकों ने अपने हाथों और सहस्त्रार पर ठंडी हवा का अनुभव किया है। सहजयोग में कुछ लोगों ने काफी प्रगति की है और कुछ ने बिल्कुल भी नहीं की है। कुछ अभी तक अपने पुराने कैचेज के साथ ही जिये जा रहे हैं। लेकिन अब मुझे कहना है कि आपमें से अनेक स्वयं के गुरू बन सकते हैं अर्थात शिक्षक और आपको एक गुरू की तरह ही व्यवहार करना चाहिये। गुरू की तरह से व्यवहार करने के लिये आपको सहजयोग को जानना होगा … इसके सिद्धांत और आपको इसके तौर तरीकों को पूर्णतया जानना होगा … तभी आप गुरू बन सकते हैं। आपके ऊपर ये एक बहुत बड़ा दायित्व है …… गुरू बनने के लिये आपके अंदर बहुत बड़ी समझ का होना आवश्यक है। इसके लिये आपके अंदर Read More …

Adi Shakti Puja: You Have to Become Fragrant Campus, Cabella Ligure (Italy)

आप सभी को फिर से यहाँ देख कर बहुत अच्छा लग रहा है।मुझे लगता है कि इस स्थान पर हमारी पहली पूजा है, जो हमकर रहे हैं और मुझे आशा है कि आप सभी आराम से हैंऔर यहाँ पहुँचना सुविधाजनक रहा होगा ।आज वास्तव में बहुत ही महान दिन हैयह एक आदि शक्ति हैं, आदि शक्ति का उत्सव मनाना,और आदि शक्ति की उत्पति क्या है।मैंने इसके बारे में कभी बात नहीं की है,यह पहली बार है जब मैं आपको बताऊँगीकि आदि शक्ति आदि माँ है, वे शक्ति है,ईश्वर की शक्ति है,जो इस दुनिया को बनाना चाहती थी।और उन्होंने स्वयं ही इस महान दुनिया को बनाने की व्यवस्था की(क्या आप सब बैठ नहीं सकते?उनके लिए कोई जगह नहीं है या क्या है?कृपया बैठ जाएँ।वे क्यों खड़े हैं?आपके पीछे कुर्सियाँ हैं।यह सब ठीक है आप कुर्सियों पर बैठ सकते हैं।)यह सब नीचे गिर रहा है [माइक्रोफोन]। जहां तक ​​संभव हो आराम से रहें,अपने आप को अनावश्यक रूप से तनाव न दें।मुझे आशा है कि आप सभीको आराम से बैठने के लिए कुछ जगह मिल जाएगी।तो आज मैं आपको आदि शक्ति के विषय में बताने जा रही हूँ,जो एक बहुत ही प्राचीन विषय है।आदि शक्ति स्वयं ईश्वर की शक्ति है,और उन्होंने इस पृथ्वी पर ईश्वर का साम्राज्य स्थापित करने हेतु इस दुनिया का निर्माण किया।आप कल्पना कर सकते हैं कि यहाँ अंधकार के सिवाय और कुछ नहीं थाउसी अंधकार से उन्हें इन सभी सुंदर, चित्रमय वृक्षों और सभी प्रकार की वनस्पतियों की रचना करनी थी , वह उन्होंने बनाया। लेकिन इन सब चीजों Read More …

Sahasrara Puja: Continue To Live A Life of Reality Campus, Cabella Ligure (Italy)

  सहस्त्रार पूजा (सच्चाई का जीवन जिए), कबेला, इटली, ९ मई २००४  आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में सहज योगिओं के नाते | आज का दिन वह है जब सहस्त्रार खुला था, जो की बहुत करिश्माई बात हुई | मैंने कभी आशा नहीं की थी की मेरे जीवनकाल में मैं  यह कर पाऊँगी | पर ऐसा हुआ | और आप में से कई लोगों का सहस्त्रार खुला | उसके बिना आप कभी नहीं जान पाते की सत्य क्या है | और आप उसका आनंद ले रहे है, उस स्थिति का जहाँ आप जानते है की सत्य क्या है |  यह बहुत बड़ा आशीर्वाद है की सहस्त्रार खुल गया था और आप सबको आपका आत्मसाक्षात्कार मिला | नहीं तो सभी बातें, बातें ही है | उनका कोई अर्थ नहीं, कोई समझ नहीं | इसलिए मेरी पहली चिंता थी सहस्त्रार को खोलना | वह हुआ और अच्छे से हुआ | और आप सबका सहस्त्रार खुल गया | यह एक उल्लेखनीय बात है | कोई विश्वास नहीं कर सकता की आप में से इतने सारे लोगों का सहस्त्रार खुला है | पर मैं अब देख सकती हूँ साफ़ रौशनी आपके सरों के ऊपर |  जो भी आपने पाया है, वह उल्लेखनीय है| इसमें कोई संदेह नहीं | इसका कारण है ईमानदारी से ढूंढना | आपने ईमानदारी से ढूंढा, इसलिए आपको मिला | मैंने कुछ नहीं किया | क्योंकि आप वहाँ कंदील के जैसे थे, मैंने केवल उसे जला दिया, बस | यह करना बहुत बड़ी बात नहीं है | जैसे Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

Sahaja Yogi – Ek Adarsh Hindustani   Date: March 24, 2003   Place Delhi    Type: Public Program   आप लोगों का ये हार्दिक स्वागत देख करके हृदय आनंद से भर आता है और समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूँ और क्या न कहूँ। आप न जाने कितनी जगह बैठे हैं,  मैं तब से देख रही हूँ कि कहाँ-कहाँ सब लोग बैठे हैं। शायद इस स्टेडियम में मैं पहली मर्तबा आयी हूँ और आप लोग इतने बिखरे-बिखरे बैठे हैं।  आपसे आज के मौके पर क्या कहना चाहिए और क्या बताना चाहिए, ये ही समझ में नहीं आता है कि आप लोग अधिकतर सहजयोगी हैं। और जो नहीं भी हैं वो भी हो ही जायेंगे, हर बार ऐसा ही होता है। जीवन में सहजयोग प्राप्त होना एक जमाने में बड़ी कठिन चीज थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब तो बहुत सहज में ही आपकी कुण्डलिनी जागृत हो सकती है। और सहज में ही आप उस स्थान को प्राप्त कर सकते हैं जो कहा जाता है कि आप ही के अन्दर आत्मा का वास है। और आप ही के अंदर वो चमत्कार होना चाहिए जिससे आपको अपने आत्मा से परिचित किया जा सके। ये चीज़ एक जमाने में बड़ी कठिन थी। हजारों वर्षों की तपस्चर्या जंगलों में घूमना, ऋषियों-मुनियों की सेवा उसके फलस्वरूप कुछ लोग, बहुत कुछ लोग, इसे प्राप्त करते थे। पर आजकल ऐसा ज़माना आ गया है कि गर मनुष्य को ये गति नहीं मिली तो न जाने वो किस ठौर उतरेगा, उसका क्या हाल होगा?  शायद इसीलिए इस कलियुग में भी ये सहजयोग इतना गतिमान है। इसमें तो आप लोगों का भी योगदान है। हजारों सहजयोगी हो गए हैं और सब लोग आपको खुद पार करा सकते हैं। ये कितना बड़ा कार्य हो गया है, क्योंकि मेरे अकेले के बस का इतना था क्या?  लेकिन इसको संवारा है आपने, इसको उठाया है आपने और इसके लिए मेहनत की है आपने।  मैं आपको कितना धन्यवाद दूँ ये मैं नहीं समझ पाती। कितनी बड़ी Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] Translation  अंग्रेजी प्रवचन – अनुवादित आज हम श्री शिव-सदाशिव की पूजा करेंगे। उनका गुण यह है कि वे क्षमा की मूर्ति हैं। उनकी क्षमाशीलता क्षमा के गुण के कारण ही हम आज जीवित हैं, अन्यथा ये विश्व नष्ट हो गया होता। बहुत से लोग खत्म हो गए होते क्योंकि मानव की स्थिति को तो आप जानते ही हैं। मनुष्य की समझ में ही नहीं आता कि उचित क्या है और अनुचित क्या है। इसके अतिरिक्त वे क्षमा भी नहीं कर पाते। गलतियों पर गलतियाँ करते चले जाते हैं। परन्तु वो अन्य लोगों को क्षमा नहीं कर सकते। इसलिए हम लोगों को यही गुण श्री शिव-सदाशिव से सीखना हैं। Transcription   हिन्दी प्रवचन  आज हम लोग श्री सदाशिव की पूजा करने वाले हैं। इनका विशेष स्वभाव यह है कि इनकी क्षमाशीलता इतनी ज्यादा है कि उससे कोई इन्सान मुकाबला नहीं कर सकता। हर हमारी गलतियों को वो, माफ करेंगे। वो अगर न करते तो ये दुनिया खत्म हो सकती थी।  क्योंकि उनके अन्दर वो भी शक्ति है जिससे वो इस सृष्टि को नष्ट कर सकते हैं। इतने क्षमाशील होते हुए भी ये शक्ति उनके यहां जागृत है और बढ़ती ही रहती है। इसी शक्ति से जिससे वो क्षमा करते हैं। उसी परिपाक से या कहना चाहिए अतिशयता से फिर वो इस संसार को नष्ट भी कर सकते हैं।  तो पहले तो हमें उनकी क्षमाशीलता सीखनी चाहिए। छोटी-छोटी चीजों को लेकर के हम झगड़ा करते हैं छोटी-छोटी बातों पर हम झगड़ा करते हैं। पर Read More …

Guru Purnima Puja: What is our duty? Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूर्णिमा पूजा, कबेला लिगुरे (इटली), 24 जुलाई 2002 यह बहुत ही रोचक है कि जिस तरीक़े से आपने पता लगाया कि, आज असली गुरु पूर्णिमा है। पूर्णिमा वह दिन है जब चंद्रमा पूर्ण होता है। मुझे यह पता था, लेकिन सहजयोगियों के लिए हमें शनिवार, रविवार, सोमवार – शुक्रवार, शनिवार, रविवार की व्यवस्था करनी होती है। चाहे वह तारीख़ पर हो या ना हो, हमें इसकी व्यवस्था करनी होती है । तो उस मामले में, यह इस समय दो दिन पहले था शायद, हमने व्यवस्था की, ठीक है  इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। आख़िरकार, चंद्रमा हमारे लिए है और हम चंद्रमा के लिए हैं, इसलिए यह कुछ ऐसी चीज़ नहीं हो सकती है जो इसमें बहुत ग़लत होगी। गुरु सिद्धांत के बारे में मैं आपको पहले ही बहुत बता चुकी हूँ। गुरु सिद्धांत में, हमने इस पृथ्वी पर आए लोगों को देखा है। वे सब अधिकतर  जन्मजात साक्षात्कारी थे, वास्तव में, और उन्होंने कभी  साक्षात्कार नहीं दिया किसी को –  एक बहुत बड़ा अंतर है। वे सब  जन्मे थे साक्षात्कारी  आत्माओं की भाँति  और वे सूफ़ी हो गए और उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है किन्तु उन्हें साक्षात्कार नहीं दिया गया, उनके पास था, और उनके आत्म- साक्षात्कार के कारण, जैसा कि उनके पास था, उनके पास इतना ज्ञान है और वही जो उन्होंने प्रयास किया लोगों को देने का । वे चक्रों के बारे में सब कुछ जानते थे, वे जानते थे,  उनके पिछले जीवन की उपलब्धियों के कारण वे जानते थे , शायद उनमें से कुछ Read More …

Adi Shakti Puja: Use Your Right Side For Giving Realization Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्री आदि शक्ति पूजा, काबेला लिगुरे इटली, 2002 यह एक अलग दिन है, पूर्ण रूप से, आप सब के लिए क्योंकि यह पूजा है आदिशक्ति की और आदिशक्ति एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है। यह केवल बायाँ पक्ष नहीं  है जिसे आप जानते हैं। आप सभी केवल बायाँ पक्ष जानते हैं, श्री गणेश से, भिन्न-भिन्न चक्रों  के उत्थान से बायीँ नाड़ी में। मैं आपको बताना नहीं चाहती थी दाएँ पक्ष के बारे में, शुरुआत में, क्योंकि जो लोग दाएँ पक्ष से गुजरे हैं, वे बस खो गए। उन्हें गायत्री मंत्र मिला ग्रन्थों से, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह किस बारे में है, वे बस इसे रटते थे। वे इसका वास्तविक अर्थ भी नहीं जानते थे, और इसी तरह वे चले गए दाहिनी ओर और, मुझे नहीं पता, वे अटक गए आज्ञा पर; और फिर वे प्रयास कर रहे थे आत्म-साक्षात्कार के लिए। उन्हें भरोसा दिया गया था कि यदि आपने यह दायाँ पक्ष सही से किया तो आप पहुँच जायेंगे अंतिम लक्ष्य तक आत्म साक्षात्कार के। परन्तु उनमे से कोई भी वहां नहीं पहुँचा। उनमें से अधिकांश भयानक क्रोध में आ गए, भयानक क्रोध दूसरों को श्रापित करने का, दूसरों को नष्ट करने का। यह सारी बातें उन्होंने सीखीं अपने दाएँ पक्षीय आंदोलन से। कुण्डलिनी की जागृति नहीं थी, और उन्हें पहुँचाया गया ज़्यादा से ज़्यादा आज्ञा चक्र तक, और फिर उनका पतन हो गया पूर्ण अज्ञानता के भिन्न स्थानों में। ये सारी पुस्तकें लिखी गयी थीं बिना समझ के कि दाएँ पक्ष से हो कर जाना सरल नहीं है Read More …

Sahasrara Puja: Watch Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

Sahasrara Puja Talk Cabella, Italy 2002-05-05  आज एक बहुत महान दिवस है, मुझे कहना चाहिए, सहस्रार मनाने के लिए, सहस्रार की पूजा। यह बहुत ही अद्वितीय बात है, जो घटित हुई है, कि आपके सहस्रार खोले गए। ऐसे कुछ बहुत ही कम लोग थे, इस पूरे विश्व में। उसमें कुछ सूफ़ी थे, कुछ संत थे। उसमें कुछ और लोग भी थे चीन इत्यादि में। परन्तु बहुत कम, बहुत कम अपने सहस्रार खोल पाए। इसलिए जो कुछ भी उन्होंने कहा, या लिखा, वह कभी लोगों द्वारा समझा नहीं गया। उन्होंने वास्तव में उन्हें सताया। उन्होंने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया। और सभी प्रकार की भयानक चीज़ें कीं, क्योंकि वे सहन नहीं कर सकते थे, कि किसी को यह आत्मसाक्षात्कार मिला रहा है। इसलिए, यह बहुत ही महान दिवस है, क्योंकि सामूहिक रूप से यह सहस्रार खोला गया है। आप में से हर एक को यह मिल गया है। साथ ही विश्व भर में, आपके यहाँ कई लोग हैं जिन्होंने अपने सहस्रार खोले हैं। निश्चित रूप से, हमें और भी अधिक की आवश्यकता है, उन्हें समझाने के लिए, कि क्या है यह महान घटना, सहस्रार का इस तरह से सामूहिक रूप से खोला जाना।  कुछ बहुत अधिक बढ़ गए हैं, अपना आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद, बहुत अधिक। उन्होंने सहज योग को बहुत अच्छी तरह से समझा है। और उन्होंने अपनी गहराई को विकसित किया है, और उनकी चेतना वास्तव में एक बहुत बड़ी जागरूकता है, ईश्वर के साथ एकाकारिता की। ईश्वरीय शक्ति से एकाकार होना मनुष्य के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। अब Read More …

Guru Puja: Introspection, Love & Purity Campus, Cabella Ligure (Italy)

2001-07-08 गुरु पूजा टॉक: आत्मनिरीक्षण, प्रेम और पवित्रता, केबेला,इटली, डीपी  आप नहीं जानते कि आपकी माँ को कैसा लगता है इतने सारे लोगों को देख कर जो वास्तव में स्वयं गुरु बन गए हैं वे सत्य को ख़ोज  रहे हैं एक बहुत ही कठिन समय में। वे जानना चाहते रहे हैं कि सत्य क्या है। और यह मुश्किल समय, स्वयं, सहायक रहा है आपके दिमाग पर कार्रवाई करने के लिए कि इस विश्व में क्या हो रहा है, हम अपने आस-पास जो कुछ भी देख रहे हैं, पूरे विश्व में भी, निश्चित रूप से वहाँ कुछ बहुत अनुचित है और हमें उससे आगे जाना होगा।  ढूँढ़ने में, एक बात बहुत महत्वपूर्ण है, कि व्यक्ति के पास इसके बारे में महान लगन होनी चाहिए । और अनकहे दुखों से भी आपको गुज़रना होगा। ढूँढ़ना है जब अपने भीतर भी आप संघर्ष कर रहे हैं और बाहर भी आपको कुछ भी संतोषजनक नहीं मिल रहा । इस तरह ढूँढ़ने में दोहरी तीव्रता है। उस ढूँढ़ने में, जब आप प्रयास कर रहे हैं सत्य तक पहुँचने की, ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही कठिन बात है । लेकिन आप लाचार हैं, क्योंकि आप संतुष्ट नहीं हैं उस से जो आप के आसपास विद्यमान है । आज विश्व को देखिए, यह संघर्ष से भरा है । हर तरह के झगड़े हैं यहाँ। लोग तुच्छ चीज़ों के लिए लड़ रहे है-भूमि के लिए; मनुष्यों की हत्या कर रहे हैं । भूमि, क्या यह मनुष्य बना सकती है? वे बहुत ही सामूहिक तरीके से Read More …

Shri Ganesha Puja: Your innocence will save this world Campus, Cabella Ligure (Italy)

2000-09-16 श्री गणेश  पूजा टॉक,  केबेला,इटली, डीपी आज, हम यहाँ एकत्र हुए हैं गणेश पूजा करने के लिए। मैं भली-भांति जानती हूँ कि गणेश  प्रतीक हैं पवित्रता के, निर्मलता के और पूजा करने के लिए अबोधिता की । जब आप श्री गणेश की पूजा कर रहे होते हैं तो आप को पता होना चाहिए कि वह अवतार हैं अबोधिता का । मैं जानने के लिए उत्सुक हूँ कि हम ‘ अबोधिता ‘ का अर्थ समझते हैं या नहीं । अबोधिता एक गुण है, जो अंतर्जात है, जिसे बलपूर्वक स्वीकार नहीं कराया जा सकता है, जिसमें प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है । यह केवल एक गुण है, सहज गुण, एक मानव के भीतर। जब वह श्री गणेश का अनुयायी बन जाता है तो वह एक अबोध व्यक्ति बन जाता है। हो सकता है कि आप कहें कि अबोध व्यक्तियों पर चालाक लोगों द्वारा आक्रमण किया जाता है, आक्रामक लोगों द्वारा, किन्तु अबोधिता इतनी महान बात है कि इसे नष्ट नहीं किया जा सकता है। यह गुण है आत्मा का । अबोधिता आत्मा का गुण है; और जब यह आत्मा आपके भीतर जागृत हो जाती है, तो आपको अबोधिता की शक्ति मिलती है, जिसके द्वारा आप उन सभी चीज़ों पर विजयी होते हैं जो नकारात्मक हैं, वो सब जो अनुचित है, वो सब जो हानिकारक है आपके विकास के लिए, आध्यात्मिक समझ के लिए। इसलिए अबोध होना संभव नहीं है । आपको अबोध होना होगा, इस अर्थ में कि आप अंतर्जात रूप से अबोध हैं । यह होता है सहज योग Read More …

Talk after Sahasrara Puja: Penetrate Your Attention Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहस्त्रार पूजा के बाद की बात “अपना चित्त प्रविष्ट करें “,  कैबेला  लिगुरे, इटली, 7 मई 2000 यह एक अद्भुत विचार था मेरा  चित्त जीवन के  इन सभी क्षेत्रों पर केंद्रित करना, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं  और जैसा कि , मेरा उन सभी पर चित्त है और मैं इन सभी की परवाह करती हूँ लेकिन मैं कहूँगी की अब आप सभी लोगों को इस पर अपना चित्त रखना है क्योंकि वह आप हैं  जो इसके बारे में कुछ कर सकते हैं । आप प्रकृति के साथ शुरू कर सकते हैं जैसा कि कहा गया है कि हमें प्रकृति के प्रति दयालु होना होगा । हमें ऐसी समस्याएं हो रही हैं । लोग पेड़ों को काट रहे हैं, हर प्रकार का कार्य  कर रहे हैं यह सोचे बिना कि यह हमारी संतति के लिए हैं,  जो मरुभूमि बन जाएगी। तो, उसी प्रकार, सभी  के लिए, अपने फल और कृषि के लिए, चैतन्य वास्तव में बदल सकता है। हमारे बगीचे में आपको विश्वास नहीं होगा, एक  पिअनी (बड़े लाल फूल) थे बस इस तरह का, इस से भी बड़ा है, बहुत बड़ा है । हमने ऐसा फूल कभी नहीं देखा। हमारे पास ट्यूलिप के फूल भी उतने ही बड़े थे । मैंने अपने जीवनकाल में इस तरह के ट्यूलिप फूल नहीं देखे है । चैतन्य के साथ आप हर जगह सुधार कर सकते हैं। आप जाकर किसी राजनेता से मिलते हैं, या फिर किसी राजनीतिक दल में जाते हैं, तो आप अपने हाथों का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें हर समय बंधन Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 5th March 2000: Place Pune: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] शिवजी को आप लोग मानते हैं और धीरे-2 वो नष्ट होते जाते हैं। धीरे धीरें वी उनकी बड़ी पूजा अर्चना होती है। लेकिन शिवजी के गुणधर्म आप जानते नहीं, इसलिए बहुत बार सांत्वना करने वाले हैं। हमको शांति देने वाले आपसे गलती हो हैं। और जब स्वरूप जो है वो आनंद स्वरूप है। सूक्ष्म सं शिवजी की शक्ति और विष्णु की शक्ति जैसे समाप्त होते जाते हैं। पर शिवजी जो हैं ये हमारी जाती है। शिवजी का विशेष और हमको आनंद देने वाले ये आनंद उनका सब तरफ छाया रहता है। कि कुण्डलिनी और नाड़ी, इन दोनों का मेल हो जाता है तब आपको केवल सत्य मिलता तेक आपमें नहीं आएगी आप उसे देख नहीं है। केवल सत्य। जैसे की उस सत्य को कोई सुषुम्ना सूक्ष्म लेकिन उसको आकलन करने की शक्ति जब पाएंगे और समझ नहीं पाएंगे। वो हर चीज़ में विराजमान है। हर चीज़ में एक तरह से आनंदमय, सकते क्योंकि वो पूर्णतया सत्य है। आप अपने कहना चाहिए कि एक आनंदमय सृष्टि तैयार अंगुलियां पर अपने हाथ पर भी उसे जान सकते करते हैं और उस सृष्टि में विचरण करते हुए आप किसी भी तरह से अस्वीकार्य नहीं कर हैं। अनेक तरह के अनुभव आपको आएंगे आप देखते हैं कि आप भी कुछ और ही हो जिससे आप समझ जाएंगे कि एकदम सत्य जो गए। दूसरे लोगों को जिस चौज़ में आनंद आता है उसमें असत्य की छटा Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 1999 Date : Place Delhi Type Puja : Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप लोगों का ये प्यार देखकर के मेरा इस प्रकार कि आप ध्यान करें, सुबह-शाम। तो हृदय भर आया है और ये सोचकर कि प्यार आपके अन्दर के जो बुरे विचार हैं, जिससे आप कितनी बड़ी शक्ति है. इससे लोग इतने आकर्षित ईष्ष्या करते हैं और क्रोधित होते हैं और छोटी-छोटी होते हैं और आनन्दित होते हैं। ये बड़ी आश्चर्य बात पे बुरा मान जाते हैं. ऐसे सारे विचार खत्म की बात है। इस कलियुग में प्यार का महात्मय हो जाएंगे। उसके बाद बच क्या जाता है। निर्मल प्रेम। इस प्रेम से आप सारे संसार को एक नया इतना तो किसी ने नहीं देखा होगा मैं सोचती हूँ कि इसको देखकर के आप सभी लोग अपना जीवन दे सकते हैं। घ्यार बढ़ाना सीखें। यो चीज़ बहुत आसान है। वो परमात्मा आपको आशीर्वादित करें ন [Hindi translation from English, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] से अपने प्रम का प्रदर्शन करना ही हिन्दी प्रवचन में मैन बताया, एक व्यक्ति प्रकार के प्रेम की अभिव्यक्ति आप यहाँ बहुत सी सर्वोत्तम है। आँखो में देख सकते हैं। आपके उत्साह को मैं एक उदाहरण दूँगी जिसे पहले भी देखकर मेरा हृदय प्रेम से भर गया, महान प्रेम बहुत बार दें चुकी हूँ। एक वार में गगनगिरी से। तो हम देख सकते हैं कि बह प्रेम कितना महान है! यदि आप सच्चे हदय से सुबह शाम ध्यान करें तो सभी प्रकार Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 14th February 1999: Place Delhi: Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] पहले मैं हिन्दी भाषा में बोलूँगी फिर सोपान मार्ग बना हुआ है. जिसे हम सुषुम्ना नाड़ी अंग्रेजी में आज हम श्री महादेव, शिवशंकर की पूजा करने के लिए एकत्र हुए हैं। शंकर जी के नाम से अनेक व्यवस्थाएं दुनिया में हो गईं। आदिशंकराचार्य के प्रसार के कारण शिवजी की शिव की, और जो रास्ता है वो विष्णु का पूजा बहुत जोरों में मनाने लग गए और दक्षिण में तो दो तरह के पंथ तैयार हो गए एक जिसको शैव कहते हैं और दूसरे जो वैष्णव कहलाते हैं । अब शैव माने शिव को मानने वाले और वैष्णव अपनी जगह बैठे हैं, जिसको आना है आए, नहीं जो विष्णु को मानने वाले। अपने देश में, विभाजन करने में हम लोग बहुत होशियार हैं। भगवान के भी विभाजन कर डालते हैं और फिर जब चाहिए और उसके लिए जो उसको एकत्रित करना चाहते हैं तो और उसका विद्रुप रूप निकल कहते हैं, जो मध्य मार्ग है, वो विष्यु का मार्ग है और उस मार्ग से ही हम शिव तत्व पे पहुँचते हैं तो जो मंजिल है वो है शिव तत्व की, बनाया हुआ है इस रास्ते को बनाने में विष्णु ने और आदिशक्ति ने मेहनत की है, इसमें शिवजी का कोई हाथ नहीं, बो तो आराम से |कॉ आना है नहीं आए। सो इस शिव तत्व को प्राप्त करने के लिए हमें इसी विष्णु मार्ग से जाना अनेक Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja. Ganapatipule (Maharashtra, India), 24 December 1998. First, I’ll speak in English and then in Hindi. Today, long time back, Christ was born. You all know the story of His birth, and of all the sufferings He had to go through. He’s the One who has given us the model of Sahaja Yoga. For He didn’t live for Himself, in no way, but He lived for others, working out the Agnya Chakra. You may be Divine, you may be very powerful, but this world is so cruel that they don’t understand spirituality, they don’t understand the spiritual greatness. Not only that, but they are many factors which attack spirituality, they have always done it. Every saint has suffered a lot, but I think Christ has suffered the most. As you know, He was endowed with all the powers of Shri Ganesh, as He is the reincarnation of Shri Ganesha. The first of them was His innocence: He was the eternal child, we should say that He could not understand the cruelty and the hypocrisy of this stupid world. Still if you can understand, what can you do about it? But with great courage, He took birth in a country where people had no idea of spirituality. I read a book about Him, saying that He came to Kashmir, where He met one of My forefathers Shalivana. It’s very interesting, because it is all in Sanskrit, and the writer perhaps did not know Sanskrit, so he has given everything in Sanskrit language, which is Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

नैतिकता और देशभक्ति दिल्ली, १८/१२/१९९८ सत्य को शोधने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार! हम सत्य को खोज रहे हैं किंतु कौन सी जगह खोजना चाहिए? कहाँ खोजना चाहिए? कहाँ ये सत्य छुपा हुआ है? ये पहले समझ लेना चाहिए। आप देखते हैं कि परदेस से हजारों लोग हर एक देश से यहाँ आते हैं और उनसे पूछा जाये कि, ‘तुम यहाँ क्यों आयें?’ तो कहते हैं कि, ‘हम यहाँ सत्य खोजने आयें हैं, हमारे देश में तो सत्य नहीं लेकिन भारत वर्ष में तो सत्य है। ये समझ कर के हम यहाँ आयें हैं। और इस सत्य की खोज में हम हर साल हजारों लोग इस देश में आते हैं और हजारों वर्षों से इस देश में आते हैं। आपने सुना ही होगा कि इतिहास में चायना से और भी कई देशों से लोग यहाँ आते थे। और उनको पता नहीं कैसे मालूम था कि इस देश में ही सत्य नेक है, छुपा हुआ है। और उसकी खोज में वो गिरीकंदरों में घूमते थे । हिमालय पर जाते थे। हर तरह का प्रयत्न करते थे कि किसी तरह से हम सत्य को खोज लें क्योंकि वो किसी भी धर्म का पालन करते हैं। लेकिन वो जानते थे कि इस धर्म पालन से हमें सत्य नहीं मिलने वाला है। ये एक तो मार्गदर्शक है। जैसे रास्ते पर इशारे पर लिखा जाता है कि ये रास्ता है। किंतु इससे हम पाते हैं इसलिए इस अधूरेपन से परेशान होकर के वो इस भारतवर्ष में आते थे। अब ये सत्य हमारे देश Read More …

Adi Shakti Puja: You Must Develop Humility Campus, Cabella Ligure (Italy)

१९९८- ०६ -२१, आदिशक्ति पूजा, कबैला, इटली                  आपको विनम्रता विकसित करनी होगी कारण कुछ भी हो, रूस के लोग खुले विचारों वाले होते हैं। इतना ही नहीं, विशेष रूप से वैज्ञानिक बहुत ही खुले विचार वाले हैं। और पहले उन्हें बहुत दबाया जाता था, इसलिए उन्होंने सूक्ष्मतर चीज़ों को खोजने का प्रयत्न किया। वह न केवल रसायनों के विषय या प्रकाश के कुछ भौतिक गुणों के बारे में पता लगा रहे थे बल्कि वह सूक्ष्मतर की ओर जाना चाहते थे और उन्होंने पहले से ही भौतिक आभा के विषय में गहन ज्ञान प्राप्त किया था – हाथों के चारों ओर की आभा और शरीर के आस-पास की आभा। उन्होंने बहुत शोध किया और उनकी खोज को विश्व भर में स्वीकार किया गया। अब यह सज्जन एक विशेषज्ञ थे, मुझे लगता है, क्योंकि वह एक बहुत ही जाने-माने, अत्यंत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और वह बहुत ऊँचे पद पर हैं। वह कह रहे थे कि उन्हें 150 संस्थाएँ चलानी पड़ती हैं – अति विनम्र और बहुत अच्छे व्यक्ति। और जब उन्होंने यह खोज की तो मैं एक प्रकार से प्रसन्न थी, क्योंकि वैज्ञानिक रूप से अगर यह प्रमाणित हो गया, तो कोई भी इसे चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने पहले से ही एक पुस्तक लिखी है जिसमें सभी बीजगणितीय जटिलताओं के बारे में बताया गया है, जिसे वह प्रमाणित करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वहाँ एक शून्य है, चेतना से परे एक शून्य क्षेत्र है। और केवल उस शून्य क्षेत्र में ही आप वास्तविकता को जान सकते हैं और एक बार Read More …

Adi Shakti Puja: Respect the Mother Earth Campus, Cabella Ligure (Italy)

Adi Shakti Puja 1997-05-25 आज हम आदिशक्ति की पूजा करने जा रहे हैं। आदिशक्ति के बारे में बात करना एक कठिन विषय है, क्योंकि यह समझना सरल नहीं है कि आदिशक्ति सदाशिव की शक्ति हैं। सदाशिव सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं। वह उनकी श्वास हैं, जैसा कि कुछ लोग इसे कहते हैं। कुछ कहते हैं कि वह इच्छा हैं और कुछ कहते हैं कि वह सदाशिव की संपूर्ण शक्ति हैं और सदाशिव उनकी शक्तियों के बिना कुछ नहीं कर सकते। इस विषय का वर्णन कई लोगों ने विभिन्न पुस्तकों में भिन्न- भिन्न तरीक़ों से किया है। परंतु वास्तव में हमें जाने की आवश्यकता नहीं है, आदिशक्ति के निर्माण की पृष्ठभूमि में। इसके लिए आपको कम से कम सात भाषणों की आवश्यकता होगी। परंतु हम उस मुद्दे पर आते हैं जब आदि शक्ति ने इस धरती माँ पर कार्य करना आरंभ किया था। पहली बात यह है कि हमें पता होना चाहिए, कि उन्होंने स्वयं धरती माँ में कुंडलिनी का निर्माण किया और उन्होंने धरती माँ में से ही श्री गणेश का सृजन किया, यह बहुत ही रोचक है। इसलिए धरती माँ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण  बन जाती हैं। यदि हम नहीं जानते कि धरती माँ का सम्मान कैसे किया जाए, तो हम नहीं जानते कि हमें स्वयं का सम्मान कैसे करना चाहिए। कुंडलिनी आपके भीतर आदि शक्ति की अभिव्यक्ति है, निःसंदेह। वह आप में आदिशक्ति का प्रतिबिंब है। परंतु धरती माँ में भी यह प्रतिबिंब व्यक्त किया गया है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, विभिन्न स्थानों में, विभिन्न देशों में, विभिन्न Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja Date 21st March 1997 Delhi Place : Type Puja : Hindi & English आप सबको अनन्त आशीर्वाद | जब सब दुनिया सोती है तब एक सहजयोगी जागता है और जब सब दुनिया जागती है तो सहजयोगी सोता है। इसका मतलब ये होता है कि जिन चीज़ों की तरफ सहजयोगियों का रुख है उस तरफ और लोगों का रुख नहीं । उनका रुख और चीज़ों में है। किसी न किसी तरह से वो सत्य से विमुख हैं, मानें किसी को पैसे का चक्कर, किसी को सत्ता का चक्कर, न जाने कैसे-कैसे चक्कर में इंसान घूमता रहता है और भूला-भटका, सत्य से परे, उसकी ओर उसकी नज़र नहीं है। कोई कहेगा कि इसका कारण ये है, उसका कारण ये है कोई न कोई विश्लेषण कर सकता है। पर मैं सोचती हूँ अज्ञान! अज्ञान में मनुष्य न जाने क्या-क्या करता है। एक तरह का अंधकार, घना अंधकार, छा जाता है। जैसे अभी यहाँ अगर अंधकार हो जाए तो न जाने भगदड़ मच जाए, कुछ लोग उठकर भागना शुरु कर दें, कितने लोगों को गिरा दें, उनके ऊपर पाँव रख दें, उन्हें चोट लग जाए। कुछ भी हो सकता है। इस अंधकार में हम लोग जब रहते हैं तब हमारी निद्रा अवस्था है। लेकिन हम जब जागृत हो गए, जब कुण्डलिनी का जागरण हो गया और जब आप सत्य के सामने खड़े हो जाते हैं तो सत्य की महिमा का वर्णन कोई नहीं कर सकता। मैंने पूछा किसी से, ‘भई, सहज में तुम्हें क्या मिला?’ बोले, ‘माँ, ये नहीं बता सकते पर Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 16th March 1997 : Place Delhi : Type Puja Hindi & English [Orignal transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग शिवजी की पूजा करने जा भी चीज का महत्व नहीं रह जाता। रहे हैं। शिवजी के स्वरूप में एक स्वयं साक्षात अब शंकर जी की जो हमने एक आकृति सदाशिव हैं और उनका प्रतिबिम्ब शिव स्वरुप है। देखी है, एक अवधूत, पहुँचे हुए, एक बहुत कोई ये शिव का स्वरूप हमारे हृदय में हर समय औलिया हो, उस तरह के हैं। उनको किसी चीज़ आत्मस्वरूप बन कर स्थित है। ये मैं नहीं कहूँगी की सुध-बुध नहीं, बाल बिखरे हुए हैं, जटा जूट बने कि प्रकाशित है जब कुण्डलिनी का जागरण होता हैं। कुछ नहीं, तो बदन में कौन से कपड़े पहने हुए हैं, क्या कहें, इसका कोई विचार नहीं। ये सब है तो ये शिव का स्वरूप प्रकाशित होता है और वो हुए प्रकाशित होता है हमारी नसों में। चैतन्य के लिए काम उन्होंने नारायण को, विष्णु को दे दिया है। वे कहा है ‘मेदेस्थित’, प्रथम ‘इसका प्रकाश हमारे स्वयं मुक्त हैं। व्याघ्र का च्म पहन कर घूमते ह मस्तिष्क में, पहली मर्तबा हमारे हृदय का और और उनकी सवारी भी नन्दी की है जो किसी तरह हमारे मस्तिष्क का योग घटित होता है। नहीं तो से पकड़ में नहीं आ सकते। कोई घोड़े जैसा नहीं सर्वसाधारण तरह से मनुष्य की बुद्धि एक तरफ कि उसमें कोई लगाम हो, जहाँ नन्दी महाराज और उसका मन दूसरी तरफ दौड़ता है। योग जायें वहाँ शिवजी Read More …

Christmas Puja: The Mother’s Culture Ganapatipule (भारत)

आज, हम उत्सव मना रहे हैं ईसा मसीह के जन्म का। ईसा मसीह का जन्म बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि उनका जन्म इस तरह से हुआ था कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी ऐसे पैदा नहीं होगा, एक अस्तबल में! और उन्हें उस बिस्तर में लिटा दिया गया जो सूखी घास से बना थाl  वह इस धरती पर आए लोगों को दिखाने के लिए कि, जो व्यक्ति अवतरण है, या जो एक उच्च विकसित आत्मा है, उसे शरीर के आराम की चिंता नहीं है। उनका संदेश इतना महान और इतना गहरा था, परन्तु उनके शिष्य थे जो तैयार नहीं थे उस युद्ध के लिए जो उन्हें लड़ना था। यही चीज़ कभी-कभी सहजयोग के साथ भी घटित होती है। उनके केवल 12 शिष्य थे, हमारे पास भी 12 प्रकार के सहजयोगी हैं, और वह सब, हालांकि प्रयास करते हैं स्वयं को ईसा मसीह के प्रति समर्पित करने का, जाल में फंस जाते हैं, उनमें से कुछ, सांसारिक आकांक्षाओं के या अपनी स्वयं की लालसाओं के।  उनका प्रेम और क्षमा का संदेश आज भी वैसा ही है। सभी के द्वारा प्रचारित किया गया, सभी संतों, सभी अवतरणों, सभी पैगम्बरों द्वाराl उन सभी ने प्रेम और क्षमा के बारे में बात की है। यदि इसे चुनौती दी गई या लोगों को लगा कि यह काम नहीं करेगा, तो उनसे कहा गया, वे विश्वास करें उनकी कही बातों पर। परन्तु वे साधारण लोग थे, उन दिनों में, इसलिए उन्होंने उनकी बात मानी। उनमें से कुछ निश्चित रूप से बहुत अच्छे थे, उनमें से कुछ आधे Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: We have to live like one family Moscow (Russia)

Shri Mahalakshmi Puja. Moscow (Russia), 16 July 1996. आज रात, हम अपने अन्तनिर्हित लक्ष्मी तत्व की पूजा करने जा रहे हैं।लक्ष्मी धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की देवी हैं। वास्तव में आपका देश पहले से ही धन्य है, क्योंकि आपके पास यहां बहुत सारी चीज़ें  हैं। सबसे पहले, इस देश में इतनी अधिक मात्रा में पेट्रोल है और अगर खोज की जाए तो यहाँ और बहुत अधिक है। फिर दूसरी बात, आपके यहाँ सुंदर लकड़ी है। फिर तीसरा, आपके यहाँ प्रचुर मात्रा में स्टील, बहुत अधिक मात्रा में स्टील, बहुत अच्छा स्टील है। इसके अलावा आपके पास हीरे हैं। इतनी सारी चीज़ें आपके पास हैं, इसके अलावा आपके पास इतना बड़ा हृदय है। आपके पास सोना भी है। अतः इस देश में ये सभी चीज़ें प्रचुर मात्रा में हैं। केवल एक बात है कि आपके पास अभी कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो आप लोगों के लिए इसका संचालन करें। मुझे यकीन है कि सब कार्यान्वित हो जायेगा। लेकिन सहज योग में, हमें यह जानना होगा कि यह लक्ष्मी तत्व हमें संतुष्टि की श्रेष्ठ भावना देता है। यदि आपको संतोष नहीं है तो धन सम्पदा की कितनी भी प्रचुरता हो वह आपकी मदद नहीं कर सकती है। व्यक्ति बहुत लालची हो जाता है। आपके पास कुछ है लेकिन आप अधिक और अधिक और पाना चाहते हैं और इसके लिए व्यक्ति सभी प्रकार के तरीकों और उपायों को अपनाता है। इस प्रकार आपके यहाँ, एक बहुत बुरा माफिया प्रणाली है, जो बहुत लालची हैं। सहजयोगियों के लिए यह समझना आवश्यक है कि Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 20, 1995 अपने ही जन्मदिन में क्या कहा जाए? जो उम्मीद नहीं थी वो आप इतने लोग सहजयोग में आज दिल्ली में बैठे हुए हैं, इससे बढ़कर एक माँ के लिए घटित हो गया है। और कौन सा जन्म दिन हो सकता है? आप लोगों ने आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त किया है, ये भी आप का जन्मदिन है। एक महान कार्य के लिए आप लोग तैयार हुए हैं। और ये महान कार्य आज तक कभी हुआ नहीं। उसके आप संचालक हैं । इससे बढ़कर और मेरे लिए क्या सुख का साधन हो सकता है? कभी सोचा भी नहीं था कि अपने जीवन में ही इतने आत्मसाक्षात्कारी जीवों के दर्शन होंगे और इतना अगम्य आनन्द उठाने को मिलेगा। एक वातावरण की विशेषता कहें जिसमें कि आज आप देख रहे हैं कि मनुष्य एक भ्रांति में घूम रहा है। एक तरफ विदेश की ओर नज़र करने पर ये समझ में आता है कि ये लोग एकदम ही भटक गए हैं। वहाँ पर नैतिकता का कोई अर्थ ही नहीं रहा। अनीति के ही रास्ते पर चलना, अग्रसर होना वो बड़ी बहादुरी की चीज़ समझते हैं और सीधे नरक की ओर उनकी गति है। इस गतिमान प्रवृत्ति को रोकना बहुत ही कठिन काम है, लेकिन वहाँ भी ऐसे अनेक हीरे थे जिन्होनें सोचा कि बाहर आएँ। 6. दूसरी तरफ हम जब देखते हैं तो बुरी तरह से कठिन परिस्थितियाँ बनाई गई हैं, मनुष्य के लिए कि आप अपने जीवन को एक कठिन बंधन में बाँध लें कि हम धार्मिक हैं। Read More …

Shri Krishna Puja: Shri Krishna and the Paradoxes of Modern Times & short talk in Marathi Campus, Cabella Ligure (Italy)

  श्री कृष्ण पूजा। कैबेला (इटली), 28 अगस्त 1994 आज हम यहां हैं, श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण अवतार हैं, श्री विष्णु के। और श्री विष्णु वह है, जो इस ब्रह्मांड के संरक्षक है। जब इस पूरी दुनिया  को बनाया गया था, तब यह आवश्यक था, एक संरक्षक बनाना भी।  नहीं तो यह दुनिया  नष्ट हो गई होती और पूरी तरह से अगर इस दुनि को,बिना किसी संरक्षक के, अकेला छोड़ दिया जाता तो, जिस प्रकार इंसान की प्रवर्ति हैं, तो शायद वह इस दुनिया को कुछ  भी कर  सकते थे ।   परंतु , इसलिए, विष्णु संरक्षक हैं । वह संरक्षक हैं और केवल वह ही एक अवतार हैं। बेशक, कभी-कभी ब्रह्म देव ने भी अवतार लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने केवल रूप धारण किया, हमारी विकास प्रक्रिया में, वो अलग-अलग रूप ले चुके है। वह  (श्री विष्णु ) इस धरती पर आए,अलग-अलग तरीकों से.  लेकिन फिर भी वह जैसा कि आप कहते हैं, बारह – बारह तक श्री राम थे और दस के माध्यम से वह वहाँ थे। इसलिए, उन्होंने खुद के आसपास कई महान पैगम्बरों का एक वातावरण भी बनाया ताकि वे इस ब्रह्माण्ड में धर्म की रक्षा कर सके।  तो, संरक्षण का आधार धर्म था, जो, जैसा कि आप जानते हैं, आध्यात्मिक जीवन की सबसे महत्वपूर्ण, मुलभूत नींव है। और इस धर्म में, जो भी महत्वपूर्ण चीज स्थापित की जानी थी, वह था संतुलन क्योंकि लोगों को किसी भी चीज के चरम में जाने की आदत थी ।  इसलिए, Read More …

Adi Shakti Puja: She is the Mother Campus, Cabella Ligure (Italy)

आज आप सभी ने आदि शक्ति की पूजा करने का निर्णय लिया है। कुंडलिनी शक्ति या आदि कुंडलिनी और आदिशक्ति की पूजा करने में फ़र्क़ है, अंतर इस प्रकार है, एक ओर कुंडलिनी आप में आदि कुंडलिनी के द्वारा प्रतिबिंबित हैं; दूसरी ओर आदि शक्ति की शक्ति है, जो परम चैतन्य हैं तो समग्रता में अगर आप देखे तो इसके दो पहलू हैं। एक है परम चैतन्य के रूप में उसकी शक्ति  और उसके साथ ही मनुष्य में कुंडलिनी के रूप में उसका प्रतिबिंब। तीसरा कार्य जो आदि शक्ति को करना था वह इस पूरे ब्रह्मांड की रचना करना । शुरुआत के लिए जैसा आपने कल भी देखा कि ब्रह्मांड कैसे बनाया गया था  और फिर कैसे धरती माँ के इस विशेष ग्रह को बनाया गया।  अब मैंने आपको एडम (नर) और ईव (मादा) के बारे में जो बताया है, हमने पाया है कि जॉन ने अपनी किताब ज्ञानशास्त्र में भी कहा है।  यह बहुत आश्चर्यजनक है।  मैंने हमेशा आपको बताया है कि ईसा मसीह ने आपको बहुत सी बातें बताई होंगी, लेकिन वे बाइबिल में नहीं हैं। इसलिए यदि आप समझते हैं कि यह आदि शक्ति एक सर्प के रूप में आई हैं, तो आदि कुंडलिनी उसका हिस्सा है, और एडम और ईव से कहा, विशेष रूप से ईव से कि उसे ज्ञान का फल खाने के लिए कहना चाहिए। और इसका कारण जो मैंने दिया वह वहां लिखा है मैंने आपको बिलकुल वही दिया है क्योंकि मातृ शक्ति, नारी शक्ति नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे जानवरों की Read More …

Shri Ganesha Puja New Delhi (भारत)

Shri Ganesha Puja. Delhi (India), 5 December 1993. आज हम श्री गणेश पूजा करने है | इस यात्रा की शुरूआत हो रही है और इस मौके पर जरूरी है कि हम गणेश पूजा करें खासकर दिल्ली में गणेश पूजा की बहुत ज्यादा जरूरत है। हालांकि सभी लोग गणेश के बारे में बहुत कम जानते हैं। और क्योंकि महाराष्ट्र में अष्ट विनायक हैं और महा गणपति देव तो गणपति पूले में हैं। इसलिए लोग गणेश जी को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या है? गणेश जी हें क्या? इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अब जो भी बात हम आपको बता रहे हैं यह सहजयोगी होने के नाते आप लोग समझ सकते हैं। आम दुनिया इसे नहीं समझ सकती। एक हद तक आम दुनिया, विशेषकर बढ्धि परस्त लोग सहजयोग को देख सकते हैं। किन्तु इस योग के घटित होने में कोई देवी देवता मदद करते है ये नहीं मानते और परमचैतन्य को भी अनेक तरह के नाम दे कर के वो समझाते है की ये कॉस्मिक एनर्जी है | पता नहीं लोग समझते है या नहीं |सबसे पहले इस पृथ्वी की रचना होने से पहले समझ लीजिये परमात्मा ने यही सोचा आदिशक्ति ने यही सोचा इस पृथ्वी पर पवित्रया आना चाहिए पवित्रत्रता आणि चाहिए | और पवित्ररता जब यहाँ फ़ैल जाएगी उसके बाद सृष्टि में चैतन्य चारो और कार्यान्वित हो जायेगा जैसे समझ लीजिये परमचैतन्य चारो और फैला हुआ है लेकिन उसका असर तो तभी आता है जब आपके अंदर पवित्ररता आती है अगर आपके अंदर पवित्रता Read More …

Guru Puja: Gurus who belong to the collective Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, काबेला लंक (इटली), 04 जुलाई 1993. आज हम गुरु पूजा करने जा रहे हैं। वैसे मैं आपकी गुरु हूं। परंतु मुझे कभी-कभी लगता है कि एक गुरु की धारणा मुझसे अलग है। आम तौर पर, एक गुरु बहुत ही सख्त व्यक्ति होता है और किसी भी प्रकार का धैर्य नहीं रखता है। यहां तक ​​कि, उदाहरण के लिए संगीत: भारत में संगीत सिखाने वाले गुरु हैं; इसलिए, सभी नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाना चाहिए। मैं इन महान संगीतकार, रविशंकर के बारे में जानती हूं। हम मैहर गए थे जहां वह आए थे और उनके गुरु, अलाउद्दीन खान साहब मेरे पिता का बहुत सम्मान करते थे। तो, उन्होंने उनसे पूछा, “तुम कुछ क्यों नहीं बजाते?” तब उन्होंने उस समय उन्हें कुछ भी नहीं बताया। तब उन्होंने यहां एक बड़ी सूजन दिखायी। उन्होंने कहा, “सर, क्या आप इसे देख पा रहे हैं?” उन्होंने कहा, “क्या?” “मेरा अपना तानपुरा उन्होंने मेरे सिर पर तोड़ दिया, क्योंकि मैं सुर से थोड़ा बाहर था।” अन्यथा, वह बहुत अच्छे आदमी थे, मेरे विचार में; मैं अलाउद्दीन खान साहब को जानती थी  परंतु जब  यह सीखने की बात आयी, तो यह एक परंपरा है जो मुझे लगता है, कि आपको सभी प्रकार के नियमो को छात्रों के सामने रखना होगा, परंतु फिर भी छात्र गुरु से चिपके रहेंगे। वे हर समय देखभाल करते हैं। वे गुरु के लिए परेशान हैं, उन्हें यह चीज़ चाहिए, वह दौड़ेंगे, यदि वह ऐसा चाहते हैं, तो वह करेंगे। एक गुरु शिष्य की विभिन्न प्रकार से परीक्षाएँ Read More …

Adi Shakti Puja: The Fruit of Knowledge Campus, Cabella Ligure (Italy)

आदिशक्ति पूजा- 1993-06-06 – कबेला, इटली आज हम सभी पूजा करने जा रहे हैं ‘मेरी’ पहली बार ! पूजा सदा रही है मेरे किसी स्वरूप की, या मेरे अंश की। अब, हमें  बहुत स्पष्ट रूप से जानना होगा कि आदि शक्ति क्या है? जैसा कि हम कहते हैं, यह परमेश्वर की शुद्ध इच्छा है, सदाशिव की। परन्तु क्या शुद्ध इच्छा है, सर्वशक्तिमान ईश्वर की ? यदि आप देखें, आपकी अपनी इच्छाओं को उनका स्त्रोत क्या है? दैवीय प्रेम में से नहीं, किन्तु शारीरिक प्रेम में से, भौतिक प्रेम में से, शक्ति के प्रेम में से । इन सभी इच्छाओं के पीछे प्रेम है। यदि आप किसी चीज़ से प्रेम नहीं करते हैं, तो आप उसकी इच्छा नहीं करेंगे। तो ये सांसारिक प्रकार के प्रेम जो आपके पास हैं,जिनके लिए हम अपना बहुत समय गवाँते हैं, व्यर्थ में। वास्तव में वे आपको संतुष्टि नहीं देते हैं।  क्योंकि वह सच्चा प्रेम नहीं है, जो आपके पास है । बस ‘मोह’ है थोड़े से समय के लिए  और फ़िर आप बस इससे तंग आ जाते हैं और यहाँ से आप कूद जाते हैं किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर । तो आदि शक्ति अभिव्यक्ति हैं परमेश्वर के दिव्य प्रेम की । यह परमेश्वर का शुद्ध प्रेम है और उनके प्रेम में, उन्होंने क्या चाहा? उन्होंने चाहा कि वे मनुष्यों का निर्माण करें जो बहुत आज्ञाकारी होंगे, उत्कृष्ट होंगे, स्वर्गदूतों की तरह होंगे। और यह उनका विचार था, आदम और हौवा को बनाने का। तो, स्वर्गदूतों Read More …

Shri Fatima Puja Istanbul, Mövenpick Hotel Istanbul (Turkey)

                                      श्री फातिमा पूजा इस्तांबुल (तुर्की), 18 मई 1993। 00:03:00 (यह सब ठीक है। मुझे आशा है कि आप मुझे हर तरह से सुन सकते हैं, क्या आप थोड़ा आगे आ सकते हैं? शायद।) 00:04:10 आज बहुत खुशी की बात है कि हम सब तुर्की में, फातिमा की पूजा का जश्न मनाने के लिए यहाँ हैं। जैसा कि आप उसके बारे में जानते हैं कि वह मोहम्मद साहब की बेटी थी और अली से शादी की थी, और उसके दो बच्चे थे, हसन और हुसैन, जो अंततः कट्टरपंथियों द्वारा कर्बला में मारे गए थे, जो उस समय खुद को सुन्नी कहते थे। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वहाँ कट्टरता थी, और कट्टरता जो व्यक्ति को हमेशा विचार देती है कि वे ही सही राह पर हैं और उन्हें किसी दूसरे पक्ष को, किसी अन्य व्यक्ति पर गुस्सा करने ,दबाव डालने , मनाने का हर अधिकार है। और ये कट्टरताएँ लंबे समय से बढ़ी – यह कोई नई बात नहीं है। अब यह स्पष्ट है कि इस दुनिया में हमारी मुख्य समस्या कट्टरता की है। फातिमा ने अपने दो बच्चों को खो दिया, और वह गृह लक्ष्मी का अवतार थी। वह हमारी लेफ्ट नाभी में रहती है। तो तिल्ली से जुड़ी सभी बीमारियों के लिए, आपकी बाईं नाभी से जुड़ी सभी समस्याओं को केवल फातिमा द्वारा ही ठीक किया जा सकता है। इसलिए आपको फातिमा को अपने भीतर जागृत रखना होगा। यह कि हम यहां इस्लामी संस्कृति में हैं, हम कह सकते हैं कि यह इस्लामी संस्कृति का स्थान है; और इस्लामी Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: Keep your Mahalakshmi principle intact Barcelona, Can Mas-casa de colónies (Spain)

श्री महालक्ष्मी पूजा – अपना महालक्ष्मी तत्व बनाए रखें  बार्सेलोना, कैन मास-कैंप हाउस (स्पेन), सितंबर १२, १९९२  आज हम यहाँ महालक्ष्मी पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महालक्ष्मी तत्व हमारे अंदर एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। जब देशों में, परिवारों में, या व्यक्तिगत जीवन में, हम देखते हैं – (श्री माताजी ने स्पॅनिश में अनुवाद करने के लिए कहा)… ये महालक्ष्मी तत्व हमारे उत्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ये तत्व हमारे अंदर है, पर ये तब तक जागृत नही होता जब तक हम एक परिस्थिती को प्राप्त ना कर लें (और) जहाँ हमें लगता है कि हम अब तक अपने जीवन से संतुष्ट नही हैं। जैसे अब  पश्चिमी देशों में अब आप पर लक्ष्मी तत्व की कृपा रही, इस अर्थ में कि समृद्धि है, लोग ठीक हैं, सबके के पास भोजन है, और दैनंदिनी जीवन में सब पर्याप्त है। पर वो देश जो गरीबी से त्रस्त हैं या जिनकी स्थिति बहुत खराब है, जैसे आप कह सकते हैं कि यूगोस्लाविया इन दिनों बहुत बुरी स्थिति में है, या सोमालिया, जो बहुत ही गरीब है, और इनकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी नही है – तो उनके लिए इस जीवन का अर्थ केवल किसी तरह से जीवित बचे रहने में ही है। जीवन उनके लिए संकट से भरा हुआ है, और जीवन का अस्तित्व बनाए रखने में भी उन्हें संकट है। पर संपन्न देशों में ऐसा होता है, कि लोगों को यह लगने लगता है कि अब हमारे पास धन है, जीवन की सारी सुविधा है, पर तो भी ये Read More …

1st Day of Navaratri, 10th Position Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा कबेला लिगरे (इटली), 27 सितम्बर 1992। आज नवरात्रि का पहला दिन है। और जब मैंने पाया कि बारिश हो रही है और सभी प्रकार की समस्याएं हैं, और विष्णुमाया कुछ सुझाव दे रही थी, तो मैंने जरा कैलेंडर देखा, और आप यह जानकर चकित होंगे कि कैलेंडर में लिखा है कि पांच पैंतालीस तक यह शुभ नहीं है यह अशुभ है। पाँच पैंतालीस के बाद ही उचित शुरूआत होती है, तो ज़रा सोचिए, गणना करके यह कैसे सही था कि पाँच पैंतालीस के बाद ही हमें यह पूजा करनी थी, पाँच पैंतालीस के बाद। यानी इटली में या यूरोप में नवरात्रि का पहला दिन पांच पैंतालीस के बाद शुरू होता है। तो यह कुछ ऐसा है जिस से हमें समझना चाहिए कि चैतन्य सब कुछ कर रहा है, और वह सभी सुझाव दे रहा है; क्योंकि मैंने तो देखा ही नहीं था, जिसे आप तिथि कहते हैं, लेकिन मुझे बस ऐसा लगा, मैंने कहा कि यह हम शाम को रख लेंगे। और जब मैंने ऐसा कहा, मैंने कहा “चलो इसे देखते हैं,” और यही हो गया। हमें कितनी चीज़ें देखनी हैं, कि जो कुछ भी रहस्योद्घाटन तुम्हे हुआ है, तुम उसकी पुष्टि कर सकते हो। उदाहरण के लिए, मैंने बहुत पहले कहा था कि मूलाधार चक्र कार्बन, कार्बन परमाणु से बना है, और यदि आप इसे बाएं से दाएं-नहीं दाएं से बाएं, बाएं ओर देखते हैं तो आपको अन्य कुछ नहीं अपितु स्वास्तिक दिखाई देता है। तो, अब आप बाएं से दाएं देखते हैं, फिर आप ॐ देखते Read More …

Shri Durga Mahakali Puja: France is going down and down Paris (France)

                        श्री दुर्गा महाकाली पूजा पेरिस(फ्रांस)                                                                                                                                  २५ जुलाई १९९२ आज हमने दुर्गा या काली की पूजा की व्यवस्था की है। वह देवी का सभी बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाला रूप है। यह हमें फ्रांस में करना था, क्योंकि मैं बहुत दृढ़ता से महसूस करती हूं कि, दिन प्रतिदिन सामान्य तौर पर, फ्रांस नीचे और नीचे जा रहा है। जब आप लोग उत्थान पा रहे हैं, तो बाकी फ्रांस सबसे दयनीय स्थिति में है। सबसे पहले, जैसा कि आप समझते हैं, कैथोलिक चर्च है, जिसे – शायद आप जानते नहीं हैं, शायद हो सकता है – क्योंकि आप किसी अन्य भाषा को नहीं पढ़ते हैं, आप सिर्फ इस देश द्वारा अनिवार्य रूप से फ्रेंच पढ़ते हैं। इसलिए आपके पास कोई अंतर्राष्ट्रीय विचार या अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं है कि इस कैथोलिक चर्च ने अतीत में इतने भयानक काम किए हैं, यह अविश्वसनीय है कि उनका भगवान से कोई लेना देना कुछ भी नहीं है। उन्होंने मन ही मन में कई कार्डिनल्स जलाए – उन्हें भुना। इतना ही नहीं, जिन्होंने भी कभी उनके बारे में एक शब्द भी बोलने की कोशिश की उन्होंने इतने लोगों को मार डाला। Read More …

Shri Vishnumaya Puja Ashram Everbeek, Everbeek (Belgium)

आज एक विशेष अवसर है विष्णुमाया पूजा करने का, क्योंकि उन्होंने घर में आगमन किया,  हमें उनकी पूजा करनी है।   पहले हमें जानना चाहिए कि विष्णुमाया कौन हैं। यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देवी महामात्य में उन्हें सिर्फ देवी के अवतार के रूप में वर्णित किया गया है: “विष्णुमाया इति शब्दिता”,  उन्हें विष्णुमाया कहा गया है लेकिन अब हम देखें कि वह हैं कौन?  आखिर यह विष्णुमाया कौन हैं? तो विष्णुमाया काली हैं, हम कह सकते हैं, और महाकाली की पुत्री हैं।  वह इस धरती पर आयीं और अनेकानेक असुर और राक्षसों का वध किया, संतों को उनकी आक्रामकता से बचाने के लिए,  और वो हमेशा इसी प्रकार कार्य करती हैं जिस से दुनिया की सभी नकारात्मकता नष्ट हो सके। वह इस पर शीघ्रता से कार्य करती हैं, मुझे कहना चाहिए, और वह जानती हैं कि नकारात्मकता कहां है और वह उस नकारात्मकता को अतिशीघ्र जला देने की कोशिश करती हैं। अब उत्पत्ति कुछ इस प्रकार है कि यह विष्णुमाया महाकाली की पुत्री थीं, जिन्हें स्वयं महाकाली द्वारा रचित किया गया था, इन राक्षसों से लड़ने के लिए, लेकिन साथ ही इस कार्य हेतु उन्हें विशेष शस्त्र भी दिए गए थे। लेकिन श्री कृष्ण के काल में वह श्री कृष्ण की बहन के रूप में पैदा हुई थीं, और उनके मामा द्वारा श्री कृष्ण के मारे जाने के बजाये, जैसे आपने कहानी पढ़ी है, उनको बदल दिया गया था,  वह वास्तव में यशोदा की पुत्री थीं, जिन्हें श्री कृष्णा से बदल दिया गया था ।  और यह कन्या, छोटी Read More …

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love आज हम यहां आदि-कुंडलिनी और आपकी अपनी कुंडलिनी, दोनों की पूजा करने के लिये एकत्र हुये हैं क्योंकि आपकी कुंडलिनी आदि कुंडलिनी का ही प्रतिबिंब है। हम कुंडलिनी के विषय में बहुत कुछ समझ चुके हैं और हम यह भी जानते हैं कि कुंडलिनी के जागृत होने से ….. इसके उत्थान से हम चेतना की अथाह ऊंचाइयों को छू चुके हैं। ऐसा नहीं है कि हम मात्र चेतना के उच्च क्षेत्रों तक उठे हैं ….. इसने हमें कई शक्तियां भी प्रदान की हैं ….. आध्यात्मिकता के इतिहास में पहले कभी भी लोगों के पास कुंडलिनी को जागृत करने की शक्ति नहीं थी। जैसे ही उनकी कुंडलिनी जागृत होती थी वैसे ही वे या तो दांये या बांये की ओर चले जाते थे और शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे और ऐसी शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते थे जो लोगों के हित के लिये नहीं होती थीं। बुद्ध ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भविष्य में जब बुद्ध का पुनर्जन्म होगा …. तो मात्रयात् के रूप में होगा … अर्थात तीन माताओं की शक्तियां जिसमें निहित होंगी ……. जब वह इस धरती पर आयंगी उस समय इन शक्तियों को लोगों के हित के लिये उपयोग किया जायेगा। यह एक प्रतीकात्मक बात है …… लोगों के हित के लिये न कि केवल सहजयोगियों के लिये। जब तक कि जो बुद्ध अर्थात आत्मसाक्षात्कारी हैं …. कुंडलिनी के विज्ञान के विषय में नहीं जान जाते तब तक ये कैसे संभव है? जिन Read More …

Easter Puja: You have to grow and take up the responsibility Magliano Sabina Ashram, Magliano Sabina (Italy)

1992.04.19 ईस्टर पूजा, टॉक, रोम, इटली डीपी यह दिन हम सब के लिये हर्षित होने के लिए एक बहुत बड़ा दिन है और ईसा मसीह के इस पुनरुत्थान का आनंद लेने के लिए। ईसा मसीह का पुनरुत्थान हम सबका आज्ञा चक्र खोलने के लिये हुआ था। क्योंकि यह एक बहुत ही सूक्ष्म चक्र था जैसा की आप जानते हैं, बहुत जटिल। मनुष्य की जड़ता से परिपूर्ण विचारों के कारण और उनके अहंकार से, जिसने आज्ञा चक्र को बुरी तरह से बंद किया हुआ था, जिसमें से कुंडलिनी का निकलना पूर्णतय असंभव सा लगता था। इसलिए पुनरुत्थान का यह खेल खेला गया और ईसा मसीह मात्र चैतन्य थे और कुछ भी नहीं। वह मृत्यु से पुनर्जीवित हुए ऐसा कहा जाता है। ईसा मसीह की इस मृत्यु के कारण, हमें समझना होगा कि हमें हमारा पुनरूत्थान प्राप्त हो सका। हमने पुनरूत्थान प्राप्त किया और इसी के साथ जो कुछ भी भूतकाल में था वह नष्ट हो गया, अब समाप्त हो गया। इसलिए हमारे भीतर जो पश्चाताप है, जो जड़ता है वो समाप्त हो चुकी है। किन्तु फिर भी यह बहुत आश्चर्य की बात है कि ईसाई राष्ट्रों में अहंकार उस प्रकार से कम नहीं हुआ जैसा कि होना चाहिए था। सम्भवतः यह हो सकता है कि यहाँ ईसा मसीह को कभी भी उचित प्रकार से पूजा नहीं गया। पश्चिमी देशों में अहंकार इतना प्रभावी है कि कोई नहीं देख सकता कि वो क्या कर रहे हैं और कितनी दूर जा रहे हैं। बिना कारण ही वो किसी ऐसी बात का पश्चाताप कर Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991) मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात्  पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें  यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त  किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर Read More …

Shri Ganesha and Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 24th December 1991 : Ganapatipule Place : Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahiri] आज का याग अति विशेष है। इस विशेष दिन को अंगार की चतुर्थी अथवा कृष्णपक्ष की चतुर्थी कहते हैं। प्रत्येक चतुर्थों को, जो कि महीने के चौथे दिन पडती है, को श्री गणेश का जन्मदिन मनाया जाता है। मंगलवार के दिन आयो इस चतुर्थी का विशेष महत्व हाता है। आज यही दिन है। हम सब मंगलवार, अंगार की चतुर्थी के दिन गणपति पुल में आये हैं। आज के दिन श्री गणेश की पूजा के लिए हजारा लोग यहाँ आते हैं। कि क्या करें। नम्रता तथा विवेक श्री गणेश जी को विशेषताएं हैं। ये दोनों गुण ग्णेश तत्व की देन हैं । सुन्दर चाल से चलने वाली स्त्री को भी गज गामिनी कहते हैं। हाथी केवल घास खाते हैं फिर भी अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, वड़े-बड़े वजन ढाते हैं फिर भी बड़े शान्त स्वभाव के होते हैं। किसी भी चीज के लिए वे जल्दी नहीं करते। उनकी स्मरणशक्ति भी बहुत तीव्र होती है। जब भी आप की बायों और दुर्बल हा जाती है तो आपकी स्मरण शक्ति धुंध्रला जाती है। ऐसा इसलिए हाता है क्योंकि आपके अन्दर गणेश तत्व कम हो गया है। जब आप बहुत अधिक दायों ओर को झुक जाती है तो बायीं ओर का गणेश तत्व कम हो जाता है। अति कर्मी लोगों की स्मरण शक्ति भी वृद्धावस्था में समाप्त हो जाती है। सहजयोगियों को समझना चाहिए कि जा भी कुछ घटित हाता है, उसे Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja [Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari] महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, हम पात हैं कि हमारो सारी समस्याएं मानव की ही देन है। जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बाह्य जगत में जा भी प्रवृत्तियां या फैशन आयें आप उनसे प्रभावित नहीं हाते। आप अन्दर से परिवर्तित होते हैं। तब आप पूर्णतया जान जाते हैं कि दूसरे लोगों से क्या आशा की जाती उनसे किस प्रकार व्यवहार किया जाए, किस प्रकार बातचीत की जाए और उनके साथ किस सीमा तक चला जाए। यह सव विवेक से प्राप्त होता है। सहजयाग में आप सब अतियोग्य लाग विवेक को डतनी ही सुन्दर चित्त प्रदान करता है। श्री गणेश के चैतन्य प्रवाह के कारण चित्त एकाग्रित हो जाता है। पवित्रता तथा मंगल प्रदान करने के लिए श्री गणेश की सृष्टि हुईं। गणेश ही सभी का Read More …

Confusion and the ordinary householders Madras (भारत)

                भ्रांति और सामान्य गृहस्थ  सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस 2 मद्रास (भारत), 7 दिसंबर 1991। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। कल शुरुआत में ही मैंने आपसे कहा था कि सत्य वही है जो वह है। यदि हमें सत्य नहीं मिला है तो हमें उसके प्रति विनम्र और ईमानदार होना चाहिए, क्योंकि सत्य हमारी भलाई के लिए है, हमारे शहर, हमारे समाज, हमारे देश और पूरे ब्रह्मांड की भलाई के लिए है। यह एक बहुत ही खास समय है जब आप सभी पैदा हुए हैं, जहां लोगों को आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना है। यह पुनरुत्थान का समय है जैसा कि बाइबिल में वर्णित है, यह कियामा का समय है जैसा कि मोहम्मद साहब ने वर्णित किया है। यह एक बहुत ही खास समय है जब नल, जैसा कि आप जानते हैं, नल दमयन्ती अख्यान – नल का सामना कली से हुआ था। वह कली पर बहुत क्रोधित हुआ और कहा कि “तुमने मेरे परिवार को नष्ट कर दिया है, तुमने मेरी शांति को नष्ट कर दिया है, और तुम लोगों को भ्रम में डाल देते हो, इसलिए मैं तुम्हें मार डालूंगा।” उन्होंने कली को चुनौती दी कि “तुम्हें हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए।” तब कली ने कहा, “ठीक है, मैं आपको अपना महात्म्य बता दूं। मैं आपको बताता हूं कि मुझे वहां क्यों होना चाहिए। अगर मैं तुम्हें समझा सका तो तुम मुझे मारने का इरादा बदल सकते हो, लेकिन अगर मैं नहीं कर पाता तो तुम मुझे मार सकते हो।” तो उसने कहा कि “आज वे सभी Read More …

6th Day of Navaratri, Recognize Me Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला (इटली), 13 अक्टूबर 1991 आज हम यहां नवरात्रि पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। नौ बार ऐसा हुआ था जब इस ब्रह्मांड की मां के प्रमुख अवतार प्रकट हुए थे। वे एक उद्देश्य के साथ प्रकट होते हैं। वह उद्देश्य अपने भक्तों, अपने शिष्यों, अपने बच्चों की रक्षा करना है। यह एक प्रेम का बंधन था, वह इससे बच नहीं सकती थी। माँ की ममता एक बंधन है, वह उससे बच नहीं सकती। और उसे उसे अभिव्यक्त करना ही होता है, उसे कार्यान्वित करना है और अपने सभी बच्चों को वह सुरक्षा देनी है। आधुनिक समय में इस सुरक्षा ने दूसरा रूप धारण कर लिया है। उन दिनों शैतान उन लोगों को नुकसान पहुँचाने, नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे, जो धर्मी थे, जो भक्त थे, जो अच्छे काम कर रहे थे, जो एक बहुत ही धार्मिक जीवन जीना चाहते थे। इसलिए उन्हें बचाने के लिए उन्होंने अवतार लिया। उनकी रक्षा के लिए उन्होंने अवतार लिया। लेकिन वे जानते थे कि क्या अच्छा है, वे जानते थे कि क्या गलत है और वे अपने अच्छे जीवन, अपने कीमती जीवन को संरक्षित करना चाहते थे। उन्हें धन की परवाह नहीं थी, उन्हें सत्ता की परवाह नहीं थी, लेकिन वे सिर्फ अपना जीवन चाहते थे, यानी वे जीवित रहना चाहते थे, देवी की पूजा करना चाहते थे। और जब वे इन शैतानी शक्तियों से परेशान या नुकसान या नष्ट हुए, तो उसे प्रकट होना पड़ा। लेकिन आधुनिक समय में यह बहुत जटिल हो गया है क्योंकि आधुनिक Read More …

Shri Buddha Puja, You must become desireless (Belgium)

Shri Buddha Puja, “You must become desireless”. Deinze (Belgium), 4 August 1991. 4 अगस्त 1991, बेल्जियम आज, हम यहाँ बुद्ध की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं| जैसा कि आप जानते हैं कि बुद्ध एक राजा के पुत्र थे| और एक दिन वे एक बहुत ही गरीब आदमी, दुबले आदमी, बहुत ही उदास आदमी, को सड़क पर चलते हुए देख कर चकित रह गए | और वे उसे लेकर बहुत दुखी हुए| फिर उन्होंने एक आदमी देखा, जो कि बहुत बीमार था और मरने वाला था| फिर उन्होंने एक मृतक आदमी देखा और लोग उसे शमशान ले जा रहे थे| इस सबने उन्हें अत्यधिक व्याकुल कर दिया और वे इसके बारे में सोचने लगे और मनुष्यों में इन सब घटनाओं का क्या कारण है, खोजने लगे| सर्वप्रथम, वे इतने दयनीय या बीमार क्यों हो जाते हैं, या, वे इतनी कष्टपूर्ण तरीके से क्यों मृत्यु को प्राप्त होते हैं? अपनी खोज में उन्हें कारण मिल गया| वे पूरे विश्व में गोल-गोल घूमे, मुझे कहना चाहिए, मेरा मतलब है; उन्होंने उपनिषद पढ़े, उन्होंने पढ़े, बहुत से गुरुओं के पास गए, आध्यात्मिक शिक्षा के बहुत से स्थानों पर गए, बनारस, सब जगह वे गए| और अंततः, वे बरगद के पेड़ के नीचे बैठे थे, जब अचानक आदिशक्ति ने उनकी कुण्डलिनी जागृत की और उन्हें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त हुआ| तब उन्हें बोध हुआ कि इन सबका कारण ‘इच्छा’ है| सहज योग में, अब हम समझ गए हैं कि बाकि सभी इच्छाएँ शुद्ध इच्छाएँ नहीं हैं| सर्वप्रथम, जो भी इच्छाएँ पूरी हुई हैं, हम उनसे संतुष्ट Read More …

Guru Puja, Four Obstacles Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Guru Puja. Cabella Ligure (Italy), July 28th, 1991. आज आप सब यहाँ उपस्थित हैं, अपने गुरु की पूजा करने के लिए   Iयह एक प्रचलित प्रथा है, विशेष रूप से भारतवर्ष में, की आप अवश्य अपने गुरु की पूजा करें, और गुरु का भी अपने शिष्यों पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए I गुरु के सिद्धांत बहुत कठोर हैं और इस कठोरता के कIरण बहुत से लोग एक शिष्य के आदर्शों के अनुसार स्वयं तो नहीं ढाल सकेI  उन दिनों गुरु को, पूर्ण रूप से, आधिकारिक बनना पड़ता था। और वह गुरु ही थे जो निश्चय करते थे कि कौन उनके शिष्य होंगे। और उनको कठिन तपस्या में लीन होना पड़ता था, बड़ी तपस्या में, मात्र एक शिष्य बनने के लिए। और यह कष्ट ही एक माध्यम था जिससे गुरु आकलन करते थे। गुरु हमेशा जंगलों में रहा करते थे। और वे अपने शिष्यों का चयन किया करते थे- बहुत कम, बिलकुल, बिलकुल थोड़े से। और उनको जाना पड़ता था, और भिक्षा मांगने, भोजन के लिए, आसपास के गावों से, और भोजन पकाते थे, अपने गुरु के लिए, स्वयं अपने हाथों से, और गुरु को खिलाते थे।   इस प्रकार की गुरु-प्रणाली सहजयोग में नहीं है। यह मूल रूप से हमें समझना पड़ेगा – कि जो अंतर उन शैलीयों के गुरु-पद में, और जो अब हमारे यहाँ है, वह यह है, कि बहुत कम व्यक्तियों को गुरु बनने का अवसर दिया जाता था, बहुत कम।  और इन गिने-चुनों का चुनाव भी अनेकों लोगों में से होता था, और उन्हें लगता Read More …

Sahasrara Puja: Realise Your Own Divinity Ischia (Italy)

स्वयं की दिव्यता को पहचानें सहस्रार दिवस  इस्चिया, 5  मई 1991 इटली आज हम यहां उस सहस्रार दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं जिसे 1970 में इसी तिथि पर खोला गया था। मुझे यह सुंदर मंडप हमारे सहस्रार जैसा प्रतीत हो रहा है। और इस सहस्रार दिवस के लिए ऐसी सुंदर व्यवस्था करना बहुत उपयुक्त है। हमें यह समझना होगा कि जब सहस्रार खुलता है तो क्या होता है। जब कुंडलिनी पांच केंद्रों से होकर गुजरती है तो वह उस क्षेत्र में प्रवेश करती है जिसे हम लिम्बिक क्षेत्र कहते हैं। यह क्षेत्र हजारों तंत्रिकाओं से घिरा हुआ है और जब ये तंत्रिकाएं प्रबुद्ध हो जाती हैं तो वे इन्द्रधनुष के रंगों, सात रंगों की लौ की तरह दिखती हैं, और बहुत ही हल्के ढंग से, खूबसूरती से चमकती हुई, शांति बिखेरती हुई दिखाई देती हैं। लेकिन जब कुंडलिनी किनारों पर अपना कंपन प्रसारित करना शुरू कर देती है तो ये सभी नसें धीरे-धीरे प्रबुद्ध हो जाती हैं और सहस्रार को खोलते हुए सभी दिशाओं में घूमने लगती हैं और फिर कुंडलिनी फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र से बाहर निकलती है, जिसे हम ‘ब्रह्मरंध्र’ कहते हैं। ‘रंध्र’ का अर्थ है ‘छिद्र’ और ‘ब्रह्म’ भगवान के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति है। तो यह सूक्ष्म ऊर्जा में प्रवेश करता है, जो सर्वव्यापी है, जिसे हम सामान्य रूप से महसूस नहीं करते हैं। लेकिन फिर चैतन्य, अथवा स्पंदन, जो की इस ऊर्जा, सर्वव्यापी शक्ति, परमचैतन्य का हिस्सा हैं, वे हमारे मस्तिष्क में प्रवेश करना शुरू कर देते हैं और लिम्बिक क्षेत्र में अपना आशीर्वाद Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja 25th December 1990 Date : Ganapatipule Place Type Puja आपमें से लोग मेरी बात इंग्लिश में नहीं समझ पाये होंगे। ईसामसीह का आज जन्म दिन है और मैं कुछ समझा रही थी कि ईसामसीह कितने महान हैं। हम लोग गणेश जी की प्रार्थना और स्तुति करते हैं क्योंकि हमें ऐसा करने को बताया गया है। पर यह है क्या? गणेशजी क्या चीज़ हैं? हम कहते हैं कि वो ओंकार हैं, ओंकार क्या है? सारे संसार का कार्य इस ओंकार की शक्ति से होता है। इसे हम लोग चैतन्य कहते हैं, जिसे ब्रह्म चैतन्य कहते हैं। ब्रह्म चैतन्य का साकार स्वरूप ही ओंकार है और उसका मूर्त-स्वरूप है या विग्रह श्री गणेश हैं। इसका जो अवतरण ईसामसीह हैं। इस चीज़ को समझ लें तो जब हम गणेश की स्तुति करते हैं तो बस पागल जैसे गाना शुरू कर देते हैं। एक-एक शब्द में हम क्या कह रहे हैं? उनकी शक्तियों का वर्णन हम कर रहे हैं। पर क्यों? ऐसा करने की क्या जरूरत है? इसलिए कि वो शक्तियाँ हमारे आ जायें और हम भी शक्तिशाली हो जायें । इसलिए हम गणेश जी की स्तुति करते हैं। ‘पवित्रता’ उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। जो चीज़ पवित्र होती है वो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं। उसको कोई छू नहीं सकता। जैसे साबुन से जो मर्जी धोइए वो गन्दा नहीं हो सकता। एक बार साबुन भी गन्दा हो सकता पर यह ओंकार अति पवित्र और अनन्त का कार्य करने वाली शक्ति है। इस शक्ति की उपासना करते हुए हमें याद रखना है Read More …

Navaratri Puja Geneva (Switzerland)

(नवरात्रि पूजा, देवी देवता आपको देख रहे हैं (आर्जियर जिनेवा ( स्विटजरलैंड), 23 सितंबर 1990) इन नौ दिनों में देवी को रात के समय अपने बच्चों की नकारात्मकता के प्रभावों से रक्षा करने के लिये राक्षसों से युद्ध करना पड़ता है। एक ओर तो वह प्रेम व करूणा का अथाह सागर हैं तो दूसरी ओर वह शेरनी की तरह अपने बच्चों की रक्षा करती हैं। पहले के समय में कोई ध्यान धारणा नहीं कर पाता था, परमात्मा का नाम नहीं ले पाता था और न ही आत्म-साक्षात्कार के विषय में सोच पाता था। लेकिन आज जो यहां बैठे हुये हैं …. आप लोग तो उन दिनों भी यहीं थे… आप लोगों को तो इसी दिन के लिये बचाया गया है ताकि आप अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त कर लें। उन दिनों में देवी का रूप माया स्वरूपी नहीं था। वह अपने वास्तविक स्वरूप में थीं जो उनके भक्तों के लिये भी अत्यंत विस्मयकारी था। सबसे पहले तो उनकी रक्षा की जानी थी। अतः जिस प्रकार से माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में धारण करती है, इन नौ महीनों में …. या मान लीजिये नौ युगों में… आप सब की पूरी तरह से रक्षा की जाती रही है और फिर दसवें माह में आपको जन्म दिया गया है। यह जन्म भी हमेशा नौ महीनों के सात दिन बाद दिया गया है। इसके परिपक्व होने तक कुछ समय तक इंतजार किया गया। अतः नवरात्रि का दसवां दिन वास्तव में आदि-शक्ति की पूजा का है तो आज हम सचमुच आदि-शक्ति Read More …

Shri Ganesha Puja: The Glow of Shri Ganesha Lanersbach (Austria)

[English to Hindi translation]                                              श्री गणेश पूजा  लैनर्सबैक (ऑस्ट्रिया), 26 अगस्त 1990 आज हम श्री गणेश का जन्मोत्सव मना रहे हैं। आप सभी उनके जन्म की कहानी जानते हैं और मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, जैसे वह केवल माँ द्वारा, आदि शक्ति द्वारा बनाए गए थे, उसी तरह उनके बाद आप सभी बनाए गए हैं। तो, आप पहले से ही श्री गणेश के मार्ग पर हैं। आपकी आंखें उसी तरह चमकती हैं जैसे उनकी आंखें चमकती हैं। आप सभी के चेहरे पर वही खूबसूरत चमक है जैसी उनके पास थी। आप कम उम्र हैं, बड़े हैं या बूढ़े हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। श्री गणेश की चमक से ही सारी सुंदरता हमारे अंदर आती है। यदि वे संतुष्ट हैं, तो हमें अन्य देवताओं की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी देवताओं की शक्ति श्री गणेश हैं। वह हर चक्र पर बैठे कुलपति की तरह हैं। जब तक वे हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक कुंडलिनी पार नहीं हो सकती, क्योंकि कुंडलिनी गौरी है और श्री गणेश की कुँवारी माँ है। अब हमें यह समझना होगा कि हम यहां पश्चिमी समाज में हैं जहां इतना गलत हो गया है क्योंकि हमने श्री गणेश की देखभाल करने की कभी परवाह नहीं की। ईसा-मसीह आए और उनका संदेश पूरी दुनिया में फैल गया। उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की जो ईसाइयों द्वारा अभ्यास नहीं की जाती हैं, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ भी शुरू किया वह सत्य पर आधारित नहीं है। सच Read More …