Shri Ganesha Puja: They Are All Incarnations Campus, Cabella Ligure (Italy)

Ganesh Puja 13 September 2003, cabella , italy अब हम नन्हें बच्चों के सम्मुख हैं। यही बच्चे अवतरण हैं। यही (बच्चे) उत्थान प्राप्ति में, मानव जाति का नेतृत्व करेंगे। मानवता की देखभाल की जानी चाहिए। बच्चे कल की मानव जाति हैं और हम आज के हैं। अनुसरण करने के लिए हम, उन्हें क्या दे रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या है? ये कहना अत्यन्त-अत्यन्त कठिन है परन्तु सहज योग से वे सभी मर्यादित ढंग से चलेंगे,वे मर्यादित व्यवहार करेंगे। बहुसंख्या में सहजयोगी बनने से, सभी कुछ भिन्न हो जाएगा। परन्तु बड़े सहजयोगियों का ये कर्तव्य है कि उनकी देखभाल करें, उनका चारित्रिक स्तर बेहतर हो, उनके जीवन बेहतर हों ताकि वे आपके जीवन का अनुसरण करके वास्तव में अच्छे सहजयोगी बन सकें। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । सम्भवतः हमें इसका एहसास नहीं है। इस बात को हम नहीं समझते, परन्तु ये सभी नन्हें शिशु महान आत्माओं की प्रतिमूर्ति हैं और इनका पालन पोषण भी उन्हीं के रूप में किया जाना चाहिए। वैसे ही इनका सम्मान होना चाहिए और अत्यन्त सावधानी से इन्हें प्रेम किया जाना चाहिए। यह  बात समझ लेनी आवश्यक है। हमारे बड़ी आयु के लोगों की समस्या ये है कि हम बच्चों को ध्यान देने योग्य, परवाह करने योग्य और उन्हें समझने योग्य नहीं मानते, हम सोचते हैं कि हम स्वयं बहुत अधिक विवेकशील एवं बहुत अच्छे हैं तथा हमें अपनी शक्ति इन छोटे बच्चों पर नष्ट नहीं करनी चाहिए।  बड़ी आयु के लोगों के साथ ये कठिनाई है। परन्तु, आज जब हम यहां बैठे हुए Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 2002. Merry Christmas to you all. According to Sahaja Yoga, Christ is settled on your Agnya Chakra. His whole life is depicting the qualities of a person who is a realised soul. What He has suggested in His own life is that you should not have any greed or lust. The way these days people are greedy all over the world is really shocking. Right from the childhood, our children also learn to ask for this or ask for that; only complete satisfaction in life can give you that equanimity, that balance by which you do not hanker after things. These days even India has become very much westernised in the sense they are also very much wanting to have this and that. Actually, now in America suddenly, with this happening, people are getting to spirituality. They come to spirituality because they think they have not found any satisfaction anywhere. But we have to see from His life, the great life of Christ. First He was born in a small little hut, as you saw many of them when you come round. Very much satisfied. And He was put in a cradle which was all covered with dry, very dry grass. Can you imagine? And then He sacrificed His life on the cross. Whole thing is a story of a sacrifice. Because He had a power, power of Spirit, that He could sacrifice anything, even sacrifice His own life, so you can understand the Read More …

We Have To Be Transformed Royal Albert Hall, London (England)

रॉयल अल्बर्ट हॉल में सार्वजनिक कार्यक्रम। लंदन (यूके), 14 जुलाई 2001. मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप में से कुछ ने सत्य पाया है, आप में से कुछ ने इसे पूरी तरह से नहीं पाया है, और आप में से कुछ ने इसे बिल्कुल नहीं पाया है। लेकिन अगर आप आज की स्थिति में चारों ओर देखते हैं, तो आपको सहमत होना पड़ेगा कि बड़ी उथल-पुथल चल रही है। देशों के बाद देश सभी प्रकार की गलत चीजों को अपना रहे हैं। कोल्ड वॉर जारी है, लोग एक-दूसरे को मार रहे हैं, खूबसूरत जगहों को नष्ट कर रहे हैं, एक-दूसरे का गला काट रहे हैं। वे सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्मित हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उन्हें बनाया है और उन्हें मानवीय जागरूकता के इस स्तर पर लाया है। इस मोड़ पर कोई यह नहीं देख पाता है कि हम सामूहिक रूप से कहां जा रहे हैं। यही है, हमें कहाँ पहुँचना है – या क्या यही हमारी नियति है? क्या यही मनुष्य की नियति है, भूमि या किसी और चीज की खातिर आपस में संघर्ष कर नष्ट हो जाना? पूरी दुनिया को एक मानें, और सोचें कि क्या हो रहा है: हर दिन जब हम अखबार पढ़ते है तो, भयानक खबरें सुनते हैं कि, हर दिन लोग बिना किसी तुक और कारण के आपस में भयानक बर्ताव कर रहे हैं । हमें सोचना होगा, नियति क्या है? हम कहां जा रहे हैं? क्या हम नर्क जा रहे हैं या स्वर्ग जा रहे हैं? हमारी स्थिति क्या Read More …

On Torsion Area Holiday Inn London – Kensington Forum Hotel, London (England)

                                        वी आई पी रिसेप्शन, LONDON ,UK,DP RAW                                                            2000-09-23 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूँ। ये विशिष्ट समय है जब हमारे पास सत्य के इतने साधक हैं । आश्चर्यजनक रूप से आजकल बहुत सारे लोग जानना चाहते  हैं कि सत्य क्या, और परिणाम उनमें से कुछ खो भी जाते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, यह मन, यह भावनाएं यह तथाकथित बुद्धिमत्ता नहीं हैं लेकिन आप सच्ची आत्मा हैं। सभी शास्त्रों ने कहा है कि जहाँ  तक और जब तक आप खुद को नहीं जानते तब तक आप परमात्मा को कैसे जान पाएंगे। क्योंकि यदि हम स्वयं को वास्तव में नहीं जानते हैं तो हम परमात्मा को जानने के लिए सुसज्जित नहीं हैं और इसलिए स्वयं को जानना इतना महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी चीज है जिसे लोग समझ नहीं पाते हैं क्योंकि ज्यादातर उन्हें कविता में लिखा गया है। और उन सभी ने कहा है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए लेकिन आप स्वयं को कैसे जान पाएंगे कि आपका स्व भीतर है और बाहर नहीं। तो अपने आप को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें यह समस्या है। यह समस्या वास्तव में इतनी महान है कि बहुत से लोगों को जानने के ज्ञान से बाहर रखता है। अब मुझे आपको अपने बारे में बताना चाहिए कि मैंने खुद महसूस किया है कि लोगों को खुद को जानने की एक बड़ी समस्या है, हालांकि मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से जानती थी । दूसरों को अपने बारे Read More …

Guru Puja: Shraddha Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, कबैला, लिगुरे (इटली), २३ जुलाई २०००। आज हम यहाँ गुरु सिद्धांत के बारे में जानने के लिए आए हैं।गुरु क्या करते हैं,आपके पास जो कुछ भी है,आपके भीतर की सभी बहुमूल्य चीज़ें,वह आपके ज्ञान के लिए उन्हें खोजते हैं। वास्तव में यह सब कुछ आपके भीतर ही है। सम्पूर्ण ज्ञान, सम्पूर्ण अध्यात्म,सम्पूर्ण आनंद, सब यही है।सही समय!यह सब आपके  भीतर समाहित है।गुरु केवल एक ही कार्य करते हैं आपको आपके ज्ञान के बारे में और आपकी आत्मा के बारे जानकारी प्रदान करना। सबके भीतर आत्मा है। हर किसी के अंदर आध्यात्मिकता है।ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको बाहर से मिले।लेकिन यह ज्ञान प्राप्त करने से पहले, आपका बर्ताव या कहें , आप अज्ञान में जी रहे हैं।उस अज्ञानता में आप नहीं जानते कि आपके  भीतर क्या निधि है।तो गुरु का काम है आपको बताना की आप क्या हैं? यह पहला कदम है।यह शुरुआत है आपके भीतर की जागृति होने की, जिसके द्वारा आप जान पाते हैं कि आपका अस्तित्व यह बाहर की दुनिया नहीं है, यह सब एक भ्रम है।और आप अपने भीतर ही प्रबुद्ध होने लगते हैं।कुछ लोगों को पूरा प्रकाश मिलता है और कुछ लोगों को यह धीरे-धीरे मिलता है।सभी धर्मों का सार यह है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए।वह लोग जो धर्म के नाम पर लड़ रहे हैं,आपको उनसे जाकर पूछना होगा, आपको उनसे पूछताछ करनी होगी, कि क्या आपके धर्म ने आपको स्वयं की पहचान कराई ?अगर सभी धर्मों ने एक बात कही है तो आपको यह सारे कार्य केवल स्वयं को Read More …

Birthday Felicitations New Delhi (भारत)

Birthday Felicitations (English part), Delhi (India), 22 March 2000. HINDI TRANSLATION (English Talk) Scanned from Hindi Chaitanya Lahari है कि किस प्रकार इन लोगों ने विश्व के हजारों सम्माननीय अतिथिगण, सम्माननीय गृहमन्तरी श्री आडवाणी जी. जो कि महान देशभक्त रहे हैं लोगों को आत्मसाक्षात्कार की ज्योति प्रदान की! और उनके देश प्रेम के कारण जिनकी मैं सदैव प्रशंसक रही हूँ। वे अत्यन्त देशभक्त हैं और तरह से कार्य नहीं कर रही। जिस प्रकार ये आप जानते हैं मेरे माता-पिता भी अत्यन्त देशभक्त बधाई सन्देश हमें आए हैं, आप देख ही रहे हैं. थे उन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान ये सब इनके प्रयासों का फल है सहजयोगी वास्तव में यही लोग कार्य कर रहे हैं। मैं उनकी कर दिया। देशभक्त होने के कारण उसे समय उनसे मिलते हैं उन्हें सहजयोग के विषय में सबने मेरी भी बहुत भत्संना की। जिस देश में बताते हैं और उन्हें आत्मसाक्षात्कार भी देते हैं। इस प्रकार से इन्होंने इस कार्य को किया है। अतः हमें अपने देश और उसकी गहन सम्बन्ध है। मैने देखा है कि सहजयोग में समस्याओं के विषय में चिन्ता करनी चाहिए। ये आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करके परिवर्तित होने के समस्याएं क्यों है? मैं जानती हूँ कि आपकी कामनाएं और प्रयत्न निश्चित रूप से आपके कमी है। सहजयोगी उन कमियों के विषय में देश की स्थिति को सुधारेंगे हर जगह ये घटित बहुत जागरूक हो जाते हैं । मैं हैरान हूँ कि सभी हो रहा है। भारत में भी ये घटित होना चाहिए। मुझे बताते हैं कि उनक दश में क्या Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja 21st March 2000 Date: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Chaitanya Lahari] पहले अंग्रेजी में बातचीत की क्योंकि यहाँ हृदय दूसरों के सामने खाल सकें और उन्हें परदस से बहुत से लोग आए हैं और आप को अपने हृदय में बसा सकें। और मन काई एतराज नहीं कि हम थोड़ी देर अंगरेजी में से हमको यह सोचना चाहिए कि जिस मन में प्यार नहीं है वो संसार में किसी भी चीज़ का अधिकारी नहीं बातचीत करें। हालांकि यह तो दिल्ली वालों का कमाल है और उसी के साथ उत्तर प्रदेश के होता क्योंकि जो भी चौज़ उसे मिलती है. वो भी जुट गए और राजस्थान के लोग भी किसो भी तरह से तृष्त नहीं हो सकता। उसमे लाग, वो जूट गए और हरियाणा के लोगों ने भी मदद की। तृप्ति नहीं आ सकती। लेकिन जब आपके मन इन सब नं मिल करके इतने प्यार से बड़ा ही में ही एक तृप्ति का सागर है तो ऐसी कीन सी सुन्दर मन्दिर जैसे बनाया है। मैं तो खुद ही चीज़ है जिससे आप तृप्त न हों। ये चीज़ें जब दखकर हैरान हो गई। क्या यहाँ पर ऐसे कारीगर आपक अंदर हो जाती हैं और समाधान आपक लोग हैं? मैं तो नहीं जानती थी! सारी कारीगरी अंदर समा जाता है तो समाधान की परिश्रि को कहाँ से आई और कहाँ से उन्होंने सब कुछ बना कोई समझ नहीं सकता। उस समाधान के व्यापा को काई समझ नहीं सकता और इतना मधुर, कर यहाँ सजाया। यह समझ में Read More …

श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्रीगणेश अत्यंत शक्तिशाली देवता हैं श्रीगणेश पूजा, कबैला लीगर(इटली), 25 सितम्बर 1999 आज हम सब यहाँ पर श्रीगणेश की पूजा के लिये एकत्र हुये हैं। आप सभी जानते हैं कि वे कितने शक्तिशाली देवता हैं। उनकी ये शक्तियां उनकी अबोधिता से आती है। जब भी हम छोटे बच्चों को देखते हैं तो तुरंत ही हम उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और उनको प्यार करना चाहते हैं … उन्हें चूमना चाहते हैं और उनके साथ रहना चाहते हैं वे इतने अबोध होते हैं … अत्यंत अबोध। यदि हम श्रीगणेश की पूजा करना चाहते हैं तो हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सचमुच ही अबोध और निष्कलंक हैं। आजकल लोग अत्यंत चालाक और मक्कार हो गये हैं और मक्कारी के मामले में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे सरल और मासूम लोगों के साथ अनेकों मक्कारी भरे खेल खेलते हैं। वे सोचते हैं कि इस आधुनिक समय में हमेशा वे ही सही हैं और बाकी लोग अत्यंत शातिर और धूर्त हैं। ये धूर्तता उनको अत्यंत दांई नाड़ी प्रधान बना व्यक्ति बना देती है जो अत्यंत भयावह है …. क्योंकि कुछ लोगों में इसके कारण कुछ भयानक शारीरिक समस्यायें भी हो जाती हैं जैसे कि उनके हाथ कांपने लगते हैं या उनके पैरों में लकवा मार जाता है। उनको लिवर से संबंधित अनेकों समस्यायें भी हो जाती हैं। इससे भी बढ़कर उनको सजा देने के लिये उन्हें मनोदैहिक रोग भी जकड़ लेते हैं। जैसे ही आपको इस प्रकार की कोई दांई नाड़ी प्रधान बीमारी हो जाय तो आपको श्रीगणेश Read More …

Expression of Subtle Elements New Delhi (भारत)

Panch Tattwa – The Subtle Elements Date 16th December 1998: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतने ठंड में और तकलीफ में आप सब इतना भयंकर दावानल जैसे चारों तरफ से लगा लोग आए। एक माँ के हृदय के लिए ये बहुत हुआ दिखाई देता है। उसके बीच आप सहजयोगी बड़ी चीज़ है। अब और कोई दिन मिल नहीं रहा था, इसी दिन आप लोगों का तकलीफ वर्णन शास्त्रों में है। पर उसमें ये कहा जाता है उठानी पड़ी। और आप लोग इतने प्रेम से, सब लोग, यहाँ आए! सबका कहना था कि हवाई दिन कलि लग गया। तो उन्होंने कहा कि अब अड्डे पर माँ हम तो बिल्कुल आपको देख भी मैं तेरा सर्वनाश करता हूँ क्योंकि तुमने मेरी पत्नी नहीं पाए, और मैं भी आपको नहीं देख पाई। से मैरा बिछोह किया है । इस पर कलि ने कहा इसलिए बेहतर है कि आप लोग आज यहाँ आए कि तुम मेरा महात्म्य जानो मेरा जो महात्म्य है हैं, सब लोग। और दिल्ली वालों का जो उत्साह खड़े हुए हैं। इस कलयुग के बारे में अनेक कि नल, जो दमयंति के पति थे, के हाथ एक उसे समझ लो। उस महात्म्य में गर तुम समझो कि मुझे मार डालना है तो मार डालो, में खत्म हो जाऊंगा। उसने कहा तुम्हारा क्या महात्म्य है? है, वो कमाल का है। ऐसा ही उत्साह सब जगह हो तो ये भारतवर्ष सहजयोग का महाद्वार बन जाएगा। ये एक समय है, Read More …

Shakti Puja (भारत)

Shakti Puja. Kalwe (India), 31 December 1997. ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आज हम लोग शक्ति की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। शक्ति का मतलब है पूरी ही शक्तियाँ, और किसी एक विशेष शक्ति की बात नहीं है। ये पूरी शक्तियाँ हमारे हर एक चक्र पर अलग-अलग स्थान पर विराजित है। और इस शक्ति के बगैर किसी भी देवता का कार्य नहीं हो सकता है। जैसे आप जानते हैं कि कृष्ण की शक्ति राधा है और राम की शक्ति सीता है और विष्णु की लक्ष्मी। इसी प्रकार हर जगह शक्ति का सहवास देवताओं के साथ है। और ये देवता लोग शक्ति के बगैर कार्य नहीं कर सकते हैं। वो शक्ति एक मात्र है। आपके हृदय चक्र में बीचो-बीच जगदम्बा स्वरूपिणी विराजमान है। ये जगदम्बा शक्ति बहुत शक्तिमान है। उससे आगे गुजरने के बाद आप जानते हैं कि कहीं वो माता स्वरूप और कहीं वह पत्नी स्वरूप देवताओं के साथ रहती है। तो शक्ति का पूजन माने सारे ही देवताओं के शक्ति का आज पूजन होने वाला है। इन शक्तियों के बिगड़ जाने से ही हमारे चक्र खराब हो जाते हैं और उसी कारण शारीरिक, मानसिक, भौतिक आदि जो भी हमारी समस्यायें हैं वो खड़ी हो जाती हैं। इसलिए इन शक्तियों को हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए । कहा जाता है कि, ‘देवी प्रसन्नो भवे’ । देवी को प्रसन्न करने से न जाने क्या हो जाये ! अब कुण्डलिनी के जागरण से इस शक्ति को एक विशेष और एक शक्ति मिल जाती है। इन शक्तियों में एक विशेषता और होती है Read More …

Christmas Puja, You have to be loving, affectionate, kind and disciplined Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 25th December 1997: Ganapatipule Place: Type Puja Hindi & English आज हम लोग यहाँ ईसा मसीह का जन्म दिन मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। ईसा मसीह की जिन्दगी बहुत छोटी थी और अधिक काल उन्होंने हिन्दुस्तान में ही बिताया-काश्मीर में । सिर्फ आखिरी तीन साल के लिए वापिस गए और लोगों ने उन्हें सूली पर टॉँग दिया। यह सब कुछ विधि का लिखा हुआ था। आज्ञा चक्र को खोलने के लिए उन्हें ये बलिदान देना पड़ा और इस तरह से उन्होंने आज्ञा चक्र की व्यवस्था की। आज्ञा चक्र बहुत संकीर्ण है, छोटा सा, और आसानी से खुलने वाला नहीं। क्योंकि मनुष्य में जो स्वतंत्रता आ गई उससे वो अहंकारी बन गया। इस अहंकार ने उसका आज्ञा चक्र बंद कर दिया और उस बंद आज्ञा चक्र से निकलने के लिए अहंकार निकालना बहुत ज़रूरी है और अहंकार निकालने के लिए आपको अपने मन को काबू करना पड़ता है। लेकिन आप मन से अहंकार नहीं निकाल सकते। जैसे ही आप मन से अहंकार निकालने का प्रयत्न करेंगे, वैसे ही मन बढ़ता जाएगा और अहंकार बढ़ता जाएगा। “अहं करोति सः अहंकार:”। हम करेंगे, मतलब कि अगर हम अपने अहंकार को कम करने की कोशिश करे, तो अहंकार बढ़ेगा क्योंकि हम अहंकार से ही कोशिश करते हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि हम अपने अहंकार को दबा लेंगे, खाना कम खाएंगे, दुनिया भर के इसका 6. उपद्रव, एक पैर पर खड़े हैं, तो कोई सिर के बल खड़ा है! हर तरह के प्रयोग लोग करते हैं अपने अहंकार Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

‘सार्वजनिक प्रवचन एवं आत्म साक्षात्कार’, -Types of powers through Kundalini Awakening, Ramlila Maidan, New Delhi, India 12-4-1997 सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा प्रणाम। सर्वप्रथम ये जान लेना चाहिए, कि सत्य की अनेक व्याखायें हो चुकी हैं और अनेक किताबें इस पर लिखी गई हैं। धर्म पुरस्सर कितनी किताबें, कितने प्रवचन, कितने भजन, कितनी भक्ति आप के सामने हैं। आज विशेषकर तेग बहादुर गुरु जी का विशेष दिवस है। उन्होंने भी कहा है, कि परमात्मा की भक्ति करो। परमात्मा की भक्ति से आप प्राप्त कर सकते हैं अपने अंदर के संतुलन को, अपने अंदर की शांति को, और जो कुछ भी आप के अंदर एक तरह से दुर्गुण चिपके हुए हैं, वो सब खत्म हो जाएंगे। पर आज कल का जमाना ऐसा नहीं रहा। आज कल के जमाने के लोग कोई विशेष हैं। एक इधर तो वो बहुत साधक हैं, खोज रहे हैं, सत्य को पाना चाहते हैं, और दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं कि जिनको किसी भी चीज का डर ही नहीं लगता। न तो परमात्मा का डर लगता है। उनसे बताया जाए कि ऐसे गलत काम करने से तुम्हे नर्क प्राप्त होगा। वो उस चीज को नहीं मानते। ये कहा जाता है कि सात जन्म तक मनुष्य इस पाप को ले कर के न जाने कितने तो भी हर तरह के दुख दर्द से गुजरता है। कुछ भी कहिए, किसी भी चीज से डराइए, कुछ भी कहिए, वो डर मनुष्य में बैठता नहीं। ऐसे अजीब पत्थर जैसे लोग हो गए हैं। अब हत्या करना तो महापाप Read More …

6th Day of Navaratri, Your Beautiful Qualities will prove the Truth of Sahaja Yoga Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-10-05 छठा दिन, नवरात्रि पूजा प्रवचन, कबेला,इटली आज नवरात्रि का छठा दिन है ।  देवी के अनेक अवतरण हुए हैं, विभिन्न विभिन्न उद्देश्यों के लिए। लेकिन महान संतों  ने जब स्वयं का आत्मनिरीक्षण किया, जो मॉं की पूजा कर रहे थे तो उन्हें पता चला कि उन्होंने हमारे लिए क्या किया है । दूसरे दिन मैंने आपको बताया था कि धर्म, मनुष्य का अंतर्निहित गुण है। और वे दस हैं। यह हमारे भीतर पहले से ही स्थापित है, लेकिन हम भटक जाते हैं, धर्म से भटक जाते हैं और सभी समस्याएं सामने आती हैं, क्योंकि धर्म छोड़ना मानव का गुण नहीं है। लेकिन देवी ने खुद हमारे लिए,हमारे भीतर पहले से ही बहुत सारे काम किए हैं, हालांकि हमें इसका बोध नहीं है । कहा जाता है कि “या देवी सर्व भूतेषु”- “वे सब लोग  जिनको आपने बनाया है” – अर्थात ज्यादातर मनुष्य – “आप क्या करती हैं? मनुष्य के अंदर आप किस रूप में मौजूद हैं? अब जरा आत्मनिरीक्षण करें कि आपके भीतर ये गुण हैं या नहीं, क्योंकि ये आपको देवी द्वारा दिए जाते हैं, आपके भीतर की शक्ति के द्वारा । जैसे: “या देवी सर्व भूतेषु शांति रूपेणा संस्थिता” – ये बहुत महत्वपूर्ण है, कि आप मनुष्यों के भीतर शांति के रूप में विद्यमान हैं । क्या आप ऐसे मनुष्य पाते हैं जो भीतर और बाहर शांतिपूर्ण हैं? बहुत मुश्किल है। लेकिन उन्होंने आपको यह दिया है कि, उन्होंने आपको वह शांति दी है जिसे आपको प्राप्त करना है। अब यह होता है, क्योंकि आप अपने मानव Read More …

Evening Program, Eve of Shri Krishna Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-08-22, श्री कृष्ण पूजा, कैबेला, इटली में शाम का कार्यक्रम आप देख सकते हैं, मैं श्री कृष्ण के कारण आज काली हो गई हूं।  यह बहुत दिलचस्प है कि इस दुनिया में सब कुछ कैसे परम चैतन्य की इच्छा के अनुसार  चलता है। यह बहुत आश्चर्यजनक है। मैं चाहती थी कि वे कट्टरवाद पर एक फिल्म बनाएं। यह बहुत अच्छा हुआ और हम इसे भारत में दिखाने में सक्षम हो सकते हैं, हो सकता है कि उन्होंने पहले ही मुझे अपने जीवन के कुछ कथांश बनाने के लिए कहा  हो। जिसे वे एक के बाद एक करके दिखाना चाहेंगे। किसी तरह भारत में दूरदर्शन पर, हमारे पास कई सहज योगी हैं जिन्हें मैं  नहीं जानती निर्देशक, उप निर्देशक भी। वे सभी सहज योगी थे, और एक बार वे मुझे दिल्ली में हमारे आश्रम में देखने आए थे और मुझसे कहा था – (किसी ने कहा था) माँ, आपको मीडिया बिलकुल भी पसंद नहीं है, लेकिन दूरदर्शन का क्या? मैंने कहा कि मुझसे दूरदर्शन के बारे में बात मत करो, वे भयानक लोग हैं (माँ हँसती हैं) हमारे जीवन को नष्ट कर रहे हैं और मैंने एक बहुत बड़ा व्याख्यान दिया है जो लगभग पाँच मिनट का है । इसलिए मेरे सामने दो व्यक्ति  कान पकड़कर आए। उन्होंने कहा कि माँ, हमें खेद है, लेकिन हम दूरदर्शन से संबंधित हैं । ओह, मुझे नहीं पता है कि अगर मैंने कुछ कहा तो मुझे खेद है … उन्होंने कहा कि मैं निर्देशक हूं और वह उप निर्देशक हैं। दूरदर्शन के अखिल भारतीय Read More …

Guru Puja: A Guru Should Be Humble And Wise Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-07-20 गुरु पूजा प्रवचन: एक गुरु विनम्र और बुद्धिमान होना चाहिए, Cabella, डीपी-रॉ आज की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है हमारे लिए । आप सभी को अपना आत्म साक्षात्कार मिल गया है, आपके पास सारा ज्ञान है जो आवश्यक है दूसरों को आत्म साक्षात्कार देने के लिए । आपको जानना चाहिए  क्या है आपके पास पहले से, यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि आप स्वयं प्रयत्‍न नहीं करते हैं और यदि आप प्रयत्‍न नहीं करते हैं दूसरों को आत्म साक्षात्कार देने का, तो सबसे पहले आपको स्वयं पर विश्वास नहीं होगा, आपके पास कोई आत्म सम्मान भी नहीं होगा। दूसरा भाग यह है कि आप प्रयत्‍न करें अन्य व्यक्तियों को चैतन्य देने का परन्तु उस व्यक्ति के साथ  लिप्त ना हों। मैंने देखा है कुछ लोग बहुत अधिक लिप्त हो जाते हैं। यदि वे एक व्यक्ति को साक्षात्कार देते हैं तो उन्हें लगता है कि उन्होंने बहुत महान कार्य किया है और वे काम करना शुरू कर देते हैं उस व्यक्ति पर, उसके परिवार, उसके संबंधियों पर और ये सब । तो, अब तक जैसा कि आपने सीख लिया होगा, कि कोई  संबंधी हो सकता है, कोई एक व्यक्ति के अधिक समीप हो सकता है लेकिन आवश्यक  नहीं कि उसके पास अधिक मौका होगा आत्म साक्षात्कार का । एकमात्र तरीका उत्थान का सामूहिक होना है, कोई अन्य तरीका  नहीं है। अगर लोग सोचते हैं कि आश्रमों से दूर रहकर, अकेले, कहीं रहते हुए , वे कुछ अधिक प्राप्त  करेंगे, यह तरीका नहीं है सहज योग  का  । पहले लोग हिमालय जाते Read More …

Sahasrara Puja: At Sahasrara you stand on Truth and go beyond Dharma Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहस्त्रार पूजा – 1997-05-04 आज हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं, सहस्रार की पूजा करने के लिए। जैसा कि आप समझ चुके  हैं, कि सहस्रार सूक्ष्म-तन्त्र का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है।  निःसंदेह, यह एक बड़ा दिन है, 1970 में जब इस चक्र को खोला गया था। परन्तु इसके द्वारा, आपने क्या प्राप्त किया है, इसे हमें देखना चाहिए। सर्वप्रथम, जब कुंडलिनी उठती है तो वह आपके भवसागर में जाती है, जहाँ आपका धर्म है। और आपका धर्म स्थापित हो जाता है, नाभि चक्र पर, हम कह सकते हैं कि- नाभि चक्र के चारों ओर।  आपका धर्म स्थापित हो जाता है, जो कि जन्मजात रूप से शुद्ध, सार्वभौमिक, धर्म है। स्थापित हो जाता है। लेकिन उसके बाद कुंडलिनी और ऊपर उठती है। यद्यपि, धर्म की स्थापना हो गयी है, हम थोड़ा दूर रहते हैं, अन्य समाजों से, क्योंकि हम देखते हैं कि वे अधर्मी हैं – उनका कोई धर्म नहीं है। साथ ही, मुझे लगता है,  कि हम डरते हैं कि हम उनके अधर्म में फँस सकते हैं।  तो उस स्तर पर, हम सहज योग की सीमाओं को लांघना नहीं चाहते। चाहते हैं, कि सहज योगियों तक सीमित रहें, सहज योग के कार्यक्रमों तक और अपने व्यक्तिगत सहज जीवन तक। निःसंदेह यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले इस चक्र को पूर्णतया पोषित किया जाना चाहिए। और यह चक्र वास्तव में नाभि चक्र के चारों ओर घूमता है, जिसे हम स्वाधिष्ठान के रूप में जानते हैं। यह स्वाधिष्ठान चक्र, एक प्रकार से, बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह ऊर्जा प्रदान करता है, मस्तिष्क को। इसलिए जब Read More …

Shri Raja Lakshmi Puja New Delhi (भारत)

Shri Rajlakshmi Puja Date 7th December 1996: Place Delhi Type Puja Speech Language Hindi दिल्ली शहर में और उसके आसपास सहजयोग बहुत जोर में फैल रहा है। ये एक बड़ी आश्चर्य की बात है। दिल्ली शहर एक राजधानी है और यहाँ अधिकतर लोग सत्ता लोलुप हैं। जो सत्ता पर हैं उनके आगे-पीछे लोग दौड़ते हैं। लेकिन ये सब होते हये भी अपनी आत्मशक्ति को खोजना अपना आत्मबोध कराना और बहुत आश्चर्यजनक है । मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी । क्योंकि ये सूक्ष्म चीज़ है। अत्यंत सूक्ष्म है। ऊपरी तरह से हम इस चीज़ को बहुत मानते हैं। जैसे है, मैंने बहत बार आपके सामने उदाहरण दिया, कि एक सुंदर सा चित्र अगर देख रहे हैं और उस चित्र में बरसात हो रही है। बहुत सुंदर फूल हैं। पक्षी उड़ रहे हैं और आप चित्र को देख कर बहुत खुश हो रहे हैं। लेकिन उस चित्र की जो अनुभूति है वो आपमें नहीं। इसलिये उसकी अनुभूति लेने की आवश्यकता है और अनुभूति लेने के लिये एक बहुत सूक्ष्म विचार चाहिये। आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त होना ये इच्छा रखना ही सूक्ष्म विचार आप के अन्दर जागृत हो गया यही कमाल है, कि हमने अभी तक यथार्थ को पाया नहीं। हमने अभी तक असलियत को पाया नहीं। कोई न कोई ऐसी चीज़ है जिसके पीछे हम भागते हैं। उसमें सत्य नहीं है और वो मैं इस प्रकार मनुष्य कहाँ से कहाँ भटक जाता है। बाह्यत: धर्म के अवलंबन में मनुष्य भागता है। मेरा यह धर्म है, बहुत ऊँचा हूँ। दूसरा कहेगा, मेरा यह धर्म Read More …

8th Day of Navaratri: Be Aware Of Your Own State Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला लिगरे (इटली), 20 अक्टूबर 1996 आज एक विशेष दिन है, जैसा कि आप जानते हैं कि हम देवी की पूजा कर रहे हैं, जो इस धरती पर नौ बार पहले आई थीं, सभी राक्षसों और सभी नकारात्मकता को मारने और सभी भक्तों को आराधना करने के लिए राहत देने के लिए। उसके सभी कार्यों का वर्णन पहले ही किया जा चुका है। इसके बावजूद वे पाते हैं कि, नए प्रकार के शैतान, नए प्रकार के नकारात्मक लोग, वापस आ गए हैं। शायद होना ही था। शायद यही होना था, आखिर यह कलियुग है और जब तक वे ना हों,  कलियुग का नाटक नहीं किया जा सकेगा। तो इस ड्रामा को पूरा करने वे आए थे। लेकिन इस बार बहुत अलग तरह का युद्ध होने जा रहा है। यह शांतिपूर्ण लोगों का युद्ध होने जा रहा है और शांतिपूर्ण लोग जीवन के हर क्षेत्र में सबसे सफल लोग हैं, यहां तक ​​कि युद्ध में भी। पहले ऐसा कार्यान्वित नहीं हुआ करता था। वे कहते हैं कि जब चंगेज खान आया, तो वह गया के पास, बौद्ध के एक बहुत बड़े मठ में गया, और उन सभी को मार डाला, वहां लगभग 30,000 बौद्ध थे, और उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा और वे सभी मारे गए। इसलिए लोगों ने बौद्ध धर्म में अविश्वास करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “यहां किस तरह का बौद्ध धर्म है, बुद्ध ने उन्हें क्यों नहीं बचाया। ऐसी है मानवीय सोच है। बुद्ध को इन 30,000 लोगों को बचाना चाहिए था जो शांतिपूर्ण Read More …

Sahasrara Puja: You must feel responsible but be humble Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                   सहस्रार पूजा                                आपको ज़िम्मेदार होना चाहिए, लेकिन विनम्र होना चाहिए क्बेला लिगरे (इटली), 5 मई, 1996 आज के दिन हम  सहस्रार के खोलने का जश्न मना रहे हैं। मुझे कहना होगा कि सम्पूर्ण मानवता के लिए यह एक महान घटना हुई थी। यह एक ऐसी उपलब्धि थी, जिसे मैंने पहले कभी हासिल नहीं किया था। अब मैं देख सकती हूं कि, आत्म-साक्षात्कार के बिना, लोगों से बात करना असंभव होता। जब ऐसा हुआ तो मैंने सोचा कि, मैं इसके बारे में लोगों से कैसे बात करूंगी, क्योंकि कोई भी मुझे नहीं समझेगा, और सहस्रार के बारे में कुछ कहना मेरे लिए एक बड़ी भूल होगी, क्योंकि यहाँ तक कि सहस्रार के बारे में, शास्त्रों में कहीं कुछ वर्णन नहीं किया गया था। यह बिल्कुल अस्पष्ट विवरण था, मैं कहूंगी, जहां लोग यह भी नहीं सोच सकते थे कि सहस्रार से परे भी एक क्षेत्र है। और व्यक्ति को उस दायरे में प्रवेश करना है जहां वास्तविकता है। उस समय, मैंने अपने आस-पास जो देखा, मुझे लगा, वह सब अंधकार है। और जहाँ तक और जब तक और कई रौशनी ना हो, तब तक लोगों को कभी भी एहसास नहीं होगा कि रोशनी का होना कितना महत्वपूर्ण है। यह एक मानवीय त्रुटि है, हर समय, कि अगर कोई कुछ हासिल करता है, तो वे उस व्यक्ति को एक ताक़ पर रख देते हैं। उदाहरण के लिए, “ईसा-मसीह – ठीक है, वह मसीह थे – हम मसीह नहीं हैं। मोहम्मद साहब, वह मोहम्मद साहब थे – हम मोहम्मद साहब नहीं हैं। राम Read More …

Mahashivaratri Puja Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

“अपने चित्त को प्रेरित करें “, महाशिवरात्रि पूजा। बुंडिला स्काउट कैंप, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 मार्च 1996. आज हम शिव, श्री शिव की पूजा करने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, श्री शिव हमारे भीतर सदाशिव का प्रतिबिंब हैं। मैंने पहले ही प्रतिबिंब के बारे में बताया है। सदाशिव , सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं, जो आदि शक्ति की लीला देखते हैं। लेकिन वह पिता हैं जो अपनी प्रत्येक रचना को या उनकी प्रत्येक रचना को देख रहे हैं। उनका समर्थन आदि शक्ति को पूरी तरह से है, पूर्णतया सशक्त करने वाला है। उनके मन में आदि शक्ति की क्षमता के बारे में कोई सन्देह नहीं है। लेकिन जब वह पाते हैं कि आदि शक्ति की लीला में, लोग या दुनिया अपने आप में, उन्हें आकुल करने, या उनके काम को बिगाड़ने का प्रयत्न कर रहे हैं, तो वह अपनी कुपित मन:स्थिति में आ जाते  हैं, और वह ऐसे सभी लोगों को नष्ट कर देते हैं, और हो सकता है, वह पूरी दुनिया को नष्ट कर दें । एक ओर वह क्रोधी हैं, कोई संदेह नहीं, दूसरी ओर, वे करुणा और आनंद का सागर हैं। इसीलिए, जब वह हमारे भीतर परिलक्षित होते  हैं , हमें अपना आत्मसाक्षात्कार  प्राप्त होता है, हमें अपनी आत्मा का प्रकाश मिलता है और हम आनंद के सागर में डूब जाते हैं। इसके साथ ही, वे ज्ञान का महासागर हैं, इसलिए जो लोग आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है, जो बहुत ही सूक्ष्म है, प्रत्येक परमाणु और अणु में व्यापित, इस ज्ञान की Read More …

Makar Sankranti Puja पुणे (भारत)

Makar Sankranti Puja 14th January 1996 Date: Place Pune Type Puja Speech Language Hindi, English and Marathi आज हम लोग यहाँ संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करने के लिये एकत्रित हुए है। अपने देश में सूर्य की पूजा बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं और सूर्य को अर्ध्य देना एक प्रथा जरूरी समझी जाती है और विदेशों में भी सूर्य का बड़ा महत्त्व है। उनके ज्योतिष शास्त्र आदि सब सूर्य पर ही निर्भर है । अब संक्रांत में ये होता है, कि चौदह तारीख को, आज सूर्य अपनी कक्षा छोड़ के उत्तर दिशा में आता है और इसलिये लोग संक्रांत को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन इस पृथ्वी गति से पहले २२ दिसंबर से १४ तारीख तक बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। बहुत ही ज्यादा लोगों को तकलीफ़े होती हैं। जुकाम होता है और हर तरह की शारीरिक पीड़ा भी होती है। उसके बाद उसको संक्रमण काल कहते हैं। जरूरत से ज्यादा ठंडक हो जाता है। उस ठंड के कारण अनेक उपद्रव शुरू हो जाते हैं। पर इस ठंड का भी एक उपयोग होता है। वो ये कि जो किटाणू या तरह तरह की चीज़ें अपने देश में इधर-उधर घूम कर और सब को परेशान करते हैं, वो इस ठंड की वजह से अपनी अपनी जगह चले जाते हैं, बहुत से नष्ट हो जाते हैं। बहुत से लोग मर जाते हैं। मतलब ये कि जिसे हम कह सकते हैं, कि जो सारे हमारे ऊपर पॅरासाइट्स है वो सब खत्म हो जाते हैं। तो ये भी अत्यावश्यक चीज़ हैं, कि हमारे Read More …

Public Program, Satya Ki Pahchan Chaitanya Se He (भारत)

Satya Ki Pahchan Chaitanya Se Hai 14th December 1995 Date : Lucknow Place : Public Program Type सब से पहले ये जान लेना चाहिये, कि सत्य है वो अपनी जगह। उसको हम बदल नहीं सकते, उसका हम वर्णन नहीं कर सकते। वो अपनी जगह स्थिर है। हमें ये भी करना है कि हम उस सत्य सृष्टि को प्राप्त करें। परमात्मा ने हमारे अन्दर ही सारी व्यवस्था की हुई है। इस सत्य को जानना अत्यावश्यक है। आज मनुष्य हम देख रहे है कि भ्रमित हैं। इस कलियुग में बहता चला जा रहा है। उसकी समझ में नहीं आता कि पुराने मूल्य क्या हो गये और हम कहाँ से कहाँ पहुँच गये और आगे का हमारा भविष्य क्या होगा। जब वो सोचने लगता है कि हमारे भविष्य का क्या है? क्या इसका इंतजाम है? हमारे बच्चों के लिये कौनसी व्यवस्था है? तब वो जान लेता है, कि जो आज की व्यवस्था है, मनुष्य आज तक जिस स्थिति में पहुँचा है वो स्थिति संपूर्ण स्थिति नहीं क्योंकि वो एकमेव सत्य को नहीं जानती। केवल सत्य को नहीं जानती। हर एक अपनी मस्तिष्क जो सत्य आता है, उसे समझ लेता है। दो प्रकार के विचार हैं। एक तो विचार ये है कि हम अपने मस्तिष्क से जो मान ले, जिस चीज़ को हम ठीक समझ ले, उसी को हम मान लेते हैं। लेकिन बुद्धि से सोची हुई, बुद्धि पुरस्सर चीज़ सीमित है। कोई | सोचता है, कि ये अच्छा है, तो कोई सोचता है कि वो अच्छा है। और ये ले कर के सब Read More …

Shri Ganesha Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Ganesha Puja. Cabella Ligure (Italy), 10 September 1995. यदि कोई आपके पास मिलने के लिये आये तो क्या आपको मालूम है कि किस प्रकार से आपको जानबूझ कर अपनी ऊर्जा को उन पर प्रक्षेपित करना है ….. ये एक नई तरह की ध्यान विधि है जिसका अभ्यास आप सबको करना है…. अपनी ऊर्जा को उत्सर्जित करके अन्य लोगों तक पंहुचाना। इसमें आपको किसी से कुछ नहीं कहना है… बातचीत नहीं करनी है लेकिन सोच समझकर और जानबूझ कर इस ऊर्जा का अनुभव करना है …. मैं फिर से कह रही हूं कि जानबूझ कर। यह सहज नहीं है …. नहीं यह स्वतः है। लेकिन इसका आपको अभ्यास करना है। अपने अंदर के श्रीगणेश की अबोधिता की ऊर्जा को अन्य लोगों तक प्रक्षेपित करना है ताकि जब वे आपको देखें तो उनकी स्वयं की अबोधिता जागृत हो जाय। उदा0 के लिये लंदन में हमें कुछ समस्या हो गई थी और सहजयोगियों ने मुझसे कहा कि माँ.. अभी भी कुछ लोग … कुछ पुरूष हमें देखते रहते हैं और कुछ ने कहा कि कुछ महिलायें भी हमें देखती रहती हैं। एक तरह से ये एक आपसी चीज घट रही थी। मैंने उनसे कहा कि आप लोग अपनी ऊर्जा को इस प्रकार से प्रक्षेपित करें कि इन लोगों का इस प्रकार का अभद्र व्यवहार पूर्णतया बंद हो जाय और उनको समझ में आ जाय कि उन्हें आपका आदर करना चाहिये और आपकी गरिमा का भी सम्मान करना चाहिये। ये बहुत कठिन भी नहीं है। इसके विपरीत… जैसी कि आजकल की संस्कृति है Read More …

Talk to Representatives of ECO-Forum and the Vice-minister of Health Sofia (Bulgaria)

1995-07-24 ईसीओ-फोरम के प्रतिनिधियों और स्वास्थ्यउप-मंत्री से चर्चा [बुल्गारियाई उप-स्वास्थ्य मंत्री बुल्गारियाई में बोल रहे हैं, अंग्रेजी में परिणामी अनुवाद] … सम्पूर्ण मानव जाति के हितों पर निजी हित पूरी तरह हावी है। यही कारण और संदर्भ है कि शांति की समस्याओं पर इको फोरम के नवीनतम सम्मेलनों में हमने संयुक्त राष्ट्र के संगठन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र से पृथ्वी पर जीवन को संरक्षित करने के लिए दुनिया भर की एक कमेटी बनाने का अनुरोध किया। इस संदर्भ में हम श्रीमती श्रीवास्तव का समर्थन पाकर बहुत खुश और संतुष्ट होंगे। इन सिद्धान्तिक मुद्दों के अलावा, मैं इस बात के लिए अपनी खुशी और श्रीमती श्रीवास्तव के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त करके प्रसन्न हूं कि वह बुल्गारिया आई और बल्गेरियाई धरती पर हैं और मुझे उम्मीद है कि हम उस वैश्विक मुद्दे के संबंध में सहयोग की व्यवस्था कर सकते हैं। मैं अपने दोस्तों और सहयोगियों के सामने, शांति के लिए इकोफोरम के नेतृत्व को प्रस्तुत करना चाहता हूं: श्री प्रो। अलेक्जेंडर अलेक्जेंड्रोव, वे इकोफोरम के निदेशक मंडल के सदस्य हैं और हाल ही में वह बुल्गारिया के पर्यावरण मंत्री के रूप में नहीं थे, श्री। ट्रिफोनोव – वह शांति के लिए इकोफोरम के मुख्य समन्वयक हैं, श्री मारिनोव इकोफोरम फॉर पीस में खंड संस्कृति के लिए जिम्मेदार हैं। बेशक इकोफोरम बोर्ड में पूरी दुनिया के सदस्य शामिल हैं। इसलिए मैंने केवल बोर्ड के इन सदस्यों का परिचय दिया जो बुल्गारिया में रहते हैं। – उन सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। मैं इस बात पर जोर देना Read More …

Evening Program, Eve of Adi Shakti Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहज योगी: हम भाग्यशाली हैं कि, हमें श्री माताजी और सर सीपी का सानिध्य प्राप्त हुआ है। और यहां प्रतिनिधित्व कर रहे स्पेन, बेल्जियम, हॉलैंड और अन्य सभी देशों के सहज योगियों में से केवल आधे लोग , हम यहां आपकी उपस्थिति के लिए अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं और हमारे पास 3 देशों द्वारा तैयार  एक छोटा सा कार्यक्रम है जिसमें नृत्य, और कुछ गाने शामिल हैं, और हम आशा करते हैं कि आप इसे पसंद करेंगे। अन्य सहज योगी : नमस्कार श्री माताजी! नमस्कार सर सीपी, हमारे हृदय से हम सम्मान और जो हर्ष हमें प्राप्त हुआ हैं व्यक्त करना चाहते हैं और श्री माताजी, सर सीपी और इतने सारे देशों के भाइयों और बहनों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं,  यह छोटा सा संगीत कार्यक्रम आज … कार्यक्रम की शुरुआत 3 भागों में डच कला के साथ होगी। एक हिस्सा हॉलैंड से, बेल्जियम से एक, और स्पेन से एक हिस्सा… तो हम पहले डच गीत के साथ शुरू करेंगे और पहला श्री माताजी का स्वागत नृत्य है… [प्रदर्शन शुरू होता है] श्री माताजी: यह महिला डेली वर्मा इतनी एक अद्भुत है, इस तरह का आश्चर्य और यह कितना शानदार  आश्चर्य था … मुझे यह कहते हुए खेद है लेकिन मैंने संगीत और नृत्य का ऐसा संयोजन कभी नहीं देखा है।अली अकबर खां साहब एक बहुत महान गुरु हैं लेकिन मैंने कभी किसी को उनकी प्रतिभा का उपयोग करते नहीं देखा। नृत्य के लिए प्रतिभा। यह बहुत बेहतर है, आप देखिए … कभी-कभी लोग कथक, या किसी भी Read More …

Evening Program Sahasrara Puja and Talk: You have to be politically aware Campus, Cabella Ligure (Italy)

(2:38:00 बजे)  श्री माताजी: ऑस्ट्रियन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया और फिर, कहना चाहिए कि जर्मन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया, वह बहुत सुन्दर था क्योंकि जो पहला कार्यक्रम था, वह कुछ क्लासिकल था और जिस प्रकार से उन लोगों ने प्रस्तुति रखी, वह मुझे बहुत ही अच्छी लगी ।पाश्चमात्य संगीत की वो सभी सुंदर धुनें, नि:संदेह बहुत-बहुत सुंदर थीं । लेकिन उसके बाद भी जो नाटक उन्होंने सहजयोग के बारे में प्रस्तुत किया, उसका भी मैंने भरपूर आनंद लिया और यह कि वे जिस तरह से सहजयोग को समझ रहे हैं कि अगर आपका स्वयं पर विश्वास है तो कुछ भी किया जा सकता है, वह बहुत महत्वपूर्ण है । और इस रात्रि हमने जो सारा समय यहां बिताया, वह बहुत ही आनंददायी था । मेरे विचार से सभी बहुत खुश थे और आनंद उठा रहे थे । तो, कल हमारा पूजा का एक कार्यक्रम है । इसलिए, अब अगर संभव हो तो हमें जाकर सो जाना चाहिए । इसके बाद, मुझे पता है कि आप सभी एक दूसरे का मज़ा उठाएंगे, जैसाकि हमेशा होता है, पर उसके बाद कृपया आप सभी निद्रा लें ।  आज का समारोह अति महत्वपूर्ण था – जिस प्रकार से वे झंडे लेकर आए, मैं इतनी आनंदित महसूस कर रही थी । न जाने किस-किस तरह की भावनाएं उठ रही थी, बस मैं बता नहीं सकती कि मैं  उस पर क्या कहूं -इतना बेहतरीन विचार था । कुछ झंडों के बारे में तो मुझे पता भी नहीं है । परन्तु इस संसार Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …

Adi Shakti Puja Jaipur (भारत)

Adi Shakti Puja (Hindi). Jaipur (India), 11 December 1994. [Original transcript Hindi talk, scanned fromo Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग आदिशक्ति का पूजन कर रहे हैं। जिसमें सब कुछ आ जाता है। बहुत से लोगों ने आदिशक्ति का नाम भी नहीं सुना। हम लोग शक्ति के पुजारी हैं, शाक्तधर्मी हैं और महामाया स्वरूप था। आदिशक्ति को महामाया स्वरूप होना जरूरी है क्योंकि सारा ही शक्ति का जिसमें समन्वय हो, प्रकाश हो और हर तरह से जो हरेक शक्ति विशेष कर राजे-महाराजे सभी शक्ति की पूजा की अधिकारिणी हो उसे महामाया का ही स्वरूप करते हैं। सबकी अपनी-2 देवियाँ हैं और उन लेना पड़ता है। उसका कारण ये है कि जो प्रचण्ड शक्तियाँ इस स्वरूप में संसार में आती सब देवियों के नाम अलग-2 हैं। यहाँ की देवो का नाम भी अलग है, गणगौर। लेकिन आदिशक्ति हैं. सबसे पहले सुरकभि के रूप में आई थी ये का एक बार अवतरण इस राजस्थान में हुआ जो शक्ति, जो एक गाय थी। उसमें सारे ही देंबी वो सती देवी के रूप में यहाँ प्रकट हुई। उनका देवता बसे हैं और उसकोे बाद एक बार सती बड़ा उपकार है जो राजस्थान में अब भी अपनी देवी के रूप में, एक ही बार इस राजस्थान में अवतरित हुई। मैंने आपसे बताया कि मेरा संबंध संस्कृति, स्त्री धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, राजधर्म हरेक तरह के धर्म को उनकी शक्ति ने इस राजस्थान से बहुत पुराना है क्यांकि हमारे पूर्वज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सिसौदिया वश प्लावित किया, Nourish किया। सती देवी की Read More …

Shri Rajalakshmi Puja New Delhi (भारत)

4-12-1994 Shri Rajlaxmi Puja, Delhi आज हम राजलक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं, मतलब वह देवी जो राजाओं पर शासन करती है। आज यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मूल रूप से कुछ गलत हो रहा है हमारी राजनीतिक व्यवस्थाओं की  कार्यप्रणाली में और क्यों लोगों ने अपनी न्याय, निष्पक्ष व्यवहार और परोपकार की भावना को खो दिया है। हम कहाँ गलत हो गए हैं कि ये सब खो रहा है? ये केवल भारत में नहीं, ये केवल जापान या इंग्लैंड में नहीं या किसी अन्य स्थान पर, जहाँ हमें लगता है कि लोकतंत्र है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी देशों ने, यहां तक ​​कि जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता पायी है, उन देशों का अनुसरण करना शुरू किया जो बहुत ही उच्च और पराक्रमी और बहुत शक्तिशाली माने जाते थे जैसे कि अमरीका, जैसे कि रूस, जैसे कि चीन, इंग्लैंड – सोचे समझे बिना कि वे अपने उस लक्ष्य को पाने में कितना सफल हुए हैं जो उन्हें प्राप्त करने थे। जैसा भी हो, इंग्लैंड जैसे देश में, आप देखते है यह राज-तंत्र, किस ढंग से यह काम करता है, आश्चर्य चकित कर देता है, बिल्कुल चौंका देता है । जिस तरह से उन्होंने अपने मंत्रियों के प्रति आचरण किया, जैसे क्रॉमवेल, आपको ऐसा लगता है जैसे कोई आदिम लोग कुछ प्रबंधन करने का प्रयत्न कर  रहे हैं। और राजा लोग इतने क्रूर, रानियाँ इतनी क्रूर, इतने चरित्रहीन, इतने अविश्वसनीय। उनमें कोई चरित्र नहीं था राजा और रानी बनने का। अपने राजलक्ष्मी सिद्धांत के प्रति कोई Read More …

Diwali Puja: Lights of Pure Compassion Istanbul (Turkey)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी दिवाली पूजा ‘शुद्ध करुणा का प्रकाश’ इस्तानबुल, तुर्की 5 नवंबर, 1994 आज हम दिवाली मनाने जा रहे हैं, जिसका अर्थ है दीपक की पंक्तियाँ या आप कह सकते हैं दीपकों का समूह। हमें तुर्की में भी अनुवाद करने के लिए किसी की आवश्यकता है। ये ठीक है!   यह दीपावली भारत में अत्यंत प्राचीन काल का पर्व रहा है। मैं अपने पिछले व्याख्यानों में पहले ही बता चुकी हूँ, कि ये पाँच दिन क्या हैं। नरकासुर को मारने के बाद दिवाली मनाई गई जब वो साल की सबसे अंधेरी रात थी। तो अब, यह इस आधुनिक समय में बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि सबसे बुरा वक्त, जहां तक ​​नैतिकता का सवाल है, इस आधुनिक समय में रहा है। हम इसे घोर कलियुग कहते हैं! घोर कलियुग, सब से बुरा आधुनिक समय। जिसका अर्थ है पूर्ण अधंकार। जैसा कि आप अपने चारों ओर देखते हैं, आप पाएंगे कि पूर्ण अंधकार है, जहां तक नैतिकता का प्रश्न है, और इसलिए सभी प्रकार के संकट हैं। इसके वजह से भी बहुत से लोग हैं, जो प्रकाश और सत्य को खोज रहे हैं।  अज्ञानता के काले युग में लोगों को पता नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए, वे इस धरती पर क्यों हैं! जैसा कि आप बहुत अच्छे से जानते हैं, की हजारों हजारों सच्चे साधक हैं जो इस समय जन्मे हैं। इसीलिए यह कार्य मुझे दिया गया अज्ञान के काले युग में दिवाली बनाने के लिए। यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि एक तरफ सच्चाई के खिलाफ काम Read More …

Easter Puja: Resurrection Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

ईस्टर पूजा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल 1994। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप यहाँ  बहुत संख्या में आए हैं – और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है, न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा संदेश है जिसे हमने अब सहजयोग में साकार किया है। हमें ईसा मसीह के संदेश को समझना होगा। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे बहुत महान तर्कवादी हैं और उन्हें कोई  भी टिप्पणी करने का अधिकार है, जो उन्हें ईसा मसीह के बारे में पसंद है। अख़बारों में आज मैं पढ़ रही थी, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे सभी एक-एक करके यह कह रहे हैं कि, “मैं ईसा मसीह के इस हिस्से को अस्वीकार करता हूँ कि वे निरंजन गर्भधारण से पैदा हुऐ थे। मैं अस्वीकार करता हूँ  कि वे पुनर्जीवित हो गए । मैं इसे अस्वीकार करता हूँ और मैं उसे अस्वीकार करता हूँ। ” आप हैं कौन? क्योंकि आप लिख सकते हैं, क्योंकि आपके पास एक सूझ है, आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? बस बिना पता लगाए। आप एक विद्वान हैं, हो सकता है कि आप बहुत अच्छी तरह से पढ़े हों, हो सकता है कि आपको लगता है कि आप किसी भी विषय में जो कुछ भी पसंद करते हैं उसे कहने में सक्षम हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के विषय को उन लोगों द्वारा नहीं निपटाया जा सकता जो आत्म- साक्षात्कारी भी नहीं हैं। क्योंकि यह एक बहुत ही Read More …

Mahashivaratri Puja, Surrender New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja. Delhi (India), 14 March 1994. It’s a great pleasure that from all over the world people have gathered to worship Shiva. Actually we should say it is Sadashiva that we are going to worship today. As you know the difference between Sadashiva and Shri Shiva. Sadashiva is the God Almighty and He is a witness of the play of the Primordial Mother. The combination between Sadashiva and the Primordial Mother Adi Shakti is just like a moon and the moonlight or the sun or the sunlight. We cannot understand such relationship in human being, among human marriages or among human relationships. So whatever the Adi Shakti’s creating, which is the desire of Sadashiva, is being witnessed by Him. And when He is watching this creation He is witnessing all of it into all details. He witnesses the whole universe and He also witnesses this Mother Earth, all the creation that is done by the Adi Shakti. His power is of witnessing and the power of Adi Shakti is this all pervading power of love. So the God Almighty, the Father, the Primordial Father we can say, expresses His desire, His Iccha Shakti as the Primordial Mother and She expresses Her power as love. So the relationship between the two is extremely understanding, very deep, and whatever She’s creating, if She finds, if He finds there is some problem or there are people, human beings specially who are trying to obstruct Her work, or even the Gods who are Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 31st December 1993 : Place Kalwe Type Puja Speech Language Hindi आज फिर दुनिया में आये हर एक प्रकार के संघर्ष हम लोगों के सामने हैं। और उन संघर्षों को देखते हुये हम लोग ये सोचने लग जाते हैं, कि क्या ये सृष्टि और ये मानव जाति का पूर्णतया सर्वनाश हो जायेगा ? ऐसा विचार | करते हैं। और ये विचार आना बिल्कुल ही सहज है। क्योंकि हम चारों तरफ देख रहे हैं कि हर तरह की आपत्तियाँ आ रही है। आपके महाराष्ट्र में ही इतना बड़ा भूकम्प हो गया। लोग उस भूकम्प से भी काफ़ी घबरा गये। पर तीन साल लगातार मैं पुणे में पब्लिक मिटिंग में कहती रही, कि गणेश जी के सामने जा के शराब पीते हैं और ये गंदे डान्स करते हैं और बहुत बेहुदे तरीके से उनके सामने पेश आते हैं। पर गणपति ये बहत जाज्वल्य देवता है, बहुत जाज्वल्यवान। और उनको ऐसी गलत चीजें चलती नहीं । पता नहीं इतने साल उन्होंने कैसे टॉलरेट किया? और मैंने साफ़ कहा था, कि ऐसा करोगे तो महाराष्ट्र में भूकम्प आयेगा। भूकम्प शब्द मैंने कहा था। लेकिन कोई सुनता थोड़ी ही है। वो डिस्को वगैरा क्या गंदी चीजें हैं, वो ले कर के वहाँ डान्स करते हैं। शराब तो इतनी महाराष्ट्र में आ गयी कि इसकी कोई हद नहीं। अब दो तरह की जनता अब मैं देख रही हूँ, एक शराबी, बिल्कुल म्लेंछ और दुसरी शुद्ध, पवित्र ऐसी सहज कम्युनिटी। अगर आपको बच्चों को बचाना है और उनको एक शुद्ध वातावरण देना है, Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …

Public Program Galat Guru evam paise ka chakkar (भारत)

Public Program, गलत गुरु एवं पैसे का चक्कर डेहराडून, १२/१२/१९९३ [Hindi Transcript] सत्य को खोजने वाले ,आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार ! संसार में हम सुख खोजते हैं, आनन्द खोजते हैं और ये नहीं जानते कि आनन्द का स्रोत कहाँ है। सत्य तो ये है कि हम ये शरीर बुद्धि, अहंकार, भावनायें और संस्कार ये उपाधियाँ नहीं है। हम शुद्ध स्वरूप आत्मा हैं। ये एक सत्य हुआ, और दूसरा सत्य ये है, जैसे कि आप ये सारे यहाँ के सुन्दर फूलों की सजावट देख रहे हैं, न जाने कितने सारे आपने लगा दिये हैं। ये फूल भी तो एक चमत्कार हैं कि एक बीज़ को आप लगा देते हैं, इस पृथ्वी में और इस तरह के सुन्दर अलग-अलग तरह के फूल खिल उठते हैं। हम इसे चमत्कार समझते हैं। ये डॉक्टर से पूछिये कि हमारा हृदय कौन चलाता है तो वो उसका नाम कहते हैं, Autonomous Nervous System, स्वयंचालक। लेकिन ये स्वयं है कौन? इसका वो विधान नहीं बना सकते। साइन्स में आप एक हद तक जा सकते हैं और वो भी ये जड़ जीवों के बारे में बना सकते हैं। जो कुछ खोजते हैं, जो पहले ही बना हुआ है उसको वो समझा सकते हैं लेकिन साइन्स की अनेक सीमायें हैं और सबसे बड़ी उसकी ये सीमा है कि केवल सत्य को उन्होंने प्राप्त नहीं किया है और इस वजह से साइन्स एक हद तक जाता है और फिर उसके खोज में दूसरी खोज आ जाएगी। फिर तीसरी खोज आ जाएगी, फिर पहली खोज को मना कर देते Read More …